Friday, November 16, 2018

अमेरिकाक सिंहद्वार न्यूयॉर्क सिटी आ वाशिंगटन डी सी


अमेरिकाक सिंहद्वार न्यूयॉर्क सिटी
मनुष्यक महाकुम्भ
शहर आ नगरके परिभाषित करब आसान नहिं. आ जं आसान छैक तं, शहर नगर जकरा जेहन लगैत छैक, ओ ओकर नाम ओहने राखि देलक. किन्तु, भारतमें एखनुक शहर आ नगरक  नाम बदलबाक होड़सं ई बूझब कठिन नहिं जे कोनो नाम याजुगी नहिं. तथापि, पहिने बहुतो जनशून्य, अनामा स्थानमें जखन लोक पहुँचैत छल, तं जे फुरलैक, वा जे किछु सबसं बेसी आकृष्ट केलकैक ओही अनुसारे नाम राखि देलक. तें, ने पुरान पूर्णिया जिला में चोरकट्टा, शिरकट्टा, गरदनिकट्टा, कौआउड़ा, हाथीडूबा, आ दहीभात-सनगाम रहैक. तहिना आरम्भमें जखन यूरोपसं आप्रवासी लोकनि अमेरिकामें पयर देलनि तं बहुतो ठामक नाम ने बूझल छलनि आ ने छलैक. तें, मासो भरि महासागरक यात्राकय जहाज कतय घाट लगलैक, के कहत. तखन स्थानक नामकरणक समस्या हयब उचिते ; जे इलाका जनशून्य रहैक तकर नाम के कहितनि. जाहि स्थानमें आबादी छलैको, आगंतुक लोकनिकें स्थानीय लोकक भाषा के बुझबितनि. अतः, कतेको इलाकाक नागरिक जतयसं आयल रहथि, अपन शहर-नगरक  नाममें न्यू लगा देलखिन. अस्तु, यॉर्क सं न्यूयॉर्क, इंग्लैंड सं न्यू इंग्लैंड, हैम्पशायर सं न्यू, हैम्पशायर प्रभृत्तिक सैकड़ो स्थानक नाम अमेरिकामें सुनबैक. स्थानक नामकरणक आविष्कार सैकड़ो भिन्न तरीक म सं ई मात्र एकटा नमूना भेल. अमेरिकाक शहर आ नगरक नामकरणक इतिहासले तं एकटा स्वतंत्र पोथी चाही. अस्तु, एखन विषयपर आबी.                                                                                     
 सर्वविदित अछि, अमेरिका देशक हेतु एकटा आओर विशेषण उपयुक्त होइछ: Melting Pot, माने विभिन्न, देश, धर्म, भाषा, रंग, आ स्वरुपक लोकक खदकैत कड़ाह- महाकुम्भ- जाहिमें आबिकय विभिन्न ठामक लोक संयुक्त संस्कृतिक एहन खिच्चडि भ गेल जकर नाम अमेरिका थिक. असल में Melting Pot क विशेषण सर्वप्रथम न्यूयॉर्क शहरेले भेल छलैक, जकर बंदरगाह यूरोपीय आप्रवासक मुख्य द्वार छल. किन्तु, खिच्चडिक कथा पछाति. एखन न्यूयॉर्कक गप्प करी.  न्यूयॉर्क कतेक अर्थमें भारतक मुंबई-सन अछि: तटीय इलाका, पर्यटन, शिक्षा, संस्कृति, स्वास्थ्य-सेवा, कला, पत्रकारिता, विश्वव्यापार, आ अपराधमें संलग्न  विभिन्न प्रकारक जनसमूहक विशाल नगर. हमरा लोकनि सितम्बर 2009 में बेटी-जमायक संग न्यूयॉर्क पहुँचल रही. ओहि समयमें सिद्धार्थक मित्र कल्पित देसाई न्यू जर्सी में रहथिन. अस्तु, हमरा लोकनि हुनके आवासपर डेरा जमाओल. न्यू जर्सी आ न्यूयॉर्क सिटीमें बेसी दूरी नहिं, केवल  बीचमें समुद्र आ नदीक जलराशि छैक. दुनू स्थान रेल, सडक आ हवाईमार्ग सं नीक जकां जुडल अछि. अस्तु, न्यूयॉर्क में काज केनिहार बहुतो गोटे न्यू जर्सी में रहैत छथि आ प्रतिदिन न्यू जर्सी आ न्यूयॉर्कक बीच अबैत जाइत छथि. हमरो लोकनि दू दिनक अवधिमें चारि बेर न्यू जर्सी ट्रांजिट ट्रेनसं न्यूयॉर्क आ न्यूजर्सीक बीच यात्रा कयल. हमरा लेल अमेरिकामें ट्रेन यात्राक ई पहिले अवसर छल; एतुका ट्रेन दिल्ली मेट्रोक जेठ भाई. स्वरुपमें दिल्ली मेट्रो नीक. सेहो सहजहिं, डेढ़ सौ वर्षक वयोवृद्ध आ 25 वर्षक युवकमें अंतर कोना ने हेतैक.                                                                                                                                                           हमरा लोकनि जहिया चैपल हिल सं न्यूयॉर्क आयल रही, सप्ताहांत रहैक. कल्पित अपने हमरालोकिनके एअरपोर्टसं  अनबाले फ़िलेडैल्फ़िया आयल छलाह आ घुरती बेर पुनः ओत्तहि पहुंचा गेलाह. कल्पित गुजराती मूलक भारतीय आ हमर जमायक सहपाठी थिकाह. ई किछुए वर्ष पूर्व नार्थ कैरोलिना विश्वविद्यालय चैपल हिल में पी एच डी समाप्त कय न्यू जर्सी में काज करैत छथि. पत्नीकें कल्याणक योग्यता छनि. किन्तु, एतय ई दूइए गोटे रहैत छथि. हिनका ओतय अयलासं सिद्दार्थ-सुष्मिताकें पुरान मित्रक संग रहबाक अवसर तं भेटिए, गेलनि हमरा लोकनिकें होटलक हुज्जतिक आलावा दू दिन न्यूयॉर्क घुमबामें दू गोटे आओर संगबे भ गेलाह. दुनू दिन हमरा लोकनि प्रिन्सटन स्टेशन सं न्यू जर्सी ट्रांजिटक ट्रेन पकडि न्यूयॉर्कक पेन स्टेशन धरि आबि भूमिगत तहखानासं सोझे न्यूयॉर्कक मैनहाटेन धरि आबि जाइ.                                                                           अमेरिका हो वा न्यूयॉर्क, बाहरी जनसमुदायके एकटा छवि अमेरिकाक नाम लितहिं  दृष्टिपर अबैत छैक ओ थिक स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी. अस्तु, हमरा लोकनि सोझे लिबर्टीए देखबाक हेतु विदा भेलहुँ. बहुत दिन पहिनहिं जखन दरभंगामें विद्यार्थीए रही, रीडर्स डाइजेस्टक एक अंकक ‘संक्षेपित पुस्तकक’ खण्डमें लिबर्टीक मूर्ति कथा पढ़ने रही. बूझल छल, फ्रांसमें निर्मित ई मूर्ति जहाजपर अमेरिका आनल गेल छल. मूर्तिक आकार ततबे टा छैक जे एकर हाथक एक-एकटा आंगुरक नमती 1-1 मीटर छैक. लेकिन, से गप्प अहम नहिं. एखनि भारतमें स्टेचू ऑफ़ यूनिटीक स्थापनाक पछाति व्यक्तित्व, मूर्तिक विराटताक समक्ष बौन प्रतीत होइत अछि. किन्तु, अमेरिकाक प्रसिद्धिक कारण लिबर्टीक आकार नहिं थिक; बल्कि लिबर्टीक मूर्ति एहि तथ्यक द्योतक थिक जे अमेरिका मनुखक विचार आ व्यवहारक स्वतंत्रताक भूमि थिक. एहि बीचमें दक्कन क्रोनिकिल नामक समाचार-पत्रक स्तम्भकार फारूख धोंडीक विचार पढ़लहु. हुनकर कहब, जे प्रसिद्धिक कारण जं आकार होइतैक तं माइकलएंजेलोक प्रसिद्द वास्तु डेविड केर मूर्ति जकर नमती साधारण मनुक्ख सं एको रत्ती बेसी नहिं, तकर गणना एहन कालजयी कृतिमें किन्नहु नहिं होइतैक. विचार हमरा संगत लागल.तें, हमरा जनैत लिबर्टीक उंचाई एकर वास्तविक ऊंचाई सं बहुत बेसी; ई केवल एकटा विचारकेर मूर्त प्रतीक थिक. ततबे.
न्यूयॉर्क हार्बरमें फेरी राइड: रूपम, सिद्धार्थ, आ सुष्मिताक संग   
  
                                                                                                                                                               अहम बात ई थिक जे अमेरिकामें विचार आ व्यवहारमें स्वतंत्रताक आबोहवा अठारहवींए शताब्दीमें बहब शुरू भ गेल छल. तखनहिं एतय स्वतंत्रताक उद्घोष भ गेल छल. ई सत्य जे सभ्यताक रूप में हमरा लोकनिक बहुत प्राचीन छी आ भारतक सोच एहि सं बहुत आगू छल. नहिं तं, जाहि युगमें हमरालोकनि अपनहिंमें लड़िकय अपने घरमें विदेशी शासकलोकनिक पयरकें दृढ़ करैत रही, तखन अमेरिकाक नागरिकलोकनि अपन पिता-पितामहक भूमि* ब्रिटेनक प्रति विद्रोहक विगुले टा नहिं बजौलनि, बल्कि, ब्रिटिश शासनकें 1775 ए ई. में पराजित कय ओतुका शासक लार्ड कार्नवालिस तेना निष्कासित कयल गेल जे अमेरिकासं भागल-भागल ओ सोझे कलकत्तामें आबि शरण लेलनि. अस्तु, सत्यकेर दुनू पक्षक अवलोकन एहि ऐतिहासिक तथ्यक यथार्थकें सबहक सोझाँ रखैछ. 
लिबर्टी
 
