Tuesday, December 31, 2013

Happy New Year

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग्भवेत्।

कविवर किरण जी क शब्द में 

सब हो सुखी सबहिं नरपाल
सबके भरै अन्न भरि गाल।

एहि हम जोड़ि दैत छियई :

सब हो सुखी सबहिं हो स्वस्थ
हर्षित मन काया बलमंत
नहि हो बिपद् दुःखक नहीं भोग
हो नित  स्वास्थ्य धनक संयोग।


Wednesday, November 6, 2013

किएक ?

            किएक ?

सब किछुक सुभीता , सब किछु ऐल- फैल खूब भबइए 
मुदा पुरनका छूटल घाव किएक  टहकैए ?                                                       

सबटा लगैए मिथ्या , सबटा थिकैक फूसि 
मुदा, कंठ स बोली किए नै फूटै-ए ?

प्रगतिक दर छै अजगुत 
मुदा , सर्बहारा रसातल में कथी ले धसै -ए ?

मनुखे थिक देवता ,   सब केओ थिका संत 
तखनि , मनुख के मनुख किए ने सोहाई- ए ?

Friday, November 1, 2013

तन्हाई में


                          1
शोर में सुनाई नहीं देती थी अपने ही मन की बातें ,
आज तन्हाई में बहुत सी दास्ताँ याद आई है !

                          2 
मीलों दूर की दौड़  और बेइन्तहां  फजीहत
आज पास की दरिया और अपने ही समन्दर ने मेरा दिल जीता है !

                          3
आसमा को चूमती तुम्हारी बुत कितनी बौनी है
पीपल के नीचे का बैठा वो बुद्ध का शिर कितना ऊंचा है !

                          4
 इंसानियत  ही मजहब की खुशबू है
फिरकापरस्ती ने ही  हम सब को लूटा है  !

Tuesday, April 23, 2013

वसन्तोत्सव आ पांडिचेरी

वसन्तोत्सव आ पांडिचेरी 

एक वर्ष वसंत पंचमी दिन राजस्थान में रही .अबीर क कोन  कथा , सुच्चा बालु उडैत रहै . एही बेर पांडिचेरी में छलहूँ . एतहु कीकर केर झाड , तिक्ख रौद आ सुच्चा बालू छै. उत्तर भारतीय लोकनि धरि अबीर-गुलाल सं  अछूत छथि. इएह  थिकै एतुका वसंत .समुद्री प्रदेश में भरि  वर्ष ऋतु एके रंग रहैत  छै , प्रायः तें . ने केसर, ने कुसुम . तं , ऋतुपति कतय सँ अओताह .सांझ में , फेसबुक - विश्व फलक वा ग्लोबल कैनवास - देखल तं रंग में रंगल नेपाल मन मोहि लेलक .परिचित लोकक छवि , देखि मधुर स्मृति क अनुभूति भेल . अस्तु , अमृतं प्रिय दर्शनम . सएह .धिया-पूता कें फ़ोन केलियनि . जोधपुर फगुआ में सरबोर. बैंगलोर में अमिय - अदिति कतहु नहिं बहरैलाह . हमारा लोकनि मालपुआ खायल . मुदा रंग नहि लगाओल .सिंदुरो धरि नहि . पांडिचेरी क फगुआ एहने सही !

मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान

कीर्तिनाथक आत्मालापक पटल पर 100 म  लेख   मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान  कीर्तिनाथ झा वैश्वीकरण आ इन्टर...

हिन्दुस्तान का दिल देखो