Thursday, April 30, 2020

COVID-19 डायरी

COVID 19

भारतमें COVID- तथापि30 

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11 मार्च 2020. हमरालोकनि जोधपुरसंCOVID 19 जे किछु. हमरा लोकनि घर वापस अयलहुं. किन्तु, अगिला 15 दिन धरि अंजानहिंमें संक्रमित हयबाक भय नहिं छल से कोना कहब. किन्तु, ताधरि अस्पताल सबमें कोनो सामूहिक सुरक्षा वा सावधानी लागू नहिं भेल छलैक. 12 मार्चक आबि OPD, ऑपरेशन, आ अध्यापन सब किछु पहिनहिं-जकां आरम्भ कयल.

18 मार्च 2020 बुधदिन COVID 19

24 मार्च 2020, मंगल दिन. हमर OPD छल. हमर सहायक लोकनि हमर वयस आ संक्रमणक आसन्न खतराकें दृष्टिमें रखैत OPDमें बैसबा सं मना केलनि. हम हुनका लोकनिक सुझाव मानल. ताधरि OPDमें रोगीक संख्या नगण्य भ गेल छलैक. संगहि, एतुका एकटा स्नातकोत्तर छात्रकें pneumonia भ गेलनि. अर्थात ओ छात्र COVID 19

12.04.2020

भोरहिं अमियकेर फोन आयल. हमर समधि श्री धीरेन्द्र कुमार मिश्रा द’. सोचल, की हेतनि डायबिटिक छथि, पहिनहु डायबिटीजक कण्ट्रोल में खराबीक कारण अस्वस्थ भेल रहथि, भ’ सकैत अछि मोन किछु बेसी खराब  भ गेल हेतनि. किन्तु, जखन ई बुझबा में आयल जे हुनक देहांत भ गेलनि तं भयानक आघात लागल. अपन कुटुंब, हितैषी आ वयसमें छोट रहथि. मिश्रा साहेब उर्जावान युवक छलाह. पछिला मार्च 20 में अपन दौहित्र ( हमर पौत्र ) आयुष्मान अग्निवक मुंडनमें एतय आयल रहथि. ताहि समयमें हुनक अस्वस्थताक कोनो संकेत नहिं भेटल छल. हमहूँ जखन कखनो हुनक स्वास्थ्य द’ अपन पुतहु, अदिति, सं पुछियनि, तं कोनो चिंताजनक समाचार नहिं भेटैत छल. तखन एना ? मन में इएह सोचल, मृत्युक असामयिकते मृत्युकें एतेक भयानक बनबैत छैक. लोक अनेक बीमारीक बावजूदो दीर्घायु भ’ जाइछ आ देखबामें स्वस्थ-सन मनुक्ख सेहो एकाएक चलि बसैछ.  मुदा, कोरोना-कांडक बीच मिश्रा साहेबक मृत्यु परिवार ले एकटा अभूतपूर्व समस्या ल’ आयल छैक. ने कतहु केओ जा सकैत अछि , ने हुनका ओतय केओ पहुंचि सकैत छनि. दू गोट बेटी आ जमाय दूर विदेशमें छथिन. अपने नैनीताल में रहथि, आ परिवार कारसं चारि घंटा दूर, किच्छामें. भौजाई सेहो दूर रहैत छथिन. सार-ससुर  आगरामें. अपन भाई लोकनि कनेक लग, बरेली में छथिन. किन्तु, सबकें आयब सुलभ नहिं छैक. अनेक जिलाक अनेक जिलाधिकारीक अनुमति. वाहन पर रोक. क्वारंटाइन. अमेरिका आ कैनाडा बसैत  हमर पुतहु दुनू बहिन पिताकें तं नहिंए देखि सकथिन; एहि  कोरोना काण्ड में बंदीक कारण गरीब-धनिक सब एके रंग अशक्त अछि ! टाका अछैत कतहु जा नहिं सकैत छी. टाका अछैत किछु क’ नहिं सकैत छी. सुनैत छी, किछु परिवारजन कें केवल इन्टरनेट-विडियोपर मिश्रा साहेबक अंत्येष्टि देखब सम्भव गेलनि. जिनगी भरि परिवारकें कचोट रहि जेतैक.  ई कोरोना महामारी जे ने कराबय !  

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21 अप्रैल 2020: चेन्नईक न्यूरोसर्जन डाक्टर साइमन हर्कुलस COVID-

 

23 अप्रैल 2020 :   

 
हमरा परिवारमें हमर पुतहु आ बालक तं एही यन्त्रणाक भोग कईए चुकल छथि. एही अप्रैलक बारहे तारीख क हमर पुतहुक पिता धीरेन्द्र कुमार मिश्रक अकस्मात् निधन भ गेल रहनि. स्व. मिश्रकेर दू गोट कन्या बाहर छथिन. एहन परिस्थितिमें परिवारक विपत्ति अद्भुत व्यक्तिगत आघात साबित भेले.

 

 


एतेक टा देश. एतेक प्रकारक लोक आ विशाल अर्थहीन समुदाय. सबटा ने सरकारक हाथ छैक आ ने समाजक. समाजक हाथ सरकार बान्हि देने छैक

07 मई 2020 : कोविड-कांड में नित्य किछु ने किछु नव आबि रहल अछि.दू दिन पहिने विदेशी शराबके बिक्री आरम्भ भेल. बिक्री की आरम्भ भेल,

08/05/20 : अजुका अखबारक मुखपृष्ठ पर विशाखापत्तनम में गैस दुर्घटनाक खबरि प्रमुख अछि. पेपरक भीतर में अहम,

प्रवासी मजदूरक निरन्तर पैदल यात्राक खबरि सब ठाम अछि. कतहु को ट्रेन बन्न क कय फेर खोललनि

10/5/2020 : रवि दिन.

जेना युद्धकालमें

अजुका हिंदुस्तान टाइम्समें प्रसिद्द पत्रकार मार्क टुल्लीक लेख आकृष्ट केलक. टुल्ली कहैत छथि: ‘शहरी मजदूर एहि सं नीक व्यवहारक हकदार अछि’. कोरोना काण्डक एहि बंदी में टुल्ली अपने कतहु जेबा सं असमर्थ छथि. तें सरकारी ड्यूटी पर दिल्ली सं लखनऊ जाइत एक व्यक्ति कें केवल बाटक दृश्य सबहक सूचना देबाक आग्रह केने रहथिन. टुल्ली कहैत छथि, ‘ हुनक मित्रकें सम्पूर्ण बाट में केवल पैदल घरमुंहा जाइत मजदूर आकृष्ट केलकनि. एकर अतिरिक्त जं किछु, रोचक छैक तं मजदूर लोकनिक प्रति प्रशासन, राजनेता आ समाजक

दिल्ली सं प्रकाशित समाचार में

हमरा लोकनि आइ दोकान में करीब पौने दू मास बाद पहिल बेर पांडिचेरी गेलहुं. शहर में बहुतो ठाम बंदी-सन प्रतीत नहिं भेल. तथापि, सामजिक-दूरीक नियम पालन करैत राशनक अप मार्केट दोकान में प्रवेशले रौदमें

11.5.2020: कोरोना कांड में एकटा अओर सरकारी कनफ्यूजन: कोरोना संक्रमित साधारण केरके अस्पताल सं डिस्चार्ज सं पहिने कोरोना मुक्तिक जांच आवश्यक नहिं ! प्रायः देशमें पर्याप्त किट केर अभावमें जतेक टेस्ट करब आवश्यक छैक,

कोरोना अपन कहर जारी रखने अछि. सामान्य नागरिक,

14.5.2020

परसू अप्रैल महिनाक वेतन आयल. मासिक वेतनक आधा. डाक्टर लोकनि असंतुष्ट छथि. किन्तु,
दोसर समाचार पढ़लहुं. मध्यप्रदेशसं उत्तर प्रदेशक पैदल यात्रामें एकटा मजदूरकें बच्चा भ'
दोसर,

19.5.2020

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किन्तु,

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चेन्नइ सं प्रकाशित अजुका '

 

एहि अध्याय अजुका तेसर कथा अत्यंत मार्मिक अछि. एम पूल पांडियन नामक मदुरै शहरक ई बृद्ध भिखारि अपन जमां-पूंजीक कुल दस हज़ार टाका कोरोना रिलीफ फंड में दान क देलखिन-ए. सामाजिक दायित्वक एहन उदाहरण शहरी मध्य एखन वर्गमें विरले भेटत. हमरा लोकनिकें अपने दुःखसं हकन्न  कनबा सं फुर्सति कहां !

20.5.2020

कोरोना कांडमें चारू दिस विपरीत खबरि सं लोक त्रस्त अछि. एहन परिस्थितिमें कोनो नीक खबरिसं लोकक मनोबल बढ़तैक, भय घटतैक. जनसामान्य- मजदूर- क हेतु एहिमें दू गोट शब्द वा संदेश  ( काजक हो वा नहिं ) आह्लादक भ’ सकैत अछि.

पहिल, आइ काल्हि समाचार-पत्र ‘टाइम्स ऑफ़  इंडिया’  आप्रवासी मजदूरकें ‘गेस्ट वर्कर- अतिथि श्रमिक’-क संज्ञासं विभूषित सम्बोधित करैछ. एहि संज्ञासं  हज़ारों पाँव-पैदल श्रमिकक पयरक फोका एकाएक सुखा जयतनि वा सड़कपर मरब बन्न भ’ जेतनि तकर आशा करब  व्यर्थ. तथापि, अंग्रेजी  पेपर पढ़निहार श्रमिककें एतबा तं बोध हेतनि जे ओ लोकनि ‘ कोढ़-खाज-खुजली- रोगक खान-आ कैंसरक श्रेणीसं बहराय एही दू मासमें आदरक पात्र भ’ गेलाहे. मोन रखबाक थिक, जं समाजमें अवांछित-जकां बूझल जाइत लोक एकाएक आदरक  आदरक श्रेणीमें आबि जाथि तं हुनका लोकनिक कनेक सचेत रहब उचित.

