Friday, December 4, 2015

लेते आ मार्फा गाओं , मुक्तिनाथ आ मुस्तांग- 3

मुक्तिनाथ 
मुक्तिनाथ हिन्दू आओर बौद्ध दुनूक पवित्र तीर्थ थिक . तिब्बती भाषामें मुक्तिनाथ  'छुमी ग्यार्चा' कहबैत छथि. सुनैत छी, वैष्णव धर्मगुरु लोकनिमें प्रसिद्द अडवार सन्त प्रणीत 'दिव्य प्रबन्ध' में मुक्तिनाथक विवरण पाओल जाइछ .
आजुक दिन कोनो देश, तीर्थ ,पर्यटन स्थल एहन नहिं जकर विवरण विकिपीडिया में नहिं भेटत ; विकिपीडिया सब भाषा में उपलब्ध छैक. तें , मुक्तिनाथक ई  वर्णन हमर अपन यात्रा पर आधारित अछि .
जेना पूर्वमें कहल , मुक्तिनाथ जेबा ले बस वा वायुमार्ग सं जोमसोम,मुस्तांग  पहुंची . हमरा लोकनि फ्लाइट सं जोमसोम गेल रही . जोमसोममें हमरा लोकनि ' Om's Home' नामक होटल में डेरा देल . होटलक लगहिं में पर्यटन केंद्र छैक जतय अपन परमिटक एंट्री  करबय पड़ल . नदी सं पहिनहिं बाटमें नेपाली सेनाक पर्वतारोहण विद्यालय छैक. ओतय सं मुक्तिनाथ दिस जेबाले करीब  गोटेक किलोमीटर पैदल यात्रा करैत काली गण्डकीक लकड़ीक पुल पार करैत गाम बाटें टैक्सी स्टैंड धरि गेलहु . शेयर्ड जीप-टैक्सीमें प्रायः नेपाली रुपयाँ 300  प्रति सीट ( दुनू पीठक यात्रा भाडा ) ल कय मुक्तिनाथ ले बिदा भेलहुँ . 


गाओंक आगू बाट कालीगण्डकी नदीक धार आ flood plains कें पार करैत आगू बढ़इत छैक . बाटमें कागबेनी   गाम अबैत छैक . श्रद्धालु  लोकनि  कागबेनीमें पितर लोकनिक प्रति पिंडदान सेहो करैत  छथि .कागबेनीसंआगू रास्ता दू दिस फुटइत छैक . पूब दिस जाइत  सड़क मुक्तिनाथक बाट थिक . बामा दिसुक बाट तिब्बतधरिक  दिसक दोसर ट्रैकिंग रूट थिकैक . बाम दिसक उपत्यकामें आबादी आ हरियरी छैक. मुक्तिनाथ दिसक   परिदृश्य  लद्दाखक शीत-मरुभूमि सन : पाथर , बालु , रोड़ी आ उपर चढ़इत घुमावदार सड़क . एहि बाटपर पांव-पैदल जाइत ट्रेकर-पर्यटक  सब सेहो भेटताह . मोटर ट्रांसपोर्ट पैदल यात्री ले असुविधा थिकैक . पर्यावरणक प्रदूषण अलग . मुदा, इएह थिकैक विकासक मूल्य ! करीब घंटा भरि यात्राक पछाति रानी पौवा गाओं . विलोकेर गाछ , लोकक आवास , टैक्सी स्टैंड , खेती, इत्यादि . गाओं में छोटे-सन बाज़ार आ होटल सब छैक. पूजा-अर्चनाक सामग्री सेहो भेटत. विष्णुक प्रतीक शालिग्राम कालीगण्डकी नदीमें पाओल जाइछ. तें एहि इलाकामें सर्वत्र दोकानदार सब असली शालिग्राम रखबाक दाबा करथि  तं से स्वाभाविक.
टैक्सी स्टैंड सं मुक्तिनाथक  मंदिर  करीब 2 किलोमीटर दूर आ ऊँच पहाड़ी पर . बूढ़ , अस्वस्थ आ अशक्त भक्तले  किरायाक मोटर साइकिल उपलब्ध  छैक . मोटर साइकिलसं  यात्री   मन्दिरक सीढ़ी  धरि पहुंचि सकैत छथि . तथापि मंदिर पहुँचबाले पचास साठि सीढ़ीतं चढ़हिं पड़त .मुदा, सब दिन मोटर साइकिल भेटत तकर कोनो ठेकान नहिं . हम जहिया रानीपौआ पहुँचल  रही , मोटर साइकिलक हड़ताल रहैक. लोक की करैत, जकरो  नहिं सक्क सेहो  लगैत-लगैत सब गोटे मंदिर धरि गेलहुं आ आपसो एलहुं.  




