![]() |
Hav Jhantu Ali Shaikh 6 Para SF |
वसुधा जिसका हो कुटुम्ब
दिल में दीवार उठाता है
कोटि-कोटि देवों का पूजक
घर में भय से घबराता है!
मंदिर में बजते हैं घंटे, या
मस्जिद से उठता हो अजान
अंतर में 'गर कोलाहल हो,
होगा कोई शिव के समान ?
बंट गये हुए थे देव ईश
हो गये दूर अपने अज़ीज
अब तो नौबत ऐसी आयी
मज़हब ने बांटे हैं शहीद!!!
[ With respect to everyone, malice to none]
No comments:
Post a Comment
अहाँक सम्मति चाही.Your valuable comments are welcome.