तथापि अमरीकी जीवनक दोसरो पक्ष छैक; लिबर्टीक प्रतिमा भले देशक परिचय भ जाथु, जाधरि अमेरिकाक प्रत्येक नागरिककें स्वतंत्र जीवन जीबाक स्वतंत्रताक अनुभूतिक बोध नहिं हेतैक ताधरि लिबर्टीकेर मूर्ति, मात्र मूर्ति मात्रे रहतीह. हमरो लोकनि शास्त्र-पुराणमें मनुष्यक समानता आ समान अधिकारक चर्चा छैके. किन्तु, शास्त्रक भीतरक चर्चा ने समाजक रीतिक द्योतक थिक, आ ने कोनो रीति सब ठाम आ सब युगमें लागूए होइछ.                                                                        अस्तु, हमरा लोकनि टैक्सी लेल आ लोअर मानहाटन आबि स्टेटेन आइलैंड फेरी क टिकट लेल आ लिबर्टीक प्रतिमाक दर्शनले बिदा भेलहुँ. सर्वविदित अछि, न्यूयॉर्क बंदरगाह स्थित लिबर्टी आइलैंड, लिबर्टीक भूमि थिक. समीपहिंक एलिस आइलैंड पर अमेरिकामें प्रवेशसं पूर्व आप्रवासी लोकनि आबिकय जमा होइत छलाह. एलिस आइलैंडक ओ भवन जाहिमें आप्रवासी लोकनिक जांच-पड़ताल होइत छल, आब संग्रहालय आ एतुका दोसर प्रमुख पर्यटनक आकर्षण थिक. आइ हमरा लोकनिक फेरी (नाओ) ने लिबर्टी आइलैंड जायत आ ने एलिस आइलैंड. स्टेटेन आइलैंड नामक ई फेरी थोडबे दूर आगू स्टेटेन आइलैंड धरि जायत आ जाइत-अबैत हमरा लोकनि लिबर्टीकें नीक सं निहारैत जायब. सत्य पुछू द्वीप पर जाकय भ्रमण आ द्वीपकें दूरसं देखब, दुनूक मजा अलग छैक. जखन जतेक समय, बजट आ जेहन रूचि होअय प्रोग्राम बनाउ. हमरो लोकनि सएह कयल.  ज्ञातव्य थिक, आरम्भमें न्यूयॉर्क हार्बर आ आसपासक अनेक द्वीप आ भूमिक बीच यातायातक साधन केवल नावे टा रहैक. जेना, सिमरियाघाटमें राजेंद्र-पुलक निर्माण सं पहिने जहाज चलैत रहैक, वा पहलेजघाट आ महेंद्रूघाटक बीच महात्मागांधी-सेतु बनबा सं पूर्व जहाज चलैत छल. किन्तु, क्रमशः मैनहाटेनसं जेना-जेना न्यू जर्सी, ब्रुकलिन, ब्रोंक्स, आ क्वीन्स आइलैंडक हेतु पुल आ भूमिगत रेल बनैत गेलैक, फेरी सेवा बंद होइत गेल. पर्यटनक कारण स्टेटेन आइलैंड फेरी एखनो जीवित अछि, किन्तु, कहिया ई इतिहास भ जायत, के कहत.                             
करीब एक घंटाक एहि समुद्र यात्रासं लिबर्टीक प्रतिमाक अनेक फलक खूब नीक सं देखबाक मौका भेटल. संगहि, एहि यात्रामें एहि निर्मल समुद्री वायु आ बेरू पहरक रौदक सेवन सेहो कयल. समुद्रक तरंग, उपर उड़इत सीगल पक्षीक स्वर, पर्यटक लोकनिक सामूहिक कोलाहल, आ तेज बसातक संयुक्त प्रभावक आनंद अद्भुत लागल. डिजिटल फोटोग्राफीक कमाल : जतेक मोन हो, फोटो घीचू.                                                                                                                                                        लिबर्टीक प्रतिमाक आ समुद्रक सैर आ जलहवाक सेवनक पछाति हमरा लोकनि मैनहाटेनक सड़क सब पर किछु काल एहिना तफरी मारल. एहि तफरीक बीच अकस्मात् एकटा मैथिल दम्पति आ हुनक नेनासं भेट भ गेल. हमरा लोकनिक अपनामें मैथिली बाजब परिचयक सूत्र बनल. हमरा मैथिलि बोली सूनि ओ लोकनि आकृष्ट भेलाह. दम्पति मधुबनीक छथि. ओ लोकनि अपने तं मैथिली बजिते छथि, दस वर्षसं छोट नेना मैथिलीमें गप्प करैत रहथिन से नीक लागल. हमरा गौरव अछि हमरो लोकनि मैथिलीकें परिवारमें जोगाकय रखने छी. तथापि, जोगाओल वस्तु कतेक दिन धरि सुरक्षित अछि के कहत ! आब आगू बढ़ी.                                                                      
 एहि ठाम न्यूयॉर्क में जे किछु छैक, सब विश्वप्रसिद्ध. कारण, एक, विश्वभरिक लोक एतय अबैये, देखि कय जाइत अछि, गप्प-सप्पमें, लेख में, ब्लॉगमें, सिनेमामें, सस्मरणमें एतुका सब किछु नीक-बेजायक चर्चा करैत अछि, तं, सब किछु चर्चित आ प्रसिद्ध कोना ने होयत. दोसर, प्रसिद्ध स्थानक अदनो वस्तु आ स्थानक प्रशंसा होइत छैक. औपनिवेशिक युगमें ओ सब वस्तु जे ब्रिटेनसं अबैत छल तकर चारू कात तेहन आभामंडलक (halo) होइत छलैक आ तकर ततेक प्रशंसा होइत छ्लैक जे भारतक बनल नीको वस्तु अनेरे लाजे काठ भेल रहैत छल. जे किछु. तथापि, विश्व व्यापारक केंद्र, वाल-स्ट्रीट, आ वाल-स्ट्रीटक प्रसिद्द ‘ बुल’ (सांढ़) देखल. चलैत-चलैत वियतनाम वार मेमोरियल सेहो देखल. वियतनाम युद्ध अमेरिकी आ एशियाई इतिहासक एहन अध्याय थिक जाहिपर कतहु एकमत नहिं. अमेरिकामें तं नहिए टा. किन्तु, देशक छातीपर युद्धक अखाड़ा बनलाक पीड़ा कहन होइत छैक से वियतनामसं पुछियौक ! इराक सं पुछियौक !! सिरिया-लेबनान सं पुछियौक, आ यमनकेर गरीब सं पुछियौक !!                                                                                                                                                  आगू चलैत-चलैत आन कतेको स्थान पर नजरि पड़ल जकरा फूटसं देखब ने आवश्यक आ ने हमरा लोकनि के तकर समय अछि. बीचमें भोजनक बेर भेलैक. छुट्टीक दिन. तकैत-तकैत हमरालोकनिकें  समीपहिंमें  एकटा रेस्टोरेंट भेटल. कोनो अफगानी मूलक व्यक्ति एहि होटल कें चलबैत छथि. संयोगसं होटलमें  शाकाहारी भोजन उपलब्ध छलैक. तें, कल्पित आ हुनक पत्नी सेहो एतय खा सकैत छथि. हुनकालोकनिक (जैन) निष्ठामें आलू-मूर खायब धरि वर्जित छैक - ई लोकनि भूमि सं नीचा उपजाओल कोनो तर-तरकारी नहिं खाइत छथि. अस्तु, भोजन भेलैक आ फेर घूमब. किन्तु, छौ गोटेक दल एतय दू भाग में विभक्त भेल. हम आ सिद्धार्थ डाक्टर कोहेन केर कहलापर ब्रूकलिन ब्रिजपर टहलबाक इच्छुक रही. अस्तु, सुष्मिता, रूपम, कल्पित आ हुनक पत्नीकें बाज़ारमें छोडि हमरा दुनू गोटे ब्रूकलिन ब्रिजपर चढ़बाक सीढ़ीक खोजमें पयरे बिदा भेलहुँ. लगैत अछि, पन्द्रह बीस मिनट चललो हयब. किन्तु, ने नीचासं पुलपर चढ़बाक सीढ़ीक भांज लागल, आ ने पुलकेर ढलाने देखा पड़ल. सांझ होइत जाइत रहैक. ब्रूकलिनकेर इलाका अपराधले विश्वविख्यात अछि. आब ओ युगो नहिं रहलैक जे लोक केवल पुल देखबाले  पुल पर पैदल चलत. हमरा लोकनिकें वापस न्यू जर्सी जेबाक अछि, से अलग. कल्पित केर पत्नी असक्क छथिन, सेहो नहिं बिसरबाक छल. अस्तु, हमरा लोकनि वाल-स्ट्रीट लग घूरि अयलहुं. किन्तु, ब्रूकलिन ब्रिजपर सैर केने बिना न्यूयॉर्क सं आपस भ जाई से मनःपूत नहिं भेल. अस्तु, पुल पर होइत ब्रूकलिन रेल स्टेशन धरि जेबाक हेतु टैक्सी ठीक कयल. टैक्सी ड्राईवर पाकिस्तानी आ उर्दूभाषी रहथि.  अतः, हुनका सं कनेक-मनेक गप्पो भेल. एहि ऐतिहासिक पुलपरसं पार होइत पुलक दुनू भागक ईस्ट रिवरक धार, सांझमें शहरक स्वरुप आ हार्बरमें लंगर खसौने छोट-पैघ जहाज सब सेहो देखल. भारतक विपरीत एतय जहाज सब सडकक कातमें ओहिना लागल अछि जेना सडक पर गाड़ी पार्क रहैत छैक. ने कतहु कोनो घेरा, ने कोनो बेढ़, आ ने कोनो सुरक्षा-दल. पैदल यात्री आ ट्रैफिक सेहो चलैत अछि आ जहाज सब सेहो अपन स्थानपर लागल अछि.                                                                          
एतय दू टप्पी गप्प. ब्रूकलिन ब्रिज 1883 में बनल. बिहारमें कोइलवर पुल 1862 में बनल. ई दुनू पुल एखनो स्वस्थ अछि. ब्रूकलिन ब्रिजपर मोटर-कार दौडइत अछि आ कोइलवर पुल पर रेल आ बस  ट्रक चलैत अछि. किन्तु, कोइलवर पुलक करीब सवा सौ वर्ष पछाति (1982 में) बनल पटनाक महात्मा गाँधी सेतु बीसों वर्ष नहिं चलि सकल. ततबे नहिं पछिला बीस वर्षसं निरंतर मरम्मतिक पछातियो ई कतेक क्षतिग्रस्त अछि से चाहे तं हवाई जहाज सं देखियौक वा एहि पुलपरहक ट्रैफिक जामसं अनुमान करू. ततबे नहिं, जतेक दिनसं एहि पुलक मरम्मति चलि रहल अछि आ जतेक टाका एहि में लागल अछि ओतेक खर्च आ समय में एतय दोसर पुल कहिया ने बनि गेल रहैत. किन्तु, से नहिं चाही. कारण, जं एक बेर सौ सालक हेतु पुल बनि गेल तं Plunder Without Danger (PWD) विभागे बन्न भ जायत. अस्तु, हमरा लोकनि कें चाही रोगी पुल जाहिपर प्रत्येक वर्ष रूपया तहिना खर्च हो जेना गंगामें पानि बहइये. आ एहि दुनूक हिसाब के राखत ! जय जगन्नाथ !!
रोजगारक एकटा वृत्ति: सडकपर गायन-वादन 

स्वतंत्रताक उपभोग: भीड़में हजार आ बीचमें अभिसार
           
थोड़ समय आ बहुत पैघ नगर. कतहु जायब, चाहे अपने घुमैत होई व कंडक्तेड टूर हो, सब स्थान आ सब चीजकें देखब असंभव. हमरा लोकनि वर्षो दिल्ली, लखनउ, चण्डीगढ़, आ बंगलोरमें बिताओल. किन्तु, कतेको स्थान देखब एखनो बांकीए अछि. तखन न्यूयॉर्क में की की देखब ? एकर उत्तर एके टा. किछु देखू, आ किछु हवामें अनुभव करू. तकर अनुभव एतहु भेल. दोसर दिन हमरा लोकनि शहरमें आबि बाहर सं फिफ्थ एवेन्यू, एम्पायर स्टेट बिल्डिंग, ब्रॉडवे, टाइम्स स्क्वायर आदि देखल. सेंट्रल पार्क जयबाक ने समय छल आ ने आसानी सं एतबा कालमें ओतय घूमिए सकैत छलहुं. तें निर्णय भेल रॉकफेलर बिल्डिंगपर चढ़ी. 69 तल्ला. फ़ास्ट लिफ्ट. आ बीस डॉलर टिकट. दिन में हजारों पर्यटक. बूझि पड़ैत अछि, सालो भरि, प्रतिदिन हजारों पर्यटकक आमद-रफ्तसं एहि ऑब्जरवेशन-डेक कें आमदनीक कमी नहिं.
सेंट्रल पार्क रॉकफेलर सेंटर केर छतसं
ज्ञातव्य थिक, ऑब्जरवेशन-डेक एतुका मात्र एकटा आकर्षण थिक. रॉकफेलेर सेंटरक इलाकाक भीतरक सैकड़ो उकृष्ट कला प्रदर्शित छैक आ एतुका परिसरमें अनेको व्यवसायक केंद्र छैक. किन्तु, आम पर्यटक ले ऑब्जरवेशन-डेक मुख्य थिक. तकर कारणों छैक. ऑब्जरवेशन-डेकसं सम्पूर्ण न्यूयॉर्ककेर विहंगम दृश्य ओहिना देखि सकैत छी जेना एफिल टावरसं पेरिसक. एतयसं सम्पूर्ण शहर, हार्बर, सेंट्रल पार्क सहित, एतुका सबसं उंच भवन एम्पायर स्टेट बिल्डिंग सेहो देखि सकैत छी. हमरो लोकनि एहि ऑब्जरवेशन-डेक सं सम्पूर्ण शहरकें नीक जकां देखल. एहि हेतु प्रति व्यक्ति 20 डॉलरकेर टिकट  बेसी नहिं. संयोगसं रॉकफेलर भवन केर छत पर ने बेसी भीड़, ने कोनो समयक पाबंदी तें हमरो लोकनि चारू कात शहरक दृश्य देखल, फोटो खींचल, आ आनन्द केलहुं. नीचा अयलापर रॉकफेलर सेंटरकेर बाहर पर्यटकक भीड़में एतुका समाजक किछु एहन झांकी भेटल जे आब भारतीय संविधानक धारा 377क निरस्त भेलाक बाद भारतहुमें प्रायः देखबामें आबय. किन्तु, मोन रखबाक थिक, भारतमें समलैंगिक दम्पति आ युगल लोकनि एखन जागरण-मंच लोकनिसं बंचिए कय रहथि तं भल. कोन  ठेकान, स्वतंत्रताक उपभोगक लोभमें कहीं  गौरी लंकेश आ नरेंद्र दाभोलकरक परि नहिं होइनि ! एहि ठाम तक्र भय नहिं. तें लोक खुलि कय दृष्टिकोणक अनुरूप जीवन–यापन करैछ. 
हैप्पी टाइम्स :कल्पित आ हुनकपत्नी, सुष्मिता मायक संग आ सिद्धार्थ  

अमेरिकहु में वएह हाल
दिन भरि भ्रमणक पछाति हमरा लोकनि ग्रैंड सेंट्रल रेलवे स्टेशनक बाट धयल. ई स्टेशन कोनो साफ सुथरा माल वा पांच सितारा होटलक लॉबी सं कम नहिं. किन्तु, पांच सितारा होटलक पछुआडमें जहिना बम्बईमें धारावीक झुग्गी-झोपडीक समुद्र छैक तहिना एतहु साफ़ सुथरा भोजनालयमें शुभ्र-शाभ्र पुरुषकें कचरा म सं भोजन आ पेयक बोतल निकालि झोरामें पैक करैत देखलियनि तं एके टा धारण दृढ़ भेल : भारत हो वा अमेरिका कचड़ा म सं भोजन निकालि पेट भरनिहार निरुपाय मनुख सब ठाम छैक, जे, कतहु शहरक अन्हारमें आ कतहु नियोन लाइटक चमकमें नगर आ शहरक नागरिकक चेतनामें नहिं आबि  पबैछ !

