Wednesday, September 5, 2018

बढ़इत वयस आ आँखिक रोग

बढ़इत वयस आ आँखिक रोग

पहिने आँखिक रोशनीक कम हयब बुढ़ापाक पर्याय मानल जाइत छलैक. लोकक मुँहें सुनितिऐक, 'नै सुझैत छनि, बूढ़ भ गेलखिन ने'. मुदा, एखनुक युगमें परिस्थिति बदलि गेलैये. स्वस्थ जीवन पद्धति, समय पर निदान, आ समुचित चिकित्सासं आँखिक रोशनीकें सुरक्षित राखब संभव छैक.       रोगसब वयसक सीमा रेखाक परबाहि नहिं करैछ. तथापि, एहि लेखमें हम चालीस-पचास-साठि वर्षक लगीचक वयस में आरम्भ होबयबला आँखिक किछु एहन रोगक लक्षण, ओकर निदान, ओहि सब सं बचाव, आ चिकित्साक चर्चा करब जकर  मूल लक्षण आँखिक रोशनीमें क्रमिक आ निरंतर  ह्रास  थिक.                                                   
दूर देखब , लग देखब , रंगकें चीन्हब, दिन में देखब, राति में देखब, सोझे आगू देखब, आगू देखैत अगल-बगलक वस्तुक आभास ( Visual field ), आ वस्तु आ व्यक्ति दूरी क अनुभव आँखिक ज्योतिक विस्तृत आयाम थिकैक. एहि सब म सं एक वा अधिक प्रकारक  ह्रास दृष्टि दोष थिक. तें, ककरो लगक नजरि कम, दूर स्पष्ट. ककरो लग, दूर दुनू अस्पष्ट. ककरो लगक नजरि साफ़, दूर क रोशनी कमजोर. ककरो रौद में चकचोन्हीक अनुभव, आ ककरो मेघाओन दिनमें वा साँझुक पहर नजरि साफ़ लगैत छनि. किनको नीक इजोत में नजरि साफ़ लगैत छनि, मुदा सांझुक पहर सब किछु पर कुहेस-जकां लागल बूझि पड़ैत छनि.किनको सोझ-सामने किछु देखबा में नहिं अबैत छनि, किन्तु, कात-करोटक वस्तु किछु-किछु देखि पबैत छथि. केओ सोझे आगू तं किछु देखितो छथि, किन्तु, कात- करोट वस्तु - जेना चौकी-खाट, टेबुल-कुर्सी में ठोकरसं यदा-कदा लटपटा जाइत छथि. ई सब किछु आँखिक रोशनीमें कमीक लक्षण थिक जकर जांच-पड़ताल हेबाक चाही. रोगक आरंभिक लक्षण के चिन्हला सं आ  समय पर उचित  चिकित्सा सं आँखिक ज्योतिकें सुरक्षित राखब सम्भव छैक. आब बढ़इत वयसक आँखिक रोग सबहक गप्प करी.

