Saturday, February 25, 2023

गप्पक भूखलि

गप्पक भूखलि

आइ बूढ़ी माँ कें देह में चैन नहिं रहनि. भोर सं बेटी लोकनिक फ़ोन नहिं आयल रहनि. दुलारि बेटी नबका फ़ोन में फेस-बुक द’ देने छथिन. फ़ोन में देवनागरी अक्षर रहिते छैक, फोटो आ विडियोकें भाषासं कोन सरोकार. जे अबैत रहैत छनि,निरंतर देखैत रहैत छथि. ताहि पर जखन कखनो, भारत वा चीन-जापान में बनल हास्य-विनोदवला विडियो अबैत छनि, विडियो देखि- देखि कय बुढ़ी एसगरे ठहक्का लगबैत रहैत छथि. हंसैत-हंसैत जखन पेट दुखाय लगैत छनि, कोठलीसँ बहरा कय विडियो आ फोटो बेटा-पुतहु- खर-खबासनी सबकें देखेबाक मोन होइत छनि. मुदा, ढन-ढन करैत बड़का हवेलीक  अनेक कोठली  आ खाली अंगना देखि एसगरे ओसारहिं पर एक-दू चक्कर लगबैत छथि आ अंगनाक कोन परहक वृद्ध, फलहीन आमक गाछकें अखियासैत छथि. देखैत छथिन,एहि जनशून्य अंगनाक  एहि  फलहीन गाछपर आब कोनो चिड़इक खोंता नहिं. किन्तु, लुक्खी सब एखनहु आस नहिं छोड़लक-ए. ओ सब एखनहु एहि अंगनामें  आ ओहि आमक गाछ पर पहिनहिं-जकां नूड़ि  तनैत रहैए. बुढ़ी माँकें कखनहु आश्चर्यो होइत छनि- एहि गाछपर एहि लुक्खी सबकें की भेटैत छैक ! मुदा, एकाएक लुक्खी परसँ मन अपना दिस अबैत छनि.’ एहि घर आ अंगनाकें ओगरि कय हमरा की भेटैए ! किन्तु, अचानक फोनक गनगनाइत अछि आ माँ केर मौलायल मुँह पर एकाएक चमक आबि जाइत छनि, जेना कि माघ मासक कुहेसकें फाड़ि कय एकाएक रौद उगि गेल हो !

‘ की हाल-चाल ?’

सब दिन तं बेटी सबसं बेरा-बेरी गप्प होइते छनि. नित दिन कोन हाल-चाल बदलतैक; ओएह रामा, ओएह खटोला ! मुदा, एहन गप्प कहिकय माँक मन दुःखयबाक ककरो साधंस नहिं होइत छनि, आ बेटी लोकनि शुरू भ’ जाइत छथिन.

-जलखै भ’ गेलै ?

- की हेतै ! आइ पूजामें ततेक ने अबेर भ’ गेल. लाइन कटल रहैक. पानि गरम नहिं भेल छल. पछिला जाड़में, मोन नहिं अछि, एके दिन ठरल पानिसँ  नहायल रही तं केहन कफजारा ध’ नेने छल. आइ जखन दस बजे लाइन एलै, तं पानि सुसुम कयल आ नहयलहु. मुदा, जावत पूजा-पाठ सम्पन्न भेल, भूखे मरि गेल; सबटाकें एकटा बेर होइ छैक, किने. एखन तं अंही लोकनिक फ़ोनक बाटा-बाटी तकैत रही. 

- तें की . आब भूखल नहिं रहू.

- ठीके तं कहैत छी. जहिया कनेको एको रत्ती अबेर भ’ जाइए, बुझले अछि,पेटमें गैस तानि दैए.मुदा, आइ तं लगैए, जेना, भूखे ने अछि. अहूँ कें तं सएह होइए. गैस तं परेशान केनै रहैए ने. हं, भने मोन पड़ल. सोचने रही, अहूँकें कहब. फेसबुक पर देने छलैए, तामक बासन में राखल पानि जं पीबी तं बड गुण करैत छैक .

- तामक बासनमें ? लोक तं कहैत छैक, तामक बासनमें पानि नहिं पीबी.

-अहूँ तं अतत्तः  करै छी. तामक बासन में पानि पीबा सं मना करैत छैक ने. पानि राखू तामक बासन में, आ जै में मोन हो, ढारि-ढारि कय पीबू.