वाशिंगटन डी सी
16म सं उनैसम शताब्दीक बीच पश्चिमी यूरोपसं अमेरिका अयनिहार आप्रवासी लोकनिक मुख्य पडाव अमेरिकाक पूर्वी तट छल ; जेना ब्रिटिश, फ्रेंच आ डच व्यापारी सब भारतक कलकत्ता-बम्बई-मद्रास, पांडिचेरी-चन्दननगर, आ कडलूर आ ट्रंकेबारमें आयल छलाह. अमेरिकाक पूर्वीए तट ब्रिटेनकेर विरुद्ध अमेरिकी विद्रोह आ अमेरिकी गृह युद्धक केंद्र सेहो छल. अस्तु, अमेरिकाक पूर्वी तट पर्यटक प्रमुख पडाव सेहो थिक. ज्ञातव्य थिक, अमेरिकाक पूर्वीए तट अमेरिकाक औद्योगीकरण केंद्र छल. एखनहु इएह इलाका अमेरिकाक विज्ञान, शिक्षा, आ राजनितिक प्रशासनक केंद्र अछि. हमरा लोकनि चैपल हिल नार्थ कैरोलिनासं सडकमार्गसं वाशिंगटन डी सी जायब. एहि बाटमें हमरा अमेरिकाक सडक यात्राक प्रथम अनुभव होयत. हमर जमाय, सिद्धार्थजी आ कन्या, सुष्मिता, ड्राइव करतीह. हमरा दुनू गोटे विदेशमें धिया-पुताक संग पर्यटनकेर आनन्द लेब. दुनू स्थानक बीच दूरी करीब पौने तीन सौ माइल. अनुमानतः छौ घंटा समय लागत; रास्तामें कतहु चाह-पानि हेतैक तं किछु अओर समय. नार्थ कैरोलिना राज्यक आगू बाटमें वर्जिनिया राज्य आओत आ तकर बाद वाशिंगटन डी सी आ मेरीलैंड. नार्थ कैरोलिना आ वर्जिनिया तहियाक कृषिप्रधान कपास आ तमाकू उत्पादक राज्य छल. एहि ठामक भूमिमें दासप्रथाक जडिए टा नहिं रहैक, ई दुनू राज्य अमरीकी गृह युद्धमें दासप्रथाक संरक्षणले लडल छल. अस्तु, नार्थ कैरोलिना, वर्जिनिया, आ मेरीलैंड गृह युद्धक युद्ध भूमि सेहो रहल अछि. एहि सब इलाकामें एखनहु अमेरिकाक अनेक प्रतिष्ठित सैन्य-प्रतिष्ठान छैक. किन्तु, हमरा लोकनिकें ऐतिहासिक भूमि सबहक भ्रमणकेर समय नहिं अछि. अस्तु, सोझे वाशिंगटन जायब.                
एतय कनेक गप्प सप्प: हम सैनिक छी, किन्तु, प्रवृत्तिए शान्ति प्रिय. हमर विचार अछि, युद्धसं विवादक फडिछठक तखने हो, जखन आन सब विकल्प शेष भ गेल हो. किन्तु, युद्ध वर्चस्वकें स्थापित करबाक सामूहिक अभियान सेहो थिक; मनुष्यक मनुष्यपर, मनुष्यक राज्यपर आ राष्ट्रक राष्ट्रपर. मुदा सबठाम आग्रह एके - वर्चस्व. कखनो काल युद्ध सत्यकेर स्थापनाले सेहो होइत छैक. मुदा, युद्ध सत्यक रक्षाले होइक वा वर्चस्वले, हारि मनुष्येक होइछ. ततबे नहिं, सत्य समय सापेक्ष होइछ आ वर्चस्व शक्ति सापेक्ष. संगहिं,  सत्य विश्वासक विषय थिक आ विश्वास धारणाक. मुदा, युद्धकेर असली सत्य विजय आ पराजय थिक. विजय पराजय केर सरोकार शक्तिसं छैक, सत्य सं नहिं. तें, विजय ककरो होइक पराजय तं मानवतेक होइछ. सेनापति पयर पुजबैत  छथि, मुदा, प्राणतं अदना मनुक्खे गमबैत अछि, अकालमें वएह काल कवलित होइछ . इएह थिकैक युद्धकेर सार-तत्व , अंतिम सत्य. तथापि जं युद्धसं सत्यकेर विजय होई तं युद्ध सार्थक थिक. एहि अर्थमें अमरीकी गृह-युद्ध एक अर्थमें विरल छल. ई युद्ध सिद्धांतक लेल - दासताक विरुद्ध आ शोषितक (अफ़्रीकी मूलक बेगारक) उद्धार दुनूले - भेल छल. एहि युद्धक तेसर विशेषता ई रहैक जे एहि युद्धमें ब्रिटिश आ आयरिश मूलक नागरिक लोकनि स्थापित राज्यसब अपनहिं  बीच अश्वेतक अधिकारले लडल छल. श्री गुरुग्रंथ साहबमें गुरु कहितो छथि  :
‘सूरा ते पहचानिए जो लडे दीन के हेतु’
वीर वएह थिक जे दुर्बलक हेतु लड़य; अमरीकी गृह-युद्ध निश्चय दुर्बलक उद्धारक हेतु युद्ध छल !            
आब पुनः बाट पर आबी. चैपल हिल सं सडक राले होइत उत्तर दिस बढ़इत छैक. सोझ अनेक लेनबला इंटरस्टेट सडक. अपन बाट पकड़ने, निर्धारित गतिसं गाड़ी चलबैत रहू. बाटक काते-कात माइलक संख्याक नम्बरपर एग्जिट वा सडक छोडि मोटेल, पेट्रोल बंक पर जयबाक मार्ग. एहि ठाम सडकपर हॉर्न बजेबाक आ ओवरटेक केर संस्कृति नहिं छैक. जाहि प्रकारक गति तेहने लेन ध लियअ. फ़ास्ट लेनमें स्लो चलायब दंडनीय छैक. सब किछु CCTV कैमरा द्वारा देखल जाइछ. सडकसब एकदम जनशून्य. दुनू कात बेढ़ल. ने पैदल चलैत मनुख भेटत, ने अनेरुआ माल-मवेशी. सड़कपर सूचना सब तेना लिखल जेना आब अपनो सबहक ओतय 4-लेन, 6-लेन सडक पर होइछ, ककरो सं किछु पुछबाक कोनो प्रयोजन नहिं.                                                     
नार्थ कैरोलिना राज्यसं वर्जिनियामें प्रवेशक पछाति कतहु-कतहु, सडकक कातमें बोर्डपर  वर्जिनिया राज्यक पक्षी कार्डिनलक छवि बाट देखबामें आओत. हमरा लोकनि  पीटर्सबर्ग, फ़्रेड्रिक्सबर्ग, आ रिचमंड शहर पार कयल. फ़्रेड्रिक्सबर्ग गृह-युद्धमें एकटा घनघोर संघर्षक भूमि छल. तें, आब पर्यटन स्थल सेहो. किन्तु, हमरा लोकनि आगू बढ़इत गेलहुं. हमरा लोकनि वाशिंगटन सं करीब 15 माइल दक्षिण रहल हयब, रातिक करीब 9 बाजल हेतैक, तखने हमरा लोकनिक देखायल- होटल बेस्ट वेस्टर्न, स्प्रिंगफ़ील्ड, वर्जिनिया. आइ रात्रि विश्राम एत्तहि.
एहि यात्राक दोसर दिन, रविक  भोर. छुट्टीक दिन आ पर्यटन. सब गोटे आरामसं उठलहु. रेस्टोरेंटमें आइ नव व्यंजन सं परिचय भेल: ‘वाफ्ल’. नीक एहू हेतु लागल, जे, सामग्री राखल छैक, अपने बनाऊ अपने खाऊ. आब हमरा सं ई जुनि पूछी ‘वाफ्ल’ बनतैक कोना ? गूगल बाबा मोबाइल फ़ोनमें सुतले छथि. पुछियनु, बनाऊ आ गर्म गर्म खाऊ. हं, सांचा जरूर चाही. बनेबाक विधि बुझू मालपूआक कनेक कठगर डोरी बनाउ. अंडा खाइत छी तं सेहो देबय पडत, नहिं तं बिनु अंडेकेर बनाऊ आ खाऊ. गर्म ‘वाफ्ल’ पर आइस-क्रीम. आहा-हा !! ब्रुसेल्समें जे ‘वाफ्ल’ आ आइस क्रीम खेने रही, जुनि पूछू. आइए बनाऊ, झट सं खाऊ.
जलखइ क पछाति सिद्धार्थ आ सुष्मिता संग भेलीह. गाडी में बैसलहु आ फैनकोनिया-स्प्रिंगफ़ील्ड स्टेशन पर वाशिंगटन मेट्रो ट्रेन पकडल आ सोझे वाशिंगटनक राजधानी इलाकाक फ़ेडरल ट्रायंगल स्टेशनक भूमिगत रेल स्टेशनपर उतरि टहलैत एतुका नेशनल मॉल दिस बिदा भेलहुँ. एहि ट्रेन यात्रामें अनेक सुपरिचित नाम सबहक स्टेशन अयलैक. एहि सब में विश्वभरिक आतंक आ आदर ( भय बिनु होंहि न प्रीति ) क श्रोत पेंटागन, ककरा ने सुनल हेतैक, सेहो देखल.
नेशनल मॉल:पृष्ठभूमिमें वाशिंगटन मोनुमेंटक स्तम्भ  
नेशनल मॉल, अमेरिकाक राजपथ: एक दिनक समय आ पूरा दिल्ली देखबाक हो, तं, कतेक देखबैक. पूरा राजपथ पर पयरे टहलि सकब ? पार्लियामेंट हाउस ? म्यूजियम ? भ सकैत अछि एक दू टा देखि ली. इंडिया गेट ? अवश्य. पिकनिक हेतैक ? वाह , धिया पुता संगमें, वाशिंगटन शहर, बड़का मैदान, आ अनुकूल मौसम. किएक ने ? हमरो लोकनि वाशिंगटन एहिना देखलहु. अपूर्व आनन्द. किन्तु, पहिने कनेक पानि तं पीबि ली, तखन तं गप्प हेबे करतैक.
दिल्ली हो वा वाशिंगटन, पर्यटक छी, तं, किछु अनट तं खर्च करहि पडत. एतहु बेरोजगार वा विदेशी अनिधिकृत आप्रवासी, नेशनल मॉल पर कतहु-कतहु छाहरिमें पाइंट-साइज़ पानिक बोतलक क्रेट लेने सडकक कातमें भेटलाह. एक बोतल जल एक डॉलर. जल पियल आ घुमब फिरब शुरू भेल.
ई वाशिंगटन नेशनल मॉल मोटामोटी एक दिस पश्चिममें लिंकन मेमोरियल आ पूबमें कैपिटोल- अमेरिकी केन्द्रीय प्रशासनक मुख्यालय-क बीचक मैदान थिक जकर दुनू भागक सड़कक काते-कात एतुका अनेक संग्रहालय आ केंद्र सरकारक अनेक विभागक भवन छैक. एहि सबहक बीच वाशिंगटन मेमोरियलक उन्नत स्तम्भ. कैपिटोल देखब हमरा लोकनिक प्रोग्राम में नहिं अछि.

नेशनल म्यूजियम ऑफ़ नेचुरल हिस्ट्रीमें
स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन: एतुका अनेक संग्रहालय देश भरिमें पसरल स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशनक हिस्सा थिक. ई सब संग्रहालय जेम्स स्मिथसन नामक एक ब्रिटिश वैज्ञानिक आ दाताक दानक परिणाम थिक, जे अपन मृत्युसं पूर्व अपन सब सम्पत्तिके ‘विज्ञानक समृद्धि आ प्रसार’ लिखि गेल छलाह. हमरालोकनि एहि अनेको म्यूजियम सब म सं आई केवल नेशनल म्यूजियम ऑफ़ नेचुरल हिस्ट्री आ नेशनल एयर एंड स्पेस म्यूजियम देखब. एकर अलावा माल पर तफरी हेतैक. हमर जमाय सिद्धार्थजीक प्रस्ताव छनि जे वाशिंगटन मेमोरियल स्तम्भ हमरा लोकनि राति में आबि कय रतुका इजोतमें देखी. एवमस्तु. गाड़ी हुनकहि चलबय पड़तनि. हमरा लोकनि फेर कहिया वाशिंगटन आयब !
                      जल पिलाक पछाति हमरा लोकनि सोझे नेशनल म्यूजियम ऑफ़ नेचुरल हिस्ट्री गेलहुं. आन बहुतो ठामक विपरीत एहि सब संग्रहालयमें प्रवेश निःशुल्क छैक. एहि संग्रहालयमें की छैक तकर वर्णन दू कारण सं बेकार. एक, एकर वर्णन असम्भव. दोसर, आब पेरिसकेर लुव्रे म्यूजियम हो वा एतुका स्मिथसोनियन, सब म्यूजियमकेर वर्चुअल टूर आब अहाँ अपने मोबाइलपर क सकैत छी. सूचना प्रोद्योगिकीक आब एतबे शक्ति छैक जे अहाँ चाही तं कीड़ा- मकोड़ाक आंत  वा अपन आंतकेर भितर बाटे चलबाक तहिना अनुभव क सकैत छी जेना अहाँ कोनो तहखाना बाटें जाइत होई. तथापि एतय अयनिहार पर्यटककेर सं अद्भुत छैक. संक्षेपमें एतबे , जे, एहि म्यूजियमक संग्रहमें जीव जगतकेर विकासक  प्रागैतिहासिक समय, सं ल कय भविष्य धरिक सम्भावितक यात्रा झांकी प्रदर्शित छैक. थोड़ जीवित, बांकी मृत व जीवाष्म. संग्रहमें मृत हाथी आ डायनासोरसं ल कय अपन प्राकृतिक परिवेशमें पलैत-बढ़इत कीड़ा-मकोड़ा धरि  संकलित अछि. ततबे नहिं, ई संस्था सब अपन निरंतर खोज आ शोधसं जैव विविधता आ पर्यावरणक रक्षाक हेतु सेहो सतत प्रयत्नशील अछि. अस्तु, विज्ञान आ शिक्षाक क्षेत्रमें सेहो स्मिथसोनियन संस्था सबहक महत्वपूर्ण योगदान महत्वपूर्ण छैक. 
करीब घंटा-दू घंटाक भ्रमणकेर पछाति म्यूजियम सं बहार भेलहुँ. किछु पेट पूजा हो. चॉकलेट,आइसक्रीम, पानि सब ठाम भेटत. किन्तु, शाकाहारी भोजन सब ठाम भेटब कठिन छैक. मूल्यक अन्तर तं छैके. अमेरिकामें एकर सामाजिक असर सेहो देखबामें आओत: भयानक मोटापा. तेल-स्टार्च आ मांस-वसासं लदल मांसाहारी भोजन सुलभ आ सस्त छैक. अस्तु, समाजक नीचा तबकाकें इएह सब खयबाक बाध्यता छैक. फलतः, डायबिटीज, ब्लडप्रेशर आ मोटापा सन लाइफ –स्टाइल रोगक अधिकता ओही वर्गमें सब सं बेसी छैक. जे किछु, हमरा लोकनि सडकक कातमें एकटा शाकाहारी बर्गर केर ठेला ताकल. हमरा भेल चटनीमें मरचाई तेज ने क दैक. कहलियैक, लेस चिली (मरचाई कम ). दोकानदारिन चिकरि उठलीह, नो चिली, नो चिली, वेज ( चिली नहिं, शाकाहारी) ! हमरा बुझबामें नहिं आयल. हमर जमाय लगे में रहथि. कहलनि, ‘ ओ गलत बूझि गेल. चिली एतय गोमांसक एकटा व्यंजन थिकैक ! मरचाई, पेप्पर थिकैक’. मारे मुंह ! स्वाइत अमेरिकन सब कहैत अछि, ‘ हम सब अंग्रेजी नहिं बजैत छी ! आ, ब्रिटिश सब कहत जे अमेरिकनकें अंग्रेजी नहिं अबैत छैक.’ हम युवके वयससं अंग्रेजी उपन्यास पढ़इत छी, अमेरिकन सिनेमा देखैत आयल छी. किन्तु, अमेरिकन अंग्रेजी सीखब एखनो बांकी अछि, ताहिमें कोनो शक नहिं !
जलथंभन भेलैक आ नेशनल मालपर अजस्र गाछक छाहरि बेंच छायामें सुष्मिता, आ हुनक माता, आ सिद्धार्थक संग बैसलहु. मोन पड़य लागल कोना सुष्मिताके एहिना गर्मीक मास में कोरामें ल कय दिल्लीमें लालकिला, चिड़ियाघर, आ इंडिया गेट घुमल रही. हिनका सब किछु अद्भुत लगनि. सब वस्तुकें छूबय चाहथि. अपना कौतूहल आ भय दुनू होइनि. किन्तु, निवारणक व्यवस्था संगे रहनि. अस्तु, किछु छूबासं पहिने हरदम एके टा प्रश्न: जेना, ‘बाघके छूबैक तं काटत’ ? ‘नहिं, कटतह’. ‘दुलाल करत’ ? आ हमर आश्वासनसं हुनक मोन प्रसन्न भ जाइनि.
हमर बालक अमियक केर प्रकृति एकदम दोसर. ओ हमरा हरदम नव-नव कला सिखाबथि: जेना, सांप कोना पकडी. हुनक चटिसारमें हम छोट नेना आ अनुशासित विद्यार्थी भ जाइ, आ ओ गुरु.
‘अच्छा’ ?
‘हं’. अमियक ट्रेनिंग शुरू. ‘ एकटा बोतल ल लियअ. बोतल खोलि कय गाछ तर राखि दियौक. गाछपर चढ़ि जाउ. सांप अओतैक, बोतल में चल जेतैक. बोतल बंद क लियअ  आ चल आउ !!’. 
सत्यातः,अपन नेना सबहक संग बिताओल  हमर समय हमर स्मरणक सबसं  मधुर धरोहर थिक. तें जखन कखनो आनंद क्षण अबैछ हमर मधुर-स्मृतिक पौती खुजि जाइछ. जखन कखनो मोन में विषाद भरि अबैछ, साउंड ऑफ़ म्यूजिक सिनेमाक नायिका जकां अपन मधुर स्मृतिकें मोन पाडि हम अवसादक धोनकें फाड़इत छी.
देखू, गप्पे सप्पमें दुपहरिया बीति रहल अछि. आब नेशनल मालक दोसर भाग चली. हमरा लोकनि नेशनल एयर आ स्पेस म्यूजियम जायब. संभव छैक, एयर आ स्पेस म्यूजियम आनो देशमें होइक. किन्तु, एहि ठामक एहि म्यूजियम केर विशेष अर्थ छैक : जं पुरषोत्तम नागेश्वर ओक-सन इतिहासकारकें छोडि दी, तं, सर्व विदित अछि, अमेरिकाए हवाई जहाजक आविष्कारक देश थिक. एतहि  नार्थ कैरोलिनाक समुद्र तटपर किटी हॉक नामक स्थान में विल्बर आ ओर्विल राइट बन्धु 17 दिसम्बर 1903 क हवाई जहाजमें प्रथम उडानमें सफल भेल छलाह. फलतः, राइट ब्रदर्स एतुका एहि म्यूजियमें टा नहिं विश्व इतिहासमें अपन अद्वितीय स्थान बना चुकल छथि. ई म्यूजियम कतेक लोकप्रिय छैक से एतुका भीड़ देखि स्वतः अनुमान भ गेल. प्रवेशले बड़का पाँति.
एहि म्यूजियम राइट ब्रदर्सकेर साइकिल कम्पनीए टाक वस्तु सब नहिं, हुनक पहिल हवाई जहाजक मॉडल अतिरिक्त एयर आ स्पेस ट्रेवलक हजारों ऐतिहासिक सामग्री राखल अछि. एहि म सं अमेरिकाक एप्पल अंतरिक्ष यानक भीतर भ्रमण हम अवश्य स्मरणीय मानैत छी. ततबे नहिं, एतय अंतरिक्ष खोजक सम्पूर्ण इतिहास प्रदर्शित अछि. एतेक सब देखबाक हेतु मासों भरि पर्याप्त नहिं. तथापि जे देखल से अविस्मरणीय.
एयर एंड स्पेस म्यूजियम: अंतरिक्षयानक नीचा अपार जनसमूह
अमेरिकाकें देखि केओ अनुमान क सकैछ, विज्ञानक क्षेत्रमें अमेरिका विश्वमे अग्रणी अछि. एहि म्यूजियम के देखि ओ धारणा आओर दृढ़ होयत. एहि संग ईहो बुझबाक थिक जे अमेरिका नव-नव वस्तुक आविष्कारक लोकनिक आ सफल उद्यमी सबहक देश थिक. एतुका इतिहास पढ़बैक तं बुझबामें आओत, एतुका लोक, जे जाही क्षेत्रमें अछि, सतत किछु ने किछु नव करबाक उद्योग में लागल रहैत अछि. संग-संग नव-नव वस्तुक निर्माणमें सक्षम प्रतिभाकें विश्व भरि सं ताकि आनब, ओकरा सबकें  काज करबाक उचित वातावरण आ साधन द सफल आविष्कारकें अपना देशक संपत्ति बनयबाक प्रवृत्ति एहि देशक महत्वपूर्ण परम्परा थिकैक. इएह कारण थिक, अमेरिका विज्ञान आ तकनीकी क्षेत्रमें विश्वमें सर्वोपरि अछि.
नेशनल एयर आ स्पेस म्यूजियम भ्रमणकेर पछाति हमरा लोकनि ट्रेनसं  स्प्रिंगफ़ील्ड आबि होटल आपस भ गेलहु.
रातिमें पुनः सिद्धार्थ अपने वाहनमें नेशनल मॉल धरि अनलनि. रातुक समयमें अमेरिकाक राजधानी दिस जाइत एतुका ट्रैफिक एकटा मायावी परिदृश्य-सन प्रतीत भेल. दूर-दूर धरि कारकेर रेड टेल लाइटक लम्बा-लम्बा पाँतिक अनायास बहाव. कतहु कोनो रोक नहिं. बाट देखयबाले गार्मिन कम्पनीक जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) यंत्र, टॉम-टॉम, एतय पहिले पहिल देखल, जे, आगूए-आगू रास्ता देखबैत आ कहैत जायत. आब तं ई जीपीएस भारतहुमें प्रत्येक मोबाइल फ़ोनमें भेटत. किन्तु, 2009 में तं दिल्ली आ बंगलोरहु में ई सुविधा नहिं रहैक. जीपीएसकेर सहायता सं वाशिंगटनक नेशनल मॉल धरि पहुँचलहु. रातुक समय में सम्पूर्ण इलाका अपने गाड़ीमें चलैत देखैत गेलहुं. दिन आ वर्किंग डे में ई संभव नहिं. अन्ततः वाशिंगटन मेमोरियल स्तम्भ लग सिद्धार्थ गाड़ी रोकलनि. हमरा लोकनि आसपास घूमि-टहलि इलाका देखल. आस-पास किछु सुरक्षा कर्मी सब तैनात रहथि. राति कय एहि स्तम्भपर चढ़बाक सुविधा नहिं छैक. तथापि,  रौशनीमें एतय सं पूब आ पश्चिम दिस जतय धरि नजरि गेल, देखलहुं. विभिन्न प्रकारक पाथरसं 19म शताब्दी में निर्मित ई स्तम्भ एतुका प्रथम राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटनक स्मारक थिकनि. एकरा पेरिस केर कांकोर्ड स्क्वायरक ओबिलिस्क वा  दिल्लीक राष्ट्रपति भवनक प्रांगणक जयपुर स्तम्भक समकक्ष बूझि सकैत छी. किन्तु, उंचाईमें ओही सं बहुत बेसी.
वाशिंगटन मेमोरियलक भ्रमणकेर पछाति हमरा लोकनि वापस होटल अयलहु आ सफल यात्राक संतुष्टिमें भरि पोख विश्राम कयल. दोसर दिन भोरे पुनः चैपल हिल.            
                                
