Saturday, March 24, 2018

संस्मरण :हमहूँ चण्डीगढ़ जेबै

हमहूँ चण्डीगढ़ जेबै 
डाक्टरीक वैज्ञानिक व्यवसाय थिकैक, जाहिमें शारीरिक रोग आ मनोदशा दुनूक अध्ययन सन्निहित छैक.  शारीरिक संवेदनाक मानसिक प्रभाव रोगक अभिन्न आयाम थिकैक; मनोभावक शारीरिक प्रभाव सुपरिचित तथ्य थिक. जेना, शरीरमें व्यथा हो तं मन उदास भ जाइछ. आ मन उदास हो तं, भूख मरि जायब  वा माथ दुखायब आश्चर्यनक नहिं. किन्तु, शारीरिक रोग सं दूर एकटा छोटि कन्याक  मनोरथक रोगक रूपमें प्रकट हयबाक विरल घटना हमरा एकबेर लद्दाख़में भेटल.
एकदिन हम लेह जनरल हॉस्पिटल में ओ पी  डी  में बैसल रही. एकटा स्थानीय नारि हकासल-पियासल हमर ओ पी डी में प्रवेश केलनि. संग में काषाय वस्त्रधारी, कपार छिलल,बरख बारहेक एकटा कन्या. गप्प कयला सं बुझबामें आयल जे ई बौद्ध भिक्षुणी  - स्थानीय भाषामें 'चोमो'- ओहि महिलाक कन्या छलनि जकर एक आँखिक रोशनी एकाएक समाप्त भ गेल छलैक. ने आँखिमें कोनो पीड़ा, ने लाली वा आँखिमें चोट- लगबाकक गप्प. तखन आँखिक रोशनीक एना  चल जायब अस्वाभाविक लागल. तथापि, हम कन्याक  आँखिक जान पड़ताल केलियैक. हमरा कोनो रोग देखबामें नहिं आयल. किन्तु, चिकित्सा व्यवसायमें जं जं अनुभव बढ़त, अपने बुझबै, डाक्टरक ज्ञानक सेहो एकटा सीमा छैक. तें, डाक्टरकें भले रोग देखबा में नहिं अबैक, जं रोगीकें कष्ट छैक, तं रोगिक कष्टक तं समाधान चाही. हमरा लोकनि तें, विद्यार्थीकें पढ़बैत छियैक: 'You may not find a disease, yet the patient may have a problem.'
अस्तु, हम रोगक अनुसंधानमें लागि गेलहुं आ अंततः रोगीक माय कें कहलियनि, एहि बच्चाक मस्तिष्ककेर MRI scan क आवश्यकता छैक. किन्तु, एहि में एकटा समस्या छलैक; लेह में तहिया एम् आर आइ स्कैन क सुविधा नहिं छलैक. अर्थात रोगी जांच ले दिल्ली वा चण्डीगढ़ जाय. किन्तु, गरीब लोक हवाई-यात्रा, डाक्टरी  फीस आ इलाजक साधन कतयसं जुटाओत. जं परिवार समृद्ध रहितैक तं बेटी भिक्षुणी किएक होइतैक. सहजहिं हमर गप्प सूनि मायक मन झूर-झमान  भ गेलनि. कहलनि, चंडीगढ़ जयबाक खर्चा हमरा कतय सं आओत, अहाँ  एतय जे क सकियै, करियौक. हम गप्प बूझि गेलियैक. लडकीक एक आँखिक रोशनी ख़राब छलैक ने, जान पर कोनो खतरा तं छलैक नहिं. संगहिं, हमरा  नेनाक रोगक लक्षणपर संदेह छले. अस्तु, हम माताकें  बोल-भरोस देलियनि, आ कहलियनि, 'कन्याकें  ल कय परसू पुनः आउ'. लड़की आ माता ख़ुशी-ख़ुशी आपस चल गेलीह.
तेसर दिन, जेना कहने रहियैक दुनू माय-बेटी पुनः आयलि. माय चिंतित छलीह. रोग जहिनाक तहिना रहैक, आँखिक सूझबमें कोनो सुधार नहिं . तथापि,लडकी प्रसन्न चित्त छलि.
हम पुनः कन्याक  आँखिक जांच केलियैक. हमरा पहिनहिंसं  संदेह तं छले जे कन्याक आँखिक ज्योतिमें कोनो ह्रास नहिं भेल छैक. अस्तु, अपन धारणाकें प्रमाणित करबाले जांच पड़ताल शुरू कयल. आरम्भ में तें जांच संदेहास्पद रहैक किन्तु, एक केर बाद एक जेना-जेना दोसर जांच होमय लगलैक, कन्याक भगल केर परदा उठय  लगलैक. अंततः, हम मद्धिमे स्वरमें पुछलियैक, तोहर  दुनू आँखिक रोशनी तं ठीक छह. एहि पर चोमो मुसुकीक संग मूड़ी झुका लेलक. निर्धन माता-पिताक एतेक छोट नेना, आ बौद्ध विहारक जीवनक कठोर अनुशासन.सत्यतः, निर्धनता मनुक्खक  मनोरथकें मसोढ़ि दैत छैक, किन्तु, मनोरथ मरैत नहिं छैक. एहू कन्याक एकटा कोनो संगीकेर आँखिक कोनो रोग भेल छलैक. जांच-पड़ताल ले ओ चण्डीगढ़ गेल छलि. हवाई यात्रा आ पैघ शहरक अनुपम अनुभव. बौद्ध विहारमें कन्या लोकनि बीच स्पृहाक कारण भ गेल.
अस्तु, लामोकें सेहो आँखिक रोगक बाट सुलभ बूझि पडलैक. कहलक, ' ताराकेर  आँखिक  रोशनी घटि गेल रहैक. ओ  चंडीगढ़ गेल छलि. हमहूँ चण्डीगढ़ जेबै. '
हमरा हंसी लागि गेल . मायक चेहरापर घनीभूत पीड़ा एकाएक उडि गेलैक. हमरा सेहो डाक्टरी जीवनक एकटा नव अनुभव भेल.   

Friday, March 16, 2018

पुमपूहार, तरंगमवाड़ी,वेलंकन्नी,रामारापदम, आ कोडियक्क़रै ( Point Calimere)


पुमपूहार, तरंगमवाड़ी, वेलंकन्नी, वेदारण्यम-रामारपादम, एवं कोडियक्क़रै ( Point Calimere)

