पाच गोट बिसरल क्षणिका
1
ह'र -फार आ चौकी
किछु नहिं थिक बपौती
2
सब दिन छलै सेंधकट्टा , सबतरि छैक मूस
तें तं केने छी कलेजा मजगूत
3
कोसिक कटनियां, कमलाक बाढ़ि
बरिसौ ग' हथिया , लेबै सम्हारि
4
पूँजी थिक विद्या , विवेके थिक समृद्धि
जं धने होइत तराजू तं छोड़लनि किएक महात्मा बुद्ध
5
पूँजी थिक श्रम, बुद्धि थिक बल
हारि जाइछ रावणों कतबो टा हो दल !
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