Saturday, October 27, 2018

परिवर्तन जीवनक रस थिक

परिवर्तन जीवनक रस थिक
( Change is the Salt of Life)

गाम छोडला हमरा लगभग आधा शताब्दी भ गेल. एहि बीचमें हमरा-सन अनेको प्रवासीकें गाममें रूचि जगलनि-ए. कतेको लेखक लोकनि गामक संबंधी अपन स्मरण आ गाम केहन होअय ताहि पर विचार प्रस्तुत केलनि-ए. हमरा गाम छोडला बहुत दिन अवश्य भेले किन्तु, हम मोटा-मोटी प्रतिवर्ष गाम जाइते छी. तथापि, एहि बेरुक यात्रामें हमरा अचानक अनेक एहन परिवर्तन देखबा में आयल अछि , जे प्रायः चारिओ–पांच वर्ष पूर्व नहिं रहैक. कहैत छैक, ‘Change is The Salt of Life’ अर्थात, परिवर्तन जीवनक  नोन थिक ! परिवर्तनक बिना जीवन की ! अस्तु, एहि लेख में गामक परिवर्तन कें यथावत् प्रस्तुत करैत छी. देखल यथार्थक विवेचना जेकरा जेना नीक लागनि, करथि. ने सब परिवर्तन नीक, ने सब परिवर्तन बेजाय. तें, देखी  कोन परिवर्तनसं समाज सबल भेले आ कोन परिवर्तन सं नागरिकक जीवन कठिन भेलैये.
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एखन शरद ऋतु अछि, मौसम अनुकूल छैक. हथिया नक्षत्रमें बरखा नहिं भेला सं जं एक दिस धान-पानिक नोकसान भेलैये तं दोसर दिस एहि सं , दुर्गा पूगाक अवधिमें गाम थाल-खीच-कादो सं बंचल अछि. तथापि, हथियासं पहिलुका बरखासं  खेत-खरिहान आ गाछ वृक्षमें हरियरी छैक. काल्हिए नेयार कयल जे भोरे 4.30 बजे टहलान ले जाइ. शिबू भाई संग हेताह. हमर आवाससं करीब 200 मीटर पर शिबू भाईक घर छनि. शिबू भाई हमर लडकपनक सामजिक गार्जियन आ संगी दुनू थिकाह; ओहि युगमें परिवार आ सामाजिक परिधि पैघ होइत छलैक; विद्यार्थीपर परिवारक सदस्य सं इतर, वयस आ सामिजिक सम्बन्धमें पैघ पड़ोसिया लोकनिक गार्जियनी सामजिक दायित्व बूझल जाइत छलैक. पुरान सामजिक सम्बन्ध हमरा लोकनिक बीचक आत्मीयताकें एखनहु जोगा  कय रखने अछि. अतः, आइ हमरा लोकनि दुनू गोटे संगे मॉर्निंग-वाक पर विदा भेल छी. 
लेखक बामा , संगमें रोहिणी रमण झा (शिबू भाई)

