Saturday, May 13, 2023

हम्पी: विजयनगर साम्राज्यक भग्नावशेष

 

कोरोनाक भय थोड़ भेला पर हमरोलोकनिक ध्यान पर्यटन दिस गेल; एहि बेर कर्नाटक राज्यक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल, हम्पी, विजय नगर. हम्पी विश्व विरासत स्थल थिक. एतय विश्व भरिक पर्यटक अबैत छथि. हमरालोकनि हम्पी नहि देखने छी. तें एहि बेर ओतहि चललहुँ .

एतेक प्रसिद्ध साम्राज्यक गढ़ रहितो ओ नगर किएक नष्ट भए गेल, आइ वीरान किएक अछि ? इएह जिज्ञासा हम्पीमे हमर रुचिक कारण छल. एहि सबहक उत्तर इतिहासमें भेटब असंभव नहि. स्थानकें हमर प्रश्नक उत्तर तं नहि भेटत. मुदा, विगत ऐतिहासिक युगक वैभवकें अपना आँखिए देखबाक आनन्द भिन्न छैक.

रेलयात्रा बंगलोरसँ हम्पी जेबाक सबसँ सुलभ बाट थिक; बस यात्रा सेहो उत्तम. मुदा, हम टैक्सीक चुनाव कयल. Make my trip.com.  टैक्सीसँ समयक सुविधानुसार नियोजन आ टूरिस्ट स्थलमे स्थानीय टैक्सीक मोल-मोलाइसँ छुट्टी भेटल. बाटमे सेहो कोनो पर्यटन-स्थल भेटि गेल तं ओतहु देखबा-सुनबाक सुविधा. Make my trip.com क दावा करैछ जे जं  हमरासँ सस्ता दर पर बजारमे आओर कतहु टैक्सी भेटत तं पाँच गुणा टाका हर्जाना देब. अस्तु, हमरा पसिन्न भए गेल. तीन राति चारि दिन.

बंगलोरसँ भोरे विदा भेलहुँ. दूरी करीब ३८० कि.मी.  हमरा लोकनिकें यात्रामें करीब ८-९ घंटा लागल. बीचमें जलखई- पनिपियाइ आ लंच-ब्रेक. बाटमे अनेक ऐतिहासिक स्थल अबैत छैक, जेना, सिरा आ चित्रदुर्गा शहर. मुदा, कतहु विराम नहि. चित्रदुर्गा देखबाक इच्छा रहितो काते-कात निकलि गेलहुँ. मुदा, ओकर चर्चा नहि हो, से नहि.

चित्रदुर्गा आ (ओनक) ओवव्वा

चित्रदुर्गा नगर एतिहसिको अछि आ ई पर्यटनक दृष्टिऐ प्रसिद्ध सेहो. वेदवती नदी घाटीमे अवस्थित एहि नगरकें लोक महाभारत कालक हिडिम्ब आ हिडिम्बासँ जोड़ैत अछि. मुदा, जनश्रुतिक अतिरिक्त एतेक पुरान आख्यानक आओर कोनो प्रमाण पाएब असंभव; हिडिम्बाक मंदिर मनालीमे सेहो देखने छी.

विजयनगर साम्राज्यक युगमे आ ओकर पछातिओ एतय बहुत दिन धरि नायक वंशक शासक लोकनि शासन करैत रहथि, जाहिमे मत्तकरी नायक – ‘करी’ नामक मत्त हाथीकें नियन्त्रण कयनिहारक- क नाम प्रसिद्ध अछि.

इलाका पथरीला छैक. अस्तु, चित्रदुर्गामे किल्लिना कोट नामक पाथरक किला सेहो छैक; एकर निर्माण १५म शताब्दीमे भेल रहैक. नायक लोकनिक शासनकाल (१७५४ -१७७९)क ओही अवधिमे एक वीरंगना- ओनक ओवव्वा-क नाम इतिहास एहि किलाक संग जुड़ल छनि. कर्नाटक राज्यमे हुनक नाम अबक्का रानी, केलाड़ी चेनम्मा आ कित्तूर चेनम्मा सन वीरंगना सबहक संग आदरसँ लेल जाइछ. तें, दू टप्पी माता, ओनक ओवव्वा,क नाम.

