Sunday, October 1, 2017

पाच गोट बिसरल क्षणिका

पाच गोट बिसरल क्षणिका
1
ह'र -फार आ चौकी  
किछु नहिं थिक बपौती 
2
सब दिन छलै सेंधकट्टा , सबतरि छैक मूस 
तें तं केने छी कलेजा मजगूत 
3
कोसिक कटनियां, कमलाक बाढ़ि 
बरिसौ ग' हथिया , लेबै सम्हारि 
4
पूँजी थिक विद्या , विवेके थिक समृद्धि 
जं धने होइत तराजू तं छोड़लनि किएक महात्मा बुद्ध 
5
पूँजी थिक श्रम, बुद्धि थिक बल 
हारि जाइछ रावणों कतबो टा हो दल !

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