Friday, June 29, 2018

पाराट्रूपिंगक रोमांच

उड़इत हवाई जहाज सं कूदि आकाशमें पक्षी-जकां उड़बाक रोमांच 


1983 क जनवरीमें भारतीय सेनामें योगदानक  दूइए-तीन मासक पछाति हमरा लोकनि बेसिक  मिलिटरी ट्रेनिंग ले सशस्त्र सेना चिकित्सा कोर (AMC) क ऑफिसर ट्रेनिंग स्कूल (OTS),लखनऊ गेल रही. ओतय एकटा पार्टीमें नील रंगक बेरे (beret)क   भीड़में मैरून रंगक टोपी (beret) बला एकटा ऑफिसर ओहि दिन सहजहिं ट्रेनी-ऑफिसर सबहक आकर्षण केंद्र  छलाह;  दक्षता, साहस आ शारिरिक क्षमताक कारण  पाराट्रूपर सबठाम विशिष्ट बूझल जाइछ. तें, सेनामें पाराट्रूपरक निशान, माथपर  मैरून टोपी आ छाती पर पैराशूटक  पाँखि बैज-जकां पहिरब, सैनिकक हेतु गौरवक विषय थिक. अस्तु, सेनामें पाराट्रूपर बनबाक मनोरथ आम थिक ;एखनहु सब स्पेशल ऑपरेशनमें पाराट्रूपर  आगूए  रहैछ.
ओहि दिनुक पार्टीमें ट्रेनी डाक्टर-अफसर  सबहक जिज्ञासा इएह जे, ' पाराट्रूपर कोना बनि सकैत छी; ताहि ले की करय पड़ैत छैक ?'
सत्यतः, मनुक्खकें युवावस्थासं   बेसी बाहुबलपर  भरोस जीवनमें कदचिते होइत छैक.किन्तु, विश्वभरिमे  सबठाम सैनिक-पैराट्रूपर  हेबाक अवसर सीमित छैक. ई  सुनि ओहि दिन बहुतो गोटे नीक नहिं लगलनि. तथापि, किछु आशावादी अफसर लोकनि संकल्प लेलनि पाराट्रूपर अवश्य बनब; अवसर थोड़ छैक, किन्तु, छैक तं ! हम ओहि दिनुक आकर्षण- पाराट्रूपर अफसर- सं  डराइते पुछने रहियनि:
 'चश्मा लगाकय पाराट्रूपिंग सम्भव छैक ?'
'उड़इत हवाई जहाज सं कुदलापर मनुक्ख तं कागत-जकां  उड़इत अछि, चश्माक की हेतैक !' ओ कनेक गौरव, आ कनेक दम्भक संग कहलनि. हमरा उत्तर भेटि गेल .तथापि, लखनऊमें ओहि दिन हम पैराट्रूपर बनबाक ने कोनो मनोरथ जागल आ ने हम संकल्प लेलहुं.
किन्तु, किछुए दिनक पछाति हमरा अनायासे पाराट्रूपिंगकेर अवसर भेटि गेल; सशस्त्र सेना चिकित्सा कोरमें हमर प्रथम रेगुलर पोस्टिंग पैरा-सैनिक सबहक यूनिट में भ गेल छल. हमर यूनिटमें  सब सैनिक पाराट्रूपरे  छल. हमरा केवल पाराट्रूपर बनबाक आवेदन देबाक देरी छल. किन्तु, पाराट्रूपिंग एकटा खतरनाक खेल थिकैक,से तं बूझल छले. तें, यूनिट में अबितहिं पाराट्रूपर बनब तेहन  कोनो विचार मन में नहिं आयल. किन्तु, घुरती वर्ष जखन यूनिटक ट्रेंड पाराट्रूपर सबहक  रिफ्रेशर जम्प आरम्भ भेलैक, आ असमकेर लखिपथारक दूर, अनंत धरि पसरल, धान कटलाक पछातिक धनखेतीमें , सैनिक साज-सामान सं लैस अपन यूनिटक सिपाही सबकें बतर अनायास हवाई जहाज सं कूदैत भूमि पर उतरैत देखलियैक तं हमर मन एकाएक डोलि गेल.

