Tuesday, August 15, 2017

लंगूर नहितन !

लंगूर नहितन !

एखनुक युगमें लोक  जतेक लेख फेसबुक आ व्हाट्सएप्प पर पढ़इत अछि पहिलुक युगमें ओतेक जं शास्त्र पढ़इत तं विश्वभरिमें विद्वान आ पंडित लोकनिक बाढ़ि आबि जाइत. दोसर संभावना इहो जे सूचनाक एहन बाढ़िमें सत्य आ असत्यक भेद करब ओतबे कठिन जतेक समुद्रक पानि म सं गंगा-गोदावरीक पानिकें फुटकायब.
पहिने लोक कहैक, ‘केओ कहत कौआ कान ल कय उडि गेल, तं पहिने अपन कान हंसोथब , कि कौआक पाछू भागब ?’ मुदा एखन ओहो तर्क बेकार. एकटा टटका उदहारण देखियौक: एक दिन केओ व्हाट्सएप्प पर घोषणा केलनि, ‘ यूनाइटेड अरब अमीरातक सरकार माफिया सरगना दाउद इब्राहीमक 1500 करोड़ रुपैयाक संपत्ति जब्त केलक.’
दोसर दिन दोसर गोटे बजलाह, ‘फलां पार्टीक प्रवक्ता एना कहने छलाह ...’
तेसर दिन ओही पार्टीक प्रवक्ताक घोषणा केलनि, ‘दबंग नेताक हाथमें जं देशक शासन रहत, तं अपराधी लोकनिक इएह हाल हयत.’
चारिम दिन जाधारि आन कोनो स्पष्टीकरण आओत ई मिथ्या, पार्टीक उपलब्धिमें परिगणित भ गेल. पांचम दिन जाधरि यूनाइटेड अरब अमीरात सरकारक खंडन आयल, नव समाचारक बाढ़िमें ईहो खबरि भसिया गेल . ई भेलैक post-truth. माने सत्यक संधान के करय. मुदा सामान्य पाठक व जनता की करय ? अहाँकें मोन हो तं सुनू, गुनू आ मोन हो तं मानू ! मुदा सत्य आ फूसिक ई घोर-मट्ठा बाढ़ि बहिते रहत. मुदा, सूचनाक एहि घोर-मट्ठामें सत्यकेर संधान सम्भव छैक. किन्तु , छैक श्रमसाध्य, भयावह, आ पुरस्कार-विहीन.
सत्य पूछी तं, सूचनाक अधिकारक अधिनियम अयलाक बाद , कतेककें, गोटे जे तत्कालीन  व्यवस्था सं हताश छलाह, लगलनि जेना देशमें  स्वतंत्रताक दोसर भोर भेलै-ए . किन्तु, दिनुका इजोतमें चोर सब हठात बिला तं नहिं गेल. असल में ससंकितो नहिं भेल. बल्कि, जतय जेना जे चलैत छलैक, चलिते रहल. तकर कारणों छैक. होइत अपराध कें देखि कतेक गोटे अपराधिक हाथ कें रोकबाक साहस करै-ए ? हत्याक प्रत्यक्षदर्शी कतेक बेर गवाही देबय चाहैत अछि ? के जायत कोर्ट-कचहरी ? के मोल लेत दुश्मनी ? अस्तु, गाँधीजीक बानर सब जकां ने अनुचित देखी, ने सुनी , ने बाजी .ई भेल एकटा नैतिक आ दार्शनिक पक्ष. मुदा, व्यवहारिक  पक्ष दोसर छैक. अनुचित होइत देखि बाजब तं जीह झीकि लेत. गवाही देबय जायब तं जानक गहाकि भ जायत . तखन, कल-कुशल आन्हर , बौक , बहिर भेल पड़ल रहू. समाजमें अधिकतर लोक सएह करैत अछि . हमरो लोकनि  सएह करैत छी. तथापि किछु गोटे हिम्मत करैत छथि, Post-truth कें खिहारबाक, असत्य कें तकबाक, फूसि कें नंगरयबाक. एहि काजमें खतरा खूब छैक. किन्तु, सत्यकेर संधान में जकरा रोमांचक अनुभव  होइत छैक, से ओ खतरा मोल लैत अछि, मरितो अछि. मुदा, सरकार बहादुर एकटा आओर सुधार करबाक नेआर में अछि. माने, सत्यक संधान करैत सत्यार्थी जं सरकारी जवाब पयबासं पहिनहिं मरि गेलाह, तं प्रश्नोत्तर देबाक काजे नहिं. माने, सत्यार्थिक अन्त्येष्टिक संग सत्यकेर अन्त्येष्टि सेहो भ गेल. मुदा, सत्य पूछी तं सत्यकेर खोजक आवश्यकता छैक. असलमें, सरकारी विभाग, गैर-सरकारी प्रतिष्ठान, आ स्वयंसेवी संस्था, सब केओ अपन-अपन लक्ष्य ल कय चलैत अछि. सब अपन-अपन उपलब्धि सं गौरवान्वित होइत अछि, आ अपन उपलब्धिक प्रचार करैत अछि. मुदा, प्रचारित उपलब्धि म सं कएक टा प्रचार थिकैक, आ कोन सत्य, तकर परीक्षासं समाजक उपकार तं अवश्य हेतैक. सत्य आ आंकड़ाक बीचक खाधिक एकटा उदहारण लिअय; जिला अंधता