अवाम-पोखरभिंडा मार्ग

एखन पौ नहिं फाटल छैक. किन्तु, प्रत्येक गली-कूचामें कंक्रीटक सड़क भेने खाधिमें खसबाक भय नहिं. अनेरुआ कुकूर खेहारि सकैत अछि. ताहि ले सावधान छीहे. किन्तु, मशीनीकरण आ बदलैत जीवन पद्धतिक कारण  ब्लड-प्रेशर, डायबिटीज आ मोटापा-सन  life style diseaseक कारण लोक सजग भेले. तें, आब गाम में ततेक लोक ने भोर में टहलब शुरू केलक अछि जे लोकक आबाजाही सं कुकूर सबले रेहल खेहल भ गेलैये ! आब समाजक अभिजात्य वर्गमे नारि लोकनिक घरसं बहरेबाक पहिलुक वर्जना सेहो नहिं छैक. अस्तु, पहिलुका पहिलुक परिपाटीक विपरीत, आब जकरा रूचि आ आवश्यकता छैक, भोरुका टहलान पर बहराइत अछि. हं, भोरे उठि विदेश्वर स्थान जयबावलाक संख्यामे कमी अवश्य भेलैये. अर्थात्, पहिने भोरे-भोर बिदेश्वरक दर्शन जे मॉर्निंग-वाकक व्याज छलैक ताहि में ह्रास भेलैये.
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अवामक पुवारिटोल, मदनपुर. ग्रामदेवता, लक्ष्मीनारायणक परिसरक समीप प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्राक आयोजन होइत अछि; ई हमरा गामक दू टा समानान्तर पूजा म सं दोसर थिक. हमरालोकनि एतय पहुँचलहु-ए. भोरक करीब पौने पांच बाजल छैक. लक्ष्मीनारायणक पट खुजबामें एखन बिलम्ब छैक. दुर्गाक पट सेहो बंदे छन्हि. किन्तु रंगमंच पर हिन्दी-मैथिली-भोजपुरी गीत-संगीत-नाटकक रंगारंग कार्यक्रम चालू अछि. 
सलहेस नाच एवं ऑर्केस्ट्रा कम्पनीक रंगमंच
मंचक आगाँ भूमि पर गोटेक सौ दर्शक- नारि, पुरुष आ नेनासब. बहुतो अपना संग आनल पटिया, चटिया, बोरा वा चद्दरि पर पटोटन देने निभेर निन्न छथि. कलाकार लोकनि में केवल पुरुष. बजनियाँ-गायक, नर्तक, अभिनेता आ अभिनेत्रीक सामूहिक दल. दर्शक लोकनिमें प्रायः वएह वर्ग जे एखन धरि टेलीविज़न आ मोबाइल फ़ोनपर सिनेमा देखबासं बंचित अछि. एहू गाम में मजदूर वर्गक खढ़सं छारल घर पर कुम्हड़-कदीमाक लत्तीक बीच डिश टीवीक ऐन्टेना आ बिजुलीक कनेक्सनक लेड पाइप कोनो अजगुत नहिं. 
कदीमाक लत्तीक बीच डिश ऐन्टेना
तें, जाहि गति सं टीवी आ मोबाइल फोनक प्रसार भ रहल छैक, अगिला समय में एहू नाच-गानक की गति हेतैक कहब मुश्किल. गाम में स्कूल-कालेजमें पढ़इत विद्यार्थी लोकनि गाम में आब कोनो नाटक-रंगमंचक आयोजन नहिंए करैत छथि, किन्तु, मजदूर वर्गक दवाबपर नचनियां लोकनिक ई दल सब दुर्गा पूजामें एखन धरि बजाओल जाइत छथि. 
       
ऐतिहासिक पीपरक गाछ आ पृष्ठभूमिमें ग्रामदेवता लक्ष्मीनारायणक मन्दिर

लक्ष्मीनारायणक मन्दिर
लक्ष्मीनारायण मन्दिरक समीप वयसाहु, किन्तु, शरीरें युवक सौ-दू सौ साल पुरान पीपरक गाछ लगक जाहि फुलबारीमें पहिने रामलीला होइत छलैक आ स्कूलक विद्यार्थी सब करिया-झुम्मरि, रुमाल चोर, आ बुढ़िया कबड्डी खेलाइत छल , ओतय बरखाक पानि भरल छैक. बामा कात जटही पोखरिक पानि ओहने शान्त अछि जेहन अहल भोरमें हेबाक चाहियैक. हमरा सबहक नेनपन में जटही पोखरि भय आ आतंकक केन्द्र छल. स्कूलक विद्यार्थीसब बिसरियो कय जटही पोखरिमें पयर नहिं दैत छल. धिया-पूता लोकनिक बीच किंवदन्ति रहैक जे जटहीमें गोहि नेना सबहक पयर पकडि पानि में झीकि लैत छैक ! सुनल अछि, कोनो समयमें  अकालसं मारल जाट सब एहि गाओंमें आयल छल. भूखल मजदूरकें मजदूरीक अवसर द मनुखक प्राण रक्षा ओहि समयमें पुण्य बूझल जाइत छलैक. अकाल सं मारल जाट लोकनि द्वारा खुनल वएह पोखरि, जटही पोखरि थिक.
धिया-पुताक भयक श्रोत:जटही पोखरि
पोखरि सं आगू हमरा लोकनि अवाम आ पोखरिभिंडा गामक बीचक बाधमें पहुँचैत छी. एतय एखनहु अन्हारे छैक. सम्पूर्ण इलाका धानक बाधक उपर घनीभूत धोनमें रहस्यमय प्रतीत होइत अछि. किन्तु, सडकपर टहलान कयनिहारक बढ़िया आबाजाही. ताहि में नारि, पुरुष, स्कूलक कन्या सब सेहो. ई एहि इलाकामें भयमुक्तता द्योतक थिक. हमरा ताहि सं गौरव आ संतोष दुनूक बोध होइछ.
                                   

2
पछिला कतेक वर्षसं जखन हम दुर्गापूजा-दसमीक बीच गाममें रहैत छी अपने दरबज्जापर एक कोठलीमें आंखिक रोगी सबकें निःशुल्क चिकित्सा करैत छियनि. आइ भोरमें गामक पसारी –व्यवसायसं हजाम- महेश्वर ठाकुर अपन रोगक हेतु जांच ले अयलाह.

