Friday, November 9, 2018

मनोरथक पाँखिपर उड़इत


अमेरिकाक पहिल यात्रा
जीवनमें जाधरि दायित्वक बोझ बेसी रहैत छैक अपन मनोरंजन ले किछु करबाक सुरता नहिं अबैछ; सीमित आमदनीक भीतर आवश्यकताकें प्राथमिकताक तराजू पर जोखय पड़ैत छैक. एहि जोख-तौल में कतेक बेर अपन मनोरथ तराजू पर चढ़िओ नहिं पबैछ ! तें जखन सेनासं रिटायरमेंट लेल ताधरि धिया-पूतापर खर्च घटि गेल छल; नव नौकरीसं आमदनी सेहो बढ़ि गेल छल; ई उलटा भेल. हेबाक तं ई चाहियैक जे जखन खर्च बेसी होइछ, आमदनीओ तखने बेसी होइक. किन्तु, से होइत कहाँ छैक. सत्यतः, बढ़इत वयसमें जहिना भूख कम होमय लगैत छैक, तहिना शारिरिक क्षमता. संगहिं, कतेको गोटें कें शारीरिक अशक्तता सेहो घुमबा-फिरबाक क्षमता सेहो कम क दैत छनि. संयोग सं हम स्वस्थ छी आ मनोरथ तं छले. एताबता, बढ़ल आमदनी आ घटैत खर्च सूतल मनोरथकें जगौलक. हमरा लोकनिक अमेरिका यात्रा एहने सूतल मनोरथक फल छल, जकरा हमर बेटी जमायक अमेरिका प्रवास आ सहयोग देलक. तहिया हमर कन्या, सुष्मिता अमेरिकाक नार्थ कैरोलिना विश्वविद्यालयमें सेल मॉलिक्यूलर फिजियोलॉजी ( Cell Molecular Physiology) क पांच वर्षीय पीएचडीक छात्र रहथि. 2009 में हुनक पीएचडी प्रोग्राम समाप्त  हेबापर रहनि. अमेरिका अयबाक निमन्त्रण तं रहबे करय. अस्तु, हमरा लोकनिकें ओ समय उपयुक्त बुझना गेल. सन्तानक दीक्षांत समारोह में सम्मिलित हयब वीसाक हेतु युक्तिसंगत आधार मानल जाईत छैक. तें, सएह सही. 
मनोरथेक बलें लोक जिबैये,आ अपूर मनोरथेक तापें लोक मरइ-ए. मनोरथे नहिं हो, तं, मनुक्खे की ? आस-पासक समाज आ पड़ोसिया लोकनिक समृद्धि सेहो मनुक्खक मनोरथ जगबैत छैक, आ इर्ष्याक कारण बनैछ. हमरा लोकनिक अमेरिका जायब एकटा एहने मनोरथ छल. बेटी-जमायक निमंत्रण तं छले. अस्तु, अमेरिकन वीसा लेल जयबाक तैयारी आरम्भ भेल. अंततः, जुलाई 2009 में दिल्ली होइत अमेरिकाक पहिल यात्रा कयल.                              
सेना-सेवा छोडलाक बादक स्वतंत्रता, मणिपाल मेडिकल कॉलेजमें काजक नव पद्धति, मनोहारी परिसर, सुपरिचित पूर्वपरिचित सहकर्मी सैनिक ऑफिसर लोकनिक संग,  सुधरल आर्थिक स्थितिक संग-संग अमेरिका यात्राक संतुष्टि. सब मिला कय मोन अत्यंत प्रसन्न छल.                               
आब विदेश जायब दरभंगा-दिल्ली जकां सुलभ भ गेलैये. आधुनिक युगक अनेक आविष्कार एतहु जनसाधारणक प्रतिदिनक उपयोगक वस्तु भ गेलैये. सब ठाम लोक पित्ज़ा-पास्ता  खाइत अछि, बाबा रामदेवक मनाहीक बावजूद नित्तह पेप्सी आ कोक पिबैत अछि !. तें, आब विदेश यात्रा अद्भुत नहिं. पहिल बेर, जखन हम आठम वर्गमें रही, तं कोनो लेखक, भुवनेश्वरी प्रसाद ‘भुवन’, केर ‘आँखों देखा यूरोप’ पढ़ने रही. तहिया ओ अत्यंत अद्भुत लागल छल, कारण ओहि पुस्तक में जाहि अनेक वस्तुक वर्णन रहैक, से देखल तं नहिये छल, बहुत सुनलो नहिं छल. किन्तु, आजुक युगमें अमेरिका यात्राक अनुभव अद्भुत की हेतैक ? तथापि, अनकर वर्णन आ अपन अनुभवमें जे अंतर होइत छैक तकर अनुभव कोना नहिं होइत ! सत्यतः, हमराले बहुतो वस्तु नव छल. सएह एहि वृतांतक विषय थिक.                                                  
  एयर इंडियाक दिल्ली न्यूयॉर्क उड़ान A-101 मध्यरात्रिक बीच दिल्ली सं उडल रहैक. पछिला किछु समयमें निन्नक किछु कमी रहय. हवाई जहाज उड़लैक आ सोझे सूति रहलहु. जखन निन्न खूब पूरा भेलापर  प्लेनक वातावरणमें यात्री लोकनिक अचानक चहल कदमीसं निन्न खूजल. उठलहु तं बहुतो गोटेकें लगक खिड़कीसं बाहर आंखि गडौने देखलियनि. प्रकाश एतेक रहैक जे अचानक आंखिमें चकचोन्हीक अनुभव भेल. कौतूहल भेल. सीट सं उठि खिड़कीसं बाहर देखबाक प्रयास केलहु तं मुग्ध भ गेलहु.  अद्भुत दृश्य रहैक; दूर-दूर धरि उज्जर सपेत बर्फकेर चादरि. कतहु- कतहु दूर-दूर पर नग्न पहाड़ ; हवाई जहाज ग्रीनलैंडक इलाकाक उपर छल. ग्रीनलैंडक इलाकाक अधिकांश भाग सालोभरि बर्फ सं तोपल रहैत छैक. जे किछु आबादी छैक तटीय इलाका में रहैत अछि. आर्कटिक सर्किलक समीप एहि मासमें ( ग्रीष्मक बीचमें) मिडनाइट सन (रतुका रौद) ले प्रसिद्ध अछि. एहि मध्य रातिक  अचानक इजोतक कारण इएह मिडनाइट सन थिक. हम लेहमें अढ़ाई वर्ष बितौने छी. कम सं कम बीसो बेर हिमाचल-जम्मू-कश्मीरक पर्वतमालाक उपर देने गेल हयब. किन्तु, ओहि पर्वतमालासं ग्रीनलैंडक कोनो तुलना नहिं. लद्दाख़, उबड़-खाबड़ आ उंच-नीच, कतहु-कतहु आरिक धार-सन, बीच-बीचमें नदी आ झील. ग्रीनलैंड, समतल, सपाट, दूधकेर समुद्र. एहन प्रदेशकें लग सं देखबाक सेहन्ता ककरा ने हेतैक. किन्तु, मोन राखी कतेको वस्तु जे डोर सं सोहाओन लगैत छैक, समीपसं ओ ओतबे मारुख !            थोड़बे कालक पछाति दृश्य बदललै, आ चारू कात राति-सन अन्हार; अमेरिकाक पुवारितटक समय  ग्रीनलैंड सं दू घंटा पाछू छैक, अर्थात् जखन ग्रीनलैंडमें सूर्योदय होइत छैक न्यूयॉर्कमें अन्हारे रहैत छैक. सर्वविदित अछि, ऋतु परिवर्तन आ दिन-रातिक खेलक कारण पृथ्वी आ सूर्यक गति आ एक दोसराक सापेक्ष स्थान थिक. सूर्ये आ पृथ्वीक गति ई खेल हमरा लोकनिक जूडि शीतल आ तिलासंक्रांतिक दिन निर्धारित करैछ.
आखिर करीब सोलह घंटाक उड़ानक जखन  पछाति न्यूयॉर्ककेर जे एफ के हवाईअड्डापर प्लेन लैंड भेलैक तं ओतय करीब भोरक छौ बजैत रहैक. रनवे समुद्रक कछेरमें. पानिक रंग गाढ़, मटमैल. एशियाई समुद्रक हरियरी एकदम नहिं. ओना, समुद्र रंग तं सूर्यक किरण आ पानिमहक जैविक जीवन, तटीय इलाकाक माटि, बालु, ज्वार, आ प्रदूषणक परिणाम थिक.तें समुद्र कतहु नील, कतहु हरियर, कतहु, लाल तं कतहु श्वेत देखबामें अबैछ.                               
