सोशल मिडियाक क्रान्तिक युगमे नीक आ बेजाय घटनाक खबरि, बरखाक शीतल फुहार आ दारुण ठनकाक प्रहार-सन अचानक आ सोझे अबैत रहैत छैक। काल्हि, छठिक भोरुका अर्घ्यक दिन भोरे श्रीपति सिंहक अचानक निधन एहने अचानक आघात छल; हुनक अपने फेसबुक पेज पर, भूमि पर निष्प्राण पड़ल (डाक्टर श्रीपति बाबूक) छवि विचलित कए देलक।
श्रीपति बाबूसँ पहिल परिचय फोन पर भेल छल। हम पांडिचेरीमे रही। ओ अपन पत्नीक आँखि संबंधी कोनो समस्याक हेतु फोन केने रहथि। तकर बाद कतेको बेर गप भेल छल। ओ मैथिलीक प्रति समर्पित केहन रहथि, आब से सर्वविदित अछि,आ इतिहासक गप थिक। मुदा, हुनकासँ हमरा पहिल बेर भेट 23 फरबरी 25 क दिन भेल छल, जखन ओ हमरा ओतय अवाम आयल रहथि। बड्ड नीक लागल छल। वयोवृद्ध, किन्तु, ऊर्जावान। हँसमुख आ सहृदय।
ओकर बाद ओही यात्रामे हमहू हुनका ओतय पचही गेलहुँ। अत्यन्त आदर सत्कार। ओ हमर अयबाक अवसर पर स्थानीय साहित्यकारलोकनिकेँ सेहो बजओने रहथिन। वरिष्ठ वैज्ञानिक जी सेहो रहथि।
ओ अपनहुँ किछु कविता सुनओलनि। 'चामुण्डा माहात्म्य' देलनि। हम मैथिली लोकोक्ति कोष, एवं अनेक आओर पोथी सेहो किनलहुँ।
अयबासँ पूर्व हुनक पत्नीसँ सेहो भेट भेल।
किछुए दिन पूर्व भेट भेल छल। हुनक सहृदयतासँ प्रभावित भेल रही, हुनक मैथिली प्रेमसँ परिचित छी, तेँ, हुनक अचानक निधन मर्माहत कए देलक।
जाउ, श्रीपति बाबू। अहाँ अपन गंतव्य पर पहुँचि गेलहुँ। अहाँ अवश्य प्रसन्न-मुख हयब,
जेना हम अहाँकेँ दू भेटमे देखल। मुदा, मिथिला आ मैथिली अहाँकेँ नहि बिसरत। तृप्यन्तु, तृप्ताः यान्तु। नमन।

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अहाँक सम्मति चाही.Your valuable comments are welcome.