मंदिर छोट आ छोटे परिसर . मंदिरक पछुएतमें 108 टा जलधार . सद्यः पिघलैत ग्लेशियरक जल में स्नानक कय  भेल माथ दू फांक भ जायत . मुदा स्नानक पछाति अपूर्व  स्फूर्ति .  बैसल मुद्रा में आदमकद विष्णुक  भव्य मूर्ति. दर्शन कयल. जय मुक्तिनाथ ! दक्षिण भारतक वैष्णव  दस-बीस युवक आ बृद्ध श्रद्धालु लोकनिक   भेटलाह . तथापि कुल मिलाकय , एकबेर में मोसकिल सं कुल पचासों साठि भक्त/ पर्यटक नहिं . एहने  तीर्थ में शान्ति सं पूजा , मनन -ध्यान, आ अराधना संभव छैक . तिरुपति , श्रीरंगम, वा गुरुवायुर में तं तीर्थयात्री  प्रतीक्षा आ पांतीए में थाकि जाइछ . तें हमरा ई स्थान  नीक लागल. मंदिर  एतय पंडा पुरोहितक झंझट नहिं . मंदिरसं थोडबे दूर पर प्राकृतिक गैसक  पुरातन ज्वाला - ज्वाला माई. आस-पासमें  अनेक बौद्ध स्मारक-- छोरतेंन. बौद्ध संस्कृति में प्रत्येक शुभ आ स्मरणीय अवसर पर छोट-पैघ स्तूपनुमा स्मारक बनयबाक परम्परा छैक . एहि छोट-छोट स्तूप कें 'छोरतेन' कहल जैत छैक. आसपास छोरतेन एहि तथ्यक द्योतक थिक जे एतय पुरातन कालसं बौद्ध श्रद्धालु लोकनि अबैत रहल छथि , पूजा अर्चना करैत छथि , आ समाधिस्थ भेल छथि. ई छोरतेन सब   ( बौद्ध स्मारक सब ) तकरे द्योतक थिक .
मंदिर परिसर में विलोकेर अजस्र गाछ छैक. मुदा, एखन सब पत्रहीन नग्न गाछ !
मुक्तिनाथमें हमरा अत्यंत शान्तिक बोध भेल. मुदा, मुदा ग्रुप-टूर में कतहु बैसिकय शान्तिक अनुभवक कतय फुरसति . केवल देखू , आ चलू . तथापि मंदिर परिसर सं बहराइत द्वारिसं बाहर सीढ़ीसं नीचा एलहु आ सड़कक कातमें, खुला में बेंच पर बैसलहु. ऊँच हिमालय, अपूर्व शान्ति, निर्मय वायु  आ क्षितिजक निर्बाध प्रसार.  शीतल हिमालयक पवित्र प्राकृतिक  वातावरण में  प्रचूर शुद्ध हवासं दुनू प्राणी फेफड़ा भरलहु. अहा !आनन्द ! निर्मल नील आकाश आ दूर धरि पसरल क्षितिज देखि  क  मोन कृत-कृत्य भ गेल. जय मुक्तिनाथ . 
 घुरती में रानी पौआ गाओं में टटका, धीपल भात , रहडिया- बोड़ीक दालि, आ स्थानीय साग केर भोजन में जे आनंद आयल से फाइव स्तर होटलमें कतय ? ताबते कनेक हिमपात भेलैक आ हमरा लोकनिक यात्राक आनन्द दूना  भ गेल .  

