Sunday, June 28, 2020

कोरोना कांड समाजक विशिष्टता आ विकृति दुनू कें देखार रहल अछि

COVID-19 डायरी सं

कोरोना कांड समाजक विशिष्टता आ विकृति दुनू कें देखार रहल अछि

27.06.2020

कोरोना कांड मनुष्य आ समाजक छिपल स्वभावक विशिष्टता आ विकृति दुनू कें देखार रहल अछि, देशक नागरिककें एखन जाहि समस्याक सामना करय पड़ैत छैक से तं सभक सोझां अछिए. 7जून 2020 क दैनिक ‘हिन्दू’ में प्रकाशित एक समाचारक अनुसार ग्रेटर नोएडाक खोदा कोलोनी निवासी श्री मती नीलमकें प्रसवक अवस्थामें नोएडा केर इ एस आइ, चाइल्ड पी जी आइ, शारदा हॉस्पिटल, जी आइ एम एस सहित अनेक अस्पतालमें करीब 13 घंटा बौअयलाक पछाति जी आइ एम एस मृत घोषित कयल गेलनि. किएक ? एकर जवाब देब ततेक स्पष्ट अछि, जे जवाब देब आवश्यक नहिं. किन्तु, केओ ई तं लोक सं पुछौक जे कोरना महामारीक संकट में मनुष्यक चेतनाकें एहन घून कोना लागि गेलैये ! संभव छैक, आइ ने काल्हि कोरोनाक इलाज निकलबे करत, किन्तु, समाजमें निरंतर मरैत मानवीय मूल्यक पुनर्स्थापना कोना हयत से समाजक हेतु अवश्य सोचबाक विषय थिक ! कारण, आइ नीलम, काल्हि हमरो अहाँक इएह हाल हो से असम्भव नहिं !

                                                                        *

कोरोनाक संक्रमण थम्हबाक नाम नहिं ल’ रहल अछि. फलतः, अनेक ठामक सरकार कोरोनाकें नियंत्रणमें करबा ले अनेक कदम उठबैत अछि. तमिलनाडु सरकार पुनः चेन्नई सहित आओर चारि जिलामें 19 - 30 जून धरि पूर्ण बंदीक घोषणा कयलक. बंदीक उल्लंघन पर कानून में दण्डकेर प्रावधान छैक. किन्तु, बंदीक उल्लंघन कयनिहारक विरुद्ध काररवाई में तमिलनाडुक सुदूर दक्षिण जिला तूतीकोरिनमें जे घटना भेले से तमिलनाडुक पुलिस व्यवस्थापर बड़का प्रश्नचिन्ह ठाढ़ करैत अछि. अठावन वर्षीय पिता जयराज, एकतीस वर्षीय पुत्र बेनिस पर कर्फ्यूक अवधिमें दोकान खोलने रहबाक आरोप रहनि. फलतः, कानून उल्लंघनक आरोपमें विगत 19 जून क हिनका लोकनिकें पुलिस हिरासतमें लेलक आ कय हवालातमें बंद केलक. आरोप छैक जे भरि राति पुलिस यंत्रणाक बाद  दोसर दिन पुलिस हिनका लोकनिकें स्थानीय सब-जेल में पठओलक. किन्तु, तकर बाद जे भेलैक से अप्रत्याशित छल: अगिला दू दिनक भीतरे विभिन्न कारणसं पिता-पुत्र दुनूक मृत्यु भ’ गेलनि ! एहि दुर्घटनाक पछाति ओतुका व्यापारी वर्ग आ नागरिकमें  आक्रोश तं उचिते छैककिन्तु, घटना बाद उग्र नागरिकक क्रोधकें शान्त करबाक हेतु उचित कारण तकबाले तमिलनाडु सरकार एखन धरि माथ हंसोथि रहल अछि ! पुलिसक दिस सं वक्तव्य आयब बांकीए अछि.

चेन्नई सं प्रकाशित दैनिक ‘हिन्दू’ अपन अग्रलेखमें एहि मृत्यु कें ‘निरर्थक मृत्यु’क संज्ञा दैत तमिलनाडु पुलिसक हिरासतमें होइत नागरिकक मृत्यु पर प्रश्न सूचक चिन्ह तं  लगौनहि अछि, संगहिं, लॉक-डाउन भंग कयनिहार नागरिकक अपराधके ‘नॉन-बेलेबुल’ बनयबाक हेतु कानून तोड़निहारक विरुद्ध अकारण नव आरोपकें थोपबाक पुलिसक प्रवृत्तिकें सेहो रेखांकित कयने अछि.   हं, एकटा बात तं बिसरिए  गेल. पुलिस कानूनमें सुधारकें लागू करबाक  हेतु 2006 में जारी  सुप्रीम कोर्टक आदेशक की भेलैक से ककरो मोन अछि !   

 


 


Saturday, June 27, 2020

भारत-चीन सीमा विवाद : परिप्रेक्ष्य आ प्रतिकार

भारत-चीन सीमा विवाद : परिप्रेक्ष्य आ प्रतिकार  

करी युद्ध जं तौली चारि

शत्रु, मित्र, अपन बुत्ता, आ लाभ  

-तिरुवल्लुवर, कुरल,471.

