Thursday, November 1, 2018

नेपालक त्रिशूली नदीमें नौकायन (राफ्टिंग)

त्रिशूली नदीमें राफ्टिंग नौकायन

नेपालक पहाड़ी इलाका अत्यंत मनोरम अछि. हरियर भूमि, स्वेत-धवल पर्वतमाला, कलकल बहैत अनेको नदी जाहिसँ मिथिलाक भूमि पटितो अछि दहाइतो अछि. नेपालक इएह प्राकृतिक सौन्दर्य सम्पूर्ण विश्वक पर्यटककें चुम्बक-जकां घीचि अनैछ. विपुल प्राकृतिक सम्पदासंपन्न नेपालमें सब पर्यटक ले किछु ने किछु आकर्षण छैके. जं हिमालयक शिखर पर्वतारोहीकें नोतैछ तं दोसर दिस पशुपतिनाथ-मुक्तिनाथक तीर्थ शैव वैष्णव लोकनिक हेतु दिव्य देश थिक. 1960-70 बीच  काठमांडू जं हिप्पी लोकनिक हेतु निर्वाणक द्वार छल, तं, आइओ काठमांडू शहरी अभिजात्यक  हेतु प्रमुख पर्यटन केंद्र अछि
नेपालमें आम पर्यटककेर निर्वाणकेर द्वार: ठमेल, काठमांडू
सत्यतः, प्रकृति हमरा सोदर-जकां  बूझि पड़ैछ. तें, प्रकृतिक संग एक भ जयबाक  कोनो मौका हम छोड़इत नहिं छी.  संयोगवश हम जीविकाक हेतु आधा दशकसं बेसी समय नेपालमें बितौनहु छी. ओहि अवधि वा आन अवधिमें जखन कहियो कतहु गेलहुं, जखन कखनो कोनो नदी, पहाड़, गुफा, कन्दरा, तीर्थस्थान, ऐतिहासिक स्थल देखबाक अवसर भेटल, मौकाक लाभ उठबैत गेलहुं. त्रिसूली नदीमें राफ्टिंग सेहो एहने अवसर छल जकर योजना बनयबाक श्रेय हमर पत्नी श्रीमती रूपमकें छनि. हम पर्यटन-स्थलक खोज इन्टरनेट में करैत छी, अपन विपुल अध्ययनसं विश्वभरिक पता-ठेकाना अपन मनमें सरियाकय रखैत छथि. हुनक मोनमें नुकायल सूचनाक अनुमान हमरा किएक रहत. किन्तु, समय भेला पर उपयोगी तं होइते अछि.  अतः हम टूर प्लानिंग हुनकहिं पर छोडि दैत छियनि.

टूर प्लानर: हमर धर्मपत्नी श्रीमती रूपम

प्रायः 2010 . अक्टूबर मास छलैक. हमर बालक, अमिय, बंगलोरसं पोखरा अयबाले छलाह. नेपाल-सन  भूमि घरमें बैसि समय बिताबी ! हमर पत्नी सुझाव देलनि जे हमरा लोकनि त्रिशूलीमें राफ्टिंग करी. योजना सबके पसिन्न भेलैक कार्यक्रम बनि गेलैक. से कोनो आश्चर्य नहिं.  भारतीय सेनाकमें प्रति तीन वर्ष पर पोस्टिंग भरि भारतमें, पूब सं पश्चिम उत्तर सं दक्षिण दिसक यात्राक कारण हमर यायावरी वृत्तिक लसेढ हमर नेना लोकनिकें सेहो  पर्यटक बना देने छनि.   