Friday, July 24, 2020

COVID कालमें चिकित्सक : कर्तव्य, खतरा, दुविधा आ पीड़ा

COVID कालमें चिकित्सक : कर्तव्य, खतरा, दुविधा आ पीड़ा

20 जुलाई 2020 क चेन्नई सं प्रकाशित दैनिक ‘हिन्दू’ में प्रकाशित एक समाचारक अनुसार विगत 13 जुलाई धरि भारतमें covid-19 सं 104 डाक्टरक मृत्यु भ’ चुकल छनि. स्पष्ट छैक विगत दस दिन में एहि संख्यामें वृद्धि भेलैये. हमर सहपाठी लोकनि म सं कतेक गोटे पहिनहिं संक्रमित भ’ चुकल छथि आ किछु अओर एखन संक्रमित पाओल गेलाहे. संक्रमित हयबाक भय तं हुनका सब गोटेकें छनि जे कोनो प्रकारें रोगीक उपचार में लागल छथि. यद्यपि डाक्टर लोकनि  सब खतरा आ सावधानी सं परिचित छथि. सावधान रहितो छथि. किन्तु, डाक्टरी लोकसेवा थिकैक. तें बहुतो बेर नहियो चाहैत संक्रमणक खतरा रहितो रोगीक लग जेबाले बाध्य भ’ जाइत छथि. काल्हि एहने बाध्यतासं संक्रमित हयबाक भय सं चिंतित मुजफ्फरपुरक एकटा मित्र अपन चिंता हमरा लोकनिक बीच एना रखलनि:

‘आज मेरा मन बड़ा दुखी है. मेरे एक रिलेशन , उम्र 90 वर्ष,  जो मेरे चाचा लगते थे का death हो गया. तीन दिन पहले बुख़ार हुआ, 100 लगभग.मैंने attend किया, investigate कराया, ट्रीटमेंट दिया. COVID टेस्ट के लिए (उनके) लड़के ने कहा,’ पिछले 4/5 महीने से हमलोग किसी से नहीं मिले हैं, ये फालतू टेस्ट हम छोड़ देते हैं.’

कल मुझे कॉल आया, ‘भैया, अभी तक बिलकुल ठीक थे, खाना खाये और breathing problem हो रहा है. मैंने attend किया sPO2 48 % था. पॉसिबल ट्रीटमेंट दिया और COVID टेस्ट suggest किया. वो refuse किया (गया ).मैंने उन्हें हॉस्पिटल/ICU में रेफेर किया. उनलोगों ने refuse किया: ‘भैया अब जो होगा यहीं होगा’.मैं अपने कम्पाउण्डर को वहीँ छोड़ कर घर आ गया. टेलीफोनिक suggestion चलता रहा. मैं गर्म पानी से नहाकर अपने ही ‘वाल’( whatsapp group) के फ्रेंड को फ़ोन किया जो उनसे भी परिचित हैं. उसने हमें suggest किया, ‘.....तुम वहाँ अब किसी कीमत पर नहीं जाओगे जब तक वो तुम्हें कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट नहीं दिखा देते हैं.’

आज रोते हुए मेरा दरवाजा पीटते हुए बोला, ’ भैया पापा का death हो गया, आप चलकर देखकर बोल दीजिये.’ मैंने अपने कम्पाउण्डर को भेज दिया, वो death declare कर दिया. मैं खुद नहीं  गया. बार –बार याद आता था, ‘.... नहीं जाना, तुम एक exposure ले चुके, और नहीं.’ मैं सोच रहा था, मैं डॉक्टर हूँ. पेशेंट को आखिरी समय में देख नहीं सका, कुछ advice नहीं कर सका. इंसान हो कर भी, रोते हुए उनके लड़के, जो मुझे भैया बोलते हैं, का आंसू पोछ नहीं सका, ये कहाँ आ गए हम ! कोरोना ने हमारी संवेदनाओं को कहाँ ले आया !! ना मालूम क्या और होना बांकी है !!!

किसी और मित्रने भावनाओंके थपेड़ोंसे आहत इस मित्रको सांत्वना देते हुए कहा, ‘ ......धीरज रखो. संवेदना आज भी वही है , समय ने हमें विवश कर दिया है.’

