इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स , कृत्रिम बुद्धि, आ मोबाइल
पछिला मास
चेन्नईमें भारतक उपराष्ट्रपति एकटा अस्पतालक उद्घाटन कयलनि. अस्पताल
अपन प्रचार में आओर सब कथूक संग इहो दावा कयने रहथि, जे हुनकर परिसरमें अत्याधुनिक
चिकित्साक सुविधातं अछिए, एहि अस्पतालक किछु विभाग ‘ इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स (IOT)’
द्वारा संचालित अछि. की थिक ई ‘ इन्टरनेट
ऑफ़ थिंग्स (IOT)’ ? सोझ शब्द में IOT एक दोसरा सं जुड़ल कंप्यूटिंग सिस्टम सबहक एहन जुडल सिस्टम थिक जाहि में संस्था वा घरक नामांकित मशीन,उपकरण, मनुष्य, आ जानवरक भीतर सन्निहित computer सब एक सं दोसर मनुष्यक बीच, वा एक मनुष्य सं कंप्यूटरक बीच सोझ सम्पर्कक
बिना, अपना सबहक बीच सूचनाक आदान प्रदान क सकैत अछि.
सोझ शब्दमें
एकरा एकटा उदाहरण सं बुझू. हमर घरमें पाइप द्वारा भानसकरबाक गैसकेर कनेक्शन अछि. ओहि
हेतु हम किछु टाका गैस कम्पनीकें जमा केने छियैक. काल्हि गैसक हेतु जमा हमर टाका
शेष जायत. हमरा असुविधा नहिं हो एहि हेतु ‘
इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स (IOT)’ सोझे हमर बैंक account सं निर्धारित टाका निकासी क कय गैस
कम्पनीक खाता में पहुंचा हमर गैस सप्लाई स्वतः निर्बाध चालू राखत. ई एकटा बहुत सोझ उदहारण
भेल. दोसर उदहारण, हमरा डायबिटीज अछि. हमर देह में लागल सेंसर निरंतर हमर चीनीक स्तरकें
नपैत रहैत अछि. आइ निन्नहिं में हमर रक्तमें सुगरक स्तर खतरनाक स्तर पर नीचा चल गेल. एकर सूचना हमर डाक्टरक कंप्यूटर
में गेलनि, इमरजेंसी सर्विस कें स्वतः सूचना भ गेलैक. ओतय सं एम्बुलेंस हमरा
द्वारि पर आयल. हमर केबाड स्वतः खुजि गेल आ अस्पतालक कर्मी लोकनि हमर चिकित्सा
करैत सोझे हमरा अस्पताल ल गेलाह. ततबे नहिं, बिना ककरो द्वारा चिट्ठी लिखबाक हुज्जति
उठओने, हमर अस्वस्थताक सूचना अमेरिका बैसल हमर बेटाकें सोझे ईमेल सं भ गेलनि.
ई सब किछु
बहुत नीक. किन्तु, सामान्य परिस्थितिकें विपरीत बूझि कम्प्यूटर जं कोनो अनुचित क
बैसय, तखन ? वा कम्प्यूटर जं अहाँक काज बिसरि गेल, तं ? वा कम्प्यूटर अपने ज्ञान सं हुकुम चलाबय लागल,
तं ? सत्य थिक जे प्रत्येक सिस्टम में संतुलन आ नियंत्रण अवश्य होइत छैक. किन्तु, एहि
में विपर्यय आ विकृति आयब असम्भव नहिं.
बहुराष्ट्रीय
चीनीक कम्पनी अलीबाबाक विश्व-विख्यात सह-संस्थापक जैक मा आ बहुचर्चित अमेरिकी उद्योगपति
एलोन मस्कक बीच कृत्रिम बुद्धिक विषय पर अजुका अखबार में प्रकाशित वार्तालाप रोचक
लागल. जैक मा केर कहब छनि, ‘कम्प्यूटर चालाक भले होअय, किन्तु, मनुक्ख बुद्धिमें कम्प्यूटरसं आगू
अछि. तें, (कम्प्यूटरक) कृत्रिम बुद्धि (AI)
हमरा लोकनिकें मनुष्यकें आओर नीक-जकां बुझबामें सहायक भ सकैत अछि. किन्तु, (कम्प्यूटरक)
कृत्रिम बुद्धि (AI) क भस्मासुर भ जायत से
भय निराधार थिक.’
