Friday, November 16, 2018

अमेरिकाक सिंहद्वार न्यूयॉर्क सिटी आ वाशिंगटन डी सी


अमेरिकाक सिंहद्वार न्यूयॉर्क सिटी
मनुष्यक महाकुम्भ
शहर आ नगरके परिभाषित करब आसान नहिं. आ जं आसान छैक तं, शहर नगर जकरा जेहन लगैत छैक, ओ ओकर नाम ओहने राखि देलक. किन्तु, भारतमें एखनुक शहर आ नगरक  नाम बदलबाक होड़सं ई बूझब कठिन नहिं जे कोनो नाम याजुगी नहिं. तथापि, पहिने बहुतो जनशून्य, अनामा स्थानमें जखन लोक पहुँचैत छल, तं जे फुरलैक, वा जे किछु सबसं बेसी आकृष्ट केलकैक ओही अनुसारे नाम राखि देलक. तें, ने पुरान पूर्णिया जिला में चोरकट्टा, शिरकट्टा, गरदनिकट्टा, कौआउड़ा, हाथीडूबा, आ दहीभात-सनगाम रहैक. तहिना आरम्भमें जखन यूरोपसं आप्रवासी लोकनि अमेरिकामें पयर देलनि तं बहुतो ठामक नाम ने बूझल छलनि आ ने छलैक. तें, मासो भरि महासागरक यात्राकय जहाज कतय घाट लगलैक, के कहत. तखन स्थानक नामकरणक समस्या हयब उचिते ; जे इलाका जनशून्य रहैक तकर नाम के कहितनि. जाहि स्थानमें आबादी छलैको, आगंतुक लोकनिकें स्थानीय लोकक भाषा के बुझबितनि. अतः, कतेको इलाकाक नागरिक जतयसं आयल रहथि, अपन शहर-नगरक  नाममें न्यू लगा देलखिन. अस्तु, यॉर्क सं न्यूयॉर्क, इंग्लैंड सं न्यू इंग्लैंड, हैम्पशायर सं न्यू, हैम्पशायर प्रभृत्तिक सैकड़ो स्थानक नाम अमेरिकामें सुनबैक. स्थानक नामकरणक आविष्कार सैकड़ो भिन्न तरीक म सं ई मात्र एकटा नमूना भेल. अमेरिकाक शहर आ नगरक नामकरणक इतिहासले तं एकटा स्वतंत्र पोथी चाही. अस्तु, एखन विषयपर आबी.                                                                                     
 सर्वविदित अछि, अमेरिका देशक हेतु एकटा आओर विशेषण उपयुक्त होइछ: Melting Pot, माने विभिन्न, देश, धर्म, भाषा, रंग, आ स्वरुपक लोकक खदकैत कड़ाह- महाकुम्भ- जाहिमें आबिकय विभिन्न ठामक लोक संयुक्त संस्कृतिक एहन खिच्चडि भ गेल जकर नाम अमेरिका थिक. असल में Melting Pot क विशेषण सर्वप्रथम न्यूयॉर्क शहरेले भेल छलैक, जकर बंदरगाह यूरोपीय आप्रवासक मुख्य द्वार छल. किन्तु, खिच्चडिक कथा पछाति. एखन न्यूयॉर्कक गप्प करी.  न्यूयॉर्क कतेक अर्थमें भारतक मुंबई-सन अछि: तटीय इलाका, पर्यटन, शिक्षा, संस्कृति, स्वास्थ्य-सेवा, कला, पत्रकारिता, विश्वव्यापार, आ अपराधमें संलग्न  विभिन्न प्रकारक जनसमूहक विशाल नगर. हमरा लोकनि सितम्बर 2009 में बेटी-जमायक संग न्यूयॉर्क पहुँचल रही. ओहि समयमें सिद्धार्थक मित्र कल्पित देसाई न्यू जर्सी में रहथिन. अस्तु, हमरा लोकनि हुनके आवासपर डेरा जमाओल. न्यू जर्सी आ न्यूयॉर्क सिटीमें बेसी दूरी नहिं, केवल  बीचमें समुद्र आ नदीक जलराशि छैक. दुनू स्थान रेल, सडक आ हवाईमार्ग सं नीक जकां जुडल अछि. अस्तु, न्यूयॉर्क में काज केनिहार बहुतो गोटे न्यू जर्सी में रहैत छथि आ प्रतिदिन न्यू जर्सी आ न्यूयॉर्कक बीच अबैत जाइत छथि. हमरो लोकनि दू दिनक अवधिमें चारि बेर न्यू जर्सी ट्रांजिट ट्रेनसं न्यूयॉर्क आ न्यूजर्सीक बीच यात्रा कयल. हमरा लेल अमेरिकामें ट्रेन यात्राक ई पहिले अवसर छल; एतुका ट्रेन दिल्ली मेट्रोक जेठ भाई. स्वरुपमें दिल्ली मेट्रो नीक. सेहो सहजहिं, डेढ़ सौ वर्षक वयोवृद्ध आ 25 वर्षक युवकमें अंतर कोना ने हेतैक.                                                                                                                                                           हमरा लोकनि जहिया चैपल हिल सं न्यूयॉर्क आयल रही, सप्ताहांत रहैक. कल्पित अपने हमरालोकिनके एअरपोर्टसं  अनबाले फ़िलेडैल्फ़िया आयल छलाह आ घुरती बेर पुनः ओत्तहि पहुंचा गेलाह. कल्पित गुजराती मूलक भारतीय आ हमर जमायक सहपाठी थिकाह. ई किछुए वर्ष पूर्व नार्थ कैरोलिना विश्वविद्यालय चैपल हिल में पी एच डी समाप्त कय न्यू जर्सी में काज करैत छथि. पत्नीकें कल्याणक योग्यता छनि. किन्तु, एतय ई दूइए गोटे रहैत छथि. हिनका ओतय अयलासं सिद्दार्थ-सुष्मिताकें पुरान मित्रक संग रहबाक अवसर तं भेटिए, गेलनि हमरा लोकनिकें होटलक हुज्जतिक आलावा दू दिन न्यूयॉर्क घुमबामें दू गोटे आओर संगबे भ गेलाह. दुनू दिन हमरा लोकनि प्रिन्सटन स्टेशन सं न्यू जर्सी ट्रांजिटक ट्रेन पकडि न्यूयॉर्कक पेन स्टेशन धरि आबि भूमिगत तहखानासं सोझे न्यूयॉर्कक मैनहाटेन धरि आबि जाइ.                                                                           