Monday, September 29, 2025

कोई भाषा अछूत नही है मेरे लिए!

 कोई भाषा अछूत नहीं है!

कोई भाषा अछूत नहीं है मेरे लिए।

संस्कृत पितामह हैं, मैथिली माँ है,

भोजपुरी, बांग्ला, नेपाली , उड़िया 

तथा संथाली, मुंडारी, कोल मौसी ।

तमिल दक्षिणी भारत में मेरी माँ-जैसी हैं, 

और कन्नड़ अपनायी हुई राजभाषा।

अरबी, फारसी, तुर्की आई बाढ़ या भूकंप की तरह

हमारे देश,

पर सबको हिन्दी ने पानी में चीनी की तरह घोल लिया! 

हिन्दी और हिन्दुस्तानी में ।

कुछ अपने शब्द बिना वीसा के चल गये पश्चिम 

पछबैया के साथ,

और कुछ आ गये यहाँ भी पश्चिम से

समुद्र के तरंग के साथ लुटेरे, व्यापारियों

और पर्यटक के साथ। 

पर, कोई भाषा अछूत नहीं है मेरे लिए।

जिसकी भाषा की एक भी झलक देखी है,

उसकी हल्की मुस्कराहट भी पहचान लेता हूँ;

बहरहाल, सहायता के लिए,

पाणिनी, काडवेल, बीम्स, व

ग्रियर्सन साहब की सलाह लेता हूँ!

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अहाँक सम्मति चाही.Your valuable comments are welcome.

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