Friday, December 4, 2015

लेते आ मार्फा गाओं , मुक्तिनाथ आ मुस्तांग- 3

मुक्तिनाथ 
मुक्तिनाथ हिन्दू आओर बौद्ध दुनूक पवित्र तीर्थ थिक . तिब्बती भाषामें मुक्तिनाथ  'छुमी ग्यार्चा' कहबैत छथि. सुनैत छी, वैष्णव धर्मगुरु लोकनिमें प्रसिद्द अडवार सन्त प्रणीत 'दिव्य प्रबन्ध' में मुक्तिनाथक विवरण पाओल जाइछ .
आजुक दिन कोनो देश, तीर्थ ,पर्यटन स्थल एहन नहिं जकर विवरण विकिपीडिया में नहिं भेटत ; विकिपीडिया सब भाषा में उपलब्ध छैक. तें , मुक्तिनाथक ई  वर्णन हमर अपन यात्रा पर आधारित अछि .
जेना पूर्वमें कहल , मुक्तिनाथ जेबा ले बस वा वायुमार्ग सं जोमसोम,मुस्तांग  पहुंची . हमरा लोकनि फ्लाइट सं जोमसोम गेल रही . जोमसोममें हमरा लोकनि ' Om's Home' नामक होटल में डेरा देल . होटलक लगहिं में पर्यटन केंद्र छैक जतय अपन परमिटक एंट्री  करबय पड़ल . नदी सं पहिनहिं बाटमें नेपाली सेनाक पर्वतारोहण विद्यालय छैक. ओतय सं मुक्तिनाथ दिस जेबाले करीब  गोटेक किलोमीटर पैदल यात्रा करैत काली गण्डकीक लकड़ीक पुल पार करैत गाम बाटें टैक्सी स्टैंड धरि गेलहु . शेयर्ड जीप-टैक्सीमें प्रायः नेपाली रुपयाँ 300  प्रति सीट ( दुनू पीठक यात्रा भाडा ) ल कय मुक्तिनाथ ले बिदा भेलहुँ . 


गाओंक आगू बाट कालीगण्डकी नदीक धार आ flood plains कें पार करैत आगू बढ़इत छैक . बाटमें कागबेनी   गाम अबैत छैक . श्रद्धालु  लोकनि  कागबेनीमें पितर लोकनिक प्रति पिंडदान सेहो करैत  छथि .कागबेनीसंआगू रास्ता दू दिस फुटइत छैक . पूब दिस जाइत  सड़क मुक्तिनाथक बाट थिक . बामा दिसुक बाट तिब्बतधरिक  दिसक दोसर ट्रैकिंग रूट थिकैक . बाम दिसक उपत्यकामें आबादी आ हरियरी छैक. मुक्तिनाथ दिसक   परिदृश्य  लद्दाखक शीत-मरुभूमि सन : पाथर , बालु , रोड़ी आ उपर चढ़इत घुमावदार सड़क . एहि बाटपर पांव-पैदल जाइत ट्रेकर-पर्यटक  सब सेहो भेटताह . मोटर ट्रांसपोर्ट पैदल यात्री ले असुविधा थिकैक . पर्यावरणक प्रदूषण अलग . मुदा, इएह थिकैक विकासक मूल्य ! करीब घंटा भरि यात्राक पछाति रानी पौवा गाओं . विलोकेर गाछ , लोकक आवास , टैक्सी स्टैंड , खेती, इत्यादि . गाओं में छोटे-सन बाज़ार आ होटल सब छैक. पूजा-अर्चनाक सामग्री सेहो भेटत. विष्णुक प्रतीक शालिग्राम कालीगण्डकी नदीमें पाओल जाइछ. तें एहि इलाकामें सर्वत्र दोकानदार सब असली शालिग्राम रखबाक दाबा करथि  तं से स्वाभाविक.
टैक्सी स्टैंड सं मुक्तिनाथक  मंदिर  करीब 2 किलोमीटर दूर आ ऊँच पहाड़ी पर . बूढ़ , अस्वस्थ आ अशक्त भक्तले  किरायाक मोटर साइकिल उपलब्ध  छैक . मोटर साइकिलसं  यात्री   मन्दिरक सीढ़ी  धरि पहुंचि सकैत छथि . तथापि मंदिर पहुँचबाले पचास साठि सीढ़ीतं चढ़हिं पड़त .मुदा, सब दिन मोटर साइकिल भेटत तकर कोनो ठेकान नहिं . हम जहिया रानीपौआ पहुँचल  रही , मोटर साइकिलक हड़ताल रहैक. लोक की करैत, जकरो  नहिं सक्क सेहो  लगैत-लगैत सब गोटे मंदिर धरि गेलहुं आ आपसो एलहुं.  




मंदिर छोट आ छोटे परिसर . मंदिरक पछुएतमें 108 टा जलधार . सद्यः पिघलैत ग्लेशियरक जल में स्नानक कय  भेल माथ दू फांक भ जायत . मुदा स्नानक पछाति अपूर्व  स्फूर्ति .  बैसल मुद्रा में आदमकद विष्णुक  भव्य मूर्ति. दर्शन कयल. जय मुक्तिनाथ ! दक्षिण भारतक वैष्णव  दस-बीस युवक आ बृद्ध श्रद्धालु लोकनिक   भेटलाह . तथापि कुल मिलाकय , एकबेर में मोसकिल सं कुल पचासों साठि भक्त/ पर्यटक नहिं . एहने  तीर्थ में शान्ति सं पूजा , मनन -ध्यान, आ अराधना संभव छैक . तिरुपति , श्रीरंगम, वा गुरुवायुर में तं तीर्थयात्री  प्रतीक्षा आ पांतीए में थाकि जाइछ . तें हमरा ई स्थान  नीक लागल. मंदिर  एतय पंडा पुरोहितक झंझट नहिं . मंदिरसं थोडबे दूर पर प्राकृतिक गैसक  पुरातन ज्वाला - ज्वाला माई. आस-पासमें  अनेक बौद्ध स्मारक-- छोरतेंन. बौद्ध संस्कृति में प्रत्येक शुभ आ स्मरणीय अवसर पर छोट-पैघ स्तूपनुमा स्मारक बनयबाक परम्परा छैक . एहि छोट-छोट स्तूप कें 'छोरतेन' कहल जैत छैक. आसपास छोरतेन एहि तथ्यक द्योतक थिक जे एतय पुरातन कालसं बौद्ध श्रद्धालु लोकनि अबैत रहल छथि , पूजा अर्चना करैत छथि , आ समाधिस्थ भेल छथि. ई छोरतेन सब   ( बौद्ध स्मारक सब ) तकरे द्योतक थिक .
मंदिर परिसर में विलोकेर अजस्र गाछ छैक. मुदा, एखन सब पत्रहीन नग्न गाछ !
मुक्तिनाथमें हमरा अत्यंत शान्तिक बोध भेल. मुदा, मुदा ग्रुप-टूर में कतहु बैसिकय शान्तिक अनुभवक कतय फुरसति . केवल देखू , आ चलू . तथापि मंदिर परिसर सं बहराइत द्वारिसं बाहर सीढ़ीसं नीचा एलहु आ सड़कक कातमें, खुला में बेंच पर बैसलहु. ऊँच हिमालय, अपूर्व शान्ति, निर्मय वायु  आ क्षितिजक निर्बाध प्रसार.  शीतल हिमालयक पवित्र प्राकृतिक  वातावरण में  प्रचूर शुद्ध हवासं दुनू प्राणी फेफड़ा भरलहु. अहा !आनन्द ! निर्मल नील आकाश आ दूर धरि पसरल क्षितिज देखि  क  मोन कृत-कृत्य भ गेल. जय मुक्तिनाथ . 
 घुरती में रानी पौआ गाओं में टटका, धीपल भात , रहडिया- बोड़ीक दालि, आ स्थानीय साग केर भोजन में जे आनंद आयल से फाइव स्तर होटलमें कतय ? ताबते कनेक हिमपात भेलैक आ हमरा लोकनिक यात्राक आनन्द दूना  भ गेल .  