पावनि-तिहारक मजा अपने इलाकामें छैक. जं घर सं दूरो रही आ धिया-पुता संग होथि तं पावनिक पूरी-पकवान बनत आ पर्वक बोध होयत. किन्तु, जं घर सं दूर एहन स्थान में होइ जतुका रीति रिवाज़ मिथिलांचलसं भिन्न होइक, आ धिया-पुता चेतन भ गेल होथि तं, पावनि-तिहार आयासक बोध देबय लगैछ. एहना स्थितिमें नीक जे पावनि-तिहारमें कतहु बाहर निकलि चली. अस्तु, एहि बेर वेलंकन्नी, पॉइंट कालेमेयर, आ कोडियक्क़रै अभयारण्यक प्रोग्राम बनलैक. अपन  गाड़ी, अपने ड्राइविंग. इन्टरनेट पर होटल बुक कयल आ विदा भेलहु. संयोग एहन जे जहिया भोरे यात्रा आरम्भ करबाक छल, कनेक मोन गडबड जकां लागल. किन्तु, हम ध तानल.
अस्तु, एहि बेर तिला-संक्रांतिमें बेलंकन्नीए भ्रमण हो. हमरा देवी-देवतामें  थोड आस्था अछि से भिन्न गप्प भेल. किन्तु, स्थान तं ऐतिहासिक छैक..पोखरिमें प्रातःस्नानक स्थानपर समुद्रक कछेरमें टहलान तं हेतैक, एकटा नव इलाका तं देखब. ततबे नहिं,  एहि यात्रामें  वेदारण्यम, Point Calemere आ कोदियक्कडै पक्षी-विहार आ अभयारण्यक भ्रमण सेहो हेतैक. बाटमें  ऐतिहासिक शहर पुम्पूहार, आ 17 शताब्दीमें निर्मित तरंगमवाड़ी ( Tranquebar) केर डच किला- पोर्ट डेंसबोर्ग-  सेहो देखब. माने, एहि बेर यात्राक नीक योग छैक. हमरा-सन यायावरले एहि सं नीक अओर की !
12 जनवरी 2018. भोर सात बजे पिलैयारकुप्पम सं विदा भेलहुं. हमर कालेज पोंडिचेरी राज्यमें पड़ैछ. एतय सं दक्षिण किछुए  दूर पर पांडिचेरीक सीमा समाप्तिक संकेत, सड़कक दुनू कात उज्जर सपेत स्तम्भ सब छैक. तकर आगू तमिलनाडुक कडलूर जिलाक क्षेत्र आरम्भ होइछ. किन्तु, पांडिचेरी आ तमिलनाडुक बीच ई सीमा कतेक बेर पार करय पड़त. एतय सं करीब सौ किलोमीटर दक्षिण पांडिचेरीक करैक्कल क्षेत्र  अबैत छैक ; प्रायः पांडिचेरिए  टा देशक एकमात्र एहन राज्य थिक जकर चारि टा भूभाग ( यानम,पांडिचेरी,करैक्कल आ माहे ) एक दोसरा सं दूर-दूर, देशक चारि टा फराक-फराक स्थान पर पसरल अछि. हमरा सभक बाट में अन्नामल्लाई यूनिवर्सिटी टाउनशिप आ शैव तीर्थ चिदंबरम सेहो आओत. किन्तु, हमरा लोकनि आइ चिदंबरम शहर सं बाहरे-बाहर निकलि जायब.
करीब साढ़े आठ बजे चिदंबरम शहरक बाहर गरम-गरम इडली-दोसै- वडा आ फ़िल्टर काफीक जलपान भेलैक; एहन पवित्र जलपान तमिलनाडुमें सब ठाम भेटत. आब आगू बढ़ी.
चेन्नईसं नागपत्तिनम आ रामेशवरम-रामनाथपुरम धरि समुद्रक कछेरे- कछेर, ईस्ट कोस्ट सड़क देशक सबसँ खतरनाक सड़क थिक. वर्ष 2015 में एहि सड़क पर सड़क-दुर्घटनामें 17500 व्यक्तिक जान गेल छल. सघन बस्ती, हरियर कचोर धनखेती, नारिकेरक बगीचा, ताड़क गाछक जंगल आ अनेक नदी नाला केन पार करैत, अनेक ठाम संकीर्ण आ सर्पाकार, ई डबललेन सड़क अत्यंत व्यस्त अछि. तमिलनाडुमें सड़क साधारणतया नीक छैक, आ गाड़ीक संख्या बेहिसाब. अस्तु, सावधान भ कय ड्राइव नहिं करब तं के कखन ठोकि देत कोन ठेकान ! ताहिपर पटनामें छी वा पांडिचेरीमें गाय-बड्द-माल-मवेशी कखन कोन हाईवेपर कोम्हारसं, यमराज-जकां अकस्मात् उपस्थित भ जायत से प्रायः केवल यमराज  आ चित्रगुप्ते टा कहि  सकैत छथि.  अस्तु, मधुर गीत सुनू वा गप्प करू सड़कपर नज़रि आ गाड़ीपर नियंत्रण आवश्यक.

पूम्पूहार:
 चेन्नई सं करीब 225 किलोमीटर दक्षिण, ईस्ट कोस्ट रोडपर एकटा छोट क़स्बा,पुमपूहार, तमिलनाडुक ऐतिहासिक नगर आ आइ हमरा लोकनिक यात्राक पहिल पडाव थिक. दू हज़ार वर्षसं बेसी पूर्व पांड्या राजा लोकनिक शासनक अवधिमें पुमपूहार (वा कावेरिपत्तिनम ) एकटा समृद्ध नगर, विशाल बन्दरगाह, आ कला-संस्कृतिक प्रमुख केंद्र छल. कावेरी नदीक धार एतहि आबि अपन यात्रा समुद्रमें समाप्त करैछ.मानल जाइछ,  ईसासं करीब तीन सौ वर्ष पूर्व सुनामी-सन प्राकृतिक विपदाक कारण  पुमपूहार नगर विनष्ट भ गेल.तथापि ऐतिहासिक ऐश्वर्यक विनाशक पछातियो एहि नगरक पारंपरिक महत्व एखनहु अक्षुण अछि आ  पुमपूहार एखनो पुरातत्वविद लोकनिक बीच अनुसंधानक महत्वपूर्ण विन्दु थिक. पुमपूहारक  योशोगाथा 'शिलापत्तिकारम' नामक प्राचीन तमिल महाकाव्यमें भेटत. मादवि, कन्नगी आ कोवलनक प्रेमक  त्रिकोणपर आधारित ई महाकाव्य  पुमपूहारक ऐश्वर्य, समृद्धि आ अनेक ऐतिहासिक पात्रक जीवनक अनुपम गाथा थिक. 'शिलापत्तिकारम'में  मदुरैक तत्कालीन पांड्या राजाक हाथें कन्नगी नामक नारिक निर्दोष पति कोवलनक हत्याक चर्चा छैक. जनाश्रुतिक अनुसार निर्दोष पतिक हत्यासं आहत कन्नगीक रोष-कोप आ श्रापक कारण ओहि पांड्या सम्राटक  शासनक अंत भ गेलनि आ मदुरै नगर  भस्म भ  गेल छल. एहि सभक अतिरिक्त , शिलापत्तिकारममें नारिक आभूषण, शास्त्रीय गायन-वादन आ नृत्यकलाक जेहन विस्तृत वर्णन भेटत, तकर उदहारण आओर कतहु छैक कि नहिं से कहब कठिन. प्रायः,अमृतलाल नागरक उपन्यास 'नुपूर के बोल' में एकर चर्चा आयल अछि.पुमपूहारमें हमरो रूचि कारण कन्नगी-कोवलन-आ मादविक आख्याने थिक.एतय कन्नगी-कोवलन-मादवि आ पंड्या सम्राटक संक्षिप्त खीसा अप्रासंगिक नहिं होयत:
पुहर ( पूमपुहर ) नगरक कन्नगी नामक नारि, कवि इलांगो रचित शिलापत्तिकारम महाकाव्यक मुख्य पात्र आ नायक कोवलनक पत्नी छलीह. सम्पत्तिशाली व्यापारीक पुत्र कोवलन पुहरकेर अत्यन्त रूपवती आ नैसर्गिक नर्तकी मादविपर आशक्त भ जखन अपन सर्वस्व बोहा देलनि तं अपन पत्नी कन्नगी मोन पड़लखिन. पांड्या राजा लोकनिक राजधानी मदुरै ओही युगमें ऐश्वर्यक केंद्र छल. अस्तु, कन्नगी आ कोवलन वाणिज्य-व्यापार सं दिन घुरबाक आशामें मदुरै पहुँचलाह. ओतय व्यापारक हेतु पूँजीक जोगाड़ले अपन पति कोवलनकें  कन्नगी   अपन पयरक  काड़ा म सं  एकटा काड़ा सोनारक हाथें बेचबाक हेतु देलथिन. संयोगवश ओही समयमें रानीक पयरक काड़ा चोरि भ गेल रहनि.  कोवलनपर चोरिक मिथ्या आरोप लगबैत  सोनार कोवलन कें ल कय,  सोझे राजाक समक्ष   उपस्थित भ गेल . क्रोधें आन्हर राजा तुरन्त कोवलनकें  मृत्युदण्ड द देलखिन. मिथ्या आरोप आ मृत्युदण्ड  कन्नगीक हेतु असह्य भ गेलनि.अस्तु, अपन पतिकें  निर्दोष प्रमाणित करबाले कन्नगी सोझे राजाक समक्ष प्रस्तुत भेलीह. कथा छैक,रानीक पयरक काड़ाक  भीतर मोतीसब भरल रहनि. कन्नगीक काड़ाक भीतर लाल पाथर भरल रहैक. ई ककरो प्रायः बूझल नहिं रहैक. किन्तु, कन्नगीक राजाक समक्ष  जखन कोवलनसं जब्त काड़ाकें तोडि  अपन पतिकें  निर्दोष प्रमाणित क देलखिन तं पश्चाताप आ ग्लानिमें राजा तत्काल प्राण-त्याग क देलनि. रानीक गति सेहो तेहने भेलनि. ततबे नहिं अन्यायसं आहत कन्नगीक  श्रापसं मदुरै नगरकें भस्मीभूत भ गेल. कहल जाइछ, पछाति मदुरैक अधिष्ठात्री देवी मीनाक्षीक कृपासं  कन्नगीक क्रोध शांत भेलैक, आ ओकरा मोक्ष भेटि गेलैक.
आब पुनः अजुका पूम्पुहार आबी.           