    
      
                            

Friday, November 9, 2018

मनोरथक पाँखिपर उड़इत


अमेरिकाक पहिल यात्रा
जीवनमें जाधरि दायित्वक बोझ बेसी रहैत छैक अपन मनोरंजन ले किछु करबाक सुरता नहिं अबैछ; सीमित आमदनीक भीतर आवश्यकताकें प्राथमिकताक तराजू पर जोखय पड़ैत छैक. एहि जोख-तौल में कतेक बेर अपन मनोरथ तराजू पर चढ़िओ नहिं पबैछ ! तें जखन सेनासं रिटायरमेंट लेल ताधरि धिया-पूतापर खर्च घटि गेल छल; नव नौकरीसं आमदनी सेहो बढ़ि गेल छल; ई उलटा भेल. हेबाक तं ई चाहियैक जे जखन खर्च बेसी होइछ, आमदनीओ तखने बेसी होइक. किन्तु, से होइत कहाँ छैक. सत्यतः, बढ़इत वयसमें जहिना भूख कम होमय लगैत छैक, तहिना शारिरिक क्षमता. संगहिं, कतेको गोटें कें शारीरिक अशक्तता सेहो घुमबा-फिरबाक क्षमता सेहो कम क दैत छनि. संयोग सं हम स्वस्थ छी आ मनोरथ तं छले. एताबता, बढ़ल आमदनी आ घटैत खर्च सूतल मनोरथकें जगौलक. हमरा लोकनिक अमेरिका यात्रा एहने सूतल मनोरथक फल छल, जकरा हमर बेटी जमायक अमेरिका प्रवास आ सहयोग देलक. तहिया हमर कन्या, सुष्मिता अमेरिकाक नार्थ कैरोलिना विश्वविद्यालयमें सेल मॉलिक्यूलर फिजियोलॉजी ( Cell Molecular Physiology) क पांच वर्षीय पीएचडीक छात्र रहथि. 2009 में हुनक पीएचडी प्रोग्राम समाप्त  हेबापर रहनि. अमेरिका अयबाक निमन्त्रण तं रहबे करय. अस्तु, हमरा लोकनिकें ओ समय उपयुक्त बुझना गेल. सन्तानक दीक्षांत समारोह में सम्मिलित हयब वीसाक हेतु युक्तिसंगत आधार मानल जाईत छैक. तें, सएह सही. 
मनोरथेक बलें लोक जिबैये,आ अपूर मनोरथेक तापें लोक मरइ-ए. मनोरथे नहिं हो, तं, मनुक्खे की ? आस-पासक समाज आ पड़ोसिया लोकनिक समृद्धि सेहो मनुक्खक मनोरथ जगबैत छैक, आ इर्ष्याक कारण बनैछ. हमरा लोकनिक अमेरिका जायब एकटा एहने मनोरथ छल. बेटी-जमायक निमंत्रण तं छले. अस्तु, अमेरिकन वीसा लेल जयबाक तैयारी आरम्भ भेल. अंततः, जुलाई 2009 में दिल्ली होइत अमेरिकाक पहिल यात्रा कयल.                              
सेना-सेवा छोडलाक बादक स्वतंत्रता, मणिपाल मेडिकल कॉलेजमें काजक नव पद्धति, मनोहारी परिसर, सुपरिचित पूर्वपरिचित सहकर्मी सैनिक ऑफिसर लोकनिक संग,  सुधरल आर्थिक स्थितिक संग-संग अमेरिका यात्राक संतुष्टि. सब मिला कय मोन अत्यंत प्रसन्न छल.                               
आब विदेश जायब दरभंगा-दिल्ली जकां सुलभ भ गेलैये. आधुनिक युगक अनेक आविष्कार एतहु जनसाधारणक प्रतिदिनक उपयोगक वस्तु भ गेलैये. सब ठाम लोक पित्ज़ा-पास्ता  खाइत अछि, बाबा रामदेवक मनाहीक बावजूद नित्तह पेप्सी आ कोक पिबैत अछि !. तें, आब विदेश यात्रा अद्भुत नहिं. पहिल बेर, जखन हम आठम वर्गमें रही, तं कोनो लेखक, भुवनेश्वरी प्रसाद ‘भुवन’, केर ‘आँखों देखा यूरोप’ पढ़ने रही. तहिया ओ अत्यंत अद्भुत लागल छल, कारण ओहि पुस्तक में जाहि अनेक वस्तुक वर्णन रहैक, से देखल तं नहिये छल, बहुत सुनलो नहिं छल. किन्तु, आजुक युगमें अमेरिका यात्राक अनुभव अद्भुत की हेतैक ? तथापि, अनकर वर्णन आ अपन अनुभवमें जे अंतर होइत छैक तकर अनुभव कोना नहिं होइत ! सत्यतः, हमराले बहुतो वस्तु नव छल. सएह एहि वृतांतक विषय थिक.                                                  
  एयर इंडियाक दिल्ली न्यूयॉर्क उड़ान A-101 मध्यरात्रिक बीच दिल्ली सं उडल रहैक. पछिला किछु समयमें निन्नक किछु कमी रहय. हवाई जहाज उड़लैक आ सोझे सूति रहलहु. जखन निन्न खूब पूरा भेलापर  प्लेनक वातावरणमें यात्री लोकनिक अचानक चहल कदमीसं निन्न खूजल. उठलहु तं बहुतो गोटेकें लगक खिड़कीसं बाहर आंखि गडौने देखलियनि. प्रकाश एतेक रहैक जे अचानक आंखिमें चकचोन्हीक अनुभव भेल. कौतूहल भेल. सीट सं उठि खिड़कीसं बाहर देखबाक प्रयास केलहु तं मुग्ध भ गेलहु.  अद्भुत दृश्य रहैक; दूर-दूर धरि उज्जर सपेत बर्फकेर चादरि. कतहु- कतहु दूर-दूर पर नग्न पहाड़ ; हवाई जहाज ग्रीनलैंडक इलाकाक उपर छल. ग्रीनलैंडक इलाकाक अधिकांश भाग सालोभरि बर्फ सं तोपल रहैत छैक. जे किछु आबादी छैक तटीय इलाका में रहैत अछि. आर्कटिक सर्किलक समीप एहि मासमें ( ग्रीष्मक बीचमें) मिडनाइट सन (रतुका रौद) ले प्रसिद्ध अछि. एहि मध्य रातिक  अचानक इजोतक कारण इएह मिडनाइट सन थिक. हम लेहमें अढ़ाई वर्ष बितौने छी. कम सं कम बीसो बेर हिमाचल-जम्मू-कश्मीरक पर्वतमालाक उपर देने गेल हयब. किन्तु, ओहि पर्वतमालासं ग्रीनलैंडक कोनो तुलना नहिं. लद्दाख़, उबड़-खाबड़ आ उंच-नीच, कतहु-कतहु आरिक धार-सन, बीच-बीचमें नदी आ झील. ग्रीनलैंड, समतल, सपाट, दूधकेर समुद्र. एहन प्रदेशकें लग सं देखबाक सेहन्ता ककरा ने हेतैक. किन्तु, मोन राखी कतेको वस्तु जे डोर सं सोहाओन लगैत छैक, समीपसं ओ ओतबे मारुख !            थोड़बे कालक पछाति दृश्य बदललै, आ चारू कात राति-सन अन्हार; अमेरिकाक पुवारितटक समय  ग्रीनलैंड सं दू घंटा पाछू छैक, अर्थात् जखन ग्रीनलैंडमें सूर्योदय होइत छैक न्यूयॉर्कमें अन्हारे रहैत छैक. सर्वविदित अछि, ऋतु परिवर्तन आ दिन-रातिक खेलक कारण पृथ्वी आ सूर्यक गति आ एक दोसराक सापेक्ष स्थान थिक. सूर्ये आ पृथ्वीक गति ई खेल हमरा लोकनिक जूडि शीतल आ तिलासंक्रांतिक दिन निर्धारित करैछ.
आखिर करीब सोलह घंटाक उड़ानक जखन  पछाति न्यूयॉर्ककेर जे एफ के हवाईअड्डापर प्लेन लैंड भेलैक तं ओतय करीब भोरक छौ बजैत रहैक. रनवे समुद्रक कछेरमें. पानिक रंग गाढ़, मटमैल. एशियाई समुद्रक हरियरी एकदम नहिं. ओना, समुद्र रंग तं सूर्यक किरण आ पानिमहक जैविक जीवन, तटीय इलाकाक माटि, बालु, ज्वार, आ प्रदूषणक परिणाम थिक.तें समुद्र कतहु नील, कतहु हरियर, कतहु, लाल तं कतहु श्वेत देखबामें अबैछ.                               
इमीग्रेशनमें हमर पत्नीसं कनेक पूछताछ  भेलनि; हमरासं कोनो पूछताछ नहिं. यथार्थमें वीसा केवल अमुक देशक एअरपोर्ट धरि जेबाक अनुमति थिक. इमीग्रेशन अधिकारीजं संतुष्ट नहिं भेलाह, तं, अहाँकें एयरपोर्टसं सेहो बैरंग वापस होमय पडि सकैत अछि ! आ से होइतो छैक.तें, कनेक धुक-धुकी तं स्वाभाविक.                                                        एयरपोर्टपर ककरो सं किछु पुछबाक काज नहिं. सब किछु साफ़-साफ़ लिखल, जेना आन सब एयरपोर्ट पर होइत छैक. हमरा सबकें नार्थ कैरोलिना जेबाक छल. अगिला फ्लाइटमें काफी बिलम्ब रहैक. अस्तु, सुष्मिताकें फोन केलियनि आ पहुँचनामा देलियनि आ कॉफ़ी कीनि समय बितबय लगलहु. एतय खयबाक वस्तु-सामग्री ओतेक महग नहिं. किन्तु, कॉफ़ीक ग्लास आ पित्ज़ाक साइज़ देखि कय आवश्यकतासं बहुत बेसी पैघ. एक ग्लास काफी दू गोटे साधा नहिं सकलहु ! सत्यतः, एतय देशक क्षेत्रफलहि-जकां रोड-सड़क, एअरपोर्ट, मनुक्ख, आ परसल भोजनक मात्रा धरि, सब किछु पैघ-पैघ. आने  सब अंतर्राष्ट्रीय एअरपोर्ट जकां एतहु सौवेनिर, लटकेना सामान,पत्रिका-पोथी, खाद्यपदार्थक बहुतो दोकान. हमरा लोकनि केरा किनल आ खायल. एहि सब दोकानक कतबहिमें एकटा सज्जन बूट-पोलिशकेर दोकान लगौने रहथि. लग जा कय देखलउ. गहिंकी सीढ़ीनुमा उंच मंचपर बैसथु जाहि सं जूता, श्रमिकक छातीक बराबरपर अबनि; श्रममें मनुक्खक प्रतिष्ठा आ सुविधाक ध्यान राखब विकसित देश सबहक दस्तूर थिकैक. हमरा लोकनि एखन ओहिमें एखन बहुत पाछू छी. विश्वकेर अनेक आन भागक विपरीत अमेरिकामें शुरूए सं मनुखक श्रमकें थोड़ करबाक आविष्कारपर जोर रहलैए. एकरे परिणाम थिक जे 19वी शताब्दीक उत्तरार्धहिमें अमेरिकामें एहन नव-नव यंत्र आ साधनक आविष्कार भेल जे मानव श्रम कें उत्तरोत्तर कम करैत गेलैक. तखन विश्वक अनेको भागमें औद्योगीकरण आ मशीनीकरणक नामहु नहिं रहैक.  मानल जाइछ, मात्र बांग (कपास) म सं बीया निकालबाक मशीनक आविष्कारसं अमेरिकामें लाखों श्रमिककें एहि कठिन काजसं  मुक्तितं भेटलनि, तूरकेर उत्पादन कतेक गुणा बढ़ि गेलैक से फूटे. जे किछु. एतय एक जोड़ जूता पोलिशकेर पारिश्रमिक 5 डॉलर; माने, दू सौ सं बेसी भारतीय टाका : बाहरसं अमेरिका गेनिहार भारतीय पर्यटकक ई रोग वा बाध्यता बुझू, जे, जे किछु किनब तुरत ओहि वस्तुक मूल्यकें भारतीय टाकामें बदलिकय भजारी वा ओहि वस्तु वा सेवाक अपना ओहिठामक दामसं मिलान करी. किन्तु, एहि मीमांसामें जायब बेकार. एतय, कविवर यात्रीक एक गोट मूल पांतीकें एना पढ़ी : ‘न्यूयॉर्क केर बूट-पौलिशकें नमस्कार हम कैल !’ आ अगिला उड़ानक हेतु आगाँ बढ़लहु. न्यूयॉर्कसं रॉली-डरहमक उड़ानमें हमरा लोकनिकें करीब डेढ़ घंटा लागल. छोट हवाई जहाज. सत्कारमें एक गिलास क्रेन-बेरी जूस आ ठंढा पानि. मुदा पानि पीयब मुश्किल.एतुका पानिक ग्लासमें बर्फ बेसी आ पानि कम देखलियैक ! आइ मौसम कनेक मेघाओन छैक. बाहर अन्हार-जकां. नीचा सघन जंगल, नदी आ समुद्र. सुनैत छी, अमेरिकाक मात्र 2% क्षेत्रफलपर आबादीक वास छैक.                             
हमरा लोकनि रॉली-डरहम पहुँचलहु. सुष्मिता आ सिद्धार्थ गाड़ी ल कय तत्पर रहथि ; अमृतं प्रिय दर्शनम् ! सामान उठबैत गेलहु आ हमरा लोकनि चैपल–हिल बिदा भेलहुँ.