दोसर समाचार, समाचार नहिं थिक. ई थिक चेन्नई सं प्रकाशित दैनिक ‘हिन्दू’में बिहारक मुख्यमंत्रीक  श्रमिक लोकनिक नाम आह्वान. सारांश ई जे अहाँलोकनिकें बिहार आनल जयबाक व्यवस्था भ’ रहल अछि. पैदल वा ट्रक-ट्रेलर सं गाम जुनि आबी.’ सत्यतः, ई समाचार सुनबामें सुखद अवश्य थिक. तखन, devil lies in detail – समस्या ओहि सं आगू छैक. बंदीक प्रथम चरणकेर दू मास भ’ गेलैक. एखनो मुख्यमंत्री श्रमिक लोकनिक घर वापसीक व्यवस्थाक कोनो ठोस कार्यक्रमक खुलासा नहिं केने छथि. तखन एहि आश्वासनक श्रमिक लोकनि की अर्थ निकालथि ताहि ले पार्टी प्रवक्ता भले बड़का भाष्य लिखथु आटीवी पर पढ़थु, सामान्य श्रमिक तं  अपन बुद्धिक अनुकूले  अपन हितमें अपन निर्णय अपने लेताह !

22.05.2020

प्रत्येक विपरीत जहिना मनुष्यक सहनशीलताक परीक्षा लैछ, तहिना विपरीत  परिस्थिति किछु ने किछु  नव शिक्षा सेहो देने चल जाइछ, नव संस्कृतिक जनक होइछ; जेना, कोरोना कांड हाथ-मिलाय्बाक संस्कृतिकें समाप्त के हाथ जोडि प्रणाम करबाक परंपरा पुनः आरम्भ क रहल अछि. एकर अतिरिक्त अजुका समाचारमें एकटा नव गप्प पढ़ल. समाचार छत्तीसगढ़ सं आयल अछि. समाचार छैक जे सुरेन्द्र सिंह नामक एकटा केमिकल इंजिनीयर अपन पिताक अंत्येष्टिक अवसर पर स्थानीय अपस्तालके COVID-19 क विरुद्ध लड़ाईमें संलग्न मेडिकल कर्मीक हेतु सुरक्षा उपकरण दान में देलखिन-ए. अंत्येष्टिक ई विधि अनुकरणीय थिक.

जनतंत्रमें प्रशासन आ पुलिस जनताक सेवक थिकैक. किन्तु, सरकारक ई सब अंग राज-दण्डक संवाहक सेहो थिक. तें, पुलिस सं लोककें भय होइत छैक. स्वतंत्र भारतक जे परिस्थिति छैक ताहिमें लोक पुलिस पर कतेको हास्य-विनोदक आदान प्रदान करैत आयल अछि. किन्तु, सामन्य समयक विपरीत, एखनुक कोरोना कांडमें प्रशासन आ पुलिससं लोक भयभीत अवश्य अछि. काश ! पहिनहु आ कोरोना महामारीक पछातियो प्रशासन जं एहिना सख्त रहितैक तं नागरिकक जीवन बेसी सुखी भ’ जैतैक. किन्तु, अजुका समाचार भयक एकटा मार्मिक कथा कहैत अछि : किछु दिन पूर्व बंगाल निवासी पंद्रह गोटे श्रमिक पाँव-पैदल चेन्नई सं बंगाल स्थित अपन गामक हेतु बिदा भेलाह. चेन्नई सं आंध्रप्रदेश केर नेल्लोर शहर धरिक करीब दू सौ किलोमीटरक दूरीक पछाति हिनक लोकनिकें विजयवाड़ा धरि जयबाले जेना-तेना एकटा ट्रकमें जगह भेटि गेलनि. मुदा, ओकर बाद कोनो सवारी नहिं भेटने ईलोकनि पुनः पांव-पैदल विदा भ’ भेलाह. विजयवाड़ा प्रचण्ड गर्मी ले जेहने बदनाम छैक, रौदो तेहने रहैक. फलतः, गर्मीसं ओहि दल महक अनिल मंडल नामक एक व्यक्तिक हालत ततेक खराब भ’ गेलनि जे बेचारे ओत्तहि, हाईवे पर शांत भ’ गेलाह. अंततः, पुलिस पचड़ा सं भयभीत, अनिल मंडलक संगबे, बांकी यात्री अनिल मंडलक मृत शरीरकें सड़कक कातहिं एकटा ओढ़नासं झांपि आगू बढ़ि जाइत गेलाह. अंततः, पुलिसके जखन सूचना भेटलैक तं पुलिस लाशके कब्ज़ामें लेलक आ बांकी यात्री लोकनिकें ताकि हुनका लोकनिक  रहबाक व्यवस्था अतिथि- आश्रयमें क देलकनि. सत्यतः, जं, क्वारंटाइन सेंटर-जकां हाईवे सब पर पैदल चलनिहारक हेतु भोजन आ आश्रयक व्यवस्था केंद्र आ राज्य सरकार पहिने केने रहैत तं घर पहुँचबाक हेतु आतुर एतेक स्वस्थ श्रमिक  कोरोना-काण्ड में बिना कोरोना-रोगक एना काल कवलित नहिं होइतथि.

कोरोना-काण्डक विपत्तिमें किछु नीक सेहो भ’ रहल छैक अमेरिका स्थित से  हमर बालक, अमिय कहलनि. अमिय सपत्नीक सूचना प्रोद्योगिकीक क्षेत्रमें काज करैत छथि. हिनका लोकनिकें एखन डेरहिं सं काज करबाक बाध्यता छनि. घरमें दू वर्षक नेना छथिन. घरमें छोट नेना हो तं दुनू गोटेक  घर काज करब असम्भव छैक. कारण, बेसी काज फ़ोन-कॉल आ  विडियोपर होइत छैक. तथापि, अमिय कहैत छथि, सामान्य कालक विपरीत एखन मीटिंग केर दौरान नेनाक हयबापर ‘ क्लाइंट’ आ वरिष्ठ अधिकारी लोकनि आपत्ति नहिं करैत छथिन !

संयोग सं दू माससं लॉक-डाउन में माता-पिताक निरंतर संगसं हमर पौत्रक गप्प-सप्प करबाक क्षमतामें देखबा योग्य प्रगति भेलनि-ए. डे-केयर जाइत बच्चा सबहक बाजबमें कनेक बिलम्ब होइत छैक से सुनल छल. किन्तु, कोरोना-कांडमें माता-पिताक संग अग्निवक हेतु संजीवनी साबित भ’ रहल छनि. फलतः, नित्य अग्निव किछु ने कछु नव तं सिखबिते छथि, हुनका अपन माय-बाप कें सेहो शिक्षा देबाक प्रचुर अवसर भेटि रहल छनि ! 

23.05.2020

पुलिसकेर भयसं पैदल-यात्री मजदूर लोकनिक एकटा दल स्व. अनिल मंडल केर पार्थिव शरीरकें सड़के पर छोडि आगू चल गेल, से जं आश्चर्यनक छल तं ओहू सं बेसी  आश्चर्यनक अछि, आंध्रप्रदेश पुलिसक कानून व्यवस्था नियंत्रणमें रखबाक नव तरीका जाहिमें  विशाखापत्तनमक पुलिस ओतुका  वरिष्ठ डाक्टर सुधाकरक दुनू हाथ पीठक पाछू बान्हि हुनका अर्धनग्नावस्थामें शरेआम शहरमें घिसियौलक. पुलिसक मुताबिक डॉ सुधाकर ‘ सामाजिक व्यवस्थाके बाधित करैत चलाह- He was creating public nuisance. ज्ञातव्य थिक, सरकारक विरोध कयनिहार कर्मचारी वा सरकारीक संग सरकारी तन्त्र निर्ममताक संग व्यवहार करैत छैक, से सर्वविदित अछि. संयोगसं डॉ सुधाकर मार्च 2020में सरकारी अस्पताल में PPE ( व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण) क कमीक मुद्दा सार्वजनिक रूपें उठौने रहथि. तें, पहिने सरकार हुनका निलम्बित केलक आ पछाति ‘मदिरापानक कारण समाजिक अव्यवस्था पसारबाक’ अभियोगमें गिरफ्तार कय डेंगौलक, आ सड़क पर घिसियौलक. संयोग सं सरकारी डाक्टरक जांचमें डाक्टरक सुधाकरक शरीर पर जाहि चोटक चर्चा छल, जिला जज महोदयोकें से अपर्याप्त बूझि पड़लनि. फलतः, डाक्टर समुदायक दवाबपर  आब आंध्र हाईकोर्ट डाक्टर सुधाकरक प्रति पुलिसक बर्बरता पर सी बी आइ जांचक आदेश देलक अछि. माननीय उच्च न्यायालय आठ हफ्ताक भीतर एहि जांचक रिपोर्ट मंगने अछि. भले सीबीआई जांचक जे कोनो परिणाम होइक, प्रश्न ई उठैछ, सरकारी कानूनक अंतर्गत एहन कोन कानून छैक जकर अंतर्गत पुलिसकें ‘अपराधी’कें उनटा बान्हि बीच सड़कपर घिसिययबाक अधिकार दैत छैक. काश, स्वतंत्र भारतमें पुलिस प्रशासनमें सुधार होइतैक. किन्तु, जेना राजनेता, सरकार आ पुलिस, पुलिस प्रशासनमें सुधारक प्रत्येक प्रयासक भ्रूण-हत्या करैत आबि रहल अछि, पुलिस प्रशासनमें सुधारक आशा व्यर्थ थिक !