कहबी छैक,
'बहुत शोर सुनते थे पहलू में दिल का 
जो चीरा तो  इक कतरा-ऐ-खूँ न निकला'
पूम्पुहार समुद्र-तट
पूम्पूहार
पुमपूहार पहुँचलहु तं तकरे परि भेल.  छोट-सन क़स्बा. समुद्रक कछेरमें बड़का-बड़का बोल्डरक तेहन ढेर जे समुद्रकें  दूरहिं सं देखू. पानिक स्पर्श नहिं हयत. लगमें भिन्न-भिन्न प्रकारक सुखायल माछक अजस्र दोकान. दुर्गन्ध एहन जे ठामहिं वमन भ जायत. लगमें तमिलनाडु सरकारक अतिथिगृह. गेटमें ताला बंद छलैक. लागल परिसरमें ककरो आबाजाही अभावृत्तिए होइत होइक.गेस्ट- हाउसक पछुऐत में नौवहन ( shipping) लाइट-हाउस.  सटले आधुनिक सरकारी म्यूजियम. म्यूजियमक चर्भुजाकार हालमें  चारू देवालपर कारी पाथरक आधुनिक मूर्तिकला द्वारा 'शिलापत्तिकारम'क कथाकेर  प्रदर्शित कयल गेल छैक. एक कात वीणा प्रभृत्तिक किछु पुरान  वाद्य-यंत्र सेहो राखल. म्यूजियमक सामने सड़कक दोसर भाग एकटा जर्जर रंगमंच. समुद्रक समीप सड़कक बीचमें कन्नगीक कारी पाथरक मूर्ति. चारू कात घास, गंदगी . सुनबामें आयल एतुका सब किछु- म्यूजियम, गेस्ट-हाउस, रंगशाला, सबहक निर्माण डी एम् के (DMK) सरकारक अमल में भेल छलैक. अस्तु, एतुका सब किछु एखुनका ए आइ डी एम् के (AIADMK) सरकारक अवहेलनाक शिकार अछि. ठीके तं हमरा लोकनिक देशमें इतिहास आ विरासत सब किछुक भैयारी बाँट-बखरा होइत छैक. तें, एक भाईक हिस्सा में पडल कुलदेवी वनवासिनी भ जाइत छथि तं दोसर भाईक हिस्सा क ब्रह्म बाबा बम-बम करैत  रहैत छथि ! अस्तु, हमरा दृष्टिए, हम जं पूम्पूहार नहिं गेल रहितहु तं किछु छूटैत नहिं.

तरंगमवाड़ी (Tranquebar): पूम्पूहारसं करीब 25 किलोमीटर दक्षिण, तरंगमवाड़ी (Tranquebar), पांडिचेरी- नागपत्तिनम सड़कपर एकटा छोट, किन्तु, ऐतिहासिक क़स्बा थिक. 'तरंगमवाड़ी' शब्दक अर्थ थिक, गीत-गबैत तरंगक बाट.  कोरोमंडल कछेरपर बसल एहि बस्तीलग समुद्री तरंगक ध्वनि तहिया मनमोहक छल हेतैक. किन्तु, आब एहि स्थानक ऐतिहासिकताक कारण एतुका डच किला, अनेक चर्च आ गुटेनबर्ग प्रेस थिक. एतुका गुटेनबर्ग प्रेस प्रायः तमिल बाइबिल छपबाबला पहिल भारतीय प्रेस थिक.  तंजोरकेर राजा रघुनाथ नायकक अमलमें डच लोकनिकें व्यापारक हेतु एतय किला बनयबाक अनुमति भेटल छलनि. किलाक भवनपर कोर्ट ऑफ़ आर्म्स में निर्माणक वर्ष 1620 अंकित अछि. पछाति डच लोकनि एहि किला आ आसपासक डच इलाकाकें अंग्रेज सरकारक हाथें बेचि तरंगमवाड़ी (Tranquebar) सं दूर भ गेलाह.
Fort Dansborg

किलाक भीतर

किलाक पूर्वी द्वार: म्यूजियमक प्रवेश
 ज्ञातव्य थिक, डच लोकनिक एहने किन्तु एकटा छोट किला वा भवन पांडिचेरीक समीप कडलूर शहर में सेहो छैक. पछाति कडलूर भवन पर सेहो अंग्रेज कब्जा केलक. हेबनिए में तरंगमवाडीक एहि किलाक जीर्णोद्धार भेल छैक. एहि पोखरापाटन  किलाक भीतर सैनिक एवं अफसर लोकनिक आवास, गोला-बारूदक भंडार, भोजनालय, चिकित्सा-कक्ष इत्यादिक भिन्न-भिन्न कक्ष छैक. किलाक उपरका तल्लापर पुबारिभर समुद्रक कछेर दिस एकटा संग्रहालय छैक जाहिमें एतुका विगत चारि  सौ वर्षक इतिहासकें समेटल  गेल अछि. सितम्बर सं फरबरीक बीचक अनुकूल मौसममें जं कोनो छुट्टीक दिन धिया-पुताकें  एतय ल कय आबी तं सबकें घुमबा-फिरबाक अजस्र स्थान आ देखबाक अनेक वस्तु भेटतैक. किलासं पूब समुद्रक कछेरमें ध्वस्त लाइट-हाउस आ किलाक बाहरक देवाल देखबैक. किलासं पश्चिम समीपे मात्र आधा किलोमीटर लम्बा एकटा हेरिटेज सड़कपर  एतुका बांकी  सब ऐतिहासिक स्थल बसल अछि. आस-पास में कोनो दोकान -दौड़ी, भोजनालय नहिं भेटत. किलाक परिसरक ठीक उत्तरक  भवन जे अंग्रेजक जमाना में कलक्टरक  बंगला रहैक आइ काल्हि ' होटल नीमराना' थिक. हमरा लोकनि एत्तहि भोजन कयल. छोट-सन एहि कोलोनियल बंगलामें  गेस्ट लोकनिक हेतु करीब सात-आठ टा कमरा छैक. किन्तु, एडवांस बुकिंग आ भरिगर किरायाक भार उठबाले तैयार छी तं नीमरानामें डेरा दियअ. भोरमें समुद्र तटक बालुपर बुलू, भोरुका सूर्यक किरणक  सेवन करू, गोरा थिकहु तं देहकें ताम्रवर्णी बनेबा ले टाका खर्च करू. भारतीय कालू थिकहु तं कारी हेबाक कोन  भय. 
तरंगमवाड़ी (Tranquebar) सं दक्षिण नगपत्तिनम आ करैक्कल शहर अबैत छैक. करैक्कल शहर पांडिचेरीक क्षेत्र थिक. 2001क सुनामीसं नागपत्तिनम आ वेलंकन्नी शहर में सब सं बेसी जान-मालक क्षति भेल रहैक. तें, ओहि समयमें नागपत्तिनम एकाएक देशक मानचित्रपर जगजियार भ उठल छल. किन्तु, एहि बेर हमरा लोकनि नागपत्तिनम आ करैक्कल सं बढ़इत सोझे वेलंकन्नीए जा कय विश्राम करब.

