मनु के आने
से लगा कि एकाएक हमारा घर रौशन हो गया है. जहाँ हमलोग घरके अलग-अलग कोने में बैठ
किताबें पढ़ते थे, कहानियाँ लिखते थे, या टीवी देखते थे, वहीं आज हमारा घर एकाएक
खुशनुमा बगीचे में तब्दील हो गया था.काल्पनिक ही सही; कहीं नायब फूल खिल रहे थे, कहीं
चिड़ियाँ चहक रही थीं, तो कहीं हरी घास पर बच्चे लोट रहे थे. और तितलियाँ ?
तितलियाँ तो बेशुमार थीं: काले, पीले, बैगनी, मटमैले, नारंगी . लग रहा था पूरे
बैठकखाने में हवा में चारों तरफ तितलियाँ हीं तितलियाँ तैर रहीं थीं. इर्द गिर्द
बैठ लोग अपने काम में मसरूफ थे, और मैं मनु को देख रहा था. मैंने कहा, ‘मुझे भी एक तितली चाहिये !’ और मनु
दौड़ता हुआ मेरे पास आया और एक छोटा सा तितली मेरे नाक पर चिपका कर जाने लगा तो
मैंने उसके गाल चूम लिए. पर सूरज की रोशनी को मुट्ठी में पकड़ना आसन है क्या ! मनु
पल झपकते मेरी पकड़ से बाहर निकल कर बैठकखाने के दूसरे कोने की ओर भाग गया. वहाँ उसके
पास तरह-तरह के खिलौने थे , जिसमे उसकी जान बसती थी: खिलौने बच्चों के लिए, खिलौने
नहीं सचमुच के सजीव प्राणी होते हैं, जिन्हें भूख लगती है, प्यास लगती है, जो
रूठते हैं, हँसते हैं, रोते हैं, सोते हैं,
और प्यार भी करते हैं.
मैंने कहा,
मनु मुझे और तितलियाँ चाहिए ! मनु ने मुझे देखा, मुस्कराया, और एक साथ कई तितलियाँ
मेरी कुर्सी के हत्थे, उसके पैर, और उसके बगल में चिपका गया. मैंने कहा, ‘ वाह !
तुम कितने प्यारे हो. और ये तितलियाँ कितनी अच्छी हैं.’ उस दिन को गुजरे अरसा हो
गया. मैं भी तितलियाँ भूल गया था, मनु के जाने के बाद से तितलियाँ मेरे घर का
रास्ता जो भूल गयीं थीं !
आज अचानक
तितलियाँ फिर मेरी चेतना में वापस आ गयी हैं. दीवाली में फर्नीचर की रंगाई-पुताई
हो रही है. और कुर्सियों पर चिपके प्लास्टिक के
तितिलीयों को दिखाकर पेन्टर ने
पूछा, ‘ कुर्सी में रंग लगाने के पहले इन स्टिकर को हंटाना पड़ेगा.’
- कौन सा
स्टिकर ? मैंने पूछा.
-प्लास्टिक
की तितलियाँ.
मैंने कहा
हरगिज नहीं ! यही तितलियाँ तो रोज मेरे बैठकखाने में रंग बिखेरतीं हैं, इन्ही
तितलियों से तो गाहे-बगाहे मेरे जेहन में रौनक आती है ! तितलियाँ जहां हैं, वहीं रहेंगी !! और अगले
साल मनु जब वापस आएगा तो उसको, मुझे इन तितलियों की हिसाब जो देनी है . मैं तो रोज
ये तितलियाँ उसे विडियो-काल पर दिखाता जो हूँ !
Fantastical!! Reminded of the writings of Mahadevi Verma.
ReplyDeleteThanks.
Deleteबहुत रोचक कथा!
ReplyDeleteअनेक धन्यवाद।
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