Monday, September 29, 2025

आरण्यक

 

हरे-भरे अरण्य में अगर कभी निवास हो

हरीतिमा की सेज और आवरण आकाश हो

प्रवाहिनी की लोरियां, कोकिला का गान हो,

भूमि ही तो स्वर्ग है, प्रकृति माँ समान हो!

                                     

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