Saturday, April 18, 2015

आजुक शिक्षा

अजगुत आ अद्भुत सब युग में होइत एलैये. मुदा अजगुत आ अद्भुतक असरि समाजक संरचना आ विकास पर सोझे देखबामें नहिं अबैछ .नीक शिक्षक समाजक छोलगढ़िया , कुम्हार आ राजमिस्त्री थिकाह . मुदा , पूजा- प्रशंसा आ पुरस्कार मठाधीशक होइछ , राजमिस्त्रीक नहिं . शिल्पकार आ कुम्हार पाथरक पिण्ड आ माटिक थुमहासं  कमनीय कलाकृतिक निर्माण करैत छथि . तथापि कलाकरकें  क्रमशः लोक बिसरि जाइछ . आ ऐतिहासिक भवनक देवालपर  केवल सामंत , धर्मगुरु वा सम्राटक विरुदावली  परवर्ती समाज पढ़इत  अछि. इएह प्रवृत्ति थिक जकर कारण राष्ट्र निर्माता शिक्षक आइ  समाजक सबसँ पछिला पांती में ह्कन्न  कनैत छथि आ शिक्षा माफियाक पारिवारिक साम्राज्यक वंशधर लोकनि शिक्षा प्रतिष्ठान सबमें पीठासीन छथि .
दोष ककर छैक ? शिक्षाक उत्पादन- माने कारखाना में बनल मूर्ति- थिक शिक्षित नागरिक  .
जहिना धातुक मूर्ति बनबै में लोहा ,लोहार , आगि , भाथि , निहाइ  , हथौड़ा सबहक योगदान होइछ , तहिना अबोध छात्रकें नागरिक बनयबामें घर ,परिवार , शिक्षक, संस्था , शिक्षातंत्र आ सरकार सबहक योगदान होइछ .  लोहा छात्र थिक  , शिक्षक लोहार , समाज निहाइ . भाथि -आगि राजनीति आ हथौड़ा राजनेता. मुदा अजुका युग में शिक्षक निहाइ  भ गेल छथि आ तें  शिक्षक आ छात्र मीलिकय चारूभर सं  बजरइत   चोट सहैत छथि . दुखक गप्प ई जे शिक्षाक ई अवनति शिक्षकेक हाथें आरम्भ भेलै आ प्रोफेसर-राजनेता सब  शिक्षाव्यवस्थाक   तेहन बलात्कार  केलनि जे शिक्षित मुंह देखबै जोकर नहिं रहल .

मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान

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