चैपल-हिल
चैपल-हिल शहरकें नार्थ कैरोलिना राज्यक ग्रामीण इलाका कहि सकैत छियैक. शहरक चारू कात खेती-बारी आ पशुपालन. दूर-दूर धरि पसरल हरियरी. समुद्रक तरंग-जकां उपर नीचा होइत मैदान, मकईक पैघ-पैघ खेती, सघन जंगल, सर्पाकार सडक, आ बीच-बीच कतहु-कतहु दूर-दूर पर आवास. आवास आ खेती अलग-अलग इकाई बहुत पैघ-पैघ. गाछ-वृक्षपर भांति-भांतिक चिड़ई. खेत आ आवासीय परिसरमें हरिणक झुण्ड.  सम्पूर्ण इलाका एकटा पैघ अभयारण्य-जकां प्रतीत भेल. साबिकमें नार्थ कैरोलिना राज्य कपास आ तमाकूक खेतीले प्रसिद्ध छल. अमेरिकाक आन दक्षिणी इलाका-जकां, खेतीमें अश्वेत दास लोकनिक बेगारी (slavery) साविकमें एतुका समृद्धिक मूल रहैक. एखनहु एहि इलाकामें अश्वेत लोकनिक संख्या काफी. अमरीकी गृह युद्धक समयमें नार्थ करोलिना दासता उन्मूलनक विरुद्ध संगठित कॉनफेडरेट राज्य सबहक सहभागी छल. तें, युद्धक पछातियो एम्हर रंग-भेदक प्रथाकें उक्न्नन हयबामें बहुत समय लगलैक. चैपल हिलमें विश्वविद्यालय परिसरमें कनफेडरेट सैनिक, साइलेंट सैम, केर मूर्ति गृहयुद्धमें राष्ट्रीय सरकारक विरुद्ध नार्थ कैरोलिना राज्यक सहभागिताक साक्षी थिक. स्पष्ट अछि, बेगार-प्रथाक उन्मूलनसं अमेरिकाक दक्षिणी इलाकाक एहि कृषि-प्रधान राज्यसब सबहक आर्थिक हानि होइतैक. तें, ओहि युगमें (1861-1865) राष्ट्रीय-सेना     (Union) क  विरुद्ध अपन युद्धकें एतुका लोक गौरवक दृष्टिसं देखैत छल. किन्तु, आब बदलैत समयक संग ओहि रक्त-रंजित अभियानक स्मारकक विरोध प्रखर भेलैये, आ बहुतो बेर विश्वविद्यालयक मुख्यद्वारपर स्थापित एहि मूर्तिकें हंटयबाक स्वर सेहो मुखर भेलैये. आगूक समयमें की हयत, के कहत ? कोनो मूर्ति स्थायी नहिं होइछ : सोमनाथ, बामियान बुद्ध, जॉन सेसिल रोड्स, मार्क्स-लेनिन, सद्दाम हुसैन सबहक मूर्ति ध्वस्त भेले. अबैत समयमें साइलेंट साम कतय जेताह, मात्र समय कहि सकैत अछि.                     
अमेरिकामें दास-प्रथाक अंत भेना एक शताब्दीसं बेसी भ गेल छैक, किन्तु, श्वेत आ अश्वेत लोकनिक सामाजिक आ आर्थिक परिस्थितिमें एखनहु अन्तर छैक से कतहु-कतहु प्रतीत हयत. कवि किरणजी अपन भले कहथु,

की थिक भाग्य, विधाता के अछि ?                                    सबसँ पौरुष हमर प्रबल अछि !

किन्तु, अनुभव कहैत अछि, पीढ़ी-दर-पीढ़ीक दासताक पछाति, लोककें समानताक अधिकार भले भेटि जाउक, किन्तु, समान अवसर भेटलहुसं मन में एकाएक आत्मविश्वास नहिं जगैत छैक ! मरल आत्मसम्मानकें पुनः पनुगी देबामें अनेक पीढ़ी बीति जाइत छैक. अमेरिकाक अश्वेत आ भारतक दलित एकर अपवाद नहिं.                                              
चैपल-हिल मूलतः यूनिवर्सिटी ऑफ़ नार्थ कैरोलिना , चैपल हिल (यू एन सी एट चैपल हिल)क टाउनशिप थिक. नार्थ कैरोलिना विश्वविद्यालय अमेरिकाक पहिल पब्लिक यूनिवर्सिटी थिक जकरा पब्लिक आइवी लीग यूनिवर्सिटीक प्रतिष्ठा छैक. दू शताब्दीसं बेसी पुरान आ शिक्षाक क्षेत्रमें विश्वप्रसिद्द एतुका विश्वविद्यालय एहि शहरक नाक थिकैक. अमेरिकाक पुबारि कछेरक लगक बसल एहि स्थानक जलवायु मृदु छैक. राज्यक पश्चिमी भागमें अप्पलाचियन माउंटेन नार्थ करोलिना आ टेनेस्सी राज्यक बीच टूरिस्ट आकर्षण थिक, किन्तु, चैपल हिल केवल यूनिवर्सिटीए ले प्रसिद्ध अछि. प्रायः, यूनिवर्सिटीक स्थापनाक पूर्व एहि स्थानक परिचय केवल ओहि हिल वा पहाड़ीसं होइत छलैक जतय चैपल( वा पूजा-स्थल) रहैक. तें, ई शहर भेल चैपल हिल. विश्वविद्यालयक स्थापनाक पछाति क्रमशः यूनिवर्सिटीक बाहरक परिसर  टाउनशिपमें परिवर्तित होइत गेल. मुदा, एखनो शहरक आकार ततबे टा छैक जे यूनिवर्सिटीक छात्र, शिक्षक आ ओहिसं जुडल समुदायक आवश्यक . चैपल-हिलकेर समीपक रॉली आ ड्यूक शहर अवस्थित दू टा आओर यूनिवर्सिटी टाउनशिप ( ड्यूक आ डरहम यूनिवर्सिटी) टाउनशिप  मिलाकय नार्थ करोलिनाक ई इलाका अमेरिकाक ‘रिसर्च ट्रायंगल’ नाम सं प्रसिद्ध अछि.                                                                                                                                                                
फ्रेंकलिन स्ट्रीट
 चैपल हिल केर संस्कृति छोट शहरक संस्कृतिक अनुकूल, मंद मंथर गतिएँ चलैत जिनगी. कतहु भीड़-भड़क्का नहिं. पैदल चलैत नागरिक अनचिन्हारहुकें देखिकय अभिवादनमें मुसुकी अवश्य देताह. सडक पार करबा काल गाडी सब अचानक ठमकि जायत; पैदल यात्रीक सुरक्षा सभ्यता थिकैक. जनसंख्या मूलतः विद्यार्थीक आ शिक्षा आ स्वास्थ्यसं जुड़ल प्रोफेशनल लोकनिक. तें, ई नगर अध्ययन-अध्यापन ले सर्वथा उपयुक्त.                                                                      फ्रेंक्लिन स्ट्रीट यूनिवर्सिटी परिसरक दक्षिण एकटा सोझ लम्बा सडक आ एहि शहरक जान थिक. पैदल टहलिक आसानीसं आधा घंटासं कममें फ्रेंक्लिन स्ट्रीटक एक चक्कर लगा सकैत छी. तें चैपल हिल हमरा आओर नीक लागल. सरकारी कार्यालय, दोकान, होटल, रेस्टोरेंट, लीगल फर्म, हेयर कटिंग शैलून सं ल कय चर्च आ फ्यूनरल-होम धरि सब किछु  फ्रेंक्लिन स्ट्रीटमें भेटि जायत. फ्रेंक्लिन स्ट्रीटक एक छोरपर एकटा पुरान रेल लाइन सेहो एहि रोडकें पार करैछ. आब एहि रेल लाइनक प्रयोग केवल स्थानीय थर्मल पॉवर प्लांट धरि कोयला उघबाक हेतु मालगाड़ीक आबाजाहीले होइत छैक. एहि लाइन पर कदाचित् दिनमें एकटा मालगाड़ी जाइत हो. चालू रेल लाइनक बगलमें दोसर पुरान लाइन पर ठाढ़ एक टा ट्रेनक डब्बामें रेस्टोरेंट सेहो चलैत छैक. ई एक प्रकारक नवीनता भेल.                                                                अमेरिका एबाकाल हमरा एतुका रेल ऍमट्रैक आ बस सेवा ग्रेहाउंड पर सेहो यात्रा करबाक कौतूहल छल. ज्ञातव्य थिक, अमेरिकामें प्राइवेट कार सबसं सामान्य यातायातक साधन थिक. पब्लिक ट्रांसपोर्टले बसक उपयोगक उपयोग बहुत सीमित. बस संख्यामें कम आ आवागमन थोड़. बेसी बस शहरक भीतरे चलैछ. सबठाम शहर सबहक बीच बस आ ट्रेनक सेवा छैको नहिं. दूरस्थ स्थानक यात्राले जतय बस व ट्रेन छैको, सुरक्षाले लोक ससंकित रहैए. हमरो धिया पुता शहरसं बाहर ट्रेन आ बस यात्रासं मना केलनि. हम प्रवृत्तिए निर्भीक छी, किन्तु, अपरिचित देशमें जानकारक सलाह मानबे उचित. एतय चैपल हिलमें चौबीसों घंटा सर्कुलर रूटपर फ्री बस चलैत छैक. देशी छी, कि विदेशी, छात्र छी वा श्रमिक. केओ पूछत नहिं. निर्धारित स्थान आ समय पर बस अओतैक, बैसू, जतेक बेर जतय जेबाक हो जाउ. हम एहि बस सेवाक प्रचुर उपयोग कयल. सत्यतः, जं सम्यक बहुत कमी नहिं हो तं एतय बहुतो ठाम पैदल जा सकैत छी, सुष्मिता-सिद्धार्थ बेसीकाल दिन में यूनिवर्सिटीसं पैदल अबैत जाइछ रहथि. लोक साईकिल सेहो चढ़इत अछि. साइकिलकें बसक आगू सेहो लादि सकैत छी.              एतय फ्रेंक्लिन स्ट्रीटमें रेल लाइनक समीपहिंमें एकटा छोट-सन डिपार्टमेंट स्टोर छैक जकर आगाँ, सड़कक कातमें विशाल छायादार गाछक नीचा बेंचपर यदाकदा विश्वविद्यालयक छात्र लोकनि दिनक समयमें आबि की बैसैत छथि . धिया पुता गाछ तर खेलायल दौडल-भागल, खेलक पिलक आ अपने लोकनि वाई-फाई परिसरमें कंप्यूटर पर लिखबा-पढ़बाक काज केलनि. समीपक डिपार्टमेंट स्टोर में ब्रेड,बिस्कुट, केक, पेस्ट्री, वाइन आ अन्य ग्रोसरी सामान, आ बनल भोजन भेटैत छैक. भूख लागल, जे पसिन्न पड़य प्लेटपर राखू, वजन कराउ, आ पाबि लियअ. बगलमें फार्मेसी आ पछुआडमें स्थानीय  विभर स्ट्रीट मार्केटमें हफ्तामें प्रायः दू बेर आसपासक खेतिहर सब अपन हाट लगबैत छथि. बीवर स्ट्रीट मार्केटमें स्थानीय तरकारी आ फल-फलहरीसं ल कय पोर्क-बीफ, फूल-पत्तीक गाछ, बरहीक बनाओल लकड़ीक सामान, चर्म-शिल्पक उत्पाद, सब किछु भेटि जायत. सुष्मिता आ सिद्धार्थक आवास एतय सं लगे छनि . अस्तु हम लगभग नित्य व्यायामक हेतु दौड़इत फ्रेंक्लिन स्ट्रीट धरि एतय अबैत रही आ गाछ तर बेंचपर बैसि ओहि शान्ति आ स्वच्छ वातावरण आनन्द लैत रही जे आब भारतमें छोटहु शहरमें संभव नहिं.  फ्रेंक्लिन स्ट्रीटसं दक्षिणकेर इलाका यूनिवर्सिटी परिसर आ नार्थ कैरोलिना जनरल हॉस्पिटलक इलाका थिकैक. विशाल छायादार परिसर. सैकड़ों वर्ष पुरान, विभिन्न प्रकारक विशाल गाछसब.  गलीचा-जकां घासक बीच-बीच कंक्रीटक फुटपाथ. अनेक सुन्दर फुलबारी, पैघ-पैघ चर्च, बड़का-बड़का पुस्तकालय, आ ऐतिहासिक भवन सहजे आकृष्ट केलक. किन्तु, एतुका सबसं लोकप्रिय स्थल जतय विद्यार्थी आ हमरा-सन पर्यटक, दुनू, फोटो खिचबैत अछि ओ थिक कैरोलिना वेल- साविक इनारक ऐतिहासिक स्थानक मण्डप.
करोलिना वेल: पुरान इनारक स्थान आ विश्वविद्यालयक स्मृति-चिन्ह
विकिपीडियाक अनुसार आरम्भमें एतुका इनार एहि परिसरक एकमात्र पानिक श्रोत रहैक. पछाति, एकरा ऐतिहासिक स्वरुप दैत एहि स्थलकें एहि विश्वविद्यालयक सबसं सुपरिचित स्मृति–चिन्हक रूपमें प्रचारित कयल गेल अछि. सुनैत छी, एतुका छात्र समुदायमें ई मान्यता छैक जे एहि विश्वविद्यालयमें नामंकनक पहिल दिन जं एहि श्रोत सं पानि पीबी तं A ग्रेड रखले अछि ! सत्यतः, एहि मण्डपमें आब केवल एकटा नल छैक, किन्तु, ई स्थान फोटोग्राफीक हेतु लोकप्रिय आ नार्थ करोलिना विश्वविद्यालयक सुपरिचित स्मृति चिन्ह थिक.  कहैत छैक:
हमको मालूम है  जन्नत की हकीकत लेकिन , 
दिल खुश रखने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है’ !  

