Thursday, February 19, 2015

आजुक परिचित : राकेश शर्मा

आइ एकटा नव व्यक्तिसं भेंट भेल ; राकेश शर्मा . वयस दू दिन . रंग ? श्वेत, श्याम ?  उहु, रक्ताभ . दुइ दिन पहिने धरि तं माइक पेटे में छलाह . दू दिन सं भूमि पर छथि . मुदा , जनमिते लागि  गेलनि डाक्टरक फेरी . राम कहू . दुनू आँखिमें मोतियाविन्दु . मुदा, आँखि खोलि चारू भर तकैत छथि . तेज रोशनी पसिन्न नहिं . मुदा, आँखिक तं खोलैत छथि . माताक कोंढ़ फटैत छनि. मुदा की करतीह ? सोचने छलीह , राकेश चानपर जेताह . मोतियाविंदुक नाम सुनि एखन दुखी छथि . मुदा कोन ठेकान . मूक होई बाचाल ! तें , राकेश एवेरेस्ट चढ़ताह, कि चान के केर चानि पर भांगड़ा करताह के कहय ! 

Saturday, February 14, 2015

                              सुनसान बाट पर एसगर हम
सुखद , सोहाओन बसात , आ सूर्यास्तकालक अरुणाभ इजोत ,
दूर-दूर धरि  पसरल परिसर,
मुदा सूनसान बाटपर अनेरे टौआइत  छी .
भोर हो वा सांझ बन्न खोभाड़ी में औनाइत अछि मन ,
भने , एसगरे बौआइत छी .
भोरे उगैत  छथि सूर्य , सांझे उगैत छथि चान
ने नानी खुअबैत छथिन चान केर कौर ,
ने बाबा देखा पबैत छथिन बाउ कें भोरुका किरन .
की करताह चान -सुरुज ?
उगैत छथि , डूबैत छथि , डूबैत छथि, उगैत छथि !
की करत कौआ आ मेना ?
ने बौआ तकैत छथिन बाट ,
ने बौआसीन करैत छथिन खोज .
मुदा, हमरा चाही सबटा .
चान-सुरुज , कौआ-मेना
 मनुक्ख आ जानवर, 
वायु आ बसात ,
सांझुक घूड़-धुआं
भोरुका ओस आ कुहेस
दिनुका रौद आ रतुका तरेगन .
धानक खेत आ आमक  गाछी
मुदा, सबटा कोना भेटत ? बैसल अपन कोठलीक अभयारण्य में !
तें,
हम, सूनसान, निःशब्द  बाटपर अनेरे टौआइत  छी .
 बन्न खोभाड़ी में औनाइत अछि मन ,
तें,भने , एसगरे बौआइत छी .
कदाचित् , एहि सांझमें , वा कल्हुका भोर में,
 होई ,
कतहु कोनो मनुक्खक आहट, वा नेनाक  स्वरक सनेस
आ हठात ,
निःशब्दताक होई दमन ,
आ मनुक्खक  होइ प्रवेश .


मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान

कीर्तिनाथक आत्मालापक पटल पर 100 म  लेख   मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान  कीर्तिनाथ झा वैश्वीकरण आ इन्टर...

हिन्दुस्तान का दिल देखो