Thursday, December 3, 2015

लेते आ मार्फा गाओं , मुक्तिनाथ आ मुस्तांग- 2

                                                                           मार्फा गाओं 

नेपालक बासिन्दा वा पर्यटक, ताजा , लाल आ रसगर  मार्फा-एप्पल (Marpha apple) सं परिचित होथि से सम्भव . मुदा , ई संभव जे मार्फा कतय छैक से बूझल नहिं होइनि . 
मार्फा  पोखरा-जोमसोम सड़क पर , जोमसोम सं किछु मील पहिने एकटा विशिष्ट गाओं थिक . ई गाओं मार्फा-सेव ले प्रसिद्ध अछि से भिन्न गप्प . मुदा , एहि गामक विशिष्टतामें सेव मात्र एके टा बिंदु थिक . भारतीय आ विकसित देशक पर्यटक आ विशेषतः पोखरा सं मुक्तिनाथ धरि वा ओहिसं आगूक पैदल यात्री लोकनिक हेतु मार्फा एकटा मुख्य पड़ाव आ दर्शनीय गाओं थिक .

 मार्फा मुख्य सड़कक कात में बसल अवश्य अछि. मुदा , मुदा मार्फा धरि अहाँक गाड़ी नहिं जायत . बुझलियैक ? नहिं ने ? मार्फा मोटर गाड़ी विमुक्त गाओं थिक . तखन जायब कोना ? चरैवेति ! पहाड़ सबमें जेना होइत छैक , पूरा गाओं ऊँच पहाड़क एक पक्खापर बनल सड़कक काते-काते पसरल छैक. गाओं सड़क केर समानांतर पोखरा-जोमसोम सड़क छैक. मुदा, मार्फा जेबाक हो तं मुख्य मार्ग छोडि गाओं दिस आउ , गाओंक  बाहर गाड़ी ठाढ़ करू . गामक बाहरक विशाल  प्रवेश-द्वार बाटें गाओंमें पैसू  आ पैदल विदा होउ . गामक दोसर छोर पर दोसर द्वारि पर गाम सं बहराउ आ मुख्य सड़कपर आबि  गाड़ीपर  बैसू आ जतय मोन हो चल जाउ .
जोमसोम दिससं जखन मार्फामें प्रवेश करब तं आरम्भेमें  प्रागैतिहासिक वृक्षक एकटा बड़का जीवाश्म सड़कक  कातहिं  में  देखबैक . आगू  बस्तीपर पारंपरिक आवास , बौद्ध- मन्दिर ( गुम्बा) आ अनेकानेक होटल छैक . खेतमें गहूम , आलू , आ बगीचामें मौसम केर अनुसार सेवकेर  फूल , कोंढ़ी , बतिया , वा खेबा योग्य  फल भेटत . गाओंमें झरनाक शुद्ध जलक झाँपल नाला  सड़कक कटे-कात बहै छैक . प्लस्टिक केर प्रयोग आ जहां-तहां कूड़ा फेकब  वर्जित छै . गामक सफाईले गौआं लोकनि तत्पर रहैत छथि आ पार लगाक गाओंक सफाई करैत छथि 
 नागरिक लोकनि कहलनि , विगत 400 वर्षमें मार्फा वासीक जीवन पद्धति में कोनो परिवर्तन नहिं भेलैये. ई  विश्वास गप्प विश्वास करब असम्भव  . सड़क आ वायुमार्गक विकास , विदेशी पर्यटक केर आवाजाही , शिक्षाक प्रसार , उच्च शिक्षित समुदायक समुद्रपारक नौकरी आ डॉलर केर आमदनीसं जीवन-पद्दति  अछूत रहत से तं सत्यकें फुसिआयब भेल. ताहि पर सं सर्वव्यापी एन जी ओ;  नेपाली लोकनि , व्यंगसं एन जी ओ लोकनिकें 'डलर किसान ' कहैत छथिन.  मुदा एतबा अवश्य जे गामक खेती , पर्यावरण, सामजिक व्यवस्था, सफाई आ जलापूर्तिकें आधुनिकतासं बंचबैले गौआं लोकनि अवश्य तत्पर छथि  . 
हमरा लोकनिक विद्यार्थी डाक्टर विष्णु शेरचन आ आओरो अनेक सहकर्मी डाक्टर लोकनिक घर आ होटल एतय  छनि; मोटा-मोटी जतेक घर ततेक होटल वा 'होम-स्टेड'. हमरा लोकनि डाक्टर विष्णुक ओतय भोजन-भात केलहु . बहुत सत्कार , बड आग्रह आ अपूर्व सौजन्य . भेल जेना कोनो अपन कुटुम्बकेर ओतय आयल होइ  . होटलक स्वामी भोजनक मूल्य लेबाले तैयार नहिं . हमरा लोकनि बहुत गोटे रही, संकोच भेल . अंतत , महिला लोकनि अपन वाकपटुता सं बतौर 'टोकन ' किछु टाका देबा में सफल भेलीह .
 एहि गाओंसं, ऊँच पहाड़ दिस अनेक  ट्रैकिंग रूट छैक. तें बहुतो पर्यटक मार्फा देखैत आगू जाइत  छथि वा मार्फा आबि पर्वतारोहणक  अभियान आरम्भ करैत छथि . तें मार्फा गाओंक  समृद्धि में पर्यटनक प्रमुख योगदान छै से के नहिं मानत .
    