वेलंकन्नी   
वेलंकन्नी पांडिचेरी सं करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर प्रसिद्द इसाई तीर्थ थिक. वेलंकन्नीक देवी मदर मेरी वेलंकन्नीमें स्वास्थ्य आ आरोग्यकेर अधिष्ठात्री-जकां  पूजल जाइत छथि. बंगालक खाड़ीक कछेरपर अवस्थित ई देवी  प्रायः चारि सौ वर्ष पूर्व समुद्री तूफानमें फंसल नाविक लोकनिक प्राणरक्षाक कयने छलथि . आब तं ई तीर्थ ततेक जागन्त अछि जे अगस्त-सितम्बरक एतुका वार्षिक महोत्सवक अवसरपर करीब मास  भरि अहोरात्र देवघरक कंवरिया जकां पैदल जाइत तीर्थयात्री सड़कसब पर देखबैक: खूजल पयर, गेरुआ वस्त्र आ नाममात्र सामनक एकटा झोरा. जतहि  थाकि गेलहुं, कोनो चर्चमें व भक्त लोकनिक परिसरमें विश्राम भ गेल. केओ भोजन व जल पियौलक तं बेस, अन्यथा अपने भरोसे गुजर करैत तीर्थ धरि पहुंचि गेलहुं. तीर्थ यात्रीक एहि समूह में लोक लडोना गाड़ीपर नेना आ रोगी परिजनकें ल जाइत सेहो भेटि जायत. कतेक बेर देवी-देवता कें सेहो लोक रथपर चढ़ाकय दूर-दूर सं वेलंकन्नी धरि ल जाइछ.

वेलंकन्नी बीच

चर्च
हमरा लगैत अछि जखन विभिन्न  धर्म, आ जीवन पद्धति एक दोसराक सम्पर्कमें अबैछ तं अनेको परस्पर विरोधी विश्वासक  बावजूद प्रत्येक पद्धति आ मान्यता एक दोसराकें कोनो-ने-कोनो रूपें प्रभातित अवश्य करैछ. अस्तु, देवघरक काँवरिया आ वेलंकन्नीक तीर्थ यात्रीमें हमरा अनेक समानता देखबामें अबैछ.ततबे नहिं एहि चर्चकेर परिसरमें करीब आधा किलोमीटर नाम आ करीब पचास मीटर चौड़ा बालुक ट्रैक देखलियैक जाहि पर भाव विभोर भक्त लोकनि ठेहुनिया दैत  देविक अर्चनामें लागल छल. ई बुझू एतुका दंड-प्रणाम भेल.
वेलंकन्नीकें टेम्पल-टाउनशिप कहि सकैत छियैक. कारण, एतय जे किछु छैक सब केवल तीर्थयात्रीक सुविधा सहायताक हेतु.मेन हाईवेसं पूब मुहें समुद्रक कछेर पर बसल चर्च दिस जाइत करीब एक किलोमीटर सड़कक दाहिना भाग बुझू सब भूमि चर्चहिक परिसरमें अबैछ. परिसर साफ़-सुथरा, खूब नीक व्यवस्था. पार्किंग, सहभा-भवन, रंगमंच, स्टोर्स, पूजाक सामग्रिक दोकान, चाह-पानी, भक्त लोकनिक हेतु भानस करबाक हेतु किरायाक किचन-गैस, धर्मशाला. किन्तु, एतुका समुद्र-तट पर जेहने भीड़, तेहने गंदगी. गंदगी तं हमरा लोकनिक स्वाभाविक रोग  थिक. एकर इलाज हेबाक चाही. प्रायः शिक्षा मात्र एहि राष्ट्रीय रोगक उन्मूलन में सफल हयत. 
वेदारण्यम रामारपादम
13 जनवरी 2018: आइ भोरहिं फेर यात्रा शुरू भेलैक. विकिपीडियामें पढल, जं  कोडियक्क़रै पक्षी-विहारमें पक्षी देखबाक अछि तं भोरहिं पहुंचू. 53 किलोमीटर दूर. सड़क नीक छैक, किन्तु, हमरा गाड़ी धीरे चलेबाक वाध्यता अछि, मारुख रोड पर जे छी.
सड़कक दुनू कात गाम, धानक खेती. आब एम्हर धान रोपबा आ कटबाक कोनो ऋतु  नहिं . एक कोलामें धान  रोपल जा रहल अछि आ लगे में दोसर कोलामें धान पाकि  रहल अछि. धानक फसिल सेहो केवल डेढ़ बीत उंच. जं जं आगू बढ़लहु दुनू कात पानि, जेना, कोसिकन्हा  में आबि गेल होइ. असल में समुद्रक लगीच ई इलाका कावेरी-डेल्टा एवं मार्स-लैंड थिकैक, जतय एकहि ठाम जंगल, पानि, नोनक खेती, माछक व्यापार आ नौवहन सब किछु छैक. वेलंकन्नी सं किछु दूर दक्षिण वेदारण्यम क़स्बाअबैत छैक. 1930 ई. में गाँधीजीक दांडी-यात्राक समर्थनमें चक्रवर्ती राजगोपालाचारी एतहि  नमक-कानून भंग केने छलाह. एहि शहरमें ओकर स्मारक सेहो छैक, किन्तु, हमरा लोकनि पक्षी देखबाक लोभे सोझे बढ़इत चल गेलहु. इलाका एकाएक जंगली भ गेलैक. दुनू कात सघन जंगल. बीचमें चमकैत , किन्तु संकीर्ण सड़क. जंगलक बीचमें सड़कक बम भाग एकाएक, उपर चढ़ईत सीमेंटक सीढ़ी, एकटा साइन-बोर्ड: रामारपादमः

रामारपादम
अर्थात मर्यादा पुरषोत्तम रामक चरण. कतय अयोध्या आ कतय वेदारण्यम. आ एतय रामारपादम. इएह सब सूत्र भारतकें एक परिवार जकां जोड़ने अछि. तें बंधन ढील नहिं हो, से सबहक दायित्व. किन्तु, एखन चिडई देखबाक उद्वेग अछि. चिडई इचना-पोठी-डोका-कांकोड लोल में लेत आ रौद उगिते उडि जायत, किन्तु, रामारपादम एतहि छथि. अस्तु, चरैबेति.

कोडियक्क़रै (Point Calimere),  कोडियक्क़रै अभयारण्य एवं पक्षी-विहार
बंगालक खाड़ीक उत्तर-दक्षिण कछेर,  वेलंकन्नी सं करीब पचास किलोमीटर दक्षिण, सोझे पश्चिम दिस घूमि जाइछ.एहि भौगोलिक इलाकाकें  Point Calimere क नाम सं चिन्हल जाइछ. वस्तुतः, कोडियक्क़रै एकटा छोट-सन  गाओं थिक, आ Point Calimere एकटा आम इलाका थिक.
एहि इलाकामें एकटा अभयारण्य आ पक्षी विहार  सेहो छैक. समुद्रक कछेरक लगीचमें विशाल मार्श-लैंड में जाड़क मासमें दूर-दूर सं अबैत पक्षीक झुण्ड एतय प्रचुर भोजनक कारण बसेरा दैछ. अस्तु, जाड़क मासमें ई पक्षी विहार ( कोदियक्कडै पक्षी विहार )  सेहो  टूरिस्ट लोकनिक हेतु  एकटा आकर्षण बनि जाइछ, से पोथीमें भले पढ़ी, किन्तु, एतुका टूरिस्ट-आकर्षण नहिं थिक. कारण, वेलंकन्नी होटलमे केओ कोडियकरै जयबा ले आयल अछि, से हमरा नहिं भेटल. तथापि, मुस्लिम बहुल एहि गाओंमें तकैत-तकैत जखन गामक बाहर समुद्रक कछेर लग पीच सड़क समाप्त भ गेलैक आ बलुआक कच्ची सड़क आरम्भ भ गेल तं गाड़ी तरह केलहु, आगू दूर-दूर धरि पसरल मटमैल भूमि, ओहने पानि, तकर आगू समुद्र. पक्षीक कतहु नामोनिशान नहिं. हमरा भेल   अओर आगू जाय पड़त. किन्तु, समुद्रक कछेर, कच्ची, सड़क, जनशून्य इलाका, आ केवल दुइएटा प्राणी. गाड़ी रोकल.  दू टा युवक समुद्र दिस सं मोटर साइकिल पर अबैत छल. तमिल में पुछलिएक, आगू की छैक ?
पक्षी-विहार
उत्तर भेटल, 'समुद्र'. ओ सब गाम दिस बढ़ि गेल. हमरो बुझबामें आबि गेल. प्रायः पक्षी देखबाक ऋतु समाप्त भ गेल छैक, वा एतय आब पक्षी सब ले पर्याप्त भोजन नहिं छैक, वा पर्यावरणक कोनो विकृति पक्षी सब कें आब  एम्हर अयबा सं रोकैत छैक. जे किछु, पक्षी नहिं देखल तं की ! पक्षी-विहार आ कोडियक्क़रै तं देखल.उत्तरमें  सियाचिन  आ दक्षिणमें  कोडियक्क़रै देखि लेल. बेजाय नहिं. किन्तु, अभायारण्य तं बांकीए अछि. सुनैत छी एतय ब्लैक-बक, जगली घोडा, आ किछु अओर जन्तु सब छैक. किन्तु, पुछैत-पुछैत जखन अभायारण्यक  पहुँचलहु तं अजुका दिन सरकारी अवकाश भेलाक बावजूद  बड़का लोहाक गेट पर ताला झूलैत  रहैक .