इमीग्रेशनमें हमर पत्नीसं कनेक पूछताछ  भेलनि; हमरासं कोनो पूछताछ नहिं. यथार्थमें वीसा केवल अमुक देशक एअरपोर्ट धरि जेबाक अनुमति थिक. इमीग्रेशन अधिकारीजं संतुष्ट नहिं भेलाह, तं, अहाँकें एयरपोर्टसं सेहो बैरंग वापस होमय पडि सकैत अछि ! आ से होइतो छैक.तें, कनेक धुक-धुकी तं स्वाभाविक.                                                        एयरपोर्टपर ककरो सं किछु पुछबाक काज नहिं. सब किछु साफ़-साफ़ लिखल, जेना आन सब एयरपोर्ट पर होइत छैक. हमरा सबकें नार्थ कैरोलिना जेबाक छल. अगिला फ्लाइटमें काफी बिलम्ब रहैक. अस्तु, सुष्मिताकें फोन केलियनि आ पहुँचनामा देलियनि आ कॉफ़ी कीनि समय बितबय लगलहु. एतय खयबाक वस्तु-सामग्री ओतेक महग नहिं. किन्तु, कॉफ़ीक ग्लास आ पित्ज़ाक साइज़ देखि कय आवश्यकतासं बहुत बेसी पैघ. एक ग्लास काफी दू गोटे साधा नहिं सकलहु ! सत्यतः, एतय देशक क्षेत्रफलहि-जकां रोड-सड़क, एअरपोर्ट, मनुक्ख, आ परसल भोजनक मात्रा धरि, सब किछु पैघ-पैघ. आने  सब अंतर्राष्ट्रीय एअरपोर्ट जकां एतहु सौवेनिर, लटकेना सामान,पत्रिका-पोथी, खाद्यपदार्थक बहुतो दोकान. हमरा लोकनि केरा किनल आ खायल. एहि सब दोकानक कतबहिमें एकटा सज्जन बूट-पोलिशकेर दोकान लगौने रहथि. लग जा कय देखलउ. गहिंकी सीढ़ीनुमा उंच मंचपर बैसथु जाहि सं जूता, श्रमिकक छातीक बराबरपर अबनि; श्रममें मनुक्खक प्रतिष्ठा आ सुविधाक ध्यान राखब विकसित देश सबहक दस्तूर थिकैक. हमरा लोकनि एखन ओहिमें एखन बहुत पाछू छी. विश्वकेर अनेक आन भागक विपरीत अमेरिकामें शुरूए सं मनुखक श्रमकें थोड़ करबाक आविष्कारपर जोर रहलैए. एकरे परिणाम थिक जे 19वी शताब्दीक उत्तरार्धहिमें अमेरिकामें एहन नव-नव यंत्र आ साधनक आविष्कार भेल जे मानव श्रम कें उत्तरोत्तर कम करैत गेलैक. तखन विश्वक अनेको भागमें औद्योगीकरण आ मशीनीकरणक नामहु नहिं रहैक.  मानल जाइछ, मात्र बांग (कपास) म सं बीया निकालबाक मशीनक आविष्कारसं अमेरिकामें लाखों श्रमिककें एहि कठिन काजसं  मुक्तितं भेटलनि, तूरकेर उत्पादन कतेक गुणा बढ़ि गेलैक से फूटे. जे किछु. एतय एक जोड़ जूता पोलिशकेर पारिश्रमिक 5 डॉलर; माने, दू सौ सं बेसी भारतीय टाका : बाहरसं अमेरिका गेनिहार भारतीय पर्यटकक ई रोग वा बाध्यता बुझू, जे, जे किछु किनब तुरत ओहि वस्तुक मूल्यकें भारतीय टाकामें बदलिकय भजारी वा ओहि वस्तु वा सेवाक अपना ओहिठामक दामसं मिलान करी. किन्तु, एहि मीमांसामें जायब बेकार. एतय, कविवर यात्रीक एक गोट मूल पांतीकें एना पढ़ी : ‘न्यूयॉर्क केर बूट-पौलिशकें नमस्कार हम कैल !’ आ अगिला उड़ानक हेतु आगाँ बढ़लहु. न्यूयॉर्कसं रॉली-डरहमक उड़ानमें हमरा लोकनिकें करीब डेढ़ घंटा लागल. छोट हवाई जहाज. सत्कारमें एक गिलास क्रेन-बेरी जूस आ ठंढा पानि. मुदा पानि पीयब मुश्किल.एतुका पानिक ग्लासमें बर्फ बेसी आ पानि कम देखलियैक ! आइ मौसम कनेक मेघाओन छैक. बाहर अन्हार-जकां. नीचा सघन जंगल, नदी आ समुद्र. सुनैत छी, अमेरिकाक मात्र 2% क्षेत्रफलपर आबादीक वास छैक.                             
हमरा लोकनि रॉली-डरहम पहुँचलहु. सुष्मिता आ सिद्धार्थ गाड़ी ल कय तत्पर रहथि ; अमृतं प्रिय दर्शनम् ! सामान उठबैत गेलहु आ हमरा लोकनि चैपल–हिल बिदा भेलहुँ.

चैपल-हिल
चैपल-हिल शहरकें नार्थ कैरोलिना राज्यक ग्रामीण इलाका कहि सकैत छियैक. शहरक चारू कात खेती-बारी आ पशुपालन. दूर-दूर धरि पसरल हरियरी. समुद्रक तरंग-जकां उपर नीचा होइत मैदान, मकईक पैघ-पैघ खेती, सघन जंगल, सर्पाकार सडक, आ बीच-बीच कतहु-कतहु दूर-दूर पर आवास. आवास आ खेती अलग-अलग इकाई बहुत पैघ-पैघ. गाछ-वृक्षपर भांति-भांतिक चिड़ई. खेत आ आवासीय परिसरमें हरिणक झुण्ड.  सम्पूर्ण इलाका एकटा पैघ अभयारण्य-जकां प्रतीत भेल. साबिकमें नार्थ कैरोलिना राज्य कपास आ तमाकूक खेतीले प्रसिद्ध छल. अमेरिकाक आन दक्षिणी इलाका-जकां, खेतीमें अश्वेत दास लोकनिक बेगारी (slavery) साविकमें एतुका समृद्धिक मूल रहैक. एखनहु एहि इलाकामें अश्वेत लोकनिक संख्या काफी. अमरीकी गृह युद्धक समयमें नार्थ करोलिना दासता उन्मूलनक विरुद्ध संगठित कॉनफेडरेट राज्य सबहक सहभागी छल. तें, युद्धक पछातियो एम्हर रंग-भेदक प्रथाकें उक्न्नन हयबामें बहुत समय लगलैक. चैपल हिलमें विश्वविद्यालय परिसरमें कनफेडरेट सैनिक, साइलेंट सैम, केर मूर्ति गृहयुद्धमें राष्ट्रीय सरकारक विरुद्ध नार्थ कैरोलिना राज्यक सहभागिताक साक्षी थिक. स्पष्ट अछि, बेगार-प्रथाक उन्मूलनसं अमेरिकाक दक्षिणी इलाकाक एहि कृषि-प्रधान राज्यसब सबहक आर्थिक हानि होइतैक. तें, ओहि युगमें (1861-1865) राष्ट्रीय-सेना     (Union) क  विरुद्ध अपन युद्धकें एतुका लोक गौरवक दृष्टिसं देखैत छल. किन्तु, आब बदलैत समयक संग ओहि रक्त-रंजित अभियानक स्मारकक विरोध प्रखर भेलैये, आ बहुतो बेर विश्वविद्यालयक मुख्यद्वारपर स्थापित एहि मूर्तिकें हंटयबाक स्वर सेहो मुखर भेलैये. आगूक समयमें की हयत, के कहत ? कोनो मूर्ति स्थायी नहिं होइछ : सोमनाथ, बामियान बुद्ध, जॉन सेसिल रोड्स, मार्क्स-लेनिन, सद्दाम हुसैन सबहक मूर्ति ध्वस्त भेले. अबैत समयमें साइलेंट साम कतय जेताह, मात्र समय कहि सकैत अछि.                     
अमेरिकामें दास-प्रथाक अंत भेना एक शताब्दीसं बेसी भ गेल छैक, किन्तु, श्वेत आ अश्वेत लोकनिक सामाजिक आ आर्थिक परिस्थितिमें एखनहु अन्तर छैक से कतहु-कतहु प्रतीत हयत. कवि किरणजी अपन भले कहथु,

की थिक भाग्य, विधाता के अछि ?                                    सबसँ पौरुष हमर प्रबल अछि !