जनश्रुति छैक, जखन चित्रदुर्गा किलापर हैदर अलीक सेना आक्रमण कयने छल, हैदर अलीक कोनो सैनिक किलाक देवालमे शिलाखण्ड सबहक बीच एक सेंध बाटें एक महिलाकें किलाक भीतर प्रवेश करैत देखि लेलकैक. फलतः, ओ लोकनि ओही बाटें किलामे प्रवेश करब आरंभ केलक. किन्तु, ओहि बाटें जखन आक्रमणकारी सैनिक सब प्रवेश करब आरंभ केलक, ओनक ओवव्वा ओहि समयमे इनारसँ पानि भरबा ले जाइत रहथि. ओ ओकरा सबकें अबैत देखि लेलखिन. संयोगसँ हुनका हाथमे तखन धान कुटबाक समाठ- ओनक- रहनि. बस, ओ संकीर्ण सेंध बाटें किलाक भीतर पैसैत सैनिक सबकें ओही समाठसँ मारैत चल गेलीह. किछु कालमे जखन हुनक पति भोजन क कए आपस एलखिन, तं ओ ओनक ओवव्वाकें ओतय ठाढ़ि देखलखिन. ओवव्वाक चारू कात मृत सैनिक लोकनिक ढेर लागल छल आ ओनक ओवव्वाक हाथमें शोणितायल समाठ- ओनक- रहनि. पछाति, दुनू गोटे मिलि अओरो सैनिक सबकें मारि खसओलनि; ओवव्वा पति तं किलाक प्रहरीए रहथिन. किन्तु, आक्रमणकारी सब सैनिककें मारि फेकबाक संगहि ओवव्वा स्वयं सेहो प्राण त्यागि चुकल छलीह.

चित्रदुर्गा किलाक ओ ऐतिहासिक सेंध आ किलाक भीतरक इनार आइओ हुनकाक वीरताक स्मारक जकाँ सुरक्षित अछि. ओवव्वा उचिते एतुका जनमानसमे वीरंगना जकाँ पूजित छथि.

‘होम-स्टे’क पहिल अनुभव

बहुतो ठाम अनेक प्रकारें यात्रा कयने छी. एहि बेर विचार भेल ‘होम-स्टे’ कें अनुभव करी. booking.com पर नीक ताकि, ९/१० रेटिंग वला होम-स्टे ताकल. कार तं ओतय पहुँचि गेल छल. यद्यपि, रास्ता संकीर्ण, कच्चा सन आ कचरा आ अनेरुआ कुकूर सबसँ भरल रहैक. डेरामे जयबाले सीढ़ी चढ़य पड़ैत. डेरामें भोजनक कोनो व्यवस्था नहि. भीतर आवास तं ठीके रहैक. मुदा, हमरा लोकनिकें थकमकाइत देखि युवक गृह-पति कहलनि, ‘ हमर घर अहाँ लोकनिक हेतु उपयुक्त नहि.’ अस्तु, हमरा लोकनि जे डेराकें अस्वीकार करितियैक से गृह-पति अपनहि केलनि आ हमरा लोकनिक समस्याक समाधान भए गेल. मुदा, एहि बेर ई अनुभव भेल जे जे website पर जतेक फ़िल्टर रहैत छैक, जेना, स्थानसँ दूरी, वातानुकूलित आवास, रूम सर्विस, वाई फाई, फ्री पार्किंग, फिटनेस सेंटर, जलपान, फ्री कैंसलेशन, आ हाई स्टार रेटिंग, इत्यादि, रहितो, भए सकैत अछि होटल/ होम-स्टे अहाँक हेतु उपयुक्त नहि हो. ई अनुभव सितम्बर २०२२ मे बनारसमे सेहो भेल छल. मुदा, टाकाक कोनो नोकसान नहि भेल.

फलतः हमरा लोकनि पुनः booking.com पर होटल क्लार्कमे कमरा बुक कयल आ ओतहि डेरा देल. कमलपुर संग्रहालयक ठीक सामने ई होटल, एहि इलाकाक सबसँ साफ़ सुथरा आ हम्पी भग्नावशेषक सबसँ लग अछि. एतेक लग जे टहलि कए घूमि आबि सकैत छी. संयोगसँ होटलमे कमरा खाली रहैक. सर्विस सेहो उत्तम.

हम्पी

हम्पीकें पम्पा-क्षेत्र, किष्किन्धा-क्षेत्र आ भास्कर-क्षेत्र सेहो कहल जाइछ. पम्पा ‘पार्वती’ पर्याय थिक. धारणा छैक जे जखन कामदेवक वाणसँ जगओलाक पछातिओ शिव पार्वतीकें सोझे स्वीकार नहि केलखिन, तं, पार्वती योगिनीक रूप धए पम्पा क्षेत्रक हेमकूट पर्वत लग आबि तपस्या करए लगलीह जाहिसँ  ओ शिवकें गृहस्थक जीवन स्वीकार करबाक हेतु  प्रेरित कए सकथिन. समीपक धार तहिया नदी पम्पा नदी कहबैत रहैक. आब पम्पा नामक नदी ओतय नहि भेटत. पम्पा अंततः पहिने हम्पा भेल, आ पछाति हम्पी भए गेल, जे एहि इलाकाक वर्तमान नाम थिकैक.

