Tuesday, August 10, 2021

गंगा नदी आ अपूर्व चन्द्रोदयक एक सांझ

 

जीवन विस्मयकारी अनुभव सबहक यात्रा थिक

जीवन विस्मयकारी अनुभव सबहक यात्रा थिक. छोट नेनाक विस्मयक विषय आ चेतनक विस्मयक कारण भिन्न होइत छैक. मुदा, विस्मयकारी अनुभवक सिलसिला समाप्त नहिं होइछ. विस्मय बुढ़ारियो में होइछ, मृत्युशय्या पर सेहो होइछ. किन्तु, ओहि दिनुक विस्मयकारी अनुभव प्रकृतिक सुन्दरताक अनुभव थिक. गप्प तं प्रायः 1995- 96 क छियैक. हम बरेली सैनिक चिकित्सालय में पदस्थापित रही. ओहि समयमें मुलायम सिंह यादव रक्षा-मंत्री रहथि. पार्टी कोनो होइनि, राजनेता लोकनि सत्ताक दुधारू गाई कें दुहिते छथि. मुलायम सिंह यादव अपवाद नहिं रहथि. हुनका फ़तेहगढ़, उत्तरप्रदेश में पार्टी कार्यकर्त्ता लोकनिक सार्वजनिक सभाकें संबोधित करबाक रहनि. मुदा, सशस्त्र सेनाक वायुयानक उपयोग ले तं कोनो सरकारी ड्यूटीक बहाना चाहियैक. अस्तु, रक्षा-मंत्रीक सिख लाइट इन्फेंट्री रेजिमेंटल सेंटर आ राजपूत रेजिमेंटल सेंटरक दौराक कार्यक्रम बनल. रक्षा मंत्री फतेहगढ़ जयताह तं ओतुका मिलिटरी प्रतिष्ठान सबकें मंत्री जी कें अपन गतिविधि देखयबाक आदेश भेलैक. मध्यकमानक यु पी एरिया ( आब उत्तर भारत एरिया ) आदेश निर्गत कयलक. हमरा लोकनि बरेली मिलिटरी अस्पतालक दल ल कए फ़तेहगढ़ गेलहुँ. हम पहिनहुँ  फतेहगढ़ गेल रही. मुदा, एहि बेर रक्षामंत्री अबैत रहथि.  