कोरोनाक रोगक संख्यामें निरन्तर बृद्धि भ रहल अछि. ई बृद्धि लगभग प्रत्येक राज्यमें परिलक्षित भ रहल अछि. सवाल ई छैक, आगू की ? भारत सरकार एतय विश्व भरि में सबसँ सख्त ‘बंदी’ लगौलक जकर नीक आ बेजाय देखिते छी. किन्तु, आब जखन बान्हल मजदूर बिना ‘सामाजिक दूरी आ सावधानी’ क गाँव धरि पहुंचि रहल छथि तखन कोरोना संक्रमण कतय धरि बढ़त से सोचिते दांती लागब उचित . किन्तु, उपाय ? हमरा जनैत, एहन परिस्थितिमें केवल नागरिक लोकनिक अपन सफाई, दूरी आ चिकित्सा जनताक जान बंचाओत.

26.05.2020

कोरोना-कांडक महाभारत वा महाभूमंडल जारी अछि. जतय जीवन छैक, ओतहि समस्या छैक: only dead have no  problem ! एही म सं तं बहुत समस्याक जनक तं मनुष्य अपनहि अछि. जर्मन दार्शनिक शोपनऔर कहैत छथि, ‘For the world is Hell, and men are on the one hand the tormented souls and on the other the devils in it.

विगत दू दिन पूर्व देशक किछु क्षेत्रमें केंद्र सरकार हवाई यात्रा पुनः बहाल कयलक. किछु सेवा आ अनेक बंधन. मुदा, नागरिक सुरक्षाक हेतु जे किछु आवश्यक छैक से सरकार करओ. किन्तु, बिना सूचनाक हवाई यात्राक रद्द हयब, कटल टिकट आ प्लेटफार्म पर जमा यात्रीक हेतु गाड़ीक रद्द हयब सं जं एकदिस जनता परेशान होइत अछि तं दोसर दिस राज्य आ केंद्र सरकार सभक बीच तालमेलक अभावक खेल पूरा समाज भोगैछ ; रेल यातायातमें महाराष्ट्र आ बंगाल बीच ट्रेनक यातायातमें केंद्र सरकारक राजनीतिक जोड़-तोड़सं श्रमिक वर्ग परेशान छथि . दोसर दिस उपभोक्ता आ एयरलाइन्स कम्पनी सभक बीच तालमेलक अभावसं  प्रभावित एकटा बंगाली नागरिकक पराभवक कथा अजुका एकटा ‘ हिन्दू’ में पढ़ल. बंगालकेर ई नागरिक कतेको दिन सं बम्बईमें काज करैत छथि. गाम गेना बीस मास भ’ गेल छनि. कोरोना आयल ईद-बकरीद-विवाह-दान-उपनयन-मुंडन सब कें बहा कय ल गेल. अन्ततः एहि व्यक्तिक  पत्नी गाम में तीन टा बकरी बेचलखिन. अपने किछु कर्जा लेलनि आ कलकत्ता जेबाक हेतु हवाई टिकट कटौलनि. हवाई जहाज पकड़बाक हेतु देवास सं मुम्बई हवाई अयबामें 2000 टाका लगलनि से फूटे. किन्तु, हवाई अड्डा पर पहुंचलापर बुझबामें अयलनि जे फ्लाइट रद्द भ’ गेल. बेचारे भोकारि फाडि कय कानय लगलाह. अंततः, मीडिया-कर्मी लोकनि  आ एयरलाइन्सक सहायता सं दू दिनक बादक दोसर टिकट भेटलनि. किन्तु, मुंबई सं देवास जायब आ पुनः मुंबई आयबक खर्चा के देतनि !

एहि कोरोना संक्रमणक प्रसारसं कोरोनाक अतिरिक्त स्वास्थ्य सम्बन्धी आन समस्याक चिकित्सा इत्यादि में लोक कें अनेक बाधा आबि रहल छैक. एतेक धरि जे छोट नेना लोकनिक टीकाकरण धरि समय पर सम्भव नहिं भ’ रहल छैक. एहि सम्बन्ध में बन्धु श्री केदार कान सं सेहो अनेक बेर चर्चा भेल छल. हुनक नवजात दौहित्रीक टीकाकरणमें बिलम्ब भ’ रहल छैक. एही हेतु परिवारजनक  चिंता स्वाभाविक. किन्तु, श्री केदार काननक व्यक्तिगत चिंता, आब सामाजिक चिंताक रूप ल’ रहल अछि से आब समाचार-पत्र सब में आबय लगलैके. हमर सहपाठी लोकनि म सं शिशु चिकित्सक लोकनि क्लिनिक खोलबामें डराइत छथि, से सूचना भेटैत रहैत अछि. किन्तु, जाहि माता-पिताक नेनाक टीकाकरणमें बिलम्ब भ’ रहल छैक, तकर दिस सं ज सोचबैक  तं समस्या विकट छैक, आ समाधान कठिन !

28.05.2020

एखन भोरे समाचार पत्र खोलू तं सर्वत्र कोरोना दैत्य-जकां ठाढ़ भेटत. समाचार किछुओ  होइक,परिणाम एके - सम्पूर्ण मानव जाति क्लांत अछि. समाजक कोनो वर्ग एहिसँ अछूत नहिं. लगैत अछि, किछु अर्थमें कोरोना-संकट  गरीब –धनिक लोक , समृद्ध आ असमृद्ध देशक अंतरकें एक अर्थमें समाप्त क’ देलक अछि : सब भयभीत अछि. किन्तु, से ह्रदय विदारक नहिं. हृदयविदारक अछि मजदूरक निरन्तर पलायन आ पराभव. कतहु मजदूर चलती ट्रेनमें भूख-प्याससं मरि रहल अछि, तं कतहु घरक बाटहिंमें नेना ट्रेनमें प्लेटफार्मपर दम तोडि रहल अछि. एहि सब म सं अजुका समाचार-पत्रमें  मुजफ्फरपुर स्टेशनपर, एकटा दुधमुंहा बच्चाक अपन मृत मायके उठयबाक प्रयास, आ कानपुर स्टेशनपर ट्रेनमें दूधक अभावमें मृत नेनाक हाहि कटैत पिताक छवि  विचलित करबा बला अछि. संयोग सं, मृत्युक पछाति ई घटनासब जं एक दिस केवल आंकड़ा बनि कय रहि जाइत अछि, तं दोसर दिस मृतक लोकनिक मृत्युक कारण डाक्टर, प्रशासक आ राजनेता, आ पत्रकारक बीच मात्र टीवी स्टूडियोमें  वाद-विवादक मुद्दा बनिकय रहि जाइछ, जकर लाभ ने मृतात्मा आ परिवारकें भेटैत छैक आ ने समाजकें. तथापि, अजुका समाचार पत्र में कोरोना-संकटक पराभवक कारण किछु नीक परिणाम होयत तकर संकेत देखल. किन्तु, ई संकेत मात्र थिक.

उत्तरप्रदेश सरकारक योजना प्रकाशमें आयल अछि जे ओ लोकनि अपन राज्यक समस्त साधारण मजदूरक स्किल-मैपिंग करताह . तकर पछाति जाहि राज्यकें जाहि प्रकार आ जतेक संख्यामें मजदूर चाहियनि तकरा नियोजित कय मजदूर आपूर्ति आ मजदूरक

01.06.2020

प्रत्येक ह्रदय विदारक चित्रकेर अपन कथा होइत छैक, चाहे ओ चित्र नाटकक मंचकेर हो अथवा सजीव यथार्थक. प्रत्येक आपदाक चित्र उतारि, सुदूर  समाज आ संसारक चेतना जगयबामें तत्पर चित्रकार आपदा-प्रबन्धन नहिं कय पबैत छथि, वा प्रयासो नहिं करैत छथि, कारण चित्रकारक काज घटनाक चित्र उतारि समाज धरि पहुँचयबाक थिकैक. 1990 क दशकमें दक्षिणी सूडानक गृह-युद्ध आ भीषण अकालकें चित्रित करैत केवल एकटा चित्रक कारण दक्षिण अफ़्रीकी पत्रकार-चित्रकार केविन कार्टर  विश्व-प्रसिद्द भ’ गेलाह : ई चित्र छलैक, अकाल-पीड़ित एकटा नेनाक, जे अकाल-पीड़ितक हेतु स्थापित सहायता केंद्रक बाटमें अशक्त भेल भूमि पर मूड़ी गाडि पड़ल छल. संयोगसं केविन कार्टरक ओहि चित्रमें, किछुए दूर पर बैसल एकटा गिद्ध, ओहि चित्रक मार्मिकता आ गृह-युद्धक क्रूरताकें शिलालेखमें परिवर्तित क' देलक. पछाति जखन ओ चित्र पुरस्कृत भेल, प्रसिद्द भेल तं, स्पष्ट छै ओही पर अनेक टीका-टिपण्णी आ मीमांसा भेलैक.

03 .06 .2020 

बिना संक्रमण के कोरोना एकटा आओर जान लेलक 

काल्हि तिरुवनन्तपुरम केरल सं एकटा दुखद समाचार आयल अछि : ऑनलाइन क्लास में पढ़बासं असमर्थ एकटा हाई स्कूल में पढ़इत एकटा कन्या आत्महत्या क लेलनि. दलित मजदूरक परिवारमें उपलब्ध टी वी तीन मास सं भंगठल छलैक. टाकाक अभाव में ओकर मरम्मति सम्भव नहिं भेलैक.कोरोना लॉक आउट समाप्तिक पछाति 1 जून सं ऑनलाइन क्लास सब आरम्भ हेबा पर रहैक. टी वी अभावमें ई कन्या कोना पढ़इत. फलतः, हताशामें ई अपन जान ल' लेलनि. कहब असम्भव ई कोरोना कोन-कोन रूपें कतेक जान लेत !  