Wednesday, December 2, 2015

लेते आ मार्फा गाओं , मुक्तिनाथ आ मुस्तांग

लेते आ मार्फा गाओं , मुक्तिनाथ (मुस्तांग जिला , नेपाल)
नेपाल क मुस्तांग जिला अनेक कारण सं सुपरिचित छैक . धर्मप्राण लोक ले मुस्तांग मुक्तिनाथक इलाका थिकनि. पद-यात्राक लोभी पर्यटक ले मुस्तांग  अति  मनोरम  इलाका थिक . नग्न पहाड़ , कल-कल बहैत नदी , हरियर खेत , दुर्गम बाट , आ रहस्य-रोमांच ; की नहिं छैक मुस्तांग में !
हमरा नेपाल प्रवास केर अवधिमें  दू बेर मुस्तांग जेबाक अवसर भेटल . पहिल बेर तं यात्रा पूर्णतः धार्मिक छल . दोसर बेर मेडिकल कैंप में गेल रही . दोसर यात्रामें मुक्तिनाथक अलाबा दोसरो स्थान सब देखलहुं . तें दुनू यात्राक अनुभव हमर मुस्तांग यात्राकें पूर्ण केलक .

मुस्तांग जिलाक बाट नेपालक प्रमुख शहर पोखरा बाटें छैक . पोखरा सं सड़क मार्ग आ वायुमार्ग दुनूक विकल्प छैक. हवाई जहाज सं बीस मिनट लगैत छैक , बस आ कार सं प्रायः 12 घंटा. पद-यात्रा में 11-12 दिन . जकरा जतेक समय आ जेहन रूचि . हम दुनू बेर हवाई जहाज सं मुख्यालय जोमसोम धरि गेलहु . जोमसोम सं आगू मुस्तांग जिलाक बांकी यात्रा मोटर गाड़ी सं भेलैक.
जोमसोम हवाई अड्डा लग छोट सन  बाज़ार छैक . बाज़ारमें बेसी होटल , किछु दोकान-दौड़ी आ सरकारी पर्यटन कार्यालय छैक . हवाई अड्डासं बहरायब तं दाहिना दिस बिदा हयब तं मुक्तिनाथक बाट छैक . बामा दिस सड़क पहिने काली गण्डकी पार करैछ आ तखन मार्फा होइत लेते. आगू , गलेश्वर, बेनी , बाग्लुंग , कुसुमा  होइत सड़क पोखरा धरि जाइछ . मेडिकल कैंप ले हमरा लोकनि लेते गेल रही तें  लेते गाओंक चर्चा  .

लेतेक डायरी  
जोमसोम पोखरा मार्ग पर लेते एकटा छोट सन  गाओं थिक .आजुक सर्वज्ञ पितामह 'गूगल' के पुछबनि (2010 में ) तं  लेतेक कोनो चर्चा नहिं . तें, हम जखन गूगल सं जिज्ञासा कयलियनि तं गूगल गुम्म भ गेलाह . माने, अपने जाऊ , देखि आउ . 
जोमसोम सं लेते धरिक यात्रामें बस सं करीब डेढ़ घंटा लागल छल . ऊँचाई २५३० मीटर . लेतेमें हमरा लोकनिक रहबाक व्यवस्था 'कालोपानी ' नामक गेस्ट हाउस में छल; लेते में छोट पैघ , गोड दसेक होटल-गेस्ट हाउस हेतैक .   कालोपानी गेस्ट हाउसक समीप एकटा हाई स्कूल - ज्ञानोदय माध्यमिक विद्यालय . हमरा लोकनिक 'होस्ट' Green Village Ventures एही  स्कूल में हमरा लोकनिक (मणिपाल मेडिकल कॉलेज, पोखराक डाक्टर लोकनिक ) सहायता सं मेडिकल कैंप लगौने छथि . स्कूलक लगहिं एकटा बौद्ध मन्दिर - 'सुल्टिम  गुम्बा ' , प्रहरी पोस्ट, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, आ टेक्निकल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट छैक . (एहन छोट जनसंख्याक गाओंमें एकठाम   एतेक रास सुविधा नेपालेमें देखबैक . बिहारमें तं असंभव !)