छाताधारी सैनिकक इएह छवि हमर मन मोहि लेने छल ( फोटो ; गूगल इमेज क सौजन्य सं )

किन्तु, डाक्टर तं रहबे करी. परिवार आ एकटा कन्या सेहो छलीह. कतेक रास सोच, विचार आ दुविधा. पत्नी निर्भीक छथि ओ दुविधा  निवारणमें सहायक भेलीह. कहलनि, अवसर भेटल अछि, ट्रेनिंग क लिअय. पछाति अवसर नहिं भेटत. नेना सब कें सेहो गौरवक बोध हेतैक. आ , बस, हम पैराट्रूपर बनबाक मंसूबा बना लेल आ आवेदन क देलियैक . फलतः, 1985क  आरम्भमें शुरू हेबावला  पैरा-कोर्स में योगदानक हेतु हमरा आदेश भेटि गेल.
 किन्तु, एकटा गप्प पहिने. आने एडभेंचर-स्पोर्ट-जकां पैराट्रूपिंगक ट्रेनिंगले सेनामे भर्ती हयब अनिवार्य नहिं. बंगलोर आ आगरामें अनेक उद्यमी पैराट्रूपिंग-इंसट्रक्टर असैनिक लोकनिले पैरा-स्कूल चलबैत छथि. टाका खर्च करबाले प्रस्तुत छी, स्वस्थ आ निर्भीक छी, तं, पैराट्रूपर बनि सकैत छी. खर्च बहुत नहिं छैक. हमर बालक, अमिय, जे व्यवसाय सं सूचना-प्रोद्योगिकी विषेशज्ञ छथि, हमरा पदचिन्हपर चलैत असैनिक पैरा-ट्रेनिंग नेने छथि. जे किछु. आब अपन गप्प.
1985 ई. क मार्च मास. गर्मी आरम्भ भ गेल रहैक. हम असम सं चलि पश्चिमी उत्तर प्रदेशक पैराट्रेनिंग स्कूलमें योगदान कयल. ताधरि हम एम् बी बि एस डाक्टर आ ट्रेंड सैनिक रहबे करी . स्पेशल फ़ोर्सक ट्रेनिंग लेब बांकी छल.
पैरा  स्कूल केर कठिन ट्रेनिंग सेना में सबतरि प्रसिद्द छैक. मुदा, दृढ़ मनोबल आ स्वस्थ शरीर कथू पर विजय पाबि सकैछ. हमर शरीर स्वस्थ छल, आ मनोबल ऊँच. तखन कथिक भय ! हम ध' तानल.
हमरा सबहक ग्रुप में इफंट्री अफसर आ दन्त चिकित्सकक आलावा सेनाक अनेक रेजिमेंट आ कोर केर अनेको सिपाही आ जूनियर कमीशंड अफसर लोकनि रहथि. किन्तु, प्रशिक्षण में कोनो अन्तर नहिं, परिश्रम में कोनो ढिलाई नहिं. असल में सैनिक,  जूनियर कमीशंड अफसर, आ अफसर लोकनिक एहन संयुक्त दल में अफसर सबसं अपेक्षा ई कयल जाइछ जे  अफसर लोकनि  शारिरिक क्षमता, कार्यकुशलता, आ साहसमें सर्वोत्कृष्ट टा नहिं, आन सबहक हेतु उदहारण साबित होथि. ओहुना, पैराट्रूपिंगक ट्रेनिंग मूलतः' फिजिकल टफनिंग' केर ट्रेनिंग थिक.  एकर अतिरिक्त एहिमें हवावाज़ीक कौशल आ भूमिपर खसबा काल चोट सं बंचबाक टेक्नीक सिखाओल जाइछ. दौगबाक-भगबाक आ  फिजिकल  ट्रेनिंग केर मामलामें कम वजन वरदान साबित होइछ. हमर उंचाई 179 सेंटीमीटर आ वजन मात्र 52  किलो छल.  अस्तु, लम्बा दौड़ सं आरम्भ होइत प्रति दिनक ट्रेनिंग हमरा ले कठिन नहिं. संगहिं, एतुका नित्य दिनुक ट्रेनिंग में डाक्टरी रूटीन सं भिन्नता सेहो रहैक, से हमरा नीक लगैत छल.