04.06.2020

विवाहित जीवनक इकतालीस वर्ष पूर्ण भेल. लम्बा अवधि आ ढेर संतोष. कोरोना कालमें जखन समाज अनेक बाधासं लडि रहल अछि, उत्सव कोना मनायब. तथापि संतुष्ट छी.

आइ भोरे ‘ द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ समाचार पत्र खोलल  तं आवरण-पृष्ठ परहक चित्र विचलित क’ देलक. यद्यपि एहन समाचार पर  आइ सं दस दिन पूर्व सेहो नजरि पड़ल छल : शिक्षक, फोटोग्राफर, इंजिनियर, सेल्स-मैन सदृश अनेक बेरोजगार व्यवसायी एखन, सरकार द्वारा पहिने अपमानित आ आब पुनर्जीवित, मनरेगा (महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण जीविका स्कीम) में जॉब-कार्ड बनबलनि-ए. काल्हि-परसू हमरा घरमें काज करैत श्रीमती गीता एक दिन छुट्टी नेने छल. पुछला पर पता लागल जे ओ मनरेगाक पहचान-पत्र बनाओत. मोन द्रवित भ’ गेल. दू ता समर्थ बच्चा छैक. एही मास में बेतिक विवाह हेतैक. ताहि पर पछिले मासमें बेचारी विधवा भ’ गेल. नशाखोरी जे ने कराबय. मुदा, अजुका समाचारसं  तं लागल जे आँखिमें नोर आबि गेल.  

प्रवासी मज़दूरक पलायनक मुद्दापर मद्रास हाई कोर्ट सख्त भ’ गेल अछि, से समाचार हमरा संतोष जगओलक . मद्रास हाई कोर्टक बेंचक कहब  छैक जे ‘ घर दिस पड़ाइत प्रवासी मजदूरकें देखि कय आँखिक नोर रोकब असम्भव छैक.’ ई उक्ति  मद्रास हाई कोर्टक कलुका बैसक में प्रकट भेल.  ततबे नहिं, जस्टिस किरुबाकरन उक्ति छलनि जे ‘ मजदूरक हितक रक्षा करब सभक काज थिक.’ फलतः, मद्रास हाई कोर्ट केंद्र सरकार आ राज्य सरकारकें तुरत कार्रवाईक हेतु अनेक निर्देश देने छनि. कोर्टक कहब छलैक, जे ‘जे राज्य मजदूरक सेवा लैत अछि ओ मजदूर  सबहक कल्याणसं कदापि निरपेक्ष नहिं रहि सकैछ.’

हमरा संतोष अछि लोकतंत्रक एक स्तम्भक कमजोरीक कारण नागरिकक

11.06.2020

भूख मनुष्य कें गति दैत छैक, भूखे मनुष्यक दुर्गतिक कारण होइछ. भूखें सं लोक घर सं पड़ाइत अछि, भूखे सं आर्त मनुष्य घरमुंहा होइछ. वर्तमान कोरोना-काण्ड एहि सब तथ्यक साक्षी थिक. मार्च 2020 में जखन देशमें बंदी लागू भेल, भूखसं तड़पैत मजदूर शहर छोडि गाम दिस भागल. आब गाम में काजक अभाव सं भुखमरीक कारण मजदूर सब फेर शहरक बाट ध रहल अछि. असल में भूख भय जं नहिं होइक तं, लगैत अछि, मनुख जतय रहत, ततहि पड़ल रहत !

एखन रेल-बस

13.06.2020

कोरोना कांडमें समाजक विभिन्न वर्गकें भिन्न-भिन्न नव-नव अहाँ सिपाही कें  असंतुष्ट नहि रखबैक !’ हं, अहाँक अनुमान सही अछि, लॉक-डाउन आ वर्तमान कोरोना कांडमें डाक्टर लोकनि सेहो

18.06.2020 

कोरना कांडक बीच भारत-चीन सीमा विवाद 16 बिहार रेजिमेंट केर कमान अधिकारी, कर्नल संतोष बाबू  सहित 19 आओर सैनिकक जान लेलक. ई बीसो सेनिक राष्ट्रक सीमाक सुरक्षामें अपन वलिदान दैत अमर भ गेलाह: वीर भोग्या वसुंधरा. नमन. श्रद्धा सुमन.

स्व. कर्नल संतोष बाबू , भूतपूर्व कमान अधिकारी, 16 बिहार चित्र: 'इंडिया टुडे' पाक्षिकक सौजन्य सं  

24.06.2020

विगत दू दिन पूर्व हमरा लोकनिक सहकर्मी प्रोफेसर नारायणनन  COVID-19 क कारण दिवंगत भ गेलाह. प्रोफेसर नारायणनक मृत्यु COVID-19 क कारण  एहि MGMC & RI कर्मीक पहिल मृत्यु थिक. चेनई स्थित प्रोफेसर नारायणनन मृत्यु कोना भेलनि से एखन ज्ञात नहिं. RIP Dr नारायणनन .

27.06.2020

कोरोना कांड मनुष्य आ समाजक एखन धरि छिपल स्वभावक विशिष्टता आ विकृति दुनू कें निरंतर देखार रहल अछि. संगहिं, देशक नागरिककें जाहि समस्याक सामना करय पड़ैत छैक से तं सभक सोझां अछिए. 7जून 2020 क दैनिक ‘हिन्दू’ में प्रकाशित एक समाचारक अनुसार ग्रेटर नोएडाक खोदा कोलोनी निवासी श्री मती नीलमकें प्रसवक अवस्थामें नोएडा केर इ एस आइ, चाइल्ड पी जी आइ, शारदा हॉस्पिटल, जी आइ एम एस सहित अनेक अस्पतालमें करीब 13 घंटा बौअयलाक पछाति जी आइ एम एस मृत घोषित कयल गेलनि. किएक ? एकर जवाब देब ततेक स्पष्ट छैक, जे जवाब देब आवश्यक नहिं. किन्तु, केओ ई तं लोक सं पुछौक जे कोरना महामारीक संकट में मनुष्यक चेतनाकें एहन घून कोना लागि गेलैये ! संभव छैक, आइ ने काल्हि कोरोनाक इलाज निकलबे करत, किन्तु, समाजमें निरंतर मरैत मानवीय मूल्यक पुनर्स्थापना कोना हयत से समाजक हेतु अवश्य सोचबाक विषय थिक ! कारण आइ नीलम, काल्हि हमरो अहाँक इएह हाल हो से असम्भव नहिं !

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कोरोनाक संक्रमण थम्हबाक नाम नहिं ल’ रहल अछि. फलतः, अनेक ठामक सरकार कोरोनाकें नियंत्रणमें करबा ले अनेक कदम उठबैत अछि. तमिलनाडु सरकार पुनः चेन्नई सहित आओर चारि जिलामें 19 - 30 जून धरि पूर्ण बंदीक घोषणा कयलक. बंदीक उल्लंघन पर कानून में दण्डकेर प्रावधान छैक. किन्तु, बंदीक उल्लंघन कयनिहारक विरुद्ध काररवाई में तमिलनाडुक सुदूर दक्षिण जिला तूतीकोरिनमें जे घटना भेले से तमिलनाडुक पुलिस व्यवस्थापर बड़का प्रश्नचिन्ह ठाढ़ करैत अछि. अठावन वर्षीय पिता जयराज, एकतीस वर्षीय पुत्र बेनिस पर कर्फ्यूक अवधिमें दोकान खोलने रहबाक आरोप रहनि. फलतः, कानून उल्लंघनक आरोपमें विगत 19 जून क हिनका लोकनिकें पुलिस हिरासतमें लेलक आ कय हवालातमें बंद केलक. आरोप छैक जे भरि राति पुलिस यंत्रणाक बाद

02.07.2020

लॉक-डाउनक लाभ: अग्निव आब बजैत छथि 

प्रत्येक विपरीत परिस्थितिमें किछु अवसर आ आशा सन्निहित रहैत छैक, एखुनका कोरोना कांडकेर तं चर्चे नहिं हो. किन्तु, आइ आशा आ उल्लास केर गप्प करैत छी; हमर पौत्र अग्निव केर गप्प. अग्निव एहि 18 मार्च क’ दू वर्षक भेलाह. किन्तु, बजैत कम रहथि. सत्यतः, सब बच्चाक सबटा विकासक गति समान

 03.07.2020

COVID -19 डायरी: बरे बुडिमुँह तं जैतुक के लेत !!