निवारण समितिक लक्ष्य आ उपलब्धि. जिला अंधता निवारण समितिक तत्वावधानमें प्रतिवर्ष जिलामें मोतिविन्दुक हजारों ऑपरेशन होइत अछि, से मानि कय चलैत छी. केन्द्र सरकार लाखों रुपैया खर्च करैत अछि. तमिलनाडु में हमरा लोकनि-सन  दर्जनों गैर-सरकारी स्वयंसेवी संस्था एहि अभियानक अन्तर्गत अपन क्षमताक अनुकूल गामे-गाम आँखि जांचक शिविर लगबैत अछि, ऑपरेशनक योग्य रोगी सबहक चुनाव क कय  अपन गाडी में अपन-अपन मुख्यालयस्थित अस्पताल  धरि अनैत अछि आ रोगी सबहक आँखिक ऑपरेशन क कय दवाई-चश्मा सहित द कय रोगी सब कें अपन गाड़ीसं घर धरि पहुंचा अबैत अछि.   मुदा, अपना गाममें (दरभंगा,जिला) हमरा एखन धरि एहन केओ नहिं भेटलाह अछि जे कहथि जे सरकार हमर आँखिक मुफ्त ऑपरेशन करओने अछि. मुदा, हमरा नहिं विश्वास अछि एहि अभियानक अन्तर्गत बिहार सरकार केन्द्र सं टाका नहिं पबैत अछि. अतः ,एतय आंकड़ा आ सत्यके दू पलड़ापर राखि भजारबाक आवश्यकता छैक. मुदा, करत के ? सरकार तं एहि ऑडिटकें आर्थिक मदद नहिं देतैक ! ई भेल आम सरकारी विभागक उपलब्धिक लेखा-जोखा. आब एकटा एहन विभागक उपलब्धिक गप्प करी जे सामान्य अर्थमें उत्पादक नहिं बूझल जाइछ. ई विभाग थिक सशस्त्र-सेना. एहि बीच सेनाक उपलब्धि -सर्जिकल स्ट्राइक- क खूब प्रचार भेल. सैन्य अभियानक नायक लोकनिक फोटो देखार भेल. हेबनि केर चुनाव में सरकार-सेना आ शासक पार्टीक आरि-धूर कें तोड़इत सेनाक उपलब्धिक कें पार्टीक उपलब्धिक रूप में खूब प्रचार भेल. सत्यतः, जनिका  सेनाक कार्य–पद्धतिक कनेको अनुभव छनि ओ लोकनि सीमा क्षेत्रमें तैनात सैनिक दिनचर्या जनैत छथि. सीमा क्षेत्रमें प्रतिद्वंदी सेना एक दोसराक गतिविधि पर निरंतर नजरि रखैछ, आ दिन-प्रतिदिन आक्रमणक तैयारी आ प्रतिकार दुनूले प्रस्तुत रहैछ. मुदा, प्रचार सेनाक संस्कृतिक विरुद्ध थिकैक. युद्धमें सेनाक विजय आ पराजय दुनू राष्ट्र आ जनताक थिकैक. मुदा, बाँहि तं सरकारे पुजबैत आयल अछि. किन्तु, सेनाक दिन-प्रतिदिनक गतिविधिक वाहवाही लूटब नव थिकैक. आ एकर ऑडिट के करत ! जं केओ सत्यार्थी प्रश्न पूछलखिन तं ओ भेलाह देश-द्रोही. आ देश-द्रोहक सजाय फांसी थिकैक ! ताहि में लगतैक श्रम आ समय. तें, टीवीक अखाड़ापर दंगल केनिहार खलीफ़ा लोकनि सत्यार्थी लोकनि कें ततेक ने पटका देथिन जे सत्यार्थी सन्ना भ जाइत छथि. मुदा, टीवीक खलीफ़ा सब डब्लू-डब्लू एफ (WWF) केर पहलवान जकां दंगल खेलाकय घाड़ा-जोड़ी केने हंसैत-खेलैत अपन-अपन घर जाइत छथि. काल्हि फेर भोर हेतैक. फेर ओतैक कोनो समाचार आ सांझुक पहर फेर हेतैक हवाई दंगल , चिकरा-चिकरी , आरोप-प्रत्यारोप. देश मंगतैक जवाब आ जनता अवाक् भेल मुँह तकैत रहत. जा ! सबटा गप्प तं दिल्लीए लूटि लेलक. पटना धरि केर चर्चा नहिं भेलैक. तखन , दरभंगा-मधुबनी आ गाम के आओत ?
आब एकटा अओर दोसर  गप्प कहै छी सोशल मीडियाक उत्कर्षक एहि युग में एकटा आओर चमत्कार भेलैए. भोर-सांझ नव-नव अनुसन्धान ! कला, इतिहास, भूगोलक गप्प तं छोडू, विज्ञानहुक क्षेत्रमें. ई सब ततेक सफल सिद्ध भेल अछि जे आब फेक-न्यूज़ (मिथ्या-समाचार) केर पंजीकृत वेबसाइट धरि उठि बैसल अछि. पढ़ू फेक आविष्कार. मुदा, समाचारकें पढ़बासं आ सत्य बुझबासं पहिनहि समाचार कें शेयर करू, परिवार-दोस्त-मित्रकें चारू कात पठाउ जाहि सं बुझबा जोग होइक जे फलां भाई, फलां काका जीविते छथि, व्हाट्सएप्प पर ! भले, गप्प पढ़ि लोक सोचय, what an  ape ! माने, लंगूर नहिंतन !