किन्तु, अनुभव कहैत अछि, पीढ़ी-दर-पीढ़ीक दासताक पछाति, लोककें समानताक अधिकार भले भेटि जाउक, किन्तु, समान अवसर भेटलहुसं मन में एकाएक आत्मविश्वास नहिं जगैत छैक ! मरल आत्मसम्मानकें पुनः पनुगी देबामें अनेक पीढ़ी बीति जाइत छैक. अमेरिकाक अश्वेत आ भारतक दलित एकर अपवाद नहिं.                                              
चैपल-हिल मूलतः यूनिवर्सिटी ऑफ़ नार्थ कैरोलिना , चैपल हिल (यू एन सी एट चैपल हिल)क टाउनशिप थिक. नार्थ कैरोलिना विश्वविद्यालय अमेरिकाक पहिल पब्लिक यूनिवर्सिटी थिक जकरा पब्लिक आइवी लीग यूनिवर्सिटीक प्रतिष्ठा छैक. दू शताब्दीसं बेसी पुरान आ शिक्षाक क्षेत्रमें विश्वप्रसिद्द एतुका विश्वविद्यालय एहि शहरक नाक थिकैक. अमेरिकाक पुबारि कछेरक लगक बसल एहि स्थानक जलवायु मृदु छैक. राज्यक पश्चिमी भागमें अप्पलाचियन माउंटेन नार्थ करोलिना आ टेनेस्सी राज्यक बीच टूरिस्ट आकर्षण थिक, किन्तु, चैपल हिल केवल यूनिवर्सिटीए ले प्रसिद्ध अछि. प्रायः, यूनिवर्सिटीक स्थापनाक पूर्व एहि स्थानक परिचय केवल ओहि हिल वा पहाड़ीसं होइत छलैक जतय चैपल( वा पूजा-स्थल) रहैक. तें, ई शहर भेल चैपल हिल. विश्वविद्यालयक स्थापनाक पछाति क्रमशः यूनिवर्सिटीक बाहरक परिसर  टाउनशिपमें परिवर्तित होइत गेल. मुदा, एखनो शहरक आकार ततबे टा छैक जे यूनिवर्सिटीक छात्र, शिक्षक आ ओहिसं जुडल समुदायक आवश्यक . चैपल-हिलकेर समीपक रॉली आ ड्यूक शहर अवस्थित दू टा आओर यूनिवर्सिटी टाउनशिप ( ड्यूक आ डरहम यूनिवर्सिटी) टाउनशिप  मिलाकय नार्थ करोलिनाक ई इलाका अमेरिकाक ‘रिसर्च ट्रायंगल’ नाम सं प्रसिद्ध अछि.                                                                                                                                                                
फ्रेंकलिन स्ट्रीट
 चैपल हिल केर संस्कृति छोट शहरक संस्कृतिक अनुकूल, मंद मंथर गतिएँ चलैत जिनगी. कतहु भीड़-भड़क्का नहिं. पैदल चलैत नागरिक अनचिन्हारहुकें देखिकय अभिवादनमें मुसुकी अवश्य देताह. सडक पार करबा काल गाडी सब अचानक ठमकि जायत; पैदल यात्रीक सुरक्षा सभ्यता थिकैक. जनसंख्या मूलतः विद्यार्थीक आ शिक्षा आ स्वास्थ्यसं जुड़ल प्रोफेशनल लोकनिक. तें, ई नगर अध्ययन-अध्यापन ले सर्वथा उपयुक्त.                                                                      फ्रेंक्लिन स्ट्रीट यूनिवर्सिटी परिसरक दक्षिण एकटा सोझ लम्बा सडक आ एहि शहरक जान थिक. पैदल टहलिक आसानीसं आधा घंटासं कममें फ्रेंक्लिन स्ट्रीटक एक चक्कर लगा सकैत छी. तें चैपल हिल हमरा आओर नीक लागल. सरकारी कार्यालय, दोकान, होटल, रेस्टोरेंट, लीगल फर्म, हेयर कटिंग शैलून सं ल कय चर्च आ फ्यूनरल-होम धरि सब किछु  फ्रेंक्लिन स्ट्रीटमें भेटि जायत. फ्रेंक्लिन स्ट्रीटक एक छोरपर एकटा पुरान रेल लाइन सेहो एहि रोडकें पार करैछ. आब एहि रेल लाइनक प्रयोग केवल स्थानीय थर्मल पॉवर प्लांट धरि कोयला उघबाक हेतु मालगाड़ीक आबाजाहीले होइत छैक. एहि लाइन पर कदाचित् दिनमें एकटा मालगाड़ी जाइत हो. चालू रेल लाइनक बगलमें दोसर पुरान लाइन पर ठाढ़ एक टा ट्रेनक डब्बामें रेस्टोरेंट सेहो चलैत छैक. ई एक प्रकारक नवीनता भेल.                                                                अमेरिका एबाकाल हमरा एतुका रेल ऍमट्रैक आ बस सेवा ग्रेहाउंड पर सेहो यात्रा करबाक कौतूहल छल. ज्ञातव्य थिक, अमेरिकामें प्राइवेट कार सबसं सामान्य यातायातक साधन थिक. पब्लिक ट्रांसपोर्टले बसक उपयोगक उपयोग बहुत सीमित. बस संख्यामें कम आ आवागमन थोड़. बेसी बस शहरक भीतरे चलैछ. सबठाम शहर सबहक बीच बस आ ट्रेनक सेवा छैको नहिं. दूरस्थ स्थानक यात्राले जतय बस व ट्रेन छैको, सुरक्षाले लोक ससंकित रहैए. हमरो धिया पुता शहरसं बाहर ट्रेन आ बस यात्रासं मना केलनि. हम प्रवृत्तिए निर्भीक छी, किन्तु, अपरिचित देशमें जानकारक सलाह मानबे उचित. एतय चैपल हिलमें चौबीसों घंटा सर्कुलर रूटपर फ्री बस चलैत छैक. देशी छी, कि विदेशी, छात्र छी वा श्रमिक. केओ पूछत नहिं. निर्धारित स्थान आ समय पर बस अओतैक, बैसू, जतेक बेर जतय जेबाक हो जाउ. हम एहि बस सेवाक प्रचुर उपयोग कयल. सत्यतः, जं सम्यक बहुत कमी नहिं हो तं एतय बहुतो ठाम पैदल जा सकैत छी, सुष्मिता-सिद्धार्थ बेसीकाल दिन में यूनिवर्सिटीसं पैदल अबैत जाइछ रहथि. लोक साईकिल सेहो चढ़इत अछि. साइकिलकें बसक आगू सेहो लादि सकैत छी.              एतय फ्रेंक्लिन स्ट्रीटमें रेल लाइनक समीपहिंमें एकटा छोट-सन डिपार्टमेंट स्टोर छैक जकर आगाँ, सड़कक कातमें विशाल छायादार गाछक नीचा बेंचपर यदाकदा विश्वविद्यालयक छात्र लोकनि दिनक समयमें आबि की बैसैत छथि . धिया पुता गाछ तर खेलायल दौडल-भागल, खेलक पिलक आ अपने लोकनि वाई-फाई परिसरमें कंप्यूटर पर लिखबा-पढ़बाक काज केलनि. समीपक डिपार्टमेंट स्टोर में ब्रेड,बिस्कुट, केक, पेस्ट्री, वाइन आ अन्य ग्रोसरी सामान, आ बनल भोजन भेटैत छैक. भूख लागल, जे पसिन्न पड़य प्लेटपर राखू, वजन कराउ, आ पाबि लियअ. बगलमें फार्मेसी आ पछुआडमें स्थानीय  विभर स्ट्रीट मार्केटमें हफ्तामें प्रायः दू बेर आसपासक खेतिहर सब अपन हाट लगबैत छथि. बीवर स्ट्रीट मार्केटमें स्थानीय तरकारी आ फल-फलहरीसं ल कय पोर्क-बीफ, फूल-पत्तीक गाछ, बरहीक बनाओल लकड़ीक सामान, चर्म-शिल्पक उत्पाद, सब किछु भेटि जायत. सुष्मिता आ सिद्धार्थक आवास एतय सं लगे छनि . अस्तु हम लगभग नित्य व्यायामक हेतु दौड़इत फ्रेंक्लिन स्ट्रीट धरि एतय अबैत रही आ गाछ तर बेंचपर बैसि ओहि शान्ति आ स्वच्छ वातावरण आनन्द लैत रही जे आब भारतमें छोटहु शहरमें संभव नहिं.  फ्रेंक्लिन स्ट्रीटसं दक्षिणकेर इलाका यूनिवर्सिटी परिसर आ नार्थ कैरोलिना जनरल हॉस्पिटलक इलाका थिकैक. विशाल छायादार परिसर. सैकड़ों वर्ष पुरान, विभिन्न प्रकारक विशाल गाछसब.  गलीचा-जकां घासक बीच-बीच कंक्रीटक फुटपाथ. अनेक सुन्दर फुलबारी, पैघ-पैघ चर्च, बड़का-बड़का पुस्तकालय, आ ऐतिहासिक भवन सहजे आकृष्ट केलक. किन्तु, एतुका सबसं लोकप्रिय स्थल जतय विद्यार्थी आ हमरा-सन पर्यटक, दुनू, फोटो खिचबैत अछि ओ थिक कैरोलिना वेल- साविक इनारक ऐतिहासिक स्थानक मण्डप.
