हमरा गाम किएक मन पडैत अछि
एखनुक युग में बहुतो लोक में एकटा व्याधि देखि रहल छी: जे गाम में छथि, से गामक परिस्थिति सं क्षुब्ध छथि , आ जे गाम सं बाहर छथि से गाम कें मन पाड़इत nostalgia में डूबल छथि. गौरी नाथक फेस बुक पोस्ट सेहो एकर चर्च केलक अछि. अस्तु, एहि रोगक चिकित्साले एतय हम तीन टा विचार विन्दु पर विचार करय चाहैत छी :
1. हमरा गाम कोना मन पडैत अछि
2. गामसं हम किएक बहरयलहु
3. गामक वर्तमान परिस्थिति केहन अछि ? आ वर्तमान परिस्थिति कोना सुधरि सकैत अछि
1. हमरा गाम कोना मन पडैत अछि
हमर स्मृतिक गाम ने लड्डू थिक आ ने करैला. हमर स्मृतिक गाम तीत मधुर दुनू अछि. जं सुदूर नेनपन में जाइ तं गामक सबसं अधिक दुखद स्मृति अछि आधा गामक भूखले सूतब. नांगट आ रोगाह नेनासब, आ सब कथूक किल्लत. किन्तु, सामाजिक सौहार्द्र आ सब केर ह्रदयमें एक दोसराक दुःख-सुख आफत-आसमानीमें सहन्नुभूति ओही समाजक संजीवनी रहैक. एकर एक-दू टा उदहारण देब: मुहर्रममें हिन्दू बच्चा सब सेहो जंगी बनैत छल आ जखन टोल पर बाटें ताजियाक जुलूस जाइत छलैक, तं टोल परहक माउगि-मेहरि सब ताजियाक पयर धोइत छलि. हालमें गामक ई सौहार्द्र कनेक कमजोर भेलैये. गामक जे मुसलमान नागरिक हमरा लोकनिक खेतक बटेदार रहथि से हमरा लोकनिक माता पिताकें काका वा काकी-जकां सम्बोधित करैत रहथिन. एकटा अओर उदहारण: हमरा गामक अब्दुल रहीम तुर्क मुसलमान छलाह. जोग-टोन आ
भूत-प्रेत भगयबाक कलामें समाजमें अपन धाख छलनि; हम एतय एहि सभक सत्य-असत्यक
तर्क पर नहिं जायब. हमर माता अब्दुल रहीम सं उपकृत छलीह; डाक्टर-वैद्य
विहीन गाओंमें भगता- ओझा गुणीक काज ककरा ने होइत छलैक. अस्तु, अब्दुल रहीम
जहिया कहियो हमरा लोकनी सं मांगय आबथि, खली हाथ नाहीं जाथि. एहि सम्बन्ध में बहुत रास असंतुलन रहैक. किन्तु, से भिन्न गप्प. ततबे नहिं, समाजक नीचाक तबका कें सेहो एकटा आदर आ सामाजिक स्थान रहैक. जेना, कलरी नामक चमाइनि गाम भारिक मिड वाइफ छलीह. हमरा लोकनि सात भाई-बहिनक जन्म हुनकहिं हाथे भेल छल, से सुनैत छी. तें, कलरी सेहो हमरा माताले आदरक पात्र छलीह. अर्थात सामजिक संरचनाक गुण-दोषक बावजूद समाजमें सभक अपन-अपन प्रधानता, रोल आ प्रतिष्ठा रहैक. आब ओ सब संस्था कोना अछि से जे गाम में छथि, से कहताह. हमरा तं गाम छोडला अठतालीस वर्ष भ गेल. ताहि दिन गाम घर में स्कूल कालेजक कमी, स्वास्थ्य सेवाक अभाव अवश्य रहैक. किन्तु, हमरा दृष्टिए, जे स्कूल रहैक तकर स्तर आजुक स्तर सं नीक रहैक; हमरा सभक भविष्यक आधारशिला तं ओही स्कूलमें पडल छल. हं, तहिया संचार व्यवस्था सब दृष्टिए लचर रहैक. भ्रष्टाचार तहियो छलैक; हम आठम वर्ग में रही. योग्यता-सह-निर्धनता छात्रवृत्तिले बी डी ओ सं आय-प्रमाणपत्र लेबाक छल. मनीगाछी ब्लॉक गेल रही. बी डी ओ प्रमाण-पत्र देलनि. किन्तु, बी डी ओक ठप्पा लगेबाले बी डी ओ क चानन-ठोपधारी क्लर्क डेढ़ टाका नेने छलाह से मोन अछि. उजान मिडिल स्कूल आ झंझारपुरक टिबरेबाल स्कूलमें पढ़ने छी. ओही दिनुक शिक्षक लोकनि एखनुक कोनो प्राइवेट स्कूलक शिक्षक सं बेसी दक्ष आ बेसी जिम्मेदार रहथि, से निर्विवाद. हं, ओही युग में छोट-छोट मुद्दा पर गाम घर में झगडा-झंझट भ जाइक. आरि-धूर, माल-मवेशी, खेत-खरिहान वैमनष्यक मूल कारण होइक. आबहु जे गाम अछि, मतान्तर तं होइते हेतैक.