आइ भोरसं बिहारमें आओरो अनेक अनेक डाक्टरकेर कोरोना संक्रमित हेबाक आ  ICU में हेबाक  खबरि आयब जारी अछि. COVID-19 क जांच करयबासं रोगी आ परिवारजनक असहमति,असमर्थता आ जांच करेबाक सुभीताक सुलभ नहिं रहला सं रोगी आ स्वास्थ्य-कर्मी समुदाय भयानक खतरा,  दुविधा आ अकस्मात् पीड़ाक शिकार अछि, जकर हेतु सोझ समाधान ककरो लग उपलब्ध नहिं. आ परिस्थिति एहन अछि जे  ई महामारी आगू कोन रूप लेत, कहब असंभव.     


Wednesday, July 15, 2020

कोकिल अंबहि लेत है, काग निबौरी हेत

कोकिल अंबहि लेत है, काग निबौरी हेत

जो जाको गुन जानहिं, सो तिहि आदर देत ।

कोकिल अंबहि लेत है, काग निबौरी हेत।।

ई कहावत सुनल तं छल, किन्तु, अनुभव नहिं केने रही. किन्तु, एतबा तं सुनल छल जे कौआ बड्ड बुद्धिमान होइछ. तखन कौआ निबौरी वा नीमक फल किएक खाइछ ? किन्तु, आब बुझबामें आयल निबौरी खायब सेहो कौआक बुधियारीए प्रमाणित करैछ. सत्यतः, बिनु चिखने निबौरीकें दूसि देब ओहने भेल जेना केवल जाति बूझि मनुष्यक अपमान करब ; माने, नीमक गाछमें फड़ल तं तीत भ’ गेल.अर्थात्, पूर्वाग्रह. तें, पूर्वाग्रह सं मुक्त हयबा ले प्रयोग करय पड़ैत छैक, वा लीक सं हंटि कय चलय पड़ैत छैक. कौआ सएह करैत अछि, आइ हमहूं सएह कयल.

करीब आठ वर्षक हर्षिताश्री हमर सहकर्मीक कन्या थिकी. अबैत जाइत हुनकासं कोलोनीक आने सब बच्चा सब-जकां भेंट आ गप्प-सप्प होइछ. आइ टहलबा काल हर्षिता बाटक कातहिंक टेनिस कोर्टमें भेटि गेलि. ओ कोर्टक भीतर आ हम लोहाक जालक बाहर सड़क पर रही. कांच-पाकल फलसं झबरल नीमक गाछ तर ठाढ़ि हर्षिताक हाथमें एकटा चंगेरी आ ओही में नीमक दू-तीन टा काँचफल छलनि.  देखिते ओ हमरा ठाढ़ हेबाक संकेत केलनि आ हाथक चंगेरी हमरा दिस बढ़बैत कहलनि, ‘ एही म सं एकटा फल जालक छेद बाटें दूर फेकू. ‘जं फल सोझे आगू गेल, तं,’ ओ नीमक गाछ दिस संकेत करैत कहलक, ‘एकटा पाकल फल भेटत’. कोशिश कयल. हम पहिल प्रयासमें तं सफल नहिं भेलहुँ. किन्तु, हमर दोसर प्रयाससं संतुष्ट हर्षिता नीमक झुकल डारि एकटा पीयर, पाकल फल तोडि तुरत हमरा तरहत्थी पर राखि देलनि. आ हम ओही नेना जकां, ओत्तहि ओहि फल, निबौरीक, तत्काल सेवन कयल.

एतेक वयस, आ एखन धरि नीमक पाकल फल नहिं चिखने रही. आइ सेहो भ’ गेल; पाकल निबौरी सत्यतः मधुर होइछ, से आइ बूझल, आ कौआक बुधियारी पुनः  प्रमाणित भेल.


Sunday, July 5, 2020

बरे बुडिमुँह तं जैतुक के लेत !!

COVID -19 डायरी:03.07.2020

बरे बुडिमुँह तं जैतुक के लेत !!