मई 2020 मासक कोरोना कालमें बेरोजगारीसं मारल  प्रवासी मजदूरक महानगर सबसं सामूहिक पलायन, आ  सड़क पर चलैत लाखों प्रवासी मजदूरक कारुणिक दृश्य प्रायः एहि शताब्दीक इतिहासक सब सं बेसी स्मरणीय छवि मानल जायत. शहरसं पलायन करैत  एहि प्रवासी श्रमिक लोकनिक एके-टा कहब: भूखहिं जं मरबे करब, तं अपने भूमि पर. . तें, एकटा संकटसं बंचबा ले लोक दोसर संकट सं भिडल छल. आ अंततः, व्यक्तिगत, सामूहिक, आ सरकारक सहायतासं  पराभवक ओ कांड समाप्त भेल. किन्तु, गरीबी तं समाप्त नहिं भेलैक. तें,  वएह  पुरान, बिसरल. ‘ अपन प्रदेशमें रोजगारक अभाव’ आ गरीबी पुनः तेसर संकटक रूपमें  उपस्थित भेले, आ शहर सं भागल लोकक जीवन-यापन पर संकट पूर्ववत ठाढ़ छैक. फलतः, ग्रामीण श्रमिक आब फेर दिल्ली, पंजाब, चेन्नई, हैदराबादक बाट धेलक अछि. सियार-सन कोनो जंगली जीवक कहब कें प्रथम पुरुषमें कहि मैथिलीमें कहावत छैक ‘ तेनु नहिं खायब, देह में लागत लस्सा; तेनु नहिं खायब तं हयब  की !’ माने, खतरा नहिं उठायब, किन्तु, खतरा नहिं उठायब तं प्राण कोना बंचत ! अर्थात्, फेर भई गति सांप-छुछुन्दर केरी !! आ जा धरि देशक विभिन्न राज्य आ क्षेत्रक बीच रोजगारक अवसरक असमानता रहतैक, ई समस्या रहबे करतैक . आ ई असमानता एक दिन में तं समाप्त हेतैक नहिं. सरकार सब अपना राज्यमें रोजगारक अवसर बढ़ेबाक बढ़ि-चढ़ि कय दावा करैत अछि. किन्तु, बिहार-जकां, जाहि राज्यमें पछिला पन्द्रह साल सं एके पार्टीक सरकारक शासन छैक, ओहि सरकार लग अपना पक्षमें कोन बंचाव छैक ? विडम्बना आ सत्य ई थिक, जे सरकार लग चुनाव जितबा ले एखनो अचूक ब्रह्माश्त्र छैक ! ओ ब्रह्माश्त्र थिक वोट-बैंक, जातिवाद, सम्प्रदायवाद, आ वोट किनबाक हेतु पूंजी. दक्षिण भारतक अनेक वर्षक प्रवासमें हमरा ई ज्ञात भेल जे तमिलनाडु-पांडिचेरीमें चुनावक दिन सं पूर्व, पार्टी सब मतदाता लोकनिक बीच, बहुतों वर्ष सं नियमतः, प्रति मतदाता दू-दू, तीन-तीन हज़ार रुपैया बंटैत आबि रहल अछि. संयोगवश, तमिलनाडुसं श्रमिकक पलायन जं होइतो छैक तं या तं खाड़ीक देश दिस वा किछु लोक आंध्र/ तेलंगाना दिस जाइत अछि. किन्तु, बिहारी मजदूर ? ओ लोकनि वोटक समय में टाका लेबाक हेतु भले गाम आबथु चुनावक बाद दिल्ली-बम्बई-चेन्नई- तिरुवन्नतपुरम गेनहिं कुशल ! तैयो अगिला चुनावमें अपन राज्यमें रोजगारक अवसर चुनावी मुद्दा बनत ताहि पर संदेह अछि. कारण, बरे बुडिमुँह तं जैतुक के लेत !!

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चेन्नई सं प्रकाशित दैनिक ‘हिन्दू’ में बंगलोरक स्कूल में दसवां वर्गक परीक्षाक एकटा फोटो छपल अछि. कन्नड़ विषयक एहि परीक्षामें परीक्षार्थी सब मास्क लगौने, सामाजिक दूरी बनौने भूमि पर बैसल छथि. किन्तु, डाक्टर लोकनिक हेतु प्रयोगमें अबयबला

9.7.2020

कोरोना कांड आ लाभक व्यवसाय

हजारोंक विपत्ति कतेको गोटेक हेतु भाग्यक अनन्त द्वार खोलैत छैक. जतय विपत्तिसं लड़बाक हेतु वैज्ञानिक आविष्कारसं मानवताकें लाभ, आ आविष्कारकें अर्थ भेटैत छनि, ओत्तहि समाजक विभिन्न वर्ग अपन बुद्धिए विपत्तिक समयमें  लोभ-लाभक व्यवसायमें लागि जाइछ.

कोरोना काल में सेहो एहन समाचार सब प्रकाशमें अबिते रहैछ. एहि सब में प्रमुख अछि ‘पतंजलि’ उद्योगक ‘कोरोनिल’. 23 जून 2020क योगगुरु आ व्यापारी रामदेवक ‘कोरोनिल’ नामक आयुर्वेदिक औषधिक दिल्लीमें घोषणा एकटा एहने घटना छल. संयोगसं रामदेवहु के अनुमान नहिं रहनि जे समाज आ वर्त्तमान केंद्र सरकार समक्ष हुनकर जे धाख छनि तकरा देखैत हुनकर एहि ‘आविष्कार’के केंद्र सरकार अमान्य क’ देतनि. सुनैत छी, हुनका उत्तरांचल सरकारसं हुनक रोगप्रतिरोधी-क्षमता बढ़यबाक औषधिकें सरकारक समर्थन भेटतनि हुनका तकर आश्वासन रहनि. किन्तु, जखन घोषणाक अवसर एलैक तं रामदेव ‘कोरोनिलक प्रयोगसं एके हफ्तामें कोरोना रोगकें निर्मूल करबाक दाबा क' बैसलाह. फल सबहक सामने अछि. औषधिक क्षमताक  जांच करबाक वैज्ञानिक विधिक विपरीत, पतंजलिक एहि आविष्कारक दावाकें केंद्र सरकारक मान्यता तं नहिं भेटलैक,किन्तु, उत्तराँचल सरकार ‘रोगप्रतिरोधी’ एहि औषधिक थोक में खरीदक निर्णय अवश्य ल’ लेलक. तथापि. कोरोनाक विरुद्ध ‘कोरोनिल’ क्षमता एखन अनिर्णीत अछि.

कोरोना कालमें एखनो रोचक समाचार अबिते रहैत अछि; मदुरै शहरक एकटा सुपरिचित रेस्टोरेंट ‘मास्क-पराठा’ बनाकय कोरोना-काल में रोगक प्रसारक विरुद्ध आ मास्क कें लोकप्रिय बनयबाक जन-जागरणक अनुपम विधि आरम्भ केलक अछि. किन्तु, एही तर्जपर कोयम्बटूर शहरक एकटा मिठाईक दोकानक ‘ covid-19-curing Mysore पाक क आविष्कार तेहन भरि पड़लनि जे FASSI एही प्रतिष्ठानक लाइसेंसे निलम्बित क' देलक. किन्तु, ई नव-नव आविष्कारक अंत नहिं थिक. चेन्नई सं प्रकाशित दैनिक ‘हिन्दू’ में आइ पोंडिचेरी दुग्ध निगम ‘ponlait’ क immunity-boosting मोर ( छाछ / दहीक सरबत ) बनयबाक प्रचार देखबामें आयल अछि. तुलसी, जीर, सहित अनेक आओर आयुर्वेदिक पदार्थक संयोग सं बनल ई दहीक पेय सेहो कोरोनाक विरुद्ध immunity बढ़यबाक दावा करैत अछि ! 

13.07.2020

कोरोना सं केओ अछूत नहिं अछि, चाहे ककरो कोरोनाक संक्रमण भेल होइक वा नहिं. जे संक्रमित अछि ओकर जान आफतमें छैक. जे संक्रमित नहिं अछि ओ आर्थिक, आ मानसिक रूपें प्रताड़ित अछि. एकर कोनो प्रमाण नहिं चाही; ई स्वयंसिद्ध अछि. विगत दू तीन माससं रूपम पेटक गैस सं परेशान छलीहे. किन्तु, हम अपन बुद्धिएं एकरा नियंत्रण में करबामें हुनका मदति करैत रहलिअनि. किछु वर्ष पूर्व पेटक गैसक कारण एक दूर बेर तं हुनका इमरजेंसी में सेहो आनय पड़ल छल. किन्तु, एहि बेर तकर  आवश्यकता तं नहिं भेल, भ सकैत अछि एखन अस्पताल अयबासं संक्रमण हेबाक भय सेहो एकर कारण हो. किन्तु, एहिबेर हुनकर समस्या दिनानुदिन बढ़िते गेलनि. अपनो संदेह होइत छल कहीं ह्रदय रोगक समस्या तं नहिं होइनि. अस्तु, भयके काबू में करैत विगत बृहस्पति, 9.07 कय एतय कार्डियोलॉजिस्ट सं सेहो देखओलियनि . ब्लड प्रेशर बढ़ल अवश्य छनि, किन्तु, ह्रदयक रचना आ क्रिया तन्दुरुस्त छनि. तथापि,09/7  केर रातिक' भरि राति जगले रहैत गेलहुँ. 10/7 क गैस्ट्रोएनटेरोलोजिस्टसं सलाह लेल. सब डाक्टरक भिन्न-भिन्न औषधि, सब मिला कय पचीसो प्रकारक गोली, पचास टा संयम, सौ टा परहेज. बेचारी शरीर आ मनसं थाकि गेल छथि. स्वभाव सं ‘happy-go-lucky’ , मनसं बलिष्ठ आ शरीरसं तन्दुरुस्त व्यक्तिक हेतु एहिसं बेसी की खराब हेतैक. आब लगैत अछि, वर्ष 2020 पांडिचेरीमें अंतिम वर्ष थिक.एतुका संस्कृति कोरोना कालसं पहिनहु आइसोलेशन  आ   सोशल-डिसटान्सिंगे-जकां छ्लैके; बिनु काजक एक-दोसराक घर जयबाक संस्कृति नहिं छैक.सेना सं पूर्व, सैनिक जीवन आ तकर  बाद सेहो हमरा लोकनिक जीवनक  अनुभव भिन्न अछि ;हमरा लोकनिकें समाजसं मेलजोल चाही. किन्तु, समाज तं बदलबे केलैये, हमरा लोकनिक घर सेहो बदलि गेलैये. आब घरहुमें व्हाट्सएप्प आ टीवी लोकक संगबे थिकैक. जीबाक एहि सब विधाकें मनुखक संपर्कक कोन काज. अपन मोन खराब भेल तं मनुख चाही; अनकर मोन  खराब होइक तं अपन जीवन में लोक व्यवधान नहिं चाहैत अछि. तखन आंग-स्वांगमें सेहो घरक लोकक संग लोक कें नहिं भेटैत छैक. ई एखुनका सत्य थिक. अंततः, हमरा लोकनि एक दोसराक संग छी. पड़ोसी क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट घरमें एलीह. शुक्र-शनि-रविक छुट्टी  औषधिक प्रभाव, हमर परिचर्या, आ साइकोलोजिस्टक सहायता सं विगत राति रूपमकें निन्न भेलनि. हमहूं सुतलहु. आब आगू ठीक रहतीह से अनुमान अछि. किन्तु, हमरा अस्पतालमें COVID-19 पीड़ित रोगीक संख्याक संगे की ई संभव हयत, से बड़का प्रश्न अछि !  