एखनुक युगमें जखन ककरहु सं किछु छिपल नहिं रहैत छैक, तखन सीमा क्षेत्रमें दुश्मनक चौंका देबबला गतिविधि अवश्य कोनो चूक दिस संकेत करैत अछि. प्रश्न उठैत छैक, एहन चूक होइत कोना छैक ? किन्तु, एहि प्रश्नकें एखन कनेक कात राखी आ पडोसीक संग सीमा विवादक दोसर दृष्टान्त पर नजरि घुमाबी. हालहिंमें नेपाल सरकार  भारत-नेपाल सीमा विवादक समाधान अपने संविधानक संशोधन सं कय लेलक. प्रश्न उठैत छैक दू राष्ट्रक बीचक सीमा विवादक समाधान एकदिसाहे कोना भ’ गेलैक ? एहि दुनू प्रश्नक उत्तर एके छैक: देशक भीतरक राजनीतिक बाध्यता आ लम्बित विवादक समाधानकें अनठायब. पाकिस्तानक संग सीमा विवाद तं पाकिस्तानक उदयेक संग आरम्भ भेल छल आ धर्म पर आधारित एहि राष्ट्रक संग सीमा विवादक मामिला एकटा भिन्न विषय थिक.

सर्वविदित अछि, देशक भीतरक रानीतिक परिस्थिति राष्ट्रक अपन समस्या थिक. किन्तु, दू देशक बीच लम्बित विवादक अनिर्णयक दोष ककर ? प्रायः, विवाद सं जुडल पक्ष वा राष्ट्रक. विदित अछि, जतय विवाद पुरान छैक, ततय लम्बा अवधिमें अनेक बेर सरकार बदलैत छैक. तथापि, विवादकें नहिं सुलझयबाक दोष कोनो एक पार्टीक सरकारपर होइक से असंम्भव. तथापि एकर दोष जं अहाँ कोनो एक राजनितिक पार्टी पर दैत छियैक तं से एहि पर निर्भर अछि जे पार्टी सबहक समूह में अहाँ कोन दिस छी. किन्तु, लम्बित विवाद बल-प्रयोगमें बदलि गेल वा विवादक एकदिसाह  निर्णय भ’ गेल से तं सामनहिं अछि.

आब भारत-चीन सीमा विवादक गप्प करी. भारत आ चीन पडोसी थिक ,किन्तु, एहि दुनू देशक बीचक 1959 सं पहिने सीमा मिलैत नहिं रहैक. किन्तु, चीनमें साम्यवादक उदयक पछाति  जखन चीन तिब्बतकें खा गेल तखन भारत-तिब्बत सीमा भारत-चीन सीमा भ’ गेल. भारत-तिब्बत सीमा पूर्वोत्तरमें अरुणाचल सं ल कय पश्चिममें लद्दाख़ धरि पसरल अछि. नेपाल, भूटान आ सिक्किम बीच-बीचमें भारत आ तिब्बतकें फुटओने रहैक. भूटानक प्रतिरक्षा भारतक जिम्मा भेने भूटान-चीन सीमापर भारत-आ चीन एक दोसरासं समय-समय पर विवाद होइते एलैये. सिक्किमकेर भारतमें विलयकेर बाद सिक्किमक क्षेत्र सेहो भारत-चीन सीमा क्षेत्र थिक. एखन एकमात्र नेपाल भारत-चीन सीमाक मध्य भागक बीच ‘बफर’ अछि. यद्यपि नेपालमें चीनक बढ़इत प्रभाव आ तिब्बत-नेपालक बीच रेल-सम्पर्क एहि स्थितिकें कहिया बदलि देत से कहब कठिन.

सर्वविदित अछि सम्पूर्ण भारत-चीन सीमा पहाड़ी अछि. जहाँ अरुणाचलक क्षेत्रमें पहाड़ी क्षेत्र जंगली छैक, ततहि लद्दाखमें सीमा-क्षेत्र विशाल, बंजर शीतल मरुभूमि थिक. सीमा क्षेत्रक ई जनशून्य, दुर्गम इलाका मनुष्यक बासक हेतु प्रतिकूल छैक . खेत-बारी आ पशुपालन सेहो असंभव छैक. अस्तु, एहि इलाका में सीमा सुरक्षाक व्यवस्था प्रतिद्वंदी राष्ट्र सामरिक खतरा आ प्रतिरक्षाक आवश्यकतानुसार करैत तं अछि, किन्तु, टेक्नोलॉजी आ स्थान-स्थान पर भूमिपर तैनात सेनाक माध्यमसं एक दोसराक गतिविधिपर नजरि अवश्ये  रखने रहैछ. नजरि रखबाक एहि प्रक्रियामें जं केओ कखनो ढील भेलैक कि अपन अधिकारक क्षेत्रक निरंतर विस्तारक हेतु लोभी, घात लगौने चीन अपन अनुकूल स्थानकें छेकि लैछ. दुनू प्रतिद्वंदी राष्ट्र सीमा क्षेत्रमें अपना सामरिक क्षमता बढ़यबाक हेतु आधारभूत संरचनाक निर्माण आ सुधार करिते रहैत अछि. एहि द्वन्दमें एक राष्ट्रक बढ़इत क्षमता आ संरचनाक दोसर पक्ष विरोध करैछ. विरोध जं प्रत्याशित परिणाम पयबामें विफल भ’ जाइछ तं सीमापर तैनात सीमा-बल वा सेना सबहक बीच हाथापाई, घूंसा-मुक्का भ’ जाइत छैक ; भारत-पाकिस्तान सीमा क विपरीत, पूर्वमें भेल समझौताक अनुसार भारत-चीन सीमा क्षेत्रमें सेना सबहक बीच गोला-बारूदक प्रयोग वर्जित छैक आ से नीके. तथापि,जखन स्थानीय स्तर पर मामिला नहिं फड़िछाइत छैक तखन बहुतो बात कूटनीतिक वा अन्ततः राजनितिक स्तर पर पहुँचैत छैक, जतय विवादक समाधानक बिना वर्षों धरि पड़ल रहि जाइछ. भारत-चीन सीमा विवाद एहने विवाद थिक. तें, 1962 में भारत-चीनक बीच संघर्षक पछाति 1988 में जखन दुनू देशक बीच सोझ राजनैतिक सम्पर्क आरम्भ भेलैक, दुनू सरकार विवाद तं स्वीकार केलक मतभेदकें दूर करबा जटिलताकें देखैत जहां दुनू देशक बीच आर्थिक, सांस्कृतिक आ वैज्ञानिक आदान-प्रदान बढ़इत गेलैक, सीमा-विवाद सुलझयबामें तेहन प्रगति नहिं भ’ सकलैक. समाधानक प्रयासक एना  बसियायब भारतक हितक प्रतिकूल आ निरंतर ज़मीन हथिययबाक चीनक हिस्सकक अनुकूल छल. विगत किछु वर्षक अनुभव कहैत अछि, दुनू पक्षक सीमा विवादकें सुलझयबा में असफलता भारतक हेतु अहितकर आ चीनक हेतु हितकर साबित भेलैये. एहि अवधिमें चीन भारतक संग व्यापार सं जे लाभ उठौलक से फूटे. आजुका तारीखमें भारत आ चीनक बीच व्यापार में भयानक असंतुलन छैक जाहि ले भारत चिंतित भले हो, तकर  सोझ समाधान तुरत तं नहिंए  टा छैक. संयोग सं जाहि सब स्थानपर- पेंगोंग झील, गलवान नदी घाटी, हॉट स्प्रिंग, आ देपसांगक पठार-  एखन पुनः भारत-चीनक बीच विवाद ठाढ़ भेल छैक, 1962 में सेहो एहि सब स्थान पर भारत-चीनक बीच युद्ध भेल रहैक.

