Tuesday, March 13, 2018

अमृतसर, अटारी आ वागा

अमृतसर, अटारी आ वागा 
भारतीय सेनाक संग-संग चलैत जीवनक पच्चीस वर्ष बीति गेल. सीमा क्षेत्र सं ल कय देशक अनेक ठाम गेलहुं .किन्तु, अपन देश पैघ अछि. एतेक भ्रमणक पछातियो कतेक देखब एखनो बांकी अछि. बांकी स्थान सभक लिस्ट में एखन धरि प्रसिद्ध तीर्थ आ ऐतिहासिक शहर अमृतसर सबसँ उपर छल. अस्तु, एहि बेर अमृतसर. जनवरीक  मास में उत्तर भारतमें जाड़ आ धुंद दुनू ले बदनाम अछि. अमृतसरक जाड़तं नामी छैके. किन्तु, हमरा ढाई वर्ष लेह में बितओलाक पछाति जाड़ सं कोनो भय नहिं. 
हमरा लोकनि जहिया दिल्लीसं अमृतसर स्वर्ण शताब्दी पकडि अमृतसर पहुंचल रही, प्रायः जनवरीक चारि तारीख रहैक. जाड़ बेसी नहिं. रौद  खूब नीक. होटलक गाड़ी स्टेशनपर आयल छल. आसानीसं होटल पहुंचि गेलहुं. भोजन भातक अद्भुत व्यवस्था. जं भारतमें नीक भोजन खेबाक हो तं अमृतसर अवश्य भ आउ. हमरातं पंजाब ओहुना भारतक अमेरिका बूझि पड़ैछ : उत्तम भोजन, परसल भोजनक परिपूर्ण मात्रा, लोककेर जीबाक स्टाइल, आ जीवन   के उत्सव बुझनिहार जं कओ भारत में अछि तं ओ थिक पंजाबी नागरिक. दुपहरियामें कनेक आराम भेलैक. तकर पछाति बाज़ार भ्रमण. होटलक सामने एकटा ऑटोबाला भेटि गेल आ बिना मोल-मोलाइ के बाज़ार धरि ल गेल आ पुनः होटल पहुंचा देलक. हमरा  लोकनिक अवश्यकताओ ततबे छल. बाज़ारमें किछु कपड़ा-लत्ता, फुलकारीबाला लेडिज दुपट्टा, ऊनी वस्त्र आ मेवाक खरीद भेलै. सड़कक कातक दोकान में चाह सेहो पिलहुं. किन्तु, अजुका यात्रा में सड़कक कातमें बिकाइत सैंधव नोनक बोल्डरक आकारक बड़का- बड़का , खंडकेर आलावा अओर त किछु आकृष्ट नहिं केलक. रातिमें विश्राम भेलैक. किन्तु, दोसर दिन स्वर्ण-मन्दिर परिसरक भ्रमण दर्शन आ अटारी-वागाक भ्रमण हेतु टैक्सी ठीक भ गेल.
स्वर्ण मन्दिर