Thursday, December 3, 2015

लेते आ मार्फा गाओं , मुक्तिनाथ आ मुस्तांग- 2

                                                                           मार्फा गाओं 

नेपालक बासिन्दा वा पर्यटक, ताजा , लाल आ रसगर  मार्फा-एप्पल (Marpha apple) सं परिचित होथि से सम्भव . मुदा , ई संभव जे मार्फा कतय छैक से बूझल नहिं होइनि . 
मार्फा  पोखरा-जोमसोम सड़क पर , जोमसोम सं किछु मील पहिने एकटा विशिष्ट गाओं थिक . ई गाओं मार्फा-सेव ले प्रसिद्ध अछि से भिन्न गप्प . मुदा , एहि गामक विशिष्टतामें सेव मात्र एके टा बिंदु थिक . भारतीय आ विकसित देशक पर्यटक आ विशेषतः पोखरा सं मुक्तिनाथ धरि वा ओहिसं आगूक पैदल यात्री लोकनिक हेतु मार्फा एकटा मुख्य पड़ाव आ दर्शनीय गाओं थिक .

 मार्फा मुख्य सड़कक कात में बसल अवश्य अछि. मुदा , मुदा मार्फा धरि अहाँक गाड़ी नहिं जायत . बुझलियैक ? नहिं ने ? मार्फा मोटर गाड़ी विमुक्त गाओं थिक . तखन जायब कोना ? चरैवेति ! पहाड़ सबमें जेना होइत छैक , पूरा गाओं ऊँच पहाड़क एक पक्खापर बनल सड़कक काते-काते पसरल छैक. गाओं सड़क केर समानांतर पोखरा-जोमसोम सड़क छैक. मुदा, मार्फा जेबाक हो तं मुख्य मार्ग छोडि गाओं दिस आउ , गाओंक  बाहर गाड़ी ठाढ़ करू . गामक बाहरक विशाल  प्रवेश-द्वार बाटें गाओंमें पैसू  आ पैदल विदा होउ . गामक दोसर छोर पर दोसर द्वारि पर गाम सं बहराउ आ मुख्य सड़कपर आबि  गाड़ीपर  बैसू आ जतय मोन हो चल जाउ .
जोमसोम दिससं जखन मार्फामें प्रवेश करब तं आरम्भेमें  प्रागैतिहासिक वृक्षक एकटा बड़का जीवाश्म सड़कक  कातहिं  में  देखबैक . आगू  बस्तीपर पारंपरिक आवास , बौद्ध- मन्दिर ( गुम्बा) आ अनेकानेक होटल छैक . खेतमें गहूम , आलू , आ बगीचामें मौसम केर अनुसार सेवकेर  फूल , कोंढ़ी , बतिया , वा खेबा योग्य  फल भेटत . गाओंमें झरनाक शुद्ध जलक झाँपल नाला  सड़कक कटे-कात बहै छैक . प्लस्टिक केर प्रयोग आ जहां-तहां कूड़ा फेकब  वर्जित छै . गामक सफाईले गौआं लोकनि तत्पर रहैत छथि आ पार लगाक गाओंक सफाई करैत छथि 
 नागरिक लोकनि कहलनि , विगत 400 वर्षमें मार्फा वासीक जीवन पद्धति में कोनो परिवर्तन नहिं भेलैये. ई  विश्वास गप्प विश्वास करब असम्भव  . सड़क आ वायुमार्गक विकास , विदेशी पर्यटक केर आवाजाही , शिक्षाक प्रसार , उच्च शिक्षित समुदायक समुद्रपारक नौकरी आ डॉलर केर आमदनीसं जीवन-पद्दति  अछूत रहत से तं सत्यकें फुसिआयब भेल. ताहि पर सं सर्वव्यापी एन जी ओ;  नेपाली लोकनि , व्यंगसं एन जी ओ लोकनिकें 'डलर किसान ' कहैत छथिन.  मुदा एतबा अवश्य जे गामक खेती , पर्यावरण, सामजिक व्यवस्था, सफाई आ जलापूर्तिकें आधुनिकतासं बंचबैले गौआं लोकनि अवश्य तत्पर छथि  . 
हमरा लोकनिक विद्यार्थी डाक्टर विष्णु शेरचन आ आओरो अनेक सहकर्मी डाक्टर लोकनिक घर आ होटल एतय  छनि; मोटा-मोटी जतेक घर ततेक होटल वा 'होम-स्टेड'. हमरा लोकनि डाक्टर विष्णुक ओतय भोजन-भात केलहु . बहुत सत्कार , बड आग्रह आ अपूर्व सौजन्य . भेल जेना कोनो अपन कुटुम्बकेर ओतय आयल होइ  . होटलक स्वामी भोजनक मूल्य लेबाले तैयार नहिं . हमरा लोकनि बहुत गोटे रही, संकोच भेल . अंतत , महिला लोकनि अपन वाकपटुता सं बतौर 'टोकन ' किछु टाका देबा में सफल भेलीह .
 एहि गाओंसं, ऊँच पहाड़ दिस अनेक  ट्रैकिंग रूट छैक. तें बहुतो पर्यटक मार्फा देखैत आगू जाइत  छथि वा मार्फा आबि पर्वतारोहणक  अभियान आरम्भ करैत छथि . तें मार्फा गाओंक  समृद्धि में पर्यटनक प्रमुख योगदान छै से के नहिं मानत .
    