प्रेस्बायोपिया (Presbyopia)
लगक महीन वस्तुकें देखबामें बाधा (Presbyopia) बढ़इत वयसक सब सं पहिल दस्तक थिक.  प्रेस्बायोपिया आंखिमें उम्रक संग-संग होइत निरंतर परिवर्तनक फल थिक; ई कोनो रोग नहिं. चालीस वर्षक वयसक आसपासक ई अनुभव नारि आ पुरुषकें समान रूपें प्रभावित करैछ.  पोथी-पेपर-चिट्ठी आ मेंही वस्तुकें कनेक दूर राखि स्पष्टताक अनुभव presbyopia क पहिल लक्षण थिक. presbyopia क निवारण ले सामान्य चश्मा ( + 0.75 सं + 3.5 diopter पावर केर ) आइ- काल्हि चश्माक दोकान वा पैघ स्टोर में भेटि जायत. चश्मा उठाउ. चश्मा आंखिपर चढ़ाउ, पढ़िकय देखियौ, साफ़ नज़रि आबय तं कीनि लियए. ई सुलभ अवश्य छैक. किन्तु, मोन राखी, पढ़बाक  चश्माक पॉवर व्यक्तिक  उम्र, पहिलुक दृष्टि-दोष, आ व्यक्तिक व्यवसाय पर निर्भर करैछ. तें, चश्मा जांच करयबला पारामेडिक (optometrist) वा नेत्र चिकित्सक सं आँखिक जांच कराकय चश्मा लेब निर्विवाद नीक. डाक्टरी जांच सं सही नम्बर भेटत आ जं आँखिक आन कोनो रोग हो, तकरो निदान भ जायत. एतबा अवश्य जे पढ़बाक चश्माक नंबर साल-दू-साल पर बढ़ि जाइछ. तें, समय-समय पर आँखिक जांच करायब उचित. 
मोतियाविंदु (cataract), काला मोतिया ( Glaucoma ), मैकुलर डिजनरेशन (age-related macular degeneration)  बढ़इत  वयसमें आँखिक ज्योतिक क्षीण करयबला तीनटा प्रमुख रोग थिक.
मोतियाविंदु (cataract)
मोतियाविंदु भारत में  अन्धताक प्रमुख कारण थिक. ई मूलतः बुढ़ापाक रोग थिक. मोतियाविंदुक सामान्य अर्थ भेल मोतीक रंगक विन्दु.  मोतियाविंदुक सबसँ परिचित आ पूर्ण विकसित प्रकारमे आँखिक पुतलीक बीच मोती-सन उज्जर-सपेत विन्दु जकां देखबामें अबैछ.
दाहिना आँखिक मोतियाविंदु
ई रोग मनुष्यक आँखिक पारदर्शी  लेंसक क्रमशः अपारदर्शी भ जयबाक परिणाम थिक. सूर्यक प्रकाशक परावैगनी किरण (ultra violet rays) आ आँखिक लेंसक प्रोटीनक बीचक प्रतिक्रिया सं लेंसक पारदर्शी प्रोटीन अपारदर्शी भ जाइछ जे मोतियाविन्दुक रूपें परिलक्षित होइछ. तें, बहुधा, निरंतर रौदमें खट्निहार मज़दूर में कमे वयस में  आ ऑफिसमें काज केनिहारक आँखिकमें  पछाति मोतियाविंदु होइछ से  सामान्य अनुभव थिक. तथापि बुझबाक थिक, सूर्यक रोशनीक परवैगनी किरण (ultra violet rays) मोतियाविंदुक अनेक कारण म सं प्रमुख, किन्तु एकमात्र कारण नहिं थिक. वंशानुगत विरासत, शरीरक आन रोग, जेना डाइबिटिज, आँखिक लेंस ले हानिकारक औषधि, जेना, कोर्टिकोस्टेरॉयड ( corticosteroid), क लम्बा अवधि तक सेवन, आ आँखिक किछु आन रोग सेहो कम वयसमें मोतियाविंदुक कारण होइछ. दूरस्थ व्यक्ति वा वस्तुके देखबामें बाधा, वा आँखिक ज्योतिक धुंधलापन मोतियाविन्दुक प्रमुख लक्षण थिक. आरंभिक अवस्थामें रोशनीक श्रोत, जेना, बिजुलिक बल्बक चारू कात इन्द्रधनुषी घेरा, एके वस्तुक, जेना चन्द्रमाक, अनेक बिम्ब, तेज रोशनी आ  तेज रौदमें आँखिक चोन्हरायब मोतियाविन्दुक आम लक्षण थिक. एकटा गप्प मोन राखी, मोतियाविंदु में आँखिमे कोनो पीड़ा वा लालीक नहिं होइछ.
मोतियाविंदुक आरंभिक अवस्थामें पहिलुक चश्माक नम्बरमें परिवर्तन भ सकैछ. चश्माक नम्बरमें परिवर्तन सं कतेक गोटेकें  लगक नज़रिमें सुधारक अनुभव सेहो होइत छनि. लगक रोशनीक एहि सुधारकें दोसर दृष्टि (second sight) कहल जाइछ.  अस्तु, मोतियाविंदुक आरंभिक स्थितिमें नव चश्मा वा नंबर बदललासं आँखिक ज्योतिमें सुधार भ सकैछ. किन्तु, अंततः मोतियाविंदुक इलाज़ ऑपरेशने थिक. मोतियाविन्दुक ऑपरेशनमें आँखिक प्राकृतिक लेंसक अपारदर्शी भागकें निकालि सही पॉवरकेर लेंस आँखिमे प्रत्यारोपित कयल जाइछ. पछिला 70 वर्षमें मोतियाविन्दुक ऑपरेशनमें तेहन क्रांति भेलैये जे मोतियाविन्दुक ऑपरेशन शल्य-चिकित्सा विज्ञानक सर्वाधिक सफल विधि मानल जाइछ. मोतियाविन्दुक ऑपरेशन कहिया कराबी ? ई प्रश्न आम थिक. उत्तर सोझ छैक. जखन दिन-प्रतिदिनक काजमें मोतियाविन्दुक कारण आँखिक कमजोर रोशनी बाधा बनय, ऑपरेशन करा ली. दक्ष चिकित्सकक हाथ में ऑपरेशनेक दिन वा दोसर दिन आँखिक रोशनी साफ़ बूझि पड़त. पछाति महीन वस्तु देखबाले वा पढ़बाले चश्मा लेबय पड़त. मुदा, से नहिं चाही तं, विशेष प्रकारक लेंस- multifocal lens- क प्रत्यारोपण सं लगक चश्माक सेहो काज नहिं. एकटा गप्प आओर. मोतियाविन्दुकें  बहुत दिन धरि जुनि अनठाबी. ऑपरेशनमें बिलम्ब सं आओर नव समस्या, यथा, मोतियाविन्दुक कारण ग्लौकोमा भ सकैत अछि, आ आखिक रोशनी पूर्णरूपें ख़राब भ सकैछ जे पछाति  ऑपरेशनहु सं नहिं सुधरय.                                                                     
राष्ट्रिय अन्धता निवारण मिशनक अन्तर्गत भारत सरकार, आन कतिपय रोग सहित, मोतियाविन्दुक निवारणक हेतु राज्य सरकार सबकें ऑपरेशनक संख्याक वार्षिक लक्ष्य निर्धारित करैछ आ आर्थिक अनुदान दैत छैक. एहि मिशन केर अन्तर्गत जिला अन्धता निवारण समितिक तत्वावधानमें मोतियाविन्दुक रोगीसब कें निर्धारित सरकारी वा गैर-सरकारी संस्थानमें आनि मोतियाविंदुक ऑपरेशन आ लेंस प्रत्यारोपणक मुफ्त व्यवस्था रहेछ. ऑपरेशन भेलाक पछाति रोगीके घर धरि पहुंचाओल जाइत छैक आ पुनः रोगिक अपने गाम आ शहरमें निर्धारित अवधि आ स्थानपर आँखिक जांच कय चश्मा देबाक व्यवस्था छैक. तमिलनाडु आ पांडिचेरी राज्यमें सरकारी आ गैर-सरकारी संस्था सब एहि अभियान सफलताक भार अपना पर उठौने छथि. बिहार में ई व्यवस्था कतेक धरि चालू अछि, से नहिं कहब. यद्यपि, नेपाल स्थित गैर- सरकारी अस्पताल सब में बिहार आ उत्तर प्रदेशक मोतियाविन्दुक रोगिक बाढ़ि दोसरे कथा कहैत अछि ! सामजिक रूपें सचेत लोक जिलाधिकारीसं एकर खोज-पुछारि करथि तं बहुतो कें उपकार हेतैक. 