होटलमे डेरा देलाक बाद कनेक काल आराम भेलैक. साँझुक पहर हम पयरे सड़क पर निकलि गेलहुँ. हमरा जनैत जं कोनो पर्यटन स्थल लग छी, आ इलाका बड्ड पसरल नहि छैक, तं स्थानक नाड़ी  परीक्षाक हेतु सबसँ नीक पयरे आरामसँ चलब. पयरे गेलासँ स्थानकें नीक जकाँ देखल जा सकैछ. मुदा, आइ-काल्हि पयरे चलब बड़का खतरा मोल लेब थिक. अजस्र गाड़ी आ ड्राइविंग अनुशासनक अभाव. तखन कतय, के ठोकर मारि देत, कहब कठिन. बड़का शहर हो वा गाँओ सन पर्यटन स्थल, आइ-काल्हि पैदल चलबाक स्थान कतहु नहि भेटत. आधा सड़क पर पार्किंग. फुट-पाथ, जं होइक, तं खाधि-इंटा-पाथर आ ऊपरसँ कपड़ा-लत्ता, लटकेना  आ भोजन-जलपानक दोकान. पैदल चलनिहार अपन पयर माथ पर राखथु आ चलथु ! तें, पैदल यात्रीकें अत्यंत सावधानी चाही.

हम्पी एखनो गाँओ जकाँ अछि. मुदा, दू पहिया आ चारि पहिया वाहनक ट्रैफिक छलैक. रोड समतल, मुदा, विश्व विरासत स्थल दिस ऊपर नीचा आ घुमावदार.

होटलक लगहि बस स्टैंड. ओतहि भारतीय पुरातत्व विभागक कार्यालय. कार्यालयक परिसरकें ओगरैत तुंदिल गणेश जी. थोड़बे दूर आगू पाथरक देबालक अवशेष आ ओकर बीच हम्पी विश्व विरासत स्थलीक प्रवेश द्वार. कहियो एहि द्वार पर सैनिक रहैत छल हएत. जनसाधारण द्वारकें भयसँ देखैत दूरहिसँ प्रणाम करैत छल हएत. मुदा, आब से नहि. बिना टिकटकें राजाक डीह पर जाउ आ हुनकर चूल्हि-चिनबारक अवशेषकें धांगि आउ. कारण: सिकंदर भी आए, कलंदर भी आए. न कोई रहा है न कोई रहेगा !

तं चली आब राजाक परिसर( royal enclosure )मे प्रवेश करी.

राजाक परिसर( Royal enclosure )

ऐतिहासिक परिसरक ई भाग लोहाक गजाड़ा आ द्वारसँ घेड़ल अछि. प्रवेश निःशुल्क छैक. यद्यपि, द्वारपाल ओतय ठाढ़ रहथि, जाहिसँ लागल जे प्रतिबंधित क्षेत्रमें प्रवेश कए रहल छी. हं, ई परिसर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित अछि. एखन धरि कोनो राजा वा सुल्तानक केओ वंशज एहि पर अधिकारक दावा नहि केने छथि.

सबसँ पहिने भीतर जाइत चौड़ा कच्ची सड़कक दाहिना भाग बेस पैघ स्नानागार- हमाम- छैक. देखलेसँ ई भवन इस्लामी वास्तुक नमूना लगैछ. बाहर अनेको खुला जंगला. भवनक  भीतर पानिक कुण्डक चारूकात बरामदा. बीचमे कमसँ कम आठ-दस फुट गहिंड़, वर्गाकार, सुखायल, सीमेंटसँ पाटल कुण्ड. लगमें कोनो आओर भवन नहि. तखन ई हमाम एतय फूट किएक, कहब असंभव. भए सकैत अछि, आवासीय परिसर ढहि ढनमना गेल होइक.

गेटसँ सोझे भीतर सोझे उत्तर मुँहे आगू बढ़ला पर  बामा कात राजकीय परिसर आरंभ होइत छैक; ऊँच-ऊँच पाथरक देबाल. मुदा, देबालक भीतर भवनक कोनो अवशेष नहि. लम्बा देबालक काते-कात कच्चा सड़क छैक. ओहि देबालक भीतर सबसँ पहिने खूब ऊँच- कमसँ  कम दू महल ऊँच- चौकोर चबूतरा- महानवमी तल (Mahanavami platform). पश्चिम दिससँ  चढ़बाक पक्का सीढ़ी. ऊपर चढ़लहुँ. लगैत अछि, ई चबूतरा असलमें मुख्य राजभवनक भग्नावशेष थिकैक, आब केवल ओकर आधार शिला मात्र बचल छैक. एहि चबूतरा पर ठाढ़ भेने सम्पूर्ण परिसरक ३६०°  व्यू देखल जा सकैछ. पैघ चबूतरा सन एहि आधारशिला पर पश्चिम मुँहे ठाढ़ भेला पर परिसरक अनेक भग्नावशेष देखल जा सकैछ.  दहिना दिस सड़क केर ओहि पार इस्लामिक भवन सब आ मीनारक दोसर परिसर. पछाति ओम्हर जायब.

महानवमी टिब्बा दहिना भागक विशाल, ऊँच चबूतरा 

बामा कात  दू टा जलाशय छैक, जाहिमे एकटा अष्टकोणीय जलाशयमे राजस्थानक बावड़ी जकाँ चारूकात सीढ़ी छैक. बावड़ीमें पानि अनबाक हेतु, भूमिसँ कमसँ चारि-पाँच फुट ऊँच, पाथरक बनल लम्बा नाला. रोमकेर एक्वाडक्टक बच्चा. रोम एक्वाडक्ट विशाल आ अनेको माइल लंबा छैक. ई सौ-दू सौ मीटर धरि हेतैक. ऊँचाई कम. मुदा, उद्देश्य एके. नगर वा किलाक भीतर पानि अनबाक व्यवस्था.