छुट्टीमें समाज-सेवा: गामक रोगिक आँखिक रोगक निःशुल्क चिकित्सा 
नेनपनेसं महेश्वरक आंखि खराब छनि; बहुत दिन पूर्व अलीगढ़में भेल रहनि. हमर अयबाक खबरि भेलनि, तं, एकबेर सलाह लेब उचित बुझलनि. रोग पुरान छनि, आ आंखिक स्नायु दुर्बल. तें कोनो औषध व चश्मामें फेर-बदलकेर आवश्यकता नहिं. महेश्वर ठाकुर पचपनक धक्कामें छथि. ई वयसमें जहिना प्रौढ़ तहिना विचारमें परिपक्व आ अभिव्यक्तिमें निधोख छथि, से गप्प सप्प में बुझना गेल. हिनक गप्प करबाक भाषा आ शैली हमरा आकृष्ट केलक. आइ एतय ई असगरे रोगी छथि, अस्तु, हम हिनका संग गप्प करय लगैत छी. गप्प क्रममें महेश्वर स्वतः कतेक गप्प कहलनि:
‘एहिबेर पुबारिटोल लग खतबेटोलीक एकटा लड़कीक बभनटोलीक एकटा छौड़ाक संग दोस्ती भ गेलैक. छौड़ी कें की भेलैक , की नहिं. दुनू गोटे विदेश्वर स्थानमें एक दोसराकें माला पहिरा विवाह करबाले पहुंचि गेल छल. मुदा, बाभन लोकनिक धुरफंदी तं बुझिते छियैक, ओ सब पुलिस बजा लेलकै. लड़िका-लड़की नाबालिग रहै. दुनू पकडल गेल आ जहल में अछि.’
‘जहलेक डरे अहूंक टोलक नथुनिया सेहो मास-डेढ़-मास गाम सं भागल छल.’ हम पुछलियैक, ‘से की ? नथुनिया तं हमरा संगे लक्ष्मीनारायण स्थानमें एके क्लासमें पढ़इत छल. काल्हि तं भेंट करय आयलो छल. कहाँ किछु कहलक.’
‘की कहत. ओ तं बंचि गेल. नथुनियाक बेटा आ घुरनाक बेटी हैदराबादमें कोर्टमें बियाह क लेलकै. नथुनियाकें  दान-दहेज़ तं की भेटितैक, उलटे घुरना कस्ती क देलकैक, जे, नथुनियाक बेटा हमर बेटीकें भगाक’ ल गेल. लैडिकी बैंकमें काज करै छलैक. बस, नथुनिया पतनुकान ल लेलक. सुनै  छियै बेटा कहबो केलकैक, तोरा भगैक कोन काज मुदा, पुलिसक डर तं बुझिते छियैक. पछाति, कनिया-वर गाम आयल आ सकतपुर थानामें अपन विवाहक दस्तावेज देखौलकै तं हारि कय दुनू गोटे समधि मिलान केलक.’
हम पुछलियनि, ‘अहां कहैत छी दुनू अमाते थिक, तखन विवाहमें कोन बाधा ?’
‘बात से नहिं ने छैक, लड़की बैंक में कमाई छै, आ नथुनियाक बेटा के एखन नियामिकी किछु छैक नहिं.’
हम पुछ्लियनि, ‘एखने टहलिक अबैत रही तं अहाँ लोकनिक दालानपर  गोड चारिएक-पांचेक लड़िका-लड़कीके किताब-कॉपी  लेने बैसल देखलियैक. एकटा कन्या तं कहलक नौवा वर्ग में झंझारपुरक टिबरेवाल स्कूलमें पढ़इत अछि. हमरा तं गौरवक बोध भेल. हमहूँ टिबरेवाल स्कूलमें पढ़ने छी. तहियातं एहि गामक कोनो कन्या पढ़बाले झंझारपुर नहिं जाइत छल. हमर जेठि बहिन पांचवांसं आगू नहिं पढ़ी सकली. कारण छठा वर्गक पढ़ाई उजान में छलैक. आ उजान कुटुंब लोकनिक गाम रहै, ओतय जैतथि से परिवारमें विचार नहिं भेलै.’
