Saturday, July 6, 2019

शुद्ध लिखथिन तं पेट भरतनि




शुद्ध लिखथिन तं पेट भरतनि
 

जखन दूबेजी सचिवालय हाल्ट स्टेशन पहुंचलाह तं एक्सप्रेस ट्रेन खूजि चुकल छलैक. ताहि पर सं नव झंझट.  खौझायल मन में मुंहसं गारि  खापरि सं खसैत मकैक लावा-जकां बहराए लगलनि: सा....र !
ओही छन पाठकजी अकस्मात पाछूए सं आबि पूछि देलखिन : ‘ की भेल दूबेजी, एना अग्निश्च, वायुश्च ?’
दूबेजीक मोन तं कनेक अपरतिब भ गेलनि, किन्तु, अपना कें सम्हारैत किछु गप्प बनबय लगलाह: ‘की कहू आइ काल्हि निदेशक रोज लेट क दै छथि. आइओ एक्सप्रेस छूटि गेल. कहता, ‘ आंकड़ा समय पर दिल्ली पहुँचबाक चाही. अल्हुआ ! जेना कोनो मुख्यमंत्री बनि जेताह !! तैपर सं ...’
‘तैपर . तैपर की ?’
दूबेकें  बड़ी काल सं मनक भड़ास निकालबाक  जरूरत रहनि. शुरू भ गेलाह.
‘की कहू पाठकजी. ई अबंड मास्टर सब जे ने कराबय. पछिला वर्ष नौवां क्लासमें विद्यालय परीक्षा समितिक विद्यार्थीक नामक रजिस्ट्रेशनमें मास्टरबा हमर नामे अशुद्ध क देलकै. हमर नाम ‘महावीर’ क स्थान में ‘महाबीर’ क देलकै. अंग्रेजी में तं तीन टा अक्षरक अंतर- ‘भी-आइ केर स्थान पर बी- डबल ई’- क देलकै ! डब्बल बूडि अछि !! आइ अशोक फार्म भरय गेल, तं, ओतय सं फ़ोन केलक. आब कहू एकर कोन उपाय. मोन तं भेल स्कूल जा कय मास्टर केर कपार फोडि दिऐक.’
पाठकजी सांत्वना दैत कहलखिन,’ नहिं. नीके कयल. मास्टर सं एखन बहुतो आओर काज बांकी अछि. पहिने छौंड़ा केर फार्म भरल भ जाइ.’
‘ हं, छोड़बनि तं नहिंए.  स्सा....र ! सचिवालय नहिं अओताह. रक्ष एतबे जे स्कूल घरहिं  लग अछि आ विद्यालय समिति सचिवालय सं दूर नहिं छैक. हं, एक दिन जाय तं अवस्से पड़त.’
पाठकजीकें  हंसी लागि गेलनि. एहि सं दूबेजीकें हताशा तं अवश्य भेलनि, मुदा अपना कें सम्हारैत पुछलखिन, ‘हंसलिएक किएक पाठकजी  ?’
पाठकजी कहय लगलखिन , ‘ हमरा लोकनि सचिवालयमें छी. बड़ बेस. मुदा, परीक्षा समिति कें छोट क नहिं तौलिऔक. ओ सब अपनाकें सचिवालय सं कम बूझैत अछि . बरख पांचेक भेल हेतैक. एतुके दैनिक हिन्दुस्तान केर झाजीक  लड़काक मैट्रिक प्रमाण-पत्रमें जन्म-तिथि 15 – 5 – 75 क बदला 15 – 5 – 72  क देने रहनि. वयस तीन वर्ष बेसी. अपन जेठो भाई सं बेसी. झाजी अपने पत्रकार . परीक्षा समितिक पड़ोसिया. आयब-जायब रहनि. सचिव के चिन्हैत रहथिन. भेलनि काज भ जायत. सोझे सचिव लग चल गेलाह. मुदा, बाबू हिनका सचिवक चैम्बर सं बहराइत देखने रहनि. ओ पटनिया घाघ.  कहलकनि , पंडित जी फाइल सचिव जी  निकालिहन ? छठ के बाद आयल जाओ. बेचारे खूब दौडलाह. सुनै छी स्कूल सं एडमिशन-रजिस्टर धरि उठा कय परीक्षा समिति ल गेलाह. मुदा काज नहिंए भेलनि. सुनल पछिला साल अपने अचानक कैंसर सं मारिओ गेलाह. ओहि दिन हुनक बेटा जंक्शन पर भेटल छल. बी.एस-सी पास क कय नोकारियो ध लेलक मुदा कहै छल जन्म तिथिक अशुद्धि सुधार नहिं भेलैक.’
एतेक कहि देला पर दूबेजीक विवर्ण मुंह देखि भेलनि जे कनेक बेसी भ गेलैक. तं , पुनः हुनका बोल-भरोस देबय लगलखिन: ‘ चिंता किएक करैत छी. एहन समस्या ककरा नहिं होइत छैक. हम तं अपने भुक्तभोगी छी .’