करोलिना वेल: पुरान इनारक स्थान आ विश्वविद्यालयक स्मृति-चिन्ह
विकिपीडियाक अनुसार आरम्भमें एतुका इनार एहि परिसरक एकमात्र पानिक श्रोत रहैक. पछाति, एकरा ऐतिहासिक स्वरुप दैत एहि स्थलकें एहि विश्वविद्यालयक सबसं सुपरिचित स्मृति–चिन्हक रूपमें प्रचारित कयल गेल अछि. सुनैत छी, एतुका छात्र समुदायमें ई मान्यता छैक जे एहि विश्वविद्यालयमें नामंकनक पहिल दिन जं एहि श्रोत सं पानि पीबी तं A ग्रेड रखले अछि ! सत्यतः, एहि मण्डपमें आब केवल एकटा नल छैक, किन्तु, ई स्थान फोटोग्राफीक हेतु लोकप्रिय आ नार्थ करोलिना विश्वविद्यालयक सुपरिचित स्मृति चिन्ह थिक.  कहैत छैक:
हमको मालूम है  जन्नत की हकीकत लेकिन , 
दिल खुश रखने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है’ !  

किन्तु, हमरा  जतबा धरि बूझल अछि,  विदेशी छात्रले एहि विश्वविद्यालयमें प्रवेश अपने आपमें एकटा उपलब्धि थिक. हमराले हमर कन्याक स्कॉलर हयब हमराले कतेक गौरवक विषय थिक, से हमरासं बेसी के बूझत. जे किछु, हम चैपल हिल में करीब छ हफ्ता रही. यूनिवर्सिटी परिसरमें घूमब फिरब हमर समय बितेबाक प्रिय अनमना  छल. अस्तु, कतेक बेर एहि पुरान इनार लग अयलहुं, गार्डेनमें घुमलहु, चर्चमें गेलहु आ पुस्तकालयसबमें पढ़लहु. फोटो सेहो खिचाओल. 
विश्वविद्यालय परिसरक एकटा स्थापत्य
एहि परिसरमें दोसर स्थान जे हमरा आकृष्ट केलक ओ छल गोड तीनेक विशाल लाइब्रेरी. एहि लाइब्रेरी सबमें हम कतेक बेर जा कय बैसलहु आ पढ़लहु.सुष्मिताक कार्डपर पोथी सेहो भेटिए जाइत छल. लाइब्रेरी सबमें बे रोक-टोक प्रवेशमें आ किताब आपस करबाक व्यवस्था आकृष्ट केलक. किताब आपस करबाक हो आनू भवन केर बाहर राखल डब्बामें राखि दियौक. एतुका एकटा लाइब्रेरीमें एक विशाल फ्लोर पर दास लोकनिक उतेढ़ ( Geneology of slaves) केर संकलन देखलियैक. ज्ञातव्य थिक, सत्रहम सं उनैसम शताब्दीक अवधिमें जखन अफीकासं बलपूर्वक आनल अश्वेत नागरिक बेच-बिकिनक दारुण व्यापार आरम्भ भेलैक तं  यूरोप आ उत्तर अमेरिकाक सामंत एहि अमानवीय व्यापारक मुख्य खरीददार रहथि. समुद्रमार्गसं  होइत एहि व्यापारमें कोन देशक लोक कतय-कतय गेल, तकर  कोन ठेकान. अपरिचित, माल-जाल सं बदतर मनुक्ख अनजान देशमें अपरिचयक अन्हारमें ओहिना विलीन भ जाइत छल मडुआक ढेरमें धूल. जे जतय गेल नव स्वामीक खेत-खरिहानमें नव जंतु भ गेल, नव नाम आ उपनाम भेटि गेलैक.  स्वामीकें  दुर्दिन आबि गेलनि आ दासेकें बेचबाक खगता भ गेलनि, तं दास बिका गेल. बिकायल दास आब जाहि खोंता वा खेतीक जाहि कामतपर बैसल, ओकर नाम पुनः बद्लि गेलैक. जं, दू पुरुष-नारि दासकें संग रहबाक अवसर भेलैक, तं कदाचित स्त्रीए बिका जाय आ पति पुराने स्वामी लग रहि जाय. जं सन्तान भेलैक, तं ओकरो बिक्री हेतैक, छागर-पाठी लोक बेचैए किने ? तें, एक मनुक्ख कतेक बेर बेचल जायत, कतय जायत, ओकर नाम की हेतैक, जियत वा मरत, देवो न जानाति कुतो मनुष्यः ! तथापि, अमरीकी सामंत लोकनिक प्लांटेशन ( खेती वा कामत) क पुरान रिकॉर्डक आधारपर क्रीत-दास (slave) लोकनिक उतेढ़ ( Geneology of slaves) केर जहां-तहां संकलन भेल छैक, आ ओही म सं लोक अपन पूर्वजक इतिहास, आ पूर्वजक यातनाक इतिहास लोक तकैत आयल अछि. अंतर्राष्ट्रीय दास-व्यापार आ ओकर मार्मिक कथा, 1976 में प्रकाशित अलेक्स हैलीक प्रसिद्द पोथी  Roots (‘जडि’) में भेटत.एहि पोथीमें लेखक अफीकासं बझाकय आनल अपन पूर्वज ‘कुंटा किन्टे’ नामक व्यक्तिक पीढ़ी-दर-पीढ़ीक यातना दारुण कथाक एहन ताना बना बुनने छथि जे पढ़िकय पात्रो पिघलि जायत. लेखक एहि कथाके अपन ओहि पूर्वजक, जे युवकेक वयसमें अफ्रीकाक गाम्बिया देश सं अपहरणक पछाति आनल गेल छलाह तनिका सहित अगिला सात पीढ़ीक सन्ततिक यातनाक इतिहास मानैत छथि. कतेको अन्वेषककें एहि कथाक ऐतिहासिकतापर संदेह छनि, किन्तु, ई कृति कालजयी छैक से के नहिं मानत. मानल जाइछ, एहि पोथीकें पढ़िकय बहुतो पाठक विचलित भ गेल रहथि !  दास प्रथापर आधारित दोसर पोथी जकरा एक अर्थमें अमरीकी गृह-युद्धक जनक मानल जाइछ ओ थिक Uncle Tom’s Cabin. मानव त्रासदी ई दुनू कथा पढ़बा योग्य थिक.                       एहि पुस्तकालय सब में अनेको व्यक्तिक व्यक्तिगत पुस्तकक संकलनक छोट-पैघ खण्ड सेहो छैक, जकर स्वरुप दाताक प्रति आदरस्वरुप यथावत राखल गेल छैक. चैपल-हिलमें रहैत हमरा जतेक संभव भेल एतुका पुस्तकालयक लाभ उठौलहु.

