Thursday, December 26, 2019

सस्पेन्शन आ पेंन्शनक गुर


सस्पेन्शन आ पेंन्शनक गुर

‘ दोस्तों, लम्बा सस्पेंशन और सरकारी नाकामी. आखिर मुझे बिहार सरकारमें पुनः योगदान करने के लिए पत्र मिला.  रिटायर्मेंटमें कुल बयालीस दिन बंचे हैं. 31.1.2020 को मुक्त हो जाऊँगा. मोटा कागजी कार्रबाई. पर, सब हो गया. अब रिटायर्मेंट और पेंशन. इसी से कुछ व्यस्त था. प्रैक्टिस और सब कुछ तो बैहार शहर  में है. चलो इसी पोस्टिंगके बहाने फिर मोतिहार देखने को मिलेगा. सस्पेंशन में मुख्यालय आने की क्या जरूरत ! जहां प्रैक्टिस था, लगा रहा. इस में एक अरसा बीत गया. अब आया तो देखा. मोतिहार में छौ पुराने दोस्त हैं. मजा आ रहा है. सरसठ साल में रिटायर्मेंट ! सरकारी नौकरी थका देता है, यार.’                
प्राइवेट व्हात्सएप्प ग्रुप पर एहि मेसेजकेर केवल अयबाक देरी रहैक. डाक्टर अभय-मोतिहार एकाएक क्लासमेट लोकनिक बीह हीरो बनि गेलाह. फलतः जहिना एक दिस किछु डाक्टर-मित्र अभयक भूरि-भूरि प्रशंसा करैत बधाईक धारसं हुनकर अभिषेकमें लागल छलाह, ओत्तहि दोसर किछु मित्रलोकनिकें पराजयक बोध भ रहल छलनि, आ अपन मूर्खता बेसी बूझि पड़य लागल छलनि.  मुदा, अपन मूर्खताकें जग जाहिर करबाक हिम्मत करब आसन नहिं. तथापि, जखन प्रश्न लोभ-लाभ केर होइक तं लाज करब महान मूर्खता थिक: ‘ जिसने किए शरम, उसके फूटे करम’. अस्तु, डाक्टर महादेव वर्मा सब सं पहिने आगू अयलाह. बुधियार लोकनि एकरे प्रतीक्षा में रहथि. केओ तं आगू आबओ. विश्वासों रहनि, आइ ने काल्हि केओ ने केओ तं आगू अयबे करत आ डाक्टर  अभय अपन विजयकेर राज सार्वजनिक करबे करताह. आ सएह भेल. अगिले रवि दिन डाक्टर महादेव वर्माक पोस्ट सं सब कें लगलैक जेना प्रसिद्द पत्रकार अरुण सौरी मोदी जीकें सार्वजनिक रूप सं निरंतर चुनाव जितैत  रहबाक नुस्खा पूछि लेने होथिन.
महादेव वर्माक पोस्ट किछु एना छलनि:
अभय भाई, ढेरों बधाईयाँ. आपको नमन करता हूँ. आपके पैतरोंको प्रणाम करता हूँ .ऐन मौके पर आपने अपने को ससपेंड करबाया,  और ठीक सही मौकेपर पुनः अपने गाँव में ही पदस्थापित हो गये. इसे कहते है पैतरा ! अब इस सड़ी हुई व्यवस्था और ऐसे लम्पट लोगोंके बीच आपके चंद ही दिन बंचे हैं. यह वक्त तो इस सर्दी में आपके लिए गरमाई जैसा होगा. आखिर मोटी रकम, मोटी रजाई से ज्यादा गर्म होती है ! मगर अब आप मुद्दे पर आयें. सचमें, आपने इस  सस्पेंशन का मजा कितने दिनों तक लूटा ? आपने किस मुद्दे पर अपने को ससपेंड करबाया था ? कृपया हमें भी इस ऐच्छिक सस्पेंशन का अचूक गुर सिखाएं. अभी तो सरकारी तन्त्रके फजीहत से परेशान हूँ. रिटायर्मेंटमें कुछ चंद साल बंचे है. आपकी योग्यता, दक्षता और अनुभव का लाभ मिल जाय तो नौकरी के चंद साल चैन से सस्पेंशन में गुजार लूँगा और फिर आपकी तरह ऐन मौके पर पदस्थापित होकर पेंशन के साथ चैनसे घर बैठूंगा’
मित्र लोकनिक बीच लोकप्रिय डाक्टर अभयक जवाब तुरत अयलनि:
‘ महादेव भाई, आपकी यंत्रणा समझना मुश्किल नहीं. पर, ससपेंड होना उतना ही मुश्किल है जितना नौकरी पाना. कितना भी गलत काम करें, सरकार सीधे ससपेंड  तो करेगी नहीं. ससपेंड होने के लिए और पोस्टिंग करबाने के लिए दोनों में पैसा, पैरवी, और सचिवालय का चक्कर लगेगा. और प्रैक्टिस छोड़ कर तो आप यह सब करेंगे नहीं. तब, सुनिए सीीधी बात : किसी एम एल ए को पकडिये और ठीका दे डालिए. वह सब सम्भाल लेगा. कैसे ? यह आप उसपर छोडिये. आपको आम खाने से मतलब है कि पेड़ गिनने से’.
एतबा कहि डाकटर अभय अपन व्हाट्सएप्प पोस्ट कें समाप्त केलनि. मुदा, आब डाक्टरी प्रैक्टिस केर अलावा डाक्टर अभयकेर एकटा आओर काज बढ़ि गेलनिए. आब क्लासमेट आ जूनियर लोकनिक  बीच ओ सस्पेंशन आ पेंशन केर मानद सलाहकार भ गेलाहे .   
  

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