जलाशय आ पृष्टभूमिमे पानिक अनबाक लंबा नाला 

किछु आगू एकटा भूमिगत कमरा. बाट संकीर्ण. छत टूटल. एहिसँ  आगू एकटा आओर पैघ भवनक भूमि तल- पैघ चबूतरा.

आगू बढ़ैत सड़क दहिना दिस घूमैछ. कनिए दूर आगू बामा कात हज़ार राम मंदिर छैक.

हज़ार राम मंदिर

हज़ार राम मंदिर रामक मंदिर भेल. मंदिरक भीतरक मूर्ति तं गायब छैक. किन्तु, बाहरी देबाल परक असंख्य भित्ति कलाकृति, जाहिमे विष्णु आ भगवती छवि छनि, से दर्शकक हेतु प्रमुख आकर्षण थिक.  मंदिरक बाहरी देबाल पर अनेक समानांतर पट्ट पर रामायणक आख्यान आ लव-कुश कथाक कन्नड़ भाषामे वर्णनात्मक अंकनक आ अजस्र कलाकृतिक कारण एहि मंदिरकें हज़ार राम मंदिर कहल जाइछ. एकर बहरी डबल पर देवी-देवताक  हाथी, घोड़ा, सैनिक, नागरिक, नर्तक-नर्तकी, गायक-वादकक पतिआनी सेहो देखबैक. ई कलाकृति सब एहि मंदिरक विशेषता थिकैक.

हज़ार राम मंदिर बाहरी देबाल पर कलाकृति 

मंदिरक बाहरक प्रवेश मंडपक चारि स्तंभ पर विभिन्न देवता लोकनिक चित्र उकेरल छनि. मंदिरक भीतरक एक देवाल पर एक जैन तीर्थंकरक छवि सेहो छनि. हज़ार राम मंदिरक बामा भाग आ परिसरक पाछू देवालसँ कनेक हंटि कए, पाथरक भरि डांड ऊँच देवाल जकाँ सीमाबद्ध अनेक परिसर. लगैत छैक, भिन्न-भिन्न युगमे एतय राजपरिवारक आओर अनेक व्यक्ति वा पीढ़ीक आवास छल होइक. एहि परिसरमें कतहु टूरिस्ट गाइड नहि, ककरा पुछितिऐक ! 

एहि मंदिरक सामने एकटा मैदान सन इलाका छैक. एक दू टा छोट भग्न भवन आ ओकर आगू पाथरक एक बेस पैघ स्तंभ छैक. मैदानक आरंभहिमे शिलापट्ट पर पान-सुपारी बाज़ार लिखल छैक. हज़ार राम मंदिरसँ आगू बामा भाग पुरातत्व विभागक परिसरमे संग्रहालय आ कार्यालय छैक. परिसरहुमे फूटल-भांगल मूर्तिक ढेर.  किछु आगू बढ़ि कए दहिना दिस, किला सन परिसरक प्रवेश ले टिकट लगैत छैक. एहि परिसरमे  खज़ानाक भवन, सिपाही सबहकक आवासक ऊँच आ लंबा बैरक, रानीक महल तथा हथिसार छैक. बैरककेर बरामदा पर सेहो अनेक भग्न मूर्ति.

रानीक महल ,कमल महल, हथिसार, आ सैनिक बैरक 

दहिना दिस कमल महल, आ छोट सुखायल जलाशय छैक. एहि जलाशयमे भए सकैत अछि, पहिने कमल प्रभृत्तिक फूल लगाओल होइक. एहि परिसरक पूब दिसुका द्वारिक आगाँ जंगलाह परिसरमे जैन मुनिक मंदिर देखल. ओतय सुरक्षाकर्मी तं रहैक, किन्तु, कोनो मंदिरमे मूर्ति नहि. मंदिरक सामनेक भाग पर लिंटलसँ ऊपर जैन तीर्थंकरक छोट-छोट आकृतिसँ मंदिरक मूल प्रकृतिक अनुमान भेल. आपस भेला पर किलाक ऊँच देबालक बाहर आओर मंदिर सबहक परिसर रहैक. किछु हवा-बसात, पानिक कारण जर्जर आ किछु अपवित्र  भेलाक कारणें परित्यक्त.