Wednesday, December 2, 2015

लेते आ मार्फा गाओं , मुक्तिनाथ आ मुस्तांग

लेते आ मार्फा गाओं , मुक्तिनाथ (मुस्तांग जिला , नेपाल)
नेपाल क मुस्तांग जिला अनेक कारण सं सुपरिचित छैक . धर्मप्राण लोक ले मुस्तांग मुक्तिनाथक इलाका थिकनि. पद-यात्राक लोभी पर्यटक ले मुस्तांग  अति  मनोरम  इलाका थिक . नग्न पहाड़ , कल-कल बहैत नदी , हरियर खेत , दुर्गम बाट , आ रहस्य-रोमांच ; की नहिं छैक मुस्तांग में !
हमरा नेपाल प्रवास केर अवधिमें  दू बेर मुस्तांग जेबाक अवसर भेटल . पहिल बेर तं यात्रा पूर्णतः धार्मिक छल . दोसर बेर मेडिकल कैंप में गेल रही . दोसर यात्रामें मुक्तिनाथक अलाबा दोसरो स्थान सब देखलहुं . तें दुनू यात्राक अनुभव हमर मुस्तांग यात्राकें पूर्ण केलक .

मुस्तांग जिलाक बाट नेपालक प्रमुख शहर पोखरा बाटें छैक . पोखरा सं सड़क मार्ग आ वायुमार्ग दुनूक विकल्प छैक. हवाई जहाज सं बीस मिनट लगैत छैक , बस आ कार सं प्रायः 12 घंटा. पद-यात्रा में 11-12 दिन . जकरा जतेक समय आ जेहन रूचि . हम दुनू बेर हवाई जहाज सं मुख्यालय जोमसोम धरि गेलहु . जोमसोम सं आगू मुस्तांग जिलाक बांकी यात्रा मोटर गाड़ी सं भेलैक.
जोमसोम हवाई अड्डा लग छोट सन  बाज़ार छैक . बाज़ारमें बेसी होटल , किछु दोकान-दौड़ी आ सरकारी पर्यटन कार्यालय छैक . हवाई अड्डासं बहरायब तं दाहिना दिस बिदा हयब तं मुक्तिनाथक बाट छैक . बामा दिस सड़क पहिने काली गण्डकी पार करैछ आ तखन मार्फा होइत लेते. आगू , गलेश्वर, बेनी , बाग्लुंग , कुसुमा  होइत सड़क पोखरा धरि जाइछ . मेडिकल कैंप ले हमरा लोकनि लेते गेल रही तें  लेते गाओंक चर्चा  .

लेतेक डायरी  
जोमसोम पोखरा मार्ग पर लेते एकटा छोट सन  गाओं थिक .आजुक सर्वज्ञ पितामह 'गूगल' के पुछबनि (2010 में ) तं  लेतेक कोनो चर्चा नहिं . तें, हम जखन गूगल सं जिज्ञासा कयलियनि तं गूगल गुम्म भ गेलाह . माने, अपने जाऊ , देखि आउ . 
जोमसोम सं लेते धरिक यात्रामें बस सं करीब डेढ़ घंटा लागल छल . ऊँचाई २५३० मीटर . लेतेमें हमरा लोकनिक रहबाक व्यवस्था 'कालोपानी ' नामक गेस्ट हाउस में छल; लेते में छोट पैघ , गोड दसेक होटल-गेस्ट हाउस हेतैक .   कालोपानी गेस्ट हाउसक समीप एकटा हाई स्कूल - ज्ञानोदय माध्यमिक विद्यालय . हमरा लोकनिक 'होस्ट' Green Village Ventures एही  स्कूल में हमरा लोकनिक (मणिपाल मेडिकल कॉलेज, पोखराक डाक्टर लोकनिक ) सहायता सं मेडिकल कैंप लगौने छथि . स्कूलक लगहिं एकटा बौद्ध मन्दिर - 'सुल्टिम  गुम्बा ' , प्रहरी पोस्ट, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, आ टेक्निकल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट छैक . (एहन छोट जनसंख्याक गाओंमें एकठाम   एतेक रास सुविधा नेपालेमें देखबैक . बिहारमें तं असंभव !)





गामक आबादी सड़कक काते कात बसल छैक . गाय -मालक गोठुला , मालक थरि , आ खेत पथार , जेना गाओं में होइत छैक, एतहु छै . गाम में पाइप द्वारा पेय जलक आपूर्तिक व्यवस्था छैक . ऊपर सं लोक  अपन -अपन टंकी सेहो लगौने अछि . लोक स्वास्थ्य संरचनाक दृष्टिए तें हम नेपाल कें भारत सं आगू बूझैत छियैक .
कालोपानी गेस्ट हाउस में गोड बीसेक कोठली हेतैक . संगहिं खान-पानले रेस्तोरां. रूम सब ऐल-फैल . अटैच्ड बाथरूम . टीवी , फ़ोन नहिं . नीके . रेस्तोरां में ढूध , आ बिनु दूधक, चाह  उपलब्ध हयत . जलखैमें ब्रेड, मधु , रूहार्बक जाम , मक्खन , अंडा , पूड़ी-सब्जी . भोजनमें दुनू सांझ भात-दालि , साग , आलू-बंदगोबी , बोड़ीक तरकारी , मासु /चिकन आ सलाद-पापड़ -अचार , फिल्टर्ड पानि . पश्चिमी शैलानी ले पिज़्ज़ा , हैश-ब्राउन, आ केक सेहो भेटैत छैक . स्टाफ दुभाषिया/ बहुभाषी  आ विनम्र .