 लौरेल रिज अपार्टमेंट्स, रॉले, आ केरी  
नेपाल आ भारत देश दू थिक. किन्तु, नेपाल वा भारत यात्रा एहि दुनू देशक नागरिकले विदेश यात्राक कोटिमें नहिं गनल जाइछ. अस्तु, अमेरिकाक ई यात्रा हमरालोकनिक प्रथमे विदेश यात्रा थिक. सत्यतः, हम इतिहास आ भूगोलमें बड कमजोर छी. छठम-सातम वर्गक आगू ई विषय सब पढ़बाक अवसर कहियो नहिं भेल. तें, ई कहब अतिशयोक्ति नहिं हयत जे अमेरिकाक सम्बन्धमें हमर ज्ञान सर्वथा सीमित अछि. आब एखन अमेरिकामें छी. अस्तु, जतेक भ सकय जानि बूझि ली.                                      हम भारतीय सेनामें करीब पच्चीस वर्ष सेवा केने छी. सेनामें छुट्टीक बाध्यता रहैत छैक. किन्तु, कमी नहिं. अतः, जखन जतय समय भेल भारत में खूब घुमलहु. तथापि भारतक कतेको भाग एखन अछूते अछि. किन्तु, हमरा जनैत छुट्टी आ परफेक्ट हॉलिडे में अन्तर छैक. परफेक्ट हॉलिडे माने एहन समय जे तखन किछु सोचय नहिं पड़य. मैथिलीमें एकटा लोकोक्ति छैक, ‘बैसल ठाम खाई छी, पानि जकां दिन बितइए.’ एहि लोकोक्तिकक उपयोग तं काहिल आ बैसल मनुक्ख ले होइत छैक. मुदा, हमरा जनैत ई परफेक्ट हॉलिडेक उदाहरण सेहो थिक. चैपल-हिल केर हमर यात्रा एहने परफेक्ट हॉलिडे छल. हमर बेटी जमाय एतय लौरेल रिज अपार्टमेंट नामक एहि छोट-सन हाउसिंग काम्प्लेक्समें रहैत छथि. लौरेल रिज अपार्टमेंट आसानी सं शिमला-दार्जीलिंग व मसूरीक रिसोर्ट-जकां कहि सकैत छियैक. किन्तु, इलाका ने ओहन पहाडी आ ने प्रायः ओहन ठंडा. किन्तु, चीड़-देवदारुक गाछक मृदुल छाया, सुखद रौद, रंग-विरंगक पक्षी आ एकदम शांत वातावरण. विद्यार्थी वा लेखक-कविले ई स्थान एकदम उपयुक्त, पुरान देहरादून आ चकरातासं कनिएक भिन्न. अस्तु, हम प्रतिदिन, भोरे उठि बड़का चाहक मग ल कय बाहरक बरामदा, जे लगक भूमि सं चारिए छौ इंच उंच छैक, बैसैत छी आ कोनो पोथी, पत्रिका वा कंप्यूटरपर अपन रुचिक वस्तुक परायण करैत छी. सुष्मिता-सिद्धार्थक गमलाक फुलबारी, लगक जंगल आ आसपासक चिड़ई चुनमुनी ताधारी हमर संगबे रहैत अछि जाधरि आओर सब गोटे अपन-अपन चाह ल कय नहिं बहराइत छथि.
मोर्निंग टी टाइम
एतय घरे-घर राष्ट्रीय समाचार पत्र बेचबाक संस्कृति नहिं छैक. लोकल समाचारपत्र स्थानीय डिपार्टमेंट स्टोरमें भेटि जायत. किन्तु, ओहिमें अधिकांश भाग स्थानीय व्यापारिक प्रतिष्ठानक प्रचार, स्थानीय खेल कूद व सांस्कृतिक गतिविधि पर रहैछ. जकरा हम सब समाचार कहैत छियैक से थोड़. अस्तु, भोरे भोर चाह संगे समाचार पत्र जं चाही तं इन्टरनेट पर पढ़ि लियअ. एहि ठाम लुक्खी सब खूब छैक. सेहो मुस्तण्ड  आ निर्भीक. जं डरयबैक नहिं तं टेबुल पर सं बिस्कुट लूझिकय ल जायत !

चिड़इ चुन-मुनी छोट-छोट. जल्दी लग नहिं आओत. ई छोट-छोट चिड़ई जेना कार्डिनल वा बगडाक रूचि कीड़ा-मकोड़ा वा छोट-छोट दाना बिछबामें रहैछ. पैघ चिड़ई प्रायः तटीय इलाकामें होइक. तटीय इलाका एतय सं दूर छैक. एहि कॉलोनीमें गोड बीसेक छोट-छोट दू मंजिला कॉटेज. लगहिं में स्विमिंग पूल, खेलेबाक इलाका. धिया-पुताक हेतु झूला,स्लाइड,घास. बेसी घरबासी विद्यार्थी लोकनि. सामने नार्थ कैरोलिना बाईपास पर बस स्टैंड. लोकल बाज़ार गाछ-वृक्षक बीचे-बीच बाट पकडू आ चल जाउ. पड़ोसिया लोकनिक ओतय अयबाक-जयबाक व्यवहार नहिं. भारतीय मूलक विद्यार्थी लोकनि समय-समय पर अबैत छथि. कखनो-कखनो हमर बेटी-जमायकेर स्थानीय सहकर्मीलोकनि सेहो अबैत गेलाह. एक दिन सुष्मिताक संगी विद्यार्थी लडकीसब आबिकय हमर पत्नी रूपमसं मसाला चिकन बनायब सिखइत गेल, खेलक, आ बंचल भोजन संग सेहो ल गेल. 
चैपल हिलमें पाककलाक चटिसार: सुष्मिताक मित्र एडा आ मेरी बेल केर संग रूपम 
सिद्धार्थक मित्र लोकनि यदा-कदा क्रिकेट व टेनिस ले अबैत छथि. किछु गोटे दिल्लीओक छथि. एकटा मैथिल परिवारक ओतय सेहो गेलहुं. विदेशमें रहिकय सामाजिकता बनौने रहब मानसिक स्वास्थ्यक संजीवनी थिकैक, अन्यथा मनुष्य मात्र मशीनक पुर्जा भ कय रहि जायत.

सिद्धार्थ आ सुष्मिता
हमर जमाय डाक्टर सिद्दार्थ श्रीवास्तवकें अपन शास्त्रक अतिरिक्त साहित्य,ललित कला, आ समाजशास्त्रमें सेहो रूचि छनि. अस्तु, हमरा एतय पढ़बाक पोथीक कमी नहिं होइत अछि. एतय नन्दन नीलकेनीक पोथी Imagining India, थॉमस फ्रेडमैन केर The World is Flat ,  एरिक स्लोस्सर केर Fast Food Nation: The Darkside of the All American Meal- सन विचारोत्तेजक पोथीक अलावा अमेरिकी इतिहास पर अनेक पुस्तक पढ़बाक अवसर आ समय भेटल. संगहि, इहो गप्प लगसं बुझबा योग्य भेल जे विश्वक विभिन्न भागसं आयल, आ विभिन्न जाति, धर्म, इलाका,आ संस्कृतिक लोग कोना एतुका कार्यपद्धतिक एकरूप हिस्सा बनि एहि देशक सामूहिक वैज्ञानिक, आर्थिक आ सामजिक उत्थानक लक्ष्यमें योगदान करैत अछि. किन्तु, हमरा लोकनि जखन अपना अपना ओतय रहैत छी तखन परिवर्तनक विरोध आ यथास्थितिकें जोंक-जकां पकडि रहबाक आग्रह हमरा लोकनिकें कोल्हुक बड़द-जकां जक-थक बन्हने रहैछ. आवश्यकता छैक हमरा लोकनि यथास्थितिक एहि मोहकें लतियाकय दूर करी आ आगू बढ़ी. सुष्मिता आ सिद्धार्थक कार्य-प्रणाली नियमबद्ध छनि. किन्तु, अपना समय आ तरीकासं काज करबाक काफी स्वतंत्रता सेहो छनि. खाली समय में सिद्धार्थ हमरालोकनिके एतय सं मीलों दूर खेती-बारीक इलाका में सेहो ल गेलाह. दूर-दूर धरि पसरल मकईक खेत, अनाजक रखबाक उंच-उंच साइलो (बखारी). बीच-बीचमें सघन जंगल बाटें जाइत सर्पाकार,छायादार मनोरम बाट. कतहु-कतहु संकीर्ण जलधार, छोट-पैघ झील: जॉर्डन लेक एतुका पैघ झील थिक, सेहो एक दिन देखी गेलहुं. खेती-बारीक