- अच्छा ! बेटी, मायकें हुनक गप्प के नीकसँ  बुझबाक बोध करबैत छथिन. जेना, माय दस हज़ारक बात कहने हेथिन ! बेटी सेहो मने-मन बिहुँसैत छथि.  भले तं, माँ सेहो आब ‘फेसबुक-डाक्टर’ भेल जा रहल अछि.  फेसबुक आ व्हाट्सएप्प पर आयल सत्य-झूठकें आइ-काल्हि ओतबे महत्व छैक जतेक कहियो प्रमाणिक पोथीमें छपल ज्ञानके रहैक. तें, एखन जकरा जे किछु फुरैत छैक लिखैत अछि आ बेचैत अछि. एहिसँ  ककरो लाभ होइछ, ककरो हानि होइत छैक आ ककरो घरमें कलह होइत छैक. सांए- बहु में बजा-भुकी धरि बन्न भ’ जाइ छैक. फेसबुककें गामक माइनजनक दर्जाक एहि युगमे, फेसबुक पर अजीबो गरीब रोग आ फेसबुक पर देल उपचारकें पढ़ि-पढ़ि अपन उपचार केनिहार आ अनका सलाह देनिहारकें  गौरी ‘फेसबुक-डाक्टर’ कहैत छथिन !

माँ पुनः गप्पक सूत्र पकड़इत छथि: ‘ हं, एहिसं कफ, पित्तक समन तं होइते छैक, सुनैत छियैक, तामक बासनमें राखल पानि वायुनाशक  सेहो होइ छैक.’

बेटीकें फेर हंसी लागि जाइत छनि. मुदा, हंसी कें रोकैत छथि. हंसीकें रोकैत कहैत छथिन, ‘जलखै क’ ले.’

-अच्छा. एकटा गप्प तं कहबे ने केलहुँ ; गीतामायकें सासु-पुतोहुक बीच एखन फेर बाजा-भुक्की बन्न छनि. सासु मोने-मोन खौंझाइत रहैत छथि. देखबनि तं चिन्हबनि नहिं. बुढ़ी कंक-कंक भ’ गेलीहे. 

-से की ? गौरी रस लैत छथि.

-फुसियाहीक गप्प. हमरो केओ कहलक. हम तं सरि भ’ कय बुझबो ने केलियैक. सुनलियै, आइ-काल्हि घरमें किदुन,  किछु ‘वाइफी’ होइ छै. ओही पर मोबाइल सबमें फोटो-विडियो, खीसा अबै छै, कम्प्यूटर चलै छै. बुढ़ीके तामस जे निचेन भेला पर जखन ओ अपन फ़ोन खोलै छथि, हुनकर फ़ोन में किछु चलिते नहिं छनि. एसगरे भनभनाइत रहै छथि. के सुनत. एकदिन पोताकें पुछलखिन. दादी ओकरा खूब आबेश करै छथिन. ओ कहाँदन कहि देलकनि, ‘बुझलियैक नहिं, माँ, हमर सिंगापुरवाली मौसी भोरेसँ  मेसेजिंग शुरू भ’ जाइत छथिन. मम्मी सेहो उठिते देरी  बिछाओने पर व्हाट्सएप्प विडियो देखय लगै छै. तें, अहाँक मोबाइलमें विडियो नहिं चलइए.’ बस, सासु- पुतहुमें बजरि गेलनि. पुतहु कानय-बाजय लगली. हम अपने केबुलबला रामबाबूकें पुछ्लियै. कहलक,’ बाबी अहाँ ओहि सूरज पर विश्वास करै छी. ओ नान्हि टा छौंड़ा. महाग छट्ठू अछि. छौंड़बा अपने सुतली राति में भरि-भरि राति कम्प्यूटर पर हवाई-जहाज हँकैए आ नाहक सासु-पुतहुमें झगडा लगा देलकनि. ओ अपने ककरो ले डाटा छोड़ै छैक. हम से बाबीकें कहबो केलियनि.’ 