दूबेजी कें जेना कने हुबा भेलनि. ‘अहाँ , भुक्तभोगी ?’
‘त्त ! हमरा तं अपन विद्यार्थीए मतदाता-प्रमाण –पत्रमें नाम अशुद्ध क देलक. दुखमोचन पाठक कें दुर्योधन पाठक  बना देलक. पहिने देखलियैक नहिं. आधार कार्ड बनब गेलहुं.  सब तं चिन्हारे अछि ओतय.  फार्म भरबा ले मतदाता-प्रमाण –पत्र देलियैक आ पान खाइ ले निकलि गेलहुं. घूरि कय अयलहुं तं किछुए काल में आंगुरक छापले नाम बजाहटि भेलै .  ‘दुर्योधन पाठक ! दुर्योधन पाठक ! !’ हम कोना बुझितियैक, हमरे शोर करैए. बैसल रही. पछाति देखलियैक एक गोटे बड लाम-काफ़ होइत हमरे दिस आबि रहल अछि. हम कहलियैक, हमरा शोर करै छी ? गेलहुं. किछु कहितियैक ताहि सं पहिनहिं हमरा मतदाता-प्रमाण-पत्र देखा देलक. हम ओकरा की कहितियैक. कहुना ओकरा रोकल. कहए, ‘बना दियअ ? पछाति मतदाता-प्रमाण-पत्र सही कराकय आनब तं आधारों दुरुश्त क देब’. हम ओकरा रोकल. हमरा तं आधार केर बिना बैंक में वेतन- खाताकेर समस्याक भय भ गेल. दोसर दिन, अशोक के पकड़लहु. गेल तं रही बड तामसमें. भेल छल लठिया दिऐक. मुदा, अपन काज बांकी  छल. तथापि, तामस तं छले. कहलियैक, ‘हमरे नाम अशुद्ध क देलह ‘! हमरा भेल छल, लजायत . मुदा ओ भभा कय हंसय लागल. कहय लागल, ‘ सर देखे नहिं छियैक, एतुका रंगताल. बिजली जाइत-अबैत रहैत छै. बिजली-पंखाक तरद्दुद सं कोठली अधिक काल अन्हार रहै छै. कंप्यूटर कहुना यू पी एस पर चलैए. हम तं अहूँकें  कम्प्यूटर पर सबटा देखा देने रही. मोन पड़ल ओहि दिन हम देखने तं रहिऐक , मुदा, पढ़बाबला चश्मा गामे पर छूटि गेल छल.हम कोना बुझितिऐक हमरो नाम शुद्ध नहिं लिखत. तथापि, रहि नहिं भेल मुंह सं निकलि गेल, ‘ हम तं चलह देखने रहियैक तोरा तं हमर नाम बूझल छलह.’
ओही दिन ऑफिस में बड़का भीड़ रहै. बहुत गोटे लाइन में लागल छल. यावत् अशोक किछु कहैत, केओ चिन्हार हमरा देखलक. दूरहिं सं बाजल, पाठकजी, ई की कहताह. ई कोनो सचिवालय थिकैक, जे आसमान सं नमरी बरिसैत छैक. एतय शुद्ध लिखथिन तं पेट भरतनि, वैह तं खेती छैक ! देखैत नहिं छियैक, ई एतेक टा पाँति गलतीए सुधार ले लागल छैक !!
ध्यान सं पाठक जीक गप्प सुनैत दूबे जी एकाएक गोधूलि क आकाश में तरेगन ताकय लगलाह.

2 comments:

  1. हमहु voter cardमे साल भरिसँ नामक हिज्जय सुधारएमे लागल छी।सभबेर एकटा नव गलती प्रकट भए जाइत अछि।

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  2. ई बहुतोक अनुभूत सत्य थिक. हमर मान्यता अछि, अशुद्ध लिखबाक फूटे अर्थव्यवस्था छैक. बहुतो गोटे अशुद्धे लिखि फलैत फूलैत छथि. हमरा स्मरण अछि, हम जहिया उधमपुर कमान अस्पताल में रही, क्लर्क लोकनिक टाइपिंग में जं एकोटा अशुद्धि होइन तत्कालीन कमांडेंट जनरल सक्सेना ओहि क्लर्कके तीन टा एक्स्ट्रा नाईट-ड्यूटी द देथिन. तें, ओतय कोनो डॉक्यूमेंटमें अशुद्धि भेटब असम्भव. अशुद्ध डॉक्यूमेंट कें बिनु देखने कोनो अफसर हस्ताक्षर करताह से सोचबो असम्भव छल तहिया.

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अहाँक सम्मति चाही.Your valuable comments are welcome.

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