कमल महल 

सोचबाक थिक, ईश्वरक छवि कल्पनाक विषय थिक. अपन आस्थाक अनुकूल जाहि समयमे जकर कल्पनामे ईश्वरक जे स्वरुप आएल, बना गेल. मुदा, जनिक ईश्वर निराकार छथिन, हुनका परिसरक कोन काज? भवन किएक चाहियनि? अनकर प्रतीककें तोड़बाक कोन काज ? प्रायः ई अपन अहंकारक प्रदर्शन थिक, जे देखियनु देवी-देवताक हाथ-पयर तोड़ि देलियनि आ ओ असक्त छथि. मुदा, मूर्ति आ ईश्वरक परिसरक भग्न हएब किछु प्रमाणित नहि करैछ, ने ईश्वर अस्तित्वक वा अस्तित्वक अभावक. ई मनुष्यक मूर्खताक प्रमाण थिक. कारण जं ईश्वर छथि, तं सर्वव्यापी छथि. नहि छथि, तं तखन हुनकासँ द्वन्द कोन?

एही प्रश्नक उत्तर हम बनारसमें पैसठ वर्षीय एक टैक्सी  ड्राइवरक मुँहे सुनल. ओ कहलनि, ‘ सर, मंदिर-मस्जिद, विश्वनाथ-ज्ञानवापीक सत्य ककरोसँ छिपल नहि छैक. हमहू बुझैत छियैक, अहूँ बुझैत छियैक. मुदा, जं एक ठाम बैसि सब गोटे सुलह कए लेतैक तखन राजनीतिक की हेतैक !

ई सदातनिसँ होइत एलैए. तें एहि पर माथ नहि खपाबी. पर्यटक थिकहुँ. भग्नावशेष देखू, आगू बढ़ू.

कडलेकलु गणेश विरूपाक्ष मंदिर आ तुंगभद्रा नदी

राजकीय परिसरसँ बहराकए पुनः सड़क पर अयलहुँ. एक आध किलोमीटरक आगाँ सड़क घुमावदार आ ऊपर-नीचा होबए लगलैक. सड़कक कातमे पैघ-पैघ शिलाखंड. बामा कात मंदिर परिसर. आगूमे पाथरक बनल बड़का मंडप. भीतर अंगनैक आगू पूब मुँहे गणेश जीक मंदिर. हिनक नाम थिकनि, कडलेकलु गणेश. कारण, हिनक पेट साधारण चनाक दाना सन छनि. कन्नड़मे काबुली चनाक दानाकें कडलेकलु कहैत छैक.

आक्रामक सब गणेशजीकें धूरा बनेबामे सफल तं नहि भेल, मुदा, हुनक सूंढ़कें क्षतिग्रस्त देने छनि. संयोग एहन जे ओहि बाहुबली लोकनिक तं एतय आइ  नामोनिशान नहि छनि, मुदा, एतय जे अबैत अछि, ओकरा सबहक समक्ष बीतल दिनक कुकृत्य मूर्तिमान भेल चिरस्थायी भेल अछि ! जेना कहैत छैक, कीर्तिः यस्य सः जीवति. तहिना किछु कुकृत्य सेहो चिरस्थायी भए जाइछ, आ एहन शासक वा सैनिकक कुकृत्य स्वयं शिलालेख बनि जाइछ!

गणेशजीक मंदिर लगसँ पर्यटक लोकनि मेला बढ़य लगलैक.  स्थानीय पुलिस गाड़ीकें आगू जेबासँ मना करैछ. मुदा, हमरा सेनाक अधिकारी बूझि आगू जेबाक अनुमति देलक. धन्यवाद. ओहिसँ करीब आध माइलक पैदल यात्रासँ बचलहुँ. शरीर जं स्वस्थ नहि हो, तं प्रत्येक डेग भारी पड़ैत छैक.

 विरूपाक्ष मंदिरक समीप तुंगभद्रा नदीक घाट 

आगू तुंगभद्रा नदीक कछेर छैक. मुदा, भूमि पैघ-पैघ शिलाखण्डसँ  भरल. भूमि समतल नहि तें नदी देखबामे नहि आयल. सड़क बामा दिस मोड़ लैछ आ नदीक समानांतर भए विरूपाक्ष मंदिर दिस जाइछ. मंदिरक द्वारि धरिक चौड़ा बाटक दुनू कात पाथरक बनल मंडप सबहक लंबा पतियानी. अवश्य ई दोकान दौड़ीक परिसर छल हेतैक. कारण, विजयनगर अपन उत्कर्षक युगमे राष्ट्रीय आ अंतर्राष्ट्रीय व्यापारक प्रसिद्ध केन्द्र छल