लेते गाओं में मेडिकल कैंप 
पहिल दिन मेडिकल कैंप करीब 11 बजे आरम्भ भेलैक. कैंप आरम्भ हेबा सं पूर्व  गामक महिला लोकनिक सामुदायिक स्वागत : गीत-गान , लाली गुडांस केर माला आ अद्भुत स्नेह . स्वभाव में सरल आ सौजन्य में बेजोड़. एतेक नीक स्वागत नेपाल छोडि आन  ठाम असम्भव . पहिल दिन 59 टा रोगी ; रोगी देखैत-देखैत पां च बाजि गेलैक . हमर सहायक श्री पशुपति बराल जेहने मेहनतिया, स्वभावक तेहने नीक आ कार्यकुशल .रोगी देखलाक  पछाति एसगरे टहलय चल गेलहुं. सांझ में सहकर्मी डेंटिस्ट लोकनि शिकायत केलनि ; 'एसगरे किएक गेलहुं ? हमरो लोकनि जैतहु' . अस्तु, दोसर दिन डेंटिस्ट स्मृति भंडारी , आ मेघा सेरचन सेहो संग भ गेलीह . वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञ डाक्टर आलूरकर सेहो रहथि .हमरा लोकनि एकटा खुडपेरिया  बाट पकडि चलि  पड़लहु .छायादार जंगल आ पाइन-नीडलक गलीचापर  गुज-गुज बाट . कनेक आगू जा कय फुलाइत लाली-गुडांसक गाछ सेहो भेटल . एतुका ऊँचाई सं उपत्यकाकेर तलहटी आ काली गण्डकीक धारक विहंगम दृश्य मनोहारी लागल .शीतल वायुक स्पर्श , बुन्निक फुहार आ मनोरम दृश्य आओर आगू जयबाले लोभबैत छल . मुदा , झलफल सांझमें पहाड़ी बाट मोहक आ जान लेबा दुनू भ सकैत अछि . तें, आपस होटल घूरि अयलहु . भोजन -भात गप्प-सप्प भेलैक . मुदा , कैंप-फायर होइत ततेक राति भ गेलैक जे तामसे सामूहिक आंनदक लोभ त्यागि  बिछाओनक शरण धयल .  







Tuesday, November 24, 2015

जखन बड दुखी होइ

दू दुनिया : दू मनुखक मनोभाव , एके स्वभाव 

                                                                            1
किछु दिन पूर्व सुतली रातिमें मन व्याकुल भ गेल छल . सोचल व्याकुलताक प्रहार सं बचाव कोना करी जे निन्न भ जाय  . सोचल,किछु नीक सोची, तं, निम्नवत कविता/ गद्य क सृजन  भेल

मन जखन बड दुखी होअय 
मोन पाडू  सिनुरिया आम,
अप्पन गाम,
 कमलाक धार
 नासीक भेंटक फूल
अप्पन सबसँ पहिलुका इस्कूल
चढ़ि जाऊ  लतामक गाछ, आमक डारि
छरपू  डारिए डारि !
चढ़ि जाऊ फुनगी,
 मोन नहिं हो तं जुनि ने उतरी !!
फुनगीपर सं देखिते  आकाश ,
सबतरि प्रकाश,
उधिया जाइछ सन्तापक करिया मेघ,
चमकै छथि भोरुका सुरुज, होइछ विहान,
लगइए जनमि कय एखने भेलहु ठाढ़
आ एहन पावन बेला में कथी केर सन्ताप !!!!

कविताक सुधि सं निन्न भ गेल.


                                                                                   2 
परसू राति  'साउंड ऑफ़ म्यूजिक' नामक पुरान सिनेमा देखय लगलहु,  तं, एकटा प्रिय गीत मोन पड़ल

                                      Raindrops on roses and whiskers on kittens
                                      Bright copper kettles and warm woollen mittens
                                      Brown paper packages tied up with strings
                                      These are a few of my favorite things
                                               ................................................
                                       When the dog bites, when the bee stings
                                       When I'm feeling sad
                                       I simply remember my favorite things
                                       And then I don't feel so bad.

                                              Courtesy Lyrics by : OSCAR HAMMERSTEIN LIL RICHARD RODGERS

                                                                                                         Film: sound of Music
पूव आ पश्चिम केर कतेक दूरी आ सोच में कतेक साम्य ! आखिर मनुक्ख मोन तं प्रायः सबतरि  एकेरंग होइत छैक !
                                   
           



Sunday, August 23, 2015

युद्ध


युद्ध

युद्ध वर्चस्व स्थापित करबाक सामूहिक अभियान थिक ; मनुष्यक मनुष्यपर , मनुष्यक राज्यपर; आ राष्ट्रक राष्ट्रपर वर्चस्व . सबठाम आग्रह एके - वर्चस्व .मुदा, युद्ध सत्यक रक्षाले होइक वा अधिकार पयबाले, हारि मनुष्येक होइछ . ततबे नहिं, सत्य समय सापेक्ष होइछ आ अधिकार शक्ति सापेक्ष . संगहिं,  सत्य विश्वासक विषय थिक आ विश्वास धारणाक. मुदा युद्धकेर असली सत्य होइछ , सबलकेर विजय आ दुर्बलक पराजय . विजय पराजयकें शक्तिसं सम्बन्ध  छैक, सत्य सं नहिं. तें,  विजय ककरो होइक पराजय तं मानवतेक होइछ. सेनापति पयर पुजबैत  छथि : प्राणतं  अदना मनुक्खे गमबैत अछि, अकालमें वएह काल कवलित होइछ . इएह थिकैक युद्धकेर सार आओर अंतिम सत्य .  