अमेरिका हो वा न्यूयॉर्क, बाहरी जनसमुदायके एकटा छवि अमेरिकाक नाम लितहिं  दृष्टिपर अबैत छैक ओ थिक स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी. अस्तु, हमरा लोकनि सोझे लिबर्टीए देखबाक हेतु विदा भेलहुँ. बहुत दिन पहिनहिं जखन दरभंगामें विद्यार्थीए रही, रीडर्स डाइजेस्टक एक अंकक ‘संक्षेपित पुस्तकक’ खण्डमें लिबर्टीक मूर्ति कथा पढ़ने रही. बूझल छल, फ्रांसमें निर्मित ई मूर्ति जहाजपर अमेरिका आनल गेल छल. मूर्तिक आकार ततबे टा छैक जे एकर हाथक एक-एकटा आंगुरक नमती 1-1 मीटर छैक. लेकिन, से गप्प अहम नहिं. एखनि भारतमें स्टेचू ऑफ़ यूनिटीक स्थापनाक पछाति व्यक्तित्व, मूर्तिक विराटताक समक्ष बौन प्रतीत होइत अछि. किन्तु, अमेरिकाक प्रसिद्धिक कारण लिबर्टीक आकार नहिं थिक; बल्कि लिबर्टीक मूर्ति एहि तथ्यक द्योतक थिक जे अमेरिका मनुखक विचार आ व्यवहारक स्वतंत्रताक भूमि थिक. एहि बीचमें दक्कन क्रोनिकिल नामक समाचार-पत्रक स्तम्भकार फारूख धोंडीक विचार पढ़लहु. हुनकर कहब, जे प्रसिद्धिक कारण जं आकार होइतैक तं माइकलएंजेलोक प्रसिद्द वास्तु डेविड केर मूर्ति जकर नमती साधारण मनुक्ख सं एको रत्ती बेसी नहिं, तकर गणना एहन कालजयी कृतिमें किन्नहु नहिं होइतैक. विचार हमरा संगत लागल.तें, हमरा जनैत लिबर्टीक उंचाई एकर वास्तविक ऊंचाई सं बहुत बेसी; ई केवल एकटा विचारकेर मूर्त प्रतीक थिक. ततबे.
न्यूयॉर्क हार्बरमें फेरी राइड: रूपम, सिद्धार्थ, आ सुष्मिताक संग   
  
                                                                                                                                                               अहम बात ई थिक जे अमेरिकामें विचार आ व्यवहारमें स्वतंत्रताक आबोहवा अठारहवींए शताब्दीमें बहब शुरू भ गेल छल. तखनहिं एतय स्वतंत्रताक उद्घोष भ गेल छल. ई सत्य जे सभ्यताक रूप में हमरा लोकनिक बहुत प्राचीन छी आ भारतक सोच एहि सं बहुत आगू छल. नहिं तं, जाहि युगमें हमरालोकनि अपनहिंमें लड़िकय अपने घरमें विदेशी शासकलोकनिक पयरकें दृढ़ करैत रही, तखन अमेरिकाक नागरिकलोकनि अपन पिता-पितामहक भूमि* ब्रिटेनक प्रति विद्रोहक विगुले टा नहिं बजौलनि, बल्कि, ब्रिटिश शासनकें 1775 ए ई. में पराजित कय ओतुका शासक लार्ड कार्नवालिस तेना निष्कासित कयल गेल जे अमेरिकासं भागल-भागल ओ सोझे कलकत्तामें आबि शरण लेलनि. अस्तु, सत्यकेर दुनू पक्षक अवलोकन एहि ऐतिहासिक तथ्यक यथार्थकें सबहक सोझाँ रखैछ. 
लिबर्टी
 
तथापि अमरीकी जीवनक दोसरो पक्ष छैक; लिबर्टीक प्रतिमा भले देशक परिचय भ जाथु, जाधरि अमेरिकाक प्रत्येक नागरिककें स्वतंत्र जीवन जीबाक स्वतंत्रताक अनुभूतिक बोध नहिं हेतैक ताधरि लिबर्टीकेर मूर्ति, मात्र मूर्ति मात्रे रहतीह. हमरो लोकनि शास्त्र-पुराणमें मनुष्यक समानता आ समान अधिकारक चर्चा छैके. किन्तु, शास्त्रक भीतरक चर्चा ने समाजक रीतिक द्योतक थिक, आ ने कोनो रीति सब ठाम आ सब युगमें लागूए होइछ.                                                                        अस्तु, हमरा लोकनि टैक्सी लेल आ लोअर मानहाटन आबि स्टेटेन आइलैंड फेरी क टिकट लेल आ लिबर्टीक प्रतिमाक दर्शनले बिदा भेलहुँ. सर्वविदित अछि, न्यूयॉर्क बंदरगाह स्थित लिबर्टी आइलैंड, लिबर्टीक भूमि थिक. समीपहिंक एलिस आइलैंड पर अमेरिकामें प्रवेशसं पूर्व आप्रवासी लोकनि आबिकय जमा होइत छलाह. एलिस आइलैंडक ओ भवन जाहिमें आप्रवासी लोकनिक जांच-पड़ताल होइत छल, आब संग्रहालय आ एतुका दोसर प्रमुख पर्यटनक आकर्षण थिक. आइ हमरा लोकनिक फेरी (नाओ) ने लिबर्टी आइलैंड जायत आ ने एलिस आइलैंड. स्टेटेन आइलैंड नामक ई फेरी थोडबे दूर आगू स्टेटेन आइलैंड धरि जायत आ जाइत-अबैत हमरा लोकनि लिबर्टीकें नीक सं निहारैत जायब. सत्य पुछू द्वीप पर जाकय भ्रमण आ द्वीपकें दूरसं देखब, दुनूक मजा अलग छैक. जखन जतेक समय, बजट आ जेहन रूचि होअय प्रोग्राम बनाउ. हमरो लोकनि सएह कयल.  ज्ञातव्य थिक, आरम्भमें न्यूयॉर्क हार्बर आ आसपासक अनेक द्वीप आ भूमिक बीच यातायातक साधन केवल नावे टा रहैक. जेना, सिमरियाघाटमें राजेंद्र-पुलक निर्माण सं पहिने जहाज चलैत रहैक, वा पहलेजघाट आ महेंद्रूघाटक बीच महात्मागांधी-सेतु बनबा सं पूर्व जहाज चलैत छल. किन्तु, क्रमशः मैनहाटेनसं जेना-जेना न्यू जर्सी, ब्रुकलिन, ब्रोंक्स, आ क्वीन्स आइलैंडक हेतु पुल आ भूमिगत रेल बनैत गेलैक, फेरी सेवा बंद होइत गेल. पर्यटनक कारण स्टेटेन आइलैंड फेरी एखनो जीवित अछि, किन्तु, कहिया ई इतिहास भ जायत, के कहत.                             
