Friday, March 16, 2018

पुमपूहार, तरंगमवाड़ी,वेलंकन्नी,रामारापदम, आ कोडियक्क़रै ( Point Calimere)


पुमपूहार, तरंगमवाड़ी, वेलंकन्नी, वेदारण्यम-रामारपादम, एवं कोडियक्क़रै ( Point Calimere)

पावनि-तिहारक मजा अपने इलाकामें छैक. जं घर सं दूरो रही आ धिया-पुता संग होथि तं पावनिक पूरी-पकवान बनत आ पर्वक बोध होयत. किन्तु, जं घर सं दूर एहन स्थान में होइ जतुका रीति रिवाज़ मिथिलांचलसं भिन्न होइक, आ धिया-पुता चेतन भ गेल होथि तं, पावनि-तिहार आयासक बोध देबय लगैछ. एहना स्थितिमें नीक जे पावनि-तिहारमें कतहु बाहर निकलि चली. अस्तु, एहि बेर वेलंकन्नी, पॉइंट कालेमेयर, आ कोडियक्क़रै अभयारण्यक प्रोग्राम बनलैक. अपन  गाड़ी, अपने ड्राइविंग. इन्टरनेट पर होटल बुक कयल आ विदा भेलहु. संयोग एहन जे जहिया भोरे यात्रा आरम्भ करबाक छल, कनेक मोन गडबड जकां लागल. किन्तु, हम ध तानल.
अस्तु, एहि बेर तिला-संक्रांतिमें बेलंकन्नीए भ्रमण हो. हमरा देवी-देवतामें  थोड आस्था अछि से भिन्न गप्प भेल. किन्तु, स्थान तं ऐतिहासिक छैक..पोखरिमें प्रातःस्नानक स्थानपर समुद्रक कछेरमें टहलान तं हेतैक, एकटा नव इलाका तं देखब. ततबे नहिं,  एहि यात्रामें  वेदारण्यम, Point Calemere आ कोदियक्कडै पक्षी-विहार आ अभयारण्यक भ्रमण सेहो हेतैक. बाटमें  ऐतिहासिक शहर पुम्पूहार, आ 17 शताब्दीमें निर्मित तरंगमवाड़ी ( Tranquebar) केर डच किला- पोर्ट डेंसबोर्ग-  सेहो देखब. माने, एहि बेर यात्राक नीक योग छैक. हमरा-सन यायावरले एहि सं नीक अओर की !
12 जनवरी 2018. भोर सात बजे पिलैयारकुप्पम सं विदा भेलहुं. हमर कालेज पोंडिचेरी राज्यमें पड़ैछ. एतय सं दक्षिण किछुए  दूर पर पांडिचेरीक सीमा समाप्तिक संकेत, सड़कक दुनू कात उज्जर सपेत स्तम्भ सब छैक. तकर आगू तमिलनाडुक कडलूर जिलाक क्षेत्र आरम्भ होइछ. किन्तु, पांडिचेरी आ तमिलनाडुक बीच ई सीमा कतेक बेर पार करय पड़त. एतय सं करीब सौ किलोमीटर दक्षिण पांडिचेरीक करैक्कल क्षेत्र  अबैत छैक ; प्रायः पांडिचेरिए  टा देशक एकमात्र एहन राज्य थिक जकर चारि टा भूभाग ( यानम,पांडिचेरी,करैक्कल आ माहे ) एक दोसरा सं दूर-दूर, देशक चारि टा फराक-फराक स्थान पर पसरल अछि. हमरा सभक बाट में अन्नामल्लाई यूनिवर्सिटी टाउनशिप आ शैव तीर्थ चिदंबरम सेहो आओत. किन्तु, हमरा लोकनि आइ चिदंबरम शहर सं बाहरे-बाहर निकलि जायब.
करीब साढ़े आठ बजे चिदंबरम शहरक बाहर गरम-गरम इडली-दोसै- वडा आ फ़िल्टर काफीक जलपान भेलैक; एहन पवित्र जलपान तमिलनाडुमें सब ठाम भेटत. आब आगू बढ़ी.
चेन्नईसं नागपत्तिनम आ रामेशवरम-रामनाथपुरम धरि समुद्रक कछेरे- कछेर, ईस्ट कोस्ट सड़क देशक सबसँ खतरनाक सड़क थिक. वर्ष 2015 में एहि सड़क पर सड़क-दुर्घटनामें 17500 व्यक्तिक जान गेल छल. सघन बस्ती, हरियर कचोर धनखेती, नारिकेरक बगीचा, ताड़क गाछक जंगल आ अनेक नदी नाला केन पार करैत, अनेक ठाम संकीर्ण आ सर्पाकार, ई डबललेन सड़क अत्यंत व्यस्त अछि. तमिलनाडुमें सड़क साधारणतया नीक छैक, आ गाड़ीक संख्या बेहिसाब. अस्तु, सावधान भ कय ड्राइव नहिं करब तं के कखन ठोकि देत कोन ठेकान ! ताहिपर पटनामें छी वा पांडिचेरीमें गाय-बड्द-माल-मवेशी कखन कोन हाईवेपर कोम्हारसं, यमराज-जकां अकस्मात् उपस्थित भ जायत से प्रायः केवल यमराज  आ चित्रगुप्ते टा कहि  सकैत छथि.  अस्तु, मधुर गीत सुनू वा गप्प करू सड़कपर नज़रि आ गाड़ीपर नियंत्रण आवश्यक.

