Sunday, August 22, 2010

एतनी टा जान आ एतेक ज्ञान *

( ई बाल कथा हमर दौहित्र तन्मय ले छनि. आओर नेना लोकनिकें जं नीक लागनि त हमरा आओर संतोष हयत )
ई कथा डूगीक थिकैक . डूगी एकटा तेजगर आ होशियार कुकुर छल .हमरा लोकनि ओकरा बड़ स्नेह सं पोसने रही.
एकबेर हमरा लोकनिक ओतय बहुत गोटे आयल रहथि. कनेक ठंढाक समय रहै.केओ एकगोटे हमरा लोकनिक एकटा ओढ़ना ओढ़ि नेने रहथिन .डूगी के ई नीक नै लगलइ ; कुकुरक नाक आ कान बड़ तेज होइत छै. ओही स ओ अपन बस्तु- जात चीन्है छै. तें , डूगी अपना घरक ओढ़ना दांत सं झीकय लगलई. पहिने त लोक के बुझै में नहिं एलई .मुदा, जखन नानी ओतय एली त  हुनका हंसी लागि गेलनि; ओ गप्प बूझि गेलखिन .
पछाति, जखन सब बुझलकई जे डूगी अप्पन-आन बुझै छै तं सब के मुंह सं एकेबेर बहरेलई , एतनी टा जान आ एतेक ज्ञान.

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