करीब एक घंटाक एहि समुद्र यात्रासं लिबर्टीक प्रतिमाक अनेक फलक खूब नीक सं देखबाक मौका भेटल. संगहि, एहि यात्रामें एहि निर्मल समुद्री वायु आ बेरू पहरक रौदक सेवन सेहो कयल. समुद्रक तरंग, उपर उड़इत सीगल पक्षीक स्वर, पर्यटक लोकनिक सामूहिक कोलाहल, आ तेज बसातक संयुक्त प्रभावक आनंद अद्भुत लागल. डिजिटल फोटोग्राफीक कमाल : जतेक मोन हो, फोटो घीचू.                                                                                                                                                        लिबर्टीक प्रतिमाक आ समुद्रक सैर आ जलहवाक सेवनक पछाति हमरा लोकनि मैनहाटेनक सड़क सब पर किछु काल एहिना तफरी मारल. एहि तफरीक बीच अकस्मात् एकटा मैथिल दम्पति आ हुनक नेनासं भेट भ गेल. हमरा लोकनिक अपनामें मैथिली बाजब परिचयक सूत्र बनल. हमरा मैथिलि बोली सूनि ओ लोकनि आकृष्ट भेलाह. दम्पति मधुबनीक छथि. ओ लोकनि अपने तं मैथिली बजिते छथि, दस वर्षसं छोट नेना मैथिलीमें गप्प करैत रहथिन से नीक लागल. हमरा गौरव अछि हमरो लोकनि मैथिलीकें परिवारमें जोगाकय रखने छी. तथापि, जोगाओल वस्तु कतेक दिन धरि सुरक्षित अछि के कहत ! आब आगू बढ़ी.                                                                      
 एहि ठाम न्यूयॉर्क में जे किछु छैक, सब विश्वप्रसिद्ध. कारण, एक, विश्वभरिक लोक एतय अबैये, देखि कय जाइत अछि, गप्प-सप्पमें, लेख में, ब्लॉगमें, सिनेमामें, सस्मरणमें एतुका सब किछु नीक-बेजायक चर्चा करैत अछि, तं, सब किछु चर्चित आ प्रसिद्ध कोना ने होयत. दोसर, प्रसिद्ध स्थानक अदनो वस्तु आ स्थानक प्रशंसा होइत छैक. औपनिवेशिक युगमें ओ सब वस्तु जे ब्रिटेनसं अबैत छल तकर चारू कात तेहन आभामंडलक (halo) होइत छलैक आ तकर ततेक प्रशंसा होइत छ्लैक जे भारतक बनल नीको वस्तु अनेरे लाजे काठ भेल रहैत छल. जे किछु. तथापि, विश्व व्यापारक केंद्र, वाल-स्ट्रीट, आ वाल-स्ट्रीटक प्रसिद्द ‘ बुल’ (सांढ़) देखल. चलैत-चलैत वियतनाम वार मेमोरियल सेहो देखल. वियतनाम युद्ध अमेरिकी आ एशियाई इतिहासक एहन अध्याय थिक जाहिपर कतहु एकमत नहिं. अमेरिकामें तं नहिए टा. किन्तु, देशक छातीपर युद्धक अखाड़ा बनलाक पीड़ा कहन होइत छैक से वियतनामसं पुछियौक ! इराक सं पुछियौक !! सिरिया-लेबनान सं पुछियौक, आ यमनकेर गरीब सं पुछियौक !!                                                                                                                                                  आगू चलैत-चलैत आन कतेको स्थान पर नजरि पड़ल जकरा फूटसं देखब ने आवश्यक आ ने हमरा लोकनि के तकर समय अछि. बीचमें भोजनक बेर भेलैक. छुट्टीक दिन. तकैत-तकैत हमरालोकनिकें  समीपहिंमें  एकटा रेस्टोरेंट भेटल. कोनो अफगानी मूलक व्यक्ति एहि होटल कें चलबैत छथि. संयोगसं होटलमें  शाकाहारी भोजन उपलब्ध छलैक. तें, कल्पित आ हुनक पत्नी सेहो एतय खा सकैत छथि. हुनकालोकनिक (जैन) निष्ठामें आलू-मूर खायब धरि वर्जित छैक - ई लोकनि भूमि सं नीचा उपजाओल कोनो तर-तरकारी नहिं खाइत छथि. अस्तु, भोजन भेलैक आ फेर घूमब. किन्तु, छौ गोटेक दल एतय दू भाग में विभक्त भेल. हम आ सिद्धार्थ डाक्टर कोहेन केर कहलापर ब्रूकलिन ब्रिजपर टहलबाक इच्छुक रही. अस्तु, सुष्मिता, रूपम, कल्पित आ हुनक पत्नीकें बाज़ारमें छोडि हमरा दुनू गोटे ब्रूकलिन ब्रिजपर चढ़बाक सीढ़ीक खोजमें पयरे बिदा भेलहुँ. लगैत अछि, पन्द्रह बीस मिनट चललो हयब. किन्तु, ने नीचासं पुलपर चढ़बाक सीढ़ीक भांज लागल, आ ने पुलकेर ढलाने देखा पड़ल. सांझ होइत जाइत रहैक. ब्रूकलिनकेर इलाका अपराधले विश्वविख्यात अछि. आब ओ युगो नहिं रहलैक जे लोक केवल पुल देखबाले  पुल पर पैदल चलत. हमरा लोकनिकें वापस न्यू जर्सी जेबाक अछि, से अलग. कल्पित केर पत्नी असक्क छथिन, सेहो नहिं बिसरबाक छल. अस्तु, हमरा लोकनि वाल-स्ट्रीट लग घूरि अयलहुं. किन्तु, ब्रूकलिन ब्रिजपर सैर केने बिना न्यूयॉर्क सं आपस भ जाई से मनःपूत नहिं भेल. अस्तु, पुल पर होइत ब्रूकलिन रेल स्टेशन धरि जेबाक हेतु टैक्सी ठीक कयल. टैक्सी ड्राईवर पाकिस्तानी आ उर्दूभाषी रहथि.  