सेवानिवृत्त गोरखा सैनिक (भू पू ) आ परिवारजनक सेवा
उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे राष्ट्र विप्लवे
राजद्वारे श्मशाने च यः तिष्ठति सः बांधवः
एकरा कनेक फरिछा क कहैत छी: उत्सव, व्यसन, अकाल, गृह-युद्ध,राजाक दरबार, शोक-श्मशान-भूमि में जे निरंतर संग दिअय वएह मित्र थिक, से संस्कृतक ई सूक्ति कहैछ.सत्य कही तं, नेपाली मूलक गोरखा सैनिक आन भारतीय-सैनिक आ भारत देश ले एहने बान्धव थिकाह. अस्तु,भारत सरकार आ भारतीय सेना भूतपूर्व गोरखा सैनिक ( भू. पू .) आ हुनका लोकनिक परिवारजनक हितसाधन ले कृतसंकल्प अछि. भारतीय सेना में गोरखा लोकनिक सहभागिताक कारण, सेवानिवृत्त गोरखा सैनिक लोकनिक द्वारि पर पेंशन आ मेडिकल सुविधा पहुंचयबाक भार भारतेक थिकैक. काठमांडूक भारतीय दूतावासक अधीन कार्यरत Indian Ex-servicemen Welfare Organisation in Nepal (IEWON) गोरखा लोकनिक हेतु ई कार्य करैछ.
भारतीय सरकार एहि हेतु नेपाल में काठमांडू, पोखरा, आ धरान में स्थायी पेंशन- वितरण कार्यालय खोलेने अछि. पेंशन- वितरण कार्यालय काठमांडू स्थित भारतीय दूतावासक देखरेखमें कार्य करैछ. एहि सब स्थायी प्रतिष्ठानमें भारतीय सेनाक मेडिकल ऑफिसर सेहो पोस्टेड होइत छथि. किन्तु, नेपाल-सन पैघ देश आ अनेको दुर्गम इलाकाक भू. पू. सैनिक लोकनिक हेतु एहि सुविधाक उपयोग असम्भव . अस्तु, भारतीय सेना मुख्यालय आ काठमांडूमें भारतीय दूतावासक तालमेलसं भारतीय सेना प्रत्येक वर्ष नेपालक विभिन्न दूर-दराज़ इलाकामे पेंशन पेइंग कैंपक संग मेडिकल कैंपक आयोजन करैत आयल अछि. एहि कैंपमें मेडिकल स्पेशलिस्ट, दांतक डाक्टर, नेत्र-चिकित्सा विशेषग्य, आ आन अनेक प्रकारक विशेषग्य दू- चारि-छौ-आठ हप्ताक हेतु माल-असबाब- औषधि आ ऑपरेशनक उपकरण ल कय नेपालक अनेक दूर दराज़ इलाका धरि जा कय ओतय कैंपक आयोजन करैत छथि एवं भूतपूर्व सैनिक हुनका लोकनिक परिवार जनक चिकित्सा करैत छथि. सेना सेवा क अवधि में दू बेर- 1995 आ 2006में - हमरा एहि वेलफेयर कैंप के ल कय नेपाल जेबाक अवसर भेटल. एहि लेखमें ओही नेपाल प्रवासक झलक भेटत.
ज्ञातव्य थिक, भारतक सब पड़ोसी लोकनिक बीच नेपालक स्थान विशिष्ट अछि. ओना तं पाकिस्तान-बांग्लादेश तं बाँटल भाई थिक. किन्तु , एहि देश सब सं हमरा लोकनिक सम्बन्ध सेहो बाँटले भाई-जकां: माने , सौहार्द्र सं ल कय गरदनि-कट्ट शत्रुता धरि . भारत-नेपालक बीचक सम्बन्ध सेहो पड़ोसी देश सबहक बीचक संबंधक गुण-दोषसं ऊपर तं नहिं, किन्तु, भिन्न अवश्य छैक. खूजल सीमा पर निधोख आवाजाही, एक दोसराक देशमें वाणिज्य-व्यापार, नौकरी, आ कुटमैती करबाक स्वतंत्रता आ भारतीय सेनामें नेपाली नागरिक लोकनिक सहभागिता. यद्यपि, भारतमे अंग्रेजक शासनक अमलसं चल अबैत नेपाली नागरिकक भारतीय सेना में सहभागिता यदा-कदा नेपाली जनमानस में राष्ट्रिय अस्मिताक प्रश्न उठबैछ. किन्तु, एहि में की परिवर्तन हो से नेपालक इच्छा आ दुनू पड़ोसिक सहमति पर निर्भर करैछ. अस्तु, एहिमें युगक अनुकूल परिवर्तन ले दुनू देश इच्छुक छथि किन्तु, जा धरि यथा स्थिति अछि, दुनू पड़ोसी दायित्वक निर्वाह ले वचनबद्ध छथि.
