Monday, January 25, 2021

पिंजड़ामें बंद अम्बेडकर, गांधी, आ राम

 

पिंजड़ामें बंद अम्बेडकर, गांधी, आ राम

मूर्ति चाहे ब्राज़ील केर शहर,रियो द जेनेरो लगक पहाड़ी पर ‘क्राइस्ट द रिडीमर’ के होइनि, आ केवाडिया, गुजरात में पटेल केर; अयोध्यामें राम केर, वा कालाकुरिची, तमिलनाडु में अम्बेडकर केर. ई सब मूर्ति नागरिकक आस्थाक प्रतीक थिक. किन्तु, समाजक नागरिक जं एक दोसराक आस्थाक आदर नहिं करथि, तं एहन स्थिति उपस्थित भ जाइछ जे पुलिस आ प्रशासनकें अम्बेडकर, गांधी, आ रामहु कें पिंजड़ामें बन्न करय पड़ैत छनि.

चेन्नईसँ  प्रकाशित 21 जनवरी 2021 क अंग्रेजी  दैनिक ‘हिन्दू’ में छपल एहने एकटा फोटो हमरा आकृष्ट केलक. एहि फोटोमें ऊँच आधार पर स्थापित, डाक्टर अम्बेडकर केर एक मूर्तिकें चारू दिससँ लोहाक जालीमें बन्न तं कयले गेल छनि, मूर्तिक नाकक सोझमें पुलिस-प्रशासन हाई रेजोल्यूशन सि सि टी वी कैमरा सेहो लगओने छथि, जाहिसँ मूर्तिकें क्षति तं नहिए होइक, वरन मूर्तिकें क्षति कयनिहार उपद्रवीक पहचान भ’ आसानीसँ भ’ सकैक.

                            फोटो साभार : अंग्रेजी दैनिक ' द हिन्दू', चेन्नई, दिनांक 21 जनवरी 2021 

अजुका एही फोटोकें देखि अयोध्याके तहियाक ध्वस्त, तथाकथित ‘विवादित ढांचा’में स्थापित राम-लला, बनारसमें विश्वनाथ, आ आन-आन ठामक राजनेता लोकनिक मूर्तिक चारू कात बेढ़ल सुरक्षा-चक्र मन पड़ि  आयल.

जं मूर्ति भंजन केर आरंभिक इतिहासकें देखी तं सबसँ पहिने प्रायः इस्लामी धर्म प्रचारक सैनिक अभियानी लोकनि अपन धर्मक प्रचार ले मूर्ति भंजनकें अपन उद्देश्य बनओलनि; तालिबान द्वारा बामियान बुद्धक ध्वंस  आ पाकिस्तानमें हास-सालमें हिन्दू मंदिर सब पर आक्रमण एकर नवीनतम उदाहरण थिक. इसाई धर्मक प्रचारक  प्रायः ग्रीक आ मिस्रकेर प्रागैतिहासिक मूर्तिक भंजनकें अपन अभियानक हिस्सा नहिं बनओलनि, यद्यपि नव धर्म- इसाई - क स्थापना ले जे ‘धर्मयुद्ध’ सब लड़ल गेल से इतिहास विदित अछिए.

सवाल उठैछ, लोक आन नागरिकक आस्थाक प्रतीकक ध्वंससँ की पबैत अछि ? की अपन आस्था, वा अपन प्रतीक में आस्था दृढ़ करबाले मूर्ति भंजन आवश्यक छैक ? आइ एही पर विचार करी.