अभयारण्य
आखिर प्रत्येक राज्यमें अपन-अपन चारा घोटला होइत छैक. एकटा दोसर सज्जन सपरिवार कोयम्बतूर सं आयल छलाह. वन-विभागमें किछु परिचयो छलनि. लागल गोड दसेक बेर फ़ोन केलनि किन्तु, अभायारण्यक द्वारि खोलबा ले केओ नहिं पहुँचल. हमरा अर्थ लागि गेल. पांडिचेरी सं चलबासं पूर्व हम सेहो तमिलनाडुक चीफ कांजेर्वेटर ऑफ़ फारेस्ट सं सम्पर्क केने रही जे कोडियक्क़रैमें हमरा सबके केओ कन्डक्ट करय. ओ चुप लगा गेल छलाह. किन्तु, तकर अर्थ हमरा तखन नहिं लागल छल. आब गप्प बूझि गेलियैक. घूरतीमें कोडियक्क़रै गाओं में फारेस्ट डिपार्टमेंटक गेस्ट-हाउस नजरि पड़ल. गाड़ी रोकल. पुछ्लियैक, ' कमरा अछि, देखय चाहै छी ?' जवाबमें केयर-टेकर केर प्रश्न: 'कमरा चाही ?'
-'नहिं'
-' तखन, जखन कमराले आयब, देखा देब .'
हमरा अर्थ लागि गेल. हमरा लोकनिक देश अनेरे नहिं जर्जर भ रहल अछि. आई कोडियक्क़रैमें एकर एकटा अओर प्रमाण भेटल. किन्तु, यात्राक icing on the cake एखन बांकीए छल. Point Calimere क लाइट-हाउस देखय गेलहु तं भारतीय वायु सेनाक परिसर देखबामें आयल. भीतर गेलहुं. युवक इन-चार्ज फ्लाइट लेफ्टिनेंट शर्माक सौजन्य आ हुनक ऑफिसमें एक-कप गर्म चाह नीक ब्रेक छल. शर्माजी तं जलपानहुक आग्रह करैत छलाह, किन्तु, हमरा लोकनि हुनका धन्यवाद दैत वापसे हयब उचित बूझल. 






 
 

   
   
      

Tuesday, March 13, 2018

अमृतसर, अटारी आ वागा

अमृतसर, अटारी आ वागा 
भारतीय सेनाक संग-संग चलैत जीवनक पच्चीस वर्ष बीति गेल. सीमा क्षेत्र सं ल कय देशक अनेक ठाम गेलहुं .किन्तु, अपन देश पैघ अछि. एतेक भ्रमणक पछातियो कतेक देखब एखनो बांकी अछि. बांकी स्थान सभक लिस्ट में एखन धरि प्रसिद्ध तीर्थ आ ऐतिहासिक शहर अमृतसर सबसँ उपर छल. अस्तु, एहि बेर अमृतसर. जनवरीक  मास में उत्तर भारतमें जाड़ आ धुंद दुनू ले बदनाम अछि. अमृतसरक जाड़तं नामी छैके. किन्तु, हमरा ढाई वर्ष लेह में बितओलाक पछाति जाड़ सं कोनो भय नहिं. 
हमरा लोकनि जहिया दिल्लीसं अमृतसर स्वर्ण शताब्दी पकडि अमृतसर पहुंचल रही, प्रायः जनवरीक चारि तारीख रहैक. जाड़ बेसी नहिं. रौद  खूब नीक. होटलक गाड़ी स्टेशनपर आयल छल. आसानीसं होटल पहुंचि गेलहुं. भोजन भातक अद्भुत व्यवस्था. जं भारतमें नीक भोजन खेबाक हो तं अमृतसर अवश्य भ आउ. हमरातं पंजाब ओहुना भारतक अमेरिका बूझि पड़ैछ : उत्तम भोजन, परसल भोजनक परिपूर्ण मात्रा, लोककेर जीबाक स्टाइल, आ जीवन   के उत्सव बुझनिहार जं कओ भारत में अछि तं ओ थिक पंजाबी नागरिक. दुपहरियामें कनेक आराम भेलैक. तकर पछाति बाज़ार भ्रमण. होटलक सामने एकटा ऑटोबाला भेटि गेल आ बिना मोल-मोलाइ के बाज़ार धरि ल गेल आ पुनः होटल पहुंचा देलक. हमरा  लोकनिक अवश्यकताओ ततबे छल. बाज़ारमें किछु कपड़ा-लत्ता, फुलकारीबाला लेडिज दुपट्टा, ऊनी वस्त्र आ मेवाक खरीद भेलै. सड़कक कातक दोकान में चाह सेहो पिलहुं. किन्तु, अजुका यात्रा में सड़कक कातमें बिकाइत सैंधव नोनक बोल्डरक आकारक बड़का- बड़का , खंडकेर आलावा अओर त किछु आकृष्ट नहिं केलक. रातिमें विश्राम भेलैक. किन्तु, दोसर दिन स्वर्ण-मन्दिर परिसरक भ्रमण दर्शन आ अटारी-वागाक भ्रमण हेतु टैक्सी ठीक भ गेल.
स्वर्ण मन्दिर