एकटा इलाकामें एकटा फार्मपर हमरा लोकनि प्रायः प्रत्येक हफ्ता दूध-दही किनय जाइत रही. एहि ठाम पिज़्ज़ा-पास्ता-सन भोजनकेर अलाबा आओर कथूक होम–डिलीवरीक सुविधा नहिं छैक. फार्मिंग इलाकाक गाओं सब खूब साफ़. गंदगी फैलयबाक भयानक दण्ड: $ 1000. से कतेक ठाम सड़कक काते कात लिखल देखलियैक. चैपल-हिलकेर समीप, अमेरिकामें दस-बीस माइल समीपे बूझल जाइछ, अनेक बाज़ार सब छैक. बेर-बेरी हमरा लोकनि अनेको ठाम गेलहु. विभिन्न प्रकारक रेस्टोरेंट आ भोजन चिखबाक अवसर भेल. ई तं बूझल अछि अमेरिका आप्रवासी लोकनिक देश थिक. तथापि, अनेक पुस्त बितलाक बाद आप्रवासीक अमेरिकन सन्तति लोकनि मोटा-मोटी एके रंग भ गेल छथि. गहिंकी नजरि सं देखलापर सूक्ष्मदर्शी दृष्टि, भाषा वा व्यवहारक कारण नागरिक लोकनिक पूर्व राष्ट्रीयताकें चीन्हि सकैत छथि. हं अफ़्रीकी मूलक अमेरिकीकें चिन्हब कोनो कठिन नहिं. संयोगसं, हमरा अपन बेटी-जमायक एकटा मित्र दम्पति, आ एतुका विश्वविद्यालयक मानविकीक शोधार्थी श्री सेबेस्टियन आ हुनक पत्नी मेरी बेल सं सेहो परिचय भेल. दुनू परिवारक बीचक मित्रताक कारण सेबेस्टियन आ मेरी बेलकेर ओतय एक दिन आप्रवासी पारिवारिक परिवेशमें स्पेनिश भोजनक अवसर सेहो भेल. डाक्टर सेबेस्टियन प्रायः पोलिटिकल इकॉनमी छात्र छलाह. छात्र आ विदेशी हेबाक कारण हुनकासं अमेरिकी फ़ास्ट-फ़ूड व्यवस्थापर खुलिकय गप्प भेल. ज्ञातव्य थिक, अमेरिकी लोकनिकें अपना देशक निंदा सुनबाक ने हिस्सक छनि, आ ने ओ लोकनि अमेरिकी जीवन पद्धतिक आलोचना सुनय चाहैत छथि. ई गप्प अहाँके अमेरिका यात्राक हेतु प्रकाशित टूरिस्ट गाइड-बुकमें सेहो भेटत. कारण, सोझ छैक : आम अमेरिकीके अपना देशक बाहरक विषयमें अत्यन्त सीमित ज्ञान हयब. दोसर सम्पूर्ण विश्वक लोकक अमेरिका अयबाक आफन तोडब.                               चैपल-हिल प्रवासमें एक दिन सिद्धार्थ एतयसं समीपक  केरी नामक शहर ल गेलाह. ओतय अभिनेता शाहिद कपूरक सिनेमा ‘कमीने’ देखल. समीपहिंक पाकिस्तानी रेस्टोरेंटमें भोजन भेलैक. हम सबठामक भोजन चिखैत छी. इंदिरागाँधी नहरसं ल कय ब्रह्मपुत्र-लोहित-सियांग-सिन्धु आ सयोक धरिक पानि पीने छी. किन्तु, हमरा भारतीय भोजन जतेक पसिन्न पडैत अछि ओतेक आओर कोनो नहिं. भारतीय आ पाकिस्तानी तंदूरी भोजनक स्वादमें बहुत भिन्नता नहिं. तें, एतुका भोजन नीक लागल. दुर्भाग्यवश मैथिल लोकनि अपन भोजनके बाहर प्रचारित नहिं करैत छथि. अन्यथा, रामरूच आ इडहर राजस्थान आ गुजरातक गट्टे की सब्जी सं कोन कम ! मिथिलाक भांटा-अदौरी, सरिसबक मशाला देल रामझिंगुनीक झोर, बिना प्याज-लहसुनक हींग बला मासु, आ सरिसबबला  माछक झोरक परतर कोन तन्दूरी  भोजन करत ! मडुआ सस्त भेल तें लोक दूसि देलकैक. गरीब खेलक तं अपवित्र भ गेल. मुदा कड़गर मडुआक रोटी, गेन्हारीक साग-नोन-सरिसबक तेल,-हरियर सूर्यमुखी मरिचाइ, आ कुच्चा अंचार खा क देखियौ. जं, भरिपेट बिनु खेने उठि जाइ, तं कहब. किन्तु, ई सब जं फाइव स्टार होटल होइत मिथिला में आबय तं पंजाबक ‘ मक्की दी रोटी ते सरसों दा  साग’ सं कम लोकप्रिय नहिं होयत ! दुर्भाग्यवश शहरमें रहनिहारि मैथिलानी लोकनिकें एक्सक्लूसिव मैथिल पाककला पर लिखबाक प्रेरणा एखन योरपसं आयब बांकि छनि. जखन अनरसा प्रॉक्टर गैम्बल, पेप्सी वा कैडबरी पेटेंट क लेत तखन ई लोकनि छाती अवश्य पिटतीह !!
विलमिन्टन आ कुरे बीच (समुद्र तट)

हमरा लोकनि कमला कातमें जन्म लेने छी. किन्तु, पहिल बेर समुद्र देखैत सैतालिस साल वयस भ गेल. सेहो कतय: मद्रासक मरीना बीच. गहिंड आ मारुख. बंगालक खाड़ी बड तमसाह, हुहुआइत आ नहिं जानि कखन की क बैसताह. माने, भल चाही तं दूरे रहू. दोसर बेर समुद्र देखबाक अवसर रामेश्वरममें भेल. संगमें माता, भाईजी एवं रूपम सेहो रहथि. एहि बेर समुद्रमें स्नान भेलैक. मुदा, ई यात्रा रूपम केर संकल्पक परिणाम, आ मूलतः हमर माताक तीर्थाटनक यात्रा छलनि. ओ तहिया प्रायः नब्बे वर्षक भ गेल रहथि. जेना हुनका हमर स्वास्थ्यक प्रति शंका रहनि तहिना हमरो हुनक सामर्थ्यपर संदेह होइत छल. किन्तु, ओहि बेर रूपम अपन संकल्पसं हुनका रामेश्वरम ल गेलखिन. तथापि जं सत्य कही तं हमरा समुद्र-स्नानक कोनो आनंदक अनुभव नहिं भेल छल.रामेश्वरम में समुद्र घोर-मट्ठा, आ उत्थर. ताहिपर अजस्र लोकक भीड़.  समुद्र-स्नानक आनन्दक अनुभव एहि बेरुक अमेरिका यात्रामें भेल. हमरा लोकनि चैपल हिलसं करीब पौने दू सौ माइल दक्षिण पूब दिस जायब. चालक सिद्धार्थ. यात्री बांकी तीन गोटे. करीब अढ़ाई घंटाक यात्रा. नार्थ कैरोलिना राज्यमें कुरे बीच (समुद्र तट) लोकप्रिय टूरिस्ट स्पॉट थिकैक. एतय अमेरिकामें छुट्टीक दिन घरमें आराम करबाक परिपाटी नहिं छैक. बेसी लोक शुक्रदिन सांझहि बाहर निकलि गेल. शनि-रवि मौज- मस्ती केलक. सोम दिन काज पर मुस्तैद. हमरा लोकनि कुरे तट जाइत रहीतं लगैत छल आधासं बेसी शैलानी-ए. कतेक गोटे पिक-अप वैनमें डर्ट बाईक लदने. ककरो गाड़ीपर छोट-छोट मोटर-बोट. हमरा लोकनि बीच एरिया सं पहिने एतुका प्रसिद्द एक्वेरियम देखय गेलहुं. एक्वेरियमक आरम्भ फ्रेश-वाटर जंतु सब सं होइत छैक, जाहिमें एतुका मांछ, काछु, सांप, आ आन जंतुक संकलन छैक.एकर अतिरिक्त तटीय जल जीवन आ समुद्री जीवनक खण्ड एतुका दोसर प्रमुख संकलन थिकैक. जलीय जन्तु सब में अमेरिकन अलिगेटर, टर्टल, ऑक्टोपस, कैट फिश, आ सांप सबहक प्रजाति प्रमुख छैक. पूर्णतः एयर कंडिशनड एहि एक्वेरियमक भ्रमणक पछाति हमरा लोकनि प्रचुर फोटोग्राफी कयल आ जेलो खा कय तृप्त आ ठंडा भेलहु.