मनुष्य ईश्वर के मूर्त रूप कहिया देबय लगलनि, से ठीक-ठीक कहब कठिन. बौद्ध आ जैनकालीन राजा लोकनि अनेक भव्य मन्दिरक निर्माण कयलनि, तथापि, अशोक आ हर्षवर्धनसँ ल कय, दक्षिण केर पल्लव, चोल, आ चेर राजा लोकनि कतहु अपन पूर्तिक स्थापना नहिं कयलनि. हिनका लोकनि परवर्तीओ राजा लोकनि  जतय कतहु मन्दिरक निर्माण कयलनि, ओतय मन्दिरक पटल पर निर्माताक नाम भले होइनि, हुनका लोकनिक मूर्ति नदारद अछि. तें, राजनेता लोकनिक मूर्ति स्थापना प्रायः आधुनिक कालक परिपाटी थिक, जे प्रायः उपनिवेशवादक संग आरम्भ भेल. उपनिवेश कालमें प्रशासक लोकनि विभिन्न स्थान पर राजा-रानीक मूर्तिक संग-संग प्रशासक आ सेना नायक लोकनिक मूर्ति अवश्य स्थापित केलनि. सत्ता परिवर्तनक पछाति, बहुतो ठाम  ई मूर्ति सब तोड़ल गेल,तं, किछु तस्करक हाथें बेचलो गेल. समयक संग संग जं अनेक मूर्ति पर बड़-पीपर जनमि गेलैक, तं, किछु  मूर्ति  अपने आप कालक गालमें  समा गेल . किछु स्थान पर पहिलुका युग में अराध्य, देवी-देवता-जकां पूजित, राजा-रानीक मूर्ति ओहिना कतबहि में पड़ल अछि. कारी पाथरसँ बनल ब्रिटिश महारानी विक्टोरियाक  एकटा एहने आदमकद मूर्ति हम राजपूत रेजिमेंटल सेंटर, फतेहगढ़, उत्तर प्रदेश में करीब सत्ताइस वर्ष पूर्व देखने रही. अनुशासित सैनिक लोकनिक बीच ई मूर्ति तहियो केवल एकटा सजावट वा इतिहासक संकेतक रूप में ओहिना पड़ल छल, जेना अंग्रेजक शासन काल में. राजनीतिसँ  दूर सैनिक वातावरणमें प्रायः ताधरि एहि मूर्ति पर कोनो राजनेताक नजरि नहिं गेल रहनि. आब ओ मूर्ति ओतय अछि वा नहिं, कहि नहिं सकैत छी.

मुदा, ई सर्वविदित अछि जे सोवियत यूनियनक विघटनक पछाति जहिना लेलिन सहित अनेको नेताक मूर्ति सब ढाहल गेल, तहिना इराकमें सद्दाम हुसैनक शासनक अंतमें हुनक मूर्ति सबहक गरदनि में लोहाक रस्सी बान्हि ओकरा भूमिसात कयल गेल. अर्थात्, मूर्तिओक उदय आ अस्त राजनीतिक शक्तिक उदय आ अस्त संगे-संग होइछ. मुदा, जखन राष्ट्र सब में सोवियत यूनियनक विघटन, वा इराकमें सद्दामक शासनक अंत-सन परिवर्तन नहिओ होइत छैक समाजमें भीतरे- भीतर मूर्ति स्थापना आ मूर्ति-भंजनक प्रक्रिया निरंतर चलैत रहैछ. भारतमें जखन स्वतंत्रताक अभियान चलल, एहिना लार्ड-लेडी, राजा-रानीक मूर्ति पर कारिख पोतब आरम्भ भेल छल. एकर परिणति भारतक स्वतंत्रता में भेल. तथापि, ओहि समयमें गाँधी-नेहरु-पटेल-सुभाष केर मूर्ति स्थापना आरम्भ नहिं भेल छल. क्रमशः अपन राजनैतिक रुझानक अनुकूल आ राजनीतिक शक्तिक प्रदर्शन रूपें समाज, अपन नेता लोकनिक हेतु पार्क-सड़क-चौक-चौराहा हथियायब आरम्भ केलक. जे कनेक बेसी दूरदर्शी छल से हनुमान जीक मूर्ति ठाढ़ केलक. मुदा, समाज आ समाजक सोच निरंतर नदीक धार-जकां बहैत रहैछ. ऊपरसँ  कखनो अकस्मात् कोनो सामाजिक-राजनीतिक बिहाडियो आबि जाइछ, अचानक  कोनो धूमकेतुओ चमकि जाइत छथि. समाजमे आयल  ओहि अचानक  बिहाडिक प्रभावें, वा नव  धूमकेतुक आभामंडलमें समाजमें  सब किछु एकाएक बदलए लगैछ.

कालाकुरिची, तमिलनाडु में डाक्टर अम्बेडकरक मूर्तिक चारुकात लागल लोहाक जाली आ हुनक नाकक सोझ लागल हाई रेजोल्यूशन सि सि टी वी कैमरा एही परिवर्तनक द्योतक थिक !          


Wednesday, January 13, 2021

मोतियाविंदु (Cataract): समस्या आ समाधान

 

मोतियाविंदु (Cataract): समस्या आ समाधान

मनुष्यक आँखिक भीतरक प्राकृतिक लेन्स पारदर्शी होइछ. आँखिक भीतरक एही प्राकृतिक लेन्सक अंशतः या पूर्णतः अपारदर्शिता ( opacity) कें मोतियाविंदु ( cataract )  कहल जाइछ.