स्वर्ण मन्दिरक प्रवेशद्वार
स्वर्णमन्दिर अमृतसरक केंद्रविन्दु आ सिख धर्मक हृदयस्थल थिकैक. धर्म, शौर्य, त्याग, आ बलिदानक इतिहास अमृतसरे नहिं सिख समुदायक जीवनक चादरिक ताना-बाना थिकैक. तें ओकर विस्तृत वर्णन सम्भव नहिं. तथापि एतबा अवश्य बुझबाक थिक जे भारतक पश्चिमसं भूमि मार्गसं  जे व्यापारी, लुटेरा, धर्म-प्रचारक वा आक्रामक भारतमें आयल ओ सब पंजाब आ सिन्धुएक बाट देने आयल छल. अस्तु, एतुका जनता ओही सब सं प्रभावित भेल, लडल आ ओकर त्रासदी भोगलक. सम्पूर्ण जनसमुदायक ई अनुभव एतुका लोककें मनोवृत्तिए योद्धा आ निर्भीक बना देने छैक. ततबे नहिं ई भूमि आ एतुका जनता भारतक विभाजनक एहन त्रासदी भोगने अछि जे ककरो पुबरिया घर भारत में आ पछबरिया घर पाकिस्तान में चल गेलैक.अपन भाई-बन्धु विभाजित भ गेलैक. समृद्ध परिवार रातिए-राति शरणार्थी भ गेल. ई सब किछु इतिहास विदित थिक. किन्तु, एहि सब त्रासदीक भुक्तभोगी लोकनि एखनो जीवित छथि, तें ह्रदयमें विभाजनक शूल नुकौने कतेको गोटे एखनहु भेटि जेताह. हुनका लोकनिले विभाजन इतिहास नहिं, भोगल यथार्थ आ फफनाइत घाव थिक. किन्तु, आब ओकरा बिसरबे नीक.
दोसर दिन भोरे हमरा लोकनि स्वर्ण मन्दिरक दर्शन-भ्रमण ले विदा भेलहु. शहर कोनो ओतेक पैघ नहिं. मंदिर हमरा लोकनिक होटल सं दूर नहिं. मंदिरक आसपासक इलाकामें साफ़-सुथरा बाज़ार. कपड़ा-लत्ताक दोकान. भोजनालय. एतय मन्दिरमें जल-फूल चढ़यबाक परंपरा नहिं. तें, फूल-पत्ती, पंडा-पुरोहित नहिं. अपने भीतर जाऊ. माथा टेकू, सरोवरमें स्नान करू, कतहु बैसि कय पवित्र स्थानमें चिंतन-मनन वा ध्यान करू, गुरू लोकनिक संग एकात्मकताक अनुभव करू .  परिसरमें सेवा करू, मोन हो तं गुरूक लंगरमें प्रसाद सेवन करू आ आबि जाऊ. व्यवस्था उत्तम. सरोवर में एकोटा खढ़ नहिं. पूरा परिसर चकचक करैत. सरोवरमें स्नान करबा ले नारि-पुरुषक हेतु अलग-अलग व्यवस्था. प्रसाद किनबाक आ मन्दिरमें देबाक नियत स्थान. सब किछु नीक लागल. स्वर्ण-मन्दिर में मोन हो तं बैसू . गुरुवाणी सुनू, पाठ करू व माथा टेकू आ आपस आबि जाऊ. मन्दिरक  परिसरमें तीर्थयात्री लोकनिक हेतु धर्मशाला, पाठ- पुरश्चरण करबाक हेतु स्थान : सचखंड. सिख धर्मक  सर्वोच्च पीठ, अकाल तख़्त , आ संत जरनैल सिंह भिंडरांवालेक स्मारक गुरुद्वारा सब किछु देखबैक.
गुरुक चरण-धूलिक स्पर्शक आनन्द

एहि गुरुद्वारा लग ऑपरेशन ब्लूस्टारक इतिहासकें बयान  करैत एकटा बोर्ड सेहो देखल. परिसरक भ्रमण, स्वर्ण-मन्दिरक  दर्शन, गुरूक लंगरमें भोजन आदि में गोटेक घंटा लगले हयत. पछाति हमरा लोकनि बाहर आबि जलियाँवाला बाग़ गेलहुं. मन्दिर परिसर सं बहराइत , करीब दू सौ मीटर आगू , ई बाग़ दाहिना कात पड़ैछ. सर्वविदित अछि, 1919 में  बैसाखीक दिन एतुका नरसंहार भारतक स्वतंत्रता संग्रामक अति महत्वपूर्ण घटना थिक, जाहि में सैकड़ो निहत्था, आ निर्दोष बच्चा, युवक-युवती, बूढ़ आ वयासाहुक जनसमुद्र एकटा बताह-सन  अंग्रेज सैनिक जनरलक हाथें मारल गेल छल. युग बीति गेलइये  किन्तु, एतुका देवाल आ शहीदी इनार ओहि बर्बरताक साक्ष्यकें  एखनहु ओहिना जोगा कय रखने अछि.
जलियाँवाला बाग कांडक बर्बरताक मूक दर्शक: अंग्रेजक गोली सं छलनी इंटाक देवाल