पूम्पूहार:
 चेन्नई सं करीब 225 किलोमीटर दक्षिण, ईस्ट कोस्ट रोडपर एकटा छोट क़स्बा,पुमपूहार, तमिलनाडुक ऐतिहासिक नगर आ आइ हमरा लोकनिक यात्राक पहिल पडाव थिक. दू हज़ार वर्षसं बेसी पूर्व पांड्या राजा लोकनिक शासनक अवधिमें पुमपूहार (वा कावेरिपत्तिनम ) एकटा समृद्ध नगर, विशाल बन्दरगाह, आ कला-संस्कृतिक प्रमुख केंद्र छल. कावेरी नदीक धार एतहि आबि अपन यात्रा समुद्रमें समाप्त करैछ.मानल जाइछ,  ईसासं करीब तीन सौ वर्ष पूर्व सुनामी-सन प्राकृतिक विपदाक कारण  पुमपूहार नगर विनष्ट भ गेल.तथापि ऐतिहासिक ऐश्वर्यक विनाशक पछातियो एहि नगरक पारंपरिक महत्व एखनहु अक्षुण अछि आ  पुमपूहार एखनो पुरातत्वविद लोकनिक बीच अनुसंधानक महत्वपूर्ण विन्दु थिक. पुमपूहारक  योशोगाथा 'शिलापत्तिकारम' नामक प्राचीन तमिल महाकाव्यमें भेटत. मादवि, कन्नगी आ कोवलनक प्रेमक  त्रिकोणपर आधारित ई महाकाव्य  पुमपूहारक ऐश्वर्य, समृद्धि आ अनेक ऐतिहासिक पात्रक जीवनक अनुपम गाथा थिक. 'शिलापत्तिकारम'में  मदुरैक तत्कालीन पांड्या राजाक हाथें कन्नगी नामक नारिक निर्दोष पति कोवलनक हत्याक चर्चा छैक. जनाश्रुतिक अनुसार निर्दोष पतिक हत्यासं आहत कन्नगीक रोष-कोप आ श्रापक कारण ओहि पांड्या सम्राटक  शासनक अंत भ गेलनि आ मदुरै नगर  भस्म भ  गेल छल. एहि सभक अतिरिक्त , शिलापत्तिकारममें नारिक आभूषण, शास्त्रीय गायन-वादन आ नृत्यकलाक जेहन विस्तृत वर्णन भेटत, तकर उदहारण आओर कतहु छैक कि नहिं से कहब कठिन. प्रायः,अमृतलाल नागरक उपन्यास 'नुपूर के बोल' में एकर चर्चा आयल अछि.पुमपूहारमें हमरो रूचि कारण कन्नगी-कोवलन-आ मादविक आख्याने थिक.एतय कन्नगी-कोवलन-मादवि आ पंड्या सम्राटक संक्षिप्त खीसा अप्रासंगिक नहिं होयत:
पुहर ( पूमपुहर ) नगरक कन्नगी नामक नारि, कवि इलांगो रचित शिलापत्तिकारम महाकाव्यक मुख्य पात्र आ नायक कोवलनक पत्नी छलीह. सम्पत्तिशाली व्यापारीक पुत्र कोवलन पुहरकेर अत्यन्त रूपवती आ नैसर्गिक नर्तकी मादविपर आशक्त भ जखन अपन सर्वस्व बोहा देलनि तं अपन पत्नी कन्नगी मोन पड़लखिन. पांड्या राजा लोकनिक राजधानी मदुरै ओही युगमें ऐश्वर्यक केंद्र छल. अस्तु, कन्नगी आ कोवलन वाणिज्य-व्यापार सं दिन घुरबाक आशामें मदुरै पहुँचलाह. ओतय व्यापारक हेतु पूँजीक जोगाड़ले अपन पति कोवलनकें  कन्नगी   अपन पयरक  काड़ा म सं  एकटा काड़ा सोनारक हाथें बेचबाक हेतु देलथिन. संयोगवश ओही समयमें रानीक पयरक काड़ा चोरि भ गेल रहनि.  कोवलनपर चोरिक मिथ्या आरोप लगबैत  सोनार कोवलन कें ल कय,  सोझे राजाक समक्ष   उपस्थित भ गेल . क्रोधें आन्हर राजा तुरन्त कोवलनकें  मृत्युदण्ड द देलखिन. मिथ्या आरोप आ मृत्युदण्ड  कन्नगीक हेतु असह्य भ गेलनि.अस्तु, अपन पतिकें  निर्दोष प्रमाणित करबाले कन्नगी सोझे राजाक समक्ष प्रस्तुत भेलीह. कथा छैक,रानीक पयरक काड़ाक  भीतर मोतीसब भरल रहनि. कन्नगीक काड़ाक भीतर लाल पाथर भरल रहैक. ई ककरो प्रायः बूझल नहिं रहैक. किन्तु, कन्नगीक राजाक समक्ष  जखन कोवलनसं जब्त काड़ाकें तोडि  अपन पतिकें  निर्दोष प्रमाणित क देलखिन तं पश्चाताप आ ग्लानिमें राजा तत्काल प्राण-त्याग क देलनि. रानीक गति सेहो तेहने भेलनि. ततबे नहिं अन्यायसं आहत कन्नगीक  श्रापसं मदुरै नगरकें भस्मीभूत भ गेल. कहल जाइछ, पछाति मदुरैक अधिष्ठात्री देवी मीनाक्षीक कृपासं  कन्नगीक क्रोध शांत भेलैक, आ ओकरा मोक्ष भेटि गेलैक.
आब पुनः अजुका पूम्पुहार आबी.           

