Saturday, March 14, 2020

फेसबुक फिजिशियन


फेसबुक फिजिशियन
कीर्तिनाथ झा
इन्टरनेट ज्ञानक अथाह सागर थिक. हाथमें मोबाइल फ़ोन लेने  वा आँखिक आगाँ कम्प्यूटर खोलने मनुक्ख अपन इच्छाक अनुकूल एहि समुद्रक कछेरपर ठाढ़ अछि, समुद्रक उपर हेलि रहल अछि, वा मूंगा-मोती- मणिक अन्वेषणमें समुद्र-तलपर गोंता लगा रहल अछि. अर्थात्, यदि कम्प्यूटरसं परिचित छी, ओकर उपयोग क  सकैत छी, तं, संसार भरिक ज्ञान अहाँक चुटकीमें अछि, तरहत्थीपर अछि : अहाँ आदि शंकर-जकां हस्तामलक छी – तरहत्थीपर राखल आंवला-जकां संसारकें  चारूदिससं देखि सकैत छी. तथापि, इन्टरनेटक उपलब्धतासं जहिना ज्ञान प्राप्त करब सुलभ भ’ गेलैये , तहिना इन्टरनेटक माध्यमसं जानि बूझिकय वा अंजानमें असत्यकें बांटब वा प्रचारित करब अत्यधिक  सुलभ भ’ गेलैये. संयोगसं एखन इन्टरनेटपर उपलब्ध सूचनाकें, बिनु जंचने, पोथीमें प्रकाशित ज्ञान-जकां प्रमाणिकताक दर्जा भेटि रहल छैक. फलतः, हालमें इन्टरनेट आ सोशल मीडियासं जुड़ल  आ ओतय उपलब्ध ज्ञान/ अज्ञानक माध्यमसं अपन आ अनकर रोगक तर्कविहीन चिकित्सा कयनिहार नागरिक लोकनिक एकटा समूह उत्पन्न भेले. फेसबुक, व्हाट्सएप्प- सदृश अओर एहन सोशल-मीडिया एहि आधा-छिधा  जानकारीक प्रमुख श्रोत थिक. एहि मीडिया सबपर उपलब्ध जानकारी सं अपन आ अनकर चिकित्सा कयनिहार एहि self-styled डाक्टरक समुदायकें हम फेसबुक फिजिशियन कहैत छियनि. एतय ई बूझब आवश्यक जे इन्टरनेटपर चिकित्सा सम्बन्धी शास्त्र-सम्मत ज्ञानक अनुसार अपन चिकित्सा कयनिहारकें  फेसबुक फिजिशियन नहिं थिकाह. एहि लेखमें फेसबुक फिजिशियनपर संक्षिप्त चर्चा करी.
इन्टरनेटपर उपलब्ध ज्ञान वरदान थिक. नहिं, तं हैदराबादमें घर बैसल छात्र हार्वर्ड विश्वविद्यालय द्वारा चलाओल कोर्समें  कोना हिस्सा लितथि. तें, इन्टरनेट एकटा leveller थिक –इन्टरनेटसं  ज्ञान प्राप्त करबामें सब समान अछि.  एहि दृष्टिएंफेसबुक फिजिशियन  वस्तुतः  फेसबुकपर उपलब्ध डाक्टरी ज्ञानक उपयोक्ता थिकाह. संगहि, ज्ञानप्राप्तिले इन्टरनेट वा फेसबुकक उपयोगमें कोनो दोष नहिं, दोष छैक उपलब्ध जानकारीक प्रमाणिकतामें. कारण, इन्टरनेट जं शास्त्रक भंडार वा विशाल विश्वपुस्तकालय थिक, तं, ई विशाल दकचल देबाल सेहो थिक जाहिपर जकरा जे किछु मोन होइछ लीखि जाइछ. किन्तु, लिखल सामग्रीक प्रमाणिकता स्थापित करब असम्भव छैक. अस्तु, लिखबाक एहि स्वतंत्रतामें सत्य-असत्य, शास्त्र-सम्मत वा अनवधानक कोनो वर्जना नहिं. एहन स्थितिमें पाठक सही-गलत आ उचित आ अनर्गलक बीच भेद कोना करताह. फलतः, इन्टरनेट आ फेसबुकक एहन पाठक जे उपलब्ध लेखक सत्य-असत्यक विवेचनामें असमर्थ छथि, सामग्रीक आँखि मूनि अनुसरण केने अपन आ आ दोसरोक हानिक कारण बनि सकैत छथि. हानिकारक जानकारी मूलतः एहन होइछ जे सामजिक भ्रांतिकें बल दैछ, रोगीले आसान आ ओकर मनोनुकूल होइछ. माने, जे रोगीकें भावे, से बैद फरमाबय. एही अर्थमें फेसबुक फिजिशियन अपना आ समाजले खतरा साबित होथि से सम्भव. यद्यपि, सलाह देनिहारक उद्देश्य भले अनका सहायता करब होइनि. तखन, एकर निराकरण की ? कनेक एहू पर विचार करी:
1.    इन्टरनेट पर उपलब्ध सब सूचनाकें ‘बाबाक वाक्य’  आ प्रमाणिक नहिं बूझी, आ फेसबुक फिजिशियन सं बंची. कारण, मुफ्तमें उपलब्ध ज्ञान शास्त्र-सम्मत आ प्रेरित प्रचार, दुनू भ’ सकैछ. डाक्टरी सूचनाक अनेको श्रोत छैक. एकाधिक प्रमाणिक श्रोतकें ताकिकय पढ़ी आ भ्रामक प्रचार आ सूचनासं बंची.
2.    डाक्टरी विषयमें डाक्टरक सलाह ली: ‘नीम हकीम खतरा-ए जान’ आइओ सत्य अछि.
3.    प्रमाणिक सूचना आ स्वास्थ्य- शिक्षाक आवरणमें छिपल व्यावसायिक प्रचार कें चिन्ही  आ ओहिसं बंची. 
4.    सरल उपायक लोभमें तर्क आ बुद्धिक हनन नहिं होमय दिऐक. अंततः, अहाँक अपन विवेक अहाँक सबसँ बड़का बल थिक, से जुनि बिसरी.

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