मुदा, गीतामाय कें रामबाबू पर विश्वास नहिं भेलनि. हुनका तं, पुतहुसँ टेना-बानी सोहाग-भाग छनि.रामबाबू कहलक, ‘ आब बाबीक छोटका बेटा सोझे दिल्लीएसं बाबीक फ़ोन में डाटा भरा दैत छथिन.’ हम पुछ्लियैक, अंए हौ, रामबाबू, ई डाटा की होइ छैक ? तै पर रामबाबू हंसय लागल. कहलक,’ बाबी की कहू. आब की छोटका, आ की बड़का. सबहक घरमें चाउर-दालिसं बेसी  डाटाक खर्च छै. देखियौ ने, टोल पर. सबकें मोबाइल फ़ोन छै. नबकी कनिया सब भरि-भरि राति मोबाइल पर सिनेमा देखैत रहैए. बाबी, आब तं बाज़ार में कहबी छैक, वाइफ कें बिना रहि सकैत छी, ‘वाइ-फाइ’ बिना नहिं’. वाइ-फाइ एखन धरि माँ कें जीह पर नहिं चढ़ल छनि. गौरीकें पुछ्लखिन ‘अंए अइ, बाऊ, ई वाइफी कोन लुत्ती छियै, जे घर में आगि लगा दैत छैक ?

बेटी ठहक्का मारि कय हँसय लगलखिन. माँ गप्प नहिं बुझलखिन. मुदा, बेटीक संग ओहो ठहक्का मारि कय हँसय लगलखिन. सत्ते, अपन धिया-पुताक हँसीमें बड्ड स्वास्थ्यवर्धक लसेढ़ होइत छैक. मुदा, एहि युग में हवाक प्रदूषण आ पानिक किल्लतक संग मनुखक हँसी सेहो बिला गेलैये. लगैए, ई प्रदूषण हँसी सेहो हरि लैत छैक. एखन जखन माय-बेटीक बीचक हँसीक तरंग ठमकलैक तं माँ फेर पुछलखिन, ‘अंए अइ, बाऊ, मधुबनीक सौरभ झाकें ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में पचास लाख टाका भेटलनि, से देखलौं ?’

-कहाँ देखलियैक. ओहि दिन हमरा लोकनि कतहु आन ठाम चल गेल रही.

-एह, हमरा तं आँखिमें नोर आबि गेल छल. बेचारा सौरभक बाप बूढ़ छथिन. मति-विपर्यय भ’ गेल छनि. स्त्री-बेटा-पुतहु धरिकें नहिं चिन्हैत छथिन. मुदा, अमिताभ बच्चनकें देखि बुढ़ा टनटनाक उठि कय ठाढ़ भ’ जाइत छथिन. बापक एहन हालत. तथापि, बेटा कहैत रहथिन,’ जीवनमें केहनो दुःख-दोख होअय, जं माथपर माय-बापक हाथक छाया हो, तं, आओर किछु नहिं चाही.’ कहैत कहैत माँकेर कोंढ़ फाटय लगलनि.

बेटीकें  लगलनि माय विह्वल भ’ रहल छथि. गप्प बदलैत कहलखिन, ‘तों तं से सुनलें. मुदा, अमिताभ बच्चन आओर की सब कहैत छै, से सुनलिही ? कि, तं, ‘ कौन बनेगा करोड़पति’क  विजेता खिलाड़ी सब जे मोटा-माल कमा कय घर जाइत अछि तकरा पर ठकहारा सब गिद्ध-जकां टूटि पड़इए. लोककें नाना प्रकारक लोभ दैत छैक; कि, तं, बरखे भरि में टाकाकें दूना-तिगुना क’ देब. ताहिमे कतेको ठकल गेले. आ ठक सब नेहाल भ’ रहल अछि.’

-‘किएक ने . जतेक लोभ ततेक क्षोभ.’ 

ताबते बुढ़ी कें एकटा आओर नव गप्प मोन पड़लनि: ‘एकटा कहब तं बिसरिए गेल. आब झंझारपुर तक बड़ी लाइन चालू भ’ गेल. आब झंझारपुरमें गाड़ी में बैसू आ सोझे दिल्ली उतरू .’