आब ट्रेनिंगक गप्प कनेक विस्तार सं. पैराट्रूपिंगक ट्रेनिंग मूलतः तीन भागमें विभक्त कयल जाइछ. ग्राउंड ट्रेनिंग, एयर एक्सपीरियंस , आ जम्प . एहि तीनू म सं ग्राउंड ट्रेनिंग सब सं लम्बा चलैछ.  ग्राउंड ट्रेनिंग  मूलतः फिजिकल फिटनेस केर ट्रेनिंग थिकैक. एकर अतिरिक्त पारा-जम्पक समय में भूमि-स्पर्श करबाक  समय में  भूमि पर पयर कोना पडय जे  सब सं पहिने आघात शरीरक मांसल भागपर  पर पड़य,  आ जोड़-आ हड्डी सब चोट सं बंचि सकय, सएह सम्पूर्ण पारा-ट्रेनिंगक सार थिक. हं, एकर अतिरिक्त हवाई-जहाज सं कुदलाक पछाति नदी-नाला, गाछ-वृक्ष, हाई-टेंशन पॉवर लाइन सं कोना बंची, सेहो प्रशिक्षणमें सिखाओल जाइछ. ततबे नहिं, जेना पहिने कहल, पाराट्रूपिंग एकटा  खतरनाक खेल  थिकैक, जाहि में खतरा सं बचाव अनेक बात , जेना, फिजिकल फिटनेस, कौशल, पैराशूटक सही तरीका सं खूजब, हवाक गति आ दिशा, तथा भूमिक स्वरुप ( खेत, जलकर, पहाड़, समुद्र ) पर निर्भर करैछ. अस्तु, कहि सकैत छी, सफल पाराट्रूपिंग शारिरिक क्षमता, कौशल, मनोबल आ साहसक अतिरिक्त अओर अनेक अदृष्ट आ तात्कालिक परिस्थिति पर निर्भर करैछ. अस्तु, अदृष्ट आ तात्कालिक परिस्थिति पर अपन फिटनेस, कौशल आ साहस सं नियंत्रण करैत  सैनिक अभियानक  लक्ष्य प्राप्त करब एहि ट्रेनिंगक आत्मा थिकैक. एतबा अवश्य, जे सफल पाराट्रूपिंगक हेतु एहि सब किछुक अतिरिक्त आपातकालमें अनुभव आ  प्रतुत्पन्न्मतित्वक योग अमूल्य साबित होइछ, जकर चर्चा आगूओ हयत.
पैरा-ट्रेनिंग स्कूल में भोरुका दौड़ आ नाश्ताक पछाति हमरा लोकनि सब गोटे ग्राउंड में एकत्र होई, जतय छोट-छोट ग्रुप इंस्ट्रक्टर 'पारा-रौल' सिखौनाइ आरम्भ करथि. की थिक ई 'पारा-रौल' ? लम्बा  ट्रेनिंग फील्ड में एक पांती सं अनेक रनिंग-रैम्प. प्रत्येक रैम्प क आगू पोआर पसारल. रैंप केर पाछू पंक्तिबद्ध ट्रेनी एक-एक क कय दौडि कय अबैत जाथि, रैंप पर सं कूदैत  भूमि पर तेना रौल करथु जे माथ वा शरीरक कोनो हाड़ वा जोड़ पर आघात नहिं हो. सुनबा में ई प्रक्रिया जतबे सोझ लगैछ, करबा में ई ततबे श्रमसाध्य. सेहो जखन दिन में चारि घंटा धरि मात्र एके काज चलैत होइक . तथापि हम एतबा अवश्य कहब जे सैनिक-प्रशिक्षण केर एकटा गुण छैक; ट्रेनिंग केर काल में ई सब किछु जतबो उकडू लागय, जखन अपन बिछाओन में सुतबा ले जायब तं देह में    स्वतः जमा, प्राकृतिक अफीम- एंडोर्फिन-क प्रचुर मात्रा ने देह दुखयबाक अनुभव होमय देत आ ने निन्नक कमी बुझबा में आओत !