विरूपाक्ष मंदिरक बाट आ समीपक ऐतिहासिक बाज़ार 

विरूपाक्ष शिव थिकाह. देखबामे विद्रूप. शिव ओहुना image concious नहि छथि. हुनका आवेशसँ  देवता लोकनिक हिप्पी कहि सकैत छियनि. मुदा, एहि मंदिरक शिवक की विद्रूपता छनि से एखन देखब बाँकी अछि. मंदिरक गोपुरम खूब ऊँच. भव्य. परिसर पैघ. बानरक आधिक्य. मंदिर परिसरक दहिना कात पाथरक बीच पैघ पोखरि. नीचा करीब सौ सीढ़ी उतरि तुंगभद्रा नदी. एखनि एतय बाढ़ि नहि. लोक यत्र-तत्र नहाइत छल. नदीक बीचमे विशाल शिलाखण्ड  सब पर अनेक शिवलिंग आ नांदी. एहि ठामसँ दक्षिण तुंगभद्रा पर बड़का डैम छैक, अस्तु, पानिक बहाव नियंत्रित छैक. जाहि ठाम नदीमे पानि बहाव बाधित होइछ, ओतय पानिक प्रदूषित हएब निश्चित. तथापि, नदीमे पयर धोअल. जलक स्पर्श कएल. ई हमरा लोकनिक सांस्कृतिक बानि थिक. ऊपर आबि विरूपाक्ष मंदिर देखल. मंदिरक भीतर एकटा रोचक वस्तु देखल; एक व्यक्ति कहलनि जे भीतर कमरामे जाउ, गोपुरमक छवि देखबैक. सत्ये, Pin-hole कैमराक असरिसँ पुबरिया गोपुरमक उलटा छवि देखल.   परिसरक भीतर आ तुंगभद्रा नदी दिस जाइत बाट पर मे अओरो अनेक देवी देवताक माध्यम आकारक मूर्ति सब छनि.

विरूपाक्ष मंदिर परिसर 

तुंगभद्रा नदीक दोसर पार, अनेगुड़ी नामक गाँओ धरि जयबाक हेतु एतयसँ किछु दूर, कमलपुर होइत एकटा पैघ पुल- बुक्कासागर अनेगुड़ी पुल- छैक. पुलकेर दोसर पार, सड़कक काते-कात चाकर समतल भूमि, धानक हरियर कचोर खेती, ताहिसँ हंटि कए  आगू छोट पहाड़ी आ नारिकेरक गाछ  सब. पिक्चर पोस्टकार्ड जकाँ. सड़कक बामा कात बाटें अंजनेय पहाड़ पर चढ़बाक बाट. जनआस्थाक अनुसार प्रायः ओएह पहाड़ हनुमानजीक जनस्थान थिकनि.

लगैत अछि, पहाड़ पर चढ़बा आ उतरबा लेल  दिन भरिक कार्यक्रम चाही. अस्तु, हमरा लोकनि अंजनिपुत्रकें दूरहिसँ प्रणाम कयल. एहिसँ आगू अनेगुड़ी गाम छैक. आबादी थोड़. सेहो सड़कक काते-कात. बाँकी हरियर कचोर धनखेती, आ नारिकेरक गाछ सब . बीच-बीचमें बाँस आ काठसँ बनल घर सब. मुदा, कतहु वाणिज्य-व्यापार आ पर्यटकक चाल नहि. सुनल छल, एम्हरुका इलाकाकें हिप्पी द्वीप कहैत रहैक. पहिने हिप्पी द्वीप माने, आनन्दहि, आनन्द. मुदा, आब लगैत अछि, स्थानीय लोकक दवाब पर एम्हर पर्यटकक आवास आ मनोरंजनक व्यवस्था पर रोक छैक.  ओना हम्पीक इलाका आ विरूपाक्ष मंदिर दिससँ लोक पहिने विशाल पथियाक आकारक बाँससँ नाओ (coracle) पर नदी पार कए एम्हर अबैत छल. मुदा, एखन से नहि देखलिऐक. नदीमे पानि एकदम कम. नदीक पेटमे पैघ-पैघ शिलाखण्ड. बीच-बीचमे घास आ झाड़-झंखाड़क जंगल जकाँ. डैम नदीकें  नाला बना दैछ. भए सकैत अछि, कतहु कतहु बाँससँ नाओ चलितो होइक. मुदा, ओहि पर चढ़ब हमरालोकनिक प्रोग्राममे नहि अछि. अस्तु, टैक्सीसँ अनेगुड़ी गाँओ गेलहुँ. इलाका देखि लेल. दूरहिंसँ  अंजनेय पहाड़क फोटो घिचल आ आपस भए गेलहुँ.

उग्र नरसिम्हा

उग्र नरसिम्हा मूर्तिक परिसर एतुका तेसर आकर्षण थिक. उग्र नरसिम्हाक बाटमे, रास्ताक दुनू कात कुसियार आ केराक खेती. पाथरसँ भरल एहन भूमि आ ताहिमे कुसियार आ केराक खेती. भूगर्भक आन्दोलनक कमाल; बड़का-बड़का पाथरक बीच माटियो छैक. ओना जे आइ माटि अछि, हज़ारों वर्ष पहिने पाथर छल हो. वा आइ जे गाछ आ माटि अछि, हज़ारों साल बाद पाथरमे परिवर्तित भए जाय. केवल तापमान, दवाब, वायु आ पानिक योग वा अभाव पृथ्वीक स्थानीय स्वरुप निर्धारित करैछ. पृथ्वीक ओही स्वरुप, गुण आ उत्पादकें देखि मनुख कतहु बसैत गेल, कतहुसँ उजड़ि गेल. फल आँखिक आगूए अछि: गौरवमय विजयनगर साम्राज्यक राजधानी आइ मात्र भग्नावशेष अछि. आस-पासक इलाका छोट-सन शहर अछि. मुदा, तुंगभद्रा ओहिना बहैत छथि. हुनके बले दूर-दूर धरि जीवन पलि रहल अछि. जले ले मारि भए रहल अछि.