Sunday, June 21, 2015

गुरुवर जीव नारायण दास केर पुण्य-स्मृति मे

                                                             गुरुवर स्व. जीव नारायण दास       
सनातन काल सं गुरूक महिमामें बहुत किछु कहल गेल छैक . सारांश जे मनुष्यकें आँखि स्वतः भेटैत छैक , किन्तु दृष्टि गुरु दैत छथिन . हमरा लोकनिक बाल्यकालमें जखन शिक्षा बेच-बिकिनक वस्तु नहिं रहैक , समाजमे कुशल गुरुक बड सम्मान होइनि . हमरा लोकनिक दलानपर कोनो शिक्षकक डेरा नहिं रहनि  आ ट्यूशन पढ़बाक ने उपाय छल आ ने ट्यूशन पढ़बके नीक बूझल जाइत छलैक . तें हमरा लोकनि पूर्णतया स्कूलक शिक्षकपर निर्भर रहैत छलहु . तें , जे किछु सीखल , जे किछु गुनल सबटा गुरुएक देन थिक . स्कूली शिक्षाक एगारह वर्षमें कतेको शिक्षक भेटलाह . सबसं किछु ने किछु सिखलहु . किन्तु , कांच वयस आ जिज्ञासु मनःस्थिति में जे शिक्षक विद्यार्थीमें  जिज्ञासा जगेबामें सफल होइत छथि छथि आ विद्यार्थिक जिज्ञासाक समाधान  करैत  छथि ओएह शिक्षक छात्रक आदरक पात्र होइत छथि. एहन शिक्षककें  छात्र कोना बिसरि सकत . गुरुवर जीव नारायण दास एकटा एहने व्यक्तित्व छलाह .
१९६७ ईसवीमें जहिया हम महादेव-पूरण टिबरेवाल उच्च माध्यमिक विद्यालय , झंझारपुरमें आठवां वर्गमें नाम लिखओने रही, सिमरा निवासी   स्व . जीव नारायण दास ओतय प्रधानाध्यापक रहथि .कद आ बान्हमें मध्यम ,रंगमें पिण्डश्याम,व्यवहारमें अनुशासित आ मृदुभाषी;  हेड-मास्टर साहेब सबहक प्रिय रहथि .विद्यार्थी सबकें नेना जकां बुझथिन आ पढ़यबामें सबहक सुधि रहनि . अंग्रेजी साहित्यक गहन अध्ययन रहनि आ मैथिली लिखबाक रूचि रहनि . रामनारायण शास्त्रीकेर लिखल पुस्तक 'भक्त आओर भगवान' केर  .हुनकर (जीव नारायण दासक ) मैथिल अनुवाद हमरा लग एखनहु अछि. पछाति आओर किछु प्रकाशित भेलनि कि नहिं, से बूझल नहिं. मुदा, हेड-मास्टर साहेब  हमरा लोकनि कें अंग्रेजी आ मैथिली साहित्य पढ़ाबथि . साहित्य पढ़बैत -पढ़बैत ओ अनायास  बाइबिल आ शेक्सपियरक  धरि पहुंचि जाथि . देहातक स्कूल में तहिया कुशल शिक्षक भेटब कठिन रहैक . मुदा हमरा लोकनिक स्कूल ओहि मामलामे भाग्यशाली छल . जीव नारायण दासक संग पंडित बनखंडी मिश्र , मदनेश्वर  ठाकुर आ महेश्वर सिंह सन कुशल शिक्षक लोकनि रहथि . हुनके लोकनिक छत्र-छायामें टिबरेवाल स्कूल शिक्षाक क्षेत्रमें सम्पूर्ण इलाकामे सुपरिचित छल .
मुदा, हमरा जीव नारायण दास किएक मन पड़ैत छथि ? हमरा जनैत ओकर एके टा कारण छैक : मास्टर -साहेबक जीवने हमरा लोकनि ले आदर्श जीवन पद्धति उदहारण छल . जे सिखाबथि , सेह करथि . कहब आ करबमें कनेको भेद नहिं . मास्टर साहेबक इएह गुण स्कूल छोडलाक चौवालीस वर्ष बाद हमर स्मृति  मास्टर साहेबकें अमर बनौने छनि. हाल में हमर एकटा कश्मीरी सहकर्मी एकटा दोहा सुनौलनि :
                              गुरु कुम्हार सिख कुम्भ है , गड़-गद  काढ़े खोट ,
                              अंतर हाथ सहार दे , बाहर बाहे चोट .
हमर हेडमास्टर साहेब, गुरुवर जीव नारायण दासजी, एहने कुम्हार छलाह . सादर नमन .   
  

Tuesday, May 26, 2015

एहि बेरुक पटना यात्रा : दू टा विन्दु , दू टा विचार



1

‘पेपरक छपाइ एतेक मेंही होइत छैक जे वृद्धले पढ़ब असम्भव ' - पंडित गोविन्द झा ’

पटना जाइत छी तं सुप्रसिद्ध साहित्यकार  पंडित  गोविन्द झाकें यदा-कदा भेंट करैत छियनि. एहि बेर हुनका सं भेंट करय गेलहु, तं, हुनका लाठी हाथें चलैत देखलियनि. हुनकहिं शब्द में , ‘ आँखि झलफल, हाथ थर-थर , पयर लट-पट .... ‘. सब किछु वृद्धावस्थाक दोष . तथापि गोविन्दबाबूक स्मरण ओहिना स्पष्ट छनि, तर्क-शक्तिक धार एखनहु नव पिजाओल चक्कू सं तेज छनि, आ वाणी सुस्पष्ट छनि. हम अपना संग अपन लिखल किछु कथा सब ल गेल रही. हमरा गौरव अछि , गोविन्द बाबू हमर कथा संग्रह ‘ किछु नव गप्प, किछु पुरान  गप्प‘ केर समीक्षा लिखने रहथि आ ओहि संग्रहक कथा ‘ किछु नव गप्प, किछु पुरान  गप्प‘ केर विशेषतः प्रशंसा केने रहथि . एहू बेर कथाक पांडुलिपि हमरा संगमे छल. पुछलियनि, अपने कही तं ई ( पाण्डुलिपि ) अपने लग छोड़ने जाइ .’ गोविन्द बाबू कहलनि, झलफल आँखिक दुआरे पढ़ब कम भ गेले. इन्टरनेट पर पढ़ि लैत छी . हम कथाक पाण्डुलिपिक सॉफ्ट-कॉपी हुनकर लैप-टॉपमें लोड क देलियनि. गोविन्द बाबू गप्पक क्रममे कहलनि, ‘दुनू आँखिकमें बाम आँखि कनेक बेसी ख़राब अछि, दाहिना सं काज चलैत अछि. एखनधरि मोतियाविन्दुक ऑपरेशन नहिं  भेले. डाक्टर कहैत छथि, एखन जतबा सूझैत अछि , ऑपरेशन सं ताहि सं बेसी नहीं सूझत. पहिने पेपर – समाचारपत्र में समय बीति जाइत  छल . मुदा, पेपरक छपाइ एतेक मेंही होइत छैक जे पढ़ब असम्भव. यद्यपि, पेपर–समाचारपत्र पढ़निहारमें बेसी संख्या  बूढ़-बूढ़ानुसेक  छनि तथापि पेपर छपाइकाल  पेपर –समाचारपत्रक प्रकाशक पेपर पढ़निहारक एहि पैघ वर्गकें बिसरि जाइत छथि.’
सत्ये. अमेरिकामें देखने रहियैक, ‘रीडर्स डाइजेस्ट’ पत्रिका मोट छपाइबाला संस्करण सेहो प्रकाशित करैत अछि . कमजोर आँखिक लोककें ताहि सं पढ़बामे सुविधा होइत छैक . मुदा, हमरा लोकनि  वृद्ध लोकनिक प्रति  किएक उदासीन छी ! जीवनक अवधि बढ़तैक तं देखब–सुनब कम हयब स्वाभाविक छैक. समाजकें ई नहिं  बिसरबाक थिक . सोचैत छी, बच्चा, बूढ़, वयस्क , नारि , विकलांग केर खियाल जं  अपन समाज नहिं रखतैक तं अओर कोन उपाय छैक .  