शहीदी कुंआ: असंख्य असहाय लोकक बलिदान भूमि
जालियांवाला बाग़क भ्रमणक पछाति हमरा लोकनि होटल वापस अयलहुं आ अटारी-वागा भारत-पाक सीमा पर गेट बंद हेबा सं पहिलुक  प्रति दिनक परेड देखबाले विदा भ गेलहुं. नेयार छल, समय सं पहिनहिं बॉर्डर लग पहुंचि पहिने कोनो ढाबामें भोजन हेतैक आ तखन परेड देखब. पछिला पांच सालसं दक्षिण भारत में रहैत सरिसबक साग सपना भ गेल अछि. एहि इलाकामें खेत सब एखन सरिसबक फूलसं सोन-सन पियर भेल छैक. अस्तु, आइ मकईक रोटी आ सरिसबक सागक भोजन हेतैक. ऐतिहासिक ग्रैंड-ट्रंक रोडपर अटारी गाओं अमृतसरसं करीब पन्द्रह किलोमीटर पश्चिम  छैक. ड्राईवर सचढ़ छल. बॉर्डर सं किछुए पहिने रोड-साइडक एकटा नीक ढाबामें ल गेल.
जाड़क रौद, लस्सी, मकईक रोटी आ सरिसबक साग: शरहद रेस्तौरां, अटारी गाओं, जी टी रोड, अमृतसर, पंजाब.
भीतर -बाहर सब ठाम बैसबाक व्यवस्था. हमरा लोकनि बाहरे रौदमें बैसलहु ; रौदक अनुभूति सुखदो होइत छैक से पांडिचेरी में बिसरि चुकल अछि. होटलक परिसरमें एकटा परिवार एकटा कन्याके ल कय सपरिवार आयल छल. कन्याक विवाह प्रायः शिघ्रे हेतनि. अस्तु, होटलक परिसरमें राखल  बैल-गाडी आ मोटर-कार में कनियाक विदाईक थीम फोटोग्राफी भ रहल रहैक. एहि सब में व्यावसायिक फोटोग्राफर मनोयोग सं लागल छलाह. हमरा लोकनि भोजनक आर्डर देलियैक, भोजन केलहुं. किन्तु, परिपूर्ण परसल सबटा भोजन खायब असंभव छल. ड्राईवर बुधियार छलाह. कहलनि, भोजन दूरि किएक होबय देबैक, आ शेष भोजन अपन संग राखि लेलनि. ई गप्प हमरो लोकनि कें जंचल. ढाबाक सामनेक सड़कसं दूरहिंसं पाकिस्तानी राष्ट्रीयध्वज  देखबा में आयल.