करीब छौ हफ्ताक ग्राउंड ट्रेनिंगक पछाति हमरा लोकनि एयर एक्सपीरियंस ले गेलहुं. एयर एक्सपीरियंस माने ट्रेनी लोकनि सब गोटे फुल- बैटल  गियर ( युद्ध कालीन-पोशाक ) पैराशूट , हेलमेट सहित, हथियारक संग व बिना हथियारक हवाई -जहाज में बैसताह. हवाई-जहाज उड़त. हवाई- जहाज जखन ड्राप-जोन (DZ ) क लग पहुँचत, हवाई-जहाजक  दरवाज़ा खुजतैक, आ नारंगी रंगक रोशनी खुजल द्वारि  पर एकाएक जरि उठतैक. इंस्ट्रक्टरक संग पैराट्रूपर लोकनि उठिकय ठाढ़ हेताह कि नारंगी बत्ती एकाएक लाल भ उठतैक. किछुएक क्षणमें लाल बत्ती हरियर भ जायत. माने, अहांक पीठ पर इंस्ट्रक्टरकेर एक थाप आ जम्प.
स्टैटिक-लाइन जम्प : जहाज सं बहरयबाक दृश्य ( फोटो ; गूगल इमेज क सौजन्य सं)
किन्तु, एयर एक्सपीरियंस दिन सब किछु हेतैक, शिवाय जम्प केर. किन्तु, कोन ठेकान, जोश आ तात्कालिक घबराहटमें केओ  कूदिए जाथि ! मुदा, चिंता नहिं. इंस्ट्रक्टर लोकनि एहन असम्भावित परिस्थिति ले सर्वदा तत्पर आ सक्षम रहैत छथि. एहि एयर एक्सपीरियंस में हमरा लोकनि भले कुदलहु नहिं, किन्तु, उड़इत हवाई-जहाज क खूजल  द्वारिक कगनी पर पयर , आ हजारों फीट नीचा भूमिकें देखि केहन रोमांच होइछ तकर अनुभव हम तैंतीस वर्षक पछाति आइओ क सकैत छी ! किन्तु, उत्तर प्रदेशक पैरा ट्रेनिंग स्कूलक ओहि उड़ान में अओर बहुत किछु अद्भुत रहैक; गर्मी मासक खेत-खरिहानक हरीतिमा, कातिक मासक भूखल किसानक देह-सन क्षीण, यमुनाकधारक दुनू कातक बालुक ढेरपर  खीरा -ककड़ी-फूंटि-तरबूजक खेती, आ यमुनाक छाती पर परतंत्रताक बेडी-सन विशाल रेल-रोड ब्रिज.  दूर दराज़में हाई टेंशन पॉवर लाइन. पैरा-ड्राप ले ई भूमि जतबे उपयुक्त ,  ततबे चुनौतीपूर्ण आ रोमांचक. तहिया सुनने रहियैक, वायुसेनाक एकटा वरिष्ठ अफसर आ अनुभवी पैराट्रूपरक  ट्रेनिंग जम्प केर  दौरान एत्तहि जल-समाधि भ गेल रहनि !  एतय ई ज्ञातव्य थिक, जे सेनामें अनेक सावधानीक वावजूद ट्रेनिंग केर दौरान दुर्घटना, आ मृत्यु होइत रहैत छैक. किन्तु, सेना आ सैनिक एकरा देह लगा कय मारैछ. श्रीमद्भगवद्गीताक उक्ति ; 'हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गः, जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम ' सैनिकेक हेतु उपयुक्त छैक. यद्यपि, सेनामें प्रत्येक दुर्घटनाक जांच होइछ. किन्तु, सैनिकक दिनचर्या एहन होइछ जे अचानक भेल दुर्घटनाके नहिं स्वीकारब सत्य सं मुंह मोडब  हयत.
जे किछु. हमरा लोकनिक ग्राउंड ट्रेनिंग चलैत रहल. फिजिकल फिटनेस केर दौरान अभावृत्तिये केओ  हेताह जनिका  पेटक  मांसमें  (Abdominal muscles ) रक्तसोथ-सूजन (hematoma ) नहिं भेलनि. किन्तु, ने केओ  ट्रेनिंग छोड़लक, ने केओ यूनिट वापस गेलाह.