सीजनल पेंशन पेइंग कैंप आ मेडिकल कैंप
जहिया गाम घरमें सब ठाम बैंकक कोन कथा, गाम-गमाइत जायब-आयब धरि मोश्किल रहैक मासे-मास सेवानिवृत्त सैनिक धरि पेंशन पहुंचायब कठिन रहैक. एहि समस्याक समाधान ले नेपाल स्थित पेंशन पेइंग ऑफिस सब मोटा-मोटी छौ-छौ मास पर विभिन्न इलाका में सीजनल पेंशन पेइंग कैंपक आयोजन करैत छल. भारत सं गेल मेडिकल टीम एहि सीजनल कैंपक दौरान पेंशनर लोकनिक चिकित्सा करैत छलाह. आब नेपाल मैदानी इलाकामें बैंकिंग सेवाक प्रसारक कारण एहि कैंप सबहक प्रासंगिकता नहिं रहि गेल छैक, आ बहुतो गोटेक पेंशन नियमतः हुनका लोकनिक बैंक खतामें सोझे चल जाइत छनि. किन्तु, दूर-दराज़क लोककें एखनहु यातायातआ असुविधा आ बैंकिंग सुविधाक अभावमें पेंशन कैंप आयब दुर्निवार होइत छनि. जे किछु. किन्तु , आइ सं बीस वर्ष पूर्व पहिने नेपाल में ई पेंशन कैंप सब एकटा सामाजिक उत्सवक रूप ल लैत छल, जकर रोचक स्वरुप हमरा एखनहु स्मरण अछि. एहि लेख में तकरे किछु चित्र आ संस्मरण भेटत.
काली गण्डकी : साभार गूगल इमेज |
कलिका मन्दिर, बागलुंग : साभार गूगल इमेज |
पोखरा सं दूर बागलुंग गाओं. हालहिं में चीन सरकारक सहायता सं पोखरासं बागलुंगक रोडक निर्माण भेलैये. गाँवमें प्रवेश सं पूर्व कालीगण्डकी नदीपर पुल. गाओंक बाहरे कालीक मन्दिर. गाँवक आरम्भहिं में डिस्ट्रिक्ट सोल्जर बोर्ड केर परिसर. भारतीय गोरखा सैनिकक डिस्ट्रिक्ट सोल्जर बोर्डक परिसर प्रायः नेपालक ओहि प्रत्येक इलाका में भेटत जतय गोरखा भूतपूर्व ( संक्षेप में, भू पू ) सैनिकक सघन जनसंख्या छनि. एही सब इलाकासं गोरखा सैनिक लोकनिक भारतीय सेना में भर्ती सेहो होइत छथि. एहू बेर गोरखा रिक्रूटिंग डिपो (GRD) कुनराघाट, गोरखपुरसं भारतीय सेनाक रिक्रूटिंग टीम एतय आयल अछि. भर्तीक दिन एतय उम्मीदवार सैनिक लोकनिक फूटे मेला लागत.
जेना कहलहुं, नेपालक दूर-दराज़ इलाका में पेंशन कैंप एकटा सामाजिक उत्सवक रूप ल लैछ. सत्यतः, उत्सवले सबसँ मूल छैक अर्थ. टाका नहिं हो तं पाबनिओ-तिहार में लोकक धिया-पूताक मुंहमें जाबी लागल रहि जाइत छैक , आ जेब में टाका हो तं जीवने उत्सव थिक. अस्तु, जखन पेंशनरकें एकमुश्त छौ मासक पेंशन भा रू ( माने भारतीय रुपैया में भेटैत
छनि तं किएक ने हो उत्सव ! तें, पेंशन पेइंग कैंप के अयबासं पूर्व पेंशन कैंपक बाहर छोयला, सेकुवा-भुटुवा- तास-झिर, मधुर मिठाई सं ल कय सोना-चानी,कपड़ा-लत्ता, अन्न-पानिक वणिज सं ल कय मदिरालय आ वेश्यावृत्ति धरिक दोकान-हाट-बजार रातिए-राति
तहिना जनमि जाइछ, जेना नीक अछार बरखा पडला सं बंजरो भूमिमें जहत्तर-पहत्तर दूबि पनुकी दिअय लगैछ.
छनि तं किएक ने हो उत्सव ! तें, पेंशन पेइंग कैंप के अयबासं पूर्व पेंशन कैंपक बाहर छोयला, सेकुवा-भुटुवा- तास-झिर, मधुर मिठाई सं ल कय सोना-चानी,कपड़ा-लत्ता, अन्न-पानिक वणिज सं ल कय मदिरालय आ वेश्यावृत्ति धरिक दोकान-हाट-बजार रातिए-राति
तहिना जनमि जाइछ, जेना नीक अछार बरखा पडला सं बंजरो भूमिमें जहत्तर-पहत्तर दूबि पनुकी दिअय लगैछ.