उग्र नरसिम्हा 

नरसिम्हा मंदिर धरि जेबा ले, मंदिरक आगू करीब २०० मीटर लम्बा सोझ मार्ग छैक. भए सकैत अछि पहिने एहि बाट पर आश्रय जकाँ छल  होइक. नरसिम्हाक मूर्ति सेहो परवर्ती विजेताक रोषक शिकार भेल अछि. हाथ पयर टूटल. मूर्ति पर लागल करिखा आगि लगबाक प्रमाण थिक. मूर्तिक टूटल अंग सबकें जोड़ि मरम्मतिक हेतु हाथ-पयरक बीच पाथरक बन्हन लगाओल छैक. मुदा, मूर्ति एतेक पैघ आ पाथर एतेक बज्र सन छैक जे आक्रामक मूर्तिकें तोड़बाक प्रयास तं केलक, मुदा, हारि मानि लेलक; मूर्ति यथावत् देखबैक.

श्री विजय विट्ठल (विष्णु) मंदिर आ गरुड़ मंडप

श्री विजय विट्ठल (विष्णु) मंदिर एतुका पैघ मंदिर सब म सँ  एक थिक. एकर निर्माण पन्द्रहम शताब्दीक थिक. पछाति, कृष्णदेवरायाक अमलमे एहि मंदिरक विस्तार भेल छल. एहि मंदिरक वर्तमान स्वरुप ओही समयक थिक.

हमरा लोकनिक संगे आयल टैक्सीकें विट्ठल मंदिरसँ करीब १ मील दूर सवारी पार्किंगमे छोड़ए पड़ल. ओहिसँ आगू बैटरी पर चलैत गोल्फ-कार्ट पर चढ़ू आ आगू जाउ. नीक व्यवस्था. पतिआनीसँ चढ़ू, ओहिना उतरू. एके टिकट पर जयबाक आ अयबाक. मदिरक दर्शनक पछाति गोल्फ-कार्ट स्टैंड पर गाड़ी भेटत, कार-पार्किंग धरि आपस आउ.

मंदिरसँ पहिने करीब एक किलोमीटर लंबा दो बगली बाज़ार, सुनैत छी, पहिने ई विट्ठल बाज़ार कहबैत छल . पाथरसँ बनल. सुनैत छी पहिलुका युगमें विजय नगरमें दूर-दूर प्रदेश, आ समुद्र पारसँ व्यापारी सब विजयनगर अबैत छल जाहिमे पुर्तगाल आ अरब धरिक व्यापारी आबथि. वस्तु जातक व्यापारक अतिरिक्त एतय अरबी घोड़ा सेहो अबैत छल. संभव अछि, एहि मंदिर बाज़ारक अनेको आश्रय घोड़सार छल हो. भीतर मंदिरक देबाल पर घोड़ा बेचैत विदेशी व्यापारी लोकनि चित्र सेहो उकेरल अछि.

श्री विजय विट्ठलमंदिरक एक फलक 

ई मंदिर सुंदर तं अछिए, प्रसिद्ध सेहो अछि. मंदिरक अतिरिक्त एहि परिसरमे अनेक मंडप- महामंडप (सभा मंडप), रंग मंडप, कल्याण मंडप, उत्सव मंडप- आ पाथरक एकटा पैघ रथ अछि.   मुदा, विट्ठल मंदिर परिसरक रथ एतुका सबसँ बेसी प्रसिद्ध स्थापत्य थिक. पूर्वी  गोपुरम बाटें मदिर परिसरमें प्रवेश करिते सबसँ पहिने पाथरक विशाल रथे आकृष्ट करत. पाथरक ई विशाल रथ हम्पीक प्रतीक जकाँ विश्वभरिमे प्रसिद्ध अछि. वस्तुतः ई रथ- गरुड़ मंडप-  सेहो एकटा छोट मन्दिर थिक जाहिमे गरुड़ स्थापित छथि. रथक पहिया सब सेहो पाथरहिसँ निर्मित अछि. समयक संग होइत नोकसानक कारण रथमे प्रवेश वर्जित छैक. भारतमे कोणार्कक सूर्य मंदिर आ महाबलिपुरम मे सेहो पाथरक रथक स्थापत्य छैक, से देखल अछि.


गरुड़ मंडप, गोपुरम, आ रंगमंडप  

मुदा, श्री विजय विट्ठलक मंदिर मूर्तिक बिना उदास अछि. कारण, कें दोहरएबाक कोन प्रयोजन. एहि ठाम एक टा गाइडकें संग केने रही. हज़ार टाका लेलनि. ज्ञान किछु नहि भेल. किन्तु, कहलनि जे एतुका विट्ठलक मूर्ति आइ-काल्हि महाराष्ट्रक पंढरपुर मंदिर मे छनि. एहि तथ्यक जांच-पड़ताल करए पड़त.