सर्वविदित अछि, नेपालक महाकाली सं मेछी धरि सब नदीक पानि भारते दिस बहैत बिहार, उत्तराँचल, उत्तर प्रदेशमें आओर पैघ-पैघ नदीक रूप लैछ; घाघरा, गण्डक, कमला, कोसी सदृश आन कतेको नदीक उद्गम उत्तरमें तिब्बत वा नेपाले में छैक. त्रिशूली नदी एहि सब सं एक थिक. त्रिशूली नदीक उद्गम तिब्बतमें होइछ. अपन उद्गमसं नेपालमें लम्बा दूरी पार करैत त्रिशूली चितवन जिलाक  देवघाट लग नारायणी नदीमें मिलैत अछि. बिहारमें इएह नारायणी नदी गण्डक कहबैत अछि. काठमांडू घाटीक बाहरसं आरम्भ मुग्लिंग धरिक एहि त्रिशूली नदीक  समतल खण्ड रिवर-राफ्टिंग ले उपयुक्त मानल जाइछ. गहराईमें उत्थर, प्रकृतिमें चंचल, रंगमें स्वच्छ फेनिल, कतहु-कतहु मनोरम हरियर कचोर, त्रिशूलीमें अचानक बाढ़ि अयबाक भय सेहो नहिं; भुतही बलानक धूरा उड़इत पाटमें रुख-सुख मौसममें अचानक बाढ़ि सं बैल-गाड़ी सं कय हाथी धरि बहि जयबाक खीसा तं कतेको गोटे सुननहि हयब. किन्तु, त्रिशूलीमें ताहि सबहक कोनो अंदेसा नहिं. ततबे नहिं, दूर-दूर धरि सोझ, समतल खण्ड, चौड़ा पाट, ठाम-ठाम शांत ठाम-ठाम उच्छल धार (placid section rapids), अनुकूल तापमान, किनेर-कछेरपर बस्ती, पर्यटनस्थल,  तीर्थस्थलक कारण त्रिशूलीकें राफ्टिंगक हेतु आदर्श अछियो.  
त्रिशूलीक धारमें लोच: मलेखू
सर्वविदित अछि, पहाड़, गुफा, नदी, मरुभूमि सब किछु भूगर्भक आन्दोलन, वातावरण, मौसमक संयोगक प्रतिफल थिक. किन्तु, मनुष्य अपन धारणा, आस्था, वा वैज्ञानिक बुद्धिसं सब कथूक उद्गमक कथा अपने गढ़इत अछि. कखनो-कखनो विश्वास, आस्था रूढ़िमें सेहो परिवर्तित होइत जाइत छैक. त्रिशूलीक सेहो एकर अपवाद नहिं. जनसाधारणक मान्यताक अनुसार त्रिशूली नदी, पृथ्वीपर शिवकेर त्रिशूलक प्रहारक परिणाम थिक. मान्यता कोनो आश्चर्यनक नहिं. एहि प्रकारक मान्यता अरुणाचलक परशुराम कुण्ड सं कय गंगासागर द्वीपक गंगा धरिक सम्बन्धमें सुनबैक. किन्तु, जे किछु संगत-असंगत बूझि पड़य अपन बुद्धि मान्यताक अनुसार विश्वास वा अविश्वास करू ! जे किछु.

यायवर पिताक ट्रेकिंग में सिद्धहस्त पुत्र: अमिय
त्रिशूलिक कछेरपर कैम्पिंग ग्राउंड
निर्धारित कार्यक्रमक अनुसार हमर बालक पोखरा अयलाह एकदिन हमरा लोकनि त्रिशूलीक कछेरपर राफ्टिंगले पोखरा सं दक्षिण मुग्लिंग नामक स्थान अयलहु. काठमांडूसं पश्चिम मुंहे अबैत पृथ्वी राजमार्ग मुग्लिंगमें दू दिस - दक्षिण दिस वीरगंज-भरतपुर-नारायणघाट पश्चिममें पोखरा दिस - फूटैछ . तें, मुग्लिंग एहि बाटपर प्रमुख बस पडाव मुफस्सिल बाज़ार सेहो थिक. मुग्लिंगमें एहि तिनबटिया लग उत्तरसं अबैत मर्स्यांग्दी नदी सेहो त्रिशूलीमें मिलैछ. अस्तु, तिनबटियासं दक्षिण त्रिशूली बेसी गहिंड, पाटमें चौड़ा, वेगवती होइत चल जाइछ. तें, त्रिशूलीक भाग जे मुग्लिंगसं दक्षिण पडैछ, राफ्टिंग ले ओतेक उपयुक्त नहिं. एतय एहि हाईवेपर बसक मुख्य पड़ाव हेबाक कारणे एतय त्रिशूलिक किनेरहिं पर अनेको होटल, चाह केर दोकान, ठहरबाक लॉज सेहो भेटत. नदीमें माछक प्रचुरताक प्रमाण एहि ठामक होटल सब में सब ठाम भेटत.मन हो तं माछ खाउ, सुकठी किनू, वा नाक झंपने आगू बढि जाउ. जाड़क मासमें, समीपक पहाड़ी गाओं सबमें संतोला अजस्र बगानक कारण, एतय दूर-दूर धरि सडकक कातमें संतोलाक ढेर सहजहिं आकृष्ट करत