आब एखनुका सीमा संघर्षक गप्प करी. एहि बेर भारत-चीन नियंत्रण रेखाक समीप  सीमापर चीनी सेनाक जमावक पहिल खबरि सरकारकें कखन भेलैक से तं सरकारक गोपनीय सत्य थिक. किन्तु, समाचार पत्रमें  दुनू देशक सेनाक बीच हाथापाईक पहिल खबरि मई 2020 में आयब आरम्भ भ’ गेल रहैक. सरकार एकर प्रति सजग छल हयत ताहि में संदेह करब तं उचित नहिं. किन्तु, कूटनीतिक स्तर पर एहि समस्याकें भारत सरकार कहिया आ कोन  रूपें  उठओलक तकर खबरि जनसामान्य कें नहिं छैक. किन्तु, ओहिसं एके हफ्ता पूर्व पूर्वी लद्दाखमें तैनात भारतीय आ चीनी सेनाक कोर कमांडर लोकनिक बीच वार्ता भेल छल. वक्तव्यमें  कहल गेल छल जे ‘दुनू सेना क्रमशः अपन-अपन पहिलुका स्थानपर वापस भ’ जायत’. ताहि पर सहमति भेल  छलैक. तथापि, परिणाम सामने अछि; 15 जून 2020 क रातिक संघर्षमें  16 बिहार रेजिमेंटक कमान अधिकारी कर्नल बी संतोष बाबू सहित बीस भारतीय सैनिकक वीर गति प्राप्त कयलनि.इएह घटना जनसामान्य, पूर्वसैनिक, कूटनीतिज्ञ  आ बुद्धिजीवीक मन में संका उत्पन्न करैछ. ताहि पर प्रधानमंत्री घोषणा केलनि जे ‘भारतक सीमा में केओ नहिं आयल छल’. फल ई भेलैक जे  सरकार समर्थक किछु समाचार चैनल एतेक तक कहि गेल जे एहि घटना हेतु ‘ सेना दोषी अछि, सरकार नहिं !’ हमरा-सन बहुतो बुद्धिजीवीले प्रधानमंत्रीक वक्तव्य जं आश्चर्यनक छल, तं मीडियाक  दोषारोपण असह्य. संयोगसं प्रधानमंत्रीक वक्तव्य पर प्रकाश दैत सरकार स्पष्टीकरण जारी केलक. किन्तु, ताधरि जे नुकसान हेबाक छलैक, भ गेलैक; चीनी मीडिया ‘भारतीय प्रधानमंत्रीक वक्तव्य प्रशंसा’ केलक. भारतमें राजनितिक पार्टी सब दोषारोपणक मोर्चा ठाढ़ करैत गेलाह. टी वी स्टूडियो सबमें टीवी ग्लेडीएटर लोकनि मोर्चा सम्हारलनि आ जनता COVID-19, बेरोजगारी, पेट्रोल-डीजलक बढ़इत दाम लड़बामें लागि गेल. फलतः, जनसामान्य ले एखनुक परिस्थिति अस्पष्ट अछि. संवाद लोकतंत्रक आत्मा थिकैक आ सरकार सं प्रश्न पूछब राष्ट्रक अधिकार. लोकतन्त्रमें  जनता सरकारकें राष्ट्र हितक आ सुरक्षा भार दैत छैक, किन्तु, राष्ट्र हित पर सरकारक एकाधिकार नहिं होइछ. तें, भूतपूर्व सेनानी, कूटनीतिज्ञक प्रश्नक उत्तरमें अपमानक जे संस्कृति भारतमें पनपि रहल अछि, से चीन-सन अधिनायकवादी समाजमें तं उचित  भ' सकैछ, भारतमें अक्षम्य अछि, से नहिं बिसरबाक थिक. 