आब समुद्र-स्नानक हेतु तैयारी पूरा रहैक. कुरे बीच इलाकाक पूरा अर्थव्यवस्था प्रायः पर्यटने पर आधारित छैक. समुद्रक कछेरहि पर,सड़केक काते-कात अजस्र कॉटेज. लगे में खुला इलाकामें अनेक शावर. तैराकीक ड्रेसमें जाउ, पहिने कलक पानिमें नीकसं देह भिजा लियअ आ तखन समुद्रमें स्नान करू.किन्तु, पीबाक जलक कल नहिं भेटत ! पानि पीबाक हो तं रेस्टोरेंटमें जाउ. अमेरिका में हैण्ड-पम्प तं उनैसमे शताब्दीमें विलुप्त भ गेलैक. समुद्र तटपर सत्यतः चानन छिलकैत. कतहु एकोटा खढ़ सेहो नहिं. हिदायत वएह: गंदगी फैलयबाक दण्ड: $ 1000. एतेक टाका ककरो ले कम नहिं. तें समुद्रक कछेरपर ने ककरो सिगरेटो पिबैत देखबैक, ने केओ ओतय पिकनिक करत. पोलीथिन, कागज आ बोतलक तं चर्चा नहिं. नील, पारदर्शी आ शीतल जल. पैसलहुतं निकलबाक मोन किएक हयत. समुद्र शांत. किन्तु जं जं आगू जायब, गहराई बढ़इत जाइछ, किन्तु अचानक नहिं. तें, अपन उंचाईक अनुसार जतेक दूर जेबाक हो जाउ हेलू. पानि में बैसू. मदिरापान आ खाद्य पदार्थ बीच पर वर्जित. समुद्रमें गहिंड वर्जित इलाकामें नीक सं नारंगी रंगक डोरी आ बैलून सबसं निशानदेही. कोस्टल पुलिसक मोटल बोटपर निरंतर गश्त. आइ हमरा लोकनि एतय समुद्र-स्नानक परिपूर्ण आनन्द लेल. स्नानक पछाति संगे आनल वस्तुक किछु-किछु भोजन भेलैक आ आपस चैपल-हिल. 
आगू बढ़ि सड़कक कातमें एकटा पार्कमें बैसि सरि भ कय जलखई-पनिपियाई भेलै. अमेरिकामें ई व्यवस्था सड़कक कात आ शहरमें बहुतो ठाम भेटत. पार्क सबमें बैसबाक स्थान, पानि आ बार्बेक्यूक व्यवस्था. अपन कोयला आनू. मासु-माछ लाऊ बार्बेक्यूकपर जे मन हो पकाऊ, खाऊ–पिबू, मौज करू.किन्तु, से फेर कहिओ.    
  
यु एन सि मेडिकल स्कूल आ  जनरल हॉस्पिटल
चैपल हिलमें विद्यालय परिसरहिमें मेडिकल स्कूल आ नार्थ कैरोलिना जनरल हॉस्पिटल सेहो छैक. सोचल एतुका आँखिक विभाग देखि आबी. अपना विदेशमें पढ़बाक कहियो सेहन्ता नहिं भेल से नहिं कहि सकैत छी. मुदा, कहियो प्रयासो केलिएक सेहो नहिं. कारण जे किछु होइक. अस्तु, भारत सं बाहर पढ़बाक अवसर नहिं भेटल अछि. इहो सत्य जे हमरा लोकनिक समय अबैत-अबैत भारतमें उपलब्ध चिकित्सा शास्त्रक पढ़ाई आ ट्रेनिंग केर अवसरमें ततबा विकास भ चुकल रहैक, जे भारतक नीक मेडिकल कॉलेज आ यूनिवर्सिटीक पढ़ाईक सुविधा यूरोप आ अमेरिकाक पढ़ाई  ट्रेनिंगक समकक्ष मानल जा सकैछ. मेडिकल सर्विसेजकेर प्रणालीमें अन्तर छैक से भिन्न बात भेल. एताबता, इन्टरनेटपर एहि विश्वविद्यालयक आँखि विभाग आ फैकल्टी लोकनिक लिस्ट देखलहु. कैटरेक्ट(मोतियाविन्दु) आ रेफ्राक्टिव सर्जरी विभागक प्रोफेसर  डाक्टर कोहेन हमर सामानधर्मा थिकाह. अस्तु, प्रोफेसर कोहेनकें ईमेल कयल. जवाब तुरत आबि गेल. हमरा लग समयक कोनो कमी नहिं छल. अस्तु, अगिले हफ्ताक आरम्भमें कोहेनक संग दू दिन बितयबाक प्रोग्राम बनल, जाहिमें अमेरिकाक एहि अस्पतालक कार्य-प्रणालीकें लग सं देखबाक अवसर भेटल. पहिल दिन भोरहिं अस्पतालसं कनेक हंटि कय डाक्टर कोहेनक ऑफिसमें गेलहुं. हुनक सेक्रेटरी (नाम बिसरि गेले) पहिने अपन डेस्क लग ल गेलीह; आ कंप्यूटर खोलि हेल्थ इन्सुरेंस प्रोटेक्शन एक्ट ( HIPPA) केर डेक्लेरेशन फॉर्म खोलि आगू द देलनि. गप्प ई जे एहि अस्पताल वा एतुका  रोगीसं  सम्बन्धित जे किछु गोपनीय जानकारी देखबैक तकरा बाहर प्रकाशित केला पर $250,000 धरिक दण्ड देब स्वीकार करैत छी. हम फॉर्म पढ़ल , प्रिंट कयल, आ हस्ताक्षर क कय सेक्रेटरी कें थम्हा देलियनि. सोचलहु, ई भेल ‘रूल ऑफ़ लॉ’. हमरा लोकनिक ओतय बाहर विदेशसं कतेक डाक्टर आ ऑब्जरवेशनक हेतु कतेको विद्यार्थी अबैत छथि. रोगीकें  देखलनि, ऑपरेशन केलनि, आ चल गेलाह. आइ धरि ककरो कोनो कागजपर दस्तख़त करैत भारत आ नेपालमें नहिं देखने छियैक. कानूनक किताबमें लिखल रोगीक प्राइवेसीक गप्प ककरो मोनहुमें नहिं अबैत छैक. भारतमें आम सरकारी अस्पतालमें तं रोगी मूर-भाटा  अछि, आ डाक्टर देवता. से उचित नहिं. कानूनक प्रति प्रतिबद्धता विकसित समाजक लक्षण थिकैक. तें, अमेरिका वा यूरोपमें पैघ वा छोट ककरो ई कहबामें संकोच नहिं होइत छैक, जे अमुक विषय कानूनक विरुद्ध छैक, वा ई नहिं भ सकत. अपना ओतय पैघ छी वा छोट क़ानूनक गप्प करब तं थापड़ो पडि सकैत अछि. कानून हंसी-विनोदक गप्प तं सबतरिए अछि. आब अजुका कार्यक्रम:                                                आई कोहेन ऑपरेशनमें छथि. अस्तु, निर्देशानुसार हुनक सेक्रेटरी हमर संग भेलीह आ ओ पी डी ब्लाक सं करीब सौ-दू सौ मीटर दूर डे केयर ब्लॉकमें ओप्रेसन थिएटर धरि हमरा पहुंचा देलनि. एहि अस्पतालक ऑपरेशन थिएटरक कार्य पद्धति आ हमरा लोकनिक कार्य पद्धतिमें समानता आ असमानता दुनू छैक. काज एके रंग. मॉडर्न मेडिकल साइंस सम्पूर्ण विश्वमें एके रंग छैक. हमरो लोकनि अमेरिकने टेक्स्ट-बुक पढ़इत आ पढ़बैत छी. चिकित्साक प्रणाली एके छैक. तखन अमेरिकामें सिस्टम अप-टू-डेट छैक, से आब प्राइवेट सेक्टर में भारतीय अस्पताल में सेहो भेटत. किन्तु, अमेरिकामें चिकित्सा अपेक्षाकृत अत्यन्त महग छैक. हमरा लोकनि थोड़ समयमें अधिक रोगिक उपचार करैत छी. एतय सिस्टम धीमा छैक. तुलना करिएक तं ओहि दिन दिन भरि में डाक्टर कोहेन छौ टा कैटरेक्टक ऑपरेशन केलनि. हमरा लोकनि नौ बजेसं एक बजेक बीच दस टा कय लैत छी ! केओ बेसिओ करैए. तखन अन्तर ई छैक जे एतय किछुओ निर्धारित रीति सं एको रत्ती भिन्न नहिं होइत छैक, जकरा protocol-based सिस्टम कहल जाइत छैक. तखन एतय कोनो वस्तु आ व्यवस्थाक कमीओ नहिं छैक. तथापि, स्टाफक संख्या कम करबाक कारणें एतुका सिस्टममें वस्तुक बरबादी बेसी होइत छैक; एकरा wasteful system कहबैक. उदाहरणार्थ, एतय प्रत्येक ऑपरेशनले पैक्ड उपकरणक डब्बा बाहर सं अबैत छैक. जे उपयोग भेल से भेल, बाकी डस्ट-बिन में. एहि सं बायोमेडिकल कचड़ातं बढ़िते छैक, मूल्य सेहो. ई स्पष्ट जे अमेरिकामें मैनेजमेंटक क्षेत्रमें जतेक शोध होइत छैक ताही सं बेसी प्रायहे कतहु आन ठाम होइत होइक. तें ई सब हुनका लोकनिक दृष्टिपर नहिं पडैत हेतनि से असम्भव. किन्तु, एहि सबमें केवल मूल्य एके टा विन्दु भेलैक ने. सब किछु में सम्पूर्ण व्यवसाय आ अनेक उद्योगक स्वार्थ निहित छैक जकरा सब समाज भिन्न-भिन्न दृष्टिए देखैत अछि. जेना भारतमें उत्पादित, जेनेरिक औषधिक मूल्य विकसित देश सबमें उत्पादित ओही सब औषधिक ब्रांडेड प्रतिरूपसं कतेको गुणा सस्त किन्तु, गुण में सामान छैक. किन्तु, विकसित देशक उद्योगकें एहिसं हानि होइत छैक. तें, ओ लोकनि स्थानीय लोकमतक विरुद्ध अनेक-अनेक बहानासं जेनेरिक औषधिक विरोध करैत रहैत छथि.
