Thursday, June 8, 2017

लेह में पहिल बेर : अगस्त 2002



लेह में पहिल बेर : अगस्त 2002
'लामाक भूमिमें गामा जुनि बनी' से बहुत दिन सं सुनल छल. किन्तु, जखन बंगलोरसं सोझे लेहकेर पोस्टिंग ऑर्डर आयल तं एहि कहावत केर असली अर्थ बूझब बांकीए छल.लेह पहुंचलापर हवाई अड्डापर ले. कर्नल विधान चन्द्र त्रिवेदी, दरभंगा मेडिकल कालेजक 1974 बैचकेर जूनियर, ठाढ़ छलाह. हुनक मुसुकाइत छवि आश्वस्त कयलक  आ हम स्वभावतः धफडि कय विदा भेलहुँ तं कर्नल त्रिवेदी  सावधान करैत   कहलनि, 'सर, धीरे-धीरे चलू'. माने, तेज चलब तं श्वासने फूलय लागय, फेफड़ा ने बम बाजि जाय ! तखन मोन पड़ल एहि कहावत अर्थ. एतबा तं बूझल छल, समुद्रतल सं 10500 फुट केर ऊंचाईपर लेह में गाछ-वृक्षेक नहिं, ऑक्सीजनकेर कमी सेहो छैक.  तें, सावधानी नहिं रखलहु तं हाई-ऑल्टच्युड पल्मोनरी इडिमा ( फेफड़ाक सूजन ) आ  हाई-ऑल्टच्युड सेरेब्रल इडिमा ( मस्तिष्क क सूजन ) सं अचानक प्राण जा सकैत अछि. ई समस्या स्वस्थ सैनिक आ सैलानी दुनूकें समान रूपें प्रभावित करैछ. इहो बूझल छल, जे हाई-ऑल्टच्युड एरियामें रक्त-चाप     ( Blood pressure ) बढ़ि जाइछ, श्वासमें कष्ट होइछ. उपर सं खूब जाड़. कनेक भय नहिं छल से कोना कहब.  मुदा, स्वस्थ शरीर आ जोश में लोक बहुत किछु बिसरि जाइछ. मुदा कर्नल त्रिवेदीकेर चेतावनीक पछाति असावधानी असम्भव छल. अस्तु, ऑफिसर मेसक आवास में आबि निर्देशानुसार ' 6-days' acclamatization schedule' आरम्भ केलहुं. अर्थात् , दू दिन बेड-रेस्ट ( बिछाओन पर आराम ), अगिला दू-दिन समतल भूमिपर किछु-किछु दूरक टहलान, आ आखिरी दू दिनमें आओर दूर आ ऊंचाई दिस चलबाक रूटीनक. ई भेल लेहमें अयनिहार सैनिक लोकनिक पहिलुक छ दिनुक निर्धारित दिनचर्या.
नव स्थान, अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल, आ हमरा-सन  यायावर मोन हताशा तं भेले एहि हाउस-अरेस्ट सं. अस्तु, पहिल दिन परिश्रान्त रही, कहुना बीतल. किन्तु, दोसर दिन भोरहिं सं वायुक कम दवाबक प्रभाव देखबा में आबय लागल: बाथरूम में राखल शेविंग क्रीम आ टूथ पेस्टक ट्यूबक मुनना खोलितहिं क्रीम आ पेस्ट अनायास बाहर बहय लगलैक. पछाति, हाथ-मुंह धोलाक बाद टेबुलपर राखल नमकीन भुजियाक पोली-पैक पर नजरि गेल तं हँसी लागि गेल: भीतर बंद वायुक प्रसार सं भुजियाक पैकेट गोल-मटोल भ गेल छलैक. ई सब छल वायुमंडलमें हवाक कम दवाबक प्रत्यक्ष प्रमाण.                                                                             तथापि, यदि वायुमंडलक कम दवाब, शुष्क वायु, आ शीतल मरुभूमिक गप्प जं छोडि दी तं लेह में आकर्षण कमी नहिं छैक.  तकर कारणों छैक : लद्दाख़क विशेषज्ञ, प्रसिद्द लेखिका, जेनेट रिज़वी, लेहकें पहाड़ी एशिया   (high Asia) क चौबटिया कहैत छथि.  चौबटिया तं वएह भेल जतय चारि दिसुक बाट आबि कय मिलैत हो, वा बाट चारि दिस फूटइत हो. लेह में पूब दिस तिब्बत-चांगथांग-मनालीक बाट , पश्चिम में कारगिल आ कश्मीर-बाल्टिस्तान, उत्तर में नुब्रा वैली-काराकोरम- चीन केर सिंक्यांग प्रान्त आ दक्षिण दिस जान्स्कार आ हिमाचलक बाट तं छैहे. तखन, जतय चारि दिसक मनुक्ख, हवा-पानि, माल-असबाब, कला संस्कृति आ मनुक्खक रक्तकेर संगम होइत होइक ओ स्थान कोना ने अद्भुत हेतैक ! आ तें लेह अछि अद्भुत. कोना ? सएह तं एहि लेख केर विषय थिक. तें, दम धरू.