2
‘नहीं भी लिखने आता है, सर सबको पास कर देते हैं ’

कतबो कानून बनौ समाजमे परिवर्तन तखने औतैक जं समाज परिवर्तनले दृढ़संकल्प हो. अन्यथा, कानून, कानूनक किताबे धरि सीमित रहत. एहने किछु अनुभव हमरा एहि बेरुक पटना यात्रा में भेल. प्रसन्नताक विषय थिक,एखनुक युग में  सर्वशिक्षाक अभियान जोर पकड़ने छैक. मुदा, ई अभियान लक्ष्य  प्राप्तिमें कतेक धरि सफल भ रहल अछि से बड़का प्रश्न थिक . राज्य सरकारलोकनि  बढ़ि-चढ़िकय अपन-अपन उपलब्धिक गाल बजेबा में तत्पर छथि . मुदा  चुनावक समयक  बड़का-बड़का पोस्टर, सरकारी आंकड़ा आ समाजक उपलब्धिक बीचक खाधिकें पाटि नहिं  पबैछ . सरकारी प्रचार आ पोस्टरक खर्चा तं  जनता  बहन करिते  अछि. सरकारकें आंकड़ाले बेसी किछु करय नहिं पड़ैत छैक. स्कूलक एडमिशन, पढ़ाइ, परीक्षा, आ सरकारक उपलब्धिक आंकड़ा  सबटा कागजहिं पर बनैत छैक. जहां-तहां ई गप्प सुनैत तं छियैक . मुदा, पटनाक हालक यात्रामें सरकारी दाबाकें पुनः ध्वस्त होइत देखलहुं . पटनामें घरमें काज केनिहारि खबासनी प्रतिदिन अपन बेटीकें संगे आनि काजमे लगा दैत छलैक, से देखियैक . हमरा बड कोनादन लागय . हम कतेक बेर कहलियैक , एना बच्चाक पढ़ाइ कोना चलतैक, एकरा स्कूल जाय दियौक . मुदा, ओ किएक सुनतिह . खबासनीके बेटीसं जेठ अओर बेटालोकनि  छथिन.  मुदा, झाड़ू-बुहारू काज बेचारी बेटिये करथु . जे किछु . एक दिन ओही बच्चाकें, सीता-गीता-कमला-विमला, नाम जे किछु होउक, हम अपना लग सोर  केलियैक .  कहलियैक, चिट्ठी लिखय अबैत छह ? छौडी मुसिकी देबय लागल . हम कहलियैक, बैसह . छौडी लगमे बैसि गेल . हम रुलदार कागजकेर एकटा पन्ना आ पेन्सिल अनलहु आ बच्चाकें दैत कहलियैक, ‘तोहरा कापी किनबाले पचास टाकाक काज छह . मायक नामे चिट्ठी लिखह , पचास रुपैया कापी किनबा ले चाही .’बच्चा तुरत एक पांती में चिट्ठी समाप्तकय हमरा हाथमे पकड़ा देलक ; सारांश में लिखल छलइ ,
      ‘ममी , कापी खरीदने के लिए पचास रुपया दो ‘
हिज्जेक अशुद्धि तं छोडिए  दियअ . हम पुछलियैक चिट्ठी नहिं लिखय अबैत छह ? बच्चा फेर हंसय लागलि . हम बच्चा कें लग में बैसा चिट्ठी लिखबय लगलहु. पत्रकेर डिक्टेशन  सात-सं-दस पंक्तिमें समाप्त भ गेलैक . मुदा, अनगनित अशुद्धि. सतमा वर्गक छात्रा. पत्र धरि लिखय नहिं अबैत छैक. हम हताश भ गेलहुं . हमरा लोकनिकें पांचम वर्गमें आचार्य रामलोचन शरणकेर ‘पत्र-चन्द्रिका’क  माध्यमे चिट्ठी लिखब सिखाओल गेल छल . ओहि युग में प्राथमिक विद्यालय में सातवां पास- ‘ मिडिल ट्रेंड’- शिक्षक लोकनि रहथि . ओ लोकनि कम-सं –कम भाषा आ गणित में अवश्ये दक्ष होथि. आइ धरि बी ए , एम ए- शिक्षा-मित्र सं ल कय स्थायी शिक्षक धरि – मडुआक दोबड उपलब्ध छथि .  मुदा, ई सातम वर्गक कन्या अपन मायक नामे पत्र धरि नहिं  लिखि सकल. स्वाइत सबतरि सब सर्टिफिकेट आ परिचय पत्र अशुद्ध छपैत छैक.  हम बच्चाकें पुछलियैक, ‘पढ़ैत नहिं छहक ? सातम वर्ग में छह !’ छौडी फेर हंसय लागलि, लजाइत बाजलि ,नहीं भी लिखने आता है न , सर सबको पास कर देते हैं !’
हमरा सरकारक आंकड़ा आ  सर्वशिक्षा अभियानक सफलता,  दुनूक, सत्यता बुझबा योग्य भ गेल . नहिं  जानि 100 प्रतिशत  स्कूल एनरोलमेंट आ शत-प्रतिशत साक्षरताक आंकड़ा कहिया धरि शत-प्रतिशत शिक्षित नागरिकक लक्ष पूर्ण कय सकत .       

Sunday, May 24, 2015

भारतीय सैनिक यूनिटक सर्वधर्म पूजा-स्थल: यूनिट मन्दिर



यूनिट-मन्दिर सैनिक लोकनिक पूजा-स्थल थिक. यूनिट (सैनिक इकाई) छोट हो वा पैघ, बहुसंख्यक सैनिकलोकनि  हिन्दू , मुसलमान,सिख, इसाई  वा बौद्ध होथि समुचित पूजास्थल अवश्ये भेटत. हँ, यूनिटमे मन्दिर, गुरुद्वारा, मस्जिद वा गिरिजा, कि बौद्ध मन्दिर -गोम्पा हेतैक , से बहुसंख्यक सैनिकलोकनिक धार्मिक आस्थापर निर्भर होइछ. पंडित-पादरी-लामा-मौलवीक बहालीसेहो पूजा-स्थलेक अनुकूल हेतैक ने. एकरा एना बुझू, परिवार छोट हो वा पैघ गोसाउनिक घरक बिना कोना निमहता हयत ? सैनिक यूनिटक देवी-देवता सेहो कुलदेवी वा कुल देवता थिकाह. एहि पूजास्थलसबमें अपन घरे-अंगना जकां, एकेठाम अनेक देवी-देवताक समावेश होइछ, जाहि सं विभिन्न मताबलंबी अपन आस्थाक अनुकूल " प्रभु मूरति "क दर्शन करथि . तें युद्ध हो वा शान्ति, पड़ाव स्थायी हो वा निरंतर गतिमान, सर्वदा, सबतरि  कुलदेवी-कुलदेवता संग रहबे करताह ; सौभाग्य वा दुर्भाग्यमें, युद्ध आ शान्तिमें  देवी-देवता आ धर्मगुरुक उपस्थिति सैनिकक आत्मबलकें सुदृढ़ करैत छैक.
सियाचिन बेस  कैम्पक लगक सर्वधर्म मन्दिर