आरम्भमें हमहूँ बनलहु व्हाट्सएप्पी. किन्तु, भरि दिन प्रत्येक मेसेजक संग टुंग ! टुंग !! टुंग, सुनि दौडू. चट सं फोन उठाउ, पट सं मेसेज पढ़ू. 400 गुड मोर्निंग, चालीस टा बासि व्यंग आ दर्जनों विडियो- गीत सं ल कय रामदेवक योग, बाबा लोकनिक भोग, नव नव इतिहासकारक विद्वतापूर्ण आविष्कार, आ भाषण. जं व्हाट्सएप्प खोलल आ नीक जकां पढ़य लगलहु तं भरिओ दिन जं ओएह टा पढ़इत रहलहुं तं आन कोनो काज करबाक समय नहिं भेटत. जं पढ़िते-पढ़िते सीढ़ी उतरलहु तं हाथ पयर टूटत. पढ़इत- पढ़इत रोड पार कयल तं प्राण अपटी खेतमें. मुदा ओ तं भेल एकटा गप्प भेल. एकटा आओर समस्या. निरंतर अबैत सूचनाक (!) एहि बाढ़िमें टेलीफ़ोन रिचार्जक सबटा बैलेंस एकाएक तेना भासि जाइछ जेना बिहाडि अयलापर  जोड़ल जोगाओल सब किछु अकस्मात बसातक संग उडि जाइछ. किन्तु, एकटा गप्प छैक. हमर टाका बोहइत हो तं बोहाओ ! टेलीफ़ोन कम्पनी तं बम-बम करैये ! देशक आर्थिक व्यवस्था निरंतर सुदृढ़ भ रहल अछि !! हं, अहांक पड़ोसी मरलाह वा जीलाह ताहि सं अहाँ के की ? अहाँ व्हाट्सएपक परमानन्दमें लागल रहू !              

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