अतः, हुनका सं कनेक-मनेक गप्पो भेल. एहि ऐतिहासिक पुलपरसं पार होइत पुलक दुनू भागक ईस्ट रिवरक धार, सांझमें शहरक स्वरुप आ हार्बरमें लंगर खसौने छोट-पैघ जहाज सब सेहो देखल. भारतक विपरीत एतय जहाज सब सडकक कातमें ओहिना लागल अछि जेना सडक पर गाड़ी पार्क रहैत छैक. ने कतहु कोनो घेरा, ने कोनो बेढ़, आ ने कोनो सुरक्षा-दल. पैदल यात्री आ ट्रैफिक सेहो चलैत अछि आ जहाज सब सेहो अपन स्थानपर लागल अछि.                                                                          
एतय दू टप्पी गप्प. ब्रूकलिन ब्रिज 1883 में बनल. बिहारमें कोइलवर पुल 1862 में बनल. ई दुनू पुल एखनो स्वस्थ अछि. ब्रूकलिन ब्रिजपर मोटर-कार दौडइत अछि आ कोइलवर पुल पर रेल आ बस  ट्रक चलैत अछि. किन्तु, कोइलवर पुलक करीब सवा सौ वर्ष पछाति (1982 में) बनल पटनाक महात्मा गाँधी सेतु बीसों वर्ष नहिं चलि सकल. ततबे नहिं पछिला बीस वर्षसं निरंतर मरम्मतिक पछातियो ई कतेक क्षतिग्रस्त अछि से चाहे तं हवाई जहाज सं देखियौक वा एहि पुलपरहक ट्रैफिक जामसं अनुमान करू. ततबे नहिं, जतेक दिनसं एहि पुलक मरम्मति चलि रहल अछि आ जतेक टाका एहि में लागल अछि ओतेक खर्च आ समय में एतय दोसर पुल कहिया ने बनि गेल रहैत. किन्तु, से नहिं चाही. कारण, जं एक बेर सौ सालक हेतु पुल बनि गेल तं Plunder Without Danger (PWD) विभागे बन्न भ जायत. अस्तु, हमरा लोकनि कें चाही रोगी पुल जाहिपर प्रत्येक वर्ष रूपया तहिना खर्च हो जेना गंगामें पानि बहइये. आ एहि दुनूक हिसाब के राखत ! जय जगन्नाथ !!
रोजगारक एकटा वृत्ति: सडकपर गायन-वादन 

स्वतंत्रताक उपभोग: भीड़में हजार आ बीचमें अभिसार
           
थोड़ समय आ बहुत पैघ नगर. कतहु जायब, चाहे अपने घुमैत होई व कंडक्तेड टूर हो, सब स्थान आ सब चीजकें देखब असंभव. हमरा लोकनि वर्षो दिल्ली, लखनउ, चण्डीगढ़, आ बंगलोरमें बिताओल. किन्तु, कतेको स्थान देखब एखनो बांकीए अछि. तखन न्यूयॉर्क में की की देखब ? एकर उत्तर एके टा. किछु देखू, आ किछु हवामें अनुभव करू. तकर अनुभव एतहु भेल. दोसर दिन हमरा लोकनि शहरमें आबि बाहर सं फिफ्थ एवेन्यू, एम्पायर स्टेट बिल्डिंग, ब्रॉडवे, टाइम्स स्क्वायर आदि देखल. सेंट्रल पार्क जयबाक ने समय छल आ ने आसानी सं एतबा कालमें ओतय घूमिए सकैत छलहुं. तें निर्णय भेल रॉकफेलर बिल्डिंगपर चढ़ी. 69 तल्ला. फ़ास्ट लिफ्ट. आ बीस डॉलर टिकट. दिन में हजारों पर्यटक. बूझि पड़ैत अछि, सालो भरि, प्रतिदिन हजारों पर्यटकक आमद-रफ्तसं एहि ऑब्जरवेशन-डेक कें आमदनीक कमी नहिं.
सेंट्रल पार्क रॉकफेलर सेंटर केर छतसं
ज्ञातव्य थिक, ऑब्जरवेशन-डेक एतुका मात्र एकटा आकर्षण थिक. रॉकफेलेर सेंटरक इलाकाक भीतरक सैकड़ो उकृष्ट कला प्रदर्शित छैक आ एतुका परिसरमें अनेको व्यवसायक केंद्र छैक. किन्तु, आम पर्यटक ले ऑब्जरवेशन-डेक मुख्य थिक. तकर कारणों छैक. ऑब्जरवेशन-डेकसं सम्पूर्ण न्यूयॉर्ककेर विहंगम दृश्य ओहिना देखि सकैत छी जेना एफिल टावरसं पेरिसक. एतयसं सम्पूर्ण शहर, हार्बर, सेंट्रल पार्क सहित, एतुका सबसं उंच भवन एम्पायर स्टेट बिल्डिंग सेहो देखि सकैत छी. हमरो लोकनि एहि ऑब्जरवेशन-डेक सं सम्पूर्ण शहरकें नीक जकां देखल. एहि हेतु प्रति व्यक्ति 20 डॉलरकेर टिकट  बेसी नहिं. संयोगसं रॉकफेलर भवन केर छत पर ने बेसी भीड़, ने कोनो समयक पाबंदी तें हमरो लोकनि चारू कात शहरक दृश्य देखल, फोटो खींचल, आ आनन्द केलहुं. नीचा अयलापर रॉकफेलर सेंटरकेर बाहर पर्यटकक भीड़में एतुका समाजक किछु एहन झांकी भेटल जे आब भारतीय संविधानक धारा 377क निरस्त भेलाक बाद भारतहुमें प्रायः देखबामें आबय. किन्तु, मोन रखबाक थिक, भारतमें समलैंगिक दम्पति आ युगल लोकनि एखन जागरण-मंच लोकनिसं बंचिए कय रहथि तं भल. कोन  ठेकान, स्वतंत्रताक उपभोगक लोभमें कहीं  गौरी लंकेश आ नरेंद्र दाभोलकरक परि नहिं होइनि ! एहि ठाम तक्र भय नहिं. तें लोक खुलि कय दृष्टिकोणक अनुरूप जीवन–यापन करैछ. 