भारत-पाकक बीच द्वार: पूर्वमें अटारी आ दवारिक पश्चिम वागा गाओं

भारतीय दर्शक दीर्घा: फोटोक अगिला भाग विशिष्ट अतिथिक दीर्घा थिक 
 सीमाक दुनू कात एके रंग, समतल-सपााट भूमि, एके रंग सरसों- गहूम केर खेती. दुनू कात पांच टा नदी- पञ्च आब (पानि ) सं सिंचित भूमि. वायुमें कोनो आरि- धूर नहिं. किन्तु, सीमा रेखा पर कंटाह तार, शिकारी कुकूर, आ खूनक पियासल सेना. नहिं जानि राजनीति आ द्वन्द , मनुक्खक संग कोन-कोन खेल खेलाइत अछि. सर्वविदित अछि, भूमिपर मनुक्खक पाडल कोनो डांंरि जायुगी नहिं. प्रकृति तं एकर एकदम परवाहि नहिं करैछ. इतिहास सेहो मनुक्खक द्वन्दसं निरपेक्ष रहैछ; कखन ककर पक्ष लेत के कहत.  बर्लिन शहरक बीचोबीचक ध्वस्त  देवाल  एकर साक्षी अछि . अमृतसर-वागा सड़कक कातक एहि ढावामें बैसि जाड़क मृदुल रौदक सेवन आ  दिव्य भोजनक  आस्वादक पछाति इएह सब मनोभाव जेना हमरा क्षणहिंमें विभाजित पंजाबक ऐतिहासिक शरणार्थीमें परिवर्तित क देने छल. सेनाक सेवाक अवधिमें अपन अनेक पंजाबी सहकर्मीसं भारतक विभाजनक कथा सुनने छी. शहादत हसन मंटोक  कथा 'टोबा टेक सिंह' आ भीष्म साहनीक 'तमस' आ खुशवंत सिंह केर  A Train to Pakistan आ   अओर बहुत किछु पढ़ने छी. भरल पेट आ जाड़क रौदमें  हम उंघाए लागल रही. पत्नी लग में बैसल भारतीय सेनाक रिटायर्ड दम्पति सं गप्प में लागल रहथि, ताबते ड्राईवर सुखी-सुखविंदरक स्वर कान में पड़ल: चलें, सर. देर होने से अच्छी जगह नहीं मिलेगी. प्रायोरिटी स्लिप भी नहीं  है . आगे चलके आप अफसरसे बात  कीजिये. हम आपको सीधे इंस्पेक्टर साहेब के पास ले चलेंगे. आप बात करेंगे तो स्पेशल सीट मिल जायगा. गाडी भी सीधे पार्किंग तक जायेगी, नहिं तो मैडम को पैदल चलना पड़ेगा.' हमर ध्यान आ निन्न दुनू टूटल. दुनू गोटे उठि विदा भेलहुं आ गाड़ी में बैसि गेलहुं.   
सत्ये, अटारी-वागामें  परेड देखबाले प्रायोरिटी-स्लिप  अछि तं विशिष्ट दीर्घामें बैसि परेड देखि सकैत छी. अन्यथा गैलरी में बैसू. संगहिं, पास संगमें भेला सं गाड़ी पार्किंग धरि ल जा सकैत छी. अन्यथा, दूरहिं गाडी पार्क करू आ पैदल चलि आधा किलोमीटर दूर बॉर्डर धरि जाऊ आ वापस आउ. हमरा प्रायोरिटी-स्लिप नहिं छल. किन्तु, प्रायोरिटी स्लिप नहिं भेलासं हमरा भूमिपर बैसय पड़त तकर कल्पनासं  प्रायोरिटीक सिस्टमक प्रति मन में क्षोभ केर उदय भेल. किन्तु, परिचय देला सं सब किछु सम्हरि गेल. बी एस एफ केर इंस्पेक्टर आदरपूर्वक ड्राईवर कें गाड़ी आगू बढ़यबाक संकेत देलखिन. दर्शक सब में बच्चा-बूढ़-जवान- सिनेमा स्टार- सैनिकक लम्बा लाइन आ अपार जनसमूह. बीच-बीचमें सड़कमार्गसं पाकिस्तान जेबाबला पाकिस्तानी नागरिक लोकनिक पतियानी-ट्राली- बैैग-मोटा-चोटा ; ई लोकनि सीमापार भारतमें अपन सम्बन्धी लोकनिसं भेंट करय आयल छल हयताह वा रोग-व्याधिक इलाजले दिल्ली गेल छल हेताह. सब गोटे कस्टम चेक केर पछाति पैदल गेट धरि अबैत छथि. दुनू देशक सुरक्षाकर्मी जांच-पड़तालक अपन-अपन प्रक्रिया पूरा करैत छथि आ यात्री लोकनि स्वदेश-पाकिस्तान में प्रवेश करैत छथि.  