Thursday, March 24, 2022

पारंपरिक मैथिली में ‘धन्यवाद’ शब्दक समावेश नहिं !

 मैथिली में आभारक अभिव्यक्ति

 पारंपरिक मैथिली में ‘धन्यवाद’क समावेश नहिं !

पश्चिमी सभ्यता में धन्यवादक खर्च बड्ड बेसी. हमरा लोकनि अपन गाम-घरसँ बाहर आबि बसलहुँ . आब हमरो लोकनिक जीवन में धन्यवादक खर्च थोड़ नहिं. तें, अपेक्षा जे लोक भरि-भरि आँजुर धन्यवाद दिअए. आ से नहिं भेटल तं नीक नहिं लगैछ. मुदा, किएक ? मैथिल समाज में हमरा जनैत धन्यवादक परंपरा नहिं. तखन, मिथिला में आभार प्रदर्शनक अवसर आ आभार प्रदर्शनक अभिव्यक्ति केहन होइछ, एतय एही पर विचार करी.

आरम्भ ‘धन्यवाद’ शब्दसँ करी. सत्यतः, ‘शब्दकल्पद्रुम’ में ‘धन्यवाद’ शब्द नहिं भेटल. अर्थात् संस्कृत साहित्य में वार्तालाप में (प्रायः) धन्यवाद शब्द नहिं भेटत. हम अपने संस्कृत साहित्य नहिं पढ़ने छी. अस्तु, ई गप्प केओ संस्कृतक विद्वाने अधिकार पूर्वक कहि सकैत छथि.

आब मैथिली में आभार प्रदर्शनक किछु उदाहरण देखी. मूलतः, एहि सब में उपकार मानबाक स्वीकृति छैक.

हमर बड़ उपकार भेल.

ई उपकार जिनगी भरि नहिं बिसरब.

ई गुण नहिं बिसरब.

बेर पर (वस्तु/ अर्थ) काज आयल/ (अहाँ काज) अयलहुँ.

आबि कए पार लगा देलहुँ.

अहाँक सहयोगसँ  पार घाट लागल

पति रखलहुँ/ (सहायता) पतिराखन भेल.

पतित हेबासँ बचाओल.

उत्तरी(य) तोड़ाओल/ उत्तरी(य) टूटल.

जाति बचल

अजाति हेबासँ बचलहुँ.

खोज पुछारी राखल, उपकार भेल.

आभार-  ई शब्द मैथिलीक गप्प सप्प में पहिने तं नहिंए छल. आब तं हमरा लोकनि प्रयोग करिते छी.

धन्यभाग- एहि शब्द में आभार वा धन्यवादक ध्वनि नहिं छैक. एहि में अपन भाग्य पर संतोष छैक. अर्थात् ‘धन्यभाग. अहाँ अयलहुँ’ में सेहो अयबाक कारण अपन भाग्यक प्रशंसा छैक, आयल व्यक्तिक प्रति आभार नहिं.

पश्चिमी परंपरा में प्रीति- भोज आ निमंत्रणक हेतु सेहो आभार प्रदर्शनक परंपरा छैक. अपना ओतय नोतहारी ‘नोत मानि’ घरवारी पर उपकार करैत छथिन. तखन, धन्यवाद कथिक ? ऊपरसँ आइ अहाँ नोत देलहुँ, तं काल्हि हमहू देब. तखन उपकार कथिक! ऊपरसँ, आब तं सुनैत छी, गाम घरहुँ में नोतहारी भेटब कठिन. शहर में तं केओ नोत खयबा ले अयबो करताह तं रवि दिन, वा राति कए. यदि रविओ क नोतहारी कें आयब कठिन होइनि तं swiggy वा zomato app पर भोजन घर पर पठा दियनु. नोतहारीसँ भेंट नहिं हएत.  मुदा, ई विषयांतर भेल. मूल बात जे खयबाक निमंत्रण आभारक विषय नहिं भेल. हं, ‘थैहर-थैहर भए गेलैक !’ भोजनक प्रशंसा भेलैक, धन्यवाद नहिं.

वस्तु  वा पदार्थक हेतु प्रशंसा ले ‘बड़ दिब लागल’, ‘बड़ सुन्दर’ पर्याप्त थिक.

नीचा लिखल अभिव्यक्ति अनुरोध-सूचक थिक, आभार सूचक नहिं:

( ई कए दी/ दए दी तं) बड़ गुण मानब

खोज पुछारी राखल / राखी ( अनुरोध सूचक).

‘पोथी नीक लागल’ पोथीक प्रशंसा थिक. मुदा, उपहार-स्वरुप देल पोथीक प्रति आभार नहिं थिक.

अस्तु, हमरा जनैत, पारंपरिक मैथिली गप्प-सप्प में अपन परिवार में तं नहिंए, अनको संग गप्प में ‘धन्यवाद’क

समावेश नहिं !     

 


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