हैप्पी टाइम्स :कल्पित आ हुनकपत्नी, सुष्मिता मायक संग आ सिद्धार्थ  

अमेरिकहु में वएह हाल
दिन भरि भ्रमणक पछाति हमरा लोकनि ग्रैंड सेंट्रल रेलवे स्टेशनक बाट धयल. ई स्टेशन कोनो साफ सुथरा माल वा पांच सितारा होटलक लॉबी सं कम नहिं. किन्तु, पांच सितारा होटलक पछुआडमें जहिना बम्बईमें धारावीक झुग्गी-झोपडीक समुद्र छैक तहिना एतहु साफ़ सुथरा भोजनालयमें शुभ्र-शाभ्र पुरुषकें कचरा म सं भोजन आ पेयक बोतल निकालि झोरामें पैक करैत देखलियनि तं एके टा धारण दृढ़ भेल : भारत हो वा अमेरिका कचड़ा म सं भोजन निकालि पेट भरनिहार निरुपाय मनुख सब ठाम छैक, जे, कतहु शहरक अन्हारमें आ कतहु नियोन लाइटक चमकमें नगर आ शहरक नागरिकक चेतनामें नहिं आबि  पबैछ !

वाशिंगटन डी सी
16म सं उनैसम शताब्दीक बीच पश्चिमी यूरोपसं अमेरिका अयनिहार आप्रवासी लोकनिक मुख्य पडाव अमेरिकाक पूर्वी तट छल ; जेना ब्रिटिश, फ्रेंच आ डच व्यापारी सब भारतक कलकत्ता-बम्बई-मद्रास, पांडिचेरी-चन्दननगर, आ कडलूर आ ट्रंकेबारमें आयल छलाह. अमेरिकाक पूर्वीए तट ब्रिटेनकेर विरुद्ध अमेरिकी विद्रोह आ अमेरिकी गृह युद्धक केंद्र सेहो छल. अस्तु, अमेरिकाक पूर्वी तट पर्यटक प्रमुख पडाव सेहो थिक. ज्ञातव्य थिक, अमेरिकाक पूर्वीए तट अमेरिकाक औद्योगीकरण केंद्र छल. एखनहु इएह इलाका अमेरिकाक विज्ञान, शिक्षा, आ राजनितिक प्रशासनक केंद्र अछि. हमरा लोकनि चैपल हिल नार्थ कैरोलिनासं सडकमार्गसं वाशिंगटन डी सी जायब. एहि बाटमें हमरा अमेरिकाक सडक यात्राक प्रथम अनुभव होयत. हमर जमाय, सिद्धार्थजी आ कन्या, सुष्मिता, ड्राइव करतीह. हमरा दुनू गोटे विदेशमें धिया-पुताक संग पर्यटनकेर आनन्द लेब. दुनू स्थानक बीच दूरी करीब पौने तीन सौ माइल. अनुमानतः छौ घंटा समय लागत; रास्तामें कतहु चाह-पानि हेतैक तं किछु अओर समय. नार्थ कैरोलिना राज्यक आगू बाटमें वर्जिनिया राज्य आओत आ तकर बाद वाशिंगटन डी सी आ मेरीलैंड. नार्थ कैरोलिना आ वर्जिनिया तहियाक कृषिप्रधान कपास आ तमाकू उत्पादक राज्य छल. एहि ठामक भूमिमें दासप्रथाक जडिए टा नहिं रहैक, ई दुनू राज्य अमरीकी गृह युद्धमें दासप्रथाक संरक्षणले लडल छल. अस्तु, नार्थ कैरोलिना, वर्जिनिया, आ मेरीलैंड गृह युद्धक युद्ध भूमि सेहो रहल अछि. एहि सब इलाकामें एखनहु अमेरिकाक अनेक प्रतिष्ठित सैन्य-प्रतिष्ठान छैक. किन्तु, हमरा लोकनिकें ऐतिहासिक भूमि सबहक भ्रमणकेर समय नहिं अछि. अस्तु, सोझे वाशिंगटन जायब.                
एतय कनेक गप्प सप्प: हम सैनिक छी, किन्तु, प्रवृत्तिए शान्ति प्रिय. हमर विचार अछि, युद्धसं विवादक फडिछठक तखने हो, जखन आन सब विकल्प शेष भ गेल हो. किन्तु, युद्ध वर्चस्वकें स्थापित करबाक सामूहिक अभियान सेहो थिक; मनुष्यक मनुष्यपर, मनुष्यक राज्यपर आ राष्ट्रक राष्ट्रपर. मुदा सबठाम आग्रह एके - वर्चस्व. कखनो काल युद्ध सत्यकेर स्थापनाले सेहो होइत छैक. मुदा, युद्ध सत्यक रक्षाले होइक वा वर्चस्वले, हारि मनुष्येक होइछ. ततबे नहिं, सत्य समय सापेक्ष होइछ आ वर्चस्व शक्ति सापेक्ष. संगहिं,  सत्य विश्वासक विषय थिक आ विश्वास धारणाक. मुदा, युद्धकेर असली सत्य विजय आ पराजय थिक. विजय पराजय केर सरोकार शक्तिसं छैक, सत्य सं नहिं. तें, विजय ककरो होइक पराजय तं मानवतेक होइछ. सेनापति पयर पुजबैत  छथि, मुदा, प्राणतं अदना मनुक्खे गमबैत अछि, अकालमें वएह काल कवलित होइछ . इएह थिकैक युद्धकेर सार-तत्व , अंतिम सत्य. तथापि जं युद्धसं सत्यकेर विजय होई तं युद्ध सार्थक थिक. एहि अर्थमें अमरीकी गृह-युद्ध एक अर्थमें विरल छल. ई युद्ध सिद्धांतक लेल - दासताक विरुद्ध आ शोषितक (अफ़्रीकी मूलक बेगारक) उद्धार दुनूले - भेल छल. एहि युद्धक तेसर विशेषता ई रहैक जे एहि युद्धमें ब्रिटिश आ आयरिश मूलक नागरिक लोकनि स्थापित राज्यसब अपनहिं  बीच अश्वेतक अधिकारले लडल छल. श्री गुरुग्रंथ साहबमें गुरु कहितो छथि  :
‘सूरा ते पहचानिए जो लडे दीन के हेतु’
वीर वएह थिक जे दुर्बलक हेतु लड़य; अमरीकी गृह-युद्ध निश्चय दुर्बलक उद्धारक हेतु युद्ध छल !            