स्वर्ण मन्दिरक प्रवेशद्वार
स्वर्णमन्दिर अमृतसरक केंद्रविन्दु आ सिख धर्मक हृदयस्थल थिकैक. धर्म, शौर्य, त्याग, आ बलिदानक इतिहास अमृतसरे नहिं सिख समुदायक जीवनक चादरिक ताना-बाना थिकैक. तें ओकर विस्तृत वर्णन सम्भव नहिं. तथापि एतबा अवश्य बुझबाक थिक जे भारतक पश्चिमसं भूमि मार्गसं  जे व्यापारी, लुटेरा, धर्म-प्रचारक वा आक्रामक भारतमें आयल ओ सब पंजाब आ सिन्धुएक बाट देने आयल छल. अस्तु, एतुका जनता ओही सब सं प्रभावित भेल, लडल आ ओकर त्रासदी भोगलक. सम्पूर्ण जनसमुदायक ई अनुभव एतुका लोककें मनोवृत्तिए योद्धा आ निर्भीक बना देने छैक. ततबे नहिं ई भूमि आ एतुका जनता भारतक विभाजनक एहन त्रासदी भोगने अछि जे ककरो पुबरिया घर भारत में आ पछबरिया घर पाकिस्तान में चल गेलैक.अपन भाई-बन्धु विभाजित भ गेलैक. समृद्ध परिवार रातिए-राति शरणार्थी भ गेल. ई सब किछु इतिहास विदित थिक. किन्तु, एहि सब त्रासदीक भुक्तभोगी लोकनि एखनो जीवित छथि, तें ह्रदयमें विभाजनक शूल नुकौने कतेको गोटे एखनहु भेटि जेताह. हुनका लोकनिले विभाजन इतिहास नहिं, भोगल यथार्थ आ फफनाइत घाव थिक. किन्तु, आब ओकरा बिसरबे नीक.
दोसर दिन भोरे हमरा लोकनि स्वर्ण मन्दिरक दर्शन-भ्रमण ले विदा भेलहु. शहर कोनो ओतेक पैघ नहिं. मंदिर हमरा लोकनिक होटल सं दूर नहिं. मंदिरक आसपासक इलाकामें साफ़-सुथरा बाज़ार. कपड़ा-लत्ताक दोकान. भोजनालय. एतय मन्दिरमें जल-फूल चढ़यबाक परंपरा नहिं. तें, फूल-पत्ती, पंडा-पुरोहित नहिं. अपने भीतर जाऊ. माथा टेकू, सरोवरमें स्नान करू, कतहु बैसि कय पवित्र स्थानमें चिंतन-मनन वा ध्यान करू, गुरू लोकनिक संग एकात्मकताक अनुभव करू .  परिसरमें सेवा करू, मोन हो तं गुरूक लंगरमें प्रसाद सेवन करू आ आबि जाऊ. व्यवस्था उत्तम. सरोवर में एकोटा खढ़ नहिं. पूरा परिसर चकचक करैत. सरोवरमें स्नान करबा ले नारि-पुरुषक हेतु अलग-अलग व्यवस्था. प्रसाद किनबाक आ मन्दिरमें देबाक नियत स्थान. सब किछु नीक लागल. स्वर्ण-मन्दिर में मोन हो तं बैसू . गुरुवाणी सुनू, पाठ करू व माथा टेकू आ आपस आबि जाऊ. मन्दिरक  परिसरमें तीर्थयात्री लोकनिक हेतु धर्मशाला, पाठ- पुरश्चरण करबाक हेतु स्थान : सचखंड. सिख धर्मक  सर्वोच्च पीठ, अकाल तख़्त , आ संत जरनैल सिंह भिंडरांवालेक स्मारक गुरुद्वारा सब किछु देखबैक.
गुरुक चरण-धूलिक स्पर्शक आनन्द

एहि गुरुद्वारा लग ऑपरेशन ब्लूस्टारक इतिहासकें बयान  करैत एकटा बोर्ड सेहो देखल. परिसरक भ्रमण, स्वर्ण-मन्दिरक  दर्शन, गुरूक लंगरमें भोजन आदि में गोटेक घंटा लगले हयत. पछाति हमरा लोकनि बाहर आबि जलियाँवाला बाग़ गेलहुं. मन्दिर परिसर सं बहराइत , करीब दू सौ मीटर आगू , ई बाग़ दाहिना कात पड़ैछ. सर्वविदित अछि, 1919 में  बैसाखीक दिन एतुका नरसंहार भारतक स्वतंत्रता संग्रामक अति महत्वपूर्ण घटना थिक, जाहि में सैकड़ो निहत्था, आ निर्दोष बच्चा, युवक-युवती, बूढ़ आ वयासाहुक जनसमुद्र एकटा बताह-सन  अंग्रेज सैनिक जनरलक हाथें मारल गेल छल. युग बीति गेलइये  किन्तु, एतुका देवाल आ शहीदी इनार ओहि बर्बरताक साक्ष्यकें  एखनहु ओहिना जोगा कय रखने अछि.
जलियाँवाला बाग कांडक बर्बरताक मूक दर्शक: अंग्रेजक गोली सं छलनी इंटाक देवाल

शहीदी कुंआ: असंख्य असहाय लोकक बलिदान भूमि
जालियांवाला बाग़क भ्रमणक पछाति हमरा लोकनि होटल वापस अयलहुं आ अटारी-वागा भारत-पाक सीमा पर गेट बंद हेबा सं पहिलुक  प्रति दिनक परेड देखबाले विदा भ गेलहुं. नेयार छल, समय सं पहिनहिं बॉर्डर लग पहुंचि पहिने कोनो ढाबामें भोजन हेतैक आ तखन परेड देखब. पछिला पांच सालसं दक्षिण भारत में रहैत सरिसबक साग सपना भ गेल अछि. एहि इलाकामें खेत सब एखन सरिसबक फूलसं सोन-सन पियर भेल छैक. अस्तु, आइ मकईक रोटी आ सरिसबक सागक भोजन हेतैक. ऐतिहासिक ग्रैंड-ट्रंक रोडपर अटारी गाओं अमृतसरसं करीब पन्द्रह किलोमीटर पश्चिम  छैक. ड्राईवर सचढ़ छल. बॉर्डर सं किछुए पहिने रोड-साइडक एकटा नीक ढाबामें ल गेल.
जाड़क रौद, लस्सी, मकईक रोटी आ सरिसबक साग: शरहद रेस्तौरां, अटारी गाओं, जी टी रोड, अमृतसर, पंजाब.
भीतर -बाहर सब ठाम बैसबाक व्यवस्था. हमरा लोकनि बाहरे रौदमें बैसलहु ; रौदक अनुभूति सुखदो होइत छैक से पांडिचेरी में बिसरि चुकल अछि. होटलक परिसरमें एकटा परिवार एकटा कन्याके ल कय सपरिवार आयल छल. कन्याक विवाह प्रायः शिघ्रे हेतनि. अस्तु, होटलक परिसरमें राखल  बैल-गाडी आ मोटर-कार में कनियाक विदाईक थीम फोटोग्राफी भ रहल रहैक. एहि सब में व्यावसायिक फोटोग्राफर मनोयोग सं लागल छलाह. हमरा लोकनि भोजनक आर्डर देलियैक, भोजन केलहुं. किन्तु, परिपूर्ण परसल सबटा भोजन खायब असंभव छल. ड्राईवर बुधियार छलाह. कहलनि, भोजन दूरि किएक होबय देबैक, आ शेष भोजन अपन संग राखि लेलनि. ई गप्प हमरो लोकनि कें जंचल. ढाबाक सामनेक सड़कसं दूरहिंसं पाकिस्तानी राष्ट्रीयध्वज  देखबा में आयल.