कहबी छैक,
'बहुत शोर सुनते थे पहलू में दिल का 
जो चीरा तो  इक कतरा-ऐ-खूँ न निकला'
पूम्पुहार समुद्र-तट
पूम्पूहार
पुमपूहार पहुँचलहु तं तकरे परि भेल.  छोट-सन क़स्बा. समुद्रक कछेरमें बड़का-बड़का बोल्डरक तेहन ढेर जे समुद्रकें  दूरहिं सं देखू. पानिक स्पर्श नहिं हयत. लगमें भिन्न-भिन्न प्रकारक सुखायल माछक अजस्र दोकान. दुर्गन्ध एहन जे ठामहिं वमन भ जायत. लगमें तमिलनाडु सरकारक अतिथिगृह. गेटमें ताला बंद छलैक. लागल परिसरमें ककरो आबाजाही अभावृत्तिए होइत होइक.गेस्ट- हाउसक पछुऐत में नौवहन ( shipping) लाइट-हाउस.  सटले आधुनिक सरकारी म्यूजियम. म्यूजियमक चर्भुजाकार हालमें  चारू देवालपर कारी पाथरक आधुनिक मूर्तिकला द्वारा 'शिलापत्तिकारम'क कथाकेर  प्रदर्शित कयल गेल छैक. एक कात वीणा प्रभृत्तिक किछु पुरान  वाद्य-यंत्र सेहो राखल. म्यूजियमक सामने सड़कक दोसर भाग एकटा जर्जर रंगमंच. समुद्रक समीप सड़कक बीचमें कन्नगीक कारी पाथरक मूर्ति. चारू कात घास, गंदगी . सुनबामें आयल एतुका सब किछु- म्यूजियम, गेस्ट-हाउस, रंगशाला, सबहक निर्माण डी एम् के (DMK) सरकारक अमल में भेल छलैक. अस्तु, एतुका सब किछु एखुनका ए आइ डी एम् के (AIADMK) सरकारक अवहेलनाक शिकार अछि. ठीके तं हमरा लोकनिक देशमें इतिहास आ विरासत सब किछुक भैयारी बाँट-बखरा होइत छैक. तें, एक भाईक हिस्सा में पडल कुलदेवी वनवासिनी भ जाइत छथि तं दोसर भाईक हिस्सा क ब्रह्म बाबा बम-बम करैत  रहैत छथि ! अस्तु, हमरा दृष्टिए, हम जं पूम्पूहार नहिं गेल रहितहु तं किछु छूटैत नहिं.