13.07.2020

धानक खेतीक नव विधि आ कोरोना कालमें युद्ध

हमर विश्वास अछि, विपत्तिक काल नव अवसर सेहो थिक. एखन दू टाका भिन्न-भिन्न उदाहरण ई बुझयबाले पर्याप्त हयत.

चेन्नईसं प्रकाशित दैनिक ‘हिन्दू’ क अनुसार कृषिमें सहायताक हेतु प्रवासी मजदूरक अभावमें पंजाबक किछु किसान लोकनि एहि बेर धानक बीया (sapling) रोपबाक स्थानपर सोझे धानक ‘बीज’ खेतमें  रोपलनिए. कहल जाइछ, सोजे बीजकें रोपि कय धानक खेतीक खर्च तं घटयबे केलैये, एहि सं धानक फसल सामान्य समय सं दस दिन पहिनहिं कटबा योग्य सेहो भ’ गेल. एतबे नहिं, एहि प्रकारक धानक खेतीमें फसल कटलाक बाद धानक बुट्टीकें सेहो खेतमें जरयबाक काज नहिं. एही सं प्रर्यावरण, लागत, आ समय सब किछुक  बंचत भ’ गेल. ओना, जेना मोन पड़ैत अछि, बाढ़ि-ग्रस्त मिथिलांचलमें सेहो पहिने नासी-चौर आ पानिमें डूबल खेतमें धान रोपबाक बदला लोक धान बाग़ करैत छल आ कतेको बेर नाओ पर बैसि कय बीछि- बीछि कय धान सीस काटि अबैत छल. किन्तु, पंजाबक किसान लोकनिक एहि बेरुक अनुभव जं पैघ स्तर पर कारगर साबित भेलनि, तं सम्भव अछि, अगिला समयमें धानक खेतीक नव विधिक सूत्रपात हो !

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कोरोना काल वैश्विक संकट थिक से के नहिं मानत. जं मानवक इतिहासमें सम्पूर्ण विश्वकें एक भ’ कय संकट सं लड़बाक कोनो एक परिस्थितिक कल्पना करी तं ओ समय एखुनका थिक. किन्तु, एहनो समय में,जखन एक राष्ट्र जे अपनों एहि संकट सं जूझि रहल अछि, दोसर राष्ट्रपर आक्रमण करत से कल्पनातीत बूझि तं पड़ैछ, किन्तु, अछि नहिं; भारत-चीन सीमाक अनेक स्थानपर चीनक आक्रमण एहने आश्चर्य थिक. जनसामान्य ले आश्चर्य क्षम्य छैक, सरकार ले नहिं ! जं सरकार चकित अछि तं ओ सेना सहित सम्पूर्ण सरकारी तन्त्रक लापरवाही भेल !

13 जुलाई 20 क चेन्नई सं प्रकाशित दैनिक 'हिन्दू' में मुखपृष्ठ पर प्रकाशित समाचारक अनुसार, 2018 में चीनी राष्ट्रपति शी पिंग द्वारा स्वीकृति चीनी सेनाक (Training Mobilisation Order) नव सैनिक युद्ध अभ्यास आदेश भारतक विरुद्ध चीनकेर एहि आक्रामक रुखक कारण थिक; एही नव नीतिक अंतर्गत  2020 मे चीनी सेना एके समयमे अनेक मोर्चा पर अपन आक्रामक सैनिक प्रशिक्षण (confrontational training)  क प्रति अपन सैनिक कमांडर लोकनिक, युद्धक परिस्थितिमे, प्रतिक्रिया आ कार्य संपादनक क्षमताक आकलन करबाक निर्णय नेने छल. फलतः, एखन चीन, लद्दाख सं ल कय, भूटान, दक्षिण चीनी सागर, ताइवान, आ जापान धरि सीमाक पुननिर्धारणक मोर्चा एके संगे खोललक अछि. 

जं लद्दाखमें भारत चीनक बीच एखनुक विवादक गप्प करी, तं, अंतर्राष्ट्रीय खुफिया संगठन सभक सूचनाक अनुसार भारत सीमा दिस चीनी सेनाक एही बेरुक यात्रा बहुत पहिनहिं आरम्भ भ’ चुकल छल. ततबे नहिं, ओहि सब स्थानपर जतय मई आ जून 2020 में भारत-चीनक बीच संघर्ष भेलैए, चीनी सेनाक गतिविधि अप्रैल 2020 ए आरम्भ भ' चुकल छलैक. ततबे नहिं,  गैर-सरकारी सूत्रक अनुसार, भारत-चीन वार्ताक बावजूद चीनी सेना विवादित इलाकाक ओहि क्षेत्रसं एखन धरि पूर्णतः नहिं बहराएल अछि, जकर अतिक्रमण ओ हालमें केलक अछि. प्रश्न उठैछ, आजुक टेक्नोलॉजीमें एतेक दक्षताक बावजूद भारत एहन झटका कोना खेलक. विवादित क्षेत्रकें चीन द्वारा हथियायब कोरोना कालमें भारतक दोसर बड़का हानि थिक. 

24.07.2020

20 जुलाई 2020 क चेन्नई सं प्रकाशित दैनिक ‘हिन्दू’ 

‘आज मेरा मन बड़ा दुखी है. मेरे एक रिलेशन , उम्र 90 वर्ष,  जो मेरे चाचा लगते थे का death हो गया. तीन दिन पहले बुख़ार हुआ, 100 लगभग.मैंने attend किया, investigate कराया, ट्रीटमेंट दिया. COVID टेस्ट के लिए (उनके) लड़के ने कहा,’ पिछले 4/5 महीने से हमलोग किसी से नहीं मिले हैं, ये फालतू टेस्ट हम छोड़ देते हैं.’

कल मुझे कॉल आया, ‘भैया, अभी तक बिलकुल ठीक थे, खाना खाये और breathing problem हो रहा है. मैंने attend किया sPO

आज रोते हुए मेरा दरवाजा पीटते हुए बोला, ’ भैया पापा का death हो गया, आप चलकर देखकर बोल दीजिये.’ मैंने अपने कम्पाउण्डर को भेज दिया, वो death declare कर दिया. मैं खुद नहीं  गया. बार –बार याद आता था, ‘.... नहीं जाना, तुम एक exposure ले चुके, और नहीं.’ मैं सोच रहा था, मैं डॉक्टर हूँ. पेशेंट को आखिरी समय में देख नहीं सका, कुछ advice नहीं कर सका. इंसान हो कर भी, रोते हुए उनके लड़के, जो मुझे भैया बोलते हैं, का आंसू पोछ नहीं सका, ये कहाँ आ गए हम ! कोरोना ने हमारी संवेदनाओं को कहाँ ले आया !! ना मालूम क्या और होना बांकी है !!!

किसी और मित्रने भावनाओंके थपेड़ोंसे आहत इस मित्रको सांत्वना देते हुए कहा, ‘ ......धीरज रखो. संवेदना आज भी वही है , समय ने हमें विवश कर दिया है.’आइ भोरसं बिहारमें आओरो अनेक अनेक डाक्टरकेर कोरोना संक्रमित हेबाक आ  ICU में हेबाक  खबरि आयब जारी अछि. COVID-19 क जांच करयबासं रोगी आ परिवारजनक असमर्थता आ जांच करेबाक सुभीताक सुलभ नहिं रहला सं रोगी आ स्वास्थ्य-कर्मी समुदाय भयानक खतरा आ दुविधामें पड़ल अछि, जकर हेतु सोझ समाधान ककरो लग उपलब्ध नहिं. एहन परिस्थितिमें ई महामारी आगू कोन रूप लेत कहब असंभव. 

29.07.2020

कोरोना-काल में नेत्र-चिकित्सा विज्ञानक स्नात्तकोत्तर परीक्षा

कोरोना-जनित विपत्तिक अछैतो, कोनो ने कोनो रूप में समाजमें जनजीवन समान्य रखबाक प्रयास जारी अछि. किन्तु, सब किछुक तरीका बदलल छैक. मेडिकल कालेज सब बंद अछि. किन्तु, दूरस्थ शिक्षा-जकां, कम्प्यूटरे पर भले पढ़ाई भ' रहल  छैक. विद्यार्थी सब कैंपस में नहिं छथि. किन्तु, परीक्षा हेबे करतैक. एहि  सभक हेतु, जेना आन कोनो विपत्तिमें होइछ, लोक काज चलयबाक नव-नव बाट ताकि रहल अछि. बाधा अबैत छैक. किन्तु, ओ मनुखे की जे बाधा पार करबाक प्रयास नहिं करय !

काल्हि हम पांडिचेरी विश्वविद्यालयक अंतर्गत श्री वेंकटेश्वर मेडिकल कालेज एवं रिसर्च इंस्टिट्यूट, पांडिचेरी में बाहरी परीक्षकक रूपमें नेत्र चिकित्सा विज्ञानक एम एस परीक्षा लेबय गेल रही. एखनुक समयमें  बहुतो गोटे, जे साठिक उपर वयसक छथि, संक्रमणक भय सं परीक्षा लेब अस्वीकार क’ दैत छथिन. किन्तु, हमर सोच दोसर अछि : सैनिक छी, युद्धक बेरमें नुका रहब; डाक्टर छी, रोगी देखब अस्वीकार क’ देब; शिक्षक छी, परीक्षा लेब अस्वीकार क’ देब व्यवसायक अनुशासनक विरुद्ध भेल. अस्तु, सावधानी राखू, किन्तु, काज अवश्य करैत रहू, जाहि सं जहां धरि सम्भव हो जीवन सामान्य-जकां चलैत रहय. सएह. 