भारत-पाकक बीच द्वार: पूर्वमें अटारी आ दवारिक पश्चिम वागा गाओं

भारतीय दर्शक दीर्घा: फोटोक अगिला भाग विशिष्ट अतिथिक दीर्घा थिक 
 सीमाक दुनू कात एके रंग, समतल-सपााट भूमि, एके रंग सरसों- गहूम केर खेती. दुनू कात पांच टा नदी- पञ्च आब (पानि ) सं सिंचित भूमि. वायुमें कोनो आरि- धूर नहिं. किन्तु, सीमा रेखा पर कंटाह तार, शिकारी कुकूर, आ खूनक पियासल सेना. नहिं जानि राजनीति आ द्वन्द , मनुक्खक संग कोन-कोन खेल खेलाइत अछि. सर्वविदित अछि, भूमिपर मनुक्खक पाडल कोनो डांंरि जायुगी नहिं. प्रकृति तं एकर एकदम परवाहि नहिं करैछ. इतिहास सेहो मनुक्खक द्वन्दसं निरपेक्ष रहैछ; कखन ककर पक्ष लेत के कहत.  बर्लिन शहरक बीचोबीचक ध्वस्त  देवाल  एकर साक्षी अछि . अमृतसर-वागा सड़कक कातक एहि ढावामें बैसि जाड़क मृदुल रौदक सेवन आ  दिव्य भोजनक  आस्वादक पछाति इएह सब मनोभाव जेना हमरा क्षणहिंमें विभाजित पंजाबक ऐतिहासिक शरणार्थीमें परिवर्तित क देने छल. सेनाक सेवाक अवधिमें अपन अनेक पंजाबी सहकर्मीसं भारतक विभाजनक कथा सुनने छी. शहादत हसन मंटोक  कथा 'टोबा टेक सिंह' आ भीष्म साहनीक 'तमस' आ खुशवंत सिंह केर  A Train to Pakistan आ   अओर बहुत किछु पढ़ने छी. भरल पेट आ जाड़क रौदमें  हम उंघाए लागल रही. पत्नी लग में बैसल भारतीय सेनाक रिटायर्ड दम्पति सं गप्प में लागल रहथि, ताबते ड्राईवर सुखी-सुखविंदरक स्वर कान में पड़ल: चलें, सर. देर होने से अच्छी जगह नहीं मिलेगी. प्रायोरिटी स्लिप भी नहीं  है . आगे चलके आप अफसरसे बात  कीजिये. हम आपको सीधे इंस्पेक्टर साहेब के पास ले चलेंगे. आप बात करेंगे तो स्पेशल सीट मिल जायगा. गाडी भी सीधे पार्किंग तक जायेगी, नहिं तो मैडम को पैदल चलना पड़ेगा.' हमर ध्यान आ निन्न दुनू टूटल. दुनू गोटे उठि विदा भेलहुं आ गाड़ी में बैसि गेलहुं.   
सत्ये, अटारी-वागामें  परेड देखबाले प्रायोरिटी-स्लिप  अछि तं विशिष्ट दीर्घामें बैसि परेड देखि सकैत छी. अन्यथा गैलरी में बैसू. संगहिं, पास संगमें भेला सं गाड़ी पार्किंग धरि ल जा सकैत छी. अन्यथा, दूरहिं गाडी पार्क करू आ पैदल चलि आधा किलोमीटर दूर बॉर्डर धरि जाऊ आ वापस आउ. हमरा प्रायोरिटी-स्लिप नहिं छल. किन्तु, प्रायोरिटी स्लिप नहिं भेलासं हमरा भूमिपर बैसय पड़त तकर कल्पनासं  प्रायोरिटीक सिस्टमक प्रति मन में क्षोभ केर उदय भेल. किन्तु, परिचय देला सं सब किछु सम्हरि गेल. बी एस एफ केर इंस्पेक्टर आदरपूर्वक ड्राईवर कें गाड़ी आगू बढ़यबाक संकेत देलखिन. दर्शक सब में बच्चा-बूढ़-जवान- सिनेमा स्टार- सैनिकक लम्बा लाइन आ अपार जनसमूह. बीच-बीचमें सड़कमार्गसं पाकिस्तान जेबाबला पाकिस्तानी नागरिक लोकनिक पतियानी-ट्राली- बैैग-मोटा-चोटा ; ई लोकनि सीमापार भारतमें अपन सम्बन्धी लोकनिसं भेंट करय आयल छल हयताह वा रोग-व्याधिक इलाजले दिल्ली गेल छल हेताह. सब गोटे कस्टम चेक केर पछाति पैदल गेट धरि अबैत छथि. दुनू देशक सुरक्षाकर्मी जांच-पड़तालक अपन-अपन प्रक्रिया पूरा करैत छथि आ यात्री लोकनि स्वदेश-पाकिस्तान में प्रवेश करैत छथि.  कतेक नीक होइतैक जं भारत- पाकिस्तान में सौमनष्य होइतैक; योरोपियन यूनियन जकां लोक अपन पासपोर्ट  देखबैत आ  सीमाक दुनू पार बेधडक अबैत- जाइत. किन्तु, आम नागरिकक ई सब टा मनोरथ सेना आ राजनेताक रहैत असम्भव अछि.   वाजपेयीजी पाकिस्तानसं मित्रता करबामें तं सफल नहिं भेलाह, तथापि  कम सं कम  नियंत्रण रेखापर  गोलाबारी नहिं करबाक संधि तं केने रहथि, जे 2003 सं 2014 धरि चलल. किन्तु, नबका सरकारक छप्पन इंच छातीक पाकिस्तान नीति दुनू देसक बीच वैमनष्यक तेहन  सिलसिला आरम्भ केलक जे विगत चारि वर्ष में दुनू दिसुक  सैकड़ो सैनिक आ  नागरिकक  प्राणक बलिदान देलनि. आ लाभ की ? सीमा घुसकि गेलैक ? देशकें आर्थिक लाभ भेलैये ? पाकिस्तान कमजोर भ गेल ? जं , हं , तं, बड बेस. नहिं , तं अपने सोचू . भारत-पाकिस्तानक बीच दीर्घकालीन शान्ति दुनू देशक हित में छैक, वा  युद्ध ? गरीबी, अशिक्षा, रोग, भुखमरी दुनू देशक सामान शत्रु किन्तु , नेता लोकनिक संजीवनी थिक. एहि सब रोगक निराकरण सं सर्वत्र जनसामान्यक हित हेतैक, किन्तु, पृथकतावादी  राजनीतिकेर वोटक अवसर थोड भ जेतैक. युद्ध नहिं भेलासं सैनिक साज-सामान आ गोला-बारूदक उत्पादकक व्यापार आ लाभ कम भ जेतैक. सेनाक प्रधानता कम हेतैक. अस्तु, शत्रुता कायम रहय , सत्ता फूलैत-फलैत  रहय, व्यापारिक लाभ सम्पन्न देश सभक खजाना भरैत रहय. जनता कुहरय तं , बड  बेस . 
हमरा लोकनि दर्शक दीर्घा लग पहुँचलहु तं सड़कक दुनू कात,  आ सीमाक दुनू पारक  दर्शक दीर्घामें  अपार भीड़ जमा भ चुकल छलैैैक. हमरा लोकनि अपन निर्धारित स्थान लेलहु. भारतक दीर्घाक आकार पाकिस्तानी दीर्घा सं बहुत पैघ. दर्शकक संख्या  भारत दिस बहुत बेसी. नाटकीयता सेहो खूब. बीचमें एनाउंसर दर्शकक उत्साहके बढ़बैत. सीमाक दुनू कात दुनू देशक सैनिक लोकनि. दुनू कात  जयकार. नारेबाजी. देश भक्तिक गीत. आ परेड. सैनिक लोकनिक आक्रामक तेवर, पयर पटकब, बांहि देखबैत  बलक प्रदर्शन. सब किछु नाटक जकां प्रतीत भेल. दू टा सम्प्रभुता संपन्न देशक बीच, जकर बीचक सीमा हजारो माइल लम्बा होइक, एकटा गेट पर कतहु एहन हास्यास्पद नाटक होई. हमरा तं ई नाटक निंदनीय आ स्टेज-मैनेज्ड' शो लागल. सत्यतः, जं परेडक दृष्टिए  देखिएक तं परेडक स्तरकें  हम  साधारण कहबैक. खैर, सूर्यास्तक बेर भेलैक. दुनू देशमें मिलिटरी रिट्रीटकेर विगुल बाजल. दुनू राष्ट्रीय ध्वज सब नियमतः ध्वज-दंड सं उतारल गेल. सीमांत दुनू दिस दुनू देशक समानान्तर गेट बंद भेल आ वर्षहु सं होइत एहि एकमात्र दैनिक तमाशाक अंत भेल. हम पाकिस्तानक क्षितिज पर डूबैत सूर्यके देखलहु. भारतहुमें तं एहने सूर्योदय सूर्यास्त होइत छैक, सोचैत छी. तखन ई विभाजनक रेखा ? दर्शक लोकनि गेट लग जा कय फोटो घिचबैत  गेलाह आ सब घरमुंहा भेल. हमरो लोकनि  स्थानीय अफसर सं हाथ मिलाओल, धन्यवाद देलियनि आ अमृतसरक बाट धयल.    

