Sunday, April 27, 2025

व्यथा



Hav Jhantu Ali Shaikh 6 Para SF

वसुधा जिसका हो कुटुम्ब 

दिल में दीवार उठाता है

कोटि-कोटि देवों का पूजक 

घर में भय से घबराता है!

मंदिर में बजते हैं घंटे, या

मस्जिद से उठता हो अजान 

अंतर में 'गर कोलाहल हो,

होगा कोई  शिव के समान ?

बंट गये हुए थे देव ईश

हो गये दूर अपने अज़ीज 

अब तो नौबत ऐसी आयी

मज़हब ने बांटे हैं शहीद!!! 

[ With respect to everyone, malice to none]

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