किन्तु, हमरा  जतबा धरि बूझल अछि,  विदेशी छात्रले एहि विश्वविद्यालयमें प्रवेश अपने आपमें एकटा उपलब्धि थिक. हमराले हमर कन्याक स्कॉलर हयब हमराले कतेक गौरवक विषय थिक, से हमरासं बेसी के बूझत. जे किछु, हम चैपल हिल में करीब छ हफ्ता रही. यूनिवर्सिटी परिसरमें घूमब फिरब हमर समय बितेबाक प्रिय अनमना  छल. अस्तु, कतेक बेर एहि पुरान इनार लग अयलहुं, गार्डेनमें घुमलहु, चर्चमें गेलहु आ पुस्तकालयसबमें पढ़लहु. फोटो सेहो खिचाओल. 
विश्वविद्यालय परिसरक एकटा स्थापत्य
एहि परिसरमें दोसर स्थान जे हमरा आकृष्ट केलक ओ छल गोड तीनेक विशाल लाइब्रेरी. एहि लाइब्रेरी सबमें हम कतेक बेर जा कय बैसलहु आ पढ़लहु.सुष्मिताक कार्डपर पोथी सेहो भेटिए जाइत छल. लाइब्रेरी सबमें बे रोक-टोक प्रवेशमें आ किताब आपस करबाक व्यवस्था आकृष्ट केलक. किताब आपस करबाक हो आनू भवन केर बाहर राखल डब्बामें राखि दियौक. एतुका एकटा लाइब्रेरीमें एक विशाल फ्लोर पर दास लोकनिक उतेढ़ ( Geneology of slaves) केर संकलन देखलियैक. ज्ञातव्य थिक, सत्रहम सं उनैसम शताब्दीक अवधिमें जखन अफीकासं बलपूर्वक आनल अश्वेत नागरिक बेच-बिकिनक दारुण व्यापार आरम्भ भेलैक तं  यूरोप आ उत्तर अमेरिकाक सामंत एहि अमानवीय व्यापारक मुख्य खरीददार रहथि. समुद्रमार्गसं  होइत एहि व्यापारमें कोन देशक लोक कतय-कतय गेल, तकर  कोन ठेकान. अपरिचित, माल-जाल सं बदतर मनुक्ख अनजान देशमें अपरिचयक अन्हारमें ओहिना विलीन भ जाइत छल मडुआक ढेरमें धूल. जे जतय गेल नव स्वामीक खेत-खरिहानमें नव जंतु भ गेल, नव नाम आ उपनाम भेटि गेलैक.  स्वामीकें  दुर्दिन आबि गेलनि आ दासेकें बेचबाक खगता भ गेलनि, तं दास बिका गेल. बिकायल दास आब जाहि खोंता वा खेतीक जाहि कामतपर बैसल, ओकर नाम पुनः बद्लि गेलैक. जं, दू पुरुष-नारि दासकें संग रहबाक अवसर भेलैक, तं कदाचित स्त्रीए बिका जाय आ पति पुराने स्वामी लग रहि जाय. जं सन्तान भेलैक, तं ओकरो बिक्री हेतैक, छागर-पाठी लोक बेचैए किने ? तें, एक मनुक्ख कतेक बेर बेचल जायत, कतय जायत, ओकर नाम की हेतैक, जियत वा मरत, देवो न जानाति कुतो मनुष्यः ! तथापि, अमरीकी सामंत लोकनिक प्लांटेशन ( खेती वा कामत) क पुरान रिकॉर्डक आधारपर क्रीत-दास (slave) लोकनिक उतेढ़ ( Geneology of slaves) केर जहां-तहां संकलन भेल छैक, आ ओही म सं लोक अपन पूर्वजक इतिहास, आ पूर्वजक यातनाक इतिहास लोक तकैत आयल अछि. अंतर्राष्ट्रीय दास-व्यापार आ ओकर मार्मिक कथा, 1976 में प्रकाशित अलेक्स हैलीक प्रसिद्द पोथी  Roots (‘जडि’) में भेटत.एहि पोथीमें लेखक अफीकासं बझाकय आनल अपन पूर्वज ‘कुंटा किन्टे’ नामक व्यक्तिक पीढ़ी-दर-पीढ़ीक यातना दारुण कथाक एहन ताना बना बुनने छथि जे पढ़िकय पात्रो पिघलि जायत. लेखक एहि कथाके अपन ओहि पूर्वजक, जे युवकेक वयसमें अफ्रीकाक गाम्बिया देश सं अपहरणक पछाति आनल गेल छलाह तनिका सहित अगिला सात पीढ़ीक सन्ततिक यातनाक इतिहास मानैत छथि. कतेको अन्वेषककें एहि कथाक ऐतिहासिकतापर संदेह छनि, किन्तु, ई कृति कालजयी छैक से के नहिं मानत. मानल जाइछ, एहि पोथीकें पढ़िकय बहुतो पाठक विचलित भ गेल रहथि !  दास प्रथापर आधारित दोसर पोथी जकरा एक अर्थमें अमरीकी गृह-युद्धक जनक मानल जाइछ ओ थिक Uncle Tom’s Cabin. मानव त्रासदी ई दुनू कथा पढ़बा योग्य थिक.                       एहि पुस्तकालय सब में अनेको व्यक्तिक व्यक्तिगत पुस्तकक संकलनक छोट-पैघ खण्ड सेहो छैक, जकर स्वरुप दाताक प्रति आदरस्वरुप यथावत राखल गेल छैक. चैपल-हिलमें रहैत हमरा जतेक संभव भेल एतुका पुस्तकालयक लाभ उठौलहु.

 लौरेल रिज अपार्टमेंट्स, रॉले, आ केरी  
नेपाल आ भारत देश दू थिक. किन्तु, नेपाल वा भारत यात्रा एहि दुनू देशक नागरिकले विदेश यात्राक कोटिमें नहिं गनल जाइछ. अस्तु, अमेरिकाक ई यात्रा हमरालोकनिक प्रथमे विदेश यात्रा थिक. सत्यतः, हम इतिहास आ भूगोलमें बड कमजोर छी. छठम-सातम वर्गक आगू ई विषय सब पढ़बाक अवसर कहियो नहिं भेल. तें, ई कहब अतिशयोक्ति नहिं हयत जे अमेरिकाक सम्बन्धमें हमर ज्ञान सर्वथा सीमित अछि. आब एखन अमेरिकामें छी. अस्तु, जतेक भ सकय जानि बूझि ली.                                      हम भारतीय सेनामें करीब पच्चीस वर्ष सेवा केने छी. सेनामें छुट्टीक बाध्यता रहैत छैक. किन्तु, कमी नहिं. अतः, जखन जतय समय भेल भारत में खूब घुमलहु. तथापि भारतक कतेको भाग एखन अछूते अछि. किन्तु, हमरा जनैत छुट्टी आ परफेक्ट हॉलिडे में अन्तर छैक. परफेक्ट हॉलिडे माने एहन समय जे तखन किछु सोचय नहिं पड़य. मैथिलीमें एकटा लोकोक्ति छैक, ‘बैसल ठाम खाई छी, पानि जकां दिन बितइए.’ एहि लोकोक्तिकक उपयोग तं काहिल आ बैसल मनुक्ख ले होइत छैक. मुदा, हमरा जनैत ई परफेक्ट हॉलिडेक उदाहरण सेहो थिक. चैपल-हिल केर हमर यात्रा एहने परफेक्ट हॉलिडे छल. हमर बेटी जमाय एतय लौरेल रिज अपार्टमेंट नामक एहि छोट-सन हाउसिंग काम्प्लेक्समें रहैत छथि. लौरेल रिज अपार्टमेंट आसानी सं शिमला-दार्जीलिंग व मसूरीक रिसोर्ट-जकां कहि सकैत छियैक. किन्तु, इलाका ने ओहन पहाडी आ ने प्रायः ओहन ठंडा. किन्तु, चीड़-देवदारुक गाछक मृदुल छाया, सुखद रौद, रंग-विरंगक पक्षी आ एकदम शांत वातावरण. विद्यार्थी वा लेखक-कविले ई स्थान एकदम उपयुक्त, पुरान देहरादून आ चकरातासं कनिएक भिन्न. अस्तु, हम प्रतिदिन, भोरे उठि बड़का चाहक मग ल कय बाहरक बरामदा, जे लगक भूमि सं चारिए छौ इंच उंच छैक, बैसैत छी आ कोनो पोथी, पत्रिका वा कंप्यूटरपर अपन रुचिक वस्तुक परायण करैत छी. सुष्मिता-सिद्धार्थक गमलाक फुलबारी, लगक जंगल आ आसपासक चिड़ई चुनमुनी ताधारी हमर संगबे रहैत अछि जाधरि आओर सब गोटे अपन-अपन चाह ल कय नहिं बहराइत छथि.
मोर्निंग टी टाइम
एतय घरे-घर राष्ट्रीय समाचार पत्र बेचबाक संस्कृति नहिं छैक. लोकल समाचारपत्र स्थानीय डिपार्टमेंट स्टोरमें भेटि जायत. किन्तु, ओहिमें अधिकांश भाग स्थानीय व्यापारिक प्रतिष्ठानक प्रचार, स्थानीय खेल कूद व सांस्कृतिक गतिविधि पर रहैछ. जकरा हम सब समाचार कहैत छियैक से थोड़. अस्तु, भोरे भोर चाह संगे समाचार पत्र जं चाही तं इन्टरनेट पर पढ़ि लियअ. एहि ठाम लुक्खी सब खूब छैक. सेहो मुस्तण्ड  आ निर्भीक. जं डरयबैक नहिं तं टेबुल पर सं बिस्कुट लूझिकय ल जायत !

चिड़इ चुन-मुनी छोट-छोट. जल्दी लग नहिं आओत. ई छोट-छोट चिड़ई जेना कार्डिनल वा बगडाक रूचि कीड़ा-मकोड़ा वा छोट-छोट दाना बिछबामें रहैछ. पैघ चिड़ई प्रायः तटीय इलाकामें होइक. तटीय इलाका एतय सं दूर छैक. एहि कॉलोनीमें गोड बीसेक छोट-छोट दू मंजिला कॉटेज. लगहिं में स्विमिंग पूल, खेलेबाक इलाका. धिया-पुताक हेतु झूला,स्लाइड,घास. बेसी घरबासी विद्यार्थी लोकनि. सामने नार्थ कैरोलिना बाईपास पर बस स्टैंड. लोकल बाज़ार गाछ-वृक्षक बीचे-बीच बाट पकडू आ चल जाउ. पड़ोसिया लोकनिक ओतय अयबाक-जयबाक व्यवहार नहिं. भारतीय मूलक विद्यार्थी लोकनि समय-समय पर अबैत छथि. कखनो-कखनो हमर बेटी-जमायकेर स्थानीय सहकर्मीलोकनि सेहो अबैत गेलाह. एक दिन सुष्मिताक संगी विद्यार्थी लडकीसब आबिकय हमर पत्नी रूपमसं मसाला चिकन बनायब सिखइत गेल, खेलक, आ बंचल भोजन संग सेहो ल गेल. 
चैपल हिलमें पाककलाक चटिसार: सुष्मिताक मित्र एडा आ मेरी बेल केर संग रूपम 
सिद्धार्थक मित्र लोकनि यदा-कदा क्रिकेट व टेनिस ले अबैत छथि. किछु गोटे दिल्लीओक छथि. एकटा मैथिल परिवारक ओतय सेहो गेलहुं. विदेशमें रहिकय सामाजिकता बनौने रहब मानसिक स्वास्थ्यक संजीवनी थिकैक, अन्यथा मनुष्य मात्र मशीनक पुर्जा भ कय रहि जायत.