People Get The Government They Deserve

मई 2020 मासक कोरोना कालमें बेरोजगारीसं मारल  प्रवासी मजदूरक महानगर सबसं सामूहिक पलायन, आ  सड़क पर चलैत लाखों प्रवासी मजदूरक कारुणिक दृश्य प्रायः एहि शताब्दीक इतिहासक सब सं बेसी स्मरणीय छवि मानल जायत. शहरसं पलायन करैत  एहि प्रवासी श्रमिक लोकनिक एके-टा कहब: भूखहिं जं मरबे करब, तं अपने भूमि पर. . तें, एकटा संकटसं बंचबा ले लोक दोसर संकट सं भिडल छल. आ अंततः, व्यक्तिगत, सामूहिक, आ सरकारक सहायतासं  पराभवक ओ कांड समाप्त भेल. किन्तु, गरीबी तं समाप्त नहिं भेलैक. तें,  वएह  पुरान, बिसरल. ‘ अपन प्रदेशमें रोजगारक अभाव’ आ गरीबी पुनः तेसर संकटक रूपमें  उपस्थित भेले, आ शहर सं भागल लोकक जीवन-यापन पर संकट पूर्ववत ठाढ़ छैक. फलतः, ग्रामीण श्रमिक आब फेर दिल्ली, पंजाब, चेन्नई, हैदराबादक बाट धेलक अछि. सियार-सन कोनो जंगली जीवक कहब कें प्रथम पुरुषमें कहि मैथिलीमें कहावत छैक ‘ तेनु नहिं खायब, देह में लागत लस्सा; तेनु नहिं खायब तं हयब  की !’ माने, खतरा नहिं उठायब, किन्तु, खतरा नहिं उठायब तं प्राण कोना बंचत ! अर्थात्, फेर भई गति सांप-छुछुन्दर केरी !! आ जा धरि देशक विभिन्न राज्य आ क्षेत्रक बीच रोजगारक अवसरक असमानता रहतैक, ई समस्या रहबे करतैक . आ ई असमानता एक दिन में तं समाप्त हेतैक नहिं. सरकार सब अपना राज्यमें रोजगारक अवसर बढ़ेबाक बढ़ि-चढ़ि कय दावा करैत अछि. किन्तु, बिहार-जकां, जाहि राज्यमें पछिला पन्द्रह साल सं एके पार्टीक सरकारक शासन छैक, ओहि सरकार लग अपना पक्षमें कोन बंचाव छैक ? विडम्बना आ सत्य ई थिक, जे सरकार लग चुनाव जितबा ले एखनो अचूक ब्रह्माश्त्र छैक ! ओ ब्रह्माश्त्र थिक वोट-बैंक, जातिवाद, सम्प्रदायवाद, आ वोट किनबाक हेतु पूंजी. दक्षिण भारतक अनेक वर्षक प्रवासमें हमरा ई ज्ञात भेल जे तमिलनाडु-पांडिचेरीमें चुनावक दिन सं पूर्व, पार्टी सब मतदाता लोकनिक बीच, बहुतों वर्ष सं नियमतः, प्रति मतदाता दू-दू, तीन-तीन हज़ार रुपैया बंटैत आबि रहल अछि. संयोगवश, तमिलनाडुसं श्रमिकक पलायन जं होइतो छैक तं या तं खाड़ीक देश दिस वा किछु लोक आंध्र/ तेलंगाना दिस जाइत अछि. किन्तु, बिहारी मजदूर ? ओ लोकनि वोटक समय में टाका लेबाक हेतु भले गाम आबथु चुनावक बाद दिल्ली-बम्बई-चेन्नई- तिरुवन्नतपुरम गेनहिं कुशल ! तैयो अगिला चुनावमें अपन राज्यमें रोजगारक अवसर चुनावी मुद्दा बनत ताहि पर संदेह अछि. कारण, बरे बुडिमुँह तं जैतुक के लेत !!


मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान

कीर्तिनाथक आत्मालापक पटल पर 100 म  लेख   मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान  कीर्तिनाथ झा वैश्वीकरण आ इन्टर...

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