                                                                फ़तेहगढ़ किला 

फ़तेहगढ़, फर्रुखाबाद जिलाक मुख्यालय गंगाक दक्षिणी कछेर पर बसल अछि कैंटोनमेंट थिक, फर्रुखाबाद शहर एतयसँ करीब पांच किलोमीटर दूर अछि. कैन्टोमेंट केर नाम एहि ठामक गढ़ वा किलाक कारण फ़तेहगढ़ थिक. जेना आन सबठाम छैक, एतुको किला सेनाक नियंत्रण में अछि. विकिपीडिया कहैत अछि, 1857 केर सिपाही विद्रोह में विद्रोही लोकनि किलापर कब्ज़ा कए लेने रहथि. एतय लगभग 200 यूरोपियन मारल गेल छलाह. किछु जे  गंगाक बाटें नाओसँ भगबा में सफल भेलाह से बाटे में पुनः पकड़ल गेलाह, आ विद्रोही लोकनिक हाथें हुनकोलोकनि संहार भेल. पछाति, जखन ब्रिटिश सरकार पुनः नियंत्रण स्थापित केलक तखन तं सब किछु फेर ओकरे भए गेलैक. ओना ब्रिटिश सरकारक उपस्थिति विद्रोहसँ पहिनहुँ एतय रहैक. ओहि समय में एतय ब्रिटिश सेनाक गन-कैरेज फैक्ट्री सेहो रहैक, जे सामरिक दृष्टिसँ उपनिवेशवादी सेनाक हेतु महत्वपूर्ण छलैक.                                                                        आब पुनः विषय पर आबी. नागरिक सभाक दिन रक्षामंत्री हेलिकॉप्टरसँ अयलाह. सेनाक प्रदर्शनी टेंट सबमे लागल छलैक. ओ प्रत्येक टेंट में गेलाह. अफसर लोकनिसँ हाथ मिलओलनि. फोटो घिचल गेल.  प्रदर्शनी देखलनि, आ सोझे सार्वजनिक सभामें गेलाह. मुदा, एहि में किछु विस्मयकारी नहिं रहैक. विस्मयकारी अनुभव रातिमें भेल.              रक्षामंत्रीक सम्मान में राजपूत रजिमेंटल सेंटर केर अफसर मेस में रात्रि-भोज भेलैक, जकरा सेनाक भाषामें डिनर-नाईट कहल जाइछ. ई अत्यंत औपचारिक पार्टी थिक जकर वर्दी, ड्रिल, बैंड-बाजा, आ बैसबाक, खयबाक आ उठबाक निर्धारित रीति रिवाज छैक.                                                                                                                  राजपूत रजिमेंट गंगाक कछेर पर बसल छैक. ऑफिसर मेस तं नदीक सबसँ लग छैक. हमरालोकनि गंगाकें हरिद्वार, प्रयाग, बनारस, पटना आ कलकत्ता सब ठाम देखने छी. मुदा, मन नहिं पड़ैत अछि, पहिने कहियो गंगाक कछेर परक चंद्रोदय आ पूर्ण चंद्रमा देखने छी कि नहिं. ओहि राति पूर्णिमाक राति रहैक. अफसर मेस केर गलीचा सन घास पर बार लागल छलैक. रेजिमेंटल मिलिटरी बैंडक सर्वोत्तम कलाकारलोकनि वातावरणकें संगीतमाय केने रहथि. रक्षामंत्रीक सम्मान में जेहन भोजन-साजन उपयुक्त होइतैक से रहैक.                                                                          चन्द्रोदयक पहिने कालिमासँ  गोधूलि आ राति संक्रमण घनीभूत भए आयल रहैक. किछुए काल में पूब क्षितिज पर प्रकाशक आभास एलैक. कनिए कालमें चंद्रमाक आकृति संझुका धूमिल वातावरणक बाटें अवतरित भेल. पछाति, किछुए क्षणमें जे भेल से अपूर्व छल; चंद्रमाक गाढ़ रक्ताभ चक्का, क्षितिज कालिमा पर एकटा नैसर्गिक कला जकां उदित भेल. क्रमशः, जखन  सम्पूर्ण चंद्रमा मेसक परिसरक गाछ सबहक उपर आयल तं दृश्य अभिभूत कए देलक. एहन निर्मल चंद्रमा, एहन मृदु वायु आ एहन व्यवस्था, जे ओहि पार्टी कें भेना पचीस वर्षसँ बेसी भए गेलैक आ हम ओकर अनुभव आइ लिखए बैसल छी. चंद्रमा परसँ नजरि हंटल तं एकाएक भान भेल जे हमर लग जे अफसरलोकनि छलाह ताहि म सँ कर्नल दाश गायब रहथि. मुदा, हुनका दुबारा प्रकट हयबा में देरी नहिं लगलनि. हम चकित रही. पुछ्लियनि: कतय बिला गेल रही आ कोना अवतरित भए गेलहुँ ? ओहि पर जे ओ कहलनि से आओर विस्मयकारी छल. कहलनि : एतेक अनुकूल मौसम. एहन मनोरम वातावरण. एहन इजोत आ गलीचा सन घास. हम तं लॉन केर कोन पर दू चारि बेर ओंघराकय आबि रहल छी ! हम देखलिअनि हुनकर शूट पर एक दू टा सुखायल दूबि तखनो सटल रहनि ! हमरा बुझबा में आबि गेल. सेना में अफसर मेसक इतिहास कहैत अछि, जे बहुत पहिने लेडिज लोकनिक हेतु अफसर मेस परिसर वर्जित रहनि. कोनो औपचारिक अवसर में जं बजाओल जेतीह, तं अओतीह. अन्यथा ‘ हाई स्पिरिट’ में अफसर लोकनि अपना सबहक बीच की कए बैसताह, देवो न जानाति कुतो मनुष्यः. सत्ते, हमरोलोकनि जखन सेना में कमीशंड भेल रही तं इएह सुनने रही: अफसर मेस अविवाहित अफसर लोकनिक घर थिकनि. माने, ओतय ओ लोकनि ‘प्राकृतिक’ ( वा अप्राकृतिको) अवस्था में विचरण करैत छथि ! मुदा, सेनाक अनुशासन केहनो जीव कें साधि दैछ ! से हमर अपन अनुभव कहैछ.   