श्री विजय विट्ठल मंदिर आ आगाँक हॉल जर्जर छैक. सुनैत छी एतुका सभा मंडपक स्तंभ पर प्रहार केने सा-रे-गा-माक ध्वनि बहराइत छैक. मुदा, एखन ओहिमे पुनर्निर्माण चलि रहल छैक. स्तंभ पर प्रहार सेहो वर्जित छैक.

 मंदिरक सोझाँ ठाढ़ भेला पर बामा कात एकटा पैघ मंडप छैक. मंडपक स्तंभ सब पर अनेक हाथी आ एतुका प्रसिद्ध यालीक मूर्ति देखबैक. याली ओ काल्पनिक जन्तु थिक जकर मुँह सिंह जकाँ आ शरीर घोड़ा जकाँ होइछ.

एहि परिसरमें गुलेंच (Plumeria) फूलक एक पैघ गाछ  देखल. लगैत अछि, ई बूढ़ा बड्ड पुरान छथि. मुदा, कतेक पुरान से वनस्पति वैज्ञानिके कहि सकैत छथि.

एहि ठाम हम्पीक मंदिर सब पुरान छैक. मुदा, विरूपाक्ष मंदिरक अतिरिक्त आन ठाम पूजा पाठ नहि होइछ. तें एतय पंडा पुरोहितक मेला नहि. खरीद बिक्रीक सामान नहि. ओ सब वस्तु प्रायः शहरमे क्युरियो आ एम्पोरियम मे भेटैत होइक. हमरा लोकनि यद्यपि पुरातात्विक अवशेषक लग डेरा देने रही, तथापि, शहरक बाहर छी. एम्हर क्युरियो आ एम्पोरियम सेहो कतहु नहि देखलिऐक.

हम्पी पुरातत्व संग्रहालय

क्लार्क होटलमे रहने सुविधा जे एतुका संग्रहालय होटलक ठीक सामने छैक. हम ओतहु गेलहुँ. संग्रहालय मोटा-मोटी परिचयात्मक थिक. प्रवेश करिते पहिने कृष्णदेव राया(राजा)क परिवारक आदमकद मूर्ति सब. बामा कात पुरातात्विक अवशेषक वीथी. आगू अस्त्र-शस्त्र, आभूषण, मुद्रा इत्यादिक संकलन. एहि भवनक बीचक छोट अंगनै सन मंडपमे हम्पी क्षेत्रक भौगोलिक मॉडल, जकरा सेनामें सैंड-मॉडल कहैत छैक. एहि मॉडलसँ हम्पी क्षेत्रक भूगोल-नदी-पर्वत- आ मुख्य-मुख्य अवशेष स्थलक- परिचय भए जाइछ. तें, नीक ई जे होटलमे डेरा दितहि पहिने एहि संग्रहालयक एहि भौगोलिक मॉडलकें देखी आ तखन समय आ रुचिक अनुकूल भ्रमण करबाक योजना बनाबी.

उपसंहार

कोनो पर्यटन स्थलक भ्रमणक करब आ ओकरा कतेक देखि आ बूझि सकैत छी, से रुचि, समय, पौरुष आ विषयक ज्ञान पर निर्भर करैछ. हमरा इतिहासमे रुचि अछि. मुदा, इतिहासक ज्ञान सीमित अछि. समय सीमित छल. शरीरें स्वस्थ छी. स्थापत्य, कला, संगीत, चित्रकला आ वास्तु विज्ञानक ज्ञान नगण्य अछि. अस्तु, विजयनगर सन वैभवशाली स्थलकें सीमित समयमे पर्यटक जकाँ संक्षेपमे देखल. मुदा, हमर देखल स्थान सबहक वर्णन एतुका ऐतिहासिक स्थलक चतुर्थांशोक विवरण नहि. ई प्रमुख स्थल सबहक संक्षिप्त विवरण थिक. तें, नीक तं ई जे कतहु जेबासँ पहिने स्वयं ओहि स्थानक विषयमे पढ़ी-गुनी. थोड़ बहुत अध्ययन तं हमरोलोकनि करिते छी. मुदा, से पर्याप्त नहि. विजयनगरक वर्णन ऐतिहासिक पर्यटक इब्न बतूता, आ १६म शताब्दीक पुर्तगाली व्यापारी-पर्यटक डोमिन्गो पेस (Domingo Paes) एवं फ़र्नाओ नुनिज़ ( Fernao Nuniz) क वृत्तांतमे तं अछिए, विजयनगरक विषयमे एखनो लेखक लोकनिक रुचि थोड़ नहि भेलनि-ए. सलमान रुश्दीक नवीनतम उपन्यास Victory City (विजयनगर) विजयनगर पर नवीनतम उपन्यास थिक. अस्तु, समय भेटने हम्पीकें अपना आँखिए देखी आ अनुभव करी आनन्द उठाबी. किन्तु, देखी अवश्य.    

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