कौन से हैं ये कच्चे धागे ,
जो ज़ोरता है मुझे तुमसे ?
कौन से हैं ये कच्चे धागे ,
जो खींचता है मुझे तेरी ओर ?
नहीं मालूम मुझे,
पर सच है,
इन धागों में खिचाव है बहुत जोर !
कीर्तिनाथक आत्मालाप, आत्ममंथनक क्षणमें हमर मनक दर्पण थिक. 'Kirtinathak aatmalap' mirrors my mind in moments of reflection.
Sunday, June 13, 2010
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