काला मोतिया (Glaucoma)
भारतवर्ष में ग्लौकोमा अन्धताक दोसर प्रमुख कारण थिक जे जनसंख्याक 1-2 प्रतिशत व्यक्तिक आंखिक ज्योतिकें  प्रभावित करैछ.. ग्लौकोमा आँखिक संवेदना वाहक स्नायु - ऑप्टिक नर्व (optic nerve) - क रोग थिक; इहो बढ़इत वयसक रोग थिक. ग्लौकोमामें व्यक्तिक वंशानुगत प्रकृतिक कारण, आ,बहुधा, आँखिक प्रेशरक बढ़ला सं आँखिक संवेदी कोशिका सबहक क्षय होमय लगैछ . संवेदी कोशिका सबहक क्षय आ स्नायुक क्रमशः घटैत शक्ति आँखिक रोशनीमें दिनानुदिन ह्रासक कारण बनैछ. एतय एकटा गप्प फडिछायब आवश्यक. मोतियाविंदु आ काला मोतिया-ग्लौकोमा (glaucoma) में कोनो समानता नहिं. मोतियाविंदु आँखिक लेंसक रोग थिक आ ग्लौकोमा आँखिक संवेदी स्नायु (optic nerve ) क रोग. मोतियाविंदुक ऑपरेशनसं आँखिक रोशनीक पूर्णतया आपस आबि जाइछ. ग्लौकोमाक कारण भेल नेत्र-ज्योतिक ह्रास नियमिकी होइछ. तें, आरंभिके अवस्थामें  ग्लौकोमाक निदान आ चिकित्सा आवश्यक.                                                          
ग्लौकोमाक लक्षण की ? असलमें आरम्भ में ग्लौकोमाक कोनो लक्षणे नहिं होइछ; बहुधा, ई  चुप्पा रोग थिक. तथापि सांझुक पहर वा कम इजोत में आँखिक रोशनीमें कमी, मेघाओन वा धौन-सन लागल जेकां अनुभव, सांझुक पहर कपार में व्यथा, रोशनीक श्रोतक चारू कात इन्द्रधनुषी घेराक अनुभव, यदा-कदा आँखिक लाल भ जायब, वा किछुए-किछु दिन में पढ़बाक चश्माकें बदलबाक आवश्यकता ग्लौकोमाक आरंभिक लक्षण थिक. जखन रोग बहुत बढ़ि जाइछ, कात-करोटक वस्तु देखबामें नहिं अबैछ. आ अन्ततः आँखिक ज्योति समाप्त भ जाइछ. किछु लोकके 50-60 वर्षक वयसमें आँखिक में अचानक, भयानक पीड़ाक संग आँखिक लाली आ आँखिक रोशनीक एकाएक कम हयब सेहो एक प्रकारक ग्लौकोमाक लक्षण थिक; एहन स्थितिक अविलम्ब इलाज आवश्यक.        प्रश्न उठैछ, जाहि रोगक आरंभिक स्थितिमें कोनो लक्षण नहिं हो तकरा चिन्ही कोना ? उत्तर अछि, आँखिक नियमित जांच. निदान भेलापर ग्लौकोमाक इलाज लेज़र, आँखिमे देबबला बूँदबला औषधि वा ऑपरेशन सं कयल जाइछ. मुदा, कोन प्रकारक ग्लौकोमाक इलाज कोना हो तकर जानकारी नेत्र-चिकित्सक कहताह. तें, रोगक प्रकृति आ आँखिक परिस्थितिके देखैत, रोगी आ रोगिक परिवारजनक संग परामर्श सं नेत्र-चिकित्सक द्वारा ग्लौकोमाक इलाज निर्धारित कयल जाइछ. एक बेर ग्लौकोमा निदान भेला पर जीवनपर्यन्त आँखिक डाक्टरक सं नियमित जांच आ चिकित्सा आवश्यक. ग्लौकोमा एहन रोग नहिं जे एक बेर इलाज भेल आ रोग निर्मूल भ गेल. ई मोन रखबाक थिक. 