सियाचिन बेस  कैम्पक लगक सर्वधर्म मन्दिर


केहन होइत छनि  सैनिकलोकनिक पूजा स्थल ? कोना होइत छैक दैनिक पूजा ? धर्मगुरु लोकनि बहाली कोना होइत छनि? युद्ध आ शान्तिमें, जन्म-मरण आ धार्मिक अनुष्ठानक  समय धर्मगुरुलोकनि अपन दायित्वक निर्बाह कोना करैत छथि ? विभिन्न धार्मिक मताबलम्बी नगरिक्क एहि  देशक सैनिकक बीच  कोना होइछ धर्मनिरपेक्षताक निर्बाह ? ई सब किछु  जनसामान्यले कौतुहलक विषय भ सकैत अछि. तें एहि लेखमें सैनिक यूनिट-पूजाक स्थल, सैनिक पण्डित-पुजेगरीक बहाली आ कार्यकलापक संग सैनिक मन्दिर आ आन  पूजास्थलसभक    दैनिक गतिविधिक संक्षिप्त झलक भेटत. एहि सबहक विवरण हमर  सैनिक जीवनक अनुभवक  माध्यम सं सुनू .

1983 इसवी . जनवरीक मास . जाड़काला . दरभंगा सं दानापुर गेल रही . सैनिक अस्पताल, दानापुर में योगदान केलहुं . ई अस्पताल अपन स्थापनाक दिन सं आइ धरि ओत्तहि अछि. अर्थात स्टैटिक यूनिट थिक. 1983 क  जनवरी सं अप्रैलक आरम्भ धरि ओतय रही . सैनिक अस्पताल दानापुरमे यूनिट मन्दिर रहैक किन्तु, एहि अवधिमें कोनो सार्वजनिक पूजा-पाठक अवसर आयल रहैक तेना किछु मोन नहिं अछि . मुदा एतबा अवश्य मोन अछि जे अस्पतालक सूबेदार धर्मगुरु आ निकटस्थ बिहार रेजिमेंटल सेन्टरकेर धर्मगुरु लोकनि यदा-कदा दुपहरिया वा सांझकय वार्डसबमे आबथि आ रोगी सैनिक लोकनिक हाल -चाल पुछथिन, सांत्वना देथिन. तहिये बुझलियैक, दुःखसुखमें सैनिक लोकनिक मनोबलकें अक्षुण राखब सेहो धर्मगुरुए  लोकनि काज थिकनि .

किछुए दिनक पछाति हमरा लोकनि, नव बहाल अफसर लोकनि , (अफसर ट्रेनिंग स्कूल) लखनउ गेल रही. अफसर ट्रेनिंग स्कूल आ सेना चिकित्सा सेवा कोर केर स्कूल सेनाक बड पैघ इकाई थिकैक . विभिन्न धर्माबलंबी, हजारों सैनिक आ सैकड़ो अफसरक संस्था . ओतय पंडित , पादरी , ग्रंथी आ मौलवी सब रहथि. हमरा लोकनिक ट्रेनिंग करीब दस हप्ता चलल छल . ट्रेनिंगकेर पछाति हमरा लोकनि भारत आ भूटानमें भिन्न-भिन्न स्थानपर, नव-नव यूनिट में योगदान केने रही . मुदा ट्रेनिंग समाप्त हेबासं पूर्वक शपथ-ग्रहण कोना बिसरत. एकदिन निर्धारित समय हमरा लोकनिसब गोटे क्लासमें एकत्र भेल रही . पंडित , पादरी , ग्रंथी आ मौलवी सब गोटे अपन-अपन धार्मिक-ग्रन्थ ल कय आयल रहथि. धर्मगुरु लोकनि आ हमरा लोकनि बेर-बेरी पवित्र धर्म-ग्रन्थ सबपर हाथ रखा हमरालोकनिक शपथ-ग्रहण करौने छलाह. पछाति ट्रेनिंग समाप्त हेबासं पूर्व रंगरूटक , कसम-परेडसेहो ओत्तहि देखलियैक.                                                              

लखनऊ सं हम चकराता गेल रही . ओतुका सैनिक लोकनि बहुधा बौद्ध रहथि . पूजास्थल गोम्पा कहबैत छलैक . धर्मगुरु लामा कहबैत छलाह . सैनिक लोकनिमें हिन्दू-मुसलमान-सिख-इसाई-बौद्ध सब रहथि . मुदा, रवि दिनक' हमरालोकनि नियमतः सामूहिक पूजामें सम्मिलित होइ. बुझबाक थिक, सामूहिक पूजामे  उपस्थिति सैनिक जीवनक रीति आ सबहक हेतु  अनिवार्यता थिक . वैयक्तिक पूजा-अर्चना वैयक्तिक थिक, जेना मोन हो करू, नहिं करू. केओ नहिं पूछत. इएह थिकैक सैनिकक जीवनक अनुशासन.                                                                                                                                                                           चकरातासं हम सोझे असम गेल रही. आगामी तीन वर्षक अवधिमे हमरा अरुणाचल प्रदेशमे विस्तृत भ्रमणक अवसर भेटल छल. मुदा मधुर अनुभव सबदिन  मधुर कहाँ रहि पबैत छैक. मोन अछि, हमरा लोकनिक तैराकी-प्रशिक्षक अरुणाचलक सियांग नदीमें डूबिकय मूइल छलाह. एहि दुःखद अवसरपर पाहिले बेर देखलियैक, सैनिक जीवनक  सम्बन्ध-बन्ध कहन दृढ़ होइत छैक; ओहि प्रशिक्षकक मुखाग्नि कमांडिंग ऑफिसर स्वयं देने रहथिन आ अन्त्येष्टिक कर्मकाण्ड यूनिट लामा द्वारा  सम्पन्न भेल रहै . एहि अभूतपूर्व अनुभवक चर्चा हम अपन कथा 'येनास्य पितरो याता' * में सेहो केने छी . कहैत छैक, उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे , राजद्वारे श्मसाने च यस्तिष्ठति सः वान्धवः ( उत्सव, व्यसन, अकाल,श्मसान जे  सबतरि, सर्वदा संग दियअ सेह वन्धु-वान्धव  थिकाह !)  आरंभिक तीन वर्षक नौकरीक पछाति हमर पोस्टिंग हरियाणाक चंडीमंदिर नामक स्थानमे भेल छल . चंडीमंदिर गेलाक किछुए दिनक पछाति कृष्ण-जन्माष्टमीक पर्व आयल रहैक . सर्वविदित अछि, कृष्ण-जन्माष्टमीक पूजा मध्यरात्रि धरि चलैत छैक . हमरा लोकनि सब गोटे पूजामें सम्मिलित भेल रही . मुदा वर्कशॉपकेर प्रभारी अफसर  मेजर अल्ताफ़ हुसैन सेहो नवजात कृष्णकेर झूला झुलौने रहथि. हमराले ई अनुभव तहिया आश्चर्यजनक छल आ आब अविस्मरणीय अछि ! धार्मिक मतभेदक  वातावरणमें निस्संदेह भारतीय सेना  धार्मिक सहिष्णुताक बेजोड़ उदाहरण प्रस्तुतकरैछ. सैनिक जीवनक साम्प्रदायिक एकटा  धर्मिक उदाहरण हमर राष्ट्रीय एकताकें सुदृढ़ करैत अछि , एहि तथ्यक प्रचार हेबाक चाही.