एतुका संतोला देखबामें जेहने आकर्षक, खयबामें तेहने मीठ. तें,  दिन देखार  एहि बाटें काठमांडू वा पोखरा गेनिहार यात्री कदाचिते बिनु संतोला किनने-खेने आगू बढ़थि. मुग्लिंगक समीपे त्रिशूलिक ठीक उत्तर मनोकामना भगवतीक तीर्थक हेतु एतय लगहिंसं रोप-वे स्टेशन छैक. तें मुग्लिंग तीर्थाटनक केन्द्र सेहो थिक. किन्तु, हमरालोकनिकें आइ राफ्टिंग आरम्भ करबाक हेतु एतय सं करीब बीस किलोमीटर पूब मलेखू गाओं जाय पड़त : किछु घंटाक संक्षिप्त राफ्टिंग मलेखू सं आरम्भ होइत मुग्लिंगेमें आबि समाप्त होइत छैक. तें,  एहि इलाकामें त्रिशूली नदीपर  राफ्टिंगक आयोजक अनेक प्रतिष्ठान  मलेखूएमें भेटत. ओत्तहि राफ्टिंगकेर उपकरण, ट्रेनर, गाइड  इत्यादि सब कथुक व्यवस्था सेहो छैक. मलेखू पहुंचि नदीक कछेरहिंपर हमरोलोकनि एक गोटेसं सम्पर्क कयल; प्रायः प्रति व्यक्ति पन्द्रह सौ नेपाली रुपैया. साज सामानक दाम टूर-ऑपरेटरकेर श्रमकें देखैत मूल्य एकदम उचित लागल. टूर ऑपरेटर व्यवहारमें एकदम अनौपचारिक नीक. नेपालक पहाड़ी इलाकामें विचार-व्यवहारक सरलता सौजन्य अहाँके सब ठाम भेटत.                                                                                
हमरा लोकनि जखन मलेखू  पहुंचल रही ताबत अओरो किछु पर्यटक लोकनि जमा भेल रहथि. अस्तु, करीब दस गोटेक हमरा लोकनिक दल बनल आरंभिक परिचय पात टाकाक पेमेंटक पछाति  टूर गाइड हमरालोकनिकें दस-पन्द्रह मिनटकेर ट्रेनिंग देलनि. ट्रेनिंग में मुख्य गप्प जे  सामूहिक रूपें पतवार कोना चलाबी; आखिर नौकायन सामूहिक एडवेंचर एक्टिविटी थिकैक. एडवेंचर एक्टिविटीमें मनोरंजन आनंदक संग चोट-पटककेर खतरा तं रहिते छैक. राफ्टिंगमें खतराकें ध्यान में रखैत International Scale of River Difficulty राफ्टिंग कें 1 सं 6 धरि विभाजित केने अछि. ओही दृष्टिऍ एतुका राफ्टिंग स्केलपर 2 सं उपर नहिं. तथापि सावधान रहब उचिते. तें, खतरासं कोना बंची, तेज धार वा भंवर (रैपिड्स) बाटें नाव कोना चलतैक; भंवरमें सामूहिक प्रयासें नाओकें कोना नियंत्रण में राखी; सामान कोना रक्षा करी, आदि-आदि संक्षिप्त ट्रेनिंगक मूल पाठ छल. एहि ट्रेनिंगक पछाति हमरालोकनि कमर कसलहु, life जैकेट हेलमेट पहिरल, बांकी सामान पोखरा सं आयल कारमें सुरक्षित कयल, राफ्टिंग ले तैयार गेलहुं.