जखन ग्राउंड ट्रेनिंग सम्पन्न भ गेलैक तं निर्धारित जम्प में अनेक बखेड़ा ; हवाई-जहाजक उपलब्धता, अनुकूल मौसमक अनिवार्यता. पैरा-ट्रूपिंग वाला सैनिक अभियानमें  एहि प्रकारक अनेक अडचन अबैछ आ तकर अनेक रोचक  आख्यान पैराट्रूपरक समुदाय में आम छैक. एहि हेतु पैराट्रूपिंगक सैनिक अभियान में सेहो मौसमक हिसाब-किताब राखय पड़ैत छैक. पैरा-ट्रूपिंगक दौरान अचानक बदलैत मौसम सं भेल एकटा अजगुत कथा बहुत वर्ष पहिने,एक बेर Readers  Digest  में पढ़ने रही:
एकबेर योरपमें कतहु नागरिक लोकनि ले पैरा-ट्रूपिंगक प्रदर्शनक आयोजन भेल छल. बहुतो पैराट्रूपर एक संगे हवाई-जहाज सं कूदि एके निर्धारित फील्डमें दर्शक लोकनिक बीच उतरबाक नेयार केने रहथि. संयोग एहन जे पैरा-जम्पकेर बीचहिं, कतहु सं थंडर- क्लाउड (thunder-cloud) मेघक एकटा टिक्कर आबि गेल, जाहि में एकटा पैरा-ट्रूपर फंसि गेलाह. बांकी सब गोटे दर्शक लोकनिक बीच निर्धारित स्थान पर समयसं उतरलाह, आ वाहवाही भेलैक. किन्तु, आखिरी, पैरा-ट्रूपर निपत्ता. असलमें, भेलैक ई जे थंडर- क्लाउड (thunder-cloud) में फंसलाक कारण नीचा उतरबाक बदला थंडर- क्लाउड (thunder-cloud) पैराट्रूपरकें  उपरे-उपर नेने चल गेलनि. एहि दुर्घटनाक भान हुनका तखन भेलनि जखन , भूमि दिस उतरला सं क्रमशः बढ़ईत तापमानक बदला, आकाशमें बढ़इत उंचाईक संग हुनका शीतलता अनुभव भेलनि. गट्टापर बान्हल altimeter ( ऊंचाई नापबाक यंत्र ) पर नज़रि  पड़लनि तं ओहो भूमितल सं विपरीत दिशामें, ऊंचाई दिस बढ़बाक प्रमाण देलकनि. एहन परिस्थिति सैनिक व खिलाडी कें निर्भीकता आ प्रत्युत्पन्नमतित्व  ( तुरत निर्णय लेबाक अपन क्षमता) संजीवनी प्रमाणित होइछ. अस्तु, गोबछत्ता-सन थंडर- क्लाउड (thunder-cloud) मेघमें फंसल ओ पैरा-ट्रूपर अपन मेन पैरा-शूटसं अपना के अलग केलनि ( ई सामान्य ट्रेनिंग केर हिस्सा थिकैक ). स्पष्ट छैक, मेन पैरा-शूटसं  अलग भेला पर  पैराट्रूपर पृथ्वीक गुरुत्वाकर्षणक बलें, ओ भूमि दिस स्वतः खसैत ढेप-चेप जकां  खसैत गेलाह. अंतत, जखन ओ पुनः  धरि भूमिसं  पैरा-जम्प केर आम उंचाईपर  अयलाह तं अपन रिज़र्व पैरा-शूट खोलि अपन जान तं बंचओलनि, किन्तु, ओ स्थान  ने  निर्धारित नगर आ ठाम छल, आ ने निर्धारित भूमि आ समय. ई तं भेल पीस-टाइम पैरा-ट्रूपिंगक एकटा खीसा.
