हालमे नेपालमे दरभंगा मेडिकल कालेजक हमर बैचक सम्मेलन रहैक। आपसीमे जे कार ड्राइवर संग रहथि, से एकटा अद्भुत गप कहलनि: 'बिहारमे शराब आइ ईश्वर थिक।' हम चौकलहुँ। पुछलियनि, 'कोना?' बहुत सोझ गप,' ईश्वर सब ठाम छथि, मुदा, देखबनि नहि। स्मरण करबनि, भक्त लग तुरत प्रकट भए जेताह। शराबोक इएह गति। देखबैक नहि, मुदा, उपलब्ध अछि सबठाम। मंगाउ, तँ, कतहु पहुँचि जायत। ड्राइवरक एतेक सूक्ष्म विवेचना सुनि हमरा भेल जे ओहि दिव्यद्रष्टाक समक्ष हम नेना होइ।
कीर्तिनाथक आत्मालाप, आत्ममंथनक क्षणमें हमर मनक दर्पण थिक. 'Kirtinathak aatmalap' mirrors my mind in moments of reflection.
Thursday, March 6, 2025
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मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान
कीर्तिनाथक आत्मालापक पटल पर 100 म लेख मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान कीर्तिनाथ झा वैश्वीकरण आ इन्टर...
हिन्दुस्तान का दिल देखो
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