बेटी कें फेर हंसी लागि गेलनि: ‘तोहर सबटा खबरि बासिए रहै छौक.’ जखन सब धिया-पुता कहियो एकठाम जमा होइत छथिन, बुढ़ीक बासि गप्प आ पुरान वस्तुकें जोगबैत रहबा पर खूब हंसी-मजाक होइत छैक. मुदा, धिया-पुता सब मीलि जखन मायकें लक्ष्य कय हंसी- विनोद करैत छनि, तं बुढ़ीकें जतबे आनंद होइत छनि ओ ततबे खुलि कय हंसैत छथि. बेटी फेर शुरू भ’ गेलखिन, ‘ तों कोन  दुखें ट्रेन सं दिल्ली जेबें. आब दरभंगामें हवाई-जहाज में बैस आ सोझे दिल्ली. से सुनलें ?’

-मुदा, से जखन शुरू हेतैक, तखन ने. एहन खबरि बहुत बेर सुनलियैके.

- मुदा, ई तं नहिं सुनने हेबही, ‘ मोदी है, तो मुमकिन हैं.’ सत आ झूठ हम की जानय गेलियै. प्रधानमंत्रीक पार्टी कार्यकर्त्ता सब तं इएह नारा दैत छनि. मुदा,लोकक अनुमान छैक हवाई-सेवा आब जल्दीए शुरू भ’ जेतैक.’

बुढ़ी कें पुरान कहबी मोन पडि अयलनि :  ‘सूरदास घी दैत छी.’ ‘से, तं, गड़गडेनहिं बूझब’. मुदा, गप्पक एहि सुखद सेशन में हुनका एकटा आओर नव गप्प मोन पडि अयलनि. आ माँ गप्प करबाक एहि मौकाकें हाथसं ससरय नहिं देबय चाहैत छथि. कहलखिन, ‘अंए अइ, गौरी, सुनै छियैक, दू हज़ार टाकाक नोट फेर उठि जेतैक. गाम में इहो हल्ला छैक, आब सरकार घरमें राखल सोना पर सेहो टैक्स लगओतैक.’ गौरीकें मायक जीके सामान्य ज्ञान पर छ्गुन्ता लागि गेलनि. ओ खुलि कय हँसय लगलीह. पुछलखिन, ‘ के कहै छौ ई गप्प सब ?’

-‘फेसेबुक पर ने अबै छैक. हमरा आओर के कहत.’ माँ अखबार नहिं पढ़इत छथि. मुदा, ओ फेसबुकक परायण ओहिना करैत छथि, व्हाट्सएप्पक मेसेज आ फोटो-विडियो ओहिना मनोयोगसँ  देखैत छथि, जेना, हुनकर नानी-दादी लोकनि चंदाझा क ‘मिथिला रामायण’ आ मनबोधक ‘कृष्णजन्म’ बंचैत रहथिन. फेसबुक आ व्हाट्सएप्प एखुनका  खबरी आ ‘मैला आंचल’क  बेतार अछि. एहि सब सोशल मीडिया पर अनरसा बनायब आ तिलकोड़ तरबाक विधिसँ ल’ कय गायक थनसँ दूध दुहबाक हेतु गायक टांग छनबाक धरिक सचित्र वर्णन भेटत. बेटी पुनः हंसैत कहलखिन, सोना राखि क’ की करबें ! दान-पुण्य कर. रहलै दू हज़ारक नोट, से दू हज़ारक नोट जमा नहिं कर. काज जोकर आने नोट राख. मुदा, आब जो. बड्ड बेर भेलै. जलखै कर ग’.’

- हं. माँ केर गप्प केर अजुका कोटा पूरा हयबापर रहनि. आ ठीके माँ कें भेलनि, आब आइ हुनका मन्दाग्निक हेतु कोनो औषधि नहिं खाय पड़तनि. बेरू पहर जं जेठकी आ छोटकी दुनू बेटीक फ़ोन आबि गेलनि तं आइ राति पाचन ले ‘यूनिइन्जाइम’ गोटी सेहो नहिं फांकय पड़तनि. आ कल्हुका गप्प, काल्हि देखल जेतैक ! कहलखिन,’ ठीक छै. अहूँ जाउ.’                                                       


अविश्वसनीय आ अविस्मरणीय

 

२५ फरबरी १९८३

अविश्वसनीय आ अविस्मरणीय

२५ फरबरी १९८३. ओ घटना ओहि दिन जेहने अविश्वसनीय छल, आइओ ओ ओहने अछि. मुदा, थिक तं अविस्मरणीय.  