आब आगू की हेतैक ? हमरा जनैत, चीनकेर व्यवहारमें परिवर्तन हेबाक आशा इतिहासक प्रतिकूल थिक. दृढ़प्रतिज्ञ आ सबल शत्रु सं सब सावधान रहैत अछि. एतबा अवश्य जे 1962 केर युद्ध आ ओकर पछाति, भारत केर नोकसान पहिनहिं भ’ चुकल छैक. आवश्यक छैक, एखन चीन  जाहि  विवादित इलाकाक अतिक्रमण कयलक  अछि वा जाहि पर दावा करैत अछि, भारत ओहि इलाकाकें खाली करयबाक हेतु चीन कें बाध्य करय. एहि हेतु उचित वातावरणक निर्माण आ दृढ़ता दुनू आवश्यक.  एकर अत्तिरिक्त हमरा लोकनिकें निरंतर अपन सामाजिक, आर्थिक आ सामरिक शक्ति बढ़बैत रहय पड़त; समाजक विभिन्न वर्गक बीच मतभेद आ टकराव राष्ट्रक संकल्प आ शक्ति दुनूकें क्षीण करैछ, से मोन रखबाक थिक. हमरा लोकनिकें सीमा पर सेहो सतर्क रहहिं पड़त. सीमा सुरक्षाक निगरानीमें टेक्नोलॉजीक भरपूर प्रयोग, सीमा क्षेत्रमें आधारभूत संरचनाक निरंतर निर्माण, सामरिक शक्तिक आधुनिकीकरण सं भारत अपन हितक रक्षा में सफल हयत आ  एके समय पर  चीन आ पाकिस्तान सं दूतरफा  आक्रमणकें विफल करबामें सेहो सफल भ’ सकैत अछि. अमेरिका, रूस वा यूरोपीय यूनियन एतय आबि हमरा लोकनिक समस्याक समाधान करत, से आशा जतबे असंगत, ततबे असत्य. ज्ञातव्य थिक, युद्ध द्वारा लद्दाख-सन इलाकामें सीमाकें बदलब ने सुलभ छैक, आ ने आजुक भारतीय सेना 1962 जकां साधनहीन अछि ; एखन सेना लग साधन, क्षमता आ दृढ़ता सब किछु छैक. राष्ट्र अपन हितक रक्षामें तत्पर अछिए.       



Friday, June 5, 2020

समालोचना आ पाठकीय दृष्टि

समालोचना पाठकीय दृष्टि

समालोचना वा आलोचना साहित्यक स्तम्भ थिक. ई विज्ञान थिकैक; एकर व्याकरण, पद्धति आ परम्परा छैक. किन्तु, विशुद्ध मनोरंजन ले उपन्यास, कविता , कथा , नाटक  आ लेख पढ़निहार पाठक समालोचना पढ़िकय सामग्रीक चयन नहिं करैत छथि. तखन प्रश्न उठैछ, की समालोचना साहित्ये- जकां लेखकक हेतु केवल  मनोरंजनक विधा थिक ? वा ई साहित्य-लेखनक व्यवसायसं जुड़ल व्यक्तिक बीच एक दोसराक दल में हेबाक, वा एक दोसरासं बदला सधयबाक, वा परस्पर प्रशंसा वा निंदा करबाक रंगमंच वा अखाड़ाक अतिरिक्त, किछु आओर  थिक ? एहि लेखमें हम एही किछु विन्दु पर विचार करय चाहैत छी. गूढ़ ग्रंथकनामूलं लिख्यते किंचित् नानपेक्षितमुच्यते’- सदृश भाष्यकार आ हुनक कृतिक उपादेयता एहि लेखक परिधि सं बाहर अछि.