वर्ष 1986-87 भारतीय सेनाक वृहत्तर युद्ध-अभ्यास' ब्रास-टैक्स प्रायोजित भेल रहैक. तहिया हम चंडीमंदिरमे एकटा फील्ड यूनिटमें पदस्थापित रही. किछुए वर्ष पूर्व दानापुरमें एहि यूनिट स्थापना भेल रहैक. दानापुरमे नियत तीन वर्षक कार्यकालक पछाति ई यूनिट हालहिंमे चंडीमन्दिर आयल छल . ओत्तहिं सं हमरा लोकनि युद्ध-अभ्यास 'ब्रास-टैक्स' में हिस्सा लेबाले हरियाणा-पंजाब होइत राजस्थान गेल रही. सौ-दू सौ टेन्ट-तम्बू, माल-असबाब, गोटेक हज़ार सैनिक,सौ-डेढ़-सौ ट्रक , गोटेक सौ जीप, ओतबे वायु-रक्षक तोप आ गोला बारूद, यूनिट वर्कशॉप, आ अनगणित विविधा. हमरा लोकनि सब किछु ल कय, चंडीमन्दिरसं एके संग विदा भेल छल. चलैत-रुकैत, पड़ाव आ युद्ध-अभ्यासमें तीन मास सं बेसी अवधि लागि गेल रहैक. जखन कतहु  पड़ाव होइछ, सैनिक लोकनि एकेठाम सैकड़ों तम्बू खसाबथि  तं राता-राती मरुभूमि जीवंत भ उठैक . फेर कूच होइछ तं सब किछु हठात उसरि जाइक . एहि अति वृहत अभियानमें   सब किछुक बीच हमर मेडिकल डिस्पेंसरीक गाड़ी ( रेड-क्रॉस पताका वाला ) आ मंदिरक गाड़ी ( लाल-पताका वाला ) सबठाम संगहिं-संग  चलैक ; मंदिरक गाड़ी आगू-आगू, आ डिस्पेंसरी सबसं पाछू, कदाचित ककरो आंग-स्वांग भेलैक तं तकर देख-भाल तं चाही. प्रतिदिनक यात्रा सं पूर्व सैनिक, जे सी ओ, आ अफसर, अहलभोरे, पड़ावस्थलमें मन्दिरक गाड़ीक निकट सब एकत्र होथि.  कमांडिंग अफसर पूजा करथि, आ यूनिटक पंडितजीक आरती करथि. गर्मा-गरम प्रसादक वितरण होइ आ माता शेरंवालिक जयजयकार सं हमरा लोकनि कूच करी . राजस्थानमे, युद्ध-अभ्यासहिं में देखलियैक, यूनिट जतहिं रहैक  मन्दिर, मस्जिद -गुरुद्वाराक समावेश ओतहिं होइ. जेना  सम्पूर्ण यूनिटक समावेश टेन्ट आ तम्बूमे होइक,तहिना मन्दिरक देवी-देवता लोकनि सेहो  टेन्टहिंमे बैसाओल जाथि. इएह थिक यूनिट मन्दिरक रीति. छोट यूनिटमें सरकारी व्यवस्थाक अनुकूल , नियमिकी पंडितक पोस्टिंग नहिं होइछ. किन्तु, सैनिक लोकनि बेर-बेरी, अपन रुचिक अनुकूल, मन्दिरमे पूजा-अर्चना आ दैनिक सेवाक भार  उठबैत छथि . एहिसबमे सैनिक लोकनिके मोने लगैत छैक , आपत्ति किएक हेतैक.

कदाचित, कहियो जं सियाचिन ग्लेशियरक मुहाना वा बेस-कैंप में जयबाक मौका लागय, हनुमाजी आ तिरुपति बालाजी , गुरुनानक देव आ शिव , काबाक छवि आ ईशा कें एके पतियानीमे बैसल देखबनि. ने कोनो विरोध , ने कोनो भतबरी . एकेसंग सबहक पूजा होइत छनि, सबकें  एके संग माला चढ़ाओल जाइत छनि. राम-रहीम-ईशा-आ मूसा, सबहक सम्मिलित उपस्थिति सैनिक सबकें सब देवी-देवताक संचित बलक बोध  छनि . आ ओएह संचित शक्ति देशक सीमाकें अभेद्य बनबैत अछि आ अपरिचित सैनिककें देशक सर्वमान्य नागरिकक ओहदा प्रदान करैछ. तें, तं, युद्ध हो वा शान्ति , बाढ़ि हो वा भूकंप सबहक ठोर पर एके गप्प, सेना कें बजाउ !
________________________________________________________________________
* कीर्तिनाथ झाक कथा-संग्रह ' किछु नव गप्प, किछु पुरान गप्प ' प्रकाशन  वर्ष 2005
 

मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान

कीर्तिनाथक आत्मालापक पटल पर 100 म  लेख   मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान  कीर्तिनाथ झा वैश्वीकरण आ इन्टर...

हिन्दुस्तान का दिल देखो