वसन्तोत्सव आ पांडिचेरी
एक वर्ष वसंत पंचमी दिन राजस्थान में रही .अबीर क कोन कथा , सुच्चा बालु उडैत रहै . एही बेर पांडिचेरी में छलहूँ . एतहु कीकर केर झाड , तिक्ख रौद आ सुच्चा बालू छै. उत्तर भारतीय लोकनि धरि अबीर-गुलाल सं अछूत छथि. इएह थिकै एतुका वसंत .समुद्री प्रदेश में भरि वर्ष ऋतु एके रंग रहैत छै , प्रायः तें . ने केसर, ने कुसुम . तं , ऋतुपति कतय सँ अओताह .सांझ में , फेसबुक - विश्व फलक वा ग्लोबल कैनवास - देखल तं रंग में रंगल नेपाल मन मोहि लेलक .परिचित लोकक छवि , देखि मधुर स्मृति क अनुभूति भेल . अस्तु , अमृतं प्रिय दर्शनम . सएह .धिया-पूता कें फ़ोन केलियनि . जोधपुर फगुआ में सरबोर. बैंगलोर में अमिय - अदिति कतहु नहिं बहरैलाह . हमारा लोकनि मालपुआ खायल . मुदा रंग नहि लगाओल .सिंदुरो धरि नहि . पांडिचेरी क फगुआ एहने सही !
Inspite of all efforts transliteration results in unacceptably high spelling errors.
ReplyDelete