अस्सीक दशकमें एकटा हिंदी सिनेमा आयल रहैकनिकाह. ओ सिनेमा खूब सफल भेलैक आ ओकर गीत सब खूब सेहो लोकप्रिय भेल.  एहि सिनेमा में सलमा आगा नामक हिरोइन पहिले बेर सिनेमाक पर्दा पर आयल रहथि. गीत सब सेहो ओएह गओने रहथि.  मुदा, जखन अभिनेत्रीक रूपमें सलमा आगाक चर्चा भेलनि, तं, केओ हुनका  ज्यामितीय सुन्दरी (geometric beauty) कहि देलखिन. मने, नाक ठाढ़ छनि,ठोर  पातर छनि, गाल पुष्ट छनि, गरदनि सुरेबगर छनि, केश सघन आ कारी छनि, मुदा, सब किछुकें मिलाकय पूर्णतामें सुन्दरताक बोध नहिं होइछ. तहिना, सकैत अछि, साहित्य, शिल्प- भाषा, कथानक, कथ्य, कथोपकथन आ संदेश- क दृष्टियें संतुलित हो, किन्तु, लोकप्रियताक तराजू पर झूस साबित हो. तें, सामान्य धारणा छैक, पुरस्कृत पोथी , आ फिल्म कदाचिते लोकप्रिय होइछ.  अर्थात्, आलोचना आ पुरस्कारक भिन्न-भिन्न मानदंड होइछ. प्रोफेसर श्रीश चौधरी कहैत छथि, ‘ इतिहास कहैत अछि, लार्ड अल्फ्रेड टेनिंन्सन आ विलियम वर्ड्सवर्थ कें छोडि ( इंग्लैंडमें ) कदाचिते कोनो  राज-कवि ( poet laureate ) अपना समयक पछाति साहित्यमें सुपरिचित छथि.’ अर्थात् पुरस्कार पुरस्कृत कवि लोकनिकें अमर बनयबामें समर्थ नहिं भेल ! किन्तु, रचनाक लोकप्रियता साहित्यकार लोकनि कें अवश्य अमर करैत आयल छनि. इहो तथ्य समकालीन समालोचना-पुरस्कार आ लोकप्रियताक दू टा भिन्न बाटक संकेत थिक. अस्तु,  साहित्यक समालोचनाक मानदंड  आ साहित्यक लोकप्रियताक बीच सम्बन्ध फरिछयबाक आवश्यकता हमर प्रतीत होइत अछि. एहि विषय आरम्भ हम 90क दशकमें पुरस्कृत एकटा मैथिली कविता-संग्रह सं करब.   सर्वविदित अछि, वैद्यनाथ मिश्र-यात्री-नागार्जुन अपन विशिष्ट शैली, कृति आ बेछप व्यक्तित्वक कारण प्रसिद्द छथि. वर्ष 1995में जखन मैथिली भाषाककविता-कुसुमांजलिनामक ग्रन्थ पर साहित्य अकादमीक पुरस्कारक घोषणा भेलैक तं नागार्जुन कहि देलखिन, ‘ अमुक कविमें काव्य-बीज नहिं छनि !’ एकरा कविक साहित्य पर साहित्यकारक उक्ति बुझू वा लोकप्रियताक मानदंडपर साहित्यक तौल, से अहाँपर निर्भर अछि.

ई सत्य थिक, साहित्यमें कविताक पाठक सबसं कम होइछ. एखनुक युगमें तं आओर कम. लार्ड मेकॉले तं एतेक धरि कहि गेल छथि, ‘सभ्यताक विकासक संग, कविताक ह्रास होइत जाइछ - Civilization advances, poetry declines.’ से नहिओ होउक तथापि हमरा नहिं बूझल अछि, अनेक भाषाक पुरस्कृत साहित्यक समाजमें कतेक मांग छैक. किछु पोथी तं पुरस्कारक ठप्पा आ मार्केटिंग सं अवश्य बिकाइत हेतैक. तथापि,एतबा तं अवश्य जे पुरस्कृत कृति निर्णायक-मंडलक दृष्टिमें निर्धारित कालखंड मे प्रकाशित कृति सब म सं अव्वल होइछ. तथापि, निर्णायक-मंडलक सदस्य लोकनिक पुरस्कृत पोथी पर दसो पांतीक , फूट-फूट समीक्षा लिखबाक परिपाटी छैक कि नहिं, से हमरा ई नहिं बूझल अछि. इहो कहब असम्भव जे पी एच-डी क थीसिस के जं  छोडि दी, तं, कहब कठिन, जे  पुरस्कृत पोथी सब म सं कतेक पर समीक्षा लिखल जाइछ.

आब एकटा दोसर विन्दु.   विन्दु पोथीक लोकप्रियता आ आलोचनाक परिणामक बीच अंतर सं सम्बन्धित अछि :   समकालीन साहित्यक आलोचना  आ समाजक व्यवहारमें निरपेक्षता असम्भव नहिं, तं, कठिन अवश्य छैक.   कोर्ट-कचहरी सं ल कय पुरस्कारक निर्णयमें सेहो जूरीक परिपाटी एकरे समाधान-जकां थिक. तथापि, आवश्यकता छैक साहित्य, साहित्यक तौलबा भजारबाक निकतीपर अवश्य चढ़य. प्रायः, चढ़ितो अछि. किन्तु, तकर समय सीमा नहिं छैक. तें, कतेको बेर सैकड़ों वर्ष अपरिचयक अन्हारमें पड़ल साहित्य एकाएक धूमकेतु-जकां जं नहिओ, तं क्रमशः कालजयी कृतिक आसन पर बैसि जाइछ. किन्तु, तकर निर्णय समाज करैत अछि. तहिना, की साहित्यक समालोचना द्वारा कृतिक लोकप्रियताक भविष्यवाणी  सम्भव छैक ? नहिं, तं, कि साहित्यिके समालोचना-जकां पाठकीय समालोचनाक नव विधाक आरम्भ करबाक औचित्य छैक ? जं, हं, तं, कोना ? 

ई विदित अछि आम पाठक लोकनि लिखबाक पचड़ामें नहिं पडैत छथि. तथापि लोकप्रिय साहित्य पर लिखित  वा मौखिक  पाठकीय प्रतिक्रिया आ औपचारिक समालोचनाक अध्ययन सं सम्भव अछि, साहित्यक मूल्यांकनक  कोनो मध्य मार्ग स्थापित हो . एहि सम्भावनाक  अन्वेषण हेबाक चाही.

