Sunday, June 23, 2019

प्रश्न

प्रश्न
मुजफ्फरपुरमें एहि बेर जखन एनकेफलोपथी सं सौ सं बेसी नेनाक मृत्यु भ गेलैक, तं, अन्ततः एहि खबरि कें समाचारपत्र सबमें स्थान भेटलैक ; ताधरि लोकसभा चुनावक समाचारक प्रतापें दैनिक पत्रिका सब  समोसा-जलेबी आ गोलगप्पा-जकां हाथें-हाथ बिका रहल छल आ पार्टी कार्यकर्त्ता लोकनि मुफ्तो बांटि रहल छलाह. लोकतंत्रक एहि पंचबरखा राष्ट्रीय करतेबताक अवसर पर टाका उगाही छोडि, नेना- भुटकाक सामूहिक मृत्यु-सन मनहूस समाचार छापि, कोन दैनिक अपन पयर पर कुडहरि मारैत ! तें, केंद्रमें सरकारक ताजपोशीक खबरि जहिना बसियएलैक, अन्ततः मुख्यमंत्रीओकें मुजफ्फरपुर आबय पड़लनि. किन्तु, विरोधी लोकनिक नाराबाजी आ मुज़फ्फरपुरक गर्मीक कारण शीघ्रहिं ओ पटनाक बाट धेलनि. बिहारक जनता तं दूइए हफ्ता पूर्व अभूतपूर्व बहुमत सं हुनकर सुशासनमें विश्वास व्यक्त कइए चुकल छल; प्रत्यक्षम् किम् प्रमाणं !  बिहारक भाग जागल छलैके. अस्तु, केंद्र सरकारक डाक्टर-स्वास्थ्य मंत्री सेहो मुजफ्फरपुर अयलाह. पत्रकार लोकनि ले फेर भोज जागल. समस्या पाछू छूटि गेल आ समाचार आगू भ गेल. फलतः, मंत्रीजी क अस्पताल में पयर देबा सं पहिनहिं हुनक छवि एकाएक देश भरि टीवी पर पोस्टर-जकां चिपकि गेल. मंत्रीजीक आश्वासन सुनि पार्टीकार्यकर्ता लोकनिक छाती छप्पन इंच भ गेलनि आ पीड़ित लोकनिक आँखिसं नोर बहय लगलैक.
मंत्री जी घोषणा केलनि: ‘केंद्र सरकार राज्य कें सब सहायता देबा ले कृतसंकल्प अछि.’
वाह ! दोहाइ सरकार !!
‘दिल्लीसं अविलम्ब डाक्टर लोकनिक एकटा दल एतय आओत आ समस्याक जड़ि धरि पहुँचबाक कोशिश करत’.
बड बढ़िया. 2014 में सेहो सएह कहने रहियैक, सरकार ! रोगे एहन थेथर अछि जे मंत्रियोक आश्वासनकें नहिं सुनैछ, आ बिहारेमें घर बन्हने अछि.
आगू, एकटा पत्रकार- ‘सुनैत छियैक, अधिक लीची खेलासं नेना सबमें मस्तिक सोथ भ जाइत छैक .’
मंत्री – ‘ हं. तकर किछु प्रमाण तं 'लांसेट' नामक वैज्ञानिक पत्र में अवश्य छपल रहैक’.
दोसर पत्रकार- ‘ आंकड़ा कहैत अछि, बिहार में पांच वर्ष सं कम वयसक नेनालोकनि में करीब आधा कुपोषणक शिकार छथि’.
मंत्री जी बिहुँसैत- ‘ एहू पर ध्यान दियौक ने, जे, दस वर्ष पूर्वक स्थिति एहू सं खराब रहैक’.
ताबते पत्रकार सब कें धकियबैत एकटा पार्टी कार्यकर्ता मंत्रीजी सामने आबि बीचे में ठाढ़ भ, ‘आब बहुत भेल. मुसहरी गाओंक किछु जनता आयल अछि. मंत्री जी कें कने ओकरो सब सं गप्प करय दियनु. आ दल दिस इशारा करैत, ‘कहहक कका.’
कोइला-सन कारी देह आ रत्ती पतन्ना धोती. माइनजन मिसरी सदा उठि क ठाढ़ भेलाह, किन्तु, बाजि नहिं भेलनि. ओ भोकारि फाडि  कय कानय लगलाह : ‘सरकार, हमरा आउर तं सबटा लीची तोडिक पैकारक ट्रक पर चढ़ा देने रहियैक. गोटपंगरा जे बंचल रहै से हवेली पर द एलियै. तैपर सं, बाबू, अढ़ाई बरिसक हमर सोनमा कोन गाछ पर चढ़ितैक ! तखन, अंही कहियौ, ई डकूबा लीची हमर घर में किए डाका द गेल !!’
चारू कात सब निःशब्द भ गेल. मंत्रीजीकें  दिल्ली जेबाक लेल बिलम्ब भ रहल छलनि. प्रेस-कांफ्रेंस अकस्मात् समाप्त भ गेल.   