आँखिक चोटक कारण मोतियाविंदु: ऑपरेशनसँ  पूर्व आ ऑपरेशनक पछाति 

भारतमें सैकड़ामें पचाससँ  बेसी वयसक व्यक्तिमें आँखिक रोशनीक कमीक सबसँ प्रमुख कारण मोतियाविंदुए थिक. विश्वस्तर पर सेहो वृद्धावस्थामें मोतियाविंदु आँखिक ज्योतिक कमी वा अन्धताक मुख्य कारण थिक. ज्ञातव्य थिक, मोतियाविंदुक रोग, नवजात शिशुसँ ल’ कय वृद्ध धरि, सब वयसमें होइछ. ओना तं प्रत्येक वयसमें मोतियाविंदुक कारण, भिन्न-भिन्न होइछ. किन्तु, बढ़इत वयसक संग होइत मोतियाविंदुक कोनो एकटा कारण कें दोष देब सम्भव नहिं. तथापि, आँखिक लेन्स पर सूर्यक रोशनीक पराबैगनी किरण ( ultra violet rays ) क निरन्तर आ दीर्घकालीन प्रभाव मोतियाविन्दुक प्रधान कारण मानल जाइछ. ज्ञातव्य थिक, डायबिटीज सहित शरीरक विभिन्न भागक अनेक रोग, आ किछु औषधिक दीर्घकालीन सेवन, आ आँखिक चोट आ हानिकारक विकिरणक कारण सेहो   मोतियाविन्दुक होइछ.

एहि लेखमें मोतियाविंदुक लक्षण आ निवारणपर जनसामान्यक रुचिक सूचना देब हमर अभिष्ट अछि. एकर अतिरिक्त, मोतियाविंदुक ऑपरेशनक कखन हेबाक चाही, समय पर ऑपरेशन नहिं भेलासँ की परिणाम भए सकैछ, ऑपरेशनक चुनाव कोना करी, आ ऑपरेशनसँ केहन परिणामक अपेक्षा राखी, ताहि सब प्रश्नक उत्तर एहि लेखमें भेटत.  

मोतियाविंदुक लक्षण

आँखिमें बिना कोनो पीड़ा वा लालीक, रोशनीक धुंधलापन मोतियाविंदुक सबसँ परिचित लक्षण थिक. बढ़इत धुंधलापनक संग दिन-प्रतिदिनक  काज करब असम्भव होबय लगैछ आ अंततः प्रभावित आँखिसँ    केवल इजोत आ अन्हारक अनुमान भए पबैछ. निरंतर, समान गतिएँ विकसित होइत  मोतियाविंदुक संग आँखिक पुतली, अंततः मोती-जकां उज्जर सपेत भए जाइछ, आ पुतली एही रंग, आ एही सुपरिचित लक्षणक कारण एहि रोगक नाम मोतियाविंदु भेल. एकरे मोतियाबिंदुक पाकब ( mature cataract ) सेहो कहल जाइछ. ज्ञातव्य थिक, सब प्रकार मोतियाविंदु रोशनीकें खराब करैछ, मुदा सब प्रकारक मोतियाविंदु अंततः उज्जर नहिं होइछ , पकैछ नहिं !

आँखि पर, सोझे तेज प्रकाश पड़ने आँखिमें चकचोन्ही लागब, तेज रौदमें आँखिक धुंधलापन, एके वस्तु- जेना चन्द्रमा- क अनेक छवि देखबामें आयब , वा रोशनीक श्रोत- बिजलीक बल्ब, कार केर हेडलाइट- क  चारू कात इन्द्रधनुषक रंग-सन घेरा प्रतीत हयब मोतियाविंदुक आन  सुपरिचित लक्षण थिक. एकर अतिरिक्त, बढ़इत वयसमें लगक दृष्टि- जेना पढ़बा-लिखबामें आसानी, आ दूरस्थमें ठाढ़ मनुष्य वा वस्तुकें देखबामें असुविधा सेहो मोतियाविंदुक लक्षण थिक.       