विदित अछि, साहित्यिक समालोचनाक विधाक खेतिहर  साहित्यकार  थिकाह.  समकालीन समालोचककें बिरादरीमें भाई-भतीजाबाद सं ऊपर उठब कठिन छैक . भाग्यवश, पाठक  एहि बिरादरीक हिस्सा नहिं थिकाह. ओ पढ़बाक व्यसनसं, चाह-काफी-सिगरेट-वा शराब-जकां पोथी किनैत छथि. तें, नीक लागल तं नीक. अधलाह, तं, थूकि देल. पैसा बेकार भेल, भेल. तें, पाठकीय प्रतिक्रियामें लोभ-लाभ (conflict of interest)क दोष नहिं अबैत छैक. समकालीन समालोचक ले एहि लोभ-लाभक विषय सं ऊपर उठब जं असम्भव नहिं, तं,  कठिन अवश्य.  जे समकालीन समालोचक एहि सं ऊपर उठैत छथि ओ तं चाहे नवसिखा थिकाह, जनिका लोक मोजर नहिं दैत छनि, अथवा ओ  कालिदास थिकाह जे ओही ठारि पर कुड़हरि बजारैत छथि जाहि पर चढ़ल छथि. एहि सं भिन्न तेसर कोटिक निरपेक्ष समालोचक प्रशंसनीय थिकाह. किन्तु, एहि सब कोटिक समालोचक जं अंततः अपन आलोचनाक तुलना पाठकीय प्रतिक्रिया एवं सत्साहित्य पढ़निहार पाठकक बीच पोथीक लोकप्रियतासं करथि तं आलोचना साहित्यमें प्रायः नव परिपाटीक उत्थान होइत.    

 

Tuesday, June 2, 2020

आन्हर

आन्हर

25 मार्च 2020. एकाएक सब किछु बन्न भ’ गेल: रेल-ट्रेन-मन्दिर-मस्जिद-गुरुद्वारा-दोकान-दौरी आ जीविका. देश संकल्प केलक कोरोनाक पयर आगू नहिं बढ़य देबैक. कोरोनासं बंचबाले लोक मुँह पर जाबी बान्हि लेलक. मुदा, पेट कोना बान्हि लेत. शहरमें रोजी अछि तं खोली अछि, रोजी अछि तं रोटी अछि. नहिं तं, खोलीओ बन्न आ रोटिओ बन्न. मुदा, भूख मानतै ! बस जकरा जेना भेलैक, मोटा-मोटरी उठौलक, धिया-पुताकें पंजियओलक, जनी-जाति जकरा संग छलैक आ नहिं छलैक, बिदा भ’ गेल.

गर्मीक मास. अकादारुन रौद सीमेंट, आ अलकतरा. तैयो जे बाट धेलक तकरा पहुँचबाक सुरता. मुदा, जे देखलकैक तकरा अधैर्य भ’ गेलैक. सरकार आ समाज किछु बन्दोबस्त केलक. मुदा, आकासे फाटत तं दरजी कतेक सियत !

अंततः, किछु गोटे कें रहि नहिं भेलैक. अर्जी ल’ कय माननीय सुप्रीम कोर्टक द्वारि  पर जा कय द्वारि खटखटौलक. गर्मीक मासमें तं सर्वोच्च न्यायालयमें तातिल होइत छैक. किन्तु, एहि बेर एहि विपत्तिमें हिनकर द्वारि खूजल छनि ! आवश्यक काजकें कात कय न्यायाधीश लोकनि गोहारि सुनलनि. किन्तु, सरकार बहादुरकें बड्ड तामस चढ़लैक. एहन सपरतिब. शिकायत करत. बस, राताराती महाधिवक्ता जगाओल गेलाह. आदेश भेटलनि. ब्रीफ तैयार केलनि, गाउन लेलनि आ  सुप्रीम कोर्ट बिदा भेलाह. दिल्लीक सड़क सूनसान छलैक. ई देखि सरकारी निर्देश आ पार्टी प्रवक्ता लोकनिक उक्ति पर विश्वास  दृढ़ भेलनि. कोर्टमें बैसाड़ आरम्भ हेबहिं पर रहैक कि महाधिवक्ता महोदय मौजूद भ’ गेलाह.  एहन विपत्ति, एहन चौकस सरकार आ ताहि पर सरकार पर आरोप. तामसे लाल महाधिवक्ता  शुरू भ’ गेलाह : ‘हमरा सरकारी आदेश अछि, हम शपथ पूर्वक कहैत  छी, आइ दिन एगारह बजे दिन में, अपन गाम-घर जयबाक प्रयासमें एहि देशमें एको गोटे  सड़कपर नहिं चलि रहल अछि. (माने, ई तं दिल्लीकें देखि हम कहिए सकैत छी.) राष्ट्रिय आ विभिन्न राज्यक आपदा प्रबन्धन विभाग सेहो अनेक आदेश निर्गत केने अछि आ डेग उठौने अछि. मजदूर सबले स्थान-स्थान भोजन आ आवासक व्यवस्था अछिए. अओर चाही की !’

आइ कोर्टमें सरकारी वकीलक दलीलक प्रायः आवश्यकताओ नहिं छलैक. न्यायमूर्तिं  लोकनि स्वयं एहिसं सहमत छलाह जे केंद्र आ राज्य सरकारक पहल पर शहर सबसँ मज़दूर लोकनिक पलायन पूर्णतः पर थम्हि गेल अछि. सरकारी व्यवस्था पर्याप्त छैक.  असल में न्यायमूर्ति लोकनि प्रत्यक्ष रूपें सरकारी व्यवस्था पर संतोष प्रकट कयलनि . उपर सं न्यायमूर्ति लोकनि कें अपना दिससं इहो चिंता रहनि जे महामारीक एहि संकटमें ( मज़दूरक पराभवक) मिथ्या  समाचार कोरोना वायरस सं बेसी घातक अछि. ताधरि विश्व स्वास्थ्य संगठनक मुखिया सेहो ई गप्प सत्यापित कय चुकल रहथि.तखन, सरकारके कथिक निर्देश आ कोन भर्त्सना ! तथापि, दू हफ्ताक पछाति न्यायमूर्ति लोकनिक चेतनामें कनेक कुचकुची भेलनि आ केंद्र सरकार कें कहलथिन, ‘फरियादी लोकनिक चिंता दूर करबाक हेतु उचित काररवाई करथि ’.