प्रत्येक परीक्षामें मूलतः  छात्रक दक्षताएक परीक्षा होइछ, किन्तु, चिकित्साक क्षेत्रमें छात्रक शास्त्रीय ज्ञानक अतिरिक्त छात्रकेर अनेक आओर दक्षता, जेना रोग-निदानक क्षमता, चिकित्साक कला आ शल्य-चिकित्सामें दक्षता, सहकर्मीक आ रोगी संग पटुताक संग संवाद आ व्यवहारक अतिरिक्त, डाक्टरक रूपमें रोगीक प्रति परीक्षार्थीक सहृदयता आ सहान्नुभूतिपूर्ण व्यवहारक सेहो जांच कयल जाइछ. यद्यपि,थोड़बे कालमें एतेक सब किछुक ठोकि बजाकय जांचब एकटा चुनौती थिकैक. किन्तु, करय तं पड़ैत छैक.

 मेडिकल कालेजक छात्रक प्रैक्टिकल परीक्षा रोगी पर होइत छैक. COVID-19 सं संक्रमणक खतराकें देखैत एखन अस्पताल सब आकस्मिक रोगआ अतिरिक्त मामूली रोगक  रोगीकें अस्पतालमें जांच आ चिकित्सा स्वीकारो नहिं  करैत छैक. अस्तु, परीक्षाक हेतु रोगीक अभाव उचिते. तें, अनेक विश्वविद्यालयमें परीक्षा सब विलंब सं भ’ रहल छैक से आश्चर्यनक नहिं. ताहि पर कल्हुका परीक्षामें मुँह झंपने विद्यार्थी आ परीक्षक हमरा सबहक हेतु नव अनुभव छल. किन्तु, एहि असाधारण समय में असाधारण उद्योगसं परीक्षार्थीक ज्ञान आ दक्षताक चतुर्दिक पड़ताल सम्भव भेल, से संतोष अछि. एकर अतिरिक्त एहनो समयमें परीक्षार्थी परीक्षाक भार सं मुक्त भ' विशेषज्ञ श्रेणीमें प्रवेश करबामें सफल भेलीह से उम्मीदवार हेतु बड़का उपलब्धि बूझल जेबाक चाही.  

30.07.2020

कोरोना-काल में  COVID-19 सं भिन्न रोग: समस्या आ समाधान

सम्पूर्ण विश्वक दृष्टि जखन COVID-19 सम्बन्धी रोग पर केन्द्रित अछि, तखनो लोककें आनो सब रोग होइक से स्वाभाविके. किन्तु, एहन विषम परिस्थितिमें  COVID-19 सम्बन्धी रोग आ ओहिसं भिन्न आन रोग लोककें विकट समस्या-जकां बूझि पड़ैत छैक. एकर अनेक कारण छैक. पहिल, लक्षणसं मुक्त, COVID-19 वायरसस-संक्रमित व्यक्तिसं, स्वास्थ्यकर्मीमें COVIDक लसेढ़  लगबाक भय. दोसर, चिकित्साक दौरान  रोगीकें COVID-19क  लसेढ़ लगबाक भय. तेसर, बेरोजगारीक कारण आर्थिक असमर्थता.चारिम, यातायातक बाधा.  

जनसामान्य आ समाज एहि सबसं परेशान अछि. बर्दाश्त जोकर रोगकें लोक  कहुना अनठओने अछि आ समय बदलबाक प्रतीक्षा क’ रहल अछि. किन्तु, आकस्मिक रोगकें लोक की करत ! हमरा लोकनि अस्पतालेमें काज करैत छी, तें कोनो उपाय नहिं. किन्तु, रोग ककरा छोड़ैत छैक. डाक्टर आ डाक्टरक परिवार-जनकें सेहो रोग होइते छैक. हमरा अपनहिं जुलाई 2020 मासमें परिवारजनक संग कम-सं-कम एगारह बेर अस्पताल जाय पड़ल अछि. कम-सं-कम तीन बेर अनेक जांच आ एक्स-रे क अवश्यकता भेले. एहि सब अवसर पर हमरा लोकनि अपने साकांछ तं रहबे करी, भय नहिं होइत छल से कोना कहि सकैत छी. किन्तु, उपाय की ? तथापि, एखन संक्रमित हयबाक भय सब सं छोट समस्या थिक. बड़का समस्या छैक जे डाक्टर-वैद्य स्वयं भयभीत छथि. कतेको गोटे क्लिनिक बंद कय घर बैसल छथि; सरकारी स्वास्थ्यकर्मी कें कोनो उपाय नहिं. तथापि, अस्पताल सबमें  बेड खाली होइक वा भरल, अस्पताल सब दूरे सं रोगी कें भगा रहलैये. हमर मित्र लोकनि कहैत छथि, पटनाक प्रसिद्द अस्पताल म सं कोनो में कोरोनाक रोगीक लेल बेड खाली नहिं छैक. राजनेता, आ वी आइ पी पैरबी सं कहुना अस्पतालमें भर्ती भ रहल छथि. जकरा उपाय छैक, दिल्ली चल जाइए. ओहिसँ दूर जायब सम्भव नहिं. एहनामें साधारण लोक की करय ! उपर सं ई स्थिति कहिया धरि चलतैक, के कहत !! एही समस्याक कोनो सोझ समाधान एखन देखबामें नहिं अबैछ.  

04.08.2020

कोरोना काल में आइ दोसर बेर स्नात्तकोत्तर परीक्षा लेबाक छल- नेशनल बोर्ड ऑफ़ एग्जामिनेशन (NBE) क DNB (Ophthalmology) क परीक्षा. केंद्र: अरविन्द आइ हॉस्पिटल, पाण्डिचेरी. इहो परीक्षा रोगीक बिना समाप्त भेल. भारत भरिमें पसरल केंद्र सब पर उपस्थित सैकड़ो छात्रक दू सौ अंकक परीक्षा सोझे दिल्ली सं संचालित भेल. एक सौ अंक केर परीक्षा हमरा लोकनि- चारि गोट स्थानीय परीक्षक- लेलहुं. परीक्षार्थी आ परीक्षक सब मास्क लगौने, सामाजिक दूरीकें ध्यान रखैत अपन-अपन काज पूरा कयल. रोगी, छात्र आ परीक्षकक एक दोसरा सं संक्रमित हेबाक संभावना तं छ्लैके. एखुनका परिस्थितिमें प्रत्येक व्यक्ति संक्रमणक संभावित श्रोत थिकाह. संक्रमण छनि वा नहिं से केवल जांच साबित करत. से संभव छैक नहिं. ताहि पर संक्रमण अगडाही-जकां पसरि रहल छैक. परसू हमर विभागक एकटा सहायक प्राध्यापक डाक्टर सेहो संक्रमित पाओल गेलीह. हमरो लोकनि चिंतित छी; संक्रमिट वार्ड जे एखन धरि दोसर बिल्डिंग धरि छल तकर लसेढ़ आब अपनो विभाग धरि पहुंचि चुकल अछि. अपन शरीरमें वायरस पहुँचल अछि, कि नहिं तकर चिंता सब कें छैक. मुदा, सबसँ बेसी चिंता छैक जे अपन देहक संक्रमण परिवारक आन व्यक्ति धरि नहिं पहुँचय. किन्तु, से संभव छैक ? हमरो घरमें एक गोटे अस्सी सं ऊपर वयसक छथि. दोसरकें अनेक रोग छनि. ई समस्या केवल हमरे टा नहिं थिक, बूढ़-पुरान-रोगी सब परिवारमें रहिते छैक. किन्तु, उपाय ? हमरा लोकनिक हेतु, जाहि अस्पताल सं जीवन आ जीविका चलैत आयल अछि तकरा छोडब सहज छैक ? सामाजिक दूरी रखबाक एकटा सीमा छैक; एतय करीब 200 वर्ग मीटरक विभागक सिमित स्थान में चालीस गोटे नियामिकी :  सत्रह टा पोस्ट ग्रेजुएट डाक्टर, गोड़ दसेक इंटर्न, आठ टा फैकल्टी, आधा दर्ज़न स्टाफ. हमरा लोकनि अलग-अलग रहि सकैत छी, विद्यार्थी आ स्टाफक लेल कोनो उपाय नहिं. तखन ककरा कहिया COVID -19 ध’ लेतैक, कहब असंभव. हमरा लोकनि COVID वार्डक बाट छोडि देने रही . किन्तु, रोगी तं हमरा लोकनिक लग अबिते अछि. जे प्रैक्टिस करैत छथि, तनिका रोगीक प्रतीक्षा रहिते छनि. ई तं भेल हमरा लोकनिक स्थिति. समाजक बांकी हिस्साक परिस्थिति ? अओरो खराब ! आ ई स्थिति कहिया धरि चलत आ आ कोन रूप लेत कहब असंभव !                


