छोटे से आईने में मेरी तस्वीर,
कितनी सोंधी दिखती थी;
काले घुंघराले बाल,
पतली-सी मूंछें ,
और सांवला-सा चेहरा .
पर सच-
जब तुमने
आज
रखा है मेरे सामने आदम कद आइना ,
तो,
पहली बार हुआ है एहसास-
मैं हूँ कितना ठिगना,
सर है मेरा सपाट !
मैं तो दंभ में था,
झूठा,
मुझे लोग समझते हैं ,
कितना विराट !
कीर्तिनाथक आत्मालाप, आत्ममंथनक क्षणमें हमर मनक दर्पण थिक. 'Kirtinathak aatmalap' mirrors my mind in moments of reflection.
Sunday, June 13, 2010
ये कच्चे धागे
कौन से हैं ये कच्चे धागे ,
जो ज़ोरता है मुझे तुमसे ?
कौन से हैं ये कच्चे धागे ,
जो खींचता है मुझे तेरी ओर ?
नहीं मालूम मुझे,
पर सच है,
इन धागों में खिचाव है बहुत जोर !
जो ज़ोरता है मुझे तुमसे ?
कौन से हैं ये कच्चे धागे ,
जो खींचता है मुझे तेरी ओर ?
नहीं मालूम मुझे,
पर सच है,
इन धागों में खिचाव है बहुत जोर !
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