Saturday, June 22, 2019

आइ एस आइ मार्का

आइ एस आइ मार्का *
कीर्तिनाथ झा
वाद-विवादमें गर्मजोशीक  दृष्टिएं भारतीय रेलक सेकेंड क्लासक डिब्बा लोकसभा सं कम नहिं. जहां ठाम चारि गोटे जमा हेताह गप्प-सड़क्का शुरू भ जायत. गप्प-सड़क्का कखन वाद-विवाद में बदलि जायत के कहत ! फेर आस-पासक लोक चुन-तमाकू–पान-सुपारीक बहाना, वा केवल गप्प करबाक लोभें सहटि कय लग अओताह आ गाम घरक पॉलिटिक्स सं ल कय भारतक विदेश नीति धरिक  विवेचना आरम्भ भ जायत.
ओहि दिन चेन्नई सं जखन लालबाग एक्सप्रेस खूजल रहैक, चेयर कारक गेट लगक भागमें केवल एकटा दम्पति रहथि आ दू टा युवक. दम्पति प्रायः दक्षिण भारत  केर भ्रमण पर निकलल रहथि आ युवक लोकनि, चेन्नईक कोनो मेडिकल कॉलेजक शिक्षक, बंगलोर जाइत रहथि. पति-पत्नी अपन गप्प में लागल रहथि आ डाक्टर लोकनि अपन व्यवसायक विसंगतिक चर्चामें, जेना एकान्त में अपन वर्गक वृहत् समुदाय सं कनेक दूर में रहलासं जे स्वतंत्रता होइत छैक तकर अनुकूल, मोनक  भड़ास निकालबामें लागल रहथि.
ताबते महिला के पियास लगलनि, आ ओ लग में राखल मिनरल वाटरक बोतल खोलि पानि पीयब शुरू केलनि. किन्तु, मोन विकृत भ गेलनि. पति कें लक्ष्य कय कहलखिन, 'केहन पानि छैक ! मोन विकृत भ गेल'. एहन परिस्थिति में आम पतिक जेहन प्रतिक्रिया हेबाक चाही, से भेलनि. बेचारे ओहि सं बेसी की बजितथि. कहलखिन, 'पानि तं नीके बूझि पड़ैछ.
‘ कपार नीक रहतै ! पीबि कय देखबै, तखन ने !!’
पतिदेव  बंचबाक कोनो रास्ता ताकय लगलाह. संयोग सं बोतल केर लेबल देखि मोन प्रसन्न भ गेलनि. कहलखिन, ‘देखियौ ने बोतल पर आइ एस आइ क मार्का सेहो छैक ! शुद्धताक एहि सं बेसी की प्रमाण चाही ?  महिला मुंह दुसैत कहलखिन, ‘ लोक पानिक स्वाद चिखत, कि आइ एस आइ क मार्का देखतै !’
पतिदेव चुप भ गेलाह. आ पत्नी सेहो कातमें राखल ‘वनिता’ उनटाबय लगलीह.
डाक्टर लोकनिकक गप्प वाद-विवाद नहिं. ओ लोकनि कालेज सं दूर, खुलिकय, मनक भड़ास निकालबाक अवसर हाथ सं जाय नहिं देबय चाहैत छलाह.