   

Sunday, March 11, 2018

हमरा गाम किएक मन पडैत अछि

हमरा गाम किएक मन पडैत अछि 

एखनुक युग में बहुतो लोक में एकटा व्याधि देखि रहल छी: जे गाम में छथि, से गामक परिस्थिति सं क्षुब्ध छथि , आ जे गाम सं बाहर छथि से गाम कें मन पाड़इत nostalgia में डूबल छथि. गौरी नाथक फेस बुक पोस्ट सेहो एकर चर्च केलक अछि. अस्तु, एहि रोगक चिकित्साले एतय हम तीन टा विचार विन्दु पर विचार करय चाहैत छी :

1. हमरा गाम कोना मन पडैत अछि 
2. गामसं हम किएक बहरयलहु 
3. गामक वर्तमान परिस्थिति केहन अछि  ? आ वर्तमान परिस्थिति कोना सुधरि सकैत अछि

1. हमरा गाम कोना मन पडैत अछि
हमर स्मृतिक गाम ने लड्डू थिक आ ने करैला. हमर स्मृतिक गाम तीत मधुर दुनू अछि. जं सुदूर नेनपन में जाइ तं गामक सबसं अधिक दुखद स्मृति अछि आधा गामक भूखले सूतब. नांगट आ रोगाह नेनासब, आ सब कथूक किल्लत. किन्तु, सामाजिक सौहार्द्र आ सब केर ह्रदयमें एक दोसराक दुःख-सुख आफत-आसमानीमें सहन्नुभूति ओही समाजक संजीवनी रहैक. एकर एक-दू टा उदहारण देब: मुहर्रममें हिन्दू बच्चा सब सेहो जंगी बनैत छल आ जखन टोल पर बाटें  ताजियाक जुलूस जाइत  छलैक, तं टोल परहक माउगि-मेहरि सब ताजियाक पयर धोइत छलि. हालमें गामक ई सौहार्द्र कनेक कमजोर भेलैये. गामक जे मुसलमान नागरिक  हमरा लोकनिक खेतक बटेदार रहथि से हमरा लोकनिक माता पिताकें काका वा काकी-जकां  सम्बोधित करैत रहथिन. एकटा अओर उदहारण: हमरा गामक अब्दुल रहीम तुर्क मुसलमान छलाह. जोग-टोन आ भूत-प्रेत भगयबाक कलामें समाजमें अपन धाख छलनि; हम एतय एहि सभक सत्य-असत्यक तर्क पर नहिं जायब. हमर माता अब्दुल रहीम सं उपकृत छलीह; डाक्टर-वैद्य विहीन गाओंमें भगता- ओझा गुणीक काज ककरा ने होइत छलैक. अस्तु, अब्दुल रहीम जहिया कहियो हमरा लोकनी सं मांगय आबथि, खली हाथ नाहीं जाथि. एहि सम्बन्ध में बहुत रास असंतुलन रहैक. किन्तु, से भिन्न गप्प. ततबे नहिं, समाजक नीचाक तबका कें सेहो एकटा आदर आ सामाजिक स्थान रहैक.   जेना, कलरी नामक चमाइनि गाम भारिक मिड वाइफ छलीह. हमरा लोकनि सात भाई-बहिनक जन्म हुनकहिं हाथे भेल छल, से सुनैत छी. तें, कलरी सेहो हमरा माताले आदरक पात्र छलीह. अर्थात सामजिक संरचनाक गुण-दोषक बावजूद समाजमें सभक अपन-अपन प्रधानता, रोल आ प्रतिष्ठा रहैक. आब ओ सब संस्था कोना अछि से जे गाम में छथि, से कहताह. हमरा तं गाम छोडला अठतालीस वर्ष भ गेल. ताहि दिन गाम घर में स्कूल कालेजक कमी, स्वास्थ्य सेवाक अभाव अवश्य रहैक. किन्तु, हमरा दृष्टिए, जे स्कूल रहैक तकर स्तर आजुक स्तर सं नीक रहैक; हमरा सभक भविष्यक आधारशिला तं ओही स्कूलमें पडल छल. हं, तहिया संचार व्यवस्था सब दृष्टिए लचर रहैक. भ्रष्टाचार तहियो छलैक; हम आठम वर्ग में रही. योग्यता-सह-निर्धनता छात्रवृत्तिले बी डी ओ सं आय-प्रमाणपत्र लेबाक छल. मनीगाछी ब्लॉक गेल रही. बी डी ओ प्रमाण-पत्र देलनि. किन्तु, बी डी ओक ठप्पा लगेबाले बी डी ओ क चानन-ठोपधारी क्लर्क डेढ़ टाका नेने छलाह से मोन अछि. उजान मिडिल स्कूल आ झंझारपुरक टिबरेबाल स्कूलमें पढ़ने  छी. ओही दिनुक शिक्षक लोकनि एखनुक कोनो प्राइवेट स्कूलक शिक्षक सं बेसी दक्ष आ बेसी जिम्मेदार रहथि, से निर्विवाद. हं, ओही युग में छोट-छोट मुद्दा पर गाम घर में झगडा-झंझट भ जाइक. आरि-धूर, माल-मवेशी, खेत-खरिहान वैमनष्यक मूल कारण होइक. आबहु जे गाम अछि, मतान्तर तं होइते हेतैक.

2. गामसं हम किएक बहरयलहु 
हम गामसं  किएक बहरयलहु तकर उत्तरमें एक पांति पर्याप्त अछि; शिक्षाक संधान आ जीविकाक वाध्यता. किन्तु, गाम सं एखनहु जुडल अवश्य छी. घर अछि आ साल में एक बेर गाम जाइत छी. किन्तु, एहि हेतु प्रति-वर्ष घरक मरम्मति- चूना-गेरु में टाका खर्च होइत अछि. आमदनी कोनो नहिं . खेत खरिहान अछि नहिं. किन्तु, जनिका पहिने खेत रहनि से आब गहाकि तकने घुरैत छथि. किन्तु, से भिन्न गप्प भेल.

3. गामक वर्तमान परिस्थिति केहन अछि ? आ वर्तमान परिस्थिति कोना सुधरि सकैत अछि
सारांशमें, गामक एखुनका परिस्थिति पहिने सं अनेक अर्थ में नीक अछि; भुखमरीक समस्याक निदान काफी हद धरि भेलइए. कारण, लाखो लोक जीविकाले गाम छोड़ने अछि. स्वास्थ्य सेवामें पूर्णतः तं नहिं, किन्तु, काफी सुधार भेलैये; टाका देनहु लोकक प्राण बंचइत छैक. मोबाइल फ़ोनकेर प्रसार आ फोर-लेन सडक संचारक क्षेत्रमें क्रांतिकारी परिवर्तन थिक. शिक्षाक स्तर ख़राब छैक; एहिमें सुधार समाजक सर्वोपरि प्राथमिकता हेबाक चाही. शिक्षा मुक्तिक असली मार्ग थिकैक, से आब सब बुझैत अछि.
परिस्थितिमें सुधार कोना हेतैक ? हमरा दृष्टिए एकर दुइटा उपाय छैक. एक, समाजमें अधिकारक प्रति जागरूकता आ अपन अधिकार पयाबाक दुर्दांत आग्रह. दू, कानूनक प्रति निष्ठा. जतय कोनो विकसित देशमें जायब, आर्थिक परिस्थितिक अतिरिक्त विकासशील आ विकसितक देशक बीच सबसं पैघ अन्तर एकेटा देखबैक, कानूनक पालन आ कानूनी अधिकारक प्रति नागरिकक जागरूकता ओहि समाज सबहक सशक्तीकरणक आधारशिला थिकैक. जहिया सबकें अपन अधिकार भेटि जेतैक वा अपन अधिकार मंगबामें ककरो संकोच व भय नहिं हयतैक तहिया गाम व शहर एक रंग भ जायत. किन्तु, एहि सभक अछैतो जं गाम में लोककें पेट भरबाक हेतु जीविकाक अवसर नहिं भेटतैक तं लोकक पुस्तैनी घरमें ताला लगले रहतैक, ढहैत घर-आँगन में भांग उपजिते रहतैक. मात्र गामक मोहें कतेक गोटे घर बनाओत आ वर्ष-वर्ष ओकर मरम्मति करत. ताहू पर जे पीढ़ी गाम नहिं देखलक तकरा गाम सं कोन लगाव. तें, गामकें जिआबय चाहैत छी तं सफल शहरीलोकनि रिटायर्ड भेलापर गाम घूरि चलू. गाम में घर बनाउ. स्कूल-कालेज, स्वास्थ्य व्यवस्था, आ वाणिज्यमें निवेशक करू, रोजगार ताकू नहिं, गाममें रोजगारक अवसरक जोगाड़ करू आ सबसं  बेसी भ्रष्टाचार सं लड़िकय नागरिककें हुनका लोकनिक अधिकार दिअयबामें हुनक सहभागी बनू. एहि सबमें जाति-धर्म-सम्प्रदाय सभक बोधकें मेटाबय पड़त. बड भारी गप्प ने ? हं . तं, कनिएक प्रयास सं गाम नहिं जियत. कनिएक धानक बगिया नहिं बनत .        
       

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