वयस-जनित मैकुलर डिजनरेशन (age-related macular degeneration)
मैकुला आँखिक पर्दा- रेटिना- क सर्वाधिक संवेदी आ केन्द्रीय भाग थिक. स्पष्ट दृष्टि, रंगक पहिचान, आ दिन में देखब मैकुला क काज थिक. 60 सं 65 वर्षक आयु व्यक्तिक आँखिक रोशनिक क्रमिक ह्रासक कारण म सं एक प्रमुख कारण मैकुलर डिजनरेशन थिक. विकसित देश सबमे मैकुलर डिजनरेशन बुढ़ापामें अन्धताक ओहने प्रमुख कारण थिक जेना भारत में मोतियाविंदु. मैकुलर डिजनरेशनक कोनो एकटा कारण कें एखन धरि चीन्हब सम्भव नहिं भेलैये. मानल जाइछ, मैकुलर डिजनरेशन रेटिनामें वयसक कारण भेल परिवर्तनक परिणाम थिक.
पैघ वा मेंही वस्तुकें सोझे देखबाक शक्तिमें क्रमिक ह्रास मैकुलर डिजनरेशनक लक्षण थिक. एकरा एना बूझी; दूर सं अबैत मनुक्ख, वाहन, आगूक गाछ-वृक्ष, पढ़बाक पोथी, जाहि पर दृष्टि केन्द्रित करी ओही पर मेघ जकां कालिमाक अनुभव वा विकृत छवि, मैकुलर डिजनरेशनक मुख्य लक्षण थिक. ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी (OCT) स्कैन-सन जांचक आविष्कार सं आजुक युग में मैकुलर डिजनरेशनक निदानमें बहुत सहायता होइत छैक. आँखिक भीतर देबाबला सूई- एंटी वस्कुलर एन्दोथेलिअल ग्रोथ फैक्टर (anti- VEGF)- सन  नव-नव औषधिक आविष्कार मैकुलर डिजनरेशनक एक प्रकारक सफल चिकित्सा सम्भव छैक. तें सही समय पर निदानसं मैकुलर डिजनरेशनक इलाज में अवश्य सहायता होइत छैक . यदि, मैकुलर डिजनरेशनक कारण मैकुला अंततः नष्ट भ गेल तं विम्बकेर सम्वर्धन उपकरण, लो विज़न ऐड (low-vision aid) केर सहायता सं काज जोकर दृष्टि सम्भव छैक.
जं सोझांक वस्तु देखबामें विकृति बूझि पड़य, जेना सोझ रेखा लहरदार-जकां बूझि पड़य, किताबक पन्नापर  बीचेमें कालिमा बूझि पड़य, तं ग्राफ पेपरक सहायता सं मैकुलाक  मूल पारिस्थितिक जांच सम्भव अछि. 
आम किताबक पन्नाक आकारक सामान्य ग्राफ पेपर केर  केंद्रपर कलम सं एकटा विन्दु बनाउ.
आँखिक जांचमें प्रयुक्त Amsler grid