सिद्धार्थ आ सुष्मिता
हमर जमाय डाक्टर सिद्दार्थ श्रीवास्तवकें अपन शास्त्रक अतिरिक्त साहित्य,ललित कला, आ समाजशास्त्रमें सेहो रूचि छनि. अस्तु, हमरा एतय पढ़बाक पोथीक कमी नहिं होइत अछि. एतय नन्दन नीलकेनीक पोथी Imagining India, थॉमस फ्रेडमैन केर The World is Flat ,  एरिक स्लोस्सर केर Fast Food Nation: The Darkside of the All American Meal- सन विचारोत्तेजक पोथीक अलावा अमेरिकी इतिहास पर अनेक पुस्तक पढ़बाक अवसर आ समय भेटल. संगहि, इहो गप्प लगसं बुझबा योग्य भेल जे विश्वक विभिन्न भागसं आयल, आ विभिन्न जाति, धर्म, इलाका,आ संस्कृतिक लोग कोना एतुका कार्यपद्धतिक एकरूप हिस्सा बनि एहि देशक सामूहिक वैज्ञानिक, आर्थिक आ सामजिक उत्थानक लक्ष्यमें योगदान करैत अछि. किन्तु, हमरा लोकनि जखन अपना अपना ओतय रहैत छी तखन परिवर्तनक विरोध आ यथास्थितिकें जोंक-जकां पकडि रहबाक आग्रह हमरा लोकनिकें कोल्हुक बड़द-जकां जक-थक बन्हने रहैछ. आवश्यकता छैक हमरा लोकनि यथास्थितिक एहि मोहकें लतियाकय दूर करी आ आगू बढ़ी. सुष्मिता आ सिद्धार्थक कार्य-प्रणाली नियमबद्ध छनि. किन्तु, अपना समय आ तरीकासं काज करबाक काफी स्वतंत्रता सेहो छनि. खाली समय में सिद्धार्थ हमरालोकनिके एतय सं मीलों दूर खेती-बारीक इलाका में सेहो ल गेलाह. दूर-दूर धरि पसरल मकईक खेत, अनाजक रखबाक उंच-उंच साइलो (बखारी). बीच-बीचमें सघन जंगल बाटें जाइत सर्पाकार,छायादार मनोरम बाट. कतहु-कतहु संकीर्ण जलधार, छोट-पैघ झील: जॉर्डन लेक एतुका पैघ झील थिक, सेहो एक दिन देखी गेलहुं. खेती-बारीक एकटा इलाकामें एकटा फार्मपर हमरा लोकनि प्रायः प्रत्येक हफ्ता दूध-दही किनय जाइत रही. एहि ठाम पिज़्ज़ा-पास्ता-सन भोजनकेर अलाबा आओर कथूक होम–डिलीवरीक सुविधा नहिं छैक. फार्मिंग इलाकाक गाओं सब खूब साफ़. गंदगी फैलयबाक भयानक दण्ड: $ 1000. से कतेक ठाम सड़कक काते कात लिखल देखलियैक. चैपल-हिलकेर समीप, अमेरिकामें दस-बीस माइल समीपे बूझल जाइछ, अनेक बाज़ार सब छैक. बेर-बेरी हमरा लोकनि अनेको ठाम गेलहु. विभिन्न प्रकारक रेस्टोरेंट आ भोजन चिखबाक अवसर भेल. ई तं बूझल अछि अमेरिका आप्रवासी लोकनिक देश थिक. तथापि, अनेक पुस्त बितलाक बाद आप्रवासीक अमेरिकन सन्तति लोकनि मोटा-मोटी एके रंग भ गेल छथि. गहिंकी नजरि सं देखलापर सूक्ष्मदर्शी दृष्टि, भाषा वा व्यवहारक कारण नागरिक लोकनिक पूर्व राष्ट्रीयताकें चीन्हि सकैत छथि. हं अफ़्रीकी मूलक अमेरिकीकें चिन्हब कोनो कठिन नहिं. संयोगसं, हमरा अपन बेटी-जमायक एकटा मित्र दम्पति, आ एतुका विश्वविद्यालयक मानविकीक शोधार्थी श्री सेबेस्टियन आ हुनक पत्नी मेरी बेल सं सेहो परिचय भेल. दुनू परिवारक बीचक मित्रताक कारण सेबेस्टियन आ मेरी बेलकेर ओतय एक दिन आप्रवासी पारिवारिक परिवेशमें स्पेनिश भोजनक अवसर सेहो भेल. डाक्टर सेबेस्टियन प्रायः पोलिटिकल इकॉनमी छात्र छलाह. छात्र आ विदेशी हेबाक कारण हुनकासं अमेरिकी फ़ास्ट-फ़ूड व्यवस्थापर खुलिकय गप्प भेल. ज्ञातव्य थिक, अमेरिकी लोकनिकें अपना देशक निंदा सुनबाक ने हिस्सक छनि, आ ने ओ लोकनि अमेरिकी जीवन पद्धतिक आलोचना सुनय चाहैत छथि. ई गप्प अहाँके अमेरिका यात्राक हेतु प्रकाशित टूरिस्ट गाइड-बुकमें सेहो भेटत. कारण, सोझ छैक : आम अमेरिकीके अपना देशक बाहरक विषयमें अत्यन्त सीमित ज्ञान हयब. दोसर सम्पूर्ण विश्वक लोकक अमेरिका अयबाक आफन तोडब.                               चैपल-हिल प्रवासमें एक दिन सिद्धार्थ एतयसं समीपक  केरी नामक शहर ल गेलाह. ओतय अभिनेता शाहिद कपूरक सिनेमा ‘कमीने’ देखल. समीपहिंक पाकिस्तानी रेस्टोरेंटमें भोजन भेलैक. हम सबठामक भोजन चिखैत छी. इंदिरागाँधी नहरसं ल कय ब्रह्मपुत्र-लोहित-सियांग-सिन्धु आ सयोक धरिक पानि पीने छी. किन्तु, हमरा भारतीय भोजन जतेक पसिन्न पडैत अछि ओतेक आओर कोनो नहिं. भारतीय आ पाकिस्तानी तंदूरी भोजनक स्वादमें बहुत भिन्नता नहिं. तें, एतुका भोजन नीक लागल. दुर्भाग्यवश मैथिल लोकनि अपन भोजनके बाहर प्रचारित नहिं करैत छथि. अन्यथा, रामरूच आ इडहर राजस्थान आ गुजरातक गट्टे की सब्जी सं कोन कम ! मिथिलाक भांटा-अदौरी, सरिसबक मशाला देल रामझिंगुनीक झोर, बिना प्याज-लहसुनक हींग बला मासु, आ सरिसबबला  माछक झोरक परतर कोन तन्दूरी  भोजन करत ! मडुआ सस्त भेल तें लोक दूसि देलकैक. गरीब खेलक तं अपवित्र भ गेल. मुदा कड़गर मडुआक रोटी, गेन्हारीक साग-नोन-सरिसबक तेल,-हरियर सूर्यमुखी मरिचाइ, आ कुच्चा अंचार खा क देखियौ. जं, भरिपेट बिनु खेने उठि जाइ, तं कहब. किन्तु, ई सब जं फाइव स्टार होटल होइत मिथिला में आबय तं पंजाबक ‘ मक्की दी रोटी ते सरसों दा  साग’ सं कम लोकप्रिय नहिं होयत ! दुर्भाग्यवश शहरमें रहनिहारि मैथिलानी लोकनिकें एक्सक्लूसिव मैथिल पाककला पर लिखबाक प्रेरणा एखन योरपसं आयब बांकि छनि. जखन अनरसा प्रॉक्टर गैम्बल, पेप्सी वा कैडबरी पेटेंट क लेत तखन ई लोकनि छाती अवश्य पिटतीह !!
विलमिन्टन आ कुरे बीच (समुद्र तट)

हमरा लोकनि कमला कातमें जन्म लेने छी. किन्तु, पहिल बेर समुद्र देखैत सैतालिस साल वयस भ गेल. सेहो कतय: मद्रासक मरीना बीच. गहिंड आ मारुख. बंगालक खाड़ी बड तमसाह, हुहुआइत आ नहिं जानि कखन की क बैसताह. माने, भल चाही तं दूरे रहू. दोसर बेर समुद्र देखबाक अवसर रामेश्वरममें भेल. संगमें माता, भाईजी एवं रूपम सेहो रहथि. एहि बेर समुद्रमें स्नान भेलैक. मुदा, ई यात्रा रूपम केर संकल्पक परिणाम, आ मूलतः हमर माताक तीर्थाटनक यात्रा छलनि. ओ तहिया प्रायः नब्बे वर्षक भ गेल रहथि. जेना हुनका हमर स्वास्थ्यक प्रति शंका रहनि तहिना हमरो हुनक सामर्थ्यपर संदेह होइत छल. किन्तु, ओहि बेर रूपम अपन संकल्पसं हुनका रामेश्वरम ल गेलखिन. तथापि जं सत्य कही तं हमरा समुद्र-स्नानक कोनो आनंदक अनुभव नहिं भेल छल.रामेश्वरम में समुद्र घोर-मट्ठा, आ उत्थर. ताहिपर अजस्र लोकक भीड़.  समुद्र-स्नानक आनन्दक अनुभव एहि बेरुक अमेरिका यात्रामें भेल. हमरा लोकनि चैपल हिलसं करीब पौने दू सौ माइल दक्षिण पूब दिस जायब. चालक सिद्धार्थ. यात्री बांकी तीन गोटे. करीब अढ़ाई घंटाक यात्रा. नार्थ कैरोलिना राज्यमें कुरे बीच (समुद्र तट) लोकप्रिय टूरिस्ट स्पॉट थिकैक. एतय अमेरिकामें छुट्टीक दिन घरमें आराम करबाक परिपाटी नहिं छैक. बेसी लोक शुक्रदिन सांझहि बाहर निकलि गेल. शनि-रवि मौज- मस्ती केलक. सोम दिन काज पर मुस्तैद. हमरा लोकनि कुरे तट जाइत रहीतं लगैत छल आधासं बेसी शैलानी-ए. कतेक गोटे पिक-अप वैनमें डर्ट बाईक लदने. ककरो गाड़ीपर छोट-छोट मोटर-बोट. हमरा लोकनि बीच एरिया सं पहिने एतुका प्रसिद्द एक्वेरियम देखय गेलहुं. एक्वेरियमक आरम्भ फ्रेश-वाटर जंतु सब सं होइत छैक, जाहिमें एतुका मांछ, काछु, सांप, आ आन जंतुक संकलन छैक.एकर अतिरिक्त तटीय जल जीवन आ समुद्री जीवनक खण्ड एतुका दोसर प्रमुख संकलन थिकैक. जलीय जन्तु सब में अमेरिकन अलिगेटर, टर्टल, ऑक्टोपस, कैट फिश, आ सांप सबहक प्रजाति प्रमुख छैक. पूर्णतः एयर कंडिशनड एहि एक्वेरियमक भ्रमणक पछाति हमरा लोकनि प्रचुर फोटोग्राफी कयल आ जेलो खा कय तृप्त आ ठंडा भेलहु.

आब समुद्र-स्नानक हेतु तैयारी पूरा रहैक. कुरे बीच इलाकाक पूरा अर्थव्यवस्था प्रायः पर्यटने पर आधारित छैक. समुद्रक कछेरहि पर,सड़केक काते-कात अजस्र कॉटेज. लगे में खुला इलाकामें अनेक शावर. तैराकीक ड्रेसमें जाउ, पहिने कलक पानिमें नीकसं देह भिजा लियअ आ तखन समुद्रमें स्नान करू.किन्तु, पीबाक जलक कल नहिं भेटत ! पानि पीबाक हो तं रेस्टोरेंटमें जाउ. अमेरिका में हैण्ड-पम्प तं उनैसमे शताब्दीमें विलुप्त भ गेलैक. समुद्र तटपर सत्यतः चानन छिलकैत. कतहु एकोटा खढ़ सेहो नहिं. हिदायत वएह: गंदगी फैलयबाक दण्ड: $ 1000. एतेक टाका ककरो ले कम नहिं. तें समुद्रक कछेरपर ने ककरो सिगरेटो पिबैत देखबैक, ने केओ ओतय पिकनिक करत. पोलीथिन, कागज आ बोतलक तं चर्चा नहिं. नील, पारदर्शी आ शीतल जल. पैसलहुतं निकलबाक मोन किएक हयत. समुद्र शांत. किन्तु जं जं आगू जायब, गहराई बढ़इत जाइछ, किन्तु अचानक नहिं. तें, अपन उंचाईक अनुसार जतेक दूर जेबाक हो जाउ हेलू. पानि में बैसू. मदिरापान आ खाद्य पदार्थ बीच पर वर्जित. समुद्रमें गहिंड वर्जित इलाकामें नीक सं नारंगी रंगक डोरी आ बैलून सबसं निशानदेही. कोस्टल पुलिसक मोटल बोटपर निरंतर गश्त. आइ हमरा लोकनि एतय समुद्र-स्नानक परिपूर्ण आनन्द लेल. स्नानक पछाति संगे आनल वस्तुक किछु-किछु भोजन भेलैक आ आपस चैपल-हिल. 
आगू बढ़ि सड़कक कातमें एकटा पार्कमें बैसि सरि भ कय जलखई-पनिपियाई भेलै. अमेरिकामें ई व्यवस्था सड़कक कात आ शहरमें बहुतो ठाम भेटत. पार्क सबमें बैसबाक स्थान, पानि आ बार्बेक्यूक व्यवस्था. अपन कोयला आनू. मासु-माछ लाऊ बार्बेक्यूकपर जे मन हो पकाऊ, खाऊ–पिबू, मौज करू.किन्तु, से फेर कहिओ.    
  