मेन पैरा-शूटक सहायता सं भूमि पर उतरैत  पैराट्रूपर; पेटक आगां  रिज़र्व पैराशूट (फोटो ; गूगल इमेज क सौजन्य सं)
युद्धकेर समय में जं पैराट्रूपर अपन अभियान के पूर्ण कय जान-प्राण बंचा,  आपस भेलाह तं प्रत्येक केर  अनुभव एकटा भिन्न खीसा लागत. द्वितिय  विश्व -युद्धमें तं सम्पूर्ण सैनिक साज-सामानक सहित,   सेनाक एक-एक डिवीज़न ( पांच हज़ार सं बेसी सैनिक ) केर  पैरा-ड्रापकेर खीसा भेटत. एहन एकटा सैनिक अभियानक इतिहास  'A  Bridge Too Far' नामक फिल्म में देखि सकैत छी, वा  Cornelius Ryan केर एहि नामक पोथीमें पढ़ि सकैत छी. हाल-साल में श्रीलंकामें लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल एलम (LTTE) क विरुद्ध भारतीय सेनाक अभियानमें एकटा पैरा- बटालियनकेर अधिकांश सैनिक कें टाइगर्सक आतंकवादी सब भूमि पर उतरबा सं पूर्वहिं गोली सं भूजि देने छलनि ! किन्तु, LTTE -सन दुर्दांत   आतंकवादी संगठनक  विरुद्ध अभियान में एहन अनुभव  आश्चर्यनक नहिं. तथापि एहि दुर्घटनाकें सैनिक अभियानक असफलता आ योजनाक कोना नहिं कहबैक ! आब अपन गप्प करी.
हमरा अपन  ट्रेनिंगक पहिल जम्प कहियो नहिं बिसरत. सत्रह-सत्रह पैराट्रूपरक दू टा (stick)- पतियानी- MI-8 हेलीकॉप्टरक खूजल द्वारिक दुनू भाग.  परंम्पराक अनुकूल  पहिल stick में आगू अफसर लोकनि. ताहूमें सबसं आगू ,कारी डांगिरीमें, पैरा-स्कूलक कमान अधिकारी. हुकुम साफ: जं केओ पैराट्रूपर  जम्प-मास्टरक कमांड, 'गो (Go)  माने, 'जम्प' पर  एको सेकेण्ड धकचुकेला तं जम्प मास्टर पैराट्रूपर कें घक्का द कय हवाई जहाज सं बाहर धकेलि देथिन, अन्यथा प्लेन Dropping Zone ( DZ) सं बाहर भ जेतैक आ पूरा stick क जम्प भ नहिं सकतैक. ततबे नहिं. बिलंब केर असर दोसरो stick पर हेतैक. कारण, हवाई जहाज DZ केर ऊपर घुरती चक्कर में दोसर stick के ड्राप करतैक. माने, 1 मिनट सं कनिएक बेसी समय में 34 टा सैनिक जहाजसं कुदता. तें,एहि खतरनाक अभियान मेंं जहाजक पाइलट, जम्प मास्टर, जहाज, सैनिक, आ मौसम क बीच अचूक तालमेल आवश्यक. ओहि दिन सबसं पहिने पहिल चक्करमें पैराशूट में बान्हल बालुक बोरा- door load- खसल, जाहि सं ground staff पायलटकें हवाक  तात्कालिक दिशाक सूचना देलखिन. हवाई जहाजक घुरती चक्करः हमर पहिल जम्प. सबसं पहिने कर्नल पृथ्वीपाल आगू कुदलाह. अविस्मरणीय दृश्य. खूजैत rigging--line आ बैलून-जकां हवा में ऊपर ऊठैत पैराशूटक नीचा लटकल कारी धुथूर कर्नल पी पी हमरा Flash Gordon सिनेमाक अद्भुत शक्तिमान महानायक-सन लगलाह, जकर मायावी शक्ति मनुष्यकें अनायासे अपना दिस झीकि लेतैक ! आश्चर्यमेंं खूजल हमर आंखिक पलक खसैत ताहिसं पहिनहि हमर दाहिना कांह पर जम्प मास्टरक थाप आ 'Go' ! आ हम सैनिक आदर्शक अनुकूल कूदि गेलहुं आ रीतिक अनुकूल, गिनती: 1 हजार, 2 हजार, 3 हजार, 4 हजार, ऊपर देखू ! पैराशूट खूजि गेल !! वाह ! वाह !! तकर बाद आ भूमि पर उतरबा सं बीचक करीब दस सेकेंडमें  हवामें उतरबा-चढबाक आ उडबाक अनुभूति मात्र अनुभवक वस्तु छल, वर्णन क विषय नहिं.
