कोना
कोरोना दूर भगाउ !
फाँकू सतुआ
नून खाउ
कोना कोरोना
दूर भगाउ !
रहितहु बड़का
अबिते प्लेन
एतय बन्न जनसाधारण
टेन !
माथपर मोटा
हाथमें डोल
काँख त'र चिलका बम-बम बोल !
सब कहैए,
ई बुडिलेल !
कहू ,
कोना घर छोड़ल भेल ?
बन्न मनरेगा,
खेती बन्न,
बच्चा-बुतरू
केने चंग,
घिचब रिक्शा
फाँकबी सातु,
भले सहरुआ
बूडि बनाओत .
पसरल ज'र आ लोग बेहाल
सौंसे देश
अछि भेल भोपाल !
खोलीमें ताला,
रोजी बन्न,
अन्नक
बेत्रेक सब बेकल्ल .
चलबै पयरे,
जेबै गाम,
देखल जेतै,
आगू राम !
घुर,
बकलेलहा धेलें बाट !
छुटलौ दिल्ली,
अपनों खाट !!
अपनो घर आब
लागल ढाठ,
मरै खपै जो
बाटे- घाट !
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प्रवासी
मजदूरक सहानुभूतिमें