मैकूलाक रोग में ग्राफ पेपरक रेखा एहिना विकृत भ सकैछ
पढ़बाक चश्मा आँखिपर चढ़ा नीक इजोतमें एक आँखिकें बंद कय, ग्राफ पेपर कें आँखिसं करीब 1 फुट दूर राखि, उघाड़ आँखिसं ग्राफपेपर पर बनाओल बिंदु कें देखी.  केंद्रक विन्दुक संग खड़ा- आ पड़ा रेखा  सोझ देखबामें आबय, ग्राफ-पेपरक कोनो इलाका पर धुँआ वा निपल-पोतल सं नहिं बूझि पड़य तं आस्वश्त रहू, मैकुला स्वस्थ अछि. तथापि, नेत्र-चिकित्सकसं जांच करायब जुनि बिसरी !
अंतमें, सारांशमें  रूपें निम्नलिखित मोन राखी:
1. मोतियाविंदु अन्धता सबसँ मुख्य कारण थिक. समयपर मोतियाविंदुक ऑपरेशन सं आँखिक रोशनी पूर्णतया आपस आबि जाइछ. ऑपरेशन बाद चश्माक काज पडि सकैत अछि.
2. ग्लौकोमा बहुधा चुप्पे-चुप्प आँखिक रोशनी हरि लैछ. आँखिमें मामूली व्यथा, रोशनीक श्रोतक चारू कात इन्द्रधनुषी घेराक अनुभव हयब, आँखिक लाल भ जायब, वा किछुए-किछु दिन में पढ़बाक चश्माकें बदलबाक आवश्यकता सेहो ग्लौकोमा लक्षण थिक. एहन कोनो लक्षण हो तं देरी जुनि करी, नेत्र-चिकित्सकक सलाह अवश्य ली. जं माता-पिता, सोदर भाई-बहिन ग्लौकोमाक रोगी होथि, अपना डाइबिटिज हो, चश्मा नंबर पहिनहिं सं बेसी हो तं ग्लौकोमाक सम्भावना बेसी.
3. बढ़इत वयसमें वर्षे-वर्ष आँखिक जांच अवश्य कराबी; नियमित जांच आरभिक अवस्था में रोग पकडि लैछ .  तें, आँखिक नियमित जांच अन्धताक विरुद्ध अभियांमें कारगर अश्त्र थिक.
4. आँखिक कोनो दोषकें मामूली नहिं बूझी; नेत्र-चिकित्सकक सलाह अवश्य ली.

नोट: हमर ई लेख 'भारती-मंडन' पत्रिकाक अंक -14 / नवक्रमांक-२ में हालहिं में प्रकाशित भेले. 


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