आब पुनः बाट पर आबी. चैपल हिल सं सडक राले होइत उत्तर दिस बढ़इत छैक. सोझ अनेक लेनबला इंटरस्टेट सडक. अपन बाट पकड़ने, निर्धारित गतिसं गाड़ी चलबैत रहू. बाटक काते-कात माइलक संख्याक नम्बरपर एग्जिट वा सडक छोडि मोटेल, पेट्रोल बंक पर जयबाक मार्ग. एहि ठाम सडकपर हॉर्न बजेबाक आ ओवरटेक केर संस्कृति नहिं छैक. जाहि प्रकारक गति तेहने लेन ध लियअ. फ़ास्ट लेनमें स्लो चलायब दंडनीय छैक. सब किछु CCTV कैमरा द्वारा देखल जाइछ. सडकसब एकदम जनशून्य. दुनू कात बेढ़ल. ने पैदल चलैत मनुख भेटत, ने अनेरुआ माल-मवेशी. सड़कपर सूचना सब तेना लिखल जेना आब अपनो सबहक ओतय 4-लेन, 6-लेन सडक पर होइछ, ककरो सं किछु पुछबाक कोनो प्रयोजन नहिं.                                                     
नार्थ कैरोलिना राज्यसं वर्जिनियामें प्रवेशक पछाति कतहु-कतहु, सडकक कातमें बोर्डपर  वर्जिनिया राज्यक पक्षी कार्डिनलक छवि बाट देखबामें आओत. हमरा लोकनि  पीटर्सबर्ग, फ़्रेड्रिक्सबर्ग, आ रिचमंड शहर पार कयल. फ़्रेड्रिक्सबर्ग गृह-युद्धमें एकटा घनघोर संघर्षक भूमि छल. तें, आब पर्यटन स्थल सेहो. किन्तु, हमरा लोकनि आगू बढ़इत गेलहुं. हमरा लोकनि वाशिंगटन सं करीब 15 माइल दक्षिण रहल हयब, रातिक करीब 9 बाजल हेतैक, तखने हमरा लोकनिक देखायल- होटल बेस्ट वेस्टर्न, स्प्रिंगफ़ील्ड, वर्जिनिया. आइ रात्रि विश्राम एत्तहि.
एहि यात्राक दोसर दिन, रविक  भोर. छुट्टीक दिन आ पर्यटन. सब गोटे आरामसं उठलहु. रेस्टोरेंटमें आइ नव व्यंजन सं परिचय भेल: ‘वाफ्ल’. नीक एहू हेतु लागल, जे, सामग्री राखल छैक, अपने बनाऊ अपने खाऊ. आब हमरा सं ई जुनि पूछी ‘वाफ्ल’ बनतैक कोना ? गूगल बाबा मोबाइल फ़ोनमें सुतले छथि. पुछियनु, बनाऊ आ गर्म गर्म खाऊ. हं, सांचा जरूर चाही. बनेबाक विधि बुझू मालपूआक कनेक कठगर डोरी बनाउ. अंडा खाइत छी तं सेहो देबय पडत, नहिं तं बिनु अंडेकेर बनाऊ आ खाऊ. गर्म ‘वाफ्ल’ पर आइस-क्रीम. आहा-हा !! ब्रुसेल्समें जे ‘वाफ्ल’ आ आइस क्रीम खेने रही, जुनि पूछू. आइए बनाऊ, झट सं खाऊ.
जलखइ क पछाति सिद्धार्थ आ सुष्मिता संग भेलीह. गाडी में बैसलहु आ फैनकोनिया-स्प्रिंगफ़ील्ड स्टेशन पर वाशिंगटन मेट्रो ट्रेन पकडल आ सोझे वाशिंगटनक राजधानी इलाकाक फ़ेडरल ट्रायंगल स्टेशनक भूमिगत रेल स्टेशनपर उतरि टहलैत एतुका नेशनल मॉल दिस बिदा भेलहुँ. एहि ट्रेन यात्रामें अनेक सुपरिचित नाम सबहक स्टेशन अयलैक. एहि सब में विश्वभरिक आतंक आ आदर ( भय बिनु होंहि न प्रीति ) क श्रोत पेंटागन, ककरा ने सुनल हेतैक, सेहो देखल.
नेशनल मॉल:पृष्ठभूमिमें वाशिंगटन मोनुमेंटक स्तम्भ  
नेशनल मॉल, अमेरिकाक राजपथ: एक दिनक समय आ पूरा दिल्ली देखबाक हो, तं, कतेक देखबैक. पूरा राजपथ पर पयरे टहलि सकब ? पार्लियामेंट हाउस ? म्यूजियम ? भ सकैत अछि एक दू टा देखि ली. इंडिया गेट ? अवश्य. पिकनिक हेतैक ? वाह , धिया पुता संगमें, वाशिंगटन शहर, बड़का मैदान, आ अनुकूल मौसम. किएक ने ? हमरो लोकनि वाशिंगटन एहिना देखलहु. अपूर्व आनन्द. किन्तु, पहिने कनेक पानि तं पीबि ली, तखन तं गप्प हेबे करतैक.
दिल्ली हो वा वाशिंगटन, पर्यटक छी, तं, किछु अनट तं खर्च करहि पडत. एतहु बेरोजगार वा विदेशी अनिधिकृत आप्रवासी, नेशनल मॉल पर कतहु-कतहु छाहरिमें पाइंट-साइज़ पानिक बोतलक क्रेट लेने सडकक कातमें भेटलाह. एक बोतल जल एक डॉलर. जल पियल आ घुमब फिरब शुरू भेल.
ई वाशिंगटन नेशनल मॉल मोटामोटी एक दिस पश्चिममें लिंकन मेमोरियल आ पूबमें कैपिटोल- अमेरिकी केन्द्रीय प्रशासनक मुख्यालय-क बीचक मैदान थिक जकर दुनू भागक सड़कक काते-कात एतुका अनेक संग्रहालय आ केंद्र सरकारक अनेक विभागक भवन छैक. एहि सबहक बीच वाशिंगटन मेमोरियलक उन्नत स्तम्भ. कैपिटोल देखब हमरा लोकनिक प्रोग्राम में नहिं अछि.