यु एन सि मेडिकल स्कूल आ  जनरल हॉस्पिटल
चैपल हिलमें विद्यालय परिसरहिमें मेडिकल स्कूल आ नार्थ कैरोलिना जनरल हॉस्पिटल सेहो छैक. सोचल एतुका आँखिक विभाग देखि आबी. अपना विदेशमें पढ़बाक कहियो सेहन्ता नहिं भेल से नहिं कहि सकैत छी. मुदा, कहियो प्रयासो केलिएक सेहो नहिं. कारण जे किछु होइक. अस्तु, भारत सं बाहर पढ़बाक अवसर नहिं भेटल अछि. इहो सत्य जे हमरा लोकनिक समय अबैत-अबैत भारतमें उपलब्ध चिकित्सा शास्त्रक पढ़ाई आ ट्रेनिंग केर अवसरमें ततबा विकास भ चुकल रहैक, जे भारतक नीक मेडिकल कॉलेज आ यूनिवर्सिटीक पढ़ाईक सुविधा यूरोप आ अमेरिकाक पढ़ाई  ट्रेनिंगक समकक्ष मानल जा सकैछ. मेडिकल सर्विसेजकेर प्रणालीमें अन्तर छैक से भिन्न बात भेल. एताबता, इन्टरनेटपर एहि विश्वविद्यालयक आँखि विभाग आ फैकल्टी लोकनिक लिस्ट देखलहु. कैटरेक्ट(मोतियाविन्दु) आ रेफ्राक्टिव सर्जरी विभागक प्रोफेसर  डाक्टर कोहेन हमर सामानधर्मा थिकाह. अस्तु, प्रोफेसर कोहेनकें ईमेल कयल. जवाब तुरत आबि गेल. हमरा लग समयक कोनो कमी नहिं छल. अस्तु, अगिले हफ्ताक आरम्भमें कोहेनक संग दू दिन बितयबाक प्रोग्राम बनल, जाहिमें अमेरिकाक एहि अस्पतालक कार्य-प्रणालीकें लग सं देखबाक अवसर भेटल. पहिल दिन भोरहिं अस्पतालसं कनेक हंटि कय डाक्टर कोहेनक ऑफिसमें गेलहुं. हुनक सेक्रेटरी (नाम बिसरि गेले) पहिने अपन डेस्क लग ल गेलीह; आ कंप्यूटर खोलि हेल्थ इन्सुरेंस प्रोटेक्शन एक्ट ( HIPPA) केर डेक्लेरेशन फॉर्म खोलि आगू द देलनि. गप्प ई जे एहि अस्पताल वा एतुका  रोगीसं  सम्बन्धित जे किछु गोपनीय जानकारी देखबैक तकरा बाहर प्रकाशित केला पर $250,000 धरिक दण्ड देब स्वीकार करैत छी. हम फॉर्म पढ़ल , प्रिंट कयल, आ हस्ताक्षर क कय सेक्रेटरी कें थम्हा देलियनि. सोचलहु, ई भेल ‘रूल ऑफ़ लॉ’. हमरा लोकनिक ओतय बाहर विदेशसं कतेक डाक्टर आ ऑब्जरवेशनक हेतु कतेको विद्यार्थी अबैत छथि. रोगीकें  देखलनि, ऑपरेशन केलनि, आ चल गेलाह. आइ धरि ककरो कोनो कागजपर दस्तख़त करैत भारत आ नेपालमें नहिं देखने छियैक. कानूनक किताबमें लिखल रोगीक प्राइवेसीक गप्प ककरो मोनहुमें नहिं अबैत छैक. भारतमें आम सरकारी अस्पतालमें तं रोगी मूर-भाटा  अछि, आ डाक्टर देवता. से उचित नहिं. कानूनक प्रति प्रतिबद्धता विकसित समाजक लक्षण थिकैक. तें, अमेरिका वा यूरोपमें पैघ वा छोट ककरो ई कहबामें संकोच नहिं होइत छैक, जे अमुक विषय कानूनक विरुद्ध छैक, वा ई नहिं भ सकत. अपना ओतय पैघ छी वा छोट क़ानूनक गप्प करब तं थापड़ो पडि सकैत अछि. कानून हंसी-विनोदक गप्प तं सबतरिए अछि. आब अजुका कार्यक्रम:                                                आई कोहेन ऑपरेशनमें छथि. अस्तु, निर्देशानुसार हुनक सेक्रेटरी हमर संग भेलीह आ ओ पी डी ब्लाक सं करीब सौ-दू सौ मीटर दूर डे केयर ब्लॉकमें ओप्रेसन थिएटर धरि हमरा पहुंचा देलनि. एहि अस्पतालक ऑपरेशन थिएटरक कार्य पद्धति आ हमरा लोकनिक कार्य पद्धतिमें समानता आ असमानता दुनू छैक. काज एके रंग. मॉडर्न मेडिकल साइंस सम्पूर्ण विश्वमें एके रंग छैक. हमरो लोकनि अमेरिकने टेक्स्ट-बुक पढ़इत आ पढ़बैत छी. चिकित्साक प्रणाली एके छैक. तखन अमेरिकामें सिस्टम अप-टू-डेट छैक, से आब प्राइवेट सेक्टर में भारतीय अस्पताल में सेहो भेटत. किन्तु, अमेरिकामें चिकित्सा अपेक्षाकृत अत्यन्त महग छैक. हमरा लोकनि थोड़ समयमें अधिक रोगिक उपचार करैत छी. एतय सिस्टम धीमा छैक. तुलना करिएक तं ओहि दिन दिन भरि में डाक्टर कोहेन छौ टा कैटरेक्टक ऑपरेशन केलनि. हमरा लोकनि नौ बजेसं एक बजेक बीच दस टा कय लैत छी ! केओ बेसिओ करैए. तखन अन्तर ई छैक जे एतय किछुओ निर्धारित रीति सं एको रत्ती भिन्न नहिं होइत छैक, जकरा protocol-based सिस्टम कहल जाइत छैक. तखन एतय कोनो वस्तु आ व्यवस्थाक कमीओ नहिं छैक. तथापि, स्टाफक संख्या कम करबाक कारणें एतुका सिस्टममें वस्तुक बरबादी बेसी होइत छैक; एकरा wasteful system कहबैक. उदाहरणार्थ, एतय प्रत्येक ऑपरेशनले पैक्ड उपकरणक डब्बा बाहर सं अबैत छैक. जे उपयोग भेल से भेल, बाकी डस्ट-बिन में. एहि सं बायोमेडिकल कचड़ातं बढ़िते छैक, मूल्य सेहो. ई स्पष्ट जे अमेरिकामें मैनेजमेंटक क्षेत्रमें जतेक शोध होइत छैक ताही सं बेसी प्रायहे कतहु आन ठाम होइत होइक. तें ई सब हुनका लोकनिक दृष्टिपर नहिं पडैत हेतनि से असम्भव. किन्तु, एहि सबमें केवल मूल्य एके टा विन्दु भेलैक ने. सब किछु में सम्पूर्ण व्यवसाय आ अनेक उद्योगक स्वार्थ निहित छैक जकरा सब समाज भिन्न-भिन्न दृष्टिए देखैत अछि. जेना भारतमें उत्पादित, जेनेरिक औषधिक मूल्य विकसित देश सबमें उत्पादित ओही सब औषधिक ब्रांडेड प्रतिरूपसं कतेको गुणा सस्त किन्तु, गुण में सामान छैक. किन्तु, विकसित देशक उद्योगकें एहिसं हानि होइत छैक. तें, ओ लोकनि स्थानीय लोकमतक विरुद्ध अनेक-अनेक बहानासं जेनेरिक औषधिक विरोध करैत रहैत छथि.
डाक्टर कोहेनक संग जे दू दिन बीतल ताहि दुनू दिन कोहेन आ हुनक विद्यार्थी मीलि की छौ-छौ टा कैटरेक्टक ऑपरेशन कय लेंस लगौलनि. ऑपरेशन वएह जे हमरा लोकनि करैत छी. किन्तु, एतय डॉक्यूमेंटेशन पूर्णतः इलेक्ट्रोनिक छैक. डाक्टर ऑपरेशन केलनि आ डिकटाफोनपर जा कय सब किछु रिकॉर्ड क अयलाह. कोन ठेकान बंगलोर, हनोई वा क्वालालंपुरमें बैसल 15 डॉलर प्रतिदिनक वेतन पर खटनिहार केओ मेडिकल ट्रांसक्रिप्शनक क्लर्क ओकरा रातिमें बैसल टाइप करैत होथि ! एतय तं मोटर गराज धरिमें आधा घंटा लगा कय कार कें केवल चेक करबाक न्यूनतम रेट $ 37.5 लिखल देखलियैक !                                                                       अस्पतालमें दोसर दिन डाक्टर कोहेन ऑपरेशनक पछाति हमरा अपना संग वार्ड-राउंड पर ल गेलाह. वार्ड जेबा सं पूर्व हमरा लोकनि ओ पी डी ब्लॉक गेलहु. ओतय एकटा नव उपकरण (anterior segment OCT) देखबैत, डाक्टर कोहेन कहलनि, ‘This is our new toy’ ( ई हमरा लोकनिक नवीनतम उपकरण थिक ) हम कहलियनि, ‘ई तं हम भारतमें 2006 में देखने छियैक’. ओ कनेक चकित भेलाह. असलमें आब विदेशमें जहिना उपकरण सबहक इजाद होइत छैक, किनबाक सामर्थ्य अछि, तं, भारतहु में तुरत आबि जाइत छैक. केवल टाका चाही. आर्थिक उदारीकरणक युगसं पूर्व अनेक बाधा रहैक, से आब नहिं छैक.
ओ पी डी ब्लॉकक संक्षिप्त राउंडक बाद इनडोर राउंडक हेतु डाक्टर कोहेन एकटा पारामेडिककें हमरा संग लगा देलनि. ई बालक बससं हमरा जनरल हॉस्पिटलक इन डोर धरि ल गेलाह. वार्डमें डाक्टर कोहेनक स्नातकोत्तर छात्र , डाक्टर लेस्ली हमर प्रतीक्षामें तत्पर रहथि. राउंड आरम्भ हेबा सं पूर्व कोहेन सेहो पहुँचलाह. कोहेनक संग हमरा लोकनि रूमे-रूम रोगी सब कें देखैत गेलहु. एतुका वार्ड आ उच्च श्रेणीक होटल-रूम में कोनो अन्तर नहिं. आब भारतो में प्राइवेट अस्पताल सब ओहने लागत, भले उपचारक स्तरमें भिन्नता होइक. राउंडक क्रम में रोगी देखैत आगू जाइत आगू बढ़लहु. अपन सीनियर प्रोफेसरसंग हमर मित्रता आ सौजन्य देखि डाक्टर लेस्ली अपन हाथक एकटा यंत्र हमरा दिस बढ़बैत, हमरो सं रोगीकें देखबाक आग्रह केलनि. किन्तु, डाक्टर  कोहेन तुरत इशारासं हुनका रोकि देलखिन ; रोगीकें हमर देखब HIPPA कानूनक विरुद्ध होइतैक आ अमेरिका रूल ऑफ़ लॉ केर देश थिक !                                                                        हॉस्पिटलसं छूटलकाक पछाति हमरा डाक्टर कोहेन संग डिनरकेर निमंत्रण छल. बाहरसं आयल सर्वथा अपरिचित व्यक्तिक प्रति ई सौजन्य आ मित्रभावसं हम प्रभावित भेलहुँ. ओहुना डाक्टर कोहेन स्वाभावमें मृदु आ व्यवहारमें सौजन्यशील प्रतीत भेलाह. अमेरिकन सब ओहुना मित्रतापूर्ण मानल जाइछ, तकर प्रत्यक्ष अनुभव हमरा लेह में भेल छल; हमरा लोकनिक लेह जनरल हॉस्पिटलमें हवाई राज्यक अमेरिकी सेनाक ट्रिपलर मेडिकल सेंटरसं  तीन टा अमेरिकन स्पेशलिस्ट दू-तीन दिन ले हमरा लोकनिक ओतय लेह आयल छलाह. जे किछु.                                         
भोजन ले डाक्टर कोहेन हमरालोकनिकें  एतुका फ्रेंक्लिन स्ट्रीटक एकटा नीक रेस्टोरेंटमें ल गेलाह. संगमें ईरानी मूलक हुनक पोस्ट ग्रेजुएट छात्र डाक्टर श्रीमती इस्माइली सेहो रहथि. डाक्टर कोहेन हमरा पुछलनि, ‘भारतमें लोक भोजनक संग कोन पेय पिबैत अछि, व्हिस्की ?’                   
हम कहलियनि, ‘भोजनक संग भारतमें पेय केर कोनो नियत परिपाटी नहिं छैक.’ तथापि, कोहेन रेड वाइन मंगओलनि. दिव्य इटालियन भोजन, रेड वाइन, नीक कम्पनी आ चैपल हिलक मृदु मौसममें केर सांझ नीक लागल. हमरा लोकनि भोजन समाप्त कयल. आ We called it a (fine) day. वापसीमें डाक्टर कोहेन हमरा ल कय  हमर डेरा बिदा भेलाह. बाट में हमही बस स्टैंड लग उतरि गेलहुं. सोचल आब सबटा रहल खेहल अछि. कोहेन 65 वर्षक छथि. दिन भरिक काजक पछाति जएह दस मिनट बंचि जेतनि. किन्तु, हमरा बस भेटबामें कनेक बिलम्ब भ गेल. फलतः हमरा देरी होइत देखि हमर खोजमें हमर जमाय  सिद्धार्थ हमरा तकबाले बिदा भ गेलाह; 2009 में अमेरिकामें हमरालग मोबाइल छल नहिं. विदेशमें धिया-पुताके बाहरसं आयल परिवारजन ले चिंता भ जाइत छैक. यद्यपि, जं अंग्रेजी बजैत होई, आ विदेशमें सुरक्षा आ असुरक्षाक तथ्यसं परिचित होई तं शंकाक कोनो कारण नहिं. हमरा चैपल हिल रहल खेहल बूझि पडैत छल. हमरा धियापूताक चिन्ताक अनुमान किएक हयत. एखनो हमर सोच तेहने अछि.   अस्तु, जखन हम डेरा पहुँचलहु सिद्धार्थ हमर खोज में चैपल हिलकेर दू चक्कर लगा थाकि कय हमर प्रतीक्षामें डेरे पर बैसल रहथि. सुष्मिताक चिन्ताक निदानमें हमरा एको क्षण किएक लागत. पत्नी ? हमर विचार जे जखनो अपन गलती नहिं हो पत्नीके सफाई देबाक प्रयास नहिंए करी. ई गप्प तिरुवल्लुवर वा चाणक्य नहिं कहने छथिन, मुदा, तैयो, भल जे हमर गप्प मानि ली.   अस्तु, हम चेहरा पर मुसुकी दैत कहलियनि, चलू, ई अध्याय एहि यात्राक चटनी-अंचार भेल ! सैनिक आ ताहिपर पाराट्रूपर, हमरा ले चिन्ता जुनी करी. हम कतहु हडयबायोग्य नहिं छी !!                                                              

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