Monday, December 7, 2020

वर्तमान आर्थिक संकट आ ओकर निराकरण

 

वर्तमान आर्थिक संकट आ ओकर निराकरण

COVID-19 नामक महामारी सम्पूर्ण विश्वमें पोआरक आगि-जकां पसरल. किन्तु, रोगक भयक अन्हारमें COVID-19 महामारीक  आर्थिक परिणाम सोझे आँखि पर नहिं पड़इछ. मुदा, एकर मारिसँ  केओ छूटल नहिं. सबसँ पहिने जखन तालाबंदी भेलैक तं सरकारक आश्वासनक अछैतो, निजी क्षेत्रमें काज कयनिहारकें कतेक के नौकरीए नहिं रहलैक, कतेककें वेतन नहिं भेटलैक. जखन बंदी खुजलैक आ लोक काज पर आपस आयल  तं वेतन में कटौती भ’ गेलैक. महगाई कतेक बढ़लैक तकर अनुमान सोनाक दाम में आयल बृद्धि सं कय सकैत छी; तीस हज़ार में भेटैत दस ग्राम सोनाक मूल्य छप्पन हज़ार भ’ गेल. दोसर दिस, कर्मचारी आ पेंशनरक महगाई भत्ता पर अगिला डेढ़ वर्ष ले रोक लागि गेल. तथापि, उपर-उपरसँ  लोक तेना व्यवहार करैत छल जेना सब किछु सामान्येरहैक. आब जखन COVID-19 महामारीक छौ माससँ बेसी भ’ गेलैये महामारिक आर्थिक मारिक पक्ष जहाँ-तहाँ सोझे देखबामें अबैछ : होटल-रेस्टोरेंट खाली अछि. होटल सबहक बाहर तैनात सिक्योरिटी गार्ड नदारद अछि. तर-तरकारीक दोकानमें ने वस्तु छैक, ने बेचनिहार. लोक कें रोग नहिं होइत छैक से असंभव, किन्तु, लोक अस्पताल जेबासं परहेज रखने अछि; खाली हाथें लोक रोग इलाज कराओत कोना ! एक टा उदाहरण देखू. ककरो अस्पतालमें मोतियाविंदुक आपरेशन हेतनि. फीस 3 हज़ार टाका. किन्तु, रोगी COVID-19 सँ मुक्त छथि से बिनु प्रमाणित भेने ऑपरेशन नहिं हेतनि. अस्तु, COVIDक जांच आ छातीक CT-scan में चारि हज़ार अओर खर्च करथु. ऑपरेशन कालमें डाक्टर आ रोगीक हेतु सुरक्षा उपकरण चाही. दाम तीन हज़ारसँ उपर. माने, तीन हज़ारक ऑपरेशनक खर्च दस हज़ार भ’ गेल. एहि तरहक उदहारणक कमी नहिं. आब जं ककरो पेट, छाती, ह्रदय, वा जोड़क इलाज होउक, तं अस्पताल जं भरती करब स्वीकार कइओ लेलकनि, तं खर्चक भारसँ लोक रोगकें देह लगाकय मारने अछि ! अस्पताल आ प्राइवेट प्रैक्टिसमें लागल डाक्टर रोगीक चिकित्सासँ दूर भगैत छथि से फूटे. आ सेहो कोना ने होउक. देशमें COVID-19 क कारण पांच सौ करीब डाक्टर मरि चुकल छथि ! जे अपन काज में लागल छथि, रोगक खतराक अतिरिक्त, चिकित्साक परिणाम प्रतिकूल भेला पर  रोगीक परिवारजनक अत्याचारसँ नित्य लडि रहल छथि, से अलग !

छोट-छोट व्यापार, सड़कक कातक दोकान, होटल, चाहक दोकान बन्न अछि. खूजल अछि तं ग्राहक नदारद. स्कूल सब बन्न अछि. मास्टर लोकनि बेकार. पैघ-पैघ शहर में ट्यूशनक व्यवसाय ठप्प अछि. डाकघर- रेल बन्न कहुना मंथर गतिसँ चलि रहल अछि. एहिसँ व्यापारो बाधित अछि. डाकसँ पठाओल सामग्री जकरा जेबा में एक हफ्ता लागैत छलैए आब एक मास लगैत छैक. सीमित मांग आ बाधित संचार मीलि कय व्यापारले एकटा नव देवाल ठाढ़ केने अछि.

16 अक्टूबर 2020 चेन्नई सं प्रकाशित अंग्रेजी दैनिक ‘ द’ हिन्दू’ अजुका समाचार जेहने रोचक अछि तेहने अभूतपूर्व. ‘Despite relaxation, temple yet to garner revenue’ क शीर्षकसँ प्रकाशित एहि  समाचारक सारांश ई जे लॉक डाउन में छूट के बावजूद मन्दिर सबमें ने स्पेशल दर्शनक टिकट बिकाइत छैक आ ने चढ़ावा चढ़इत छैक. परिसरक दोकान-दौड़ीसँ अबैत किराया सेहो बन्ने छैक. भक्त लोकनिक कहब छनि, जखन लाइन में ठाढ़ हेबेक छैक तं ‘ हम टिकट किएक किनू !’ भक्त लोकनिक लाइनसँ दूर हेबाक कारणे हुण्डी खालीए पड़ल रहैए. माने, एखुनका आर्थिक संकटसँ भगवान-भगवती धरि प्रभावित छथि. एकटा वर्ग जकरा कोनो संकट देखबामें नहिं अबैत छैक, ओ भेल सरकार ! किन्तु, चुनाव जनताक सोच नपबाक थर्मामीटर थिक. बिहारक 2020क विधानसभाक चुनावमें सरकारक प्रति जनताक आक्रोश पहिल बेर सामने आयल अछि. किन्तु, जनताक रोष एखनो राज्य सरकारे टा पर केन्द्रित छैक. देखी सरकार विधानसभा चुनाव 2020क परिणामक की अर्थ निकालैत अछि. किन्तु, अहम से नहिं. अहम ई थिक जे सरकार जनाक्रोशक कारणक निवारण ले कोण डेग उठबैत अछि. समस्या कठिन छैक. समाधानमें समय लगतैक, किन्तु, जनताक धैर्य जवाब दय चुकल छैक. तें, जे किछु हो, अबिलंब हो. किन्तु, की से सम्भव छैक !  

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