एक गोटे जे कनेक सीनियर-सन रहथि, शुरू भेलाह: ‘एहि बेर तं हद्द भ गेल. एम् एस केर परीक्षा लैत मोन होइत छल फेर कहियो एक्जामिनर नहिं बनी. ने कोनो व्यवहारिक ज्ञान, ने बजबाक लूरि. डाक्टरी साढ़े बाईस. सब बनत  स्पेशलिस्ट. हम तं कतेक बेर सं परीक्षाक समय में छुट्टीक आवेदन द दैत छियैक. किन्तु, प्रिंसिपल अस्वीकार क दैत छथि. कहताह, 'एहि बेर पार लगा दियौक. विद्यार्थी तं अहिंक थिक'. अल्हुआ विद्यार्थी ! पढ़ब-लिखब साढ़े-बाईस, खाली पास हेबाले आफन तोड़ने. बापकेर ढौआ पर फुटानी'. दोसर बंधु , अपन विवशता देखबैत शुरू भेलाह :
‘ हम तं पछिला बेर अडि गेलियैक. ओ बकलेल माथुर नहिं छल, तकरा तं हम कहि देलियैक, 'यहाँ न लागहिं राउर माया'. जाह ! अगिला बेर अबिहह' !! मुदा, एहि बेर चेयरमैन/ चांसलर  केर फ़ोन आबि गेल. तेहन ने ढीठ अछि, जे, की कहू. आ असल में, भला आदमियो रहैत तैयो नौकरी सं तं निकालि सकिते अछि. ई तं सत्य थिकैक ! की करितहुँ, आजिज भ क पास करय पड़ल.’
‘ यौ, की  कहू. हमरा डिपार्टमेंटक ई कतेक बेर फेल भेल विद्यार्थी तं जुआयल मूढ़ छल. सातम बेर छलैक. किन्तु, वैह , प्रशासनकेर दवाब. हम उठा देलियैक. किन्तु, प्रिंसिपल हाथ जोडि  लेलनि. कहय लगलाह, ‘ पास क दियौ. अहाँ कें लगइए ई कहियो डाक्टरी करतैक ! श्वसुर कें बिलियन डॉलर केर व्यापार छैक !! बोर्ड पर केवल एम.डी. लिखतीह.ततबे.’
हम कहलियनि, ‘ जीवनक ओहि पार यमराज पुछताह तं हम की जवाब देबनि !’
प्रिंसिपल साहेब हंसय लगलाह, ‘ यौ, डाक्टरी करतैक तखन ने ककरो नोकसान हेतैक. ओकरा तं मात्र सर्टिफिकेट चाहियैक.’ प्रिसिंपल तर्क जितलाह आ हम सब ओकरा पास क देल'.
एतेक काल धरि सामनेक दम्पति आ ई डाक्टर लोकनि अपन-अपन धुन में छलाह. किन्तु, डाक्टर लोकनिक गप्प पर महिला जेना एके बेर निन्न सं जागि उठलीह आ अकस्मात् पुछि बैसलखिन,' एं यौ, डाक्टर साहेब, एकर मतलब अहूँ लोकनि ओहिना, एहि पानिएक बोतल-जकां, डाक्टर सब पर आइ एस आइ मार्काक लेबल  साटि दैत छियैक !'
ई सुनैत, दुनू डाक्टर तेना अवाक भ गेलाह जे बंगलोर धरिक यात्रा में फेर हुनका लोकनिक मुंह नहिं खुजलनि.
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*आइ एस आइ मार्क ( इंडियन स्टैटिस्टिकल इन्स्टीट्यूट) केर द्वारा प्रमाणित शुद्धताक लेबुल थिकैक.

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