तरंगमवाड़ी (Tranquebar): पूम्पूहारसं करीब 25 किलोमीटर दक्षिण, तरंगमवाड़ी (Tranquebar), पांडिचेरी- नागपत्तिनम सड़कपर एकटा छोट, किन्तु, ऐतिहासिक क़स्बा थिक. 'तरंगमवाड़ी' शब्दक अर्थ थिक, गीत-गबैत तरंगक बाट.  कोरोमंडल कछेरपर बसल एहि बस्तीलग समुद्री तरंगक ध्वनि तहिया मनमोहक छल हेतैक. किन्तु, आब एहि स्थानक ऐतिहासिकताक कारण एतुका डच किला, अनेक चर्च आ गुटेनबर्ग प्रेस थिक. एतुका गुटेनबर्ग प्रेस प्रायः तमिल बाइबिल छपबाबला पहिल भारतीय प्रेस थिक.  तंजोरकेर राजा रघुनाथ नायकक अमलमें डच लोकनिकें व्यापारक हेतु एतय किला बनयबाक अनुमति भेटल छलनि. किलाक भवनपर कोर्ट ऑफ़ आर्म्स में निर्माणक वर्ष 1620 अंकित अछि. पछाति डच लोकनि एहि किला आ आसपासक डच इलाकाकें अंग्रेज सरकारक हाथें बेचि तरंगमवाड़ी (Tranquebar) सं दूर भ गेलाह.
Fort Dansborg

किलाक भीतर

किलाक पूर्वी द्वार: म्यूजियमक प्रवेश
 ज्ञातव्य थिक, डच लोकनिक एहने किन्तु एकटा छोट किला वा भवन पांडिचेरीक समीप कडलूर शहर में सेहो छैक. पछाति कडलूर भवन पर सेहो अंग्रेज कब्जा केलक. हेबनिए में तरंगमवाडीक एहि किलाक जीर्णोद्धार भेल छैक. एहि पोखरापाटन  किलाक भीतर सैनिक एवं अफसर लोकनिक आवास, गोला-बारूदक भंडार, भोजनालय, चिकित्सा-कक्ष इत्यादिक भिन्न-भिन्न कक्ष छैक. किलाक उपरका तल्लापर पुबारिभर समुद्रक कछेर दिस एकटा संग्रहालय छैक जाहिमें एतुका विगत चारि  सौ वर्षक इतिहासकें समेटल  गेल अछि. सितम्बर सं फरबरीक बीचक अनुकूल मौसममें जं कोनो छुट्टीक दिन धिया-पुताकें  एतय ल कय आबी तं सबकें घुमबा-फिरबाक अजस्र स्थान आ देखबाक अनेक वस्तु भेटतैक. किलासं पूब समुद्रक कछेरमें ध्वस्त लाइट-हाउस आ किलाक बाहरक देवाल देखबैक. किलासं पश्चिम समीपे मात्र आधा किलोमीटर लम्बा एकटा हेरिटेज सड़कपर  एतुका बांकी  सब ऐतिहासिक स्थल बसल अछि. आस-पास में कोनो दोकान -दौड़ी, भोजनालय नहिं भेटत. किलाक परिसरक ठीक उत्तरक  भवन जे अंग्रेजक जमाना में कलक्टरक  बंगला रहैक आइ काल्हि ' होटल नीमराना' थिक. हमरा लोकनि एत्तहि भोजन कयल. छोट-सन एहि कोलोनियल बंगलामें  गेस्ट लोकनिक हेतु करीब सात-आठ टा कमरा छैक. किन्तु, एडवांस बुकिंग आ भरिगर किरायाक भार उठबाले तैयार छी तं नीमरानामें डेरा दियअ. भोरमें समुद्र तटक बालुपर बुलू, भोरुका सूर्यक किरणक  सेवन करू, गोरा थिकहु तं देहकें ताम्रवर्णी बनेबा ले टाका खर्च करू. भारतीय कालू थिकहु तं कारी हेबाक कोन  भय. 
तरंगमवाड़ी (Tranquebar) सं दक्षिण नगपत्तिनम आ करैक्कल शहर अबैत छैक. करैक्कल शहर पांडिचेरीक क्षेत्र थिक. 2001क सुनामीसं नागपत्तिनम आ वेलंकन्नी शहर में सब सं बेसी जान-मालक क्षति भेल रहैक. तें, ओहि समयमें नागपत्तिनम एकाएक देशक मानचित्रपर जगजियार भ उठल छल. किन्तु, एहि बेर हमरा लोकनि नागपत्तिनम आ करैक्कल सं बढ़इत सोझे वेलंकन्नीए जा कय विश्राम करब.

