Saturday, February 25, 2023

अविश्वसनीय आ अविस्मरणीय

 

२५ फरबरी १९८३

अविश्वसनीय आ अविस्मरणीय

२५ फरबरी १९८३. ओ घटना ओहि दिन जेहने अविश्वसनीय छल, आइओ ओ ओहने अछि. मुदा, थिक तं अविस्मरणीय.  

जाड़ नीक जकाँ फाटल नहि रहैक. मिथिला विश्वविद्यालय मे बी.ए.क परीक्षा जारी रहैक. मुदा, राजा-दैवक कोन ठेकान. एकटा परीक्षार्थीके २४ फरबरीक रातिएसँ प्रसव-पीड़ा आरंभ भए गेलनि.

तहिया मिथिलांचल आ नेपालक तराई क्षेत्र मे दरभंगा मेडिकल कालेज अस्पतालक प्रतिष्ठा रहैक. गरीब आ धनिक सब ओतहि इलाज ले जाइत छल. अस्तु, आसन्न-प्रसवा परीक्षार्थी ओतहि अस्पताल मे भर्ती भेलीह आ २५ फरबरीक भोरे सामान्य प्रसवसँ कन्याक जन्म देलनि.

मुदा, कन्याक जन्म की देलनि, एकटा समस्या ठाढ़ भए गेल: जे प्रसूति बी. ए. ऑनर्स आ अंग्रेजी पपेर्क अतिरिक्त पास कोर्सक कुल पेपरक परीक्षा दए चुकल रहथि, से ओहि दिन निर्धारित अंग्रेजीक पेपर मे कोना सम्मिलित होथु. मुदा, परीक्षार्थीक दृष्टि मे ओ कोनो समस्या नहि छल. ओ तं कृत-संकल्प रहथि. हमरा मन पड़ैत अछि, हमर सहपाठी डाक्टर मुसर्रत हुसैनक संग सेहो किछु अहिना भेल रहनि: ओ मैट्रिकक परीक्षा देबा ले विदा भेल रहथि, आ अकस्मात् अस्पतालसँ पिताक मृत शरीर द्वारि पर पहुँचि गेल रहनि. मुदा,  ओहू दिन मुसर्रत हुसैन परीक्षा देलनि आ पहिने प्रयास मे  प्रतियोगिता परीक्षा पास कए दरभंगा मेडिकल कालेज मे नाम लिखओलनि.

जे किछु. २५ फरबरी १९८३क भोर मे नारि आ प्रसूति विभागक तत्कालीन विभागाध्यक्ष  डाक्टर गौरी रानी सिन्हा जखन प्रातः-कालीन राउंड पर वार्ड अइलीह तं हुनका एकटा अभूतपूर्व परिस्थितिक सामना करए पड़लनि: सामान्यतया अस्पतालक बेड पर सूतल प्रसूति रोगी, हुनका समक्ष  विश्वास पूर्वक ठाढ़ि छलखिन. हुनका कुतूहल भेलनि. प्रसूतिक सोझ निवेदन हुनका आओर चकित केलकनि: कि तं हम परीक्षा देबय जायब. डाक्टर गौरी रानी सिन्हा जतबे वरिष्ठ आ दक्ष रहथि ततबे सहृदय. प्रसूतिक संकल्प देखि हुनका हँसी लागि गेलनि. कहलथिन,’इस कमरे में चल कर दिखाओ.’

ई कोन कठिन काज. तुरत कोठली मे चलबाक प्रदर्शन सफल भेल. आ जे प्रसूति आइए भोर पौने आठ बजे करीब एकटा छोट शल्य-चिकित्सासँ बच्चाक जन्म देने रहथि, एम्बेसडर कार केर पछिला सीटमे बैसलीह आ करीब पाँच किलोमीटर दूर  सी एम आर्ट्स कालेज परीक्षा केन्द्र जा दस बजे आरंभ होइत अंग्रेजीक परीक्षा मे जा कए सम्मिलित भए गेलीह.

ओहि परीक्षा केंद्र पर पदाधिकारी लोकनि जतय बैसल रहथि, रोगीक परिचारकक रूप मे हमहू एक कात ओतहि किछु काल बैसल रही. ओतय हम तखने  एकटा वरिष्ठ शिक्षककें अपन सहकर्मीकें कहैत सुनलियनि: ‘You know, there is girl appearing here today. She has just this morning given birth to a child!’

प्रोफेसर साहेबकें नहि बूझल रहनिजे ओ साहसी परीक्षार्थी हमर पत्नी श्रीमती रूपम थिकी, आ नवजात शिशु हमर कन्या, सुष्मिता !       

4 comments:

  1. एहन साहसी माय के नमन। स्त्री शक्तिक अद्भुत उदाहरण।

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  2. अद्भुत संस्मरण़! पढ़ि कए बहुत आनन्द भेल ,प्रेरणा सेहो भेटल । मौलिकआ प्रेरणादायी लेखनमे अपने बेजोड़ छी ।

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