नेशनल म्यूजियम ऑफ़ नेचुरल हिस्ट्रीमें
स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन: एतुका अनेक संग्रहालय देश भरिमें पसरल स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशनक हिस्सा थिक. ई सब संग्रहालय जेम्स स्मिथसन नामक एक ब्रिटिश वैज्ञानिक आ दाताक दानक परिणाम थिक, जे अपन मृत्युसं पूर्व अपन सब सम्पत्तिके ‘विज्ञानक समृद्धि आ प्रसार’ लिखि गेल छलाह. हमरालोकनि एहि अनेको म्यूजियम सब म सं आई केवल नेशनल म्यूजियम ऑफ़ नेचुरल हिस्ट्री आ नेशनल एयर एंड स्पेस म्यूजियम देखब. एकर अलावा माल पर तफरी हेतैक. हमर जमाय सिद्धार्थजीक प्रस्ताव छनि जे वाशिंगटन मेमोरियल स्तम्भ हमरा लोकनि राति में आबि कय रतुका इजोतमें देखी. एवमस्तु. गाड़ी हुनकहि चलबय पड़तनि. हमरा लोकनि फेर कहिया वाशिंगटन आयब !
                      जल पिलाक पछाति हमरा लोकनि सोझे नेशनल म्यूजियम ऑफ़ नेचुरल हिस्ट्री गेलहुं. आन बहुतो ठामक विपरीत एहि सब संग्रहालयमें प्रवेश निःशुल्क छैक. एहि संग्रहालयमें की छैक तकर वर्णन दू कारण सं बेकार. एक, एकर वर्णन असम्भव. दोसर, आब पेरिसकेर लुव्रे म्यूजियम हो वा एतुका स्मिथसोनियन, सब म्यूजियमकेर वर्चुअल टूर आब अहाँ अपने मोबाइलपर क सकैत छी. सूचना प्रोद्योगिकीक आब एतबे शक्ति छैक जे अहाँ चाही तं कीड़ा- मकोड़ाक आंत  वा अपन आंतकेर भितर बाटे चलबाक तहिना अनुभव क सकैत छी जेना अहाँ कोनो तहखाना बाटें जाइत होई. तथापि एतय अयनिहार पर्यटककेर सं अद्भुत छैक. संक्षेपमें एतबे , जे, एहि म्यूजियमक संग्रहमें जीव जगतकेर विकासक  प्रागैतिहासिक समय, सं ल कय भविष्य धरिक सम्भावितक यात्रा झांकी प्रदर्शित छैक. थोड़ जीवित, बांकी मृत व जीवाष्म. संग्रहमें मृत हाथी आ डायनासोरसं ल कय अपन प्राकृतिक परिवेशमें पलैत-बढ़इत कीड़ा-मकोड़ा धरि  संकलित अछि. ततबे नहिं, ई संस्था सब अपन निरंतर खोज आ शोधसं जैव विविधता आ पर्यावरणक रक्षाक हेतु सेहो सतत प्रयत्नशील अछि. अस्तु, विज्ञान आ शिक्षाक क्षेत्रमें सेहो स्मिथसोनियन संस्था सबहक महत्वपूर्ण योगदान महत्वपूर्ण छैक. 
करीब घंटा-दू घंटाक भ्रमणकेर पछाति म्यूजियम सं बहार भेलहुँ. किछु पेट पूजा हो. चॉकलेट,आइसक्रीम, पानि सब ठाम भेटत. किन्तु, शाकाहारी भोजन सब ठाम भेटब कठिन छैक. मूल्यक अन्तर तं छैके. अमेरिकामें एकर सामाजिक असर सेहो देखबामें आओत: भयानक मोटापा. तेल-स्टार्च आ मांस-वसासं लदल मांसाहारी भोजन सुलभ आ सस्त छैक. अस्तु, समाजक नीचा तबकाकें इएह सब खयबाक बाध्यता छैक. फलतः, डायबिटीज, ब्लडप्रेशर आ मोटापा सन लाइफ –स्टाइल रोगक अधिकता ओही वर्गमें सब सं बेसी छैक. जे किछु, हमरा लोकनि सडकक कातमें एकटा शाकाहारी बर्गर केर ठेला ताकल. हमरा भेल चटनीमें मरचाई तेज ने क दैक. कहलियैक, लेस चिली (मरचाई कम ). दोकानदारिन चिकरि उठलीह, नो चिली, नो चिली, वेज ( चिली नहिं, शाकाहारी) ! हमरा बुझबामें नहिं आयल. हमर जमाय लगे में रहथि. कहलनि, ‘ ओ गलत बूझि गेल. चिली एतय गोमांसक एकटा व्यंजन थिकैक ! मरचाई, पेप्पर थिकैक’. मारे मुंह ! स्वाइत अमेरिकन सब कहैत अछि, ‘ हम सब अंग्रेजी नहिं बजैत छी ! आ, ब्रिटिश सब कहत जे अमेरिकनकें अंग्रेजी नहिं अबैत छैक.’ हम युवके वयससं अंग्रेजी उपन्यास पढ़इत छी, अमेरिकन सिनेमा देखैत आयल छी. किन्तु, अमेरिकन अंग्रेजी सीखब एखनो बांकी अछि, ताहिमें कोनो शक नहिं !
जलथंभन भेलैक आ नेशनल मालपर अजस्र गाछक छाहरि बेंच छायामें सुष्मिता, आ हुनक माता, आ सिद्धार्थक संग बैसलहु. मोन पड़य लागल कोना सुष्मिताके एहिना गर्मीक मास में कोरामें ल कय दिल्लीमें लालकिला, चिड़ियाघर, आ इंडिया गेट घुमल रही. हिनका सब किछु अद्भुत लगनि. सब वस्तुकें छूबय चाहथि. अपना कौतूहल आ भय दुनू होइनि. किन्तु, निवारणक व्यवस्था संगे रहनि. अस्तु, किछु छूबासं पहिने हरदम एके टा प्रश्न: जेना, ‘बाघके छूबैक तं काटत’ ? ‘नहिं, कटतह’. ‘दुलाल करत’ ? आ हमर आश्वासनसं हुनक मोन प्रसन्न भ जाइनि.
हमर बालक अमियक केर प्रकृति एकदम दोसर. ओ हमरा हरदम नव-नव कला सिखाबथि: जेना, सांप कोना पकडी. हुनक चटिसारमें हम छोट नेना आ अनुशासित विद्यार्थी भ जाइ, आ ओ गुरु.
‘अच्छा’ ?
‘हं’. अमियक ट्रेनिंग शुरू. ‘ एकटा बोतल ल लियअ. बोतल खोलि कय गाछ तर राखि दियौक. गाछपर चढ़ि जाउ. सांप अओतैक, बोतल में चल जेतैक. बोतल बंद क लियअ  आ चल आउ !!’. 