महेश्वर ठाकुर एहि पर आओर खुजलाह. ‘डाक्टर साहेब, ओ हमर दालान कहाँ छी. हम तं सोनारक घर लग घर बनौने छी. ओ तं परमेश्वर साहू नहिं रहे, सूबेलालक बेटा, तकर दालान छियै. ओकरे सार, अपन गाम सं भागल तं झंझारपुरमें रहैए, तं, एतय पढ़बइ ले अबैये.’
‘ गाम सं भागल ?’
‘त. भागत नहिं तं करत की. बियाह आन जाति में केलक. तं घर-परिवार, दर दियाद कहलकै, ‘जाति सं बाहरे भ गेलें तं एतय जगह नहिं भेटतउ. हारिक बहिन-बहिनोई सं भात-पानि रखने अछि.’
एहि सं एतबा तं बुझबामें आबय लागल जे जाति-पांतिक देबाल ढहि रहल छैक, किन्तु,जाति-पांतिक सीमा रेखा एखनहु माटि नहिं मिललैये. ततबे नहिं, ढहइत देबाल तर दबल लोक एखनहु समाजमें घायल-जकां जीबाक त्रासदी भोगि रहल अछि. सत्यतः, परम्परा आ रूढ़िक जडि समाजमें बहुत तर धरि जाइत छैक जकरा सहजहि उकन्नन करब सम्भव नहिं.
महेश्वर ठाकुरक रोग slow degenerative disease थिकनि. एहिमें सुधारक कोनो आशा नहिं. किन्तु, तुरते आंखिक रोग चल जेतनि तेहनो नहिं. तें भयभीत भेलासं की लाभ. असत्य भरोस देब सेहो डाक्टरी अनुशासनक विरुद्ध. अस्तु, जे चश्मा छनि, उपयोग करथु आ स्वस्थ जीवन पद्धति अपनाबथु. बीडी-सीक्रेट, शराब-दारू नहिं पिबैत छथि से नीक गप्प. हिनक दू टा बेटा बम्बईमें शैलून चलबैत छनि. ओकर सबहक परिवार एत्तहि  छैक. ओएह सब अपन कमाईसं कोठा-सोफा बन्हलक-ए. आब जेहो पौनी-पसारी गाम में अछि, तकरो गृहस्थ सबहक घरसं वार्षिक कमाई भेटब बन्न भ गेलैये. मदनपुरक दू चारि घरसं किछु भेटि जाइत छनि. बेसी लोक नगदीए द’ कय केश-दाढ़ी कटबैत अछि. महेश्वर ठाकुर केश-दाढ़ी कटयबाक फिक्स रेट नहिं रखने छथि. जे जतबा द देलक, ल लेलनि. किन्तु, तेसर बेटा गामक पसिखानामें शैलून खोलने छनि. दिनमें हजार-पांच सौ कम लैत अछि. तें, ख़ुशी छथि. कहलनि, ‘ हमरा लोकनि बरही लोकनिसं नीक हालत में छी. पसार, हर-हराठक कारबार तं बन्ने छैक. तखन केओ-केओ किछु-किछु लकड़ीक कारबार करइए.’ ठीके. हमहू देखैत छियैक, हमर पड़ोसी आ बाल-संगी राजेन्द्र ठाकुरक धिया-पुता पढ़ि-लीखि गाओं आ पारंपरिक व्यवसायसं दूर भ गेल.
आब दिन उठि गेलैये. किछु रोगी सब सामने ठाढ़ अछि. महेश्वर ठाकुर सेहो जेबा ले उठलाह. दोसर रोगी आबि  कय सामने बेसी गेले. अस्तु, पुनः.