            ओहि पार्टी आ परिसर दोसर छवि जे आइओ स्मृति पटल पर खचित अछि, ओ थिक राजपूत रेजिमेंटल सेंटर परिसरमें स्थापित रानी विक्टोरियाक आदमकद ग्रेनाइटक मूर्ति. तहिया, संयोगसँ, भारत में तेना भ’ कए मूर्तिभंजनक  आधुनिक परिपाटी आरम्भ नहिं भेल रहैक. तहिया औरंगजेब खलनायक आ दाराशिकोह भारतप्रेमीक रूप में नामांकित नहिं भेल रहथि. सेनाक परिसरसँ मूर्ति उठायब, मूर्ति-तस्कर सुभाष कपूर ले सेहो सुलभ नहिं रहनि. नहिं जानि, आब विक्टोरियाक ओ मूर्ति ओतय अछि कि नहिं. कारण, आब इतिहासक पुनर्लेखन जारी अछि. हम सोचैत छी, जं भारत अपन इतिहास म सँ सबटा ‘अवांछित’ अंश हंटा देतैक तं भारत आ पकिस्तानक इतिहास में की अन्तर रहतैक; भारत आर्य लोकनिक इतिहासकें अपनाओत. पकिस्तान मुग़लकालीन इतिहासकें अपन पोथीमें स्थान देने छैक ! मुदा, हमर से चिन्ता नहिं. हमर विचार जे जं मौक़ा लागय तं एक बेर जखन आकाश निर्मल होइक, गंगा कछेर पर चन्द्रोदय अवश्य देखू. कारण, सौन्दर्यक अनुभव वस्तु थिक, लिखबाक नहिं. एहि बीच में कतहु पढ़बो केलहुँ  जे भाषा अपनामें अन्तर्हित सत्य कें छोड़ि आन कथुक वर्णन नहिं के सकैछ. आ से सत्य थिक ! जं आँखि मूनि ली, कान बंद कए ली तं शब्द, संगीत, आ कलाक स्वरुप चेतना धरि कोना पहुँचाओत !

हं, समाप्त करबासँ पूर्व एकटा आओर गप्प. हमरा लोकनिक प्रदर्शनी रक्षामंत्रीक गेलाक पछातियो, दोसरो दिन छल. जेना, अनुमान कए सकैत छी, स्थानीय फोटोग्राफर प्रत्येक अफसर आ जवानकें रक्षामंत्रीसँ  हाथ मिलबैत फोटो लेने रहथि. आइओ फोटो बेचए आयल छलाह. मुदा, जखन हमरा लग अयलाह तं हम कहलियन्हि, ‘ हमरा एतेक हिम्मत नहिं जे मुलायम सिंहक संग अपन फोटो घर में राखब ! हमर परिवार आ धीया-पुता हमरा घरसँ  निकालि देताह. तं, सब हंसय लागल. मुदा, पछाति अपना लागल जे हम अनर्गल कहि देलियैक. हमरा लोकनिक व्यवस्था लोकतंत्र थिक. बेचारी चलिए गेलीह. नहिं तं कोन ठेकान अगिला बेर स्व. फूलन देवी रक्षामंत्रीक रूप में अबितथि, हमरा  लोकनि हुनको गार्ड-ऑफ़-ऑनर देबे करितियनि ! ओ समाजवादी पार्टी क एम पी तं रहबे करथि. बेचारोक हत्या भए गेलनि ! नहिं, तं कोन  ठेकान !        

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