वेलंकन्नी   
वेलंकन्नी पांडिचेरी सं करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर प्रसिद्द इसाई तीर्थ थिक. वेलंकन्नीक देवी मदर मेरी वेलंकन्नीमें स्वास्थ्य आ आरोग्यकेर अधिष्ठात्री-जकां  पूजल जाइत छथि. बंगालक खाड़ीक कछेरपर अवस्थित ई देवी  प्रायः चारि सौ वर्ष पूर्व समुद्री तूफानमें फंसल नाविक लोकनिक प्राणरक्षाक कयने छलथि . आब तं ई तीर्थ ततेक जागन्त अछि जे अगस्त-सितम्बरक एतुका वार्षिक महोत्सवक अवसरपर करीब मास  भरि अहोरात्र देवघरक कंवरिया जकां पैदल जाइत तीर्थयात्री सड़कसब पर देखबैक: खूजल पयर, गेरुआ वस्त्र आ नाममात्र सामनक एकटा झोरा. जतहि  थाकि गेलहुं, कोनो चर्चमें व भक्त लोकनिक परिसरमें विश्राम भ गेल. केओ भोजन व जल पियौलक तं बेस, अन्यथा अपने भरोसे गुजर करैत तीर्थ धरि पहुंचि गेलहुं. तीर्थ यात्रीक एहि समूह में लोक लडोना गाड़ीपर नेना आ रोगी परिजनकें ल जाइत सेहो भेटि जायत. कतेक बेर देवी-देवता कें सेहो लोक रथपर चढ़ाकय दूर-दूर सं वेलंकन्नी धरि ल जाइछ.