लेखक
हमरा लोकनि नदीक बाटें मुग्लिंग जायब. हमरालोकनिक कार सडकसं मुग्लिंग वापस हयत ओतहिं हमरा लोकनिक प्रतीक्षा करत. मुग्लिंगमें राफ्टिंग समाप्तकय  हमरालोकनि पुनः कार में बैसब आइए पोखरा आपस जायब.
राफ्टिंग केर एहि पहिल अनुभवमें रोमांचक अनुभव सहजहिं. हम तं पाराट्रूपिंग सेहो केने छी. अमिय सेहो स्काई-डाइविंग चुकल छथि. मुदा, नदी में राफ्टिंग हवा में तैरबाक अनुभवमें बहुत अंतर छैक. हमरा लोकनि कमलाक कछेरक बासी छी. पहिने बाढ़ि-पानि जीवनक हिस्सा सोहाग-भाग छल. छोट वयस में पोखरि में उमकब तहिया हमरा सबहक हेतु दिनचर्याक सबसँ सुखद अंग होइत छल, किन्तु, हमरा एखन धरि रिवर-राफ्टिंगक कोनो अनुभव नहिं, तें, कनेक शंका सेहो नहिं छल से कोना कहब. सत्यतः, हमरा लोकनि एक बेर पहिनो लेह में सिन्धुमें कारू गांओसं निम्मू धरि राफ्टिंग केर योजना बनौने रही. किन्तु, योजना सैनिक अनुशासनक कर्मकांडमें ओझराकय सफल.नहिं सकल.
देश-विदेशक पर्यटक
आइ हमरा लोकनिक राफ्ट में आगू एकटा गाइड राफ्टक दाहिना बामा भाग पांच-पांच  टा पर्यटक रही. राफ्टिंगक अनुशासन तरीकाक पुनः एकबेर रिवीजन रिहर्सलक भेलैक सब गोटे राफ्टमें बैसलहु. क्रमशः राफ्ट गति पकडलक. पतबारक कनिए किछु सहयोग. नदीक अपने गति एतबा भार ले पर्याप्त : ‘आकाशात् पतितं तोयं यथा गच्छति सागरम् ’- (आकाशसं खसैत) पानि जेना (अपनहिं प्रेरणासं वा गुरुत्वाकर्षणक बलें ) अधोमुख बहैत सागर दिस बढ़इत जाइछ ; चंचल धारमे आगू बढबाले नाओकें कोनो प्रेरणा वा आदेश नहिं चाहिऐक ! किन्तु, त्रिशूलीक वक्षपर एहि राफ्टमें बैसिते हमरा लागल हमर सूक्ष्म अस्तित्व ओहि विराट प्रकृतिक एहन  नगण्य अवयव बनि गेले जकर प्रभावसं हमर गति, श्वास, संज्ञा आत्मा पंचभूतक अजस्र श्रोत सं अनायास आप्लावित रहल अछि. शरीरमें रोमांच, मन में आनंद इएह तं थिकैक एडवेंचर ! सत्यतः, हिमालयक विरल वायु, त्रिशूलीक जल, कछेरक भूमि भैषज्यक दृश्य, नील निर्मल आकाश, नदीक उर्जासं सम्पोषित गतिक आनन्द वर्णनक नहिं अनुभव करबाक थिक. आनंदक एहि क्षणमें दस टा नितान्त अपरिचित पर्यटकक समूहक बीचक अपरिचय क्षणहिंमें तहिना बिला गेल जेना अचानक रौद उगने भोरका धोन बिला जाइछ. द्रुत गतिमें बहैत नदीक जल, ठाम-ठाम अबैत अवरोध, अचानक तेज धार, नदीक धारक दिशामें अचानक परिवर्तनले सबके सर्वदा साकांछ तत्पर रहबाक आवश्यकता. द्रुत गतिएँ सामूहिक रूपें पतबारकें चलबैत निरंतर नाव पर नियंत्रणक प्रयास. फलतः, सामूहिक उद्यमक त्वरित परिणाम नव सिखल कलाक सफलताक जयघोष नदीक हूंकार, रक्तमें