नासीक
भरब, गाम नाशक निसानी थिक
लोहना रोड रेलवे स्टेशन केर लाल ईंटाक छोट-सन भवन
इतिहास भ’ चुकल अछि. पछिला एक शताब्दीसँ एतुका इतिहासक साक्षीक स्थान आब एकटा
बेजान-सन मिलिटरी बैरकनुमा, चुनेटल भवन ल चुकल अछि. सतही स्तर पर तं लगैत अछि
पछिला एक वर्षमें एहि इलाकाक सबसँ प्रमुख परिवर्तन इएह थिक. किन्तु, से छैक नहिं.
कोरोनाक आगमन सम्पूर्ण समाजकें कोना बदलि देलक-ए तकरा दोहरयबाक एतय काज नहिं.
सर्वविदित अछि, सब किछुक अतिरिक्त कोरोना जाहि वस्तुकें सबसँ बेसी प्रभावित केलक
अछि ओ थिक हमरा लोकनिक मनोदशा. कोरोना महामारीक आरम्भ में हम अपना पर कोरोनाक प्रभावक
एके टा तराजू निर्धारित कयने रही: जं कोरोनासं प्राण बंचि गेल तं कोनो हानि नहिं
भेल. अन्यथाक उत्तर, विदिते अछि. यातायातमें बाधा आ कोरोना-संक्रमणक भयक कारण
दुर्गापूजामें गाम नहिं जा सकलहुं. तें, एहि बेर सवा वर्षक पछाति गाम आयल छी. सेहो,
किछुए काल ले. सेहो नीके. कारण, एखन जाड़ सबहक हाड़कें हिलौने अछि.
लोहना रोड रेलवे स्टेशन, वर्ष 2020
‘से तं आरम्भ गेल छलैक, सर !
माने ? माने कि आब डिजिटल फिरौती होइत छैक !
अच्छा ?
तं, की !’- विजय कुमार जोर दैत कहलनि.
हाईवे रेस्टारेंटक एक दृश्य , मुजफ्फरपुर जिला, दिसम्बर 2020 |
रास्तामें भगवानपुर, मुज़फ्फरपुरमें चाह ले ठमकलहुँ.
उत्तम खौलौआ चाह. भोरक बेर छलैक. अजस्र लोक जलखैक हेतु एहि ठाम खुला रेस्टोरेंटमें
बैसल छलाह. ने ककरो मास्क- (खयबाक काल लोक मास्क कोना लगाओत !), ने सामाजिक दूरी.
सुनैत छी, एतय नीक गुलाब जामुन भेटैत छैक. जाड़में गरम गुलाब-जामुन ! गरम
पूड़ी-तरकारी आ गरम गुलाब जामुन एतय स्वतः कोरोनाकें पराजित केने अछि ! तकर
आओरो प्रमाण भेटल. हमर एकटा भातिजक विवाह
हालहिं में भेलनि-ए. बस भरि कय गौआं लोकनि
बरिआती पुरय गेल छलाहे. काल्हिए हमर एक, बृद्ध ममिऔत भाईक मृत्यु ओड़िसामें भेलनि-ए. सुनैत छी,
आइ शरीर गाम आबि रहल छनि. कोरोना महामारीक आरंभिक कालमें ई सम्भव नहिं छलैक.आब
सरकारी नियंत्रण, आ नागरिकक लोकनिमें भय, दुनू कम भेलैए.फलतः हमहूं किछु हिम्मत
कयल. पटनामें एक दिन नोत सेहो खेलहुँ. गाम में हमर गौआं, भैरव भाई, हालहि में
दिवंगत भ’ गेलाहे. हुनक पत्नी गामहिं छथिन. अस्तु, हुनका ओतय गेलहुँ आ संवेदना
व्यक्त केलिअनि आ अपन नवीन पुस्तक, ‘लोहना रोडसँ लास वेगस’ उपहार में देलिअनि.अस्सी
वर्षसं ऊपर वयसक भौजी, पोथी पढ़ैत छथि. आइ धरि हम अपन सब पोथी दैत एलियनिए. हमरा
नहिं बूझल अछि हुनका तुरिया अओर कोनो महिला एतय आब पूजा-पाठक पोथीक अतिरिक्त आन कोनो
पोथी पढ़इत हेती. कारणों छैक, ई भौजी स्व.पं. दुर्गाधर झाक पुत्री आ डाक्टर सर
गंगानाथ झाक दौहित्री थिकीह !