कतेक नीक होइतैक जं भारत- पाकिस्तान में सौमनष्य होइतैक; योरोपियन यूनियन जकां लोक अपन पासपोर्ट  देखबैत आ  सीमाक दुनू पार बेधडक अबैत- जाइत. किन्तु, आम नागरिकक ई सब टा मनोरथ सेना आ राजनेताक रहैत असम्भव अछि.   वाजपेयीजी पाकिस्तानसं मित्रता करबामें तं सफल नहिं भेलाह, तथापि  कम सं कम  नियंत्रण रेखापर  गोलाबारी नहिं करबाक संधि तं केने रहथि, जे 2003 सं 2014 धरि चलल. किन्तु, नबका सरकारक छप्पन इंच छातीक पाकिस्तान नीति दुनू देसक बीच वैमनष्यक तेहन  सिलसिला आरम्भ केलक जे विगत चारि वर्ष में दुनू दिसुक  सैकड़ो सैनिक आ  नागरिकक  प्राणक बलिदान देलनि. आ लाभ की ? सीमा घुसकि गेलैक ? देशकें आर्थिक लाभ भेलैये ? पाकिस्तान कमजोर भ गेल ? जं , हं , तं, बड बेस. नहिं , तं अपने सोचू . भारत-पाकिस्तानक बीच दीर्घकालीन शान्ति दुनू देशक हित में छैक, वा  युद्ध ? गरीबी, अशिक्षा, रोग, भुखमरी दुनू देशक सामान शत्रु किन्तु , नेता लोकनिक संजीवनी थिक. एहि सब रोगक निराकरण सं सर्वत्र जनसामान्यक हित हेतैक, किन्तु, पृथकतावादी  राजनीतिकेर वोटक अवसर थोड भ जेतैक. युद्ध नहिं भेलासं सैनिक साज-सामान आ गोला-बारूदक उत्पादकक व्यापार आ लाभ कम भ जेतैक. सेनाक प्रधानता कम हेतैक. अस्तु, शत्रुता कायम रहय , सत्ता फूलैत-फलैत  रहय, व्यापारिक लाभ सम्पन्न देश सभक खजाना भरैत रहय. जनता कुहरय तं , बड  बेस . 
हमरा लोकनि दर्शक दीर्घा लग पहुँचलहु तं सड़कक दुनू कात,  आ सीमाक दुनू पारक  दर्शक दीर्घामें  अपार भीड़ जमा भ चुकल छलैैैक. हमरा लोकनि अपन निर्धारित स्थान लेलहु. भारतक दीर्घाक आकार पाकिस्तानी दीर्घा सं बहुत पैघ. दर्शकक संख्या  भारत दिस बहुत बेसी. नाटकीयता सेहो खूब. बीचमें एनाउंसर दर्शकक उत्साहके बढ़बैत. सीमाक दुनू कात दुनू देशक सैनिक लोकनि. दुनू कात  जयकार. नारेबाजी. देश भक्तिक गीत. आ परेड. सैनिक लोकनिक आक्रामक तेवर, पयर पटकब, बांहि देखबैत  बलक प्रदर्शन. सब किछु नाटक जकां प्रतीत भेल. दू टा सम्प्रभुता संपन्न देशक बीच, जकर बीचक सीमा हजारो माइल लम्बा होइक, एकटा गेट पर कतहु एहन हास्यास्पद नाटक होई. हमरा तं ई नाटक निंदनीय आ स्टेज-मैनेज्ड' शो लागल. सत्यतः, जं परेडक दृष्टिए  देखिएक तं परेडक स्तरकें  हम  साधारण कहबैक. खैर, सूर्यास्तक बेर भेलैक. दुनू देशमें मिलिटरी रिट्रीटकेर विगुल बाजल. दुनू राष्ट्रीय ध्वज सब नियमतः ध्वज-दंड सं उतारल गेल. सीमांत दुनू दिस दुनू देशक समानान्तर गेट बंद भेल आ वर्षहु सं होइत एहि एकमात्र दैनिक तमाशाक अंत भेल. हम पाकिस्तानक क्षितिज पर डूबैत सूर्यके देखलहु. भारतहुमें तं एहने सूर्योदय सूर्यास्त होइत छैक, सोचैत छी. तखन ई विभाजनक रेखा ? दर्शक लोकनि गेट लग जा कय फोटो घिचबैत  गेलाह आ सब घरमुंहा भेल. हमरो लोकनि  स्थानीय अफसर सं हाथ मिलाओल, धन्यवाद देलियनि आ अमृतसरक बाट धयल.    

   

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