अंततः, हमरा लोकनिक निर्धारित जम्प- दिनमें, रातिमेंं, सैनिक साज-सामान सहित आ ओकर बिना- पूर्ण कयल. अंतिम दिन
पैरा-ट्रेनिंग स्कूल केर चीफ-इंस्ट्रक्टर आ कमांडिंग ऑफिसर हमरा लोकनिकें विंग- सेरेमनी में समारोह पूर्वक छाती पर पैरा-विंग लगओलनि, आ सब गोटेकें  मैरून बेरेट देल गेल आ हमरा लोकनि certified Red Devil घोषित भेलहुँ.
सैनिक लोकनिक गौरव: मैरून बेरेट(beret) आ पैरा-विंग ( छाती पर नेम प्लेट सं उपर ) 
पैरा-ट्रूपिंग केर एहि ट्रेनिंगक कारण एकटा पारिवारिक उत्सवमें सम्मिलित नहिं भ सकलहु;  हमर जेठ भाईक बालक , आब डाक्टर, पंकजजीक विवाहक   बरियाती पूरब छूटि गेल. किन्तु, हमरा-सन सैनिक ले ई कोनो नव नहिं. सुदूर लेह में पोस्टिंगकेर कारण हम अपन माताक चितामें सेहो पांच टा काठी देबाक दायित्व पूर्ण नहिं क सकलहु. हमर माता कहथि, ' जे पूत परदेसी भेल, देव पितर सब सं गेल '. जं पूत सैनिक भेल तं तखन अओर कोनो ठेकान नहिं.
हं, एतबा अवश्य जे, एखनुक युगमें जखन भारत सरकारक अनेक विभाग, मंत्री, आ अधिकारी, जे सैनिकके पेटपोसा  नोकरिहा सं बेसी नहिं बूझैत छथिन, तेहन  परिस्थितिमें  समाज कें ई बुझायब बड कठिन छैक जे राष्ट्र सेवामें स्वेच्छा सं प्राणक बलिदाल देबाले उदयत सैनिक  जीवन कतेक उत्सव आ व्यसनकें  ओहिना बिसरि जाइछ, जेना, बरखा में भिजैत पक्षी पानिक बुन्नकें पाँखि पर सं झाडि निरंतर उड़इत चल जाइछ !
हम नेना रही तं हमर दिवंगत माता   बेसी काल हमर दुब्बर-पातर कायापर अफशोस में करथि. माने, 'शरीरसं कमजोर छथि'. पेट-ख़राब आ सर्दी उकासीक प्रकोप रहिते छल. एताबता, शरीर कमजोर अछि से भावना कतहु अपनहु मोन  में कतहु नुकायल बैसल छल. सफल पैरा-ट्रेनिंग केर पछाति अपन अनुभव आ पैरा-ट्रूपरक फिजिकल फ़िटनेसक प्रति आन अफसर लोकनिक भाव देखि कय मोन में नुकायल  शरीरक कमजोर हेबाक भाव जडि सं उकन्नन भ गेल. ततबे नहिं, पैरा-ट्रेनिंगक पछातिक अगिला  बीस-बाईस वर्षक सेनाक सेवा हमर फिजिकल फिटनेस कें निरंतर प्रमाणित करैत रहल. अस्तु, फिजिकल फिटनेस एखनहु हमर जीवन हिस्सा अछि. कहितो छैक, Once a paratrooper, always a paratrooper अर्थात् जे एकबेर पैरा-ट्रूपर भेल ओ जीवन पर्यंत पैरा-ट्रूपरे रहत. हं , हम थिकहु आजीवन पैरा-ट्रूपर, Red Devil ! 

मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान

कीर्तिनाथक आत्मालापक पटल पर 100 म  लेख   मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान  कीर्तिनाथ झा वैश्वीकरण आ इन्टर...

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