मोनाजिर मंडल आ चिन्मय मोहंती पछिला बेयालिस दिन सं चेन्नईमें फंसल छथि. चेन्नई ‘रेड जोन’ थिक. आन्ध्र आ तेलंगाना अपना राज्यमें संक्रमणक पसरबाक भयसं,  आ केंद्र सरकारक आदेशसं,  अपन इलाका बाटें सड़क बन्न केने अछि. लोक जायत कतय. मोनाजिर मंडल आ चिन्मय मोहंती दुनू गोटे शिक्षित छथि. किन्तु, चेन्नईमें मजदूरी सं पेट भरैत छथि. मोनाजिर मंडल प्रतिदिन मोबाइल बाटें आ अनकर मुँहे जे समाचार भेटैत छनि ताहि पर नजरि रखने छथि. कहुना एतय सं निकली तं. दुनू गोटे भगवान पर कम आ सर्वोच्च न्यायलय पर बेसी आस लगौने रहथि. मुदा, से आस जखन टूटि गेलनि  तं आब निश्चिंत भ’ कय भगवानक वा सरकारक भरोसे बैसल छथि. एकठाम बैसल- बैसल कतेक सुतताह. ताहि पर चिंतामें सुतली राति निन्न उचटि जाइत छनि तं समय-समय पर तं दुनू गोटे एक दोसरा सं गप्प करय लगैत छथि. दिनुका रौद  आ उमस में माथा काज नहिं करैत छनि.

एक राति दुनू गोटे बैसल रहथि. समुद्री पुरिवा एहि कोरोनाक अंधड़ आ धाहमें  सहृदय पड़ोसीक सहन्नुभूति-जकां बूझि पड़लनि. चिन्मय पूछय लगलखिन, ‘सेह. आइ थिकैक 2 जून 2020. हमरा लोकनि रोज हजारों कें एतय फंसल देखैत छियैक. लाखों हमरा लोकनिक आँखिक सोंझा देने एतयसं चोराइत - नुकाइत,  पैदल, साईकिलसं , ठेलापर, तिनपहिया आ ट्रक-ट्रेलरपर एही बाटें बिहार, उत्तरप्रदेश, उड़ीसा, बंगाल गेले. आ आइओ धरि जा रहल अछि. तखन दिल्लीमें दू मास पहिने कोना सरकारी वकील सपत खाकय कहलखिन, एखन  दिन में एको मज़दूर  सड़कपर नहिं चलि रहल अछि. मुदा, आश्चर्य तकर नहिं. आश्चर्य जे एतेक बड़का-बड़का जज लोकनि, जनिका सं दिन-दुनियाक कोनो खबरि नहिं छिपल छनि, से कोना सरकारक गप्प मानि लेलखिन, जखन एतहु बैसल-बैसल हमरो लोकनि दू माससं, भरि देशमें चौबीसों घंटा, पैदल जाइत लोकक धर्रोहि अपना आँखिक सोझां आ टी वी पर देखि रहल छी !

मोनाजिर मंडल भभाकय हंसय लगलाह. चिन्मय कें किछु बुझबामें नहिं अयलनि. पछाति, जखन मोनाजिरक हंसी थम्हलनि तं चिन्मयकें लक्ष्य क कय उपहास करैत-जकां कहलखिन,’ रे बोका, रे  चिन्मोय. तू साला इतना भी नहीं समझा ! छोबी देखता तो ? कोर्ट देखा ? जज के सामने का छोबी देखा ? रे बोका, छोबीके  हाथमें तराजू और चोख पर पोट्टी होता रे ! चोख बोन्न !! फुल आंधा !!!

चिन्मयक मुँह विवरण भ’ गेलनि. सोचय लगलाह, न्याय सत्ते आन्हर होइछ !


दोसराति


दोसराति


- सब ठीक छैक ने ?

- हं. अहाँक फ़ोन आयल छल. यावत् अयलहुं, कटि गेल.

- कोनो बात ने. आब गप्प भ’ जायत.

- हं. सब ठीक छैक ने ? बहुत दिन सं अहाँ सं गप्प नहिं भेल छल. एहि बेर गाम में आम केहन ?

- आम नहिं छैक. जे किछुओ दू-चारि टा टिकुला भेलो छलैक तकरा, बिहाडि शुद्ध क’ कय झाडि देलकैक. अहाँ कहू .

- हमरा सब कें तं आम भेटैत अछि. किन्तु, एम्हुरका. अपना दिसुक आम एम्हर नहिं अबैत छैक. लीची तं बरख पाछु कइओ लैत छी, यद्यपि महग बड्ड. किन्तु, सपेता, बम्बई वा दशहरी कतय पाबी.

- गाममें तं सोझ बात. जं फड़लैक तं बिकाइतो छैक. जं फसिल नागा चल गेलैक, तखन बाहरक आम ने एम्हर अबैत छैक, ने लोक किनत तकर एतुका लोककें उपाय छैक. हं, कोरोनाक हाल कहू.

- की हाल कहब ! आयल अछि तं रहबे करत. हमरा लोकनि हैजा-चेचक-टीबी सब देखनहिं छी. एखन कोरोनाले लोक मुँहमें जाबी लगौने चलैये. मुदा, टीबीओ तं स्वासहिं सं पसरैत रहैक.