बुझबाक थिक, सब प्रकारक मोतियाविंदु समान गतिएँ नहिं बढ़इछ. फलतः, मोतियाविंदु अछैतो किनको बहुतो वर्ष धरि आँखिसं किछु किछु सूझैत रहैत छनि, तं, कनिको  सालहिं दू साल में आँखिसँ  देखब बन्न भए जाइत छनि. प्रश्न उठैछ, एहन परिस्थिति में मोतियाविंदुक ऑपरेशन  कखन कराबी.

मोतियाविंदुक ऑपरेशन निर्णय कोना करी

सामान्यतया ऑपरेशनक निर्णयक आधार  आँखिक रोगक डाक्टरक सलाहे होइछ. तथापि, जं मोतियाविंदुक कारण दिन-प्रतिदिनक कार्य में बाधा होबय लागय तं ऑपरेशन में बिलंब नहिं करी; ऑपरेशन ले मोतियाविंदुक पाकब आवश्यक नहिं. वस्तुतः, मोतियाविंदुक पकैत-पकैत आँखिक रोशनी एकदमे समाप्त भ जाइछ. तथापि, ई बुझबाक थिक जे सामान्य रूपक मोतियाविंदुक ऑपरेशन इमर्जेसी ऑपरेशन नहिं थिक, तें मास-दू मासक बिलंबसँ आँखिक रोशनीमें कोनो आकस्मिक खतरा हेबाक सम्भावना नहिं होइछ. मुदा, पाकल मोतियाविंदुकें बहुत बिना ऑपरेशनकें रहि गेलासँ आँखिमें ग्लौकों सहित अनेक नव समस्या भए सकैछ. तें, ऑपरेशनकें अधिक दिन नहिंए टारी.

एकटा गप्प आओर, बढ़इत वयसमें आँखिक रोशनीक कमीसँ खसबाक आ हड्डी टुटबाक सम्भावना बढ़ि जाइछ. बुढ़ापामें चोट आ ताहिसँ बिछाओन धरब अपने आपमें घातक थिक. तें, समय रहैत ऑपरेशन, नीक दृष्टि आ आगामी समस्या सबहक रोकथाम हेतु उचित थिक.

ऑपरेशनक हेतु तैयारी

मोतियाविंदुक ऑपरेशनक हेतु बेसी रोगीकें बेसी तैयारीक आवश्यकता नहिं. तथापि, ब्लड-प्रेशर आ डायबिटीजक कंट्रोल हयब आवश्यक. इहो आवश्यक जे देह, मुँह, आ आँखिक लग कोनो घाव-घोस, फोड़ा-फुंसी नहिं हो. यद्यपि, ई सब जांच ऑपरेशनसँ पूर्व नियमतः कायले जाइछ.  

ऑपरेशनक पूर्व औषधि-उपचार

मोतियाविंदुक  ऑपरेशनसँ  पूर्व कोनो विशेष औषधि उपचारक आवश्यकता नहिं. सामान्यतया, ऑपरेशनसँ  एक-दू वा तीन दिन पूर्व पहिनेसँ, ऑपरेशनबला आँखिमें दिन में तीन-चारि बेर एंटीबायोटिक आइ-ड्राप(बूँद) देल जाइछ. ई ड्राप ऑपरेशनक पछातिओ किछु दिन चलैछ. ब्लड-प्रेशर केर रोगी ऑपरेशन दिन सेहो अपन औषधि सामान्य रूपें खाइत छथि. सामान्यतया डायबिटीजक रोगीकें ऑपरेशन  दिन भोरुक औषधि वा इन्सुलिन नहिं देल जाइत छनि. ऑपरेशन केर पछाति रक्तमें सुगर केर मात्राक जाँच होइछ, आ जांच रिपोर्टक अनुसार सुगरक औषधि-उपचार पहिनहिं जारी रहैछ. एहिमें परिवर्तनक यदि कोनो आवश्यकता भेल तं तकर सूचना डाक्टर रोगीकें समय-समय पर दैत छथिन.  