हमर पुरान सीनियर आ ‘गामक गार्जियन’ शिबू भाई, एवं शिबू भाईक पौत्र शशांक सेहो भेंट करै
ले भोरे अयलाह. हमरा लोकनि घूड़ लग बैसलहुँ तं ‘ सामाजिक’ दूरी राखब हमरो बिसरि
गेल. सत्यतः, प्रिय जनक संगति लोकक मन पर घनीभूत चिंता कें ओहिना उड़ा दैत छैक,
जेना, बसातक झोंकी करियायल उमड़ल मेघ कें. हिनका लोकनिक लगमें, भले कनिए काल ले,
कोरोनाक जीवाणु हमरो चेतनासँ बिला गेल छल.
शहर बाज़ारक एकाकी वासमें इएह नहिं भ’ पबैत छैक. आ तें, लोककें चिंतासँ पाचन बाधित
भ’ जाइछ छैक, निन्न बिला जाइत छैक. ताहि पर दूइए तीन गोटेक बीच, मिनट-मिनट पर कोरोनाक
चर्चा चिंताए टा नहिं, निरंतर परिवारिक कलह आ अशांतिक बीआ सेहो बाग़ करैत रहैछ. पहिलुका
संयुक्त परिवारक विपरीत एखनुक अल्ट्रा नुक्लेअर परिवार में , ‘झगड़ा केओ सुनि लेत’
तकर संकोचक काज नहिं. अर्थात् कलहक आगि अनेरे पसरैत चल जाइछ; फोन्सरि भोकन्नर भ’
जाइछ !
शिबू भाई हमरा सं वयसमें किछु बेसी छथि. किन्तु,
पुरान संगी. एहि बेर हुनकासँ नव सूचना
भेटल. एहि गामक उतरबरिया सीमा पर स्थित कमला नदीक पुरान छाड़न, जकरा एतुका लोक नासी
कहैत छैक, कें गौआं खंड, खंडमें कीनि रहल अछि आ अपन-अपन हिस्साकें कमलाक बालुसँ भरि रहल अछि. मुदा, ज्ञानवान एहि में आसन्न संकटक
छाया देखि रहल अछि. हमर जेठ भाईक संगिनी- छोटकी भौजी- इस्कूल नहिं गेल छथि. ओ
बंगलोर आ जैसलमेरमें बरखाक कारण मकान सबहक प्रथम तल धरि डुबबाक इतिहास सबसँ सेहो
अपरिचित छथि. मुदा, ओ अवाम गामक पछिला सताबन वर्षक बीच अबैत प्रत्येक बाढ़िक साक्षी
छथि. हुनका ज्ञानमें हमरा गाम लग तीन बेर कमलाक
बांह टुटलैक-ए. ओ प्रत्येक बेर घर अंगनामें पानि भरलाक पराभवकें बेर-बेर भोगने
छथि. भौजी कहैत छथि, आब जखन लोक नासी कें भरि रहल अछि,तखन आब बाढ़िक कोन कथा, बरखहुसँ पानि लोकक घर अंगनामें भरि जेतैक. हमर माथ ठनकैत अछि. पछिला चौंतीस वर्षमें केवल तेसर
वर्षक बाढ़िमें हमर घरमें पानि ढुकल छल, सेहो कमलाक बान्ह टुटला पर . आब बरखे-बरख
घरमें बरसातमें पानि ढुकत ! मुदा, गौआं लोकनि बम्बई-बंगलोर आ चेन्नईमें, फ्लैट में
रहैत जमींदार जेकाँ बाढ़ि पानि आसन्न खतरा
सं आँखि मुनने छथि ! आ नासीक भरब, गाम नाशक निसानी थिक, से स्वार्थमें आन्हर गौआंक
चेतना धरि किएक पहुँचतैक ! तखन, बाहरसँ कहियो
काल गाम अयनिहार लोक, गौआं के ज्ञान द’ कय
मारि खायत !
No comments:
Post a Comment
अहाँक सम्मति चाही.Your valuable comments are welcome.