गामक आबादी सड़कक काते कात बसल छैक . गाय -मालक गोठुला , मालक थरि , आ खेत पथार , जेना गाओं में होइत छैक, एतहु छै . गाम में पाइप द्वारा पेय जलक आपूर्तिक व्यवस्था छैक . ऊपर सं लोक  अपन -अपन टंकी सेहो लगौने अछि . लोक स्वास्थ्य संरचनाक दृष्टिए तें हम नेपाल कें भारत सं आगू बूझैत छियैक .
कालोपानी गेस्ट हाउस में गोड बीसेक कोठली हेतैक . संगहिं खान-पानले रेस्तोरां. रूम सब ऐल-फैल . अटैच्ड बाथरूम . टीवी , फ़ोन नहिं . नीके . रेस्तोरां में ढूध , आ बिनु दूधक, चाह  उपलब्ध हयत . जलखैमें ब्रेड, मधु , रूहार्बक जाम , मक्खन , अंडा , पूड़ी-सब्जी . भोजनमें दुनू सांझ भात-दालि , साग , आलू-बंदगोबी , बोड़ीक तरकारी , मासु /चिकन आ सलाद-पापड़ -अचार , फिल्टर्ड पानि . पश्चिमी शैलानी ले पिज़्ज़ा , हैश-ब्राउन, आ केक सेहो भेटैत छैक . स्टाफ दुभाषिया/ बहुभाषी  आ विनम्र .

लेते गाओं में मेडिकल कैंप 
पहिल दिन मेडिकल कैंप करीब 11 बजे आरम्भ भेलैक. कैंप आरम्भ हेबा सं पूर्व  गामक महिला लोकनिक सामुदायिक स्वागत : गीत-गान , लाली गुडांस केर माला आ अद्भुत स्नेह . स्वभाव में सरल आ सौजन्य में बेजोड़. एतेक नीक स्वागत नेपाल छोडि आन  ठाम असम्भव . पहिल दिन 59 टा रोगी ; रोगी देखैत-देखैत पां च बाजि गेलैक . हमर सहायक श्री पशुपति बराल जेहने मेहनतिया, स्वभावक तेहने नीक आ कार्यकुशल .रोगी देखलाक  पछाति एसगरे टहलय चल गेलहुं. सांझ में सहकर्मी डेंटिस्ट लोकनि शिकायत केलनि ; 'एसगरे किएक गेलहुं ? हमरो लोकनि जैतहु' . अस्तु, दोसर दिन डेंटिस्ट स्मृति भंडारी , आ मेघा सेरचन सेहो संग भ गेलीह . वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञ डाक्टर आलूरकर सेहो रहथि .हमरा लोकनि एकटा खुडपेरिया  बाट पकडि चलि  पड़लहु .छायादार जंगल आ पाइन-नीडलक गलीचापर  गुज-गुज बाट . कनेक आगू जा कय फुलाइत लाली-गुडांसक गाछ सेहो भेटल . एतुका ऊँचाई सं उपत्यकाकेर तलहटी आ काली गण्डकीक धारक विहंगम दृश्य मनोहारी लागल .शीतल वायुक स्पर्श , बुन्निक फुहार आ मनोरम दृश्य आओर आगू जयबाले लोभबैत छल . मुदा , झलफल सांझमें पहाड़ी बाट मोहक आ जान लेबा दुनू भ सकैत अछि . तें, आपस होटल घूरि अयलहु . भोजन -भात गप्प-सप्प भेलैक . मुदा , कैंप-फायर होइत ततेक राति भ गेलैक जे तामसे सामूहिक आंनदक लोभ त्यागि  बिछाओनक शरण धयल .  







मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान

कीर्तिनाथक आत्मालापक पटल पर 100 म  लेख   मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान  कीर्तिनाथ झा वैश्वीकरण आ इन्टर...

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