मुक्तिनाथ
मुक्तिनाथ हिन्दू आओर बौद्ध दुनूक पवित्र तीर्थ थिक . तिब्बती भाषामें मुक्तिनाथ 'छुमी ग्यार्चा' कहबैत छथि. सुनैत छी, वैष्णव धर्मगुरु लोकनिमें प्रसिद्द अडवार सन्त प्रणीत 'दिव्य प्रबन्ध' में मुक्तिनाथक विवरण पाओल जाइछ .
आजुक दिन कोनो देश, तीर्थ ,पर्यटन स्थल एहन नहिं जकर विवरण विकिपीडिया में नहिं भेटत ; विकिपीडिया सब भाषा में उपलब्ध छैक. तें , मुक्तिनाथक ई वर्णन हमर अपन यात्रा पर आधारित अछि .
जेना पूर्वमें कहल , मुक्तिनाथ जेबा ले बस वा वायुमार्ग सं जोमसोम,मुस्तांग पहुंची . हमरा लोकनि फ्लाइट सं जोमसोम गेल रही . जोमसोममें हमरा लोकनि ' Om's Home' नामक होटल में डेरा देल . होटलक लगहिं में पर्यटन केंद्र छैक जतय अपन परमिटक एंट्री करबय पड़ल . नदी सं पहिनहिं बाटमें नेपाली सेनाक पर्वतारोहण विद्यालय छैक. ओतय सं मुक्तिनाथ दिस जेबाले करीब गोटेक किलोमीटर पैदल यात्रा करैत काली गण्डकीक लकड़ीक पुल पार करैत गाम बाटें टैक्सी स्टैंड धरि गेलहु . शेयर्ड जीप-टैक्सीमें प्रायः नेपाली रुपयाँ 300 प्रति सीट ( दुनू पीठक यात्रा भाडा ) ल कय मुक्तिनाथ ले बिदा भेलहुँ .
गाओंक आगू बाट कालीगण्डकी नदीक धार आ flood plains कें पार करैत आगू बढ़इत छैक . बाटमें कागबेनी गाम अबैत छैक . श्रद्धालु लोकनि कागबेनीमें पितर लोकनिक प्रति पिंडदान सेहो करैत छथि .कागबेनीसंआगू रास्ता दू दिस फुटइत छैक . पूब दिस जाइत सड़क मुक्तिनाथक बाट थिक . बामा दिसुक बाट तिब्बतधरिक दिसक दोसर ट्रैकिंग रूट थिकैक . बाम दिसक उपत्यकामें आबादी आ हरियरी छैक. मुक्तिनाथ दिसक परिदृश्य लद्दाखक शीत-मरुभूमि सन : पाथर , बालु , रोड़ी आ उपर चढ़इत घुमावदार सड़क . एहि बाटपर पांव-पैदल जाइत ट्रेकर-पर्यटक सब सेहो भेटताह . मोटर ट्रांसपोर्ट पैदल यात्री ले असुविधा थिकैक . पर्यावरणक प्रदूषण अलग . मुदा, इएह थिकैक विकासक मूल्य ! करीब घंटा भरि यात्राक पछाति रानी पौवा गाओं . विलोकेर गाछ , लोकक आवास , टैक्सी स्टैंड , खेती, इत्यादि . गाओं में छोटे-सन बाज़ार आ होटल सब छैक. पूजा-अर्चनाक सामग्री सेहो भेटत. विष्णुक प्रतीक शालिग्राम कालीगण्डकी नदीमें पाओल जाइछ. तें एहि इलाकामें सर्वत्र दोकानदार सब असली शालिग्राम रखबाक दाबा करथि तं से स्वाभाविक.