2. गामसं हम किएक बहरयलहु
हम गामसं किएक बहरयलहु तकर उत्तरमें एक पांति पर्याप्त अछि; शिक्षाक संधान आ जीविकाक वाध्यता. किन्तु, गाम सं एखनहु जुडल अवश्य छी. घर अछि आ साल में एक बेर गाम जाइत छी. किन्तु, एहि हेतु प्रति-वर्ष घरक मरम्मति- चूना-गेरु में टाका खर्च होइत अछि. आमदनी कोनो नहिं . खेत खरिहान अछि नहिं. किन्तु, जनिका पहिने खेत रहनि से आब गहाकि तकने घुरैत छथि. किन्तु, से भिन्न गप्प भेल.
3. गामक वर्तमान परिस्थिति केहन अछि ? आ वर्तमान परिस्थिति कोना सुधरि सकैत अछि
सारांशमें, गामक एखुनका परिस्थिति पहिने सं अनेक अर्थ में नीक अछि; भुखमरीक समस्याक निदान काफी हद धरि भेलइए. कारण, लाखो लोक जीविकाले गाम छोड़ने अछि. स्वास्थ्य सेवामें पूर्णतः तं नहिं, किन्तु, काफी सुधार भेलैये; टाका देनहु लोकक प्राण बंचइत छैक. मोबाइल फ़ोनकेर प्रसार आ फोर-लेन सडक संचारक क्षेत्रमें क्रांतिकारी परिवर्तन थिक. शिक्षाक स्तर ख़राब छैक; एहिमें सुधार समाजक सर्वोपरि प्राथमिकता हेबाक चाही. शिक्षा मुक्तिक असली मार्ग थिकैक, से आब सब बुझैत अछि.
परिस्थितिमें सुधार कोना हेतैक ? हमरा दृष्टिए एकर दुइटा उपाय छैक. एक, समाजमें अधिकारक प्रति जागरूकता आ अपन अधिकार पयाबाक दुर्दांत आग्रह. दू, कानूनक प्रति निष्ठा. जतय कोनो विकसित देशमें जायब, आर्थिक परिस्थितिक अतिरिक्त विकासशील आ विकसितक देशक बीच सबसं पैघ अन्तर एकेटा देखबैक, कानूनक पालन आ कानूनी अधिकारक प्रति नागरिकक जागरूकता ओहि समाज सबहक सशक्तीकरणक आधारशिला थिकैक. जहिया सबकें अपन अधिकार भेटि जेतैक वा अपन अधिकार मंगबामें ककरो संकोच व भय नहिं हयतैक तहिया गाम व शहर एक रंग भ जायत. किन्तु, एहि सभक अछैतो जं गाम में लोककें पेट भरबाक हेतु जीविकाक अवसर नहिं भेटतैक तं लोकक पुस्तैनी घरमें ताला लगले रहतैक, ढहैत घर-आँगन में भांग उपजिते रहतैक. मात्र गामक मोहें कतेक गोटे घर बनाओत आ वर्ष-वर्ष ओकर मरम्मति करत. ताहू पर जे पीढ़ी गाम नहिं देखलक तकरा गाम सं कोन लगाव. तें, गामकें जिआबय चाहैत छी तं सफल शहरीलोकनि रिटायर्ड भेलापर गाम घूरि चलू. गाम में घर बनाउ. स्कूल-कालेज, स्वास्थ्य व्यवस्था, आ वाणिज्यमें निवेशक करू, रोजगार ताकू नहिं, गाममें रोजगारक अवसरक जोगाड़ करू आ सबसं बेसी भ्रष्टाचार सं लड़िकय नागरिककें हुनका लोकनिक अधिकार दिअयबामें हुनक सहभागी बनू. एहि सबमें जाति-धर्म-सम्प्रदाय सभक बोधकें मेटाबय पड़त. बड भारी गप्प ने ? हं . तं, कनिएक प्रयास सं गाम नहिं जियत. कनिएक धानक बगिया नहिं बनत .
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