 ऑपरेशनक विधि 

मोतियाविंदुक ऑपरेशन अनेक विधि छैक, जकर विस्तृत वर्णन ने एतय आवश्यक, आ ने संभव. सामान्यतया, फेकोइमल्सिफिकेशन ( phacoemulsification) मशीन वा बिना मशीनकेर ऑपरेशन कयल जाइछ. डाक्टर वा काउंसिलर, रोगी, आ रोगीक परिजन मिलि कय, डाक्टर अपन दक्षता आ रोगक अनुसार , आ रोगी अपन आवश्यकता आ बजेटक अनुसार, ऑपरेशनक विधिक निर्धारित करैत छथि. तथापि, ऑपेरशनक संगहिं आँखिमें कृत्रिम लेन्स लगायब एखनुक ऑपरेशनक सामान्य विधि छियैक. बुझबाक थिक, समान्य लेन्स लगओलाक पछाति रोगीकें पढ़बाक हेतु, नजदीकक रोशनीक चश्मा लगायब अनिवार्य होइछ. यद्यपि, विशेष प्रकारक लेन्स (multifocal लेन्स )क प्रत्यारोपणसँ नजदीकीओ रोशनीक समस्याक निवारण भए सकैछ. किन्तु, multifocal लेन्सक मूल्य बेसी छैक, आ सब रोगी multifocal लेन्ससँ  संतुष्ट नहिं भए पबैत छथि. तें, multifocal लेन्सक प्रत्यारोपण रोगीक व्यवसाय- आवश्यकता , आ वैभव तथा  रोगीक व्यक्तित्व पर निर्भर होइछ.

ऑपरेशनक अवधिमें पीड़ा निवारण ( anesthesia )

वयस्क रोगीक मोतियाविंदुक ऑपरेशनक हेतु बेहोशीक आवश्यकता नहिं. समान्यता, ऑपरेशनसँ किछु मिनट पूर्व आँखिकें सुन्न करबाक हेतु आँखिक डिम्हाक बाहर एक वा दू टा सूई देल जाइत छैक. नव विधिक ऑपरेशनमें ऑपरेशनसँ तुरत पहिने, ऑपरेशन टेबुलहिं पर, केवल आँखिमें  बूँद द’ कय आँखिकें सुन्न कयल जाइछ, जकर प्रभाव ऑपरेशनक किछुए काल पछाति समाप्त भए जाइछ.

ऑपरेशनक पछाति औषधि-उपचार

 ऑपरेशनक पछाति आँखि पर लगाओल पट्टी ऑपरेशन चारिसँ  छौ घंटाक बादहिं हंटा देल जाइछ. पछाति, ऑपरेशन कयल आँखिमें, सामान्यतया, दिन में चारिसँ छौ बेर, दू वा तीन प्रकारक आँखिक बूँद देल जाइछ. एहिमें एकटा एंटीबायोटिक ड्राप, दोसर कोर्टिको स्टेरॉयड (corticosteroid) ड्राप, आ तेसर आँखिक पुतलीकें पैघ करयबला बूंद होइछ. एंटीबायोटिक ड्राप सात सँ दस दिन आ, कोर्टिको स्टेरॉयड (corticosteroid) ड्राप चारिसँ छौ हफ्ता धरि चलैछ पहिनेसँ  चलैत ब्लड-प्रेशर, डायबिटीज आ ह्रदय रोगक औषधि पहिनहिं-जकां चलैत चल जाइछ.

मोतियाबिंदु ऑपरेशनक बादक सावधानी 

मोतियाबिंदुक ऑपरेशन पछाति निम्नलिखित पर ध्यान दी :

  • रोगीकेँ भोजनक कोनो रोक नहिं। टीवी देखि सकैत छी.

  • डाक्टरक सलाह अनुसार आँखिक बूँद नियमित आ निर्धारित समय पर ली। 

  • आँखिकेँ हाथसँ जुनि छूबी। जँ आँखिसँ कखनो पानिओ आबय तँ साफ रुमाल आ तौलियॉं पानिकेन गाल परसँ  पोछि ली, आँखि परसँ  नहिं।

  • कोनो   समस्या भेला पर डाक्टर सं तुरत सम्पर्क करी.

ऑपरेशनक पछाति डाक्टरी जांच  

नियमानुसार ऑपरेशनक दोसर दिन आ ऑपरेशनक चारिसँ  छौ हफ्ताक पछाति आँखिक डाक्टर आँखिक जांच कयल  जाइछ . एहि बीच जं कखनो अकस्मात् आँखि लाल भ’ गेल , आँखिक रोशनी कम भ’ गेल वा आँखिमें पीड़ा भ’ गेल तं अबिलंब डाक्टरसँ संपर्क अनिवार्य. मोन रखबाक थिक, आँखिक जांचमें बिलंब आँखिक रोशनीकें खराब कय सकैत अछि.