वेलंकन्नी बीच

चर्च
हमरा लगैत अछि जखन विभिन्न  धर्म, आ जीवन पद्धति एक दोसराक सम्पर्कमें अबैछ तं अनेको परस्पर विरोधी विश्वासक  बावजूद प्रत्येक पद्धति आ मान्यता एक दोसराकें कोनो-ने-कोनो रूपें प्रभातित अवश्य करैछ. अस्तु, देवघरक काँवरिया आ वेलंकन्नीक तीर्थ यात्रीमें हमरा अनेक समानता देखबामें अबैछ.ततबे नहिं एहि चर्चकेर परिसरमें करीब आधा किलोमीटर नाम आ करीब पचास मीटर चौड़ा बालुक ट्रैक देखलियैक जाहि पर भाव विभोर भक्त लोकनि ठेहुनिया दैत  देविक अर्चनामें लागल छल. ई बुझू एतुका दंड-प्रणाम भेल.
वेलंकन्नीकें टेम्पल-टाउनशिप कहि सकैत छियैक. कारण, एतय जे किछु छैक सब केवल तीर्थयात्रीक सुविधा सहायताक हेतु.मेन हाईवेसं पूब मुहें समुद्रक कछेर पर बसल चर्च दिस जाइत करीब एक किलोमीटर सड़कक दाहिना भाग बुझू सब भूमि चर्चहिक परिसरमें अबैछ. परिसर साफ़-सुथरा, खूब नीक व्यवस्था. पार्किंग, सहभा-भवन, रंगमंच, स्टोर्स, पूजाक सामग्रिक दोकान, चाह-पानी, भक्त लोकनिक हेतु भानस करबाक हेतु किरायाक किचन-गैस, धर्मशाला. किन्तु, एतुका समुद्र-तट पर जेहने भीड़, तेहने गंदगी. गंदगी तं हमरा लोकनिक स्वाभाविक रोग  थिक. एकर इलाज हेबाक चाही. प्रायः शिक्षा मात्र एहि राष्ट्रीय रोगक उन्मूलन में सफल हयत. 
वेदारण्यम रामारपादम
13 जनवरी 2018: आइ भोरहिं फेर यात्रा शुरू भेलैक. विकिपीडियामें पढल, जं  कोडियक्क़रै पक्षी-विहारमें पक्षी देखबाक अछि तं भोरहिं पहुंचू. 53 किलोमीटर दूर. सड़क नीक छैक, किन्तु, हमरा गाड़ी धीरे चलेबाक वाध्यता अछि, मारुख रोड पर जे छी.
सड़कक दुनू कात गाम, धानक खेती. आब एम्हर धान रोपबा आ कटबाक कोनो ऋतु  नहिं . एक कोलामें धान  रोपल जा रहल अछि आ लगे में दोसर कोलामें धान पाकि  रहल अछि. धानक फसिल सेहो केवल डेढ़ बीत उंच. जं जं आगू बढ़लहु दुनू कात पानि, जेना, कोसिकन्हा  में आबि गेल होइ. असल में समुद्रक लगीच ई इलाका कावेरी-डेल्टा एवं मार्स-लैंड थिकैक, जतय एकहि ठाम जंगल, पानि, नोनक खेती, माछक व्यापार आ नौवहन सब किछु छैक. वेलंकन्नी सं किछु दूर दक्षिण वेदारण्यम क़स्बाअबैत छैक. 1930 ई. में गाँधीजीक दांडी-यात्राक समर्थनमें चक्रवर्ती राजगोपालाचारी एतहि  नमक-कानून भंग केने छलाह. एहि शहरमें ओकर स्मारक सेहो छैक, किन्तु, हमरा लोकनि पक्षी देखबाक लोभे सोझे बढ़इत चल गेलहु. इलाका एकाएक जंगली भ गेलैक. दुनू कात सघन जंगल. बीचमें चमकैत , किन्तु संकीर्ण सड़क. जंगलक बीचमें सड़कक बम भाग एकाएक, उपर चढ़ईत सीमेंटक सीढ़ी, एकटा साइन-बोर्ड: रामारपादमः

रामारपादम
अर्थात मर्यादा पुरषोत्तम रामक चरण. कतय अयोध्या आ कतय वेदारण्यम. आ एतय रामारपादम. इएह सब सूत्र भारतकें एक परिवार जकां जोड़ने अछि. तें बंधन ढील नहिं हो, से सबहक दायित्व. किन्तु, एखन चिडई देखबाक उद्वेग अछि. चिडई इचना-पोठी-डोका-कांकोड लोल में लेत आ रौद उगिते उडि जायत, किन्तु, रामारपादम एतहि छथि. अस्तु, चरैबेति.