एड्रेनलिनक स्वतः प्रवाहक हमरा लोकनिके किछुए काल में त्रिशूलीक अधैर्य जलधारसं एकाकार देने छल. लगैत छल  यात्रा अनन्त काल धरि समुद्र धरि होइतैक, समयक निरंतर प्रवाह ठमकि जइतैक त्रिशूलीक संग हमरा लोकनिक संग अंतहीन जाइत. मात्र से ने यथार्थ ने संभव. यद्यपि माउंट एवरेस्टक मस्तक पर ध्वजारोहण कयनिहार सर एडमंड हिलरीक 1977 From Ocean to Sky अभियान एखनो मोने अछि, किन्तु, ताहिले शौर्य, योजना, अर्थ, समय सब किछु चाही. जे ने सर्वसाधारण ले संभव ने स्पृहणीय. अस्तु, हमरा लोकनि अजुका एहि अवसरक खूब आनन्द लेल. बांकी पर्यटक लोकनि सेहो अत्यंत उत्साहमें रहथि. नदीक सोझ शांत भागमें केओ गीत गबैत, केओ हास्य विनोदमें केओ फोटो झिकैत. किन्तु, सबहक संज्ञा राफ्टक गति अचानक अबैत अवरोध खतराक प्रति निरंतर सजग. तकर आवश्यकता सेहो छैक. बुझबाक थिक, खतरा एडवेंचर अभियानक संगबहिना थिक. तें, ‘सावधानी हंटी, दुर्घटना घटीसर्वदा मोन रखबाक थिक. सशस्त्र सेना में हमरा लोकनिकें एकर अनेक दुःखद अनुभव भेल अछि. किन्तु, आइ हमरा लोकनि सब सजग छी. नदीक शान्त उच्छल दुनू भागमें सब गोटे सुरक्षित जा रहल छी. मौसम साफ़ छैक मार्ग सोझ. तें, नवसिखा दक्ष सब सुरक्षित. करीब पन्द्रह बीस मिनटकेर पछाति एक ठाम पानि खूब गहिंड भेलैक. रंग हरियर कचोर. गाइड कहलनि, जकरा हेलय अबैत हो, राफ्ट छोडि पानि में कूदि जाउ. हेलू, मस्ती करू
शान्त धारमें अनायास नौकायन

जलविहार
किछु कालक बाद पुनः आगू बढ़ब. हमरा लोकनि कमलाक कछेरक उपज. स्वभावहिंसं पानिक कीड़ा छी. हमर नेना लोकनि सेहो छोटे वयस सं हेलबामें सिद्धहस्त छथि. मिलिटरी स्टेशन सबमें सुविधा सब ठाम रहिते छैक. अस्तु, हमरा लोकनि कतेको वर्षसं छूटल हेलबाक आनन्दक कमी कें खूब पूरा कयल पुनः राफ्टमें सवार आगू बढलहुं.
अन्ततः, थोडबे कालक बाद एहि सफल सुरक्षित अभियानक पछाति मुग्लिंग में राफ्ट घाट लागल हमरा लोकनि तीतल-भीजल कपड़ालत्ता   बदलल कार में सवार भेलहुँ. किन्तु, मुग्लिंगक संतोला खेने आगू कोना बढ़ब. अस्तु, किछु खायल पर्याप्त संतोला  मोटरीमें बान्हल. एतबा अवश्य, नेपाल सं बाहर एहन मधुर संतोला कतहु भेटत से हठे विश्वास नहिं होइए. अहूँलोकनि जं कहियो मनोकामनाक दर्शनलें मुग्लिंग आबी वा त्रिशूलीमें राफ्टिंग करी संतोला भेटय, तं एतय संतोला खायब जुनि बिसरी.   हं, एतय अपन फेफड़ामें पर्याप्त स्वच्छ वायु सेहो अवश्य भरि लेब.एहन  स्वच्छ वायु आब समतल भूमि में कतय पाबी !              

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