ऑपरेशनक सामान्य परिणाम

मोतियाविंदुक ऑपरेशनक परिणाम – स्पष्ट दृष्टि- ऑपरेशनक तुरत देखबा योग्य भ’ जाइछ. किन्तु, व्यक्ति विशेषक आँखि, ऑपरेशनक प्रकार, आ ऑपरेशनक पछाति आँखिमें भेल प्रतिक्रियाक फलस्वरूप आँखिक रोशनीकें सामान्य हयबामें एक-दू वा अधिको दिन लागि सकैछ. एखनुक ऑपरेशनसँ सैकड़ामें 90-95 प्रतिशत व्यक्ति, ऑपरेशनक बाद देल चश्माक संग, डाक्टरी जांचक हेतु उपयुक्त चार्ट- Snellen chart- पर उपरसँ पांच पांती धरि अक्षर पढ़ि लैत छथि. संगहिं, ऑपरेशनक बाद चश्माक संग नजदीकक काजमें सेहो स्पष्ट रोशनी सामान्य थिक.

कखनो काल ऑपरेशनक समय भेल कोनो दुर्घटना वा समस्यासँ आँखिक रोशनीकें सामान्य हेबामे किछु आओर समय लागि जाइछ. मुदा, एहन परिस्थितिमें ई डाक्टरक दायित्व आ रोगीक  अधिकार थिकनि जे ओ आँखिक परिस्थितिक संबंधमें सूचनाक आदान-प्रदान करथि. सामान्य परिस्थितिमें ऑपरेशनक चारि वा छौ हफ्ताक पछाति डाक्टर रोगीलोकनिकें पढ़बाक आ  नजदीकी काजक हेतु चश्माक नंबर दैत छथिन. मोटा-मोटी एही समयमें आँखिक बूँद सब सेहो बंद कय देल जाइछ. जं,कदाचित, ऑपरेशनक समय वा ऑपरेशनक पछाति कोनो दुर्घटना भ’ गेलैक  वा आँखिक परदा- रेटिना वा आँखिक स्नायु-optic nerve- में पहिनेसँ कोनो  रोग होइक तं ऑपरेशनक पछातिक अनुमानित रोशनीक कम हयब स्वाभाविके. अनियंत्रित डायबिटीजक कारण आँखिक परदा- रेटिना- क रोग, ग्लौकोमा, तथा मैकुलर डिजनरेशन( macular degeneration) एहन सब रोग सब म सँ  प्रमुख अछि. एहि सब परिस्थितिक जानकारी रोगीकें ऑपरेशनक पहिनहिं देल जाइछ जाहिसँ  रोगी सब बातकें पहिने बूझथि आ डाक्टर आ रोगीक बीच विश्वास बनल रहय.

ऑपरेशनक दौरान दुर्घटना आ असामान्य दुष्परिणाम

सब प्रकारक सावधानीक बावजूद कखनो-काल  ऑपरेशनक दौरान दुर्घटना हयब सामान्य थिक. दक्ष चिकित्सककें एहि सब परिस्थितिक समाधानक ट्रेनिंग रहैत छनि. तथापि, कखनो-काल ऑपरेशन केर समय  आँखिमें लेन्स लगायब सम्भव नहिं भ पबैछ, मोतियाविंदु  वा लेन्स आँखिक भीतर खसि पड़ैछ, वा दोसर ऑपरेशनक आवश्यकता भ’ जाइछ. मुदा, एहि प्रकार असामान्य दुर्घटना सौ ऑपरेशन में करीब एकटा केस में होइछ. संयोगसँ, एहू सब परिस्थितिमें आँखिक रोशनी पर दूरगामी दुष्प्रभाव कदचिते पड़ैत छैक. किन्तु, रोगी ई सब किछु बूझथि, से उचित.  

ऑपरेशनक पछाति आँखिमें संक्रमण (endophthalmitis) आँखिक रोशनीले सबसँ घातक परिणाम थिक. मुदा, एखनुक चिकित्सा प्रणालीमें एकर संभावना दस हज़ार में एक केसक बराबर अछि. ततबे नहिं, उचित जांच-पड़ताल आ ऑपरेशनक बाद उचित सावधानी आ उपचारसँ ऑपरेशनक बाद आँखिमें संक्रमण (endophthalmitis)क संख्या नगण्य अछि. तथापि, डाक्टर लोकनि एकर विरुद्ध अत्यंत सजग रहैत छथि से, सर्वविदित अछि.

 

   

 

 

 

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