कोडियक्क़रै (Point Calimere),  कोडियक्क़रै अभयारण्य एवं पक्षी-विहार
बंगालक खाड़ीक उत्तर-दक्षिण कछेर,  वेलंकन्नी सं करीब पचास किलोमीटर दक्षिण, सोझे पश्चिम दिस घूमि जाइछ.एहि भौगोलिक इलाकाकें  Point Calimere क नाम सं चिन्हल जाइछ. वस्तुतः, कोडियक्क़रै एकटा छोट-सन  गाओं थिक, आ Point Calimere एकटा आम इलाका थिक.
एहि इलाकामें एकटा अभयारण्य आ पक्षी विहार  सेहो छैक. समुद्रक कछेरक लगीचमें विशाल मार्श-लैंड में जाड़क मासमें दूर-दूर सं अबैत पक्षीक झुण्ड एतय प्रचुर भोजनक कारण बसेरा दैछ. अस्तु, जाड़क मासमें ई पक्षी विहार ( कोदियक्कडै पक्षी विहार )  सेहो  टूरिस्ट लोकनिक हेतु  एकटा आकर्षण बनि जाइछ, से पोथीमें भले पढ़ी, किन्तु, एतुका टूरिस्ट-आकर्षण नहिं थिक. कारण, वेलंकन्नी होटलमे केओ कोडियकरै जयबा ले आयल अछि, से हमरा नहिं भेटल. तथापि, मुस्लिम बहुल एहि गाओंमें तकैत-तकैत जखन गामक बाहर समुद्रक कछेर लग पीच सड़क समाप्त भ गेलैक आ बलुआक कच्ची सड़क आरम्भ भ गेल तं गाड़ी तरह केलहु, आगू दूर-दूर धरि पसरल मटमैल भूमि, ओहने पानि, तकर आगू समुद्र. पक्षीक कतहु नामोनिशान नहिं. हमरा भेल   अओर आगू जाय पड़त. किन्तु, समुद्रक कछेर, कच्ची, सड़क, जनशून्य इलाका, आ केवल दुइएटा प्राणी. गाड़ी रोकल.  दू टा युवक समुद्र दिस सं मोटर साइकिल पर अबैत छल. तमिल में पुछलिएक, आगू की छैक ?
पक्षी-विहार
उत्तर भेटल, 'समुद्र'. ओ सब गाम दिस बढ़ि गेल. हमरो बुझबामें आबि गेल. प्रायः पक्षी देखबाक ऋतु समाप्त भ गेल छैक, वा एतय आब पक्षी सब ले पर्याप्त भोजन नहिं छैक, वा पर्यावरणक कोनो विकृति पक्षी सब कें आब  एम्हर अयबा सं रोकैत छैक. जे किछु, पक्षी नहिं देखल तं की ! पक्षी-विहार आ कोडियक्क़रै तं देखल.उत्तरमें  सियाचिन  आ दक्षिणमें  कोडियक्क़रै देखि लेल. बेजाय नहिं. किन्तु, अभायारण्य तं बांकीए अछि. सुनैत छी एतय ब्लैक-बक, जगली घोडा, आ किछु अओर जन्तु सब छैक. किन्तु, पुछैत-पुछैत जखन अभायारण्यक  पहुँचलहु तं अजुका दिन सरकारी अवकाश भेलाक बावजूद  बड़का लोहाक गेट पर ताला झूलैत  रहैक .

अभयारण्य
आखिर प्रत्येक राज्यमें अपन-अपन चारा घोटला होइत छैक. एकटा दोसर सज्जन सपरिवार कोयम्बतूर सं आयल छलाह. वन-विभागमें किछु परिचयो छलनि. लागल गोड दसेक बेर फ़ोन केलनि किन्तु, अभायारण्यक द्वारि खोलबा ले केओ नहिं पहुँचल. हमरा अर्थ लागि गेल. पांडिचेरी सं चलबासं पूर्व हम सेहो तमिलनाडुक चीफ कांजेर्वेटर ऑफ़ फारेस्ट सं सम्पर्क केने रही जे कोडियक्क़रैमें हमरा सबके केओ कन्डक्ट करय. ओ चुप लगा गेल छलाह. किन्तु, तकर अर्थ हमरा तखन नहिं लागल छल. आब गप्प बूझि गेलियैक. घूरतीमें कोडियक्क़रै गाओं में फारेस्ट डिपार्टमेंटक गेस्ट-हाउस नजरि पड़ल. गाड़ी रोकल. पुछ्लियैक, ' कमरा अछि, देखय चाहै छी ?' जवाबमें केयर-टेकर केर प्रश्न: 'कमरा चाही ?'
-'नहिं'
-' तखन, जखन कमराले आयब, देखा देब .'
हमरा अर्थ लागि गेल. हमरा लोकनिक देश अनेरे नहिं जर्जर भ रहल अछि. आई कोडियक्क़रैमें एकर एकटा अओर प्रमाण भेटल. किन्तु, यात्राक icing on the cake एखन बांकीए छल. Point Calimere क लाइट-हाउस देखय गेलहु तं भारतीय वायु सेनाक परिसर देखबामें आयल. भीतर गेलहुं. युवक इन-चार्ज फ्लाइट लेफ्टिनेंट शर्माक सौजन्य आ हुनक ऑफिसमें एक-कप गर्म चाह नीक ब्रेक छल. शर्माजी तं जलपानहुक आग्रह करैत छलाह, किन्तु, हमरा लोकनि हुनका धन्यवाद दैत वापसे हयब उचित बूझल. 






 
 

   
   
      

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