एकर विपरीत एलन
मस्क कें भय छैन्हि, तीक्ष बुद्धि (कम्प्यूटरक) कृत्रिम बुद्धि (AI) अन्ततः मंदबुद्धि सं मनुष्यसं अकच्छ भ
जायत. किन्तु, गप्प एतबे पर समाप्त नहिं भेलैक. एलन मस्क आगू जे कहलनि, तकरा हमरा
लोकनि नित्तह भोगि रहल छी. मस्क कहैत छथि, ‘हमरा लोकनि एखने मनुष्य सं यंत्र-मानव (Cyborg)
बनि चुकल छी. सत्यतः लगैत अछि, मोबाइल फ़ोन हमरा लोकनिक
शरीरक हिस्सा भ गेल अछि. कारण, जं, फ़ोन कतहु छूटि गेल तं होइए, जेना,
हाथ-पयर बिला गेले !.’
किन्तु, पांडिचेरीमें हमर
अस्पतालमें एखन ने ‘ इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स (IOT)’ आयल अछि, ने हमरा लोकनि कृत्रिम
बुद्धिक लाठी ल कय ठाढ़ छी. अगिला किछु वर्ष हम एकर सबहक प्रयोग करब, तेना लगितो
नहिं अछि. किन्तु, सबहक हाथमें फ़ोन केर दुष्प्रभाव सब ठाम देखबामें आबि रहल अछि. विद्यार्थी
लोकनिक झुण्ड जखन होस्टल सं कालेज विदा होइत अछि, तखन, पहिलुका युगक विपरीत विद्यार्थी लोकनिक बीच गप्प–सप्पक स्थान पर सर्वत्र नीरवता रहैछ. सबहक हाथ में फ़ोन, कान में इयर-फ़ोन.
एक हाथ में मोटर साइकिलक हैंडल आ दोसरसं फ़ोन पर संवाद-लेखन ( मेस्सेजिंग ). फल ई जे , झुण्डमें
चलैत आ क्लासमें पढ़ैत विद्यार्थी, आ एके घरमें संग रहैत माता-पिता, पति-पत्नी नितान्त एकसर छथि. पिछला किछु वर्ष पहिने हमरे सबहक परिसरमें छात्र सबहक समूहहिमें एकाकी अस्तित्वक दारुण परिणाम सामने आयल: एकटा कन्या अपन कोठलीएमें आत्महत्या क लेलनि. किन्तु, ओ
मरि गेल छलीह से कइएक दिनक पछाति लोक कें तखन बुझबा में एलैक जखन लाश सडि गेल
रहैक आ कोठलिक भीतर सं दुर्गन्ध आयब शुरू भ गेलैक. आइ सं 30-40 वर्ष पहिने ई असम्भव
रहैक. कारण एक ग्रुप केर विद्यार्थी जं सबठाम एक संग नहिओ गेल तइओ खेलक
मैदान-मेस-क्लास- अस्पतालमें एक दोसराकें खोज-पुछारि अवश्य करितैक.एखन ? फ़ोन हाथ में आयल, आ संगी-साथी बिसरि गेल. किन्तु, ककरो अनकर उद्वेग नहिं लगलैक, कमीक बोध नहिं भेलैक.
एही परिसरमें पछिले हफ्तामें एकटा गार्डियन आबि कय विह्वल होइत अपन
दुखड़ा सुनौलनि आ सहायताक याचना केलनि. समस्या: मोबाइल फ़ोन. ई सज्जन, श्री नारायण, सिविल इंजिनियर छथि. पुत्र एम्.बि.बि.एस केर
छात्र, हमरे कालेज में पढ़ैत छथिन. पिता हमरा कॉलेजक कॉरिडोर में एक कात ल जा कय कहलनि, ‘ बड परेशान छी. हमर पुत्र, अहाँक विद्यार्थी, एकदम बात नहिं मानैत अछि . दिन-राति मोबाईल फ़ोन
में मुडियारी देने रहैए. कृपा क कय अहाँ कनेक बुझबिऔक.’
हम सोचैत छी,
हम हुनकर सहायतामें कोन कृत्रिम बुद्धि (AI)
क सहायता लेब ! मोबाइल फ़ोन मनुक्ख हिस्सा नहिं भेल अछि, मनुक्ख मोबाइल-कैमरा-कम्यूटरक तेहन हिस्सा बनि चुकल अछि, जे ई कंप्यूटर मनुक्खकें पूर्णतः अशक्त केने जा रहल छैक. एहना स्थिति में इलाज ?