सत्यातः,अपन नेना सबहक संग बिताओल  हमर समय हमर स्मरणक सबसं  मधुर धरोहर थिक. तें जखन कखनो आनंद क्षण अबैछ हमर मधुर-स्मृतिक पौती खुजि जाइछ. जखन कखनो मोन में विषाद भरि अबैछ, साउंड ऑफ़ म्यूजिक सिनेमाक नायिका जकां अपन मधुर स्मृतिकें मोन पाडि हम अवसादक धोनकें फाड़इत छी.
देखू, गप्पे सप्पमें दुपहरिया बीति रहल अछि. आब नेशनल मालक दोसर भाग चली. हमरा लोकनि नेशनल एयर आ स्पेस म्यूजियम जायब. संभव छैक, एयर आ स्पेस म्यूजियम आनो देशमें होइक. किन्तु, एहि ठामक एहि म्यूजियम केर विशेष अर्थ छैक : जं पुरषोत्तम नागेश्वर ओक-सन इतिहासकारकें छोडि दी, तं, सर्व विदित अछि, अमेरिकाए हवाई जहाजक आविष्कारक देश थिक. एतहि  नार्थ कैरोलिनाक समुद्र तटपर किटी हॉक नामक स्थान में विल्बर आ ओर्विल राइट बन्धु 17 दिसम्बर 1903 क हवाई जहाजमें प्रथम उडानमें सफल भेल छलाह. फलतः, राइट ब्रदर्स एतुका एहि म्यूजियमें टा नहिं विश्व इतिहासमें अपन अद्वितीय स्थान बना चुकल छथि. ई म्यूजियम कतेक लोकप्रिय छैक से एतुका भीड़ देखि स्वतः अनुमान भ गेल. प्रवेशले बड़का पाँति.
एहि म्यूजियम राइट ब्रदर्सकेर साइकिल कम्पनीए टाक वस्तु सब नहिं, हुनक पहिल हवाई जहाजक मॉडल अतिरिक्त एयर आ स्पेस ट्रेवलक हजारों ऐतिहासिक सामग्री राखल अछि. एहि म सं अमेरिकाक एप्पल अंतरिक्ष यानक भीतर भ्रमण हम अवश्य स्मरणीय मानैत छी. ततबे नहिं, एतय अंतरिक्ष खोजक सम्पूर्ण इतिहास प्रदर्शित अछि. एतेक सब देखबाक हेतु मासों भरि पर्याप्त नहिं. तथापि जे देखल से अविस्मरणीय.
एयर एंड स्पेस म्यूजियम: अंतरिक्षयानक नीचा अपार जनसमूह
अमेरिकाकें देखि केओ अनुमान क सकैछ, विज्ञानक क्षेत्रमें अमेरिका विश्वमे अग्रणी अछि. एहि म्यूजियम के देखि ओ धारणा आओर दृढ़ होयत. एहि संग ईहो बुझबाक थिक जे अमेरिका नव-नव वस्तुक आविष्कारक लोकनिक आ सफल उद्यमी सबहक देश थिक. एतुका इतिहास पढ़बैक तं बुझबामें आओत, एतुका लोक, जे जाही क्षेत्रमें अछि, सतत किछु ने किछु नव करबाक उद्योग में लागल रहैत अछि. संग-संग नव-नव वस्तुक निर्माणमें सक्षम प्रतिभाकें विश्व भरि सं ताकि आनब, ओकरा सबकें  काज करबाक उचित वातावरण आ साधन द सफल आविष्कारकें अपना देशक संपत्ति बनयबाक प्रवृत्ति एहि देशक महत्वपूर्ण परम्परा थिकैक. इएह कारण थिक, अमेरिका विज्ञान आ तकनीकी क्षेत्रमें विश्वमें सर्वोपरि अछि.
नेशनल एयर आ स्पेस म्यूजियम भ्रमणकेर पछाति हमरा लोकनि ट्रेनसं  स्प्रिंगफ़ील्ड आबि होटल आपस भ गेलहु.
रातिमें पुनः सिद्धार्थ अपने वाहनमें नेशनल मॉल धरि अनलनि. रातुक समयमें अमेरिकाक राजधानी दिस जाइत एतुका ट्रैफिक एकटा मायावी परिदृश्य-सन प्रतीत भेल. दूर-दूर धरि कारकेर रेड टेल लाइटक लम्बा-लम्बा पाँतिक अनायास बहाव. कतहु कोनो रोक नहिं. बाट देखयबाले गार्मिन कम्पनीक जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) यंत्र, टॉम-टॉम, एतय पहिले पहिल देखल, जे, आगूए-आगू रास्ता देखबैत आ कहैत जायत. आब तं ई जीपीएस भारतहुमें प्रत्येक मोबाइल फ़ोनमें भेटत. किन्तु, 2009 में तं दिल्ली आ बंगलोरहु में ई सुविधा नहिं रहैक. जीपीएसकेर सहायता सं वाशिंगटनक नेशनल मॉल धरि पहुँचलहु. रातुक समय में सम्पूर्ण इलाका अपने गाड़ीमें चलैत देखैत गेलहुं. दिन आ वर्किंग डे में ई संभव नहिं. अन्ततः वाशिंगटन मेमोरियल स्तम्भ लग सिद्धार्थ गाड़ी रोकलनि. हमरा लोकनि आसपास घूमि-टहलि इलाका देखल. आस-पास किछु सुरक्षा कर्मी सब तैनात रहथि. राति कय एहि स्तम्भपर चढ़बाक सुविधा नहिं छैक. तथापि,  रौशनीमें एतय सं पूब आ पश्चिम दिस जतय धरि नजरि गेल, देखलहुं. विभिन्न प्रकारक पाथरसं 19म शताब्दी में निर्मित ई स्तम्भ एतुका प्रथम राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटनक स्मारक थिकनि. एकरा पेरिस केर कांकोर्ड स्क्वायरक ओबिलिस्क वा  दिल्लीक राष्ट्रपति भवनक प्रांगणक जयपुर स्तम्भक समकक्ष बूझि सकैत छी. किन्तु, उंचाईमें ओही सं बहुत बेसी.
वाशिंगटन मेमोरियलक भ्रमणकेर पछाति हमरा लोकनि वापस होटल अयलहु आ सफल यात्राक संतुष्टिमें भरि पोख विश्राम कयल. दोसर दिन भोरे पुनः चैपल हिल.            
                                
    
      
                            

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