Saturday, June 22, 2019

आइ एस आइ मार्का

आइ एस आइ मार्का *
कीर्तिनाथ झा
वाद-विवादमें गर्मजोशीक  दृष्टिएं भारतीय रेलक सेकेंड क्लासक डिब्बा लोकसभा सं कम नहिं. जहां ठाम चारि गोटे जमा हेताह गप्प-सड़क्का शुरू भ जायत. गप्प-सड़क्का कखन वाद-विवाद में बदलि जायत के कहत ! फेर आस-पासक लोक चुन-तमाकू–पान-सुपारीक बहाना, वा केवल गप्प करबाक लोभें सहटि कय लग अओताह आ गाम घरक पॉलिटिक्स सं ल कय भारतक विदेश नीति धरिक  विवेचना आरम्भ भ जायत.
ओहि दिन चेन्नई सं जखन लालबाग एक्सप्रेस खूजल रहैक, चेयर कारक गेट लगक भागमें केवल एकटा दम्पति रहथि आ दू टा युवक. दम्पति प्रायः दक्षिण भारत  केर भ्रमण पर निकलल रहथि आ युवक लोकनि, चेन्नईक कोनो मेडिकल कॉलेजक शिक्षक, बंगलोर जाइत रहथि. पति-पत्नी अपन गप्प में लागल रहथि आ डाक्टर लोकनि अपन व्यवसायक विसंगतिक चर्चामें, जेना एकान्त में अपन वर्गक वृहत् समुदाय सं कनेक दूर में रहलासं जे स्वतंत्रता होइत छैक तकर अनुकूल, मोनक  भड़ास निकालबामें लागल रहथि.
ताबते महिला के पियास लगलनि, आ ओ लग में राखल मिनरल वाटरक बोतल खोलि पानि पीयब शुरू केलनि. किन्तु, मोन विकृत भ गेलनि. पति कें लक्ष्य कय कहलखिन, 'केहन पानि छैक ! मोन विकृत भ गेल'. एहन परिस्थिति में आम पतिक जेहन प्रतिक्रिया हेबाक चाही, से भेलनि. बेचारे ओहि सं बेसी की बजितथि. कहलखिन, 'पानि तं नीके बूझि पड़ैछ.
‘ कपार नीक रहतै ! पीबि कय देखबै, तखन ने !!’
पतिदेव  बंचबाक कोनो रास्ता ताकय लगलाह. संयोग सं बोतल केर लेबल देखि मोन प्रसन्न भ गेलनि. कहलखिन, ‘देखियौ ने बोतल पर आइ एस आइ क मार्का सेहो छैक ! शुद्धताक एहि सं बेसी की प्रमाण चाही ?  महिला मुंह दुसैत कहलखिन, ‘ लोक पानिक स्वाद चिखत, कि आइ एस आइ क मार्का देखतै !’
पतिदेव चुप भ गेलाह. आ पत्नी सेहो कातमें राखल ‘वनिता’ उनटाबय लगलीह.
डाक्टर लोकनिकक गप्प वाद-विवाद नहिं. ओ लोकनि कालेज सं दूर, खुलिकय, मनक भड़ास निकालबाक अवसर हाथ सं जाय नहिं देबय चाहैत छलाह.
एक गोटे जे कनेक सीनियर-सन रहथि, शुरू भेलाह: ‘एहि बेर तं हद्द भ गेल. एम् एस केर परीक्षा लैत मोन होइत छल फेर कहियो एक्जामिनर नहिं बनी. ने कोनो व्यवहारिक ज्ञान, ने बजबाक लूरि. डाक्टरी साढ़े बाईस. सब बनत  स्पेशलिस्ट. हम तं कतेक बेर सं परीक्षाक समय में छुट्टीक आवेदन द दैत छियैक. किन्तु, प्रिंसिपल अस्वीकार क दैत छथि. कहताह, 'एहि बेर पार लगा दियौक. विद्यार्थी तं अहिंक थिक'. अल्हुआ विद्यार्थी ! पढ़ब-लिखब साढ़े-बाईस, खाली पास हेबाले आफन तोड़ने. बापकेर ढौआ पर फुटानी'. दोसर बंधु , अपन विवशता देखबैत शुरू भेलाह :
‘ हम तं पछिला बेर अडि गेलियैक. ओ बकलेल माथुर नहिं छल, तकरा तं हम कहि देलियैक, 'यहाँ न लागहिं राउर माया'. जाह ! अगिला बेर अबिहह' !! मुदा, एहि बेर चेयरमैन/ चांसलर  केर फ़ोन आबि गेल. तेहन ने ढीठ अछि, जे, की कहू. आ असल में, भला आदमियो रहैत तैयो नौकरी सं तं निकालि सकिते अछि. ई तं सत्य थिकैक ! की करितहुँ, आजिज भ क पास करय पड़ल.’
‘ यौ, की  कहू. हमरा डिपार्टमेंटक ई कतेक बेर फेल भेल विद्यार्थी तं जुआयल मूढ़ छल. सातम बेर छलैक. किन्तु, वैह , प्रशासनकेर दवाब. हम उठा देलियैक. किन्तु, प्रिंसिपल हाथ जोडि  लेलनि. कहय लगलाह, ‘ पास क दियौ. अहाँ कें लगइए ई कहियो डाक्टरी करतैक ! श्वसुर कें बिलियन डॉलर केर व्यापार छैक !! बोर्ड पर केवल एम.डी. लिखतीह.ततबे.’
हम कहलियनि, ‘ जीवनक ओहि पार यमराज पुछताह तं हम की जवाब देबनि !’
प्रिंसिपल साहेब हंसय लगलाह, ‘ यौ, डाक्टरी करतैक तखन ने ककरो नोकसान हेतैक. ओकरा तं मात्र सर्टिफिकेट चाहियैक.’ प्रिसिंपल तर्क जितलाह आ हम सब ओकरा पास क देल'.
एतेक काल धरि सामनेक दम्पति आ ई डाक्टर लोकनि अपन-अपन धुन में छलाह. किन्तु, डाक्टर लोकनिक गप्प पर महिला जेना एके बेर निन्न सं जागि उठलीह आ अकस्मात् पुछि बैसलखिन,' एं यौ, डाक्टर साहेब, एकर मतलब अहूँ लोकनि ओहिना, एहि पानिएक बोतल-जकां, डाक्टर सब पर आइ एस आइ मार्काक लेबल  साटि दैत छियैक !'
ई सुनैत, दुनू डाक्टर तेना अवाक भ गेलाह जे बंगलोर धरिक यात्रा में फेर हुनका लोकनिक मुंह नहिं खुजलनि.
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*आइ एस आइ मार्क ( इंडियन स्टैटिस्टिकल इन्स्टीट्यूट) केर द्वारा प्रमाणित शुद्धताक लेबुल थिकैक.

1 comment:

अहाँक सम्मति चाही.Your valuable comments are welcome.

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