- पसरैत तं रहैक, मुदा, भय रहितो लोक एतेक भयभीत नहिं रहैत छल. यद्यपि सेहो खराबे.

- हं, यौ, सुनलहु, प्रदीप मैथिलीपुत्र मरि गेलाह ?

- त्त ! वयसो रहनि . आ बड्ड कष्टमें रहथि.

- बड्ड पुरान गप्प थिकैक. हम एक बेर कतहु सं अबैत रही तं प्रदीप जी कें लोहना रोड स्टेशनपर देखने रहियनि. कल पर हाथ मुँह धोइत रहथि. प्रायः दरभंगाबाली गाड़ी सं उतरल रहथि. गाम जेबा ले हुनका तं लोहने उतरय पड़ैत रहनि. हमरो लोकनिक टीसन वएह. हम प्रदीप जे कें ओहि सं पहिने वा ओकर बाद फेर कहियो नहिं देखलियनि.

- कतय देखतियनि. गाम में आउ. कवि सम्मेलन-कथा गोष्ठीमें चलू. सब सं भेंट भ’ जायत.

- हं, यौ ठीक मोन पाड़ल. एहि बीचे एकटा महानुभाव मैथिली लेखक-साहित्यकार लोकनिक डायरेक्टरी बनेबाक सूचना देलखिन-ए. ओहिमें बहुत रास सूचनाक अतिरिक्त लेखक लोकनिक जाति आ वृत्तिक सूचना सेहो मंगने छथिन. जाति आ वृत्ति ल’ कय की करताह ?

- आहि  रे ब्बा ! की करताह . बेरोजगार लेखककें लेखकक कोटा म सं नौकरी दियौथिन आ कोन ठेकान साहित्य अकादेमीमें पुरस्कारक हेतु आरक्षणक मुहिम सेहो उठय !

- अहो भाग्य ! किन्तु, ओहिमें  भूतपूर्व सैनिक लोकनिक कोनो चर्चा नहिं छैक !

एहि पर फोन पर दुनू दिस बड़का ठहक्का भेलैक.

- भले एही डायरेक्टरीमें भूतपूर्व सैनिक लोकनिक चर्चा नहिं हो, तैयो जं  साहित्यकारक नाम पर साल में एको बेर अकादेमीक सौजनिया भोज में नोत आबि गेलनि तं कतेक गोटे नेहाल भ’ जेताह.-----  आ एक बेर फेर ठहक्का भेलैक. मुदा, गप्प जारी रहल.

-भोज-आ नोत जे खेता से खाथु, हमरा तं सुगर आ बी पी दुनू अछि. मुदा, एकटा दोसर गप्प पुछैत छी. सुनैत छी, एखन जे प्रवासी सब क्वारंटाइनक पछाति  सेंटरसं बाहर भ' कय गाम पर अबैत अछि, तं सरकारक दिससं किछु बिदाई सेहो भेटि रहल छैक !

-एहिमें कोन आश्चर्य. आ उचिते. चुनाव लगिचायल छैक. सरकार एतबो तं करय ! फेर गौआंक पार पांच बरखक बादे ने !

- ठीके बात. हं यौ, सुनलहु, मधुबनीक डी एम कें कोरोनाक बीमारी भ’ गेलनि. दरभंगामें सेहो एकटा पुलिस पदाधिकारी कोरोनाक  चपेटमें आबि गेलाह.

- ठीके सुनलियैक. मुदा, कोन आश्चर्य. जखन ब्रिटेनक प्रधानमंत्री आइ सी यु में रहथि, आ रूसक प्रधानमंत्रीकें कोरोना ध’ लेलक तखन जकरा जे ने होउक.

- उचिते ने. जएह बहरायत तकरे ने संक्रमण हेतैक. तें, डाक्टर-नर्स-कम्पाउण्डर- सफाई कर्मी मरि रहल अछि. आ टीवी पर जबानी कुश्ती केनिहार नेता-अभिनेता आ पत्रकार बम-बम करैत छथि.

ताबते दासजीकें पाठकजीक फोन पर कोनो दोसर फोन अयबाक टोन सुनबामें अयलनि. पाठक जी कहलखिन, ‘एक छन थम्हू, दासजी. देखैत छियैक ककर कॉल थिक. कहीं अस्पताल सं बजाहटि नहिं हो’. कहैत पाठकजी, दास जीक कौल कें होल्ड पर द' देलखिन आ दोसर कॉल खत्म करैत, पुनः दास जी सं गप्प करब शुरू  फोन केलनि. ‘हं आब कहू.

-आब किछु नहिं. सबटा गप्प बूझिए गेलियैक. टहलैत-टहलैत हमरो डेरा आबिए  गेल. एकटा गप्प कहू ? एहि कोरोना काण्ड में मनुखकें घरक बहार   देखैत कहां छियैक. टहलबा काल एकदम सुनसान सड़क पर एसगर  मन नहिं लगैत अछि. तें, टहलैत काल जं ककरो सं फोन पर गप्प भ’ गेल तं लगैत अछि, संगमें केओ दोसराति भेट गेल, एसगर नहिं छी. आब जाउ अहूँ कें कतेक काज हयत !


मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान

कीर्तिनाथक आत्मालापक पटल पर 100 म  लेख   मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान  कीर्तिनाथ झा वैश्वीकरण आ इन्टर...

हिन्दुस्तान का दिल देखो