जाड़ नीक जकाँ फाटल नहि रहैक. मिथिला विश्वविद्यालय मे बी.ए.क परीक्षा जारी रहैक. मुदा, राजा-दैवक कोन ठेकान. एकटा परीक्षार्थीके २४ फरबरीक रातिएसँ प्रसव-पीड़ा आरंभ भए गेलनि.

तहिया मिथिलांचल आ नेपालक तराई क्षेत्र मे दरभंगा मेडिकल कालेज अस्पतालक प्रतिष्ठा रहैक. गरीब आ धनिक सब ओतहि इलाज ले जाइत छल. अस्तु, आसन्न-प्रसवा परीक्षार्थी ओतहि अस्पताल मे भर्ती भेलीह आ २५ फरबरीक भोरे सामान्य प्रसवसँ कन्याक जन्म देलनि.

मुदा, कन्याक जन्म की देलनि, एकटा समस्या ठाढ़ भए गेल: जे प्रसूति बी. ए. ऑनर्स आ अंग्रेजी पपेर्क अतिरिक्त पास कोर्सक कुल पेपरक परीक्षा दए चुकल रहथि, से ओहि दिन निर्धारित अंग्रेजीक पेपर मे कोना सम्मिलित होथु. मुदा, परीक्षार्थीक दृष्टि मे ओ कोनो समस्या नहि छल. ओ तं कृत-संकल्प रहथि. हमरा मन पड़ैत अछि, हमर सहपाठी डाक्टर मुसर्रत हुसैनक संग सेहो किछु अहिना भेल रहनि: ओ मैट्रिकक परीक्षा देबा ले विदा भेल रहथि, आ अकस्मात् अस्पतालसँ पिताक मृत शरीर द्वारि पर पहुँचि गेल रहनि. मुदा,  ओहू दिन मुसर्रत हुसैन परीक्षा देलनि आ पहिने प्रयास मे  प्रतियोगिता परीक्षा पास कए दरभंगा मेडिकल कालेज मे नाम लिखओलनि.

जे किछु. २५ फरबरी १९८३क भोर मे नारि आ प्रसूति विभागक तत्कालीन विभागाध्यक्ष  डाक्टर गौरी रानी सिन्हा जखन प्रातः-कालीन राउंड पर वार्ड अइलीह तं हुनका एकटा अभूतपूर्व परिस्थितिक सामना करए पड़लनि: सामान्यतया अस्पतालक बेड पर सूतल प्रसूति रोगी, हुनका समक्ष  विश्वास पूर्वक ठाढ़ि छलखिन. हुनका कुतूहल भेलनि. प्रसूतिक सोझ निवेदन हुनका आओर चकित केलकनि: कि तं हम परीक्षा देबय जायब. डाक्टर गौरी रानी सिन्हा जतबे वरिष्ठ आ दक्ष रहथि ततबे सहृदय. प्रसूतिक संकल्प देखि हुनका हँसी लागि गेलनि. कहलथिन,’इस कमरे में चल कर दिखाओ.’

ई कोन कठिन काज. तुरत कोठली मे चलबाक प्रदर्शन सफल भेल. आ जे प्रसूति आइए भोर पौने आठ बजे करीब एकटा छोट शल्य-चिकित्सासँ बच्चाक जन्म देने रहथि, एम्बेसडर कार केर पछिला सीटमे बैसलीह आ करीब पाँच किलोमीटर दूर  सी एम आर्ट्स कालेज परीक्षा केन्द्र जा दस बजे आरंभ होइत अंग्रेजीक परीक्षा मे जा कए सम्मिलित भए गेलीह.

ओहि परीक्षा केंद्र पर पदाधिकारी लोकनि जतय बैसल रहथि, रोगीक परिचारकक रूप मे हमहू एक कात ओतहि किछु काल बैसल रही. ओतय हम तखने  एकटा वरिष्ठ शिक्षककें अपन सहकर्मीकें कहैत सुनलियनि: ‘You know, there is girl appearing here today. She has just this morning given birth to a child!’

प्रोफेसर साहेबकें नहि बूझल रहनिजे ओ साहसी परीक्षार्थी हमर पत्नी श्रीमती रूपम थिकी, आ नवजात शिशु हमर कन्या, सुष्मिता !       

मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान

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