3
परिवर्तन जीवनक रस थिक. किन्तु, परिवर्तनकें जीवनकें बेरस करबाक शक्ति सेहो छैक. हम गाम प्रति वर्ष अबैत छी. आ एतुका कोनो परिवर्तन एके दिन में नहिं भेलैये. किन्तु, एतेक वर्षमें  हम आइ पहिले बेर  परिवर्तनक लेखा-जोखा करबाले बैसलहु-ए.
अद्भुत लागत: आब गाम घरक सबसँ परिचित चिडई बगडा निपत्ता भ गेल अछि. मैना तकलो पर  नहिं भेटल. गमैया कौआ बहुत कम. अद्भुत सुन्दर कलगी बाली कठखोधी कतय पाबी ! गिद्ध विलुप्त भेलैये. किन्तु, तकर अनुमान घरक आसपास नहिं भेटत. कारण बस्तीक भीतर गिद्धक आयब पहिनो नहिं रहैक. अकस्मात् जं गिद्ध घर पर बैसि जाइत छलैक तं ओ परम विपत्ति.                                                                           लोकक बाड़ी झाड़ीमें कतहु आलू-कोबी-टमाटरक खेती नहिं देखैत छियैक. टोल-पड़ोसमें गाछपर वा खढ़क चारपर घेरा-सजमनि-कदीमा-कुम्हड़क लत्ती देखि सकैत छी. बस, ततबे. ई प्रायः बासभूमिक अभावक द्योतक थिक. बासभूमिक कमी भेलैये आ तें बासभूमिक दाम आकाश पहुंचि गेलैये. फलस्वरूप, लोक डबरा-चभच्चा धरिकें भरि बास भूमि बना रहल अछि, तखन बाड़ी-झाड़ी कतय पाबी ! गाम में एकटा अओर अद्भुत-अजगुत देखबामे अबैत अछि- बड़का-बड़का पुरान कलमबागमें, गाछक तर, धानक जजात. देखि आश्चर्य चकित हयब सहजे.
बाहरक कमाई सं आयल संपत्ति आ प्रत्येक गली-कूचामें कंक्रीटक सड़कक सहयोगसं गाम में मोटर वाहनक - मोटर कार, मोटर साइकिल, टेम्पो, ट्रेक्टरक- संख्यामें अभूतपूर्व वृद्धि भेलैये. एहि सं जं एकदिस जेबा-एबामें सुविधा भेलैये, तं , दोसर दिस गामक शांति सेहो भंग भेलैये आ प्रदूषणक दानव आब शहरसं गामो दिस अपन हाथ पयर पसारैत देखबामें आबि रहल अछि.
गाममें वृद्ध आ बूढ़ पुरान लोकक बहुलताक अछैतो गाम में ने हेल्थ सेंटर अछि आ ने हफ्तामें एकोबेर सरकारी डाक्टर एतय अबैत छथि. राष्ट्रिय अन्धता निवारण अभियान ( National Program for Control of Blindness) जे दक्षिण भारतमें सराहनीय काज करैत अछि तकर गतिविधि तं एतय शून्ये अछि. अस्तु, आंखिक इलाज चाहे लोक प्राइवेट डॉक्टर सं करबैत अछि , व नेपाल में लाहन, धरान, व बिरात नगर जाइत अछि. ग्लानिक गप्प थिक, नेपाल विश्वक न्यूनतम विकसित देशक श्रेणीमें परिगणित अछि ! स्वास्थ्य सुविधाक अभाव गामक एहन समस्या थिक जाहिमें परिवर्तनक आस लोक कें वर्षहुसं छैक.    
बदलैत समय में गामक जैव विविधता घटल अछि. हमरा सबहक परिसरमें,  जतय पहिने कम सं कम आठ-दस प्रकारक नेबो, विविध प्रकारक लताम, हौरसा, करौनाक संग बडहड-सन जंगली फल अजस्र फडइत छल से आइ निर्मूल अछि. शरीफा आब गाम में कतहु नहिं भेटत. गरीब लोकक भोजन आ दक्षिण भारतक विशिष्ट अन्न मडुआ गाम सं तेना विलुप्त अछि , जे जितिया पाबनि ले हमर पत्नी पांडिचेरीसं मडुआक चिकस पटना ल गेल छलीह. ज्ञातव्य थिक, मडुआक पौष्टिक प्राकृतिक कारण दक्षिण भारतक ग्रामीण इलाकामें परसौतीकें प्रसूतिक पछाति मडुआ-एक पातर हलुआ ( कुड ) पथ्यमें देल जाइत छैक.           
भगवान धर्म प्राण लोकक सहारा आ दबंग लोकक सहयोगी दुनू छथि. कतहुक जमीन दखल करबाक हो महावीरजीक झंडा गाडि दिऔक. हमरा लोकनिक स्मरणमें सादतनि सं सोनपुरक फील्ड एहि इलाकाक एकमात्र फील्ड छल, जतय नहिं जानि कतेको पीढ़ीक नेना  आ युवक लोकनि फुटबौल सिखने आ खेलने हेताह. आब एहि फील्डक परिधि पर एकदिस एकटा पक्का मंदिर आ सामने दोसर दिस रंगमंच आ तेसर कोन  पर सरकारी पानी-टंकी बनि चुकल अछि. माने, एहि ऐतिहासिक फुटबौल फील्डक हाथीक नाक में छुट्टी लागि चुकल अछि. मानि कय चलू शीघ्रहिं सोनपुर फील्ड सेहो परिवर्तनक पीड़ीपर बलि चढ़ि  जायत आ क्रमशः सोनपुर फील्ड मोबाइल फोनपर फुटबौल खेलाइत पीढ़ीक स्मरणसं विलीन भ जायत.            
 

मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान

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