Friday, April 24, 2020

केबिन फीवर


केबिन फीवर

कोरोना कांड जखन चीनमें आरम्भ भेल तं लोक कान-बात नहिं देलक. पछाति, जखन संक्रमण चीनसं बाहर पसरय लागल तं लोक साकांछ भेल. जखन ई रोग केरल, महाराष्ट्र होइत दिल्ली आ जयपुर पहुंचि गेल तं सरकारकें सेहो बुझबा जोग भ’ गेलैक जे आब कान में तूर आ तेल द’ कय सुतबाक समय बीति चुकल अछि. बस पहिने एक दिनक रिहर्सल –जनता कर्फ्यू- भेल आ तकर बाद सोझे तीन हफ्ताक देशव्यापी तालाबंदी. ओकर बाद शहरमें घरसं दूर, फंसल, बेरोजगार आ भूखल मजदूर चाहे तं पांव-पैदल गाँव बिदा भ’ गेल वा दूइए- चारि दिनक बाद घर वापस जयबा ले धरना-प्रदर्शन ले सडक पर उतरि गेल. शहरी मध्यम वर्ग  तालाबंदीक पहिल दू चारि दिन तं छुट्टी-जकां बिता देलनि.  तकर बाद घरमें बैसल लोक केर मन उबियाय लगलैक. ताहि परसं नशाबन्दी !! अस्तु, लोक वर्क-आउट  विडियो, गीत-संगीतक रेयाजक फुटेज , पाक-कलाक दक्षताक प्रदर्शन, वा वर्चुअल फोटोग्राफीमें समय बितबय लागल. आ जकरा जे इच्छा भेलैक, फेसबुक, इन्स्टाग्राम व्हाट्सएप्प पर तमाम प्रकारक  अपन फोटो, ऑडियो, विडियो पोस्ट करैत गेल . मुदा, ब्रेड नहिं भेटतैक. बंगलोर, चेन्नई आ पांडिचेरीमें नशाबन्दी भ’ जेतैक से कल्पनाक बाहर छलैक. मुदा, से जखन भ गेलैक तं लोक उकस-पाकस करय लागल.  ओकर उपरसं विदेशसं चिंताजनक समाचार सब आबय लागल.
ब्रिटेन केर प्रधानमंत्री कोरोना- संक्रमणकेर कारण आइ सी यू में भरती भ’ गेलाह. ई समाचार भारतीय टेलीविजन पर आयल. मुदा, लोक अपने झंझट सं ततेक परेशान छल जे ओहि पर लोकक ध्यानो नहिं गेलैक. पछाति,11 अप्रिल 2020 क  लन्दनसं प्रकाशित ‘डेली टेलीग्राफ ’ ई समाचार प्रसारित भेल जे सुदुक तिनिए हफ़्ताक  बंदी अबैत-अबैत ब्रिटेनमें ई परिस्थिति भ’ गेलैये जे ओतय करीब 15 लाख नागरिक चौबीस घंटा धरि भोजन नहिं केलनि-ए. खबरिमें आगू रहैक जे ओतय करीब 30 लाख एहन परिवार छैक जतय कम सं कम परिवारक 1 व्यक्तिकें दिनमें कम सं कम एक बेरुक भोजन छोड़य पडलनि-ए. ई समाचार लोक सब फेसबुक, व्हाट्सएप्प पर पोस्ट करय लागल. ई पढ़ि लोक फेर चौंकल. तकर कारणों रहैक. लोकक मन में होबय लगलैक, जखन समृद्ध देशक ई हालत तखन भारतमें की हयत, कोन   ठेकान ! 
किछु आओर दिनक बाद समाचारसं बुझबामें आबय लगलैक जे अपनो देशमे स्थिति नीक नहिं छैक. तकर पहिल संकेत तेलंगाना सं आयल. ओतुका सरकार एलान केलक जे सीनियर सरकारी अफसर लोकनिकें निर्धारित वेतनक केवल 25 प्रतिशत भाग भेटतनि. निचला तबकाक कर्मचारीक वेतन आधा भ’ जेतैक.  पेंशनयाफ्ता नागरिक केवल आधा पेंशन पओताह. एहि सूचनाक प्रसारणक पछाति केंद्र सरकारक मंत्री, सांसद,राष्ट्रपति आ उपराष्ट्रपति धरि स्वेच्छा सं वेतनक कटौतीक सूचना प्रसारित केलनि. माने, आब आगू बज्र कतय-कतय खसत तेकर ठेकान नहिं. केवल अपन माथ पर दुनू हाथ राखू आ त्राहि कृष्ण ! त्राहि कृष्ण !! बंचि गेलहुं तं बुझू भगवान सूनि लेलनि, नहिं तं देह लगा कय मारू.
गोलंजर ओहुना नीको समयमें कोरोना-वायरससं बेसी तेज पसरैत छैक. एखन तं गरमी मास छैक.एखन  अफवाहक सुखायल पोआरमें  लुत्ती-सन काज करैत छैक. तें, एहने परिस्थितिमें गोलंजर उड़य लागल जे केंद्र सरकार पेंशनरकेर पेंशन आधा क’ देतैक. सरकार साकांच भ गेल वित्त मंत्री तुरत एहि अफवाहक खंडन केलनि. मुदा, दोसरे दिन आधिकारिक सूचना प्रकाशित भेल जे कर्मचारी आ पेंशनर केर महगाई भत्ता एखन डेढ़ वर्ष स्थगित रहत. माने लोक केर संदेह निर्मूल नहिं छलैक.
दिल्लीक गोल्फ-लिंक इलाकामें एकटा वी आइ पी नागरिककें एकटा अद्भुत रोग भ’ गेल छनि; अनिद्रा, अभूख आ बेचैनी- कथू में मन नहिं लगैत छनि. असलमें पछिला चारि हफ्तासं ई सीनियर सिटिज़न ब्रिज खेलयबा ले जिमखाना क्लब नहिं जा सकल छथि. तीन हफ्ताक तालाबंदी तं ई झेलि लेलनि. मुदा, जखन तालाबंदीक अवधि तीन हफ्ता आओर बढ़ि गेलैक तं हिनक धैर्यक बाँध टूटि गेलनि. ताहि पर जखन सी एन एन चैनेल पर  तमसायल डोनाल्ड ट्रंपकेर ‘ अमेरिका कें मुक्त करू’ सन आह्वान देखलखिन, तं, हिनका तर्कमें भले किछु दम नहिं लगनि, हिनकर परेशानी दिनानुदिन बढ़इत गेलनि: अनिद्रा, अभूख आ बेचैनी- कथू में मन नहिं लगैत छनि. आइ अंततः लॉक-डाउनक बावजूद एकटा वरिष्ठ डॉक्टरसं टेली-कंसल्टेशनक एप्वाइंटमेंट लेलनि; डाक्टर विडियो पर गप्प करथिन आ हिनका सलाह देथिन.
निर्धारित समय पर दुनु गोटे सम्पर्क स्थापित केलनि. डाक्टर ध्यानसं सबटा गप्प सुनलखिन. गप्प सुनल भ गेलनि तं कहलथिन, ई तं केबिन फीवर थिक.वृद्ध पहिने तं फीवर सुनि कय कनेक घबरयलाह. लगेमें ठाढ़ पत्नीकें तुरत दूर चल जेबाक इशारा केलथिन. किन्तु, विश्वास नहिं भेलनि. तमसाइत डाक्टरक प्रतिवाद केलखिन. हम तं कतेक बेर थेर्मोमीटर लगा कय देखने छी. भले माथ भरि अछि, शरीरक तापमान तं एकदम सामान्य अछि. मुदा, जखन स्थिर सं डाक्टर बुझओलखिन जे एहि फीवर केर कोरोना-वायरसक कारण होइत ज्वरसं दूर दूर तक सम्बन्ध नहिं छैक, तं, मोन कनेक चैन भेलनि. आगू डाक्टर पूछब शुरू केलखिन:
निन्न होइत अछि ?
रातिमें दू तीन बेर तं निन्न टूटिए जाइत अछि.
भूख लगैत अछि ?
- ठीके-जकां, मुदा पूरा नहिं.
- तखन तकलीफ की अछि ?
- घरमें बैसल-बैसल तंग भ’ गेल छी.
- अहाँके अपन घर अछि कि ने ?
- माने ?
- माने, करीब आठ लाख भारतीयकें घर नहिं छैक से बूझल अछि !
- हमरा ई की कहैत छी. हम केद्र सरकारक सचिव रही. अहाँक तं जन्मो नहिं भेल छल हयत.
- तखन तं अहाँ कें इहो बूझल हयत भारतमें प्रवासी श्रमिक-मजदूरक संख्या कतेक छैक.
- करीब एक करोड़.
- एहि म सं एखन लाखों जहां-तहां आइसोलेशन कैंपमें फंसल अछि. ने घर केर ने घाट केर !
- बृद्धक मोन खौंझाए लगलनि. कहलखिन, हमरा अहाँ ई की ककहरा पढ़ा रहल छी !
- डाक्टर मुसुकाइत कहलखिन: अहाँकें तकरे काज अछि. अपन घर अछि. भोजन उपलब्ध अछि. बैंक बैलेंस अछि. आ कोनो काज नहिं अछि. परिश्रम आ व्यायाम नहिं करैत छी. अहाँकें घर बैसल मजदूर, कैंप में फंसल नागरिक, सड़क पर तैनात पुलिस आ सफाई कर्मी, आ अस्पताल में तैनात डाक्टर-नर्सक परिस्थिति पर ध्यान गेले ? जाउ, एहि फीवर सं अहाँक जान नहिं जायत. हं, रहल अनिद्रा, अभूख आ बेचैनी आ  कथू में मन नहिं लगैत अछि, से . जं, एहन विपरीत परिस्थिति अहाँ एना अनुभव करैत छी तं अहाँ सामान्य छी ! एखन एहन परिस्थिति में जकरा एहन नहिं बूझि पड़ैक ओ असामान्य अछि, अहाँ नहिं !

सीनियर सिटिज़न केर चेहरा पर मुसुकी आबि गेलनि आ ओ तत्काल विडियो कॉल ऑफ क’ देलखिन.

मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान

कीर्तिनाथक आत्मालापक पटल पर 100 म  लेख   मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान  कीर्तिनाथ झा वैश्वीकरण आ इन्टर...

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