हम कोनो वैज्ञानिक प्रमाण देबाक स्थितिमें नहिं छी. किन्तु, हमर अनुमान अछि, स्वस्थ शरीर आ संयमित-अनुशासित जीवन पद्धतिक कारण सैनिक लोकनिक आयु आम नागरिक सं दीर्घ होइछ. एकर अनेक प्रमाण हमरा नेपाल में भेटल; खाटपर लदि दू-दू तीन दिनक यात्राक पछाति 90- 95 वर्षक आयुक भू पू क कैंप में आयब कोनो आश्चर्य नहिं. आ जखन पेंशन ले एते दूर आयले छी, टाका भेटिए गेल तं बुतादक सामानक संग घर-गिरहस्तीक वस्तुक कीनब- बेसाहबक संग, मुफ्त दर- दवाई, मोतियाबिंदक आपरेशन, चश्माक व्यवस्था, दांतक चिकित्सा- नकली दांतक जोगार सेहो भइए जाय. एहि मामला मेंं सीजनल पेंशन-कैम्प हमरा अद्भुत लागल. एहि सब कथुक संग पेंशन-कैम्प क समयमें भारतीय सेनाक रिक्रूटमेंट रैली भू.पू. लोकनिक हेतु सोनापर सोहगा साबित होइछ.
एहि पेन्शन कैम्प सबहक एकटा आओर मार्मिक पक्ष छैक जकर संबंध सैनिक- जीवन सं छैक.
सैनिक जीवनक पुरान सहकर्मी, Comrade-in-arms, सबसं भेंट घांट. पेंशन कैम्प पुरान, बिछुडल वंधु-बांधव सं भेंट-घांट आ एक दोसराक संग पुरान संबंधकें पुनः जिययबाक अनुपम अवसर दैछ. भू.पू. लोकनि पुरान परिचित सबसं अपन रेजिमेंट क खोज- खबरि लेताह। अपना जमानाक जुनियर अफसर क नबका ओहदा देखि प्रशन्न हेताह. नब सैनिक लोकनिक संग अपन रेजिमेंटल अतीतक खीसा- पिहानी क आदान-प्रदान करताह. सत्यतः, हमरा पूछी तं लोक दुइएटा समयकें अफशोस वा मात्सर्य सं मोन पाडैछ, चाहे तं खूब आनंद क दिन वा बड कठिन दिन. सैनिक जीवनक अवधि मेंं ई दूनू सन्निहित होइछ. तें, सैनिक ओहि अवधिकें आश्चर्यनक nostalgia क संग स्मरण करैछ. ईएह कारण थिकैक जे हम यदाकदा अपन सहकर्मी लोकनिकें कहैत छियनि, 'जं अगिला जन्म मेंं नौकरी करबाक मौका लागत तं पुनः भारतीये सेनाक नौकरी धरब' !
एहि पेन्शन कैम्प सबहक एकटा आओर मार्मिक पक्ष छैक जकर संबंध सैनिक- जीवन सं छैक.
सैनिक जीवनक पुरान सहकर्मी, Comrade-in-arms, सबसं भेंट घांट. पेंशन कैम्प पुरान, बिछुडल वंधु-बांधव सं भेंट-घांट आ एक दोसराक संग पुरान संबंधकें पुनः जिययबाक अनुपम अवसर दैछ. भू.पू. लोकनि पुरान परिचित सबसं अपन रेजिमेंट क खोज- खबरि लेताह। अपना जमानाक जुनियर अफसर क नबका ओहदा देखि प्रशन्न हेताह. नब सैनिक लोकनिक संग अपन रेजिमेंटल अतीतक खीसा- पिहानी क आदान-प्रदान करताह. सत्यतः, हमरा पूछी तं लोक दुइएटा समयकें अफशोस वा मात्सर्य सं मोन पाडैछ, चाहे तं खूब आनंद क दिन वा बड कठिन दिन. सैनिक जीवनक अवधि मेंं ई दूनू सन्निहित होइछ. तें, सैनिक ओहि अवधिकें आश्चर्यनक nostalgia क संग स्मरण करैछ. ईएह कारण थिकैक जे हम यदाकदा अपन सहकर्मी लोकनिकें कहैत छियनि, 'जं अगिला जन्म मेंं नौकरी करबाक मौका लागत तं पुनः भारतीये सेनाक नौकरी धरब' !
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अहाँक सम्मति चाही.Your valuable comments are welcome.