डाक्टर कोहेनक संग जे दू दिन बीतल ताहि दुनू दिन कोहेन आ हुनक विद्यार्थी मीलि की छौ-छौ टा कैटरेक्टक ऑपरेशन कय लेंस लगौलनि. ऑपरेशन वएह जे हमरा लोकनि करैत छी. किन्तु, एतय डॉक्यूमेंटेशन पूर्णतः इलेक्ट्रोनिक छैक. डाक्टर ऑपरेशन केलनि आ डिकटाफोनपर जा कय सब किछु रिकॉर्ड क अयलाह. कोन ठेकान बंगलोर, हनोई वा क्वालालंपुरमें बैसल 15 डॉलर प्रतिदिनक वेतन पर खटनिहार केओ मेडिकल ट्रांसक्रिप्शनक क्लर्क ओकरा रातिमें बैसल टाइप करैत होथि ! एतय तं मोटर गराज धरिमें आधा घंटा लगा कय कार कें केवल चेक करबाक न्यूनतम रेट $ 37.5 लिखल देखलियैक !                                                                       अस्पतालमें दोसर दिन डाक्टर कोहेन ऑपरेशनक पछाति हमरा अपना संग वार्ड-राउंड पर ल गेलाह. वार्ड जेबा सं पूर्व हमरा लोकनि ओ पी डी ब्लॉक गेलहु. ओतय एकटा नव उपकरण (anterior segment OCT) देखबैत, डाक्टर कोहेन कहलनि, ‘This is our new toy’ ( ई हमरा लोकनिक नवीनतम उपकरण थिक ) हम कहलियनि, ‘ई तं हम भारतमें 2006 में देखने छियैक’. ओ कनेक चकित भेलाह. असलमें आब विदेशमें जहिना उपकरण सबहक इजाद होइत छैक, किनबाक सामर्थ्य अछि, तं, भारतहु में तुरत आबि जाइत छैक. केवल टाका चाही. आर्थिक उदारीकरणक युगसं पूर्व अनेक बाधा रहैक, से आब नहिं छैक.
ओ पी डी ब्लॉकक संक्षिप्त राउंडक बाद इनडोर राउंडक हेतु डाक्टर कोहेन एकटा पारामेडिककें हमरा संग लगा देलनि. ई बालक बससं हमरा जनरल हॉस्पिटलक इन डोर धरि ल गेलाह. वार्डमें डाक्टर कोहेनक स्नातकोत्तर छात्र , डाक्टर लेस्ली हमर प्रतीक्षामें तत्पर रहथि. राउंड आरम्भ हेबा सं पूर्व कोहेन सेहो पहुँचलाह. कोहेनक संग हमरा लोकनि रूमे-रूम रोगी सब कें देखैत गेलहु. एतुका वार्ड आ उच्च श्रेणीक होटल-रूम में कोनो अन्तर नहिं. आब भारतो में प्राइवेट अस्पताल सब ओहने लागत, भले उपचारक स्तरमें भिन्नता होइक. राउंडक क्रम में रोगी देखैत आगू जाइत आगू बढ़लहु. अपन सीनियर प्रोफेसरसंग हमर मित्रता आ सौजन्य देखि डाक्टर लेस्ली अपन हाथक एकटा यंत्र हमरा दिस बढ़बैत, हमरो सं रोगीकें देखबाक आग्रह केलनि. किन्तु, डाक्टर  कोहेन तुरत इशारासं हुनका रोकि देलखिन ; रोगीकें हमर देखब HIPPA कानूनक विरुद्ध होइतैक आ अमेरिका रूल ऑफ़ लॉ केर देश थिक !                                                                        हॉस्पिटलसं छूटलकाक पछाति हमरा डाक्टर कोहेन संग डिनरकेर निमंत्रण छल. बाहरसं आयल सर्वथा अपरिचित व्यक्तिक प्रति ई सौजन्य आ मित्रभावसं हम प्रभावित भेलहुँ. ओहुना डाक्टर कोहेन स्वाभावमें मृदु आ व्यवहारमें सौजन्यशील प्रतीत भेलाह. अमेरिकन सब ओहुना मित्रतापूर्ण मानल जाइछ, तकर प्रत्यक्ष अनुभव हमरा लेह में भेल छल; हमरा लोकनिक लेह जनरल हॉस्पिटलमें हवाई राज्यक अमेरिकी सेनाक ट्रिपलर मेडिकल सेंटरसं  तीन टा अमेरिकन स्पेशलिस्ट दू-तीन दिन ले हमरा लोकनिक ओतय लेह आयल छलाह. जे किछु.                                         
भोजन ले डाक्टर कोहेन हमरालोकनिकें  एतुका फ्रेंक्लिन स्ट्रीटक एकटा नीक रेस्टोरेंटमें ल गेलाह. संगमें ईरानी मूलक हुनक पोस्ट ग्रेजुएट छात्र डाक्टर श्रीमती इस्माइली सेहो रहथि. डाक्टर कोहेन हमरा पुछलनि, ‘भारतमें लोक भोजनक संग कोन पेय पिबैत अछि, व्हिस्की ?’                   
हम कहलियनि, ‘भोजनक संग भारतमें पेय केर कोनो नियत परिपाटी नहिं छैक.’ तथापि, कोहेन रेड वाइन मंगओलनि. दिव्य इटालियन भोजन, रेड वाइन, नीक कम्पनी आ चैपल हिलक मृदु मौसममें केर सांझ नीक लागल. हमरा लोकनि भोजन समाप्त कयल. आ We called it a (fine) day. वापसीमें डाक्टर कोहेन हमरा ल कय  हमर डेरा बिदा भेलाह. बाट में हमही बस स्टैंड लग उतरि गेलहुं. सोचल आब सबटा रहल खेहल अछि. कोहेन 65 वर्षक छथि. दिन भरिक काजक पछाति जएह दस मिनट बंचि जेतनि. किन्तु, हमरा बस भेटबामें कनेक बिलम्ब भ गेल. फलतः हमरा देरी होइत देखि हमर खोजमें हमर जमाय  सिद्धार्थ हमरा तकबाले बिदा भ गेलाह; 2009 में अमेरिकामें हमरालग मोबाइल छल नहिं. विदेशमें धिया-पुताके बाहरसं आयल परिवारजन ले चिंता भ जाइत छैक. यद्यपि, जं अंग्रेजी बजैत होई, आ विदेशमें सुरक्षा आ असुरक्षाक तथ्यसं परिचित होई तं शंकाक कोनो कारण नहिं. हमरा चैपल हिल रहल खेहल बूझि पडैत छल. हमरा धियापूताक चिन्ताक अनुमान किएक हयत. एखनो हमर सोच तेहने अछि.   अस्तु, जखन हम डेरा पहुँचलहु सिद्धार्थ हमर खोज में चैपल हिलकेर दू चक्कर लगा थाकि कय हमर प्रतीक्षामें डेरे पर बैसल रहथि. सुष्मिताक चिन्ताक निदानमें हमरा एको क्षण किएक लागत. पत्नी ? हमर विचार जे जखनो अपन गलती नहिं हो पत्नीके सफाई देबाक प्रयास नहिंए करी. ई गप्प तिरुवल्लुवर वा चाणक्य नहिं कहने छथिन, मुदा, तैयो, भल जे हमर गप्प मानि ली.   अस्तु, हम चेहरा पर मुसुकी दैत कहलियनि, चलू, ई अध्याय एहि यात्राक चटनी-अंचार भेल ! सैनिक आ ताहिपर पाराट्रूपर, हमरा ले चिन्ता जुनी करी. हम कतहु हडयबायोग्य नहिं छी !!                                                              

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