हम लेह पहुंचल रही तखन अगस्तक मास रहैक. दिनक तापमान प्रायः 11 डिग्री सेंटीग्रेड छल हेतैक, राति में प्रायः 1-2 डिग्री सेंटीग्रेड. लेह केर हिसाबे गर्मिए जकां भेलैक. मुदा, जाड़सं नोकसानक भय नहिं छल से कोना कहब. तें, पहिल राति सुत्बा काल अपना लग जतेक उनी कपड़ा छल पहिरि, ऊपर सं दू गोट तुराई ओढ़ि लेल.  मुँह झाँपि सुतबाक हिस्सक छले, सेह केलहुं. कपड़ाक ओतेक परत, तुराईक ओतेक भार आ झाँपल मुँह सं देह में तेहन ने खौंत फेकलक, जे संदेह होमय लागल जे प्रायः लेह पहिले राति अपन झटका देलक. राति कहुना बीतल. भोरहिं अस्पताल गेलहुं. ECG कराओल. फेफड़ाक जांच- lung function test- भेल . सब ठीक. आश्वस्त भेलहुँ . माता-पिताक देल पचास साल पुरान मॉडलक शरीर पर विश्वास दृढ़ भेल, भेल, शरीरक मॉडल ठीके चलि रहल अछि. मुदा, एतबा अवश्य अनुभव भेल जे जाड़ सं बेसी कपड़ा आ ज़रुरत सं बेसी भय दुनू घातक ! 
दोसर दिन होइत-होइत हाउस-अरेस्ट सं मोन अकछा गेल. सांझ होइत-होइत कोठली सं बहरा करीब 1 किलोमीटर दूर मिलिटरी जनरल अस्पताल दिस एसगरे बिदा भ गेलहुं. चारू कात नजरि घुमाओल, कनेक लेह तं देखी. मुदा, उपत्यकाक हरियर झमटगर गाछ सबहक कारण ऊँचपर बसल मिलिटरी एरियासं एखन धरि लेह बाज़ार देखब सम्भव नहिं; पतझड़क बाद पूरा इलाका नग्न भ जाइछ. मुदा ताहि में एखन देरी छलैक. तें, दृष्टि-पथक ई बाधा हमरा नीक नहिं लागल. कहिया तं हम 1983 में लेह एबा ले रही. आ कहिया आई लगभग बीस बर्षक बाद एतय एलहु. मुदा, लगैछ लेह बाज़ारक भ्रमण ले हमरा आओर दू दिन क प्रतीक्षा करहिं पड़त.                                       तथापि आस-पास नज़रि घुमौलासं  आरीक धार-सन, बंजर पर्वत शिखर, सर्वत्र फहराइत रंग-बिरंगी बौद्ध पताका, बालु सं पाटल भूमि, आ दूर दक्षिण में हिमाच्छादित पर्वतमाला देखबामें आयल. आई एतबहिं सं संतोष कयल.
अनिवार्य आराम (Compulsory acclamatization schedule) क 6 दिन पूर्ण भेला पर पहिल दिन गाड़ी सं लेह बाज़ार होइत सिन्धुक दर्शन ले बिदा भेलहुँ. शहर सं पूब दक्षिण करीब 5 कि. मी. बाटमें जतय देखू, पग-पग पर छिडियायल बौद्ध स्मारक (छोर्तेन), मंदिर (गोम्पा). एकर सबहक फूट वर्णन आवश्यक. तें एखन सोझे सिन्धु चरणतल. एहि स्थानकें आइ काल्हि लोक सिन्धु दर्शन कहैत छैक. एहि ठाम लेह सं मनाली आ चांगथांग दिस जाइत हाईवे केर दक्षिण आ पूव सं पश्चिम दिस बहैत सिन्धु नदीक उत्त्तर समतल भूमिक पाट चौड़ा भ जाइछ. वाजपेयी सरकार अपन शासनकाल में एतय समतल भूमि में बहैत सिन्धुक उतरबरिया कछेर पर पक्का घाट बनबा सिन्धु दर्शन उत्सवक आयोजन कें छल. तहिया सं एहि स्थानकें सिन्धु दर्शनक नामसं जानल जाइछ. हमरो लोकनि एतहि गाड़ी रोकि घाट पर एलहु. सिन्धु पवित्र शीतल जल कें स्पर्श कयल. आ सिन्धुक जलक स्पर्श आ सिन्धु दर्शनक मनोरथ पूर्ण कयल. अनन्त कालसं  कल-कल बहैत हरियर कचोर सिन्धु, अपन अमृतमय आसव सं एहि प्रदेशकें तं सिचैते छथि, एकर आगू नीचा बहुत दूर, अरब सागर धरि कछेरे-कछेर बसल बासिन्दा सबहक जीवन-रेखा छथि. प्रसारमें संकीर्ण, कतहु उत्थर कतहु गहींर, प्रकृतिए चपल-चंचल, आ नयनाभिराम सिन्धुकेर पवित्र शीतल जल कें स्पर्श करैत भेल, जेना जीवन सफल भ गेल. सरिपहुं, राष्ट्र-गान में भले सिन्धुक चर्चा हो ,भारतमें कतेक गोटे कें सिन्धुक पवित्र जलक स्पर्शक सौभाग्य हेतैक !

तें , लेह अयलापर ऑफिसर मेस केर बाहर हमर पहिल पड़ाव सिन्धु-एक तट थिक. अतः, दू पांती सिन्धुक प्रशस्तिमें :
दूर-सुदूर गगन कें छूने
दृढ़ता सं पृथ्वीके धेने
हिमगिरिकेर मायावी उर सं
कविक मनक कविता-सन मधुमय
तरल-विरल कमनीय धार लय
सिन्धु अहाँ छी हार कंठ केर
भारत भूमिक नाम,
दर्शन भेल, सफल भेल जीवन
शत-शत नम्र प्रणाम .

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