टैक्सी स्टैंड सं मुक्तिनाथक मंदिर करीब 2 किलोमीटर दूर आ ऊँच पहाड़ी पर . बूढ़ , अस्वस्थ आ अशक्त भक्तले किरायाक मोटर साइकिल उपलब्ध छैक . मोटर साइकिलसं यात्री मन्दिरक सीढ़ी धरि पहुंचि सकैत छथि . तथापि मंदिर पहुँचबाले पचास साठि सीढ़ीतं चढ़हिं पड़त .मुदा, सब दिन मोटर साइकिल भेटत तकर कोनो ठेकान नहिं . हम जहिया रानीपौआ पहुँचल रही , मोटर साइकिलक हड़ताल रहैक. लोक की करैत, जकरो नहिं सक्क सेहो लगैत-लगैत सब गोटे मंदिर धरि गेलहुं आ आपसो एलहुं.
मंदिर छोट आ छोटे परिसर . मंदिरक पछुएतमें 108 टा जलधार . सद्यः पिघलैत ग्लेशियरक जल में स्नानक कय भेल माथ दू फांक भ जायत . मुदा स्नानक पछाति अपूर्व स्फूर्ति . बैसल मुद्रा में आदमकद विष्णुक भव्य मूर्ति. दर्शन कयल. जय मुक्तिनाथ ! दक्षिण भारतक वैष्णव दस-बीस युवक आ बृद्ध श्रद्धालु लोकनिक भेटलाह . तथापि कुल मिलाकय , एकबेर में मोसकिल सं कुल पचासों साठि भक्त/ पर्यटक नहिं . एहने तीर्थ में शान्ति सं पूजा , मनन -ध्यान, आ अराधना संभव छैक . तिरुपति , श्रीरंगम, वा गुरुवायुर में तं तीर्थयात्री प्रतीक्षा आ पांतीए में थाकि जाइछ . तें हमरा ई स्थान नीक लागल. मंदिर एतय पंडा पुरोहितक झंझट नहिं . मंदिरसं थोडबे दूर पर प्राकृतिक गैसक पुरातन ज्वाला - ज्वाला माई. आस-पासमें अनेक बौद्ध स्मारक-- छोरतेंन. बौद्ध संस्कृति में प्रत्येक शुभ आ स्मरणीय अवसर पर छोट-पैघ स्तूपनुमा स्मारक बनयबाक परम्परा छैक . एहि छोट-छोट स्तूप कें 'छोरतेन' कहल जैत छैक. आसपास छोरतेन एहि तथ्यक द्योतक थिक जे एतय पुरातन कालसं बौद्ध श्रद्धालु लोकनि अबैत रहल छथि , पूजा अर्चना करैत छथि , आ समाधिस्थ भेल छथि. ई छोरतेन सब ( बौद्ध स्मारक सब ) तकरे द्योतक थिक .
मंदिर परिसर में विलोकेर अजस्र गाछ छैक. मुदा, एखन सब पत्रहीन नग्न गाछ !
मुक्तिनाथमें हमरा अत्यंत शान्तिक बोध भेल. मुदा, मुदा ग्रुप-टूर में कतहु बैसिकय शान्तिक अनुभवक कतय फुरसति . केवल देखू , आ चलू . तथापि मंदिर परिसर सं बहराइत द्वारिसं बाहर सीढ़ीसं नीचा एलहु आ सड़कक कातमें, खुला में बेंच पर बैसलहु. ऊँच हिमालय, अपूर्व शान्ति, निर्मय वायु आ क्षितिजक निर्बाध प्रसार. शीतल हिमालयक पवित्र प्राकृतिक वातावरण में प्रचूर शुद्ध हवासं दुनू प्राणी फेफड़ा भरलहु. अहा !आनन्द ! निर्मल नील आकाश आ दूर धरि पसरल क्षितिज देखि क मोन कृत-कृत्य भ गेल. जय मुक्तिनाथ .
घुरती में रानी पौआ गाओं में टटका, धीपल भात , रहडिया- बोड़ीक दालि, आ स्थानीय साग केर भोजन में जे आनंद आयल से फाइव स्तर होटलमें कतय ? ताबते कनेक